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गौ तस्करी 6 आरोपी गिरफ्तार, 3 वाहनों से 26 गायों को मुक्त कराया

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कानवन। पुलिस ने गोवंश तस्करी के खिलाफ कार्रवाई की है। वाहनों में ठूस-ठूसकर गोवंश भरा था। जिससे अवैध तरीके से गोवंश ले जा रहे आरोपियों के खिलाफ कानवन पुलिस टीम ने कार्रवाई की हैं, हालांकि वाहन सहित आरोपियों को अरेस्ट करने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा, क्योंकि वाहन के पिछले हिस्सों को आरोपियों ने त्रिपाल से पूरी तरीके से बंद करके रखा था, साथ ही रात के अंधेरे में पशुओं का परिवहन किया जा रहा था। ऐसे में मुखबिर तंत्र की सूचना के आधार पर आज सुबह प्रभात गश्त के दौरान पुलिस ने नाकाबंदी कर दो वाहनों को जब्त किया है। इन वाहनों के अंदर रखे गोवंश को राजस्थान से महाराष्ट्र की ओर ले जाया जा रहा था।

इसके पहले ही पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार करते हुए प्रकरण दर्ज कर लिया है। जिले में अवैध गोवंश के खिलाफ कार्रवाई को लेकर अभियान चलाया जा रहा हैं, जिसमें आचार संहिता के दौरान अवैध गतिविधियों पर अंकुश के लिए एसपी आदित्य प्रतापसिंह के मार्गदर्शन में पूरे जिले में कार्रवाई की जा रही है। टीआई दीपक सिंह चौहान के अनुसार ग्राम खंडीगारा में नाकाबंदी के दौरान पिकअप वाहन क्रमांक एमपी-09 जीजी-5259, ट्रक क्रमांक आरजे-51 जीए-1665 व आरजे-14 जीजे-5611 को पुलिस द्वारा रोका गया था। तथा वाहनों की चेकिंग के दौरान गाये अंदर मिली थी। तीन में से एक वाहन कल शाम को व दो वाहनों के खिलाफ आज कार्रवाई की गई है। पुलिस ने तीनों वाहनों में सवार दीपक पिता मोतीलाल, नारायण पिता शंकरलाल, अल्ताफ पिमा मीराबक्स, इद्रिश पिता अनवर, शाहरुख पिता अजीज व मांगीलाल पिता नारायण को गिरफ्तार किया गया। इन वाहनों में कुल 26 गाये आरोपियों के चंगुल से छुडवाई गई हैं, जिन्हें समीप की गौशाला में भेजा गया है। साथ ही तीनों वाहनों को राजसात करने की कार्रवाई भी पुलिस ने शुरु कर दी है।

 

उद्धव ठाकरे ने छोड़ी सीएम की कुर्सी

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता भी छोड़ दी है। लाइव ब्रॉडकास्ट में उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता कि शिवसैनिकों का खून बहे इसलिए मैं पद छोड़ रहा हूं। आप चाहें तो इसकी खुशी मना सकते हैं। आपको बता दें कि राज्यपाल ने 30 जून को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था। आज यानी 29 जून को सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसी बीच उद्धव ने इस्तीफा दे दिया।

कांग्रेस-एनसीपी को धन्यवाद,

उद्धव ठाकरे ने कहा, आज मंत्रिमंडल की बैठक हुई, मुझे इसका संतोष है कि बालासाहेब ठाकरे ने जिन शहरों का जो नाम रखा था, औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव आज हमने उनको वे नाम आधिकारिक तौर पर दिए हैं. उन्होंने कहा,  NCP और कांग्रेस के लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने मेरा साथ दिया. आज शिवसेना से सिर्फ मैं, अनिल परब, सुभाष देसाई और आदित्य ये चार ही लोग उस प्रस्ताव के पास होने के समय मौजूद रहे.

महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल तेज,

मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद महाराष्ट्र में हलचल तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एक होटल में कोर कमिटी की बैठक कर रहे हैं. इस्तीफे के बाद महाराष्ट्र के निर्दलीय विधायक रवि राणा ने कहा, पहले ही मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए था. उनकी बंद मुट्ठी में जो पावर थी वह भी निकल गयी है. जो हनुमान चालीसा का अपमान करता है, उनको सबक हनुमान भक्तों ने सिखाया है. सभी चाहते हैं देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनना चाहिए.

जैव विविधता के महत्व को रेखांकित करती है सनातन भारतीय संस्कृति,

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सनातन हिंदू संस्कृति में किसी भी जीव की हत्या निषेध है और ऐसा माना जाता है कि अपने लिए पूर्व निर्धारित भूमिका को निभाने के उद्देश्य से ही विभिन्न जीव इस धरा पर जन्म लेते हैं एवं सभी जीवों में आत्मा का वास होता है। इसलिए हिंदू धर्मावलम्बियों द्वारा पशु, पक्षियों, पेड़, पौधों, नदियों, पर्वतों, आदि को भी ईश्वर का रूप मानकर पूजा जाता है। कई पशु एवं पक्षी तो हमारे भगवानों के वाहन माने जाते हैं। जैसे, भगवान गणेश का वाहन मूषक को माना जाता है, मां दुर्गा का वाहन शेर को माना जाता है, भगवान शिव के गले में सर्प हमेशा वास करते हैं एवं नंदी को उनका वाहन माना जाता है, भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ को माना जाता है, भगवान कार्तिक का वाहन मोर को माना जाता है एवं धन की देवी लक्ष्मी माता का वाहन उल्लू को माना जाता है।

हिंदू समाज में भगवानों की पूजा के साथ-साथ उनके वाहनों के रूप में पशु एवं पक्षियों की भी पूजा अर्चना की जाती है। नाग पंचमी नामक त्यौहार के दिन सांप को दूध पिलाया जाना शुभ माना जाता है।विकसित देशों में वैज्ञानिकों द्वारा लगातार की जा रही शोधों के आधार पर अब यह कहा जा रहा है कि दरअसल पूरे विश्व में केवल सनातन हिंदू संस्कृति ही लाखों वर्षों से बहुत ही वैज्ञानिक आधार पर चल रही है। पशु, पक्षी, पेड़, पौधे, नदियों, पर्वतों, जंगलो के संरक्षण की बात इस महान संस्कृति के मूल में है। इस धरा पर समस्त जीवों का अपना महत्व है एवं इन्हें अपनी भूमिका का निर्वहन इस धरा पर करना होता है। जैसे गंदगी साफ करने में कौआ और गिद्ध की प्रमुख भूमिका पाई गई हैं।

परंतु दुर्भाग्य का विषय है कि हाल ही के समय में गिद्ध शहरों ही नहीं बल्कि जंगलों में भी लुप्तप्रायः हो गए हैं। हम लोग जानते ही नहीं है कि गिद्धों के न रहने से इस पृथ्वी ने क्या खोया है।वर्ष 1997 में पूरी दुनिया में रेबीज नामक बीमारी से 50 हजार से अधिक लोग मर गए थे। भारत में सबसे ज्यादा 30 हजार से अधिक मौतें हुई थीं। स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि ऐसा गिद्धों की संख्या में अचानक आई कमी के कारण हुआ था जिसके फलस्वरूप चूहों और कुत्तों की संख्या में एकाएक वृद्धि हो गई थी। अध्ययन में यह भी बताया गया था कि कुछ पक्षियों की प्रजातियों के समाप्त होने से मृत पशुओं की सफाई, बीजों का प्रकीर्णन और परागण जैसे कार्य बहुत बड़ी हद्द तक प्रभावित हुए हैं। अमेरिका जैसा देश अपने यहां चमगादड़ों को संरक्षित करने का अभियान चला रहा है। सामान्यतः हम सोचते हैं कि चमगादड़ तो पूरी तरह से बेकार जीव है।

मगर वैज्ञानिकों के अनुसार चमगादड़ मच्छरों के लार्वा खाता है। यह रात्रिचर परागण करने वाला प्रमुख पक्षी है एवं यह खेती का मित्र है, जिसका मुख्य भोजन चूहा है। इसीलिए भारतीय संस्कृति में पक्षियों के संरक्षण एवं संवर्धन की बात कही गई है। अर्थात, जैव विविधता को बनाए रखने की बात केवल हिंदू सनातन संस्कृति में ही बहुत पहिले से मानी जाती रही है। परंतु विकसित देशों द्वारा अपनाए गए विकास के मॉडल के अंतर्गत जैव विविधता के महत्व को कम आंकने के चलते अब इस पृथ्वी पर पर्यावरण एवं प्राकृतिक संतुलन बनाए रखना लगभग असम्भव सा हो गया है।

हमारे जीवन में जैव विविधता का बहुत महत्व है। इस पृथ्वी पर अब एक ऐसे पर्यावरण का निर्माण करना एक आवश्यकता बन गया है, जो जैव विविधता में समृद्ध, टिकाऊ और आर्थिक गतिविधियों के लिए हमें निरंतर अवसर प्रदान करता रहे। जैव विविधता में असंतुलन आने से प्राकृतिक आपदाएं जैसे अत्यधिक वर्षा, तूफान, बाढ़, सूखा और भूकम्प आदि आने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए हमारे लिए जैव विविधता का संरक्षण करना अब बहुत जरूरी हो गया है। हमारा जीवन प्रकृति का अनुपम उपहार है। अत: पेड़-पौधे, अनेक प्रकार के जीव-जंतु, मिट्टी, हवा, पानी, महासागर-पठार, समुद्र-नदियां इन सभी का संरक्षण जरुरी है क्योंकि ये सभी हमारे अस्तित्व एवं विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

जैव विविधता को कई कारणों से नुकसान हो रहा है। जैसे, जगलों के क्षेत्र में लगातार हो रही कमी, प्रदूषण, प्राकृतिक एवं मानवजन्य आपदाएं, जलवायु परिवर्तन, कृषि का आधुनिकीकरण, जनसंख्या वृद्धि, पशु एवं पक्षियों का शिकार और उद्योगों एवं शहरों का प्रसार। अन्य कारणों में सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव, भू-उपयोग में परिवर्तन, खाद्य श्रृंखला में हो रहे परिवर्तन तथा जीवों की प्रजनन क्षमता में कमी इत्यादि भी शामिल हैं।

आज आवश्यकता इस बात की है कि विकास के लिए जैव विविधिता के साथ बेहतर तालमेल बनाया जाए। विकास और जैव विविधिता को दो अलग अलग अवधारणाओं के रूप में नहीं देखा जा सकता। जैव विविधिता के संरक्षण के बिना विकास का कोई महत्व नहीं है। जैव विविधता का संरक्षण करना मानव जीवन के अस्तित्व के लिए आवश्यक है। अतः पूरे विश्व को ही आज सनातन भारतीय संस्कृति को अपनाने की आवश्यकता है अन्यथा तो इस पृथ्वी पर रहना ही लगभग असम्भव होने जा रहा है।

भारत को भारत की आंखों से देखने का समय,

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आज जो विषय सबसे ज्यादा जरूरी है, उसका चिंतन और मंथन हो रहा है। गडकरी जी पानी की बात कर रहे थे कि पानी से गाड़ी चलेगी। पानी ही अगला ईंधन है। पानी के लिए शेयर मार्केट होगी। अभी खरीदेंगे और बीस साल बाद बेचेंगे। हमारे यहां बहुत पहले ही ऋगवेद में इसकी चर्चा है। हम अपने बच्चों को वैज्ञानिक तरीके से पानी के बारे में बताएं। मुझे लगता है कि आने वाले दस साल में यही पानी की बोतल, तीन सौ रुपये तक की होगी। दस साल में भारत में पीने का पानी जितना चाहिए, उससे आधा रह जाएगा। बीस साल में दुनिया में जितना पानी है, उसका आधा रह जाएगा। पानी है तो गंगा है, तो कुंभ है, प्रयाग है। पानी है तो सब कुछ है।

वेदों से लेकर आज तक यही कहा गया है कि पंचतत्व से मिलकर ही यह शरीर बना है। हमारे यहां भगवान में पंचतत्व हैं।
1- भूमि 2- गगन 3- वायु 4- अग्नि 5- नीर

इन पांचों में जो पहले अक्षर का समावेश है, वही भगवान है।

बात भारत की हो रही है तो भारत को भारत की आंखों से देखने का समय आ गया है। मैं तो कहूंगा कि जो खोया, उसी का गम नहीं, जो बचा है, वह भी कम नहीं। उन्होंने कहा कि अब सशक्त नेतृत्व है। अब संस्कारी सरकार है। प्रधानमंत्री पूरे देश को दृष्टि दे रहे हैं। विदेश में भारत के संस्कार के छाप छोड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब पहली बार मैडिसन स्क्वायर में भाषण दिया, वह दृश्य सभी ने देखा। मैंने पहली बार किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष के प्रति इतना सम्मान देखा। इस देश का सौभाग्य है कि एक फकीर इस देश को मिला है।

समय पाञ्चजन्य के नाद का,

आज पांचजन्य को नई दृष्टि से बजने की जरूरत है। आज फिर पांचजन्य को बजना है। पांचजन्य कुरुक्षेत्र में बजा था, वहां महाभारत हुआ। आज फिर पांचजन्य बजेगा। अब महान भारत बनाने की बारी है। महाभारत से महान भारत तक की यात्रा। पांचजन्य वहां भी बजा था। कुरुक्षेत्र में बजा था, लेकिन अब यह हर घर बजेगा। पांचजन्य संस्कारों के संरक्षण का। संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण का।

पुलिस मुठभेड़ के बाद पकड़ा गया 20 हजार का इनामी, गौ तस्करी मामले में चल रहा था फरार

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मुरादाबाद में पुलिस और बदमाशों के बीच हुई मुठभेड़ में एक बदमाश घायल हो गया. घटना सिविल लाइन थाना इलाके के अगवानपुर की है. बदमाश का एक अन्य साथी मौके का फायदा उठाकर फरार होने में कामयाब रहा. पैर में गोली लगने के बाद पुलिस ने बदमाश को पकड़ लिया और इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया है. पकड़ा गया आरोपी गौ तस्की मामले में फरार चल रहा था. पुलिस ने 20 हजार रुपये का इनाम भी रखा था.

पुलिस की बदमाशों से मुठभेड़

पुलिस का कहना है कि बदमाशों ने पुलिस को जान से मारने की नीयत से फायरिंग की. आत्मरक्षा में पुलिस की चलाई गोली से एक बदमाश मोहसिन पुत्र इंतजार निवासी अगवानपुर घायल हो गया. पुलिस ने मौके पर ही घायल बदमाश को पकड़ कर अस्पताल में भर्ती करवाया. दूसरा आरोपी नासिर पुत्र ताहिर निवासी अगवानपुर फरार हो गया. एसपी सिटी अखिलेश भदौरिया ने बताया कि थाना सिविल लाइन पुलिस अगवानपुर चौकी क्षेत्र में तलाशी कर रही थी.

पुलिस पार्टी पर बदमाशों ने फायर किया. जवाबी फायरिंग में एक बदमाश घायल हुआ है. पूछताछ में नाम मोहसिन बताया है. मोहसिन पर पूर्व से गौकशी के कई मुकदमे दर्ज हैं. वांछित बदमाश पर 20 हजार रुपए का इनाम भी था. बदमाश का एक साथी नासिर मौके का फायदा उठाकर भाग गया. सिविल लाइन पुलिस के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता है. उम्मीद है गिरफ्तारी से गौकशी पर अंकुश लगेगा.

शिंदे गुट और महानायक ने असम बाढ़ पीड़ितों के लिए दान किए 51 लाख रुपए

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महाराष्ट्र में सियासी संकट जारी है। इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 30 जून को स्पेशल सेशन बुलाया है। उन्होंने सीएम ठाकरे को फ्लोर टेस्ट कराने को कहा है। इसके अलावा एक खबर ये भी सामने आई है कि बागी नेता एकनाथ शिंदे कल यानी गुरुवार को मुंबई जाएंगे। वह फ्लोर टेस्ट में शामिल होंगे। आज शिंदे ने कामाख्या देवी मंदिर में दर्शन भी किए हैं।

वही खबर ये भी है कि इस गुट ने असम बाढ़ के राहत कोष में ५१ लाख का अनुदान किया है। महानायक अमिताभबच्चन ने भी आगे बढ़ कर मानवता की मिशाल पेश करते हुए ५१ लाख की धनराशि धान की है
असम में बाढ़ की वजह से जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।

बाढ़ की चपेट में काजीरंगा नेशनल पार्क भी आ गया है, जिससे जानवरों को भी परेशानी हो रही है। बाढ़ से बिगड़े हालात के बाद मदद के लिए कई लोग सामने आए हैं। मदद करने वालों में बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन भी शामिल हैं।

अमिताभ न सिर्फ बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए हैं बल्कि उन्होंने दूसरों से भी मदद की अपील की है। महानायक ने ट्वीट कर कहा है कि ‘असम संकट में है, बाढ़ ने बहुत नुकसान पहुंचाया है। हमारे भाइयों और बहनों के लिए देखभाल और सहायता भेजें। सीएम राहत कोष में उदारता से योगदान करें। मैंने अभी-अभी किया है, क्या आपने किया?’

जघन्यहत्या , निर्मम हत्या , मज़हबी हत्या , तालिबानी हत्या ,जिहादी बनने की स्पेशल ट्रेनिंग

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उदयपुर हत्याकांड का पाक कनेक्शन सामने आया है। बताया जा रहा है कि कन्हैया का गला काटने वाले दोनों आरोपी पाकिस्तान के दावत-ए-इस्लामी संगठन से जुड़े हुए थे। यह संगठन 100 से ज्यादा देशों में सक्रिय है और इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए कई तरह के ऑनलाइन कोर्स भी चला रहा है। इससे पहले भारत में इस इस्लामी संगठन पर धर्मांतरण के भी आरोप लग चुके हैं। ऐसी भी खबरें आई हैं कि इस संगठन द्वारा जगह-जगह पर दान पेटियां रखी जाती हैं। आरोप है इनके माध्यम से आने वाले धन को गलत गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है। आइए जानते हैं क्या है दावत-ए-इस्लामी, किस तरह से 100 से ज्यादा देशों में फैला है इसका नेटवर्क…

जानते हैं क्या है दावत-ए-इस्लामी?

दावत-ए-इस्लामी खुद को गैर राजनीतिक इस्लामी संगठन करार देता है। इसकी स्थापना 1981 में पाकिस्तान के कराची में हुई थी। मौलाना अबू बिलाल मुहम्मद इलियास ने इस इस्लामिक संगठन की स्थापना की थी। भारत में यह संगठन पिछले चार दशकों से सक्रिय है। शरिया कानून का प्रचार-प्रसार करना और उसकी शिक्षा को लागू करना संगठन का उद्देश्य है। इस समय यह संगठन करीब 100 से ज्यादा देशों में अपना नेटवर्क फैला चुका है।
कौन से 32 ऑनलाइन कोर्स चला रहा?
दावत-ए-इस्लामी की अपनी खुद की वेबसाइट है। वेबसाइट के माध्यम से यह इस्लामिक संगठन कट्टर मुसलमान बनने के लिए शरिया कानून के तहत इस्लामी शिक्षाओं का ऑनलाइन प्रचार-प्रसार कर रहा है। करीब 32 तरह के इस्लामी कोर्स इसकी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। महिलाओं व पुरुषों दोनों के लिए अलग-अलग तरह के कोर्स हैं। इसके अलावा यह संगठन कुरान पढ़ने और मुसलमानों को हर तरीके से शरिया कानून के लिए तैयार करता है।

जिहादी बनने की दी जाती है स्पेशल ट्रेनिंग

दावत-ए-इस्माली संगठन पर कई बार धर्मांतरण के आरोप भी लगे हैं। यह संगठन अपनी वेबसइट पर एक न्यू मुस्लिम कोर्स भी संचालित करता है। यह कोर्स भी पूरी तरह से ऑनलाइन है। इसका उद्देश्य धर्मांतरण कर नए-नए मुसलमानों को इस्लामी शिक्षाओं से रूबरू कराना है। इस कोर्स के माध्यम से धर्मांतरण करने वालों को जिहादी बनने की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है।

ऑनलाइन कोर्स से जुड़े थे दोनों आरोपी

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या करने वाले दोनों आरोपी मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ‘दावत-ए-इस्लामी’ नाम के संगठन से जुड़े हुए हैं। ये दोनों इस्लामी संस्था के ऑनलाइन कोर्स से जुड़े हुए हैं। हत्या के बाद दोनों आरोपी अजमेर दरगाह जियारत के लिए जाने वाले थे। दरअसल, यह संगठन दुनिया भर में सुन्नी कट्टरपंथ को बढ़ावा देता है।

एनआईए और एसआईटी करेगी जांच

हत्या की जांच करने के लिए राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन किया। एसआईटी टीम उदयपुर पहुंच गई है। इस हत्याकांड की जांच एनआईए भी करेगी। एनआईए की टीम भी आज उदयपुर पहुंचेगी। दरअसल, इस हत्याकांड के पीछे अंतरराष्ट्रीय साजिश की बात भी सामने आ रही है। नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी के बाद आतंकवादी संगठन अलकायदा भी धमकी दे चुका है।

शौर्य चक्र पैरा कमांडो मधुसूदन सुर्वे पर बायोपिक बनाएंगे नीरज पाठक!

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मुम्बई। मराठा शूरवीर योध्या, शौर्य चक्र से सम्मानित और देश के लिए अपनी जान तक न्योछावर कर देने वाले भारत के सपूत पैरा कमांडो मधुसूदन सुर्वे की जीवनी पर फ़िल्म बनने वाली है। बॉलीवुड के डायरेक्टर नीरज पाठक ने मधुसूदन सुर्वे की बायोपिक बनाने के राइट खरीद लिए हैं और हाल ही में उनके गाँव शिवतर (खेड़ डिस्ट्रिक्ट) में जाकर उनसे मिलकर फिल्म बनाने की घोषणा की।
मराठा फ्रीडम फाइटर पर फिल्मी इतिहास में अद्भुत फिल्में बनी जिसमें उनकी शौर्य गाथा को बड़े पर्दे पर जीवंत किया और अब मराठा पैरा कमांडो जिन्होंने देश के लिए 11 गोलियां खाई और अपना एक पैर तक गंवा दिया उनके बलिदान और मातृप्रेम को सलामी देने का इससे बेहतर तरीका नही हो सकता।
लेखक-निर्माता-निर्देशक नीरज पाठक, इस युद्ध नायक के जीवन की अमरगाथा को दिखाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, और पैरा कमांडो सुर्वे के गांव शिवतर में मेगा बायोपिक लॉन्च करने की घोषणा की, जो देशभक्ति में डूबा हुआ एक गांव है।
मराठा युद्ध के नायक मधुसूदन सुर्वे जी को शॉल देकर सम्मानित करने का फैसला करते हुए भावुक नीरज पाठक कहते हैं कि भारत तब तक आजाद रहेगा, जब तक यहां मधुसूदन सुर्वे जैसे वीरों का घर है। नीरज पाठक के रोंगटे खड़े हो गए जब उन्होंने सुना कि एक युद्ध के दौरान साथी सिपाही को बचाते हुए मधुसूदन सुर्वे को 11 गोलियां लगी। उनका पैर बुरी तरह से जख्मी हो गया था और उन्होंने अपने बाएं पैर के अवशेषों को घुटने तक काट दिया।
अस्पताल से पूर्व-विच्छेदन सर्जरी के दौरान भी अपनी पत्नी को फोन करके कहा कि वह फुटबॉल खेलते समय घायल हो गए थे और उनके आस-पास के लोगों के अलावा कोई भी भाप नहीं सकता था कि वो मौत के मुँह से बचकर आ गए।


डायरेक्टर नीरज पाठक ने इस बायोपिक के बारे में बताया कि मैंने पैरा कमांडो मधुसूदन सुर्वे जी की बायोपिक बनाने के राइट खरीद लिए है और रिसर्च वर्क शुरू करने वाले हैं। मधुसूदन सुर्वे जी हमारे बीच है, जिनके जरिये हमे उनके बारें में रिसर्च वर्क करने में आसानी होगी। फ़िल्म बहुत ही जल्द फ्लोर पर जाएगी और हम बॉलीवुड के किसी ‘ए’ लिस्टर से बात करेंगे, जिन्होंने आज तक कोई भी कमांडो ऑफिसर का रोल नही निभाया या बायोपिक नही की है। इसके अलावा अगले साथ तक हम फिल्म को रिलीज करेंगे।
नीरज पाठक आगे कहते हैं कि युद्ध में केवल विजेता होते हैं, कोई उपविजेता नहीं। एक सैनिक या तो तिरंगा फहराता है या उसमें लिपटा हुआ वापस आता है। मधुसूदन सुर्वे की बहादुरी विस्मयकारी है, यही कारण है कि मैंने उनकी बायोपिक के अधिकार लिए।


ज्ञात हो कि मधुसूदन सुर्वे एक पूर्व पैराकमांडो हैं जिन्हें दुश्मन की रेखाओं के पीछे काम करने और दुश्मन के बचाव को विफल करने के लिए चुना गया। उन्हें दुश्मन की रेखाओं के पीछे गहरी पैठ और सर्जिकल स्ट्राइक के माध्यम से महत्वपूर्ण दुश्मन बुनियादी ढांचे और संचार के खुफिया सुधार, तोड़फोड़ और तोड़फोड़ करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था।
कोंकण के रत्नागिरी, खेड़ जिला के शिवतर गाँव के रहने वाले पैरा कमांडो मधुसूदन सुर्वे के सैनिकों के गांव से आते हैं। वह असम में ऑपरेशन राइनो, जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक, कारगिल में ऑपरेशन विजय, नागालैंड में ऑपरेशन ऑर्किड और मणिपुर में ऑपरेशन हिफाजत पर ड्यूटी पर रहे, जहां उन्होंने और उनकी टीम ने एक अंग खोने और लगभग घातक रूप से घायल होने के बावजूद 32 से अधिक आतंकवादियों का सफाया कर दिया। वह कांगो, दक्षिण अफ्रीका में संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा निगरानी मिशन पर भी थे। उनके परिवार की अगली पीढ़ी भी देश की सेवा के लिए काम कर रही है। उनका बेटा एनडीए की तैयारी कर रहा है और बेटी मेडिकल क्षेत्र में काम कर रही है। मधुसूदन सुर्वे को 2005 में मणिपुर में नक्सलियों के खिलाफ असाधारण लड़ाई के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था, और इस घटना के बाद उन्होंने छह साल की सेवा की और 2011 में सक्रिय ड्यूटी से सेवानिवृत्त हुए।
आपको बता दें कि रत्नागिरी के खेड़ तालुका के शिवतर गांव को सैनिकों के गांव के रूप में जाना जाता है। इस गांव के हर घर से भारतीय सेना में शामिल होने की परंपरा आज भी जारी है। प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों में 18 बहादुर सैनिक इस गांव के बेटे थे, और अधिकांश निवासी अभी भी सेना में सेवारत हैं। गाँव के हाई स्कूल में महाराष्ट्र के वीर किलों के नाम पर कक्षाएं हैं। वास्तव में, कमांडो सुर्वे के परिवार की कई पीढियां सेना में रही हैं। वहां के ग्रामीण निवासी गर्व से कहते हैं कि उन्हें स्कूली दिनों से ही भारतीय सेना में शामिल होने का अवसर मिला। वहाँ पर देश के लिए लड़ने के लिए और शारीरिक बल को मजबूत करने के लिए फिटनेस क्लब हैं। इस गाँव में सेना ही नहीं, गांव की युवा पीढ़ी भी पुलिस बल और चिकित्सा के क्षेत्र में देश की सेवा कर रही हैं। जन गण मन खेड़ के छत्रपति संभाजी राजे सैनिक स्कूल में हर कक्षा में गूंजता है, जहां आज, युवा लड़के शिवतर गांव के शहीद पुत्रों के सम्मान में शहीद स्तम्भ की ओर मार्च पास्ट करते हैं।
तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने देश के लिए उनके योगदान को याद करने के लिए शिवतर में शहीद सैनिकों का एक वीर स्मारक बनवाया।

ब्रिक्स और विरोधाभास,

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ब्रिक्स के गठन की नींव बीस साल पहले पड़ी थी। तब इसके पीछे मकसद अमेरिकी आर्थिक ढांचे से हट कर एक वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था का निर्माण करना था। यह विचार अच्छा था, पर इस पर ढंग से काम नहीं हो पाया। इसलिए 2009 के बाद से ब्रिक्स के औचित्य पर ही सवाल खड़े किए जाने लगे।

हाल में ब्रिक्स देशों की चौदहवीं शिखर बैठक में सदस्य देशों ने अलग-अलग बातें कहीं। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने अमेरिका और पश्चिमी देशों पर निशाना साधा और रूस पर आर्थिक प्रतिबंध थोपने की निंदा की। साथ उन्होंने मौजूदा वैश्विक आर्थिक संकट के लिए इन देशों को दोषी ठहराया। दूसरी तरफ सकारात्मक पहलू को रेखांकित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व आर्थिक व्यवस्था को बेहतर और लोकतांत्रिक बनाने पर जोर दिया और महामारी से निपटने के लिए बेहतर स्वास्थय व्यवस्था को भी अपने भाषण का हिस्सा बनाया। जबकि चीन ने दुनिया को शीत युद्ध से बचने की नसीहत दी। दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील ने भी महामारी और उससे निपटने में ब्रिक्स के योगदान का जिक्र किया। इससे यह साफ हो गया कि ब्रिक्स के सदस्य देशों की प्राथमिकताएं क्या हैं।

ब्रिक्स की सार्थकता और गतिशीलता को देखा जाए तो कई विसंगतियां और विरोधाभास सामने आते दिखाई देते हैं। भारत और चीन के बीच जिस तरह का गतिरोध बना हुआ है और भारत को लेकर चीन का जो आक्रामक रुख कायम है, उससे ब्रिक्स की एकता कहीं न कहीं प्रभावित होती है। ताजा विवादों को लेकर चीन अपनी जिद पर अड़ा है। भारत ने 1950 से लेकर 2019 तक चीन की हर मुसीबत में साथ दिया। इसके बावजूद चीन की नजर में भारत एक सहयोगी नहीं, बल्कि विरोधी है, इस सोच ने दोनों देशों के बीच तल्खी पैदा कर दी।

आज भारत को ब्रिक्स और पश्चिमी कूटनीति के बीच जिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, वैसी स्थिति पहले शायद ही कभी बनी हो। लेकिन जिस कुशलता के साथ भारत ने क्वाड और ब्रिक्स में संतुलन साधा है, वह विदेश नीति के मोर्चे पर कम बड़ी बात नहीं है। जर्मनी में जी-7 देशों की बैठक में भी ब्रिक्स के दो सदस्य भारत और दक्षिण अफ्रीका मौजूद हैं। यह भी कि यूक्रेन युद्ध के मसले पर संयुक्त राष्ट्र में तटस्थ नीति छोड़ने के लिए भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका पर दबाव भी बनेगा। जबकि भारत पहले भी अपनी बात स्पष्ट कर चुका है।

ब्रिक्स की प्रासंगिकता का को लेकर भी सवाल उठ ही रहे हैं। दरअसल चीन ब्रिक्स का विस्तार करने की कोशिश में लगा है। ब्रिक्स प्लस बनाने के पीछे चीन की योजना यही है कि वह अमेरिकी और पश्चिमी ताकतों के समांतर नया समूह खड़ा कर सके। लेकिन उसकी यह कोशिश क्या सिरे चढ़ पाएगी, यह बड़ा सवाल है। अगर ब्रिक्स का विस्तार होता है तो भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका की क्या भूमिका होगी, यह स्पष्ट नहीं है। गौरतलब है कि भारत अमेरिका के नेतृत्व वाले क्वाड समूह का भी महत्त्वपूर्ण सदस्य है।

ब्रिक्स के गठन की नींव बीस साल पहले पड़ी थी। तब इसके पीछे मकसद अमेरिकी जनित आर्थिक ढांचे से हट कर एक वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था का निर्माण करना था। यह विचार अच्छा था, पर इस पर ढंग से काम नहीं हो पाया। इसलिए 2009 के बाद से ब्रिक्स के औचित्य पर ही सवाल खड़े किए जाने लगे। अब इस बात की आशंकाएं गहराती जा रही हैं कि कहीं ब्रिक्स के विस्तार की आड़ में इसके विघटन की शुरूआत न होने लगे। इसके कारण हैं।

पहला कारण यह कि ब्रिक्स का विस्तार चीन अपने नक्शे कदम पर करना चाहता है। उसकी कोशिश जी-20 संगठन से कुछ देशों को ब्रिक्स में शामिल करने की है। इसमें इंडोनेशिया भी है। गौरतलब है कि इंडोनेशिया को लेकर भारत के रिश्ते अच्छे हैं। चीन अफ्रीका के दो महत्त्वपूर्ण देशों- नाइजीरिया और सेनेगल को भी ब्रिक्स में शामिल करने की कोशिश करेगा। इनके शामिल होते ही संगठन में दक्षिण अफ्रीका की अहमियत घटने लगेगी। दक्षिण अफ्रीका की सहमति के बिना इनको खेमे में लेना ब्रिक्स के विघटन का कारण बन सकता है।

इसी तरह अर्जेंटीना के ब्राजील से अच्छे रिश्ते नहीं है। अगर ब्राजील की सहमति के बिना अर्जेंटीना को ब्रिक्स में लिया गया तो यह भी कम पेचीदा स्थिति नहीं होगी। चीन की सूची में कई और भी देश हैं। चीन की पूरी कोशिश एक ऐसा नया खेमा खड़ने की है जो अमेरिका और उसके वर्चस्व वाले खेमे को चुनौती दे सके।

दूसरा कारण यह है कि ब्रिक्स का आर्थिक आधार अभी भी बहुत कमजोर है। अभी पांचों देशों की कुल आबादी तकरीबन दुनिया की चालीस फीसद के करीब है। पांचों देशों की जीडीपी वैश्विक जीडीपी का एक चौथाई है। पच्चीस लाख करोड़ डालर की अर्थव्यवस्था अठारह लाख करोड़ तो केवल चीन का हिस्सा है, जबकि भारत साढ़े तीन लाख करोड़ के साथ दूसरे स्थान पर है। बाकी तीन देशों की स्तिथि बेहद नाजुक है। वैश्विक महामारी में ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका काफी पीछे रह गए हैं। ब्रिक्स का आपसी व्यापार मुश्किल से बीस फीसद रह गया है। ऐसे हालात में इस बात की उम्मीद की जा सकती है कि ब्रिक्स यूरोपियन महासंघ या जी-7 की बराबरी कर पाएगा?

तीसरी वजह यूक्रेन युद्ध ने एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है। एक बार फिर से दुनिया दो खेमों में बंट गई है। नए शीत युद्ध का आगाज होता दिख रहा है। यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के दामों में भारी इजाफा हुआ है। दरअसल चीन इस युद्ध को लेकर अपनी चौकड़ी बनाने की कवायद में लगा है। सैन्य रूप से मजबूत रूस आर्थिक रूप से पूरी तरह से कमजोर पड़ता जा रहा है। युद्ध ने उसकी हालत और जर्जर बना दी है। इसलिए चीन रूस को लेकर एक ऐसा गुट बनाना चाहता है जो दुनिया का मठाधीश बनने के उसके सपने को पूरा कर सके। इसके लिए वह ताइवान पर हमले का पत्ता भी चलने को तैयार दिखता है।

चौथा कारण यह कि चीन तेजी से विस्तारवादी नीति पर चल रहा है। श्रीलंका, पाकिस्तान, मलेशिया, आस्ट्रेलिया और कई अफ्रीकी देश चीन की इस कुटिलता का दंश झेल रहे हैं। जहां तक सवाल है भारत का, तो भारत और चीन के बीच दो साल से गंभीर टकराव चल रहा है। हालांकि चीन इसे गंभीर सीमा विवाद के रूप में नहीं देख रहा, पर भारत के लिए यह बेहद नाजुक मसला बन गया है। भारत ने साफ कर दिया है कि विवादित स्थलों से पहले चीनी सेना की वापसी हो तभी और बातचीत संभव होगी। चीन ने पिछले कुछ वर्षो में जिस तरीके से वैश्विक व्यवस्था को अपने तरीके से संचालित करने की साजिश रची है, उससे दुनिया के तमाम देशों का चिंतित होना स्वाभाविक है। दुनिया के सामने कभी भी इतना डर और संशय नहीं रहा जितना कि आज इस बात को लेकर है कि अगर चीन दुनिया का मुखिया बन गया तो क्या होगा?

अब यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक राजनीति के समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। चीन भारत पर इस बात के लिए दबाव बनाने की कोशिश करेगा कि वह यूक्रेन के मुद्दे पर रूस और चीन के साथ खड़ा हो। लेकिन भारत जिस तरह से तटस्थता की नीति पर चल रहा है, उसमें यह आसान नहीं है। ऐसे में अगर ब्रिक्स में चीन और रूस के दबाव में कुछ ऐसे निर्णय लिए जाते हैं जो दूसरे सदस्यों की सोच सके विपरीत होंगे, तो इससे ब्रिक्स में एक तरह की फूट पड़ सकती है और इसकी प्रासंगिकता पर सवाल खड़े हो सकते हैं। अभी दुनियाभर के प्रमुख देशों की नजर भारत पर टिकी है। भारतीय कूटनीति के लिए यह भी अग्निपरीक्षा का समय है। हालांकि, भारत ने शुरू से साफ कर दिया है कि यूक्रेन के मुद्दे पर उसकी विदेश नीति तटस्थता की है और रहेगी।

आयुर्वेद की सलाह- खाली पेट करें घी का सेवन,

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बेहतर स्वास्थ्य के लिए आहार में जिन चीजों का शामिल करने पर विशेष जोर दिया जाता रहा है, डेयरी उत्पाद उनमें से एक हैं। इसमें भी दैनिक रूप से घी का सेवन करना आपके लिए विशेष लाभदायक हो सकता है। आयुर्वेद से लेकर मेडिकल साइंस तक, विशेषज्ञों ने घी को बेहद पौष्टिक आहार के रूप में वर्गीकृत किया है। घी, भारतीय सुपरफूड माना जाता है जो न केवल अपने विशिष्ट स्वाद बल्कि तमाम स्वास्थ्य लाभ के लिए भी काफी पसंदीदा रहा है। पर क्या आप जानते हैं कि घी का सेवन खाली पेट करना आपके लिए और भी फायदेमंद हो सकता है?

आयुर्वेद में घी को बेहद पौष्टिक आहार के रूप में बताया गया है। खाली पेट इसका सेवन करने से इसके और भी कई फायदे मिलते हैं। अपने दिन की शुरुआत घी से करने से आपका पाचन तंत्र साफ रहता है। कब्ज और पेट की अन्य कई समस्याओं को ठीक करने के लिए भी इसे बहुत ही प्रभावी माना जाता है। घी ओमेगा -3 फैटी एसिड का एक समृद्ध स्रोत है जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। आइए रोजाना खाली पेट घी के सेवन से सेहत को होने वाले फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

घी के हैं कई स्वास्थ्य लाभ,
आयुर्वेद विशेषज्ञों के मुताबिक गाय का घी एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में जाना जाता है जो फ्री रेडिकल्स से शरीर की रक्षा करने के साथ ऑक्सिडेशन प्रक्रिया को रोकता है। इस प्रकार यह हमारे मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम में अपक्षयी परिवर्तनों को रोकने के साथ समय से पहले बुढ़ापे और अल्जाइमर रोग के जोखिम को कम करने में मददगार हो सकता है। खाली पेट इसका सेवन करना आपके लिए विशेष लाभकारी साबित हो सकता है।

खाली पेट घी के सेवन के लाभ,

-आयुर्वेद में घी के सेवन के तमाम स्वास्थ्य लाभ का जिक्र मिलता है। इसका खाली पेट सेवन करने से यह लाभ कई गुना तक बढ़ जाता है।
-यह आपके पाचन तंत्र को साफ करने में मदद करता है।
-खाली पेट घी खाने से त्वचा में निखार पाने में मदद मिलती है।
-यह नियमित मल त्याग को ठीक करने में मदद करता है।
-खाली पेट घी खाने से यह भूख को लंबे समय तक नियंत्रित करने में मदद करता है।
-यह अनुकूल एंजाइमों के साथ आपकी आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
-हड्डियों की शक्ति और शारीरिक शक्ति को बढ़ाने में भी घी का सेवन फायदेमंद माना जाता है।

शारीरिक शक्ति को देता है बूस्ट,

घी को वर्षों से शक्तिवर्धक आहार के रूप में जाना जाता है। घी में स्वस्थ संतृप्त वसा, फैटी एसिड, विटामिन (ए, डी, ई, के 2) और एंटीऑक्सिडेंट मौजूद होते हैं। खाली पेट इसका नियमित सेवन ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है और दिनभर काम करने की शक्ति प्रदान करता है। घरेलू उपचार के तौर पर शारीरिक कमजोरी वाले लोगों को घी के सेवन की सलाह दी जाती रही है।