Home Entertainment भोजपुरी फिल्मोद्योग २०३२ की तैयारियों में लगे : रामलाल

भोजपुरी फिल्मोद्योग २०३२ की तैयारियों में लगे : रामलाल

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख एवं भारतीय जनता पार्टी के पूर्व संगठन मंत्री श्री रामलाल ने भोजपुरी फिल्मों को ‘प्रसिद्धि से प्रतिष्ठा’ की ओर ले जाने का आह्वान करते हुए कहा कि “१९३२ में ग्रामोफ़ोन कम्पनी द्वारा भोजपुरी गाने की पहली रिकॉर्डिंग की गयी थी और पहली भोजपुरी फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो ‘ का प्रदर्शन १९६३ में हुआ था। भोजपुरी फिल्मों ने प्रसिद्धि बहुत प्राप्त कर ली है अब उसे प्रतिष्ठा पाने की ओर अपने पग बढ़ाने चाहिए। २०६३ में भोजपुरी फिल्मों का शताब्दी वर्ष मनाने के बड़े लक्ष्य को साधने के लिए पहले हमें २०३२ में भोजपुरी गीत -संगीत का शताब्दी वर्ष मनाने के लिए काम शुरू कर देना चाहिए।” वे खेतान अंतर्राष्ट्रीय विद्यालय (मुंबई ,मलाड ) के सभागार में भोजपुरी फिल्मोद्योग की प्रतिनिधि सभा को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख श्री सुनील आंबेकर और संस्कार भारती के संगठन महामंत्री श्री अभिजीत दादा गोखले भी उपस्थित थे।

श्री रामलाल ने स्मरण दिलाया कि भोजपुरी फिल्मों के निर्माण की प्रेरणा देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने दी थी और नजीर हुसैन ने विधवा विवाह के विषय को लेकर “गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो ” नामक फिल्म से इसकी नींव रखी है इसलिए लोकप्रियता के साथ -साथ प्रतिष्ठा प्राप्त करने का विशेष दायित्व भोजपुरी फिल्मोद्योग के कर्णधारों पर है। सिनेमा समाज का आइना ही नहीं होता , यह संस्कार -निर्माण का माध्यम भी होता है। भोजपुरी फिल्मों के द्वारा भोजपुर क्षेत्र की महान सामाजिक देनों और वहां की परम्पराओं का परिचय मिलना चाहिए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री सुनील आम्बेकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि समाज में कमियां स्वाभाविक है किन्तु हल के वर्षों में सामाजिक चेतना सकारात्मकता की ओर तीव्रता से बढ़ी है ,अब समाज अपनी समस्याओं का समाधान भी अपने स्तर से करने लगा है जिसका प्रत्यक्ष अनुभव कोविद काल में हमने देखा।आज लोगों में सहकार और सहयोग की भावना बढ़ी है। भोजपुरी फिल्मों के लिए विशेष उल्लेख करते हुए उन्होने कहा कि व्यावसायिक रूप से भी वे फ़िल्में सफलता के नए रेकार्ड बनाती हैं जो अपनी माटी का राग सुनाती हैं। श्री आम्बेकर ने संकेत दिया कि वीर कुंवर सिंह की धरती से अनजाने -अल्पज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियां भी भोजपुरी, मैथिली ,अंगिका तथा अन्य बोलियों की फिल्मों एवं वीडियो अल्बम के माध्यम से सामने आना चाहिए। स्वाधीनता की ७५ वीं वर्षगाँठ के अवसर पर इसके लिए केंद्र सरकार ने विशेष प्रोत्साहन की व्यवस्था भी की है। उनका लाभ उठाया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि समाज अपनी शक्ति से ही अपनी कमियों के दूर करता है , एकजुट होकर काम करता है। आज भारत के प्रति विदेशियों के परसेप्शन बदल रहे हैं। समस्याएं आती रहती हैं हमें अपने लक्ष्य के लिए समर्पित भाव से लगातार काम करना होता है। संघ पर ही तीन बार प्रतिबन्ध लगा लेकिन हमने समाज सुधार एवं सेवा के अपने काम जारी रखा। उसका परिणाम है कि आज भारतीय जनमानस में भी बदलाव दिख रहा है। देश के लोगों में स्वाभिमान पैदा हो रहा है जिससे राजनीतिक दाल भी बदली हुई भाषा बोलने को विवश हुए हैं।

संस्कार भारती के अखिलभारतीय संगठन महामंत्री अभिजीत दादा गोखले ने भोजपुरी फिल्मों के समक्ष चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघर्ष हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। जहाँ तक भोजपुरी की बात है यह भाषा कई राज्यों और देशों में बोली जाती है। विश्वस्तरीय इस भाषा के सिनेमा को विश्वस्तरीय बनाने के लिए अपनी कहानियों का चुनाव अपने सामजिक जीवन से करना होगा। ओ टी टी के बढ़ते प्रादुर्भाव से अब कहानियों की बड़ी है और यह मांग लगातार बढ़ेगी। अब जो सिनेमा जितना अधिक अनूठा कंटेंट देगा उसका महत्त्व उतना अधिक बढ़ेगा। इसलिए भोजपुरी फिल्मोद्योग को अपनी दिशा स्वयं चुननी है। उन्होने कहा कि देश की कला -संस्कृति , देश की महान गाथाओं का प्रदर्शन भी राष्ट्रभक्ति है।

संस्कार भारती ( कोंकण प्रान्त ) ने एक दिवसीय ‘भोजपुरी सिनेमा : आज और कल ” विषय पर परिचर्चा का आयोजन गत उन्नीस जनवरी को दो सत्रों में किया था। इसके पहले सत्र में “भोजपुरी सिनेमा मंथन ” और दूसरे सत्र में “भोजपुरी सिनेमा और राष्ट्रीयता ” के तहत विमर्श हुआ। इसमें भोजपुरी फिल्मोद्योग के प्रमुख निर्माता ,निर्देशक , लेखक , वितरक , और भोजपुरी चैनल के प्रमोटर ने भाग लिया। इस अवसर पर सुनील बुबना , अंजनी कुमार सिंह , विजय पांडे ,गजेंद्र सिंह , आनंद सिंह , पवन सिंह ,ऋतुराज पांडेय ,विनोद गुप्त , मनोज सिंह ,रणवीर सिंह ,देव पाण्डे ,मनीष जैन ,राजकुमार पण्डे और बृजभूषण ने भोजपुरी सिनेमा को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार से सहायता और मल्टीप्लेक्स में इसके प्रदर्शन की निश्चित व्यवस्था की मांग की।इस अवसर पर संस्कार भारती कोंकण के चिटपट आयाम प्रमुख योगेश कुलकर्णी ने सभी अतिथियों का स्वागत और संस्कार भारती कोंकण प्रान्त के उपाध्यक्ष अरुण शेखर ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख एवं भारतीय जनता पार्टी के पूर्व संगठन मंत्री श्री रामलाल ने भोजपुरी फिल्मों को ‘प्रसिद्धि से प्रतिष्ठा’ की ओर ले जाने का आह्वान करते हुए कहा कि “१९३२ में ग्रामोफ़ोन कम्पनी द्वारा भोजपुरी गाने की पहली रिकॉर्डिंग की गयी थी और पहली भोजपुरी फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो ‘ का प्रदर्शन १९६३ में हुआ था। भोजपुरी फिल्मों ने प्रसिद्धि बहुत प्राप्त कर ली है अब उसे प्रतिष्ठा पाने की ओर अपने पग बढ़ाने चाहिए। २०६३ में भोजपुरी फिल्मों का शताब्दी वर्ष मनाने के बड़े लक्ष्य को साधने के लिए पहले हमें २०३२ में भोजपुरी गीत -संगीत का शताब्दी वर्ष मनाने के लिए काम शुरू कर देना चाहिए।” वे खेतान अंतर्राष्ट्रीय विद्यालय (मुंबई ,मलाड ) के सभागार में भोजपुरी फिल्मोद्योग की प्रतिनिधि सभा को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख श्री सुनील आंबेकर और संस्कार भारती के संगठन महामंत्री श्री अभिजीत दादा गोखले भी उपस्थित थे।

श्री रामलाल ने स्मरण दिलाया कि भोजपुरी फिल्मों के निर्माण की प्रेरणा देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने दी थी और नजीर हुसैन ने विधवा विवाह के विषय को लेकर “गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो ” नामक फिल्म से इसकी नींव रखी है इसलिए लोकप्रियता के साथ -साथ प्रतिष्ठा प्राप्त करने का विशेष दायित्व भोजपुरी फिल्मोद्योग के कर्णधारों पर है। सिनेमा समाज का आइना ही नहीं होता , यह संस्कार -निर्माण का माध्यम भी होता है। भोजपुरी फिल्मों के द्वारा भोजपुर क्षेत्र की महान सामाजिक देनों और वहां की परम्पराओं का परिचय मिलना चाहिए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री सुनील आम्बेकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि समाज में कमियां स्वाभाविक है किन्तु हल के वर्षों में सामाजिक चेतना सकारात्मकता की ओर तीव्रता से बढ़ी है ,अब समाज अपनी समस्याओं का समाधान भी अपने स्तर से करने लगा है जिसका प्रत्यक्ष अनुभव कोविद काल में हमने देखा।आज लोगों में सहकार और सहयोग की भावना बढ़ी है। भोजपुरी फिल्मों के लिए विशेष उल्लेख करते हुए उन्होने कहा कि व्यावसायिक रूप से भी वे फ़िल्में सफलता के नए रेकार्ड बनाती हैं जो अपनी माटी का राग सुनाती हैं। श्री आम्बेकर ने संकेत दिया कि वीर कुंवर सिंह की धरती से अनजाने -अल्पज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियां भी भोजपुरी, मैथिली ,अंगिका तथा अन्य बोलियों की फिल्मों एवं वीडियो अल्बम के माध्यम से सामने आना चाहिए। स्वाधीनता की ७५ वीं वर्षगाँठ के अवसर पर इसके लिए केंद्र सरकार ने विशेष प्रोत्साहन की व्यवस्था भी की है। उनका लाभ उठाया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि समाज अपनी शक्ति से ही अपनी कमियों के दूर करता है , एकजुट होकर काम करता है। आज भारत के प्रति विदेशियों के परसेप्शन बदल रहे हैं। समस्याएं आती रहती हैं हमें अपने लक्ष्य के लिए समर्पित भाव से लगातार काम करना होता है। संघ पर ही तीन बार प्रतिबन्ध लगा लेकिन हमने समाज सुधार एवं सेवा के अपने काम जारी रखा। उसका परिणाम है कि आज भारतीय जनमानस में भी बदलाव दिख रहा है। देश के लोगों में स्वाभिमान पैदा हो रहा है जिससे राजनीतिक दाल भी बदली हुई भाषा बोलने को विवश हुए हैं।

संस्कार भारती के अखिलभारतीय संगठन महामंत्री अभिजीत दादा गोखले ने भोजपुरी फिल्मों के समक्ष चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघर्ष हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। जहाँ तक भोजपुरी की बात है यह भाषा कई राज्यों और देशों में बोली जाती है। विश्वस्तरीय इस भाषा के सिनेमा को विश्वस्तरीय बनाने के लिए अपनी कहानियों का चुनाव अपने सामजिक जीवन से करना होगा। ओ टी टी के बढ़ते प्रादुर्भाव से अब कहानियों की बड़ी है और यह मांग लगातार बढ़ेगी। अब जो सिनेमा जितना अधिक अनूठा कंटेंट देगा उसका महत्त्व उतना अधिक बढ़ेगा। इसलिए भोजपुरी फिल्मोद्योग को अपनी दिशा स्वयं चुननी है। उन्होने कहा कि देश की कला -संस्कृति , देश की महान गाथाओं का प्रदर्शन भी राष्ट्रभक्ति है।

संस्कार भारती ( कोंकण प्रान्त ) ने एक दिवसीय ‘भोजपुरी सिनेमा : आज और कल ” विषय पर परिचर्चा का आयोजन गत उन्नीस जनवरी को दो सत्रों में किया था। इसके पहले सत्र में “भोजपुरी सिनेमा मंथन ” और दूसरे सत्र में “भोजपुरी सिनेमा और राष्ट्रीयता ” के तहत विमर्श हुआ। इसमें भोजपुरी फिल्मोद्योग के प्रमुख निर्माता ,निर्देशक , लेखक , वितरक , और भोजपुरी चैनल के प्रमोटर ने भाग लिया। इस अवसर पर सुनील बुबना , अंजनी कुमार सिंह , विजय पांडे ,गजेंद्र सिंह , आनंद सिंह , पवन सिंह ,ऋतुराज पांडेय ,विनोद गुप्त , मनोज सिंह ,रणवीर सिंह ,देव पाण्डे ,मनीष जैन ,राजकुमार पण्डे और बृजभूषण ने भोजपुरी सिनेमा को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार से सहायता और मल्टीप्लेक्स में इसके प्रदर्शन की निश्चित व्यवस्था की मांग की।इस अवसर पर संस्कार भारती कोंकण के चिटपट आयाम प्रमुख योगेश कुलकर्णी ने सभी अतिथियों का स्वागत और संस्कार भारती कोंकण प्रान्त के उपाध्यक्ष अरुण शेखर ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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