भारत में भगवान सूर्य देव के प्राचीन मंदिरों की अगर बात करें तो उनमें कई प्राचीन सूर्य मंदिर शामिल हैं। ओडिशा में कोणार्क सूर्य मंदिर गुजरात के मेहसाणा में मोढेरा सूर्य मंदिर राजस्थान के झालरापाटन का सूर्य मंदिर, उत्तराखंड के अल्मोडा का कटारमल सूर्ये मंदिर और जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में मार्तंड सूर्य मंदिर। इन सभी सूर्य मंदिरों का इतिहास अति प्राचीन है। आज हम आपको जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में स्थिति मार्तंड सूर्य मंदिर से जुड़ी जानकारी देते हें।

मार्तंड सूर्य मंदिर का निर्माण 8 वीं शताब्दी में कोरकोटा राजवंश के राजा ललितादित्य मुक्तापीड द्वारा कराया गया था। कश्मीर के दक्षिणी क्षेत्र में अनंतनाग पहलगाम मार्ग पर मार्तंड नामक स्थान पर यह मंदिर स्थित है। अपनी वास्तु कला के लिए यह मांदर दुनियाभर में जाना जाता है। इस मंदिर में 64 स्तंभ है इन सभी स्तंभों को नियमित अंतराल पर बनाया गया है। इस मंदिर में सूर्य की पहली किरण आज भी सबसे पहले पड़ती है। मंदिर के समीप ही एक बड़ा सरोवर भी है जो मंदिर जितना ही प्राचीन माना जाता है।

इस मंदिर की प्राचीनता को इस बात से समझा जा सकता है कि कश्मीर के महान कवि कल्हण की पुस्तक राजतरंगिणा में भी मार्तंड मंदिर का उल्लेख मिलता है। इस मंदिर की सबसे बडी विशेषता यह थी कि इसका निर्माण एक पठार के शिखर पर किया गया था। जहां से सारी कश्मीर घाटी दिखाई देती थी। वास्तविकता में मार्तंड का अर्थ सूर्य होता है इसलिए इस मंदिर का नामकरण, मार्तंड मंदिर के तौर पर किया गया।

देश में जब मुस्लिम आक्रांताओं का प्रवेश हुआ तो उन्होंने भारत के अनेक प्राचीन मंदिरों की तोड़ने और नुकसान पहुचाने का काम किया। 15 वीं शताब्दी में मुस्लिम आक्रांता सिकंदर शाह मुरी ने इस मंदिर को तोड़ने का काम किया और मंदिर के अति विशाल गुंबद को गिरा कर प्राचीन मंदिर को नष्ट करने का काम किया। जिसके बाद इस प्राचीन मंदिर में पूजा पाठ और इसकी पुनर्स्थापना का प्रयास किया गया मगर मंदिर के पुनर्निर्माण का काम कभी पूरा नहीं हो पाया।

अब एक बार फिर इस अति प्राचीन मंदिर के पुनर्निर्माण की आशा जगी है। 6 मई 2022 को जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस प्राचीन मंदिर में पूरे भक्तिभाव के साथ पूजा अर्चना का कार्य संपन्न किया। मार्तंड मंदिर में पूजा करने के बाद मनोज सिन्हा ने “मार्तंड सूर्य मंदिर अनंतनाग में शुभ नवग्रह अष्टमंगल पूजा में भाग लिया। यह वास्तव में ईश्वरीय वातावरण में एक दिव्य अनुभव है।

सरकार सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के प्राचीन स्थलों की रक्षा और विकास के लिये प्रतिबद्ध है। ऐसे स्थलों को जीवंत करना हमें धार्मिकता के मार्ग पर ले जाएगा और इस खूबसूरत धरती को शांति सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देगा। उपराज्यपाल के इस वक्तव्य के बाद मार्तंड सूर्य मंदिर के पुनर्निर्माण की आशा और अधिक बलवती हुई है।

एएसआई के अनुसार इस मंदिर की वास्तुकला गंधार गुप्त और चीनी वास्तुकला का अदभुद संगम है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इस मंदिर को राष्ट्रीय महत्त्व के स्थलों में शामिल किया गया है। इस मंदिर का निर्माण कराने वाले राजा ललितादित्य मुक्तापीड बड़े उदार राजा थे। कश्मीर के विकास और आम जनता के कल्याण के लिए उन्होंने सबसे ज्यादा काम किया। उनके शासनकाल में कश्मीर में अनेक मंदिरों का निर्माण कराया गया था। सनातन हिंदू धर्म में उनकी प्रबल आस्था थी और वह मंदिरों मे जाकर पूजापाठ किया करते थे।

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