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गाय के गोबर से तैयार की चप्पल

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इस वर्ष का बजट प्रस्तुत करने के लिए जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विधानसभा पहुंचे तो उनके हाथ में गोबर से बना बैग था. यह बैग रितेश अग्रवाल और उनकी संस्था ’एक पहल’ ने दस दिन की मेहनत के बाद तैयार किया था, जिसकी चर्चा देशभर में हुई.

रायपुर स्थित गोकुल नगर के रहने वाले गोपालक रितेश गाय के गोबर से दर्जनों चीजें जैसे बैग, पर्स, मूर्तियां, दीपक, ईंट, पेंट, अबीर-गुलाल और यहां तक कि चप्पल भी बना रहे हैं, जिनकी अच्छी खासी मांग है. इससे वे प्रतिमाह तीन लाख रुपये कमा ही रहे हैं, साथ ही कई लोगों को रोजगार देकर आत्मनिर्भर भी बना चुके हैं.

पढ़ाई के बाद रितेश ने कई कंपनियों में नौकरी की. लेकिन उनका मन नौकरी में नहीं लग रहा था. वे अक्सर सड़कों पर घूमती गायें देखते जो कचरा खाने के कारण बीमार हो जाती थीं और कई दुर्घटनाओं का शिकार भी हो जाती थीं. नौकरी छोड़ वे एक गौशाला से जुड़े और गो सेवा का काम शुरू किया.

गोशाला में उन्होंने गाय के गोबर से बनने वाले उत्पादों का काम सीखा. इसी दौरान 2018-19 में जब छत्तीसगढ़ सरकार ने गोवंश को संरक्षित करने के लिए गोठान मॉडल शुरू किया तो रितेश भी इससे जुड़े और गोबर से विभिन्न प्रकार की चीज़ें बनाने की ट्रेनिंग के लिए जयपुर और हिमाचल प्रदेश गए. ट्रेनिंग से लौटकर उन्होंने 2019 में ‘एक पहल’ नामक संस्था की स्थापना की, जिसके अंतर्गत गाय के गोबर से बने विभिन्न उत्पाद तैयार किए जाने लगे.

गोबर से बनाई चप्पल

कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों, चूना और गोबर के पाउडर को मिलाकर 1 किलो गोबर से 10 चप्पलें (5 जोड़ी) बनाते हैं. चप्पल 3-4 घंटे बारिश में भीग भी जाए तो खराब नहीं होती, धूप में सुखाकर इसे पुनः काम में लिया जा सकता है, जो पैरों को ठंडक पहुँचाने का काम भी करती है. एक जोड़ी की कीमत 400 रुपये है.

गोबर से बनी चप्पल को लेकर उन्होंने एक नवीन प्रयोग भी किया. उन्होंने कुछ दिनों तक यह चप्पल ब्लडप्रेशर और मधुमेह के मरीजों को पहनाई, जिसके सकारात्मक नतीजे देखने को मिल रहे हैं. अब तक उन्हें गोबर से बनी एक हजार जोड़ी चप्पलों के ऑर्डर मिल चुके हैं.

गोबर से अबीर और गुलाल
गोबर को सुखा कर पहले पाउडर में बदला जाता है और उसमें खुशबू के लिए फूलों की सूखी पत्तियों के पाउडर को मिलाया जाता है. इसके बाद उसमें कस्टर्ड पाउडर मिलाया जाता है. पाउडर को अलग-अलग रंग देने के लिए भी प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग होता है. पीले रंग के लिए हल्दी, हरे के लिए धनिये की पत्ती काम में ली जाती है. बाजार में यह 300 रुपये किलो तक बिकता है.

सात हजार से अधिक मृतकों का करवाया दाह-संस्कार

कोरोना के दौरान जब लगातार लोगों की मौतें होने लगीं तो दाह संस्कार के लिए लकड़ियों की मांग बढ़ी, उन्होंने गोबर से लकड़ी बनानी शुरू की. अब तक वे 7 हजार से अधिक दाह-संस्कारों के लिए गोबर से बनी लकड़ी उपलब्ध करा चुके हैं.

‘एक पहल’ संस्था-प्रमुख रितेश बताते हैं कि गो उत्पाद ईंट बनाने की शुरुआत मात्र एक हजार रुपये से की जा सकती है. ईंट तैयार करने के लिए एक सांचे की आवश्यकता होती है. गोबर से बनी ईंट की विशेषता यह है कि यह सामान्य ईंट के मुकाबले हल्की होती है. गर्मी के दिनों में इससे बने घरों में ठंडक रहती है.

स्वरोजगार और स्वावलंबन को बढ़ावा देते हुए रितेश ने स्थानीय लोगों को भी इस काम से जोड़ा है. काम सीखने के बाद उन्हें नौकरी पर रख लिया जाता है. संस्था के पास गोबर से बने उत्पादों की माँग न सिर्फ़ छत्तीसगढ़, बल्कि आस-पास के राज्यों से भी आ रही है, जिससे सालाना 36 लाख रुपये तक कमा रहे हैं.

आशाओं के प्रगति रथ पर जिजीविषा,संघर्ष,संयम और विश्वास के पहिए

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Businessman walking to open big gate to a new better green world. Concept of hope, bright future. 3D illustration
जिंदगी का कैनवास जन्म से लेकर मृत्यु तक समुद्र की तरह विराट और गहराई लिए हुए होता है। जीवन में वयक्तिक, पारिवारिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, सामाजिक विकास की संभावनाओं के साथ मनुष्य अपना जीवन प्रारंभ कर विकास प्रगति तथा ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकता है,बशर्ते उसके व्यक्तित्व में जीवन के प्रति जीजिविषा, संघर्ष करने की क्षमता, अनंत आत्म विश्वास और संयम के घटक मौजूद हो। ऐतिहासिक तौर पर भारतीय विकास सांस्कृतिक संरचना एवं संस्कार के मूलभूत तत्वों को लेकर दुनिया में अभूतपूर्व रहा है।

वैसे भी भारतवर्ष सभ्यता से लेकर संस्कृति की प्रकृति के मामले में वैभवशाली इतिहास को समेटे हुए हैं। विकास और प्रगति के सोपान को कोई एक दिन वर्ष अथवा दशक में रेखांकित नहीं किया जा सकता, यह एक निरंतर, सतत एवं समय के साथ चलने वाली क्रिया की प्रतिक्रिया है। और प्रकृति सभ्यता तथा मानव जीवन में परिवर्तन एक अकाट्य सत्य और शाश्वत अभिक्रिया है।

व्यक्ति के जीवन तथा समाज या देश में विकास के संदर्भ में एवं घटकों को प्रारंभ से आदमी का धन उपार्जन, गरीबी भुखमरी से लड़ाई भूतकाल की कुरीतियों की विडंबना से संघर्ष का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इन सब से समाज की प्रगति और विकास में राजाओं, सम्राटों की कूटनीति ,राजनीति सर्वोपरि रही है इतिहास से लेकर अब तक मनुष्य देश और विश्व के विकास में राजनैतिक नीति निर्देशक तत्व ही देश को बलवान,शक्तिहीन,भौगोलिक रूप से बड़ा या छोटा बनाते आए हैं।

किसी भी राष्ट्र के राजा, सम्राट या राष्ट्र प्रमुख की अपनी क्षमता ,शक्ति, ऊर्जा और उसके विवेक से उस राष्ट्र की प्रगति विशाल या न्यूनतम होती देखी गई है। भूतकाल में कई संघर्षशील एवं उत्साह से लबरेज यात्रियों के वृतांत हमारी नजरों में आए हैं यथा कोलंबस और वास्कोडिगामा जैसे अत्यंत ऊर्जावान संघर्षशील और साहसिक यात्रियों द्वारा लगभग नामुमकिन रास्तों की खोज कर एक मिसाल कायम की है।

नेपोलियन का एक बड़ा सूत्र वाक्य था कुछ भी असंभव नहीं है। बिस्मार्क जर्मनी के एक ऐसे सम्राट रहे हैं जिनके बारे में कहा जाता है की उनके हाथों में दो गेंद तथा 3 गेंदें हवा में होती थी, यूरोप का जादूगर भी कहलाता था, पूर्व से ही समुद्रगुप्त ,कनिष्क, सम्राट अशोक, चंद्रगुप्त मौर्य, शेरशाह सूरी जैसे शासकों का अदम्य आत्मविश्वास एवं संघर्ष करने की क्षमता के फल स्वरुप भी भारत आज इस स्वरूप में विद्यमान है। अर्थशास्त्रीय दृष्टिकोण से भी किसी भी राष्ट्र में सदैव विकास वैभव और आर्थिक तंत्र को मजबूत करने की संभावनाएं अवस्थित रहती हैं।

भारत की विशाल जनसंख्या को देखते हुए भारत में गरीबी, भुखमरी ,बाढ़ तथा अन्य विभीषिका सदैव आती जाती रहती हैं। विशाल जनसंख्या के होने के कारण भारत में ही भारत की बड़ी जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है और केवल भारत के कुछ नागरिकों को ही सारी जीवन की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, बाकी लोग इन सुविधाओं से वंचित भी हैं। हमारा देश स्वतंत्रता के बाद से ही आवाज की कमी भूख गरीबी भ्रष्टाचार काला धन हवाला कुपोषण बेरोजगारी की बड़ी समस्याओं से जूझ रहा है।

