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अहमदाबाद प्लेन क्रैश: एयर इंडिया ने 241 मौतों की पुष्टि

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एएआईबी ने कहा, बी.जे. मेडिकल कॉलेज हॉस्टल मेस बिल्डिंग की छत से ब्लैक बॉक्स बरामद हुआ
एयर इंडिया ने पुष्टि की है कि अहमदाबाद-लंदन उड़ान की दुखद दुर्घटना में बोइंग 787-8 विमान में 
सवार 242 लोगों में से 241 की मौत हो गई।

अहमदाबाद में एयर इंडिया का एक यात्री विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. लंदन जाने के लिए उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद ही यह विमान एक रिहायशी इलाक़े में गिर गया था. एयर इंडिया ने इसमें सवार 242 लोगों में से 241 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है. विमान में 230 यात्री और 12 क्रू मेंबर थे.

इस घटना में भारतीय मूल के एक ब्रिटिश यात्री ज़िंदा बच निकलने में कामयाब रहे.

घटