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व्हीलचेयर पर बैठी ‘गीताबाई’ ने मांगी ‘गौ-सेवा’ की अंतिम इच्छा

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शाजापुर.

उम्र के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुकी एक वृद्धा ने अपनी अंतिम इच्छा परिजनों को बताई थी कि वो गौदर्शन, गौपूजन और गौ दान करना चाहती है। रविवार को ज्यादा स्थिति बिगडऩे पर जब परिजन वृद्धा को लेकर अस्पताल पहुंचे तो यहां पर डॉक्टर्स ने उन्हें घर ले जाकर सेवा करने की सलाह दे दी। इसके चलते परिजनों को वृद्धा की अंतिम इच्छा याद आ गई और उन्होंने शहर के गौसेवकों से संपर्क किया। गौसेवक महिला की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए गाय की बछिया लेकर अस्पताल पहुंच गए। यहां पर परिजनों ने वृद्धा के हाथों से गौपूजन कराते हुए गौ के दान के निमित्त राशि गौसेवकों को दे दी। वृद्धा की ये अंतिम इच्छा शहरभर में चर्चा का विषय बनी रही।

जानकारी के अनुसार गीताबाई (80) पति स्व. उमरावसिंह राठौर निवासी दुपाड़ा रोड की तबियत विगत कुछ समय से लगातार बिगड़ती जा रही थी। गीताबाई ने अपने परिजनों को बताया था कि वो अंतिम समय में गौपूजन करके गौ का दान करना चाहती है। रविवार दोपहर जब गीताबाई की तबियत ज्यादा बिगड़ गई तो परिजन उन्हें लेकर जिला अस्पताल पहुंच गए। यहां पर चिकित्सकों ने उपचार तो किया, लेकिन उनकी स्थिति में सुधार होने की संभावना नहीं जताई। कहा गया कि अब गीताबाई को घर पर ले जाकर ही सेवा करें। ऐसे में परिजनों को गीताबाई की अंतिम इच्छा याद आ गई। परिजन शहर में गाय की तलाश कर रहे थे। तभी गीताबाई की बेटी पूजा राठौर को गौसेवक मनोज गवली का नंबर मिल गया। मनोज गवली को फोन करके गीताबाई के परिजनों ने पूरी स्थिति से अवगत कराया।

लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी का तंज, कहा- जड़ों से कट चुकी कांग्रेस ने तय कर लिया है कि सौ साल तक शासन में नहीं आना

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नई दिल्ली, ANI यूं तो हर चुनावी जीत-हार के बाद कांग्रेस के अंदर भी मंथन होता होगा लेकिन सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में जिस तरह कांग्रेस के सिकुड़ते आधार के इतिहास को सामने रखा वह मजबूत कांग्रेस की बात करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी भयभीत कर सकता है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर पिछले तीन दिनों से चल रही चर्चा का जवाब देते हुए सोमवार को प्रधानमंत्री पूरी रौ में थे। अंदाज हास-परिहास से भरा था लेकिन शब्द चुटीले

आंकड़ों के सहारे कांग्रेस पर तगड़ी चोट

आंकड़ों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि देश पर 60 साल शासन करने वाली कांग्रेस के लिए नगालैंड के लोगों ने आखिरी बार 1998 में वोट किया था। ओडिशा में 27 साल से सरकार में एंट्री नहीं मिली तो गोवा में 1994 में पूर्ण बहुमत मिला था। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में कांग्रेस शासन को 37 साल गुजर गए, तमिलनाडु में 50 साल पहले 1962 में अवसर मिला था। जिस तेलंगाना के गठन का श्रेय लूटने की कोशिश होती है, वहां के लोगों ने कभी कांग्रेस को अपनाया ही नहीं।

जड़ों से कट गई है कांग्रेस

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह इसलिए हो रहा है क्योंकि कांग्रेस जड़ों से कट गई है, जनता से दूर हो गई है। विपक्षी दलों के शोर शराबे के बीच परोक्ष तौर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तंज करते हुए उन्होंने कहा, ‘आपके बयानों से, कार्यक्रमों से ऐसा लगता है कि आपने मन बना लिया है सौ साल तक सत्ता में नहीं आना है। थोड़ी सी भी आशा होती तो ऐसा नहीं करते। आपने तय कर लिया है कि सौ साल नहीं आना है तो हमने भी तैयारी कर ली है।’

देश के हितों की अनदेखी कर रही कांग्रेस

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने सरकार की उपलब्धियों को देश की उपलब्धियों से जोड़ा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को ऐसे दल के रूप में अलग-थलग कर दिया जो कथित तौर पर व्यक्तिगत राजनीतिक लाभ के लिए देश के हितों की भी अनदेखी कर रही है। यही कारण है कि उन्होंने कांग्रेस के सहयोगी दलों को भी चेताया और कहा कि कांग्रेस की सोच 2014 पर अटक गई है। वह उससे बाहर निकलने को तैयार नहीं है और इसका नतीजा भुगतना पड़ा है।

