गौर, बस्ती। उत्तर प्रदेश जनपद बस्ती के विकासखंड गौर में गौशाला के लिए सरकार द्वारा भारी भरकम बजट भी पास किया जाता है, लेकिन वही जमीनी स्तर पर ग्राम पंचायत गौर के गौशाला में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है. आलम यह है कि मवेशियों को भरपेट चारा नहीं नसीब हो रहा है. सूखे भूसे और पराली से ही उनके पेट को भरा जा रहा है. ठंड से बचाने के लिए जानवरों के लिए नाममात्र की व्यवस्था की गई है। लेकिन, इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसमें पशुओं को बांध दिया गया है।
वही गौर विकास खंड के ग्राम पंचायत गौर में बनाई गई अस्थाई गौशाला में भी मवेशियों के लिए हरे चारे की कोई भी व्यवस्था नहीं की गई है. मवेशी सुखा भूसा खाने को मजबूर है। ग्राम पंचायत गौर गौशाला की जमीनी स्तर पर रियलिटी चेक किया गया तो पता चला कि गौशाला में मवेशियों को हरा चारा तक नहीं नसीब हो रहा है पीने के लिए जो पानी भरा गया था वह काफी दिनों से बदला नहीं गया है। पानी के टैंक में नीचे कूड़ा कचरा भरा था छाया के लिए टिन शेड लगाई गई है। गौशाला में चारो तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. ठंड से बचने के लिए नाम मात्र की व्यवस्था की गई है।
छुट्टा गौवंशों के संरक्षण के लिए सरकार के आदेश पर बस्ती में 56 गौ आश्रय स्थल संचालित हैं, लेकिन इस आश्रय स्थलों की जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिले के गौर विकासखंड में गौर ग्राम सभा में संचालित गौ आश्रय स्थल का जब रियलिटी चेक किया गया तो वहां आश्रय स्थल पर गौवंशों की देखभाल करने वाले सुबह – शाम ही आते हैं। यहां पर गौ-आश्रय स्थल पर गोवंश बंधे हुए मिले, लेकिन उनके सामने हरा चारा कभी देखने को नहीं मिला। वहीं गौर ग्राम पंचायत के सचिव प्रशांत कुमार पांडे ने बताया कि गौशाला में हरा चारा और दाने का व्यवस्था भी किया गया है।
कर्मचारी पवन कुमार ने बताया कि हरा चारा, दाना कुछ नहीं मिलता और समय से वेतन भी नहीं मिलता। गौशाला में कुल 20 पशु है। उन्होंने कहा कि प्रधान जी कभी-कभी आते हैं। और ग्राम पंचायत सचिव जल्दी दिखाई नहीं देते है। जब भी कोई बात होती है तो फोन से बात किया करते हैं। इसके अलावा प्रधान की तरफ से ही लोग आते हैं हरा चारा, दाना कभी नहीं आया, वर्तमान में सूखा भूसा, पराली ही परोसी जा रही है। ठंड से बचाने के लिए जानवरों के लिए नाममात्र की व्यवस्था की गई है।