अगर कोई नौकरी हमेशा ‘नौकर’ बने रहने के लिए कराता है तो वह जीवन भर नौकरी ही करेगा और जो नौकरी बिजनेसमेन बनने के लिए करता है वह बिजनेसमेन बन कर दूसरे को नौकरी देगाl अतः मालिक बनो, नौकर नहींl
नौकरी चाहे सरकारी हो या प्राइवेट ‘नौकर तो नौकर’ ही कहलाएगा l

सुनने में आता हैं कि देश में बेरोजगारी बढ़ रही है l मेरा मानना है कि बेरोजगारी नहीं देश में ‘नौकर’ बनने की होड़ मची हुई हैl यदि बिजनेसमैन बनने की होड़ मच जाए तो समझो बेरोजगारी ख़त्मl
Comfort Zone से निकल कर Hard Zone में प्रवेश करोl जीवन में रिस्क लेना सीखोl नौकर (Employee) से मालिक (employer) बनने की सोचो l

धीरूभाई अम्बानी ने पेट्रोल पंप में नौकरी करते समय बिजनेसमैन बनने का सपना देखा और उन्होंने बिजनेस का एक बड़ा साम्राज्य खड़ा कर दियाl ऐसे बहुत सारे उदाहरण आपके आसपास मिल जाएंगे l

पूरी दुनिया में मारवाड़ी समुदाय ने व्यापारी के रूप में एक अच्छी साख बनाई हैl
मारवाड़ी व्यापारी ने प्रदेश में जाकर कैसे अपने व्यापार की शुरुआत की:- नाम मात्र की पूंजी से या उधार में माल लेकर उसे बेचा तथा अपना उचित मुनाफा रख कर अपने महाजन को उधारी चुका दीl मारवाड़ी व्यापारी ने माल बेच कर जो मुनाफा कमाया उस मुनाफे में से अपने घर के आवश्यक ख़र्चे को रख कर बाकी बचे मुनाफे को अपने व्यपार में लगा दिया इस तरह से अपनी मेहनत, इमानदारी एवं सूझबूझ से एक बड़ा व्यापारी बन गया l आज की शिक्षा व्यवस्था और सरकारी नीतियां नौकर पैदा कर रही हैंl l

सही मायने में देश को बिजनेसमैन ही चलाता है l बिजनेसमैन न हो तो मंत्रियों के भत्ते और सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाहें कहां से आएंगी l सबसे ज्यादा टैक्स व्यापारी देता है जिससे देश चलता है l

आपदा विपदा के समय एक बिजनेसमैन समाज एवं देश के लिए दिल खोल कर दान देता है और जरूरतमंद लोगों की सहायता करता है l
अतः सही मायने में बिजनेसमैन ही देश का भाग्य विधाता होता हैl
पूरन चंद्र शर्मा (पत्रकार)
मोबाइल : 98320 66383

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