तो जवाब देना भी जरूरी

पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने खुद को ऐसी मानसिक अवस्था में बांध रखा है कि जनता आपको पहचानती नहीं। सदन का काम देश के लिए काम करना होता है लेकिन जब आप दल के लिए काम करते हैं तो जवाब देना जरूरी हो जाता है।

अपनी सोच बदले कांग्रेस

सदन में उस वक्त कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी या राहुल गांधी तो मौजूद नहीं थे, लेकिन प्रधानमंत्री ने बार-बार कांग्रेस को याद दिलाया कि वह अपनी सोच बदले, नकारात्मकता से निकले और यह देखने की कोशिश करे कि बीते वर्षों में कई क्षेत्रों में मूलभूत व्यवस्था बदली है। गरीबों के लिए घर की योजना तो पहले से चल रही थी, लेकिन गति और ध्यान अब दिया गया। अब जो भी पक्का घर पाता है, वह गरीब अब लखपति की श्रेणी में आ जाता है। गरीब के घर शौचालय बना है। चूल्हे के धुएं से गरीब का मां की आंखें खराब नहीं होतीं। उनके घर अब गैस कनेक्शन है।

जनता को समझ नहीं सकी कांग्रेस

प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनाव अलग बात है लेकिन सवाल चुनाव नतीजों का नहीं है, सवाल उनकी नीयत का है जो इतने साल तक सरकार में रहने के बाद भी देश की जनता को समझ नहीं सके। जनता ने उन्हें नकार दिया और दोबारा प्रवेश करने का मौका नहीं मिल रहा है।

आपका अहंकार नहीं जाता

आलोचना के लिए आलोचना करने वाले विरोधियों पर तंज करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, हम तो एक चुनाव हार जाएं तो महीनों बाद भी उसे याद दिलाया जाता है लेकिन आपका अहंकार नहीं जाता।

शायराना अंदाज में तल्‍ख तेवर

शायराना अंदाज में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘वो जब दिन को रात कहें तो तुरंत मानी जाए, नहीं मानोगे तो वह दिन में नकाब ओढ़ लेंगे। जरूरत हुई तो हकीकत को थोड़ा बहुत मरोड़ लेंगे, वह मगरूर हैं खुद की समझ पर बेइंतहा, उन्हें आइना मत दिखाओ, वो आइने को भी तोड़ देंगे।’

अंधविरोध लोकतंत्र का अनादर

प्रधानमंत्री ने कहा कि आलोचना जीवंत लोकतंत्र का एक आभूषण है लेकिन अंधविरोध लोकतंत्र का अनादर है। दो साल से कोविड महामारी के प्रकोप से विश्व जूझ रहा है, लेकिन कांग्रेस इस दौरान मेक इन इंडिया का भी विरोध कर रही है। देश शत प्रतिशत पहली डोज के निकट पहुंच रहा है। 80 प्रतिशत लोगों को सेकेंड डोज लग चुकी हैं, लेकिन कोविड काल में कांग्रेस ने हद पार कर दी।

भारत तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था

कांग्रेस सदस्यों की ओर से लगातार हो रहे शोर शराबे और सत्तापक्ष के साथ-साथ विपक्षी दलों की मुस्कान के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोविड काल में योग को विश्व ने माना लेकिन कांग्रेस के लोगों ने उसका भी मजाक बना दिया। भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था है।

जब खाने का संकट था तब मुफ्त राशन उपलब्ध कराया

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना काल में किसानों ने रिकार्ड पैदावार की, सरकार ने रिकार्ड खरीद की। दुनिया में खाने का संकट था, लेकिन सरकार ने 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया, अभी भी करा रही है। कुल निर्यात सर्वाधिक है। रक्षा सेक्टर में भी देश निर्यात कर रहा है।

रक्षा खरीद में खरीदे जाते थे अच्छे-अच्छे लोग

उन्होंने इस मुद्दे पर बारीकी से कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा, ‘सभी को पता है कि रक्षा खरीद में अच्छे-अच्छे लोग खरीदे जाते थे, अब वह बंद हो गया है।’ बताने की जरूरत नहीं कि उनका तंज किस ओर था। वैसे भी भाजपा बोफोर्स को बड़ा मुद्दा बनाती रही है।

छोटे किसानों के लिए आपके मन में नफरत क्यों

हाल के दिनों में विपक्ष की ओर से किसानों के सहारे राजनीति को धार देने की कोशिश होती रही है। प्रधानमंत्री ने वहां भी विपक्ष को कठघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि खाद आपूर्ति सुनिश्चित की गई है, छोटे किसानों को मदद दी जा रही है। जो लोग जड़ों से कटे हुए लोग हैं, दो-दो चार-चार पीढ़ी से महलों में बैठने के आदी हो गए हैं, वह उनसे पूछना चाहते हैं कि छोटे किसानों के लिए आपके मन में नफरत क्यों है।

आपके लिए फाइल हमारे लिए लोगों की लाइफ ही सबकुछ

प्रधानमंत्री ने बहुत बारीकी से उत्तर प्रदेश की राजनीति भी साधी और याद दिलाया कि उत्तर प्रदेश की सरयू नहर परियोजना, अर्जुन डैम इसी शासनकाल में पूरा हुआ। कांग्रेस चार धाम को आल वेदर रोड से जोड़ सकती थी लेकिन नहीं किया। पुराने तौर-तरीकों के कारण गोरखपुर का खाद कारखाना बंद हो गया था, वह अब शुरू हुआ है। उन्होंने फिर तंज किया, ‘जो कटे हुए लोग हैं, वे फाइल पर साइन कर आने वाले मुलाकाती का इंतजार कर रहे थे। आपके लिए फाइल सब कुछ है, हमारे लिए 130 करोड़ लोगों की लाइफ सब कुछ है।

SSAN MUSIC – सान म्यूजिक कंपनी ने जारी किया म्यूजिक वीडियो ‘तेरी आशिकी में’

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संजय अमान के द्वारा संचालित सान म्यूजिक कंपनी के तत्वाधान में  मुम्बई स्थित रहेजा क्लासिक क्लब में  आयोजित एक भव्य समारोह के दौरान शांतनु भामरे और अभिनेत्री एलेना टुटेजा अभिनीत रोमांटिक म्यूजिक वीडियो ‘तेरी आशिकी में’ जारी किया गया। शान से एंटरटेनमेंट के बैनर तले निर्मित इस म्यूजिक सिंगल को वीडियो फॉर्मेट के अलावा इसे ऑडियो फॉर्मेट में 3 फ्लेवर में भी जारी किया जाएगा, एक डुएट में, दूसरा सोलो और तीसरा इंटरनेशनल ट्रैक (सिर्फ म्यूजिक) ऑडियो के विभिन्न फ्लेवर के लिए है। ऑडियो जारी किया जाएगा वो कुछ प्लेटफॉर्म्स है जिसे अमेज़ॉन म्यूजिक, एमएक्स प्लेयर, यूट्यूब म्यूजिक, गाना, जीओ सावन, स्पॉटीफाई, हंगामा म्यूजिक, आई ट्यून स्टोर, जिओ सावन, रेसो, साउंड क्लाउड, विंक, और कई अन्य प्लेटफॉर्म पर जारी किया जाएगा।

इस म्यूजिक वीडियो की खास बात यह है कि बॉलीवुड के पॉपुलर सिंगर अमन त्रिखा और कोमल के स्वर से सजे रोमांटिक और भावविभोर कर देने वाले गीत को निर्देशक राजीव चौधरी ने बड़े ही कलात्मक ढंग से अभिनेता शांतनु भामरे (Shantanu Bhamare) और अभिनेत्री एलेना टुटेजा पर फिल्माया है। रेमो डिसूजा के साथ काम कर चुके जीत सिंह ने गाने की कोरियोग्राफी की है वहीं अनुभवी डीओपी अकरम खान हैं। एडिटिंग फेमस पार्थ भट्ट द्वारा किया गया है, जो हिमेश रेशमिया के एल्बमों का एडिटिंग करते हैं, डीआई, कलर करेक्शन और वीफएक्स का कार्य अमित जालान  (इमेज डिवाइसेस) ने किया है। बहुप्रतीक्षित इस म्यूजिक वीडियो को लेकर बॉलीवुड में यह क़यास लगाया जा रहा है कि आने वाले वैलेंटाइन वीक में दर्शकों के लिए यह एक प्यारा सा ट्रीट होगा।

शारीरिक गतिविधियां बढ़ाती हैं मस्तिष्क की सक्रियता, अमेरिकी शोधकर्ताओं ने अध्ययन के आधार पर दी जानकारी

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वाशिंगटन, एएनआइ। हम अपने शरीर को जितना ज्यादा चलाएंगे और दैनिक गतिविधियों में व्यस्त रहेंगे उतने ही अधिक स्वस्थ रहेंगे। शारीरिक गतिविधियों का सीधा संबंध मस्तिष्क की सक्रियता से भी होता है। यह बात एक नवीन अध्ययन में सामने आई है। यूनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो स्कूल आफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में पाया गया है कि मध्यम आयु वर्ग और बुजुर्गो के मस्तिष्क की सक्रियता बढ़ाने में दैनिक शारीरिक गतिविधियां अहम भूमिका निभाती हैं। यह अध्ययन जेएमआइआर एमहेल्थ एंड यूहेल्थ में प्रकाशित किया गया है।

यह जानने का किया गया प्रयास

शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के जरिये शारीरिक गतिविधियों और संज्ञानात्मक प्रदर्शन में संबंध पता लगाने का प्रयास किया। अध्ययन के लिए 90 मध्यम आयु वर्ग और बुजुर्गो को शामिल किया गया। उनकी दैनिक शारीरिक गतिविधियों का पता लगाने के लिए उन्हें एक्सेलेरोमीटर लगाया गया। अध्ययन में शामिल लोग अपने-अपने घरों में ही दैनिक शारीरिक गतिविधियों में लगे रहे, जबकि शोधकर्ता एक्सेलेरोमीटर के माध्यम से दूर से उनकी गतिविधियों पर निगरानी करते रहे।

यह आया सामने

यूसी सैन डिएगो स्कूल आफ मेडिसिन में मनोचिकित्सा विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख अन्वेषक रेएन मूर के मुताबिक, अध्ययन में हमने पाया कि 50 से 74 आयु के प्रतिभागियों में जिन दिनों शारीरिक गतिविधियों में वृद्धि हुई, उन दिनों में मस्तिष्क की सक्रियता भी बढ़ी। वहीं, जिन दिनों में शारीरिक गतिविधियों में गिरावट दर्ज की गई, उन दिनों में उनके संज्ञानात्मक प्रदर्शन में भी गिरावट देखी गई। मूर के अनुसार, यह एक बहुत ही रैखिक संबंध था। हमें अनुमान था कि शारीरिक गतिविधियों का संबंध मस्तिष्क की कार्यप्रणाली से होता है, लेकिन हम आश्वस्त नहीं थे। अध्ययन के दौरान हमने लोगों से उनकी शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए नहीं कहा, बल्कि उन्होंने वही किया जो वे रोज सामान्य तौर पर कर रहे थे। अभी तक हम यह जानते थे कि व्यायाम का असर मस्तिष्क पर पड़ता है, लेकिन क्या दैनिक शारीरिक गतिविधियां भी मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं इसके पुख्ता साक्ष्य नहीं थे। इस अध्ययन के जरिये यही पता लगाने का प्रयास किया गया है।

पुलिस के अन्याय पर गौभक्तों की विजय

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मुंबई – मामला १५ भैंसो से जुड़ा था, मजिस्ट्रेट न्यायालय ने गौशाला के पक्ष में निर्णय दिया और सत्र न्यायालय ने कसाइयों के पक्ष में, गौशाला ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की और पशुओं को कसाइयों के हाथ में देने से मना कर दिया, पुलिस ने शत्रुता की भावना मन में रख के उंब्रज पुलिस ठाणे (सातारा, महाराष्ट्र) के एक कुबुद्धि अफसर ने कानून का दुरूपयोग करके गौशाला के संचालक पर भारतीय दंड संहिता की धारा ४०६ के तहत प्राथमिकी दर्ज कर दी और बहुत परेशान किया समाचार के अनुसार अधिवक्ता राजीव गाँधी जी के माध्यम से अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल की गयी और उन्होंने कुशल युक्तिवाद करके न्यायालय को पुलिस का असली चेहरा दिखाके जमानत का आदेश अपने पक्ष में लिया सभी गौभक्तो ने अधिवक्ता राजीव गाँधी जी को साधुवाद किया और अभी सारे पशु गौशाला में सुरक्षित है।

हर गांव में एक गौशाला खोलने का आग्रह -कर्नाटक उच्च न्यायालय

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नई दिल्ली – बड़ी अच्छी खबर सुनने और पढ़ने को मिली है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पिछले हफ्ते राज्य सरकार से गोहत्या को रोकने के लिए कर्नाटक मवेशी वध रोकथाम और संरक्षण अधिनियम के अनुसार हर गांव में एक गौशाला (गोशाला) खोलने का आग्रह किया है।
उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य स्थानों पर गौशाला खुले इससे गौवंश के रख रखाव में बड़ी सुबिधा होगी।

कर्नाटक उच्च न्यायालय की इस पहल का स्वागत सभी गौ भक्तो ने की है।

मंगलवार को MPC की बैठक

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नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के गवर्नर डा. शक्तिकांत दास की अगुआई में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक मंगलवार से शुरू होगी और आम बजट 2022-23 के बाद पहली बार मौद्रिक नीति समीक्षा में लिए फैसलों का एलान गुरुवार को किया जाएगा। सोमवार को कई बैंकों की तरफ से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि ढाई वर्ष के अंतराल के बाद केंद्रीय बैंक सस्ते कर्ज की दरों पर पर्दा गिराने का सिलसिला शुरू कर देगा। हालांकि जिस तरह से हाल के दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि हो रही है उसे देखते हुए यह भी संकेत है कि केंद्रीय बैंक जो भी फैसला करेगा उस पर क्रूड की कीमतों का बड़ा असर होगा। दिसंबर, 2021 से जनवरी, 2022 के दौरान क्रूड 24 प्रतिशत तक महंगा हुआ है।क्रूड की बढ़ती कीमतों को लेकर केंद्र सरकार की ¨चता भी सामने आ रही है।

सोमवार को राज्यसभा में पेट्रोलियम मंत्री हरदीप ¨सह पुरी ने एक लिखित सवाल के जवाब में बताया कि भारत जिन बाजारों से क्रूड खरीदता है वहां क्रूड एक दिसंबर, 2021 को 71.32 डालर प्रति बैरल थी जो 31 दिसंबर, 2022 को बढ़कर 89.41 डालर प्रति बैरल हो गई है। बता दें कि जिस हिसाब से अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड महंगा होता है उसी हिसाब से पेट्रोल व डीजल भी महंगे होते हैं। सरकार की तरफ से यह भी बताया गया है कि क्रूड की महंगाई को लेकर वो तेल उत्पादक देशों के साथ संपर्क में है और उन्हें मंहगे क्रूड से होने वाली परेशानियों के बारे में बताया गया है।

खुदरा कीमतों में वृद्धि का सिलसिला हो सकता है शुरू आंकड़ों के हिसाब से देखें तो तकरीबन नौ वर्षों बाद ऐसी स्थिति आ रही है कि क्रूड बहुत तेजी से महंगा हो रहा है। सिर्फ जनवरी, 2022 में क्रूड की कीमतों में 19 प्रतिशत का इजाफा हुआ है जो वर्ष 1997 के बाद किसी एक महीने में दर्ज सबसे बड़ी वृद्धि है।

सरकारी तेल कंपनियों की तरफ से मार्च, 2022 के शुरुआत से पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में वृद्धि का सिलसिला शुरू करना पड़ सकता है। इसका असर महंगाई पर पड़ेगा जिसको लेकर रिजर्व बैंक पहले ही चिंता जता चुका है। हालांकि महंगे क्रूड से रुपये की कमजोरी और चालू खाते में घाटे पर (देश में आने वाली विदेशी मुद्रा व देश से बाहर जाने वाली विदेशी मुद्रा का अंतर) भी विपरीत असर होगा। इन दोनों हालातों का घरेलू बाजार पर व्यापक असर हो सकता है जिससे निपटने के लिए आरबीआइ को अभी से लामबंदी करनी होगी।

श्रीलंका के आर्थिक संकट के लिए चीन की ‘कर्ज नीति’ जिम्मेदार, अमेरिकी थिंक टैंक ने किया सतर्क

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वाशिंगटन, एएनआइ। श्रीलंका में गहराते आर्थिक संकट के बीच एक अमेरिकी थिंक टैंक ने कहा है कि द्वीपीय राष्ट्र को अपनी अर्थव्यस्था को बचाने के लिए फिर से विचार करने की जरूरत है, जो चीनी कर्ज के जाल में उलझती जा रही है। वाशिंगटन स्थित ग्लोबल स्ट्रैट व्यू ने अपने विश्लेषण में कहा कि श्रीलंका का वित्तीय संकट, मानवीय संकट की ओर बढ़ रहा है और आखिरकार देश को दिवालियापन की तरफ धकेल देगा। कई विश्लेषकों का मानना है कि देश के वित्तीय संकट के लिए प्रारंभिक तौर पर चीन की कर्ज के जाल में फांसने वाली नीति जिम्मेदार है।

विदेशी कर्ज का बोझ सात अरब डालर के पार

रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका का विदेशी कर्ज वर्ष 2014 (जीडीपी का 30 प्रतिशत) के बाद धीरे-धीरे बढ़ाना शुरू हुआ और वर्ष 2019 में सकल घरेलू उत्पाद का 41.3 प्रतिशत हो गया। द्वीपीय राष्ट्र के विदेशी मुद्रा भंडार में भी तेजी से गिरावट आ रही है और अब सिर्फ 1.6 अरब डालर रह गई है। इससे महज कुछ हफ्तों तक बेहद जरूरी सामग्री का आयात किया जा सकता है। द्वीपीय राष्ट्र पर विदेशी कर्ज का बोझ सात अरब डालर को पार कर गया है, इनमें जनवरी में 50 करोड़ डालर व जुलाई में एक अरब डालर के बांड का भुगतान शामिल है।

श्रीलंका में बढ़ी महंगाई

श्रीलंका में नवंबर 2021 में महंगाई दर 9.9 प्रतिशत थी, जो दिसंबर में 12.1 फीसद हो गई। इस अवधि में खाद्य सामग्री 22 प्रतिशत महंगी हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि नकदी संकट से गुजर रहे द्वीपीय राष्ट्र के आयातकों को अत्यावश्यक सामग्री के कार्गो कंटेनरों के लिए भुगतान करने में परेशानी हो रही है, जबकि निर्माताओं तक कच्ची सामग्री भी नहीं पहुंच पा रही है।

बीआरआइ ने भी किया श्रीलंका को खस्ताहाल

ग्लोबल स्ट्रैट व्यू ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था की खस्ताहाली के लिए चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) भी जिम्मेदार है। चीन द्वारा प्रायोजित परियोजनाओं के कारण श्रीलंका कर्ज के जाल में फंसता चला गया। चीन को दुनिया के दूसरे हिस्सों से जोड़ने वाली बीआरआइ परियोजना के तहत ड्रैगन विभिन्न देशों को बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए कर्ज उपलब्ध करा रहा है। हंबनटोटा पोर्ट परियोजना का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन, श्रीलंका का चौथा सबसे बड़ा कर्जदाता बन गया है।

मात्र गाय का दूध ही नन्ने बच्चे को पिलाया जाता

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हे इंसान, अगर तू सच्चा इंसान है, हिन्दू, मुस्लिम सिख ईसाई, पारसी या और कोई – इस धरती माँ के किसी भी हिस्से में रहता है, कोई भी भाषा बोलता है, मांसाहारी है या शाकाहारी ! कहीं न कहीं किसी भी अवस्था में गाय का दूध जरूर पीता है ! बचपन में माँ के स्तनों से दूध प्रचूर मात्रा में न मिलने के कारण, बच्चे को जल्दी हजम होने वाला गाय के दूध से ही पाला जाता है ! बड़े होने पर उसे चाय, काफी, मिल्क शेख, ठंडाई में भी दूध की जरूरत पड़ती है ! गांधी जी ने जन्मभर बकरी का दूध पीया है, आज तक किसी राजनेता, धर्मगुरु, संत महात्मा ने बकरी को माँ का दर्जा नहीं दिया ! भैंस का दूध, गाय का दूध, बकरी का दूध यहां तक भेद का दूध और ऊँट तक का दूध इंसान इस्तेमाल करता है !

किसी राजनेता, धर्माधिकारी, संत महात्मा ने गाय के अलावा किसी को माँ का दर्जा नहीं दिया ! क्यों ? कहते हैं जब देव – दानवों ने समुद्र मंथन किया था और १४ रत्न समुद्र से निकले थे, उन रत्नों में एक रत्न काम धेनु नाम की गाय भी शामिल थी ! रामायण की एक कथा के अनुसार सत्यनारायण विष्णु भगवान् ने यह कामधेनु गाय महर्षि वशिष्ट जी (जो बाद में भगवान् राम के परिवार के सम्मानीय पुरोहित हुए ) को दे दी थी ! ये गाय महर्षि वशिष्ट जी को पत्नी सहित सारे आश्रम वासियों को सारी सुविधाएं उपलब्ध कराती थी ! उन दिनों अयोध्या नरेश विश्वामित्र हुआ करते थे ! उन्हें आखेट खेलने का बड़ा शौक था ! एक बार वे अपनी सैना के साथ जंगल में आखेट को गए, रात होगई, जंगल घना था, भटकते हुए वे महर्षि वशिष्ट जी के आश्रम में पंहुच गए ! आश्रम में महर्षि वशिष्ट जी ने पत्नी सहित अयोध्यापति महाराज विश्वामित्र जी का स्वागत किया और सारे सैनिकों सहित विश्वामित्र जी को खान-पान और सोने तक का बेहतरीन इंतजाम करके दिखा दिया ! अगली सुबह महाराज विश्वमित्र जी ने ब्रह्मऋषि का धन्यवाद किया, साथ ही यह भी पूछ लिया की ‘आश्रम में आपने इतने सारे लोगों की उनकी हैसियत के मुताबिक़ शाकाहारी पौष्टिक,भोजन और रात को सोने की इतनी उच्च कोटि की व्यवस्था कैसे की ? महर्षि वशिष्ट जी ने सारा श्रेय कामधेनु को दे दिया ! सम्राट विश्वामित्र जी के मन में खोट आगया, उनहोंने सोचा, “इतने उच्च कोटि की सर्वगुण संपन्न कामधेनु गाय यहां आश्रम में शोभा नहीं दे रही है, इसे तो अयोध्या नरेश के निजी गौशाला की शोभा बढ़ानी चाहिए” .

