नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के गवर्नर डा. शक्तिकांत दास की अगुआई में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक मंगलवार से शुरू होगी और आम बजट 2022-23 के बाद पहली बार मौद्रिक नीति समीक्षा में लिए फैसलों का एलान गुरुवार को किया जाएगा। सोमवार को कई बैंकों की तरफ से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि ढाई वर्ष के अंतराल के बाद केंद्रीय बैंक सस्ते कर्ज की दरों पर पर्दा गिराने का सिलसिला शुरू कर देगा। हालांकि जिस तरह से हाल के दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि हो रही है उसे देखते हुए यह भी संकेत है कि केंद्रीय बैंक जो भी फैसला करेगा उस पर क्रूड की कीमतों का बड़ा असर होगा। दिसंबर, 2021 से जनवरी, 2022 के दौरान क्रूड 24 प्रतिशत तक महंगा हुआ है।क्रूड की बढ़ती कीमतों को लेकर केंद्र सरकार की ¨चता भी सामने आ रही है।
सोमवार को राज्यसभा में पेट्रोलियम मंत्री हरदीप ¨सह पुरी ने एक लिखित सवाल के जवाब में बताया कि भारत जिन बाजारों से क्रूड खरीदता है वहां क्रूड एक दिसंबर, 2021 को 71.32 डालर प्रति बैरल थी जो 31 दिसंबर, 2022 को बढ़कर 89.41 डालर प्रति बैरल हो गई है। बता दें कि जिस हिसाब से अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड महंगा होता है उसी हिसाब से पेट्रोल व डीजल भी महंगे होते हैं। सरकार की तरफ से यह भी बताया गया है कि क्रूड की महंगाई को लेकर वो तेल उत्पादक देशों के साथ संपर्क में है और उन्हें मंहगे क्रूड से होने वाली परेशानियों के बारे में बताया गया है।
खुदरा कीमतों में वृद्धि का सिलसिला हो सकता है शुरू आंकड़ों के हिसाब से देखें तो तकरीबन नौ वर्षों बाद ऐसी स्थिति आ रही है कि क्रूड बहुत तेजी से महंगा हो रहा है। सिर्फ जनवरी, 2022 में क्रूड की कीमतों में 19 प्रतिशत का इजाफा हुआ है जो वर्ष 1997 के बाद किसी एक महीने में दर्ज सबसे बड़ी वृद्धि है।
सरकारी तेल कंपनियों की तरफ से मार्च, 2022 के शुरुआत से पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में वृद्धि का सिलसिला शुरू करना पड़ सकता है। इसका असर महंगाई पर पड़ेगा जिसको लेकर रिजर्व बैंक पहले ही चिंता जता चुका है। हालांकि महंगे क्रूड से रुपये की कमजोरी और चालू खाते में घाटे पर (देश में आने वाली विदेशी मुद्रा व देश से बाहर जाने वाली विदेशी मुद्रा का अंतर) भी विपरीत असर होगा। इन दोनों हालातों का घरेलू बाजार पर व्यापक असर हो सकता है जिससे निपटने के लिए आरबीआइ को अभी से लामबंदी करनी होगी।