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अंडर-19 वर्ल्ड कपः भारत पांचवी बार बना चैंपियन

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पहले राज बावा और रवि कुमार की जबरदस्त गेंदबाज़ी और फिर उपकप्तान शेख़ रशीद, ऑलराउंडर राज बाबा और निशांत सिंधु की दमदार बल्लेबाज़ी की बदौलत भारत ने अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप में इंग्लैंड को चार विकेट से हराकर पांचवी बार ट्रॉफ़ी जीत ली है.

इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 189 रन बनाए. इसके जवाब में भारतीय उपकप्तान रशीद और निशांत सिंधु की अर्धशतकीय पारियों की बदौलत भारत ने इंग्लैंड को चार विकेट से हराया. इसके साथ ही इंग्लैंड का 24 साल बाद अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने का ख़्वाब पूरा न हो सका और यश ढुल पांचवे ऐसे भारतीय कप्तान बन गए जिन्होंने अंडर-19 वर्ल्ड कप की ट्रॉफ़ी पर भारत का नाम अंकित कर दिया. यश ढुल से पहले विराट कोहली, मोहम्मद कैफ, उन्मुक्त चंद और पृथ्वी शॉ भी भारत के लिए अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप जीत चुके हैं. सर विवियन रिचर्ड्स क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए फ़ाइनल में इंग्लैंड की तरह ही भारतीय पारी की शुरुआत भी अच्छी नहीं रही और पहला विकेट शून्य पर गिर गया.

पाकिस्तान और चीन को क़रीब आने से रोकना है – राहुल गांधी

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले हफ़्ते लोकसभा में कहा था कि मोदी सरकार ने चीन और पाकिस्तान को साथ लाकर सबसे बड़ा अपराध किया है.

राहुल गांधी ने कहा था, ”भारत की विदेश नीति में एक सबसे बड़ा लक्ष्य रहता था कि पाकिस्तान और चीन को क़रीब आने से रोकना है, लेकिन इस सरकार ने दोनों को साथ ला दिया है. भारत के लोगों के ख़िलाफ़ इस सरकार ने ऐसा कर सबसे बड़ा अपराध किया है.” राहुल गांधी की इस टिप्पणी का जवाब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तत्काल ट्विटर पर दिया था.

एस जयशंकर ने ट्वीट कर कहा था, ”राहुल गांधी ने लोकसभा में आरोप लगाया है कि हमारी सरकार ने पाकिस्तान और चीन को साथ कर दिया. इतिहास की सच्चाइयां ये हैं- 1963 में पाकिस्तान ने चीन को शाक्सगम घाटी सौंपी. चीन ने पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले कश्मीर से होते हुए 1970 के दशक में काराकोरम हाइवे बनाया. 1970 के दशक में ही दोनों देश परमाणु सहयोग को लेकर भी क़रीब आए. 2013 में चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर शुरू हुआ. ऐसे में आप ख़ुद से पूछिए कि क्या चीन और पाकिस्तान तब दूर थे?”

कई विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने को लेकर पाकिस्तान और चीन के क़रीब आने की बात कर रहे थे, लेकिन उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाने का ज़िक्र करने से परहेज़ किया.

कइयों का ये भी कहना है कि राहुल गांधी ये नहीं कह सकते कि मोदी सरकार में चीन और पाकिस्तान क़रीब आए, लेकिन ये बिल्कुल सच है कि देश की कोई भी सरकार दोनों देशों को क़रीब आने से रोकने में सफल नहीं रही है.

इमरान-जिनपिंग का संयुक्त बयान

इमरान ख़ान ने जब रविवार को बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाक़ात की और दोनों ने साझा बयान जारी किया तो यही लगा कि चीन-पाकिस्तान की क़रीबी लगातार बढ़ रही है और जानकारों के मुताबिक़, यह भारत के लिए चुनौती है. चीन और पाकिस्तान ने रविवार को कहा कि वे कश्मीर में किसी भी एकतरफ़ा कार्रवाई का विरोध करते हैं क्योंकि इससे कश्मीर मुद्दा जटिल हो जाता है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान चीन के दौरे पर हैं. रविवार को इमरान ख़ान की मुलाक़ात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई थी.

बीजिंग में हुई इस मुलाक़ात के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया. इस बयान में कहा गया है, ”दोनों देशों ने अपनी चिंताओं और अहम हितों से जुड़े मुद्दों पर एक दूसरे को मदद देने की बात दोहराई है. इस बात को भी रेखांकित किया गया कि दोनों देशों के बीच मज़बूत रक्षा सहयोग इस इलाक़े में शांति और स्थिरता के लिए बेहद अहम है.”

पाकिस्तान में बानी सीनेटर दलित हिन्दू लड़की कृष्णा कुमारी कोहली है चर्चा में

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पाकिस्तानी मीडिया में वहाँ की हिन्दू सीनेटर कृष्णा कुमारी कोहली सुर्खियों में हैं. पाकिस्तानी मीडिया में इन्हें दलित हिन्दू सीनेटर बताया जा रहा है.

कोहली पाकिस्तान की विपक्षी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की सीनेटर हैं. वह 2018 में पीपीपी के टिकट से पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक रिज़र्व सीट जीती थीं. शुक्रवार को पाकिस्तान की सीनेट के अध्यक्ष की कुर्सी पर कृष्णा कुमारी कोहली थीं और उन्हीं की अध्यक्षता में भारत प्रशासित कश्मीर को लेकर एक प्रस्ताव पास किया गया. भारत की संसद में भी कई बार होता है कि लोकसभा अध्यक्ष की ग़ैर-मौजूदगी में किसी सांसद को अध्यक्ष के आसन की ज़िम्मेदारी दी जाती है. शुक्रवार को पाकिस्तानी सीनेट में अध्यक्ष के आसन पर कोहली थीं और यह ख़बर पाकिस्तानी मीडिया में छाई हुई है.

पाकिस्तान के अंग्रेज़ी अख़बार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है, ”हिन्दू सीनेटर की अध्यक्षता में पाकिस्तान की सीनेट ने शुक्रवार को भारत प्रशासित कश्मीर के लोगों के साथ एकजुटता को लेकर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया. सीनेट ने पाँच अगस्त 2019 के भारत की मोदी सरकार के उस क़दम को ख़ारिज कर दिया, जिसमें जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म कर दिया गया था.”

पाकिस्तान की सत्ताधारी तहरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी के सीनेटर फ़ैसल जावेद ख़ान ने ट्वीट कर कहा है, ”एक हिन्दू ने पाकिस्तानी सीनेट में कश्मीर पर एक सत्र की अध्यक्षता की. सीनेट के चेयरमैन ने हमारी सहकर्मी कृष्णा कुमार कोहली को यह सम्मान दिया. पाकिस्तान ने भारत को कश्मीर को लेकर एक मज़बूत संदेश दिया है. पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के लिए खड़ा है जबकि भारत अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ है.” पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के प्रमुख बिलावल भुट्टो ने भी इसे लेकर ट्वीट किया. उन्होंने कहा, ”थार, सिंध, पाकिस्तान से पीपीपी सीनटेर कृष्णा कोहली ने कश्मीर एकजुटता पर सीनेट सत्र की अध्यक्षता की. यह वह पाकिस्तान है, जिसका पीपीपी प्रतिनिधित्व करता है, देशभक्ति, समानता और बहुलतावाद वाला पाकिस्तान.”

ख़ुद को ये सम्मान दिए जाने को लेकर कृष्णा कोहली ने ट्वीट किया, ”कश्मीर एकजुटता दिवस के मौक़े पर भारत के अवैध कब्ज़े वाले जम्मू और कश्मीर की मौजूदा स्थिति पर चर्चा के लिए सीनेट सत्र की अध्यक्षता करना बहुत सम्मान की बात है. पाकिस्तान की संसद का सदस्य बनने का मौक़ा देने के लिए पाकिस्तान की संसद और अध्यक्ष बिलावल भुट्टो को धन्यवाद.”

सोशल मीडिया यूज़र अयाज़ गुल ने सीनेट अध्यक्ष का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, ”अल्पसंख्यक हिंदू दलित समुदाय से पाकिस्तान की महिला सीनेटर कृष्णा कुमारी कोहली सीनेट सत्र की अध्यक्षता करती हुईं.”

Paytm की डरावनी कहानी

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पेटीएम के शेयर यानी पेटीएम चलानेवाली कंपनी वन नाइन्टी सेवन कम्युनिकेशंस लिमिटेड के शेयर पहले ही दिन जैसे धड़ाम से गिरे, वो कोई अनहोनी नहीं थी.

कंपनी के कामकाज़, कंपनी के मुनाफ़े और घाटे, कंपनी जिस कारोबार में है, उसमें लगातार बढ़ते मुक़ाबले के साथ कंपनी के अनिश्चित भविष्य की आशंकाएं देखते हुए तमाम जानकार यह चेतावनी दे चुके थे कि पेटीएम में पैसा लगाना शायद ठीक नहीं होगा.

शेयर बाज़ार की रवायत है कि ख़ासकर बड़ी कंपनियों के बारे में आसानी से कोई बुरा नहीं बोलना चाहता है. इसलिए किसी ने सीधे-सीधे यह तो नहीं कहा कि इसमें पैसा मत लगाइए, लेकिन पर्याप्त संकेत दे दिए थे कि अगर आप यहाँ पैसा न लगाएं तो ठीक रहेगा. आइपीओ से पहले आने वाली रिपोर्टों में इसे अवॉयड या स्किप की रेटिंग कहा जाता है.