प्रकट में उन्होंने महर्षि वशिष्ट जी से कहा, “ऋषिवर, आश्रम में ये देवलोक की गाय शोभाहीन होगई है, इसकी असली जगह अयोध्या नरेश के गौशाला में है, आप इसे मुझे दे दीजिये और बदले में जितना धन, सोना चांदी चाहिए, ले लीजिए ” ! लेकिन वशिष्ट जी ने गाय देने से इंकार कर दिया ! विश्वामित्र जी ने भी कामधेनु गाय को जबरन उठाने की ठान ली और अपनी पूरी सैनिक शक्ति गाय को अपनी राजधानी ले जाने के लिए लगा दी ! महाराजा के इस कुकृत से कामधेनु गाय ने रूष्ट होकर जितने सैनिक थे उतने ही रूप बनाकर सारे सैनिकों को घायल कर धरती पर गिरा दिया ! महाराज विश्वामित्र इस अप्रत्याशित हार से आहत हुए और बिना कामधेनु गाय के ही अपने घायल सैनिकों के साथ अयोध्या लौट गए ! राजधानी लौटते ही उनहोंने अपना राजपाट अपने पुत्र को सौंप दिया और स्वयं भगवा वस्त्र धारण करके वे ब्रह्म ऋषि बनने के लिए तपस्या करने के लिए जंगल में चले गए ! यह केवल कहानी ही नहीं है, बल्कि पौराणिक कथाओं में अंकित है ! मां के दूध के बाद बच्चे की पाचन शक्ति को दुरुस्त करने के लिए मात्र गाय का दूध ही नन्ने बच्चे को पिलाया जाता है !

भैंस या बकरी का दूध नन्ने दुधमुंहे बच्चे को नहीं पिलाया जाता ! गांधी जी केवल बकरी का ही दूध पीते थे आम जनता भैंस का दूध पीती है लेकिन कोइ “भैंस माता या बकरी माता नहीं कहता” ! गौ माता का लालन पालन मात्र एक धर्म या जाति विशेष के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता ! समाचारों और टी वी चैंनलों में दिखाया जाता है, रामदेव बाबा के आश्रम में बहुत सारी गाएं पाली जाती हैं और शुद्ध दूध और गाय का घी जनता तक पहुंचाया जाता है ! बहुत सारे मुस्लिम धर्मालम्बी परिवार भी गाय पालते हैं और उनकी देख भाल और सेवा ठीक ऐसे ही की जाती है जैसे हिन्दू करते हैं ! पाठकों को शायद याद होगा, भारतीय राजनीति में सबसे पहले कांग्रेस ने अपना चुनाव चिन्ह दो बैलों की जोड़ी ली थी, भारत कृषि प्रधान देश है, इस प्रकार ये चिन्ह जनता की आस्थाओं से जुड़ा हुआ था, नरेंद्र देव, जय प्रकाश नारायण, डाक्टर राम मनोहर लोहिया.

उन दिनों प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से जुड़े थे जिनका चुनाव चिन्ह वरगद का पेड़ था ! लेकिन हर बार कांग्रेस की बैलों की जोड़ी ही जीत हासिल करती थी ! १९६७ में कांग्रेस में बिखराव हुआ, पुरानी कांग्रेस और नयी कांग्रेस बनी, इंद्रा गांधी ने नयी कांग्रेस खड़ी की और चुनाव चिन्ह गाय-बछिया को अपनी पार्टी का चुनाव चिन्ह गाय संग नन्नी बछिया को लिया !! ये चिन्ह भी आम जनता की आस्थावों से जुड़ा रहा ! कांग्रेस में फिर से बिखराव हुआ, बड़े बड़े कांग्रेस के ओल्ड फोल्ड नेता, चौधरी चरणसिंह, मोरारजी देसाई, लिंजगलप्पा जैसे नेता प्रधान मंत्री की कुर्सी पर बैठने का ख़्वाब देखते देखते लुढ़कने लगे तो उन्होंने, प्रधान मंत्री की कांग्रेस पद को एक परिवार की निजी सम्पति बनाने के लिए इंद्रागाँधी के मनसूबे पर ही सवालिया चिन्ह लगा दिया !

अब के इंद्रागाँधी जी को चुनाव चिन्ह मिला ‘हाथ’ “थप्पड़” और ये थप्पड़ आज भी विद्यमान है ! देश में एमरजेंसी लगी, १९७७ के चुनाव में इंद्रा जी की पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा, मोरारजी देसाई प्रधान मंत्री बने, लेकिन दो साल के अंदर चौधरी चरणसिंह जी ने अपना दावा ठोक दिया प्रधान मंत्री की कुर्सी पर हक़ जमाने के लिए ! वे पीएम तो बने पर केवल कार्यवाहक, उन्हें संसद में हार का सामना करना पड़ा, संसद को भंग करना पड़ा और १९८० के चुनाव में इंद्रा गांधी फिर सत्ता में आगयी ! आस्थाओं से जुड़ी “गौ माता” !! पूजा के स्थान को स्वच्छ और पवित्र करने के लिए गौ मूत्र और गौ गोबर से लिपाई की जाती है ! गौमूत्र कही अंदरूनी बीमारियों में रामवाण का काम करती है ! देश में ही नहीं विदेशों में भी बहुत से मुसलिम भाई गाय को बड़ा स्थान देते हैं ! देश में बहुत सारे आश्रम चल रहे हैं, जहां गौशालाओं में बहुत सारी गायें पाली जाती हैं ! गाय को माता का दर्जा देने वाले सच्ची आस्था के साथ इन आश्रमों में खुले दिल से चन्दा देते हैं ! हम दूर क्यों जांय हरिद्वार में रामदेव जी के आश्रम में जांय और देखें की वहां गौशाला में बहुत सारी गायों की देख-भाल और सुरक्षा की जाती है ! गज धन और वाजिधन एक राजा द्वारा दूसरे पड़ोसी राजा से आत्म रक्षा का साधन जुटाता है लेकिन ‘गौधन सम्राट से लेकर आम जनता को मानसिक, शारीरिक रोगों से मुक्ति देता है ! ये धार्मिक आस्थाओं से भी जुड़ा हुआ है ! मन्त्रों में गाय के दूध से बना आचमन शुद्ध माना जाता है ! गाय के दूध से बनी खीर का मजा ही कुछ और है ! दूध के अलावा घी, मट्ठा, गर्मियों में लू से बचाता है ! गौ माता सर्व श्रेष्ट है, पूजनीय है – “गौ माता की जय “” हरेंद्र

बनने जा रही हैं दुल्हन, तो इंस्टेंट ग्लो पाने के लिए ट्राई करें ये स्पेशल फेस पैक

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Face Pack For Instant Glow: शादी (Marriage) का दिन हर लड़की के लिए बेहद खास होता है. उस दिन वो दुनिया की सबसे सुंदर दुल्हन (Bride) दिखना चाहती है और इसके लिए वो हर जतन करती है. महंगे से महंगा पार्लर, लहंगा, ज्वैलरी सब कुछ बुक करती है. लेकिन कई बार इसके बावजूद भी चेहरे पर नेचुरल ग्लो की कमी रह जाती है. ऐसे में अगर आप चाहें तो नैचुरल इंस्टेंट ग्लो पाने के लिए घर में बने ये स्पेशल फेस पैक (Face pack) ट्राई कर सकती हैं. ये फेस पैक एकदम हर्बल हैं और इनके साइड इफेक्ट्स होने का डर भी आपको नहीं होगा. इतना ही नहीं इन फेस पैक को बनाना और इस्तेमाल करना भी बहुत ही आसान है. तो आइये जानते हैं कि इन फेस पैक को किस तरह से बनाया और इस्तेमाल किया जा सकता है.

चंदन-केसर फेस पैक

चंदन-केसर फेस पैक बनाने के लिए आप दो-तीन बड़ा चम्मच कच्चा दूध लें. इसमें एक चुटकी केसर मिक्स कर के करीब पंद्रह मिनट के लिए रख दें. जिससे केसर का असर दूध में आ सके. इसके बाद इस दूध और केसर के मिक्सचर में दो चम्मच चंदन पाउडर मिलाकर गाढ़ा पेस्ट तैयार कर लें.

इसके बाद इस पेस्ट को अपने चेहरे और अपनी गर्दन पर अच्छी तरह से अप्लाई करें. इसके बाद इस पैक को करीब बीस मिनट लगा रहने दें, फिर सादे पानी से धो लें.

बादाम-दूध फेस पैक

बादाम-दूध फेस पैक बनाने के लिए सबसे पहले सात-आठ बादाम को करीब चार बड़े चम्मच दूध में रात भर के लिए भिगोकर रख दें. सुबह बादाम को दूध के साथ बारीक पीसकर गाढ़ा पेस्ट तैयार कर लें. इसके बाद इस पेस्ट को अपने चेहरे और गर्दन पर अच्छी तरह से लगायें और करीब बीस मिनट के लिए ऐसे ही लगा रहने दें. इसके बाद दो मिनट गोलाई में मसाज करके सादे पानी से साफ़ कर लें.