भारत की विशाल जनसंख्या के बावजूद ऐतिहासिक तौर पर देश सांस्कृतिक वैचारिक और संस्कारी ग्रुप से सदैव समृद्ध रहा है और धार्मिक रूप से भी देश में ज्ञान की जड़े बहुत गहराई तक हैं। भारत को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करने के लिए वेद, पुराण, उपनिषद, गीता ,रामायण ,महाभारत महा ग्रंथों की पृष्ठभूमि बड़ी ही शक्तिशाली है। देश में अनेक साधु संत ज्ञानी जिनमें मोहम्मद मूसा कबीर, रैदास, नामदेव, तुकाराम चैतन्य, तुलसीदास शंकरदेव जैसे महापुरुषों ने देश के सांस्कृतिक आध्यात्मिक विकास मैं अभूतपूर्व योगदान दिया है।

भारत में अनेक विदेशी आक्रमणों को झेल कर उन्हें आत्मसात किया है किंतु हमारी संस्कृत पाली एवं प्राकृत भाषा अन्य भाषाओं के साथ आज भी समृद्ध है। भारत में अनेक भाषा क्षेत्र एवं बोलियां हैं किंतु हिंदी, पंजाबी, गुजराती, बांग्ला, मराठी ,असमिया भाषाएं उसी तरह पल्लवित पुष्पित हो रही हैं जैसे की संस्कृत और प्राकृत पाली भाषा होती रही है। भारत में स्वाधीनता के बाद विकास के प्रगति के पथ पर वैज्ञानिक क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास किया और पृथ्वी से लेकर नभ तक हर क्षेत्र में मानव की अतीव उत्कंठा ,जीजिविषा के कारण हमने चांद पर भी अपने वायुयान भेजें हैं।

देश के नागरिकों की भौतिकवादी सुविधा के लिए भी हमने वतानुकुलित यंत्र ,वायुयान तेज चलने वाली ट्रेनें और वायुमंडल में अनेक ऐसे तथ्यों को जो आज तक छुपे हुए थे उजागर कर अपने महत्व के लिए इसका उपयोग करना शुरू किया है। यह कहावत आशाओं पर आकाश टिका हुआ है और आकाश का कोई अंत नहीं यानी मनुष्य की इच्छाओं का कोई अंत नहीं है मनुष्य पर सही प्रतीत होती है।

इसी तरह प्रगति और विकास का भी कोई अंत या अनंत नहीं है। भारत देश में वैश्विक स्तर पर राजनैतिक सामाजिक वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर काफी प्रगति की एवं विश्व में योग अध्यात्म दर्शन का लोहा भी मनवाया है।

मनुष्य की अभिलाषा का कोई निश्चित लक्ष्य नहीं है, मनुष्य मूल रूप से अत्यंत महत्वकांक्षी,लोलुप एवं इच्छाओं का दास हुआ करता है, ऐसे में पूर्व में किए गए कार्यों को निरंतर सुधार कर उसे नए रूप में प्राप्त करना मनुष्य की अभिलाषा हो सकती है,पर इसके लिए अथक मेहनत संघर्ष आत्मविश्वास एवं संयम की आवश्यकता होगी तभी जाकर हम अपने नए-नए लक्ष्यों को विकास तथा प्रगति के पैमाने पर टटोलकर आगे बढ़ा सकते हैं।

पर लक्ष्य की प्राप्ति के साधन जरूर सच्चे ,पवित्र और मानव कल्याण की ओर अग्रेषित होने चाहिए, तब ही विकास प्रगति चाहे वह आध्यात्मिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक अथवा वैज्ञानिक ही क्यों ना हो सफल हो सकती है।

– संजीव ठाकुर, स्तंभकार, चिंतक, लेखक, रायपुर छत्तीसगढ़, 

स्वतंत्रता सेनानी, धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा को किया गया नमन और दी गई श्रद्धांजलि

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झारखंड के वीर सपूत देश के अग्रणी स्वतंत्रता सेनानी, धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के 122वीं शहादत दिवस के मौके पर प्रत्येक वर्ष की भांति 9 जून 2022 को भी रणजीत स्टूडियो दादर (मुम्बई) स्थित आर एन फिल्म्स के कार्यालय में झारखंड की धरती से जुड़े फिल्मकार राजेश मित्तल ने अपने प्रोडक्शन हाउस के सभी सहकर्मियों के साथ बिरसा मुंडा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना व माल्यार्पण किया एवं श्रद्धा सुमन अर्पित की।
इस मौके पर फिल्मकार राजेश मित्तल ने अमर शहीद क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की समाज के उत्थान के लिए उनके संघर्षपूर्ण जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान बिरसा मुंडा आजीवन देश के आजादी के लिए एवं आदिवासी समुदाय के लोगों के उत्थान के लिए लड़ते रहे। सर्वव्यापी महामारी कोरोना की वजह से उत्त्पन्न हालात में बिरसा मुंडा  द्वारा बताए  गए संदेशों को आत्मसात कर  विपरीत परिस्थितियों को भी हम अपने अनुकूल बना सकते हैं।
विदित हो कि 80 के दशक से बॉलीवुड में क्रियाशील राजेश मित्तल अब तक 45 हिंदी फीचर फिल्मों का निर्माण कर चुके हैं। क्रन्तिकारी बिरसा मुंडा के जीवन गाथा पर भी एक बायोपिक फ़िल्म-‘बिरसा-द ब्लैक आयरन मैन’ और ऐतिहासिक फ़िल्म-‘झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई’ राजेश मित्तल बना चुके हैं। बायोपिक फ़िल्म ‘बिरसा-द ब्लैक आयरन मैन’ 2004 में प्रदर्शित हुई थी। बॉलीवुड में राजेश मित्तल को छोटे बजट की फिल्मों का स्टार फ़िल्म मेकर माना जाता है। फ़िल्म निर्माण के साथ साथ अब राजेश मित्तल फ़िल्म वितरण व्यवसाय से भी जुड़ गए हैं और अपनी प्रतिभा के बदौलत बॉलीवुड में झारखण्ड का नाम रौशन कर रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पीएम के संसदीय क्षेत्र में की सफाई, हटाया गोबर

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वाराणसी। केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार सुबह काशी में स्वच्छता अभियान से कदमताल किया। उन्होंने सिकरौल वार्ड के भीमनगर में एक महिला की शिकायत पर भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ महीनों से जमा गोबर साफ कर दिया।

दरअसल, भीमनगर में केंद्रीय मंत्री ने बहुत देर तक बस्ती और उसके लगायत क्षेत्रों की गलियों में घूम-घूम कर ऐसा क्षेत्र तलाशना चाहा, जहां स्वच्छता अभियान चलाया जा सके लेकिन उन्हें प्रत्येक स्थान पर स्वच्छता दिखाई दी। उन्होंने इसके लिए नगर निगम की सराहना भी की।.

इसी दौरान एक महिला उनके पास आईं और उन्हें बताया कि उसके आवास के सामने वाले मैदान में उनकी सुपुत्री का विवाह होना है। कुछ गौपालकों द्वारा उस मैदान में गोबर का ढेर लगाया गया है, अच्छा होता कि विवाह के पूर्व वह हट जाता। भाजपा नेत्री ने फावड़ा और बेलचा उठाया और गोबर साफ करने चल पड़ीं। उनके साथ भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी हाथ बंटाया।

उन्होंने वहां उपस्थित अन्य लोगों से भी वार्ता कर उनकी समस्याओं के समाधान के लिए राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल समेत अन्य जनप्रतिनिधियों को निर्देशित किया। उनके साथ कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा, महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय, महानगर महामंत्री द्वय जगदीश त्रिपाठी व नवीन कपूर, मंत्री मधुप सिंह, क्षेत्रीय पार्षद दिनेश यादव, मदन दूबे, संदीप त्रिपाठी, संदीप रघुवंशी आदि थे। इससे पहले केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी मंगलवार को टीचर बनीं। उन्होंने काशी विद्यापीठ विकास खंड के अलाउद्दीनपुर स्थित आंगनबाड़ी केंद्र के नन्हें-मुन्नों को पढ़ाया और उन्हें संस्कार सिखाए।स्मृति से पढ़कर बच्चे भी काफी खुश हुए।

केंद्रीय मंत्री ने आंगनबाड़ी केंद्र पर मिलने वाली सुविधाओं की हकीकत भी जानी। उनके साथ विभागीय राज्यमंत्री डॉ. मुंजपरा महेंद्र भाई, जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह आदि रहे। इसके बाद केंद्रीय मंत्री ने पंडितपुर स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का जायजा लिया। उन्होंने मरीजों को दी जा रही सुविधाओं के संबंध में जानकारी ली। इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी समेत अन्य अधिकारी साथ रहे।

 

वियतनाम और भारत ने आपसी रसद समर्थन को लेकर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

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एक सकारात्मक विकास में भारत और वियतनाम ने बुधवार (8 जून) को आपसी रसद समर्थन को लेकर एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। यह विकास रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की वियतनाम की राजधानी हनोई यात्रा के दौरान आया।

यह विकास इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि समझौता ज्ञापन पहला ऐसा बड़ा समझौता है, जिस पर वियतनाम ने किसी भी देश के साथ हस्ताक्षर किए हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 जून को हनोई में राष्ट्रीय रक्षा मंत्री जनरल फान वान गियांग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।

रक्षा मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, दोनों पक्षों के मध्य द्विपक्षीय रक्षा संबंधों और क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों को आगे बढ़ाने के लिए प्रभावी व व्यावहारिक पहल पर व्यापक चर्चा हुई।

दोनों रक्षा मंत्रियों ने ‘वर्ष 2030 को लक्षित भारत-वियतनाम रक्षा साझेदारी पर संयुक्त दृष्टिकोण’ पर भी हस्ताक्षर किए, जो वर्तमान रक्षा सहयोग के दायरे और पैमाने को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगा।

दोनों मंत्रियों ने वियतनाम को दी गई 50 करोड़ डॉलर की रक्षा ऋण सहायता को शीघ्र अंतिम रूप देने पर भी सहमति जताई।

मंत्रालय ने कहा कि परियोजनाओं के कार्यान्वयन से वियतनाम की रक्षा क्षमताओं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड के दृष्टिकोण को काफी बढ़ावा मिलेगा।

राजनाथ सिंह ने वियतनामी सशस्त्र बलों के क्षमता निर्माण के लिए वायुसेना अधिकारी प्रशिक्षण स्कूल में भाषा और आईटी लैब की स्थापना के लिए दो सिमुलेटर और मौद्रिक अनुदान देने की भी घोषणा की।

अनंतनाग का प्राचीन मार्तंड सूर्य मंदिर:

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भारत में भगवान सूर्य देव के प्राचीन मंदिरों की अगर बात करें तो उनमें कई प्राचीन सूर्य मंदिर शामिल हैं। ओडिशा में कोणार्क सूर्य मंदिर गुजरात के मेहसाणा में मोढेरा सूर्य मंदिर राजस्थान के झालरापाटन का सूर्य मंदिर, उत्तराखंड के अल्मोडा का कटारमल सूर्ये मंदिर और जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में मार्तंड सूर्य मंदिर। इन सभी सूर्य मंदिरों का इतिहास अति प्राचीन है। आज हम आपको जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में स्थिति मार्तंड सूर्य मंदिर से जुड़ी जानकारी देते हें।

मार्तंड सूर्य मंदिर का निर्माण 8 वीं शताब्दी में कोरकोटा राजवंश के राजा ललितादित्य मुक्तापीड द्वारा कराया गया था। कश्मीर के दक्षिणी क्षेत्र में अनंतनाग पहलगाम मार्ग पर मार्तंड नामक स्थान पर यह मंदिर स्थित है। अपनी वास्तु कला के लिए यह मांदर दुनियाभर में जाना जाता है। इस मंदिर में 64 स्तंभ है इन सभी स्तंभों को नियमित अंतराल पर बनाया गया है। इस मंदिर में सूर्य की पहली किरण आज भी सबसे पहले पड़ती है। मंदिर के समीप ही एक बड़ा सरोवर भी है जो मंदिर जितना ही प्राचीन माना जाता है।

इस मंदिर की प्राचीनता को इस बात से समझा जा सकता है कि कश्मीर के महान कवि कल्हण की पुस्तक राजतरंगिणा में भी मार्तंड मंदिर का उल्लेख मिलता है। इस मंदिर की सबसे बडी विशेषता यह थी कि इसका निर्माण एक पठार के शिखर पर किया गया था। जहां से सारी कश्मीर घाटी दिखाई देती थी। वास्तविकता में मार्तंड का अर्थ सूर्य होता है इसलिए इस मंदिर का नामकरण, मार्तंड मंदिर के तौर पर किया गया।

देश में जब मुस्लिम आक्रांताओं का प्रवेश हुआ तो उन्होंने भारत के अनेक प्राचीन मंदिरों की तोड़ने और नुकसान पहुचाने का काम किया। 15 वीं शताब्दी में मुस्लिम आक्रांता सिकंदर शाह मुरी ने इस मंदिर को तोड़ने का काम किया और मंदिर के अति विशाल गुंबद को गिरा कर प्राचीन मंदिर को नष्ट करने का काम किया। जिसके बाद इस प्राचीन मंदिर में पूजा पाठ और इसकी पुनर्स्थापना का प्रयास किया गया मगर मंदिर के पुनर्निर्माण का काम कभी पूरा नहीं हो पाया।

अब एक बार फिर इस अति प्राचीन मंदिर के पुनर्निर्माण की आशा जगी है। 6 मई 2022 को जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस प्राचीन मंदिर में पूरे भक्तिभाव के साथ पूजा अर्चना का कार्य संपन्न किया। मार्तंड मंदिर में पूजा करने के बाद मनोज सिन्हा ने “मार्तंड सूर्य मंदिर अनंतनाग में शुभ नवग्रह अष्टमंगल पूजा में भाग लिया। यह वास्तव में ईश्वरीय वातावरण में एक दिव्य अनुभव है।

सरकार सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के प्राचीन स्थलों की रक्षा और विकास के लिये प्रतिबद्ध है। ऐसे स्थलों को जीवंत करना हमें धार्मिकता के मार्ग पर ले जाएगा और इस खूबसूरत धरती को शांति सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देगा। उपराज्यपाल के इस वक्तव्य के बाद मार्तंड सूर्य मंदिर के पुनर्निर्माण की आशा और अधिक बलवती हुई है।

एएसआई के अनुसार इस मंदिर की वास्तुकला गंधार गुप्त और चीनी वास्तुकला का अदभुद संगम है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इस मंदिर को राष्ट्रीय महत्त्व के स्थलों में शामिल किया गया है। इस मंदिर का निर्माण कराने वाले राजा ललितादित्य मुक्तापीड बड़े उदार राजा थे। कश्मीर के विकास और आम जनता के कल्याण के लिए उन्होंने सबसे ज्यादा काम किया। उनके शासनकाल में कश्मीर में अनेक मंदिरों का निर्माण कराया गया था। सनातन हिंदू धर्म में उनकी प्रबल आस्था थी और वह मंदिरों मे जाकर पूजापाठ किया करते थे।

ज्येष्ठ अष्टमी के अवसर पर माता खीर भवानी मंदिर में उमड़ी कश्मीरी पंडितों की भीड़

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 ज्येष्ठ अष्टमी के शुभ अवसर पर लगभग 18,000 कश्मीरी पंडितों और श्रद्धालुओं ने प्रसिद्ध माता खीर भवानी मंदिर में दर्शन किए। हर साल, इस शुभ दिन पर तुलमुल्ला, गांदरबल में माता खीर भवानी मंदिर में खीर भवानी मेला आयोजित किया जाता है और जम्मू और कश्मीर के विभिन्न भागों से श्रद्धालु यहाँ पवित्र मंदिर में दर्शन करने आते हैं।  

खीर भवानी कश्मीरी पंडितों की कुल देवी मानी जाती हैं जिनकी वहां बहुत मान्यता है। ज्येष्ठ अष्टमी कश्मीरी पंडित भाइयों और बहनों के लिए अत्यधिक धार्मिक महत्व रखती है। वर्षों से खीर भवानी मेला कश्मीर में सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक बना हुआ है। इस आयोजन में सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किये गए थे और स्वयं उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने इसकी मॉनीटरिंग की।

शाम की आरती में लगभग 2,500 कश्मीरी पंडित भक्तों ने भाग लिया। एक पवित्र झरने के ऊपर बने माता खीर भवानी मंदिर की धार्मिक पवित्रता का दुनिया भर के कश्मीर पंडित भक्तों के बीच एक विशेष आध्यात्मिक महत्व है।

वर्ष 2020 और 2021 में कोविड के कारण यहाँ आयोजन नहीं हो पाया था।

श्रद्धालुओं के लिए मुफ्त बस सेवा: श्रीनगर एयरपोर्ट, टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर, डल लेक साइड नेहरू पार्क, शंकराचार्य मंदिर, शिवपोरा, बीबी कैन्ट, इंदिरा नगर आदि क्षेत्रों में जहां हिंदू समुदाय बड़ी संख्या में रहते हैं, वहां से मुफ्त बस सेवा चलाई गई।

श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी ना हो इसका रखा गया पूरा ध्यान: मंदिर परिसर के समीप यात्रियों के वाहनों के लिए पार्किंग की सुविधा प्रदान करवाई गई। सभी उपयुक्त स्थानों पर मोबाइल यूरिनल की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।

कई गैरसरकारी संगठनों और नागरिक समाज ने भी मेले में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्हील चेयर और अन्य सहायता प्रदान करने की व्यवस्था की थी।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष स्वास्थ्य जांच स्टॉल भी लगाए गए, जहां कई श्रद्धालुओं ने परामर्श लिया।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी ज्येष्ठ अष्टमी के अवसर पर कश्मीरी पंडितों को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा कि “सभी को, विशेष रूप से कश्मीरी पंडित बहनों और भाइयों को, ज्येष्ठ अष्टमी की बधाई। हम माता खीर भवानी से सभी की भलाई और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं।”

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने भी कश्मीरी पंडितों को ज्येष्ठ अष्टमी की बधाई देते हुए कहा कि ज्येष्ठ अष्टमी मां खीर भवानी की आराधना का विशेष पर्व है। इस पावन पर्व पर सभी कश्मीरी पंडित भाई-बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और मां खीर भवानी के चरणों में नमन कर देश की उन्नति व समृद्धि की प्रार्थना करता हूं।

उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने कश्मीरी पंडित समुदाय को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि “यह शुभ अवसर धार्मिक जीवन, प्रेम, करुणा और सद्भाव का उत्सव है। आइए हम माता खीर भवानी से प्रार्थना करें कि वह हमें धर्म के मार्ग पर ले जाएं और हमारी भूमि को शांति, सुख और समृद्धि प्रदान करें।

 

 

Crime News : चार गौ तस्करों के साथ पुलिस की मुठभेड़ दो बदमाशों को लगी गोली

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Saharanpur News: सहारनपुर पुलिस (Saharanpur) का ऑपरेशन लंगड़ा अभियान जारी है. मंगलवार देर रात थाना बिहारीगढ़ (Biharigarh) और सर्विलांस टीम की संयुक्त टीम ने गोतस्करों को पकड़ा. पुलिस टीम जब गांव तल्हापुर के पास एक बाग में पंहुची तो चार लोगों ने एक गाय को रस्सी से बांध कर नीचे लिटा रखा था.

घायल अपराधियों को अस्पताल भिजवाया गया

पुलिस टीम ने घेराबन्दी की तो गौ तस्करों ने पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी. गोतस्करों की गोली से सिपाही देवेंद्र जख्मी हो गया. जबकि एक गोली एसओ बिहारीगढ़ मनोज चौधरी की बुलेट प्रूफ जैकेट में लगी. जवाबी गोलीबारी में दो गोतस्कर सलमान और हसीन को गोली लग गई. पुलिस ने भाग रहे तीसरे अपराधी शोएब को पकड़ लिया. जबकि इनका चौथा साथी अंधेरे का फायदा उठा कर फरार हो गया. मौके से तमंचे, कारतूस और गोवंश काटने के उपकरण, बाइक और कार बरामद किया गया. घायल सिपाही और अपराधियों को अस्पताल भिजवाया गया.

सिपाही को लगी गोली

घटना के बारे में एसएसपी आकाश तोमर ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली कि कुछ लोग गोकशी की तैयारी कर रहे हैं. सूचना के आधार पर जब पुलिस वहां पर पहुंची तो बदमाशों ने पुलिस पर फायर झोंक दिया जिसमें 1 गोली सिपाही को लगी और एक बिहारीगढ़ थानाध्यक्ष की बुलेट प्रूफ जैकेट में लगी है. जवाबी फायरिंग में पुलिस की गोली से दो बदमाश घायल हुए हैं. कुल 3 बदमाशों की गिरफ्तारी की गई है, जिनका पहले से ही क्रिमिनल रिकॉर्ड है. इन बदमाशों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के विरुद्ध आईआईटी मुंबई में कैंडल यात्रा निकाली

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मुंबई -आईआईटी बॉम्बे कैंपस में कश्मीर घाटी में हिंदुओं पर हो रहे घातक हमलों के विरोध में कल एक मोमबत्ती – यात्रा का आयोजन आई आई टी बी भारत t द्वारा किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में छात्रों ने भाग लिया, इस कैंडल यात्रा का उद्देश्य कश्मीर घाटी में इस्लामी आतंकवाद का शिकार मृतकों को श्रद्धांजलि देना था।

विद्यार्थियों ने इस बात पर रोष व्यक्त किया कि कश्मीर में फिर से लोगों के नाम उनके घरों के बाहर लिखकर मृत्यु की धमकी दी जा रही है, उन्हें चिन्हित करके मार दिया जा रहा है, प्रेस विज्ञप्ति निकाली जा रही है कि घाटी खाली करो। 36 वर्षीय शिक्षिका श्रीमती रजनीबाला जी को उनके स्कूल में जाकर आतंकियों ने मार दिया ऐसा ही राहुल भट्ट जी एवं विजय कुमार बेनीवाल जी के साथ हुआ, यह सूची लंबी होती जा रही है।

लोगों के मन में भय का वातावरण स्थापित है। लोगों को उनके घरों में बंद कर दिया गया है बाहर सुरक्षाकर्मी भारी मात्रा में उपस्थित हैं। मात्र 3 महीने पहले श्री विजय कुमार का विवाह हुआ था। क्या बीत रही होगी उनकी विधवा पत्नी पर। श्री विजय कुमार जी की चचेरी बहन आई आई टी मुंबई की छात्रा हैं, उनका दुःख असहनीय है .

मोमबत्ती यात्रा में उपस्थित विद्यार्थियों और प्राध्यापकों ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि १९४७ और १९९० का इतिहास फिर से वही इतिहास वर्तमान का स्वरूप लेकर आया है।ऐसे ही करोड़ों की संख्या में भारतीय परिवार इस असहनीय दुःख तथा प्रताड़ना को पिछले ११०० वर्षों से सह रहा है।

उन्होने प्रश्न किया आखिर कब तक लगातार किसी एक समाज को कट्टरपंथी विचार के आधार पर प्रताड़ित किया जायेगा? सरकारें विफल हैं इस मसले का संधान देने में या सरकारें इस समस्या का समाधान निकालना ही नहीं चाहती हैं, आखिर एक समाज कब तक एक राक्षसी प्रवृति वाले जिहादियों के अत्याचार को सह कर इन सरकरों को गद्दी पर बैठाता रहेगा ? उन्होने सरकारों से निवेदन किया है कि वे भारत में फैलते जा रहे जहर के मूल कारण को समझें तथा उन कट्टरपंथियों को स्पष्ट सन्देश देते हुए हिन्दुओं तथा उन मुस्लिमों (जो भारत के गौरव, संस्कृति तथा आराध्यों का सम्मान करते हैं ) का प्रण लेकर सुरक्षा के लिए कार्य करें, यह केवल मानवता ही नहीं बल्कि पुरे राष्ट्र की सुरक्षा तथा संभ्रुता पर भी खतरा है।

कैंडल यात्रा में छात्रों ने ” भारत माता की जय, वन्दे मातरम, आतंकवाद मुर्दाबाद, आतंकवाद बंद करो, आतंकवाद को पालना बंद करो इत्यादि नारे लगाए । छात्रों ने एक स्वर में उन सैकड़ों भारतीय परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की एवं उनकी पीड़ा को स्वर प्रदान किया जो इस स्वतंत्र भारत में जिहादियों द्वारा दी जा रही निरंतर जीवन और मृत्यु की प्रताड़ना का सामना कर रहे हैं।

साथ ही यह पीड़ा व्यक्त कि की कश्मीर घाटी पुनः भारतराष्ट्र के विरोध का केंद्र बनी हुई है। आज ११०० वर्षों से भारतीय संस्कृति तथा समाज इन जिहादियों का दंश झेल रहा है, 19 जनवरी 1990 की रात्रि को जब असंख्य कश्मीरी हिंदुओं को हत्या, बलात्कार, लूटपाट एवं नृशंसता के वीभत्स दृश्यों के मध्य अपना घर, संपत्ति, अपनी स्मृतियां, अपनों के शव जिसे अग्नि को भी न सौंप सके, सब कुछ छोड़कर निर्जन क्षेत्रों में शरण लेने को विवश हो गए।

यह मोमबत्ती – यात्रा शाम ७:३० बजे आई आई टी मुंबई के छात्रावास संख्या १२-१३-१४ से आरम्भ होकर दीक्षांत सभागृह पर संपन्न हुई जिसमें लगभग लगभग २०० से अधिक छात्रों ने हिस्सेदारी की।

इस अवसर पर २ मिनट का मौन रखकर दहशतवादियों का शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने के बाद राष्ट्रगान द्वारा कार्यकम को समाप्त किया गया। उल्लेखनीय है कि आई आई टी बी भारत महाविद्यालय परिसर में अलग अलग तरह के कार्यकम का आयोजन करनेवाले आई आई टी मुंबई के छात्रों का समूह है और वे सनातन संस्कृति के बारे में फैलाई गयी भ्रांतियों के प्रति जागरूकता फैलाने का काम भी करते हैं।

 

एनएचएआई का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, 105 घंटे में बनाई 75 किमी सड़क

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भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने सड़क निर्माण के मामले में विश्व कीर्तिमान बना दिया, जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ट्विटर के माध्यम से इस उपलब्धि की घोषणा की।

हिंदुस्तान टाइम्स ऑटो की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की शीर्ष राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण एजेंसी ने महाराष्ट्र में अमरावती और अकोला के मध्य लगभग 105 घंटे या 5 दिनों से भी कम समय में 75 किलोमीटर लंबे राजमार्ग का निर्माण किया।

नितिन गडकरी ने इस उपलब्धि के लिए एनएचएआई की सराहना की।

उन्होंने ट्वीट किया, “यह पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। एनएचएआई की हमारी असाधारण टीम, सलाहकार और रियायतग्राही राजपथ इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड और जगदीश कदम को एनएच-53 सेक्शन पर अमरावती और अकोला के मध्य सिंगल लेन में 75 किलोमीटर निरंतर बिटुमिनस कंक्रीट रोड बिछाने का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स प्राप्त करने पर बधाई देते हुए खुशी हो रही है।”

उन्होंने आगे कहा, “मैं विशेष रूप से हमारे इंजीनियरों और कर्मचारियों को धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने इस असाधारण उपलब्धि को हासिल करने के लिए दिन-रात मेहनत की।”

राजपथ इंफ्राकॉन नामक एक निजी ठेकेदार ने 3 जून को सुबह 6 बजे रिकॉर्ड प्रयास शुरू किया। एजेंसी ने काम पूरा करने हेतु परियोजना प्रबंधक, राजमार्ग अभियंता, गुणवत्ता अभियंता, सर्वेक्षक एवं सुरक्षा अभियंता सहित लगभग 800 कर्मचारियों और 700 से अधिक श्रमिकों को तैनात किया था।

महाराष्ट्र में अमरावती और अकोला के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग पर गिरने वाले खंड पर काम किया जा रहा है। यह खंड विशेष रूप से दस वर्षों से अधिक समय से खराब स्थिति में है।