कुछ लोग इन्वेस्ट फोर लॉन्ग टर्म भी कहते हैं. हालांकि ऐसा कहने वाले यह भी बता देते हैं कंपनी का कारोबार बहुत अच्छा है इसलिए लंबे समय की सलाह दे रहे हैं या फिर इसलिए क्योंकि कंपनी हाल फ़िलहाल तो बहुत अच्छा नहीं कर रही, इसलिए हो सकता है कि आप काफ़ी लंबे समय तक यह शेयर रखें तो फ़ायदा हो जाए. अब यह भी कोई बताने की बात नहीं है.

गाजे-बाजों के साथ निकाली गई गौमाता की शव यात्रा

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जब माता तुल्य गौ को मन गया है तो एक खबर हम आपको बताने जा रहे हैं जहाँ गौ माता का लोगों ने पुत्र के रूप में अंतिम संस्कार किया खबर मध्यप्रदेश से है जहाँ एक गौ माता की शव यात्रा को पूरे विधि विधान से निकला गया

हिन्दू धर्म में गौ को माता माना गया है, गौ को पूजा जाता है, पुराणों में धर्म को भी गौ रूप में दर्शाया गया है, भगवान श्रीकृष्ण गाय की सेवा अपने हाथों से करते थे और इनका निवास भी गोलोक बताया गया है। इतना ही नहीं गाय को कामधेनु के रूप में सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला भी बताया गया है। हिंदू धर्म में गाय के इस महत्व के पीछे कई कारण हैं जिनका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी है। शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की थी तो सबसे पहले गाय को ही पृथ्वी पर भेजा था। सभी जानवरों में मात्र गाय ही ऐसा जानवर है जो मां शब्द का उच्चारण करता है, इसलिए माना जाता है कि मां शब्द की उत्पत्ति भी गौवंश से हुई है।

जब माता तुल्य गौ को मन गया है तो एक खबर हम आपको बताने जा रहे हैं जहाँ गौ माता का लोगों ने पुत्र के रूप में अंतिम संस्कार किया खबर मध्यप्रदेश से है जहाँ एक गौ माता की शव यात्रा को पूरे विधि विधान से निकला गया। घटना दमोह जिले के हटा की है। यहाँ हाथी के नाम से यह गाय प्रसिद्ध थी। इसकी जानकारी मिलते ही शहर के लोग इकट्ठे हो गए और उन सभी ने मिलकर पूरे रीति-रिवाज के साथ गाय की शव यात्रा निकाली।

सुरभि गौशाला के गौ सेवक अंशुल तिवारी कहते हैं कि यह गया करीब डेढ़ साल पहले सड़की पर पड़ी मिली थी। बीमारी के कारण पूरी तरह से उसका शरीर जर्जर हो गया था। लेकिन बाद हटा भूतेश्वर महादेव मंदिर में चलाई जा रही गौशाला में उसे लाया गया। गौशाला में लाने के बाद उसका इलाज शुरू कर दिया गया। करीब एक हफ्ते के इलाज के बाद आखिरकार गाय स्वस्थ हुई।

लेकिन फिर भी कोई उसे लेने के लिए नहीं आया। गौशाला में गाय का बहुत ही अच्छे तरीके से ख्याल रखा जाता था, जिस कारण से जल्द ही वह हट्टी-कट्टी भी हो गई। इसी कारण से लोगों ने उसे ‘हाथी’ कहना शुरू कर दिया। गाय इतनी सीधी थी कि गौशाला में अगर किसी गाय की मौत हो जाती थी तो वो उसके बछड़ों को अपना दूध पिलाती थी। इसके अलावा छोटे बच्चे तक उसके थन में मुँह लगाकर दूध पी लेते थे।

अपने इसी सीधेपन के कारण वो सभी के लिए चहेती बनी हुई थी। हाल ही में ‘हाथी’ बीमार हो गई थी, जिसके बाद अब उसकी मौत हो गई। उसकी मौत के बाद गौसेवकों ने उसकी शव यात्रा निकालने का निर्णय लिया। इसके तहत उसके शव का श्रृंगार कर उसे लाल चुनरी और फूल-माला से सजाया गया और बैंड बाजे के साथ उसकी अंतिम यात्रा निकाली गई। इस मौके पर लोगों ने गौमाता के जयकारे लगाए।

सिने एंड टी वी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन ने जोनल मीट में कोविड योद्धाओं को पुरस्कृत किया 

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भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में क्रियाशील कलाकारों के हितार्थ 1958 से सतत अग्रसर संस्था सिने एंड टी वी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (CINTAA) ने पिछले दिनों जोनल मीट में अपने कोरोना योद्धाओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया, जिन्होंने संकट में अन्य सदस्यों को सहायता दिया और सहायता देने के क्रम में शामिल रहे, अन्य सदस्यों को खाद्य राशन और दवाएं वितरित कीं, जिन्होंने विश्वव्यापी कोरोना महामारी के समय आर्थिक शारीरिक व मानसिक परेशानियों का सामना किया।

कुल 68 कोरोना योद्धाओं ने पुरस्कृत किये जाने के क्रम में जोनल टीम के सदस्यों के साथ अपने संघर्षों की कहानियां साझा कीं और बताया कि कैसे सिंटा ने अपने प्रत्येक सदस्य के माध्यम से कोरोना काल को झेलने में  उनकी मदद की। कोरोना योद्धाओं में घनश्याम श्रीवास्तव, प्रेमचंद सिंह, प्रभात कुमार पांडे, सोनिया त्रेडिया, मनोज कुमार यादव, दीपक दत्ताराम मोरे, सत्यजीत राजपूत, विवेक श्रीवास्तव, टीना घई, गोपाल कुमार वर्मा, संजू के बनर्जी, कमलेश कुमार सिंह, सुल्तान अहमद वारसी,  सौरभ सुमन, लैला पांडा, अशोक चव्हाण, त्रिलोक चंद्र सिंह, पंकज कुमार, अरुण कुमार सिंह, मोहम्मद फरीद खान, रंजीत चौधरी, हेतल परमार, मनोज कुमार श्रीवास्तव, गीतांजलि मिश्रा, प्रकाश झा, बृजेश करनवाल, चयन त्रिवेदी, अक्षर सिंह, अभिजीत  लहरी, कुंदन कुमार, नूपुर अलंकार, धीरज मिगलानी, श्रुति भट्टाचार्य, दिनेश पांडे, संजय भाटिया, अमित बहल, अयूब खान, अब्दुल राशिद मेहता, मनोज जोशी, दीपक काजीर केजरीवाल, जितेन मुखी, आशा पारीक, योगेश कुमार भारद्वाज, कमल सौरभ,  चैताली सरकार, राज मल्होत्रा, तृप्ति दवे, जितेंद्र सिंह साबू, श्याम लाल, ललित कुमार अग्रवाल, सोनल परेश बोरखतारिया, शशिकांत नामदेव शिंदे, रौनक अली, प्रसाद लिमये, सुलेमान शेख और राजेश कनौजिया। प्रशस्ति पत्र प्रदान किए जाने के क्रम में सिंटा की कार्यकारिणी सदस्य टीना घई, अयूब खान, जया भट्टाचार्य, दीपक काजीर केजरीवाल, रवि झंकल, हेतल परमार, जितेन मुखी ने भी संक्षिप्त भाषण दिया और सदस्यों को उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया।

 सिने एंड टी वी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विक्रम गोखले, वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनोज जोशी, माननीय महासचिव अमित बहल ने जोनल टीम के प्रयासों की सराहना की और वीडियो कॉल के माध्यम से प्रशस्ति पत्र प्राप्तकर्ताओं को शुभकामनाएं दीं। विदित हो कि घनश्याम श्रीवास्तव जोनल संरचना के मुख्य संयोजक हैं। सिने एंड टी वी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन की जोनल संरचना के तहत आउटरीच कमेटी भी है जिसका एकमात्र उद्देश्य एक संयुक्त मंच बनाना है जिससे सिंटा के सदस्य सिंटा के अन्य सदस्यों के साथ जुड़ सकें जो एक दूसरे के करीब रहते हैं। वरिष्ठ सदस्यों के हितों पर नजर रखने के लिए नियमित रूप से उनसे मुलाकात की जाती है। कुछ सदस्य नियमित रूप से जरूरतमंद सदस्यों के पास जाते हैं।

प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय

भाजपा कार्यकर्ताओं ने कांग्रेसियों को दौड़ाके भगाया

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मुंबई भाजपा कार्यालय पर मोर्चा निकालना कांग्रेसियों को भारी पड़ गया। पेगासस मामले को लेकर यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने यह मोर्चा निकाला था। भाजपा कार्यकर्ता आत्मरक्षा हेतु ‘जैसे को तैसा’ जवाब देने को तैयार थे। भाजपा की ओर से ‘जो जिस भाषा में समझेगा, उसे उसी भाषा में समझाने’ की तैयारी देखते ही यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की हिम्मत जवाब दे गई और सभी वहां से नौ दो ग्यारह हो गए। भाजपा कार्यकर्ताओं ने ‘दाऊद की औलादों को जूते मारो’ नारे लगाते हुए कांग्रेसियों को दौड़ा दौड़ाके भगाया।

