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सभी गऊ भक्तों से अपील – ‘गऊ ग्राम महोत्सव” The Festival of Cow कार्यक्रम से जुड़े और सहयोग करे

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मुंबई – विचारो से क्राँति का जन्म होता है ” गऊ ग्राम महोत्सव ” the Festival of Cow एक विचार है जिसके माध्यम से भारत वर्ष में काऊ बेस इकोनॉमी , अर्थव्यवस्था (Economy) को खड़ा करने का सामूहिक प्रयास है। जैसा कि आप जानते है पुरातन भारत वर्ष की अर्थव्यवस्था (Economy) एक समय में गऊ वंश पर ही आधारित थी , परन्तु समय और काल के अनुसार हम उसे भूलते गए , भारतीय गऊ वंश की निर्मम हत्या ने पृथ्वी को त्राहिमाम कर के रख दिया है , मानव जीवन आज उसके दुष्परिणामों को भोग रहा है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से हम भारतीय गऊ वंश के वैज्ञानिक महत्व के साथ – साथ हमारी गौवंश मानव और पृथ्वी के लिए कितनी उपयोगी है तथा तमाम विषयो के माध्यम से लोगो में जान जागृति लाने का काम करेंगे।
सनातन संस्कृति की रक्षा हेतु ” गऊ ग्राम महोत्सव ” the Festival of Cow एक माध्यम बनेगा , हमारा उद्देश्य यही है कि भारत के घर – घर में गऊ आधारित प्रॉडक्ट पहुंचे इससे हमारा समाज अपनी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को समझेगा , जब गऊ माता का वैभव बढ़ेगा तो यक़ीनन हमारी सनातन संस्कृति और उसकी पद्धति का भी विकास होगा।
ज्ञात हो कि राष्ट्रीय समाचारपत्र ” गऊ भारत भारती ” भारत का ऐसा पहला प्रकाशन है जिसे गौ वंश पर आधारित प्रथम साप्ताहिक के तौर पर जाना जाता है। “गऊ भारत भारती” गौ वंश के संरक्षण व संवर्धन से जुड़े व्यक्तियों व संस्थाओं की सक्रियताओं व गतिविधियों को प्रमुखता से प्रकाशित करता आ रहा है। इन ७ वर्षो में ” गऊ भारत भारती ” अपने छोटे प्रकाशन समूह और सीमित संसाधनों के बावजूद गौवंश को ले कर अप्रतिम व अनुपम सजगता के साथ गौवंश और पर्यावरण बचाओ अभियान को सफलता पूर्वक परिणाम तक पहुँचने में सफल रहा है।

” गऊ भारत भारती ” अपने माध्यम से गौ , गंगा , गीता , गायत्री के मूल मन्त्र को आत्मसात करते हुए इस विषय को जीवित रखने में ततपरता के साथ संघर्ष करते हुए देश में गौ वंश और पर्यावरण के साथ साथ हिन्दू सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार में मुख्य भूमिका निभाते हुए भारत के जनमानस में जागरूकता की ज्वाला जगाते हुए माँ भारती की सेवा कर रहा है।
अतः आप सभी से हमारा निवेदन है कि ” गऊ ग्राम महोत्सव ” the Festival of Cow के आयोजन में हमारा सहयोग करे , खुद जुड़े और लोगो को जोड़े , यह मात्र हमारा कार्यक्रम नहीं है यह आप सभी सनातनी भाईयों का कार्यक्रम है जिसे सफल करना है।

इस तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से हमें लोगो में नई चेतना का विकास करना है , क्योंकि चर्चा , परिचर्चा ही नए आंदोलन को खड़ा करता है। अब समय आ गया है कि हम सब एक जुट हो कर गऊ माता के वैभव को अमर करे और देश में काऊ बेस इकोनॉमी , अर्थव्यवस्था (Economy) को खड़ा करे।
भारत विश्व गुरु बने , हमारे गुरुकुल अमर हो , सनातन धर्म की जय हो , हर हिन्दू अमरत्व की प्राप्ति के लिए कार्य करे और आसुरी शक्तियों का नाश हो , इसी उम्मीद के साथ आप सभी से हर तरह से सहयोग की आशा करता हूँ।
– विशेष – 
भारत के सभी गऊ आधारित उत्पादन को बनाने वाले , गऊ माता के प्रचार , प्रसार में जुड़े लोग , के लिए यह एक साँझा मंच है जहा हम भारत वर्ष के सभी गौ भक्तों और गऊ आधारित प्रॉडक्ट बनाने वालो को आमंत्रित कर रहे है। साथ में भारत सरकार के पशुपालन व डेरी मंत्रालय के सभी लाभ कारी योजनाओं को भी इस मंच से प्रसारित कर रहे है। माननीय भारत के प्रधानमंत्री के उस सपने को साकार करने हेतु भी हम स्टार्टअप , वोकल फोर लोकल को बढ़ावा देने के लिए भी हम इस कार्यक्रम में यैसी संस्थाओं को आमंत्रित कर रहे है जो मागर्दर्शन करेंगे।
भारत सरकार से जुडी वित्तीय संस्थाए भी है जो स्टार्टअप , वोकल फोर लोकल जैसी योजनाओं को वित्तीय सहायता कैसे मिलेगी मागर्दर्शन करेंगी। ब्रांडिंग और मार्केटिंग , विज्ञापन से जुडी संस्थाएं भी है जो गऊ आधारित प्रॉडक्ट की मांग कैसे बढ़ाया जाएं वह उस पर अपने विचार और कार्यक्रम स्थल पर जनसम्पर्क करेंगी।
इस कार्यक्रम में आमंत्रित गऊ वैज्ञानिक , गऊ एक्सपर्ट , अपने अपने विचार रखेंगे जो सुबह के समय सेमीनार के माध्यम से होगा। कार्यक्रम में युवा को जोड़ने के लिए स्कूल , कॉलेज के छात्रों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सहभागिता करवाई जा रही है जैसे निबंध , कला , प्रतियोगिता इत्यादि।
कुल मिला कर हमारा यही प्रयास है कि गऊ माता के वैभव से सारा समाज परिचित हो और गऊ माता का संवर्धन हो। भारत विश्व गुरु बने।
गऊ भारत भारती को आर्धिक सहयोग की जरुरत है। आप सभी से निवेदन है कि आप सब मिल कर कार्यक्रम को सफल बनाने में हमारा सहयोग कर अपना योगदान दे। आर्धिक योगदान के लिए बैंक की डिटेल दी जा रही है।
Contact For More Information – 9768372509 

Name – GAU BHARAT BHARATI
A/C NO. – 922020007256005
Bank – AXIS BANK LTD
Branch – SV Road, Goregaon West Branch Mumbai
RTGS/NEFT IFS CODE – UTIB 0003449

PLEASE MAIL – ALL DETAILS – gaubharatbharti@gmail.com

जय गऊ माता – जय गोपाल
अपीलकर्ता
– संजय शर्मा ” अमान ”
आयोजन समिति सदस्य

 

 

इम्पा के प्रेसिडेंट अभय सिन्हा ने किया फिल्म ‘धर्मवीर’ के निदेशक प्रवीण तरडे को सम्मानित

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विद्या बालन, सोनाली कुलकर्णी, अमृता खानविलकर ने की समारोह में शिरकत

मुम्बई। फक्त मराठी सिने सम्मान पुरस्कार 2022 का आयोजन अंधेरी, मुंबई के अंधेरी में सम्पन्न हुआ। सम्मान समारोह में इंडियन मोशन पिक्चर्स असोसिएशन (इंपा) के प्रेसिडेंट अभय सिन्हा के अलावा मनोरंजन जगत की लोकप्रिय हस्तियों ने शिरकत किया जिसमें अभय सिन्हा, विद्या बालन, सचिन पिलगांवकर और उनकी पत्नी सुप्रिया, सोनाली कुलकर्णी, अमृता खानविलकर, सिद्धार्थ जाधव, आदिनाथ कोठारे तथा वर्षा उसगांवकर, पावर युगल अशोक और निवेदिता शराफ, मुकेश ऋषि, विजय पाटकर आदि प्रमुख थे। इस अवसर पर ठाणे शहर और जिले में शिवसेना पार्टी की स्थापना करने वाले धर्मवीर आनंद दिघे की बायोपिक फिल्म ‘धर्मवीर मुकाम पोस्ट ठाणे’ के लेखक तथा निर्देशक प्रवीण विट्ठल तरडे को इंपा के प्रेसिडेंट अभय सिन्हा ने अवार्ड प्रदान किया। धमवीर को इस फिल्म में कुल सात पुरस्कार प्रदान किए गए जिसमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म के साथ-साथ सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ लेखन के लिए प्रवीण विट्ठल तरडे, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता प्रसाद ओक, सर्वश्रेष्ठ गीतकार मंगेश कंगने, सर्वश्रेष्ठ गायक आदर्श शिंदे, सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम डिजाइन विद्याधर भट्टे को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर फक्त मराठी सिने सम्मान 2022 के आयोजक भी मौजूद थे।
अभय सिन्हा ने इस अवसर पर कहा कि कला कलाकार की आराधना होती है। मराठी सिनेमा लगातार तरक्की कर रहा है और फक्त मराठी सिने सम्मान तथा मराठी सिनेमा से जुड़े सभी लोगों का मेरा हृदय से आभार।

*दक्ष फाउंडेशन का उद्देश्य है असहाय लोगों की सहायता करना*

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मुम्बई। दक्ष फाउंडेशन का उद्देश्य वंचितों का सहयोग, गरीब परिवार को चिकित्सा और शिक्षा में सहयोग, महाराष्ट्र में प्रवासियों का साथ व विकास, गौ सेवा, कानूनी सलाह प्रदान करना है। सिर्फ प्रजापति समुदाय ही नहीं सभी समाज के लोगों की मदद के लिए यह संस्था है। समाज के लोगों को जागरूक करना भी हमारा ध्येय है, यह बातें दक्ष फाउंडेशन के अध्यक्ष सुरेश प्रजापति ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कही। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की जरूरत है। गरीबी के कारण अच्छी शिक्षा प्राप्त करना मुश्किल हो गया है। अतः सरकार को उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। दक्ष फाउंडेशन मानव सेवा संस्था है जो कि पूरे भारत में कार्य कर रही है। संस्था के वेबसाइट में ऑनलाइन जाकर अपनी समस्याओं का विवरण प्रेषित कर सकते हैं। महाराष्ट्र हमारी कर्मभूमि है जहाँ हम सभी प्रवासी भाई एकजुट होकर कार्य कर रहे हैं। उत्तरशक्ति समाचार पत्र के माध्यम से संस्था से जुड़े सभी भाई बहन अपनी समस्याओं को प्रकाशित करवा सकते हैं। उनके उचित समाधान के लिए पदाधिकारी कार्य करेंगे। पुलिस व कानूनी व्यवधान में निपटारा, स्कूली शिक्षा में सहयोग, जरूरतमंदों को राशन दिलाने में हम पूरा प्रयास करते हैं। सबसे अपील है कि सच्चाई के साथ चलें हर विपत्ति में आपके साथ दक्ष फाउंडेशन कंधे से कंधा मिला कर खड़ा रहेगा।
त्रिलोकी प्रजापति ने कहा राजा दक्ष के वंशज हैं हम, प्रजापति किसान, कुम्हार हैं। निर्बलों को न्याय और हक मिले। पूरे भारत में गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम जिससे उन्हें बुनियादी चीजों का लाभ मिल सके, शिक्षा व स्वास्थ्य लाभ से वंचितों की सहायता करना संस्था का उद्देश्य है।
रविवार को बोरीवली पूर्व स्थित लोहार सुतार वाड़ी सभागृह में दक्ष फाउंडेशन द्वारा कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित हुआ जहां सैकड़ों लोग पहुंचे। कार्यक्रम का संचालन ओ पी प्रजापति ने किया।
इस सम्मेलन में उपस्थित भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व समाजसेविका अपर्णा पाटिल ने सभी लोगों से संस्था से जुड़ने की अपील की। साथ ही महिलाओं को भी अधिक से अधिक जोड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने नारी शक्ति पर जोर देते हुए कहा कि महिलाओं के जुड़ने से संस्था और आगे बढ़ेगी। सुरेश प्रजापति जी मेरे भाई हैं, वे नेकदिल इंसान हैं और निःस्वार्थ भाव से लोगों का साथ देते हैं। आपके अच्छे कार्यों में हमेशा मेरा साथ रहेगा।
बता दें कि संगठन से छोटे बड़े व्यापारी, नौकरीपेशा लोग जुड़े हैं और अन्य समाज के लोग भी दक्ष फाउंडेशन से जुड़ रहे हैं। यह संस्था तीन वर्ष से सतत कार्यरत है। इस कार्यक्रम में पहुंचे पत्रकारों को पुष्प, शॉल व पेन देकर सम्मानित किया गया।

किताबों के टाइटल में आपकी शब्द प्रतिभा झलकती है – पीएम मोदी

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निवर्तमान उप-राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू के विदाई भाषण में आज पीएम मोदी ने उनकी जमकर तारीफ की। खास तौर पर उनकी वाकपटुता की प्रशंसा करते हुए उनकी भाषण कला का लोहा माना। पीएम ने कहा- किताबों के टाइटल में आपकी शब्द प्रतिभा झलकती है, जिसके लिए आप जाने जाते हैं। आपके वन लाइनर्स, विन लाइनर्स भी होते हैं। यानि उसके बाद कुछ और कहने की जरूरत ही नहीं रह जाती है। आपके हर शब्द लोग सुनते हैं और कभी विरोध नहीं करते हैं। कैसे कोई अपनी भाषा की ताकत के रूप में और सहजता से, इस सामर्थ्य के लिए जाना जाए और उस कौशल से स्थितियों की दिशा मोड़ने का सामर्थ्य रखे, मैं इसके लिए आपको बधाई देता हूं। हम जो भी कहते हैं, वो महत्वपूर्ण तो होता है, लेकिन जिस तरीके से कहते हैं उसकी अहमियत ज्यादा होती है।
आपकी बातों में गहराई भी होती है और गंभीरता भी
किसी भी संवाद की सफलता का पैमाना यही होता है कि उसका गहरा प्रभाव हो और लोग उसे याद रखें और जो भी कहें उसके बारे में लोग सोचने पर मजबूर हों। अभिव्यक्ति की इस कला मे वेंकैया जी की दक्षता, उस बात से सदन के अंदर और बाहर देश के लोग भलीभांति परिचित हैं। आपकी अभिव्यक्ति का अंदाज जितना बेबाक है, उतना ही बेजोड़ भी है। आपकी बातों में गहराई भी होती है और गंभीरता भी होती है। संवाद का आपका तरीका मर्म को छू जाता है और सुनने में मधुर भी लगता है।
खड़गे ने शायरी से जीता दिल 
विदाई भाषण में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जिस तरह पहली पंक्ति के लोगों को खाना अधिक मिलता है उसी तरह संसद में भी पहले बोलने वालों को अधिक समय मिलता है। इस पर वेंकैया नायडू ने कहा कि आप निश्चिंत रहें, आप जिस भी पंक्ति में रहे सब कुछ मिलेगा। खड़गे ने कहा कि मेरी और आपकी विचारधारा अलग है, उसकी मैं यहां चर्चा नहीं करना चाहता। आपसे मेरी कुछ शिकायतें भी हो सकती है लेकिन यह सही वक्त नहीं है। दबाव में रहते हुए भी आपने अपनी भूमिका निभाई, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। मैं चंद लाइनों में अपनी बात रखना चाहता हूं- अगर तलाश करूं तो कोई मिल जाएगा, मगर आपकी तरह कौन हमें मिलेगा। आपके साथ से यह मंजर रौनक जैसा है, आपके बाद मौसम बहुत सताएगा। (खड़गे की इस शायरी पर सदन में जमकर ठहाके लगे।)  कहां आंसुओं की ये सौगात होगी, नए लोग होंगे, नई बात होगी, चिरागों को आंखों में महफूज रखना, बड़ी दूर तक रात ही रात होगी। मुसाफिर हैं हम, मुसाफिर हो तुम भी, किसी न किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी।
डेरेक ओ ब्रायन ने कसे तंज 
वहीं, तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने राज्यसभा में निवर्तमान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के विदाई भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि नायडू ने शायद इस बात के लिए कड़ी मेहनत की होगी कि पीएम मोदी अपने पूरे कार्यकाल में एक प्रश्न का उत्तर दें लेकिन ऐसा नहीं हुआ। डेरेक ने चुटकी लेते हुए कहा कि 20 सितंबर, 2020 को जिस दिन उच्च सदन ने अब निरस्त किए गए कृषि विधेयकों को पारित किया, वह कुर्सी पर नहीं थे। हो सकता है कि किसी दिन आप अपनी आत्मकथा में इसका उत्तर देंगे।
तृणमूल सांसद ने तब नायडू को ईंधन की कीमतों पर उनके भावुक भाषण की भी याद दिलाई, जबकि भाजपा विपक्ष में थी। उन्होंने कहा, 2 सितंबर 2013 को आपने सदन में पेट्रोल-डीजल पर जोशीला भाषण दिया था। एक दिन शायद आप हमें अपनी आत्मकथा में बताएंगे कि फिर क्यों ऐसा हुआ। अपने हमले को जारी रखते हुए ओ’ब्रायन ने कहा कि नायडू ने 2013 में भी फोन-टैपिंग के संबंध में हस्तक्षेप किया था, लेकिन अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उच्च सदन में पेगासस पर कोई चर्चा नहीं हुई।

