निवर्तमान उप-राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू के विदाई भाषण में आज पीएम मोदी ने उनकी जमकर तारीफ की। खास तौर पर उनकी वाकपटुता की प्रशंसा करते हुए उनकी भाषण कला का लोहा माना। पीएम ने कहा- किताबों के टाइटल में आपकी शब्द प्रतिभा झलकती है, जिसके लिए आप जाने जाते हैं। आपके वन लाइनर्स, विन लाइनर्स भी होते हैं। यानि उसके बाद कुछ और कहने की जरूरत ही नहीं रह जाती है। आपके हर शब्द लोग सुनते हैं और कभी विरोध नहीं करते हैं। कैसे कोई अपनी भाषा की ताकत के रूप में और सहजता से, इस सामर्थ्य के लिए जाना जाए और उस कौशल से स्थितियों की दिशा मोड़ने का सामर्थ्य रखे, मैं इसके लिए आपको बधाई देता हूं। हम जो भी कहते हैं, वो महत्वपूर्ण तो होता है, लेकिन जिस तरीके से कहते हैं उसकी अहमियत ज्यादा होती है।
आपकी बातों में गहराई भी होती है और गंभीरता भी
किसी भी संवाद की सफलता का पैमाना यही होता है कि उसका गहरा प्रभाव हो और लोग उसे याद रखें और जो भी कहें उसके बारे में लोग सोचने पर मजबूर हों। अभिव्यक्ति की इस कला मे वेंकैया जी की दक्षता, उस बात से सदन के अंदर और बाहर देश के लोग भलीभांति परिचित हैं। आपकी अभिव्यक्ति का अंदाज जितना बेबाक है, उतना ही बेजोड़ भी है। आपकी बातों में गहराई भी होती है और गंभीरता भी होती है। संवाद का आपका तरीका मर्म को छू जाता है और सुनने में मधुर भी लगता है।
खड़गे ने शायरी से जीता दिल 
विदाई भाषण में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जिस तरह पहली पंक्ति के लोगों को खाना अधिक मिलता है उसी तरह संसद में भी पहले बोलने वालों को अधिक समय मिलता है। इस पर वेंकैया नायडू ने कहा कि आप निश्चिंत रहें, आप जिस भी पंक्ति में रहे सब कुछ मिलेगा। खड़गे ने कहा कि मेरी और आपकी विचारधारा अलग है, उसकी मैं यहां चर्चा नहीं करना चाहता। आपसे मेरी कुछ शिकायतें भी हो सकती है लेकिन यह सही वक्त नहीं है। दबाव में रहते हुए भी आपने अपनी भूमिका निभाई, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। मैं चंद लाइनों में अपनी बात रखना चाहता हूं- अगर तलाश करूं तो कोई मिल जाएगा, मगर आपकी तरह कौन हमें मिलेगा। आपके साथ से यह मंजर रौनक जैसा है, आपके बाद मौसम बहुत सताएगा। (खड़गे की इस शायरी पर सदन में जमकर ठहाके लगे।)  कहां आंसुओं की ये सौगात होगी, नए लोग होंगे, नई बात होगी, चिरागों को आंखों में महफूज रखना, बड़ी दूर तक रात ही रात होगी। मुसाफिर हैं हम, मुसाफिर हो तुम भी, किसी न किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी।
डेरेक ओ ब्रायन ने कसे तंज 
वहीं, तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने राज्यसभा में निवर्तमान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के विदाई भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि नायडू ने शायद इस बात के लिए कड़ी मेहनत की होगी कि पीएम मोदी अपने पूरे कार्यकाल में एक प्रश्न का उत्तर दें लेकिन ऐसा नहीं हुआ। डेरेक ने चुटकी लेते हुए कहा कि 20 सितंबर, 2020 को जिस दिन उच्च सदन ने अब निरस्त किए गए कृषि विधेयकों को पारित किया, वह कुर्सी पर नहीं थे। हो सकता है कि किसी दिन आप अपनी आत्मकथा में इसका उत्तर देंगे।
तृणमूल सांसद ने तब नायडू को ईंधन की कीमतों पर उनके भावुक भाषण की भी याद दिलाई, जबकि भाजपा विपक्ष में थी। उन्होंने कहा, 2 सितंबर 2013 को आपने सदन में पेट्रोल-डीजल पर जोशीला भाषण दिया था। एक दिन शायद आप हमें अपनी आत्मकथा में बताएंगे कि फिर क्यों ऐसा हुआ। अपने हमले को जारी रखते हुए ओ’ब्रायन ने कहा कि नायडू ने 2013 में भी फोन-टैपिंग के संबंध में हस्तक्षेप किया था, लेकिन अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उच्च सदन में पेगासस पर कोई चर्चा नहीं हुई।
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