मुंबई भाजपा अध्यक्ष व विधायक श्री. मंगल प्रभात लोढ़ा, विधान परिषद सदस्य श्री. प्रसाद लाड, विधायक श्री. कालिदास कोलंबकर, मुंबई भाजपा उपाध्यक्ष श्री. आचार्य पवन त्रिपाठी, युवा मोर्चा मुंबई अध्यक्ष श्री. तजिंदर सिंह तिवाना, महिला मोर्चा अध्यक्ष श्रीमती शीतल गंभीर सहित पार्टी के सैकड़ों की संख्या में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर रहे यूथ कांग्रेस के लोगों को दौड़ा दौड़ाके भगाया। मुंबई भाजपा अध्यक्ष व विधायक श्री.मंगल प्रभात लोढ़ा ने कहा कि भाजपा का हर कार्यकर्ता भारत माता में विश्वास करता है। भाजपा कार्यालय पर अंगुली उठानेवाले दाऊद और टीपू सुल्तान के पुजारी विधेयक झिशान सिद्दीकी पर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की तो भाजपा के कार्यकर्ता सबक सिखायेंगे।

पंजाब में कांग्रेस के सीएम फेस चरणजीत सिंह चन्नी पार्टी की मजबूरी या तुरुप का इक्का

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चंडीगढ़। Punjab Congress CM Face: पंजाब में कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम फेस के रूप में पेश कर दिया है। शुरू से ही चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू पर भारी पड़ते दिख रहे थे। चन्नी हाईकमान की पसंद भी थे और सीएम बनने के बाद सिद्धू के विरोध के बावजूद उन्होंने जिस तरह से खुद को एक ब्रांड के रूप में स्थापित किया उसने उनके सीएम फेस बनने का मार्ग प्रशस्त किया। दलित फेस के रूप में चन्नी कांग्रेस के लिए अब सीएम फेस की मजबूरी भी बन चुके थे और तुरुप का इक्का भी। आइए जानते हैं वह दस कारण जिससे चन्नी सीएम फेस बने।

१- चरणजीत सिंह चन्नी राहुल गांधी की पसंद रहे हैं। प्रकाश सिंह बादल जब 2012 में मुख्यमंत्री बने थे तो तब सुनील जाखड़ नेता प्रतिपक्ष बनाए गए, लेकिन 2015 में पार्टी ने उनसे इस्तीफा लेकर चरणजीत सिंह चन्नी को नेता प्रतिपक्ष बना दिया। तब भी पार्टी के फैसले ने सबको चौका दिया था।

  1. कैप्टन अमरिंदर सिंह के सीएम पद से इस्तीफा देने में भले ही नवजोत सिंह सिद्धू ने अहम भूमिका निभाई हो, लेकिन सीएम फेस के रूप में वह विधायकों की पसंद नहीं रहे। सुनील जाखड़ विधायकों की पहली पसंद रहे, लेकिन इस सबसे बावजूद हाईकमान ने एक बार फिर चौकाया और दलित चेहरे के रूप में चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बना दिया।
  2. चरणजीत सिंह चन्नी दलित समुदाय से आते हैं। पंजाब में दलितों की बहुत बड़ी आबादी है। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान ऐसा कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था कि चन्नी के बजाय किसी और को सीएम फेस बना दिया जाए।
  3. पंजाब में दलित को सीएम फेस बनाकर कांग्रेस ने अन्य राज्यों खासकर यूपी में भी दलित समुदाय को संदेश दिया कि कांग्रेस दलितों को आगे बढ़ाती है। चन्नी के सीएम फेस का फायदा कांग्रेस अन्य राज्यों में भी लेगी।
  4. पंजाब का सीएम बनने के बाद जिस तरह से चन्नी ने खुद को साधारण व्यक्ति के रूप में पेश किया और कई ऐसे फैसले लिए जो आम लोगों से जुड़े हैं उससे उन्होंने अलग पहचान बनाई।
  5. नवजोत सिंह सिद्धू सेलिब्रिटी रहे हैं, लेकिन चन्नी ने अपने मुख्यमंत्री रहते हुए खुद को राजनीतिक सेलिब्रिटी के रूप में पेश किया। वह सिद्धू पर भारी पड़े।

भोजपुरी फिल्मोद्योग २०३२ की तैयारियों में लगे : रामलाल

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख एवं भारतीय जनता पार्टी के पूर्व संगठन मंत्री श्री रामलाल ने भोजपुरी फिल्मों को ‘प्रसिद्धि से प्रतिष्ठा’ की ओर ले जाने का आह्वान करते हुए कहा कि “१९३२ में ग्रामोफ़ोन कम्पनी द्वारा भोजपुरी गाने की पहली रिकॉर्डिंग की गयी थी और पहली भोजपुरी फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो ‘ का प्रदर्शन १९६३ में हुआ था। भोजपुरी फिल्मों ने प्रसिद्धि बहुत प्राप्त कर ली है अब उसे प्रतिष्ठा पाने की ओर अपने पग बढ़ाने चाहिए। २०६३ में भोजपुरी फिल्मों का शताब्दी वर्ष मनाने के बड़े लक्ष्य को साधने के लिए पहले हमें २०३२ में भोजपुरी गीत -संगीत का शताब्दी वर्ष मनाने के लिए काम शुरू कर देना चाहिए।” वे खेतान अंतर्राष्ट्रीय विद्यालय (मुंबई ,मलाड ) के सभागार में भोजपुरी फिल्मोद्योग की प्रतिनिधि सभा को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख श्री सुनील आंबेकर और संस्कार भारती के संगठन महामंत्री श्री अभिजीत दादा गोखले भी उपस्थित थे।

श्री रामलाल ने स्मरण दिलाया कि भोजपुरी फिल्मों के निर्माण की प्रेरणा देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने दी थी और नजीर हुसैन ने विधवा विवाह के विषय को लेकर “गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो ” नामक फिल्म से इसकी नींव रखी है इसलिए लोकप्रियता के साथ -साथ प्रतिष्ठा प्राप्त करने का विशेष दायित्व भोजपुरी फिल्मोद्योग के कर्णधारों पर है। सिनेमा समाज का आइना ही नहीं होता , यह संस्कार -निर्माण का माध्यम भी होता है। भोजपुरी फिल्मों के द्वारा भोजपुर क्षेत्र की महान सामाजिक देनों और वहां की परम्पराओं का परिचय मिलना चाहिए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री सुनील आम्बेकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि समाज में कमियां स्वाभाविक है किन्तु हल के वर्षों में सामाजिक चेतना सकारात्मकता की ओर तीव्रता से बढ़ी है ,अब समाज अपनी समस्याओं का समाधान भी अपने स्तर से करने लगा है जिसका प्रत्यक्ष अनुभव कोविद काल में हमने देखा।आज लोगों में सहकार और सहयोग की भावना बढ़ी है। भोजपुरी फिल्मों के लिए विशेष उल्लेख करते हुए उन्होने कहा कि व्यावसायिक रूप से भी वे फ़िल्में सफलता के नए रेकार्ड बनाती हैं जो अपनी माटी का राग सुनाती हैं। श्री आम्बेकर ने संकेत दिया कि वीर कुंवर सिंह की धरती से अनजाने -अल्पज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियां भी भोजपुरी, मैथिली ,अंगिका तथा अन्य बोलियों की फिल्मों एवं वीडियो अल्बम के माध्यम से सामने आना चाहिए। स्वाधीनता की ७५ वीं वर्षगाँठ के अवसर पर इसके लिए केंद्र सरकार ने विशेष प्रोत्साहन की व्यवस्था भी की है। उनका लाभ उठाया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि समाज अपनी शक्ति से ही अपनी कमियों के दूर करता है , एकजुट होकर काम करता है। आज भारत के प्रति विदेशियों के परसेप्शन बदल रहे हैं। समस्याएं आती रहती हैं हमें अपने लक्ष्य के लिए समर्पित भाव से लगातार काम करना होता है। संघ पर ही तीन बार प्रतिबन्ध लगा लेकिन हमने समाज सुधार एवं सेवा के अपने काम जारी रखा। उसका परिणाम है कि आज भारतीय जनमानस में भी बदलाव दिख रहा है। देश के लोगों में स्वाभिमान पैदा हो रहा है जिससे राजनीतिक दाल भी बदली हुई भाषा बोलने को विवश हुए हैं।

संस्कार भारती के अखिलभारतीय संगठन महामंत्री अभिजीत दादा गोखले ने भोजपुरी फिल्मों के समक्ष चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघर्ष हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। जहाँ तक भोजपुरी की बात है यह भाषा कई राज्यों और देशों में बोली जाती है। विश्वस्तरीय इस भाषा के सिनेमा को विश्वस्तरीय बनाने के लिए अपनी कहानियों का चुनाव अपने सामजिक जीवन से करना होगा। ओ टी टी के बढ़ते प्रादुर्भाव से अब कहानियों की बड़ी है और यह मांग लगातार बढ़ेगी। अब जो सिनेमा जितना अधिक अनूठा कंटेंट देगा उसका महत्त्व उतना अधिक बढ़ेगा। इसलिए भोजपुरी फिल्मोद्योग को अपनी दिशा स्वयं चुननी है। उन्होने कहा कि देश की कला -संस्कृति , देश की महान गाथाओं का प्रदर्शन भी राष्ट्रभक्ति है।