शिंदे सरकार का कैबिनेट विस्तार मंगलवार को होगा

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महाराष्ट्र कैबिनेट के विस्तार को लेकर बड़ी खबर आ रही है। सूत्रों के मुताबिक, शिंदे सरकार का कैबिनेट विस्तार कल यानी मंगलवार को होगा। महाराष्ट्र सरकार में 15 मंत्री हो सकते हैं। सभी कल सुबह 11 बजे राजभवन में शपथ  ग्रहण करेंगे। बताया यह भी जा रहा है कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को गृह मंत्रालय का अहम जिम्मा सौंपा जा सकता है।
इससे पहले उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ 30 जून को ली थी। तब से सरकार दो सदस्यीय मंत्रिमंडल के रूप में काम कर रही है। रिपोर्ट्स की मानें तो शिंदे सरकार में भाजपा से सुधीर मुनगंटीवार, चंद्रिकांत पाटिल, गिरीश महाजन को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। इसमें शिंदे खेमे से गुलाब राव पाटिल, सदा सावरकर, दीपक केसरकर को भी शामिल किया जा सकता है।
इससे पहले कैबिनेट विस्तार को लेकर शिंदे-फडणवीस सरकार विपक्ष के निशाने पर रही है। अजित पवार ने हाल ही में कहा था कि महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार में इसलिए देर की जा रही है, क्योंकि शिंदे-फडणवीस की जोड़ी को दिल्ली से ग्रीन सिग्नल नहीं मिला है। हम लगातार सीएम से कैबिनेट विस्तार और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए मंत्री नियुक्त करने की मांग कर रहे हैं। राज्य में भारी बारिश और किसानों के मुद्दे भी सिर उठा रहे हैं, लेकिन जब तक दिल्ली से हरी झंडी नहीं मिल जाएगी, तब तक सरकार में कैबिनेट विस्तार नहीं होगा। उन्होंने कहा था कि कैबिनेट विस्तार राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव पूरे होने के बाद ही होगा।

इस पर फडणवीस ने अजित पवार के इन तंजों का जवाब देते हुए कहा कि वे विपक्ष के नेता हैं। उन्हें यह सब कहना ही पड़ेगा। अजित दादा अपनी मर्जी से भूल जाते हैं कि जब वे सरकार में थे, तब पहले 32 दिन सिर्फ पांच मंत्री ही थे। बता दें कि उद्धव सरकार के पहले एक महीने में अजित पवार ही डिप्टी सीएम नियुक्त किए गए थे।

शांता फाउंडेशन ने फ्रेंडशिप डे पर पूरा किया 365 दिन गौ सेवा संकल्प

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बिलासपुर। विश्व फ्रेंडशिप डे पर शांता फाउंडेशन ने 365 दिन गौस सेवा का संकल्प पूरा किया। संस्था के सदस्यों ने इस दिन को खास बनाने जुटे हुए हैं। एक वर्ष के भीतर सदस्यों ने 3650 रोटियां एकत्र की।शांता फाउंडेशन बिलासपुर के द्वारा गौ सेवा के लिए प्रतिदिन 100 रोटी गुड़ के संकल्प को एक वर्ष पूर्ण हो गया इस दौरान संस्था के सभी सदस्यों से अपने घरों से रोटियाँ बनवा के हमें सहयोग के रूप में देने की अपील की,सभी ने बढ़ चढ़ कर हमारे कार्यालय में रोटियां भेजवाई इस दौरान हमे 3650 रोटियां एकत्रित हुईं।

शांता फाउंडेशन परिवार अपने जीव दया व सामाजिक सरोकरता के संकल्प को एक और कदम आगे बढ़ाते हुए एक नए संकल्प के साथ न्यायधानी बिलासपुर की इस पुण्य धरा को वृन्दावन बनाने के लिए कृष्ण की प्यारी गय्या मय्या की सेवा के लिए गौ रोटी सेवा का संकल्प पूरा किया। इसी सहयोग की हम आशा करते है की आप सभी इस रोटी सेवा संकल्प में हमारे साथ रहे और आगे साथ बनाये रखेंगे।

 

शांता फाउंडेशन के संस्थापक समाजसेवी नीरज गेमनानी ने कहा कि गौ रोटी सेवा से न्यायधानी बिलासपुर व अन्य जगहों में गय्या मय्या को भूखा और बीमार न रहने देंगे।आप भी गय्या मय्या से प्रेम करते है या गय्या मय्या की सेवा करना चाहतें है तो आप अपने जन्मदिवस बच्चो के जन्मदिवस शादी की सालगिरह माता पिता के या गुरुदेव के जन्मदिवस ईष्ट की कृपा या पितरो की शांति के लिए आप भी शांता फाउंडेशन बिलासपुर परिवार के इस सेवा के साथ जुड़े और दूसरे लोगो को भी इस परम पुनीत पुण्यशाली सत्यसनातन धर्म के काम के सहयोग करे।

Cow Economy- गौ आधारित खेती से शरीर से लेकर जमीन तक को फायदा

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मोतिहारी। गाय आधारित खेती में फसलों पर पेस्टिसाइड का उपयोग नहीं होता।जिससे भूमी मे रोग-प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।गांधी जी की ग्राम स्वराज मे भी गाय आधारित गांव की कल्पना की गई है।उक्त विचार कृषि विज्ञान केंद्र, परसौनी के मृदा वैज्ञानिक डा.आशीष राय ने बताते हुए कहा कि भारत में मानव जीवन के लिए गाय की उपयोगिता का उल्लेख धर्म-शास्त्रों और वेद-पुराणों में भी मिलता है।पुरातन काल की पूरी खेती संरचना गाय आधारित हुआ करती थी।जिसका स्वरूप अब बदल रहा है।जिस कारण मानव जीवन मे कई तरह के रोग भी बढ रहे है।

उन्होंने बताया कि पूर्वी चंपारण जिले के अरेराज प्रखंड के सिरनी, मिश्रौलिया गांव के किसान ने देसी गाय आधारित खेती को अपनाकर न केवल अच्छी उपज प्राप्त किये है बल्कि इस गौ आधारित खेती के कारण उनकी खेती मे लागत भी घटकर महज 5-6 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर तक आ गया है।उन्होंने बताया कि अरेराज के किसान रविभूषण सिंह ने रासायनिक खाद और दवाइयों का उपयोग बिल्कुल बंद कर चुके है।मौके पर उपस्थित किसान रवि भूषण सिंह बताते हैं, मेरे पास लगभग 15 एकड जमीन है, जिसमें गेहूं, धान, फल, सरसो, भिंडी, बैगन, प्याज, मिर्च और अन्य हरी सब्जियां उगाता हूं। शुरुआत में भिंडी के बीज बोए थे तब मैंने खेत में पेस्टिसाइड का उपयोग नहीं किया। सिर्फ गाय के गोबर और गो-मूत्र का ही उपयोग किया और देखा कि अच्छी फसल तैयार हो गई है फसल का टेस्ट भी पहले की तुलना में बहुत अच्छा था।
रवि भूषण सिंह ने बताया कि कि इस प्रयोग से रासायनिक खाद और दवाइयों का काफी खर्च बच गया है। जहां पहले 20-25 हजार रुपए तक खर्च हो जाते थे, उसकी जगह अब एक फसल में 4 से 5 हजार रुपए ही खर्च हुए।उन्होने बताया गाय के गोबर व गोमूत्र से घर पर ही जीवामृत, पंचगव्य, केचुआ खाद जैसी जैविक खाद बनाकर खेती कर रहा हुँ।उन्होने बताया कि तीन साल पहले कृषि एवं मृदा विशेषज्ञ आशीष राय, कृषि विज्ञान केंद्र परसौनी के संपर्क में आए थे तभी से गाय आधारित खेती की शुरुआत की है।
उन्होंने इसके लिए कई ट्रेनिंग भी ली थी। इसके बाद उन्होंने गांव के पास स्थित अपनी गौशाला से रोजाना गोबर और गो-मूत्र का उपयोग से विभिन्न प्रकार के जैविक खाद बनाकर अपनी फसलों पर किया।फसलों पर इसका अच्छा फायदा होते देख उन्होने गिर नस्ल की गायें खरीदी।अब घर पर ही जीवामृत,पंचगव्य बनाकर फसलों पर छिड़काव करना शुरू किया।

बताते चले कि रवि भूषण सिंह के इस प्रयोग से अब आसपास के अन्य किसान भी प्रेरित होकर ऐसा प्रयोग शुरू कर दिया है।अब तो किसानों ने इसके लिए ग्रुप बनाकर रासायनिक खाद रहित फसलों के बारे में गांव-गांव में लोगों को बता रहे है।

-गौ आधारित खेती से शरीर से लेकर जमीन तक को फायदा

डा.आशीष राय व किसान रविभूषण सिंह ने बताया कि गौ आधारित खेती से भूमी के साथ मानव शरीर मे भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है,ऐसा इसलिए क्योंकि फसलों पर पेस्टिसाइड का उपयोग नहीं होता।साथ ही गोबर के प्रयोग से जमीन ठोस नहीं होती और जिस कारण हल भी आसानी से चलते हैं।डा.राय ने बताया कि गौ आधारित खेती अपनाने से क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या से भी निपटा जा सकता है।
उन्होने बताया खेतों में पेस्टिसाइड के उपयोग से जमीन की उर्वरता का क्षरण के साथ मृदा मे उपलब्ध जलवायु अनुकुल कई कीट भी मर जाते है।इससे प्रकृति के साथ मानव शरीर मे कैंसर, डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ रहा है। गौ आधारित जैविक खेती से इन समस्याओं से निपटने के साथ ही किसान अपने खेती की लागत भी कम कर सकते है।
डा.आशीष राय ने बताया जो किसान जैविक खाद से युक्त खेती करना चाहते है वे पूर्वी चंपारण जिले के पहाड़पुर प्रखंड स्थित कृषि विज्ञान केंद्र परसौनी से संपर्क कर सकते है।यहां किसानो को महज 6-7 दिनों की ट्रेनिंग देकर रसायनिक खादो के कई विकल्प बनाने ट्रेनिंग दिया जायेगा।जिसके बाद किसान खुद घर पर जैविक खाद तैयार कर सकते हैं।

इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में फीचर फिल्म ‘द रेपिस्ट’ प्रदर्शित होगी

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बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, लंदन इंडियन फिल्म फेस्टिवल, कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, केरल के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में तारीफ बटोरने के बाद, अब अप्लॉज एंटरटेनमेंट की पहली फीचर फिल्म ‘द रेपिस्ट’ को अगस्त में आयोजित इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ मेलबर्न में प्रदर्शित किया जाएगा। इस फिल्म को ‘फिल्म फेस्टिवल ऑफ मेलबर्न’ में तीन नॉमिनेशन्स भी मिले हैं जिनमें ‘बेस्ट फिल्म’, ‘बेस्ट डायरेक्टर’ और ‘बेस्ट एक्ट्रेस’ शामिल हैं। बता दें, इससे पहले फिल्म बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रतिष्ठित किम जिसोक अवॉर्ड जीत चुकी है।
फीचर फिल्म ‘द रेपिस्ट’ को हर जगह से काफी धमाकेदार रिस्पॉन्स मिल रहा है। इससे पहले अप्लॉज एंटरटेनमेंट कई सफल प्रीमियम ड्रामा सीरीज दे चुका है जिसमें  ‘क्रिमिनल जस्टिस’, ‘रुद्र: द एज ऑफ डार्कनेस’ और  ‘स्कैम 1992 : द हर्षद मेहता स्टोरी’ भी शामिल है।
अब अप्लॉज एंटरटेनमेंट ने फिल्मों की दुनिया में कदम रखा है और ‘द रेपिस्ट’ के साथ इसकी शुरूआत काफी सॉलिड हुई है जिसे दुनिया भर में सेलिब्रेट किया जा रहा हैं। यह फिल्म राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता अपर्णा सेन द्वारा निर्देशित और क्वेस्ट फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से अप्लॉज एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित है।
*अप्लॉज एंटरटेनमेंट के बारे में :
 
अप्लॉज एंटरटेनमेंट एक प्रमुख कंटेंट और आईपी क्रिएशन स्टूडियो है जो प्रीमियम ड्रामा सीरीज, मूवी, डॉक्यूमेंट्री और एनिमेशन कंटेंट पर फोकस करता है।
मीडिया के दिग्गज समीर नायर के नेतृत्व में आदित्य बिरला ग्रुप का वेंचर, स्टूडियो ने कई शैलियों और भाषाओं में लोकप्रिय सीरीज को प्रोड्यूस और रिलीज किया है जिसमें ‘रुद्र: द एज ऑफ डार्कनेस’, ‘मिथ्या’, ‘क्रिमिनल जस्टिस’, ‘स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी’, ‘अनदेखीं,’ ‘भौकाल’ जैसे क्रिटिकली अक्लेम्ड शो शामिल हैं। इन शोज को दर्शकों ने सराहा है। हाल में प्रोडक्शन में थिएट्रिकल और डायरेक्ट-टू-स्ट्रीमिंग फिल्मों की एक मजबूत स्लेट है जिसमें ‘शर्माजी की बेटी’, ‘जब खुली किताब’ जैसी कुछ और फिल्में शामिल हैं। अप्लॉज की पहली फीचर फिल्म द रेपिस्ट, जिसे अपर्णा सेन ने डायरेक्ट किया है।
‘अप्लॉज’ ने अपने क्रिएटिव आउटपुट के लिए नेटफ्लिक्स, डिज़नी प्लस हॉटस्टार, अमेज़न प्राइम वीडियो, सोनी लिव, एमएक्स प्लेयर, ज़ी5 और वूट सेलेक्ट जैसे प्रमुख ओटीटी प्लेटफार्म्स के साथ भागीदारी की है।
प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय

रक्षाबंधन विशेष – भाई-बहन के अटूट रिश्ते के क्या है मायने ?

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भाई-बहन का रिश्ता दुनिया के सभी रिश्तों में सबसे ऊपर है।  हो भी न क्यों, भाई-बहन दुनिया के सच्चे मित्र और एक-दूसरे के मार्गदर्शक होते है। जब बहन शादी करके ससुराल चली जाती है और भाई नौकरी के लिए घर छोड़कर किसी दूसरे शहर चला जाता है तब महसूस होता है कि भाई-बहन का ये सर्वोत्तम रिश्ता कितना अनमोल है।

सरहद पर खड़ा एक सैनिक भाई अपनी बहन को कितना याद करता है और बहनों की ऐसे वक़्त क्या दशा होती है इसके लिए शब्द नहीं है।  रंग-बिरंगे धागे से बंधा ये पवित्र बंधन सदियों पहले से हमारी संस्कृति से बहुत ही गहराई के साथ जुड़ा हैं। यह पर्व उस अनमोल प्रेम का, भावनाओं का बंधन है जो भाई को सिर्फ अपनी बहन की नहीं बल्कि दुनिया की हर लड़की की रक्षा करने हेतु वचनबद्ध करता है।

 

भाई-बहन के आपसी अपनत्व, स्नेह और कर्तव्य बंधन से जुड़ा त्योहार भाई-बहन के रिश्ते में नवीन ऊर्जा और मजबूती का प्रवाह करता है। बहनें इस दिन बहुत ही उत्साह के साथ अपने भाई की कलाई में राखी बांधने के लिए आतुर रहती हैं। जहां यह त्योहार बहन के लिए भाई के प्रति स्नेह को दर्शाता है तो वहीं यह भाई को उसके कर्तव्यों का बोध कराता है।

रक्षाबंधन भाई बहन के रिश्ते का त्योहार है, रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है। रक्षाबंधन के दिन बहने भगवान से अपने भाईयों की तरक्की के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है।

वास्तव में ये त्योहार  से रक्षा के साथ जुड़ा हुआ है, जो किसी की भी रक्षा करने को प्रतिबद्ध करता है। अगर इस पवित्र दिन अपनी बहन के साथ दुनिया की हर लड़की की रक्षा का वचन लिया जाए तो सही मायनों में इस त्योहार का उद्देश्य पूर्ण हो सकेगा। इस पावन त्योहार का अपना एक अलग स्वर्णिम इतिहास है, लेकिन बदलते समय के साथ बाकी रिश्तों की तरह इसमें भी बहुत से बदलाव आए हैं।

 

जैसे-जैसे आधुनिकता हमारे मूल्यों और रिश्तों पर हावी होती जा रही है। संस्कृति में पतन के फलस्वरूप रिश्तों में मजबूती और प्रेम की जगह दिखावे ने ले ली है।  आज के बदलते समय में इस त्योहार पर भी आधुनिकता हावी होने लगी है, तब से आज तक यह परंपरा तो चली आ रही है लेकिन कहीं न कहीं हम अपने मूल्यों को खोते जा रहे हैं।

रंग-बिरंगे धागों में अब अपनत्व की भावना और प्रेम की गर्माहट कम होने लगी है। एक समय में जिस तरह के उसूल और संवेदना राखी को लेकर थी शायद अब उनमें अब रुपयों के नाम की दीमक लगने लगी है फलस्वरूप रिश्तों में प्रेम की जगह पैसे लेने लगे हैं। ऐसे में संस्कृति और मूल्यों को बचाने के लिए आज बहुत जरूरत है दायित्वों से बंधी राखी का सम्मान करने की। क्योंकि राखी का ये अनमोल रिश्ता महज कच्चे धागों की परंपरा भर नहीं है।  लेन-देन की परंपरा में प्यार का कोई मूल्य भी नहीं है ।

 

बल्कि जहां लेन-देन की परंपरा होती है वहां प्यार तो टिक ही नहीं सकता, अटूट रिश्तें कैसे बन पाएंगे। इतिहास मे कृष्ण और द्रौपदी की कहानी प्रसिद्ध है, जिसमे युद्ध के दौरान श्री कृष्ण की उंगली घायल हो गई थी, श्री कृष्ण की घायल उंगली को द्रौपदी ने अपनी साड़ी मे से एक टुकड़ा बाँध दिया था, और इस उपकार के बदले श्री कृष्ण ने द्रौपदी को किसी भी संकट मे द्रौपदी की सहायता करने का वचन दिया था। रक्षा बंधन की कथाएं बताती हैं कि पहले खतरों के बीच फंसी बहन का साया जब भी भाई को पुकारता था, तो दुनिया की हर ताकत से लड़ कर भी भाई उसे सुरक्षा देने दौड़ पड़ता था और उसकी राखी का मान रखता था।

कहते हैं, मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली। रानी लड़ऩे में असमर्थ थी अत: उसने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेज कर रक्षा की याचना की। हुमायूँ ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुँच कर बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती व उसके राज्य की रक्षा की। जब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया तब उनकी तर्जनी में चोट आ गई। द्रौपदी ने उस समय अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उँगली पर पट्टी बाँध दी। यह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था।

कृष्ण ने इस उपकार का बदला बाद में चीरहरण के समय उनकी साड़ी को बढ़ाकर चुकाया। कहते हैं परस्पर एक दूसरे की रक्षा और सहयोग की भावना रक्षाबन्धन के पर्व में यहीं से प्रारम्भ हुई। आज एक बार फिर भातृत्व की सीमाओें को बहन फिर चुनौती दे रही है, क्योंकि उसके उम्र का हर पड़ाव असुरक्षित है, उसकी इज्जत एवं अस्मिता को बार-बार नोचा जा रहा है।

लड़कों से ज्यादा बौद्धिक प्रतिभा होते हुए भी उसे ऊंची शिक्षा से वंचित रखा जाता है, क्योंकि आखिर उसे घर ही तो संभालना है। उसे नयी सभ्यता और नयी संस्कृति से अनजान रखा जाता है, ताकि वह भारतीय आदर्शों व सिद्धांतों से बगावत न कर बैठे।

 

इन विपरीत हालातों में उसकी योग्यता, अधिकार, चिंतन और जीवन का हर सपना कसमसाते रहते हैं। इसलिए मेरा मानना है कि राखी के इस परम पावन पर्व पर भाइयों को ईमानदारी से पुनः अपनी बहन ही नहीं बल्कि संपूर्ण नारी जगत की सुरक्षा और सम्मान करने की, कसम लेने की अहम जरूरत है। तभी ये राखी का पावन पर्व सार्थक बन पड़ेगा और भाई-बहन का प्यार धरती पर शाश्वत रह पायेगा। यह पर्व भारतीय समाज में इतनी व्यापकता और गहराई से समाया हुआ है कि इसका सामाजिक महत्त्व तो है ही, धर्म, पुराण, इतिहास, साहित्य और फ़िल्में भी इससे अछूते नहीं हैं। रक्षाबन्धन पर्व सामाजिक और पारिवारिक एकबद्धता या एकसूत्रता का सांस्कृतिक उपाय रहा है।

लेकिन अब प्रेम रस में डूबें रंग-बिरंग धागों की जगह चांदी और सोने की राखियों ने ली तो सामाजिक व्यव्हार में कर्तव्यों को समझने के बजाय रिवाज को पूरा करने कि नौबत आई। प्रेम और सद्भावना की जगह दिखावे ने ले ली। तभी तो रक्षा-बंधन के दिन सुबह उठते ही हर किसी के स्टेटस पर बस रक्षाबंधन की तस्वीरें और वीडियो की भरमार होती है, अब बहनों की जगह ई-कॉमर्स साइट ऑनलाइन आर्डर लेकर राखी दिये गये पते पर पहुँचाती है। अगर हम सोशल मीडिया पर दिखावे की जगह असल जिंदगी में इन रिश्तों को प्रेमरुपी जल से सींचा जाए तो हमेशा परिवार में मजबूती बनी रहेगी।

 

राखी के त्योहार का मतलब केवल बहन की दूसरों से रक्षा करना ही नहीं होता है बल्कि उसके अधिकारो और सपनों की रक्षा करना भी भाई का कर्तव्य होता है, लेकिन क्या सही मायनों में बहन की रक्षा हो पाती है। आज के समय में राखी के दायित्वों की रक्षा करना बेहद आवश्यक हो गया है। 

राखी के दिन केवल अपनी बहन की रक्षा का संकल्प मात्र नहीं लेना चाहिए  नहीं बल्कि संपूर्ण नारी जगत के मान-सम्मान और अधिकारों की रक्षा का संकल्प लेना चाहिए ताकि सही मायनों में राखी के दायित्वों का निर्वहन किया जा सके। रक्षाबंधन पर्व पर हमें देश व धर्म की रक्षा का संकल्प भी लेना चाहिए।

-प्रियंका सौरभ 

रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,

जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति निर्वाचित – पीएम मोदी से मिले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, मार्गरेट अल्वा ने दी बधाई

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नई दिल्ली, 06 अगस्त  उपराष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) उम्मीदवार जगदीप धनखड़ विजयी घोषित हुए हैं। उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार एवं कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मार्गरेट अल्वा पर बड़े अंतर से जीत दर्ज की है।

लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह ने उनके निर्वाचन की घोषणा की। जगदीप धनकड़ को 528 प्रथम वरियता मत प्राप्त हुए जबकि उनके प्रतिद्वंदी विपक्ष की मार्गरेट अल्वा को 182 मत मिले। उपराष्ट्रपति चुनाव में 92.94 प्रतिशत मतदान हुआ और 725 सांसदों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।

 


उपराष्ट्रपति चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने मतदान में हिस्सा न लेने का निर्णय किया था। उसके 34 सांसदों ने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया। हालांकि तृणमूल कांग्रेस के दो सदस्य शिशिर अधिकारी और दिव्येंदु अधिकारी ने मतदान में हिस्सा लिया। वहीं, समाजवादी पार्टी, शिवसेना के दो और बसपा के एक सांसद ने मतदान नहीं किया।

पीएम मोदी से मिले धनखड़, अल्वा ने दी बधाई

उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद देश के नए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पीएम मोदी से मुलाकात की। पीएम ने उन्हें बधाई दी। पीएम के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, राहुल गांधी, राजस्थान सीएम अशोक गहलोत समेत कई नेताओं ने धनखड़ को बधाई दी। विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने भी धनखड़ को नए उपराष्ट्रपति बनने पर बधाई दी।