“वैज्ञानिकता की कसौटी पर कसा गया यह एक सत्य है कि गाय के समीप जाने से ही संक्रामक रोग कफ, सर्दी, खांसी, जुकाम से लड़ने वाली ऊर्जा का विकिरण होता है। एशियन वैज्ञानिक शिरोमियना का कहना है कि गाय पालने से या संपर्क में रहने से मनुष्य की उम्र बढ़ती है, क्योंकि मनुष्य के सांस के हानिकारक लार्वा, बैक्टीरिया, गाय की श्वास से नष्ट होते हैं।’ कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार सुबह खाली पेट गौ मूत्र के सेवन करने से कैंसर जैसा रोग भी नष्ट हो सकता है।”
हिन्दू धर्म में गाय का अत्यधिक है। महत्व है, लेकिन यह महत्व वैज्ञानिक ज्ञान पर आधारित है। पिछले दशक में हुए कई शोधा ने इस बात को प्रमाणित किया है। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि गाय को उपस्थिति मात्र ही पर्यावरण के लिए एक महत्त्वपूर्ण योगदान है, दूसरी तरफ हमारे प्राचीन ग्रंथ भी यह बताते हैं कि गाय की पोट पर सूर्यकेतु स्नायु हानिकारक विकिरण को रोक कर वातावरण को स्वच्छ बनाते हे।
कृषि में गाय के गोबर की खाद, गौमूत्र से काफी सुधार होता है। प्रकृति के 99% कीट प्रणाली के लिये गाय का गोबर लाभदायक है, गौमूत्र या खमीर हुए छाछ से बने कॉटनाशक इन सहायक कोटों को प्रभावित नहीं करते। एक गाय का गोबर 7 एकड़ भूमि को खाद और मूत्र 100 एकड़ भूमि को फसल को कोर्टी से बचा सकता है। विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि गाय के गोबर में विटामिन बी-12 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, यह रेडियोधर्मिता को भी सोख लेता है।
गाय का दूध पीला रंग लिये होता है, जो कैंसर जैसा होता है। यह’ क्यूरोसिन’ नामक प्रोटीन के कारण होता है। यह आरोग्यवर्धक बुद्धिवर्धक, शीतलतादायक) औषधि है, जिससे आंखों की रोशनी बढ़ती है।
वैज्ञानिक डा. फ्रँक माऊण्टेन कहते है कि एक लीटर गाय का दूध लेकर “एक उसका पृथक्करण किया तो देखने में आया कि इसमें आठ अण्डे तथा पांच सौ ग्राम मुर्गों का मांस तथा 750 ग्राम मछली जितने तत्व मिल सकते हैं। गाय का दूध मास से श्रेष्ठ है, क्योंकि इसके विटामिन तथा पोषक श्रेष्ठ है, क्योंकि इसके विटामिन तथा पोषक तत्व उच्च कोटि के होने के साथ साथ सुपाच्य और सात्विक होते हैं। इन तत्वों को शरीर स्वाभाविक रूप से ग्रहण करता है।
गाय के कच्चे दूध में ऑक्साइड रिडक्टेस जैसे पाचक रस अच्छी मात्रा में होते हैं जो शरीर में पैदा होने वाले टोकिसन्ना तथा टोमेन्स जैसे विकारों को दूर करता है। भारतीय नस्ल की गाय के दूध के अन्दर जल 87%, बसा 4%, प्रोटीन 4%, शर्करा 5%, तथा अन्य तत्व 1 से 2% पाया जाता है। गाय के दूध में 8 प्रकार के प्रोटीन 11 प्रकार के विटामिन पाए जाते हैं। गाय के दूध में ‘कैरोटिन’ नामक प्रदार्थ या जर्सी गाय के दूध की तुलना में दस गुना अधिक होता है।
दूध को दो श्रेणियों में बांटा गया है- A1 और A2 (A1 जर्सी का और A2 भारतीय देशी गाय का) एक शोध के अनुसार भारत सहित पूरे विश्व में AT दूध पौकर लोग मधुमेह, गठिया, अस्थमा अस्थमा, मानसिक विकार जैसे गंभीर रोगों का शिकार हो गए हैं। दुनिया भर में डेयरी उद्योग अपने पशुओं की प्रजनन नीतियों में A2 में दूध के उत्पादन के आधार पर बदलाव ला रहा है। विश्व बाजार में न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया, जापान और अब अमेरिका में प्रमाणित A2 दूध के दाम साथ शरण AT दूध से कहीं अधिक है। जबकि A2 दूध सिर्फ भारतीय नस्ल की देशी गाय से प्राप्त होता है।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार सुबह खाली पेट गी मूत्र के सेवन करने से कैंसर जैसा रोग भी नष्ट हो सकता है। चूंकि माँ मूत्र में पोटेशियम, सोडियम, नाइट्रोजन, फास्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड होता है, दूध देते समय गाय के मूत्र में लेक्टोज की वृद्धि होती है, जो हृदय रोगों के लिए लाभकारक है।
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