संस्कार भारती ( कोंकण प्रान्त ) ने एक दिवसीय ‘भोजपुरी सिनेमा : आज और कल ” विषय पर परिचर्चा का आयोजन गत उन्नीस जनवरी को दो सत्रों में किया था। इसके पहले सत्र में “भोजपुरी सिनेमा मंथन ” और दूसरे सत्र में “भोजपुरी सिनेमा और राष्ट्रीयता ” के तहत विमर्श हुआ। इसमें भोजपुरी फिल्मोद्योग के प्रमुख निर्माता ,निर्देशक , लेखक , वितरक , और भोजपुरी चैनल के प्रमोटर ने भाग लिया। इस अवसर पर सुनील बुबना , अंजनी कुमार सिंह , विजय पांडे ,गजेंद्र सिंह , आनंद सिंह , पवन सिंह ,ऋतुराज पांडेय ,विनोद गुप्त , मनोज सिंह ,रणवीर सिंह ,देव पाण्डे ,मनीष जैन ,राजकुमार पण्डे और बृजभूषण ने भोजपुरी सिनेमा को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार से सहायता और मल्टीप्लेक्स में इसके प्रदर्शन की निश्चित व्यवस्था की मांग की।इस अवसर पर संस्कार भारती कोंकण के चिटपट आयाम प्रमुख योगेश कुलकर्णी ने सभी अतिथियों का स्वागत और संस्कार भारती कोंकण प्रान्त के उपाध्यक्ष अरुण शेखर ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख एवं भारतीय जनता पार्टी के पूर्व संगठन मंत्री श्री रामलाल ने भोजपुरी फिल्मों को ‘प्रसिद्धि से प्रतिष्ठा’ की ओर ले जाने का आह्वान करते हुए कहा कि “१९३२ में ग्रामोफ़ोन कम्पनी द्वारा भोजपुरी गाने की पहली रिकॉर्डिंग की गयी थी और पहली भोजपुरी फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो ‘ का प्रदर्शन १९६३ में हुआ था। भोजपुरी फिल्मों ने प्रसिद्धि बहुत प्राप्त कर ली है अब उसे प्रतिष्ठा पाने की ओर अपने पग बढ़ाने चाहिए। २०६३ में भोजपुरी फिल्मों का शताब्दी वर्ष मनाने के बड़े लक्ष्य को साधने के लिए पहले हमें २०३२ में भोजपुरी गीत -संगीत का शताब्दी वर्ष मनाने के लिए काम शुरू कर देना चाहिए।” वे खेतान अंतर्राष्ट्रीय विद्यालय (मुंबई ,मलाड ) के सभागार में भोजपुरी फिल्मोद्योग की प्रतिनिधि सभा को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख श्री सुनील आंबेकर और संस्कार भारती के संगठन महामंत्री श्री अभिजीत दादा गोखले भी उपस्थित थे।

श्री रामलाल ने स्मरण दिलाया कि भोजपुरी फिल्मों के निर्माण की प्रेरणा देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने दी थी और नजीर हुसैन ने विधवा विवाह के विषय को लेकर “गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो ” नामक फिल्म से इसकी नींव रखी है इसलिए लोकप्रियता के साथ -साथ प्रतिष्ठा प्राप्त करने का विशेष दायित्व भोजपुरी फिल्मोद्योग के कर्णधारों पर है। सिनेमा समाज का आइना ही नहीं होता , यह संस्कार -निर्माण का माध्यम भी होता है। भोजपुरी फिल्मों के द्वारा भोजपुर क्षेत्र की महान सामाजिक देनों और वहां की परम्पराओं का परिचय मिलना चाहिए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री सुनील आम्बेकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि समाज में कमियां स्वाभाविक है किन्तु हल के वर्षों में सामाजिक चेतना सकारात्मकता की ओर तीव्रता से बढ़ी है ,अब समाज अपनी समस्याओं का समाधान भी अपने स्तर से करने लगा है जिसका प्रत्यक्ष अनुभव कोविद काल में हमने देखा।आज लोगों में सहकार और सहयोग की भावना बढ़ी है। भोजपुरी फिल्मों के लिए विशेष उल्लेख करते हुए उन्होने कहा कि व्यावसायिक रूप से भी वे फ़िल्में सफलता के नए रेकार्ड बनाती हैं जो अपनी माटी का राग सुनाती हैं। श्री आम्बेकर ने संकेत दिया कि वीर कुंवर सिंह की धरती से अनजाने -अल्पज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियां भी भोजपुरी, मैथिली ,अंगिका तथा अन्य बोलियों की फिल्मों एवं वीडियो अल्बम के माध्यम से सामने आना चाहिए। स्वाधीनता की ७५ वीं वर्षगाँठ के अवसर पर इसके लिए केंद्र सरकार ने विशेष प्रोत्साहन की व्यवस्था भी की है। उनका लाभ उठाया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि समाज अपनी शक्ति से ही अपनी कमियों के दूर करता है , एकजुट होकर काम करता है। आज भारत के प्रति विदेशियों के परसेप्शन बदल रहे हैं। समस्याएं आती रहती हैं हमें अपने लक्ष्य के लिए समर्पित भाव से लगातार काम करना होता है। संघ पर ही तीन बार प्रतिबन्ध लगा लेकिन हमने समाज सुधार एवं सेवा के अपने काम जारी रखा। उसका परिणाम है कि आज भारतीय जनमानस में भी बदलाव दिख रहा है। देश के लोगों में स्वाभिमान पैदा हो रहा है जिससे राजनीतिक दाल भी बदली हुई भाषा बोलने को विवश हुए हैं।

संस्कार भारती के अखिलभारतीय संगठन महामंत्री अभिजीत दादा गोखले ने भोजपुरी फिल्मों के समक्ष चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघर्ष हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। जहाँ तक भोजपुरी की बात है यह भाषा कई राज्यों और देशों में बोली जाती है। विश्वस्तरीय इस भाषा के सिनेमा को विश्वस्तरीय बनाने के लिए अपनी कहानियों का चुनाव अपने सामजिक जीवन से करना होगा। ओ टी टी के बढ़ते प्रादुर्भाव से अब कहानियों की बड़ी है और यह मांग लगातार बढ़ेगी। अब जो सिनेमा जितना अधिक अनूठा कंटेंट देगा उसका महत्त्व उतना अधिक बढ़ेगा। इसलिए भोजपुरी फिल्मोद्योग को अपनी दिशा स्वयं चुननी है। उन्होने कहा कि देश की कला -संस्कृति , देश की महान गाथाओं का प्रदर्शन भी राष्ट्रभक्ति है।

संस्कार भारती ( कोंकण प्रान्त ) ने एक दिवसीय ‘भोजपुरी सिनेमा : आज और कल ” विषय पर परिचर्चा का आयोजन गत उन्नीस जनवरी को दो सत्रों में किया था। इसके पहले सत्र में “भोजपुरी सिनेमा मंथन ” और दूसरे सत्र में “भोजपुरी सिनेमा और राष्ट्रीयता ” के तहत विमर्श हुआ। इसमें भोजपुरी फिल्मोद्योग के प्रमुख निर्माता ,निर्देशक , लेखक , वितरक , और भोजपुरी चैनल के प्रमोटर ने भाग लिया। इस अवसर पर सुनील बुबना , अंजनी कुमार सिंह , विजय पांडे ,गजेंद्र सिंह , आनंद सिंह , पवन सिंह ,ऋतुराज पांडेय ,विनोद गुप्त , मनोज सिंह ,रणवीर सिंह ,देव पाण्डे ,मनीष जैन ,राजकुमार पण्डे और बृजभूषण ने भोजपुरी सिनेमा को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार से सहायता और मल्टीप्लेक्स में इसके प्रदर्शन की निश्चित व्यवस्था की मांग की।इस अवसर पर संस्कार भारती कोंकण के चिटपट आयाम प्रमुख योगेश कुलकर्णी ने सभी अतिथियों का स्वागत और संस्कार भारती कोंकण प्रान्त के उपाध्यक्ष अरुण शेखर ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

गिरफ्तार आरोपी पर 25 हजार रुपये इनाम था

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शामली का रहने वाला है आरोपी

लखनऊ। मुख्य संवाददाता

एसटीएफ ने गौ-तस्करी करने वाले गिरोह के सरगना माजीद उर्फ हाजी को भी शुक्रवार रात गिरफ्तार कर लिया। माजीद के दो साथियों को पिछले साल 23 दिसम्बर को ही गिरफ्तार किया गया था। इनमें गोण्डा का ग्राम प्रधान अनवर भी शामिल था। इन दोनों ने ही माजीद का नाम लिया था। शामली निवासी माजीद पर 25 हजार रुपये इनाम घोषित किया गया था। माजीद के खिलाफ कई जिलों में 18 मुकदमे दर्ज हैं।

एसटीएफ के डिप्टी एसपी धर्मेश कुमार शाही ने बताया कि माजीद के राजधानी एक्सप्रेस से लखनऊ आने की सूचना मिली थी। इस पर एक टीम रेलवे स्टेशन पर घेराबंदी करने पहुंच गई थी। शुक्रवार को माजीद जैसे ही ट्रेन से उतरा, उसे पकड़ लिया गया। माजीद ने एसटीएफ को बताया कि उसका पूरा गिरोह है। उसके साथ गोण्डा के कंचनपुर, देवरिया के ग्राम प्रधान अनवर और नंद किशोर भी इसमें साथ देते थे। इन दोनों को एसटीएफ ने दिसम्बर में ही गिरफ्तार कर लिया है। इसके बाद से ही माजीद सर्तक हो गया और ठिकाने बदल कर रहने लगा था। आरोपी को एसटीएफ ने पीजीआई के पास से पकड़ा था। उसे गोरखपुर के गीड़ा थाने में दर्ज गैंगस्टर के एक मामले में जेल भेजा गया है।