कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले हफ़्ते लोकसभा में कहा था कि मोदी सरकार ने चीन और पाकिस्तान को साथ लाकर सबसे बड़ा अपराध किया है.
राहुल गांधी ने कहा था, ”भारत की विदेश नीति में एक सबसे बड़ा लक्ष्य रहता था कि पाकिस्तान और चीन को क़रीब आने से रोकना है, लेकिन इस सरकार ने दोनों को साथ ला दिया है. भारत के लोगों के ख़िलाफ़ इस सरकार ने ऐसा कर सबसे बड़ा अपराध किया है.” राहुल गांधी की इस टिप्पणी का जवाब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तत्काल ट्विटर पर दिया था.
एस जयशंकर ने ट्वीट कर कहा था, ”राहुल गांधी ने लोकसभा में आरोप लगाया है कि हमारी सरकार ने पाकिस्तान और चीन को साथ कर दिया. इतिहास की सच्चाइयां ये हैं- 1963 में पाकिस्तान ने चीन को शाक्सगम घाटी सौंपी. चीन ने पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले कश्मीर से होते हुए 1970 के दशक में काराकोरम हाइवे बनाया. 1970 के दशक में ही दोनों देश परमाणु सहयोग को लेकर भी क़रीब आए. 2013 में चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर शुरू हुआ. ऐसे में आप ख़ुद से पूछिए कि क्या चीन और पाकिस्तान तब दूर थे?”
कई विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने को लेकर पाकिस्तान और चीन के क़रीब आने की बात कर रहे थे, लेकिन उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाने का ज़िक्र करने से परहेज़ किया.
कइयों का ये भी कहना है कि राहुल गांधी ये नहीं कह सकते कि मोदी सरकार में चीन और पाकिस्तान क़रीब आए, लेकिन ये बिल्कुल सच है कि देश की कोई भी सरकार दोनों देशों को क़रीब आने से रोकने में सफल नहीं रही है.
इमरान-जिनपिंग का संयुक्त बयान
इमरान ख़ान ने जब रविवार को बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाक़ात की और दोनों ने साझा बयान जारी किया तो यही लगा कि चीन-पाकिस्तान की क़रीबी लगातार बढ़ रही है और जानकारों के मुताबिक़, यह भारत के लिए चुनौती है. चीन और पाकिस्तान ने रविवार को कहा कि वे कश्मीर में किसी भी एकतरफ़ा कार्रवाई का विरोध करते हैं क्योंकि इससे कश्मीर मुद्दा जटिल हो जाता है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान चीन के दौरे पर हैं. रविवार को इमरान ख़ान की मुलाक़ात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई थी.
बीजिंग में हुई इस मुलाक़ात के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया. इस बयान में कहा गया है, ”दोनों देशों ने अपनी चिंताओं और अहम हितों से जुड़े मुद्दों पर एक दूसरे को मदद देने की बात दोहराई है. इस बात को भी रेखांकित किया गया कि दोनों देशों के बीच मज़बूत रक्षा सहयोग इस इलाक़े में शांति और स्थिरता के लिए बेहद अहम है.”