सूरत. देश के पश्चिमी राज्यों में लंपी वायरस से पीडि़त हजारों-लाखों गायों का जीव बचाने के जतन में हर जगह सूरत का जिक्र है। सूरत में आठ माह पहले सौराष्ट्र में भावनगर जिले के एक छोटे से गांव सुखपर में चार गायों को लंपी वायरस से बचाने के लिए शुरू किया गया अभियान आज छह राज्यों तक पहुंच चुका है। इस अभियान में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ. जिगर खैनी व किशन खैनी से राजस्थान पत्रिका ने खास बातचीत की है।

खबर के अनुसार , पत्रिका संवाददाता से बातचीत में अभियान की शुरुआत के बारे में खैनी ने बताया कि आठ माह पहले सौराष्ट्र में भावनगर जिले में सुखपर गांव के भारती आराध्यधाम मामापीर गौशाला में गायों के शरीर पर फोड़े होने की जानकारी मिली। वहां जाकर देखने के बाद होम्योपैथी डॉ. जिगर खैनी से बातचीत की और उन्होंने तत्काल एक होम्योपैथी सिद्धांत से दवा का निर्माण किया और लंपी वायरस ग्रसित गायों को दी। दवा लेने के कुछ समय बाद लंपी वायरस की बीमारी गायों में नहीं दिखी। दवा बनाने की प्रक्रिया जारी रखने के लिए इस दौरान भारती आराध्यधाम मामापीर के सद्गुरु अवधेशानंद भारती प्रेरणा देकर मानों संदेश दिया कि जल्द ही गौ सेवा के लिए बड़ी संख्या में दवा की जरूरत पड़ेगी। उसके कुछ महीने बाद ही राजस्थान में गायों में लंपी वायरस की शिकायत मिलने लगी और फिर गौ सेवा के सिलसिले ने तेजी पकड़ी जो अब भी यूं ही बरकरार है।

सहयोग में दर्जनों संस्थाएं सक्रिय 00

गुजरात के सौराष्ट्र में लंपी वायरस के आठ माह पहले कुछ मामले मिलने के बाद सर्वाधिक प्रकोप राजस्थान में देखने को मिला और सूरत में बसे प्रवासी राजस्थानियों की कई गौप्रेमी संस्थाएं सक्रिय हो गई। इन संस्थाओं के सेंटर परवत पाटिया क्षेत्र में अधिक सक्रिय रहे। इसके अलावा कुंभारिया, सारोली, गोडादरा में भी संस्थाओं ने दवाएं बनाई और उन्हें राजस्थान के विभिन्न जिलों, गांव-कस्बों तक पहुंचाने में भी जरूरी भूमिका निभाई।

-राजस्थान में भी खोल दिए सेंटर 00

खैनी ने बातचीत में बताया कि गायों में तेजी से बढ़ती बीमारी की रोकथाम के लिए गौ सेवकों ने राजस्थान के विभिन्न जिलों में भी सेंटर खोले। इससे जरुरतमंद गौ पालकों को दवा सरलता से मिलने लगी। लंपी वायरस से पीडि़त गायों के लिए होम्योपैथी दवा के साथ घाव भरने, कीड़े खत्म करने के मल्हम व ड्रॉप भी तैयार की गई है। इसके अलावा यह बीमारी दूसरी गायों में नहीं फैले, इसके लिए प्रिकॉशन ड्रॉप भी बनाई गई है।

-पत्रों के लग गए ढेर 00

सबसे पहले शहर के मोटा वराछा में दवा निर्माण का सेंटर शुरू करने वाले किशन खैनी ने कहा कि दवा सही लोगों तक पहुंचे, इसके लिए दवा लेने वालों से उनकी ग्राम पंचायत के सरपंच, पटवारी, ग्रामसचिव के मांग पत्र लिए गए। इसके अलावा यहां पर कॉल सेंटर भी शुरू किया गया ताकि लोगों को लंपी वायरस ग्रसित गायों को दवा देने के तरीके, दवा की उपलब्धता समेत अन्य जानकारी दी जा सकें। कुछ दिन पहले यहां सौ से ज्यादा कार्यकर्ता दवा बनाते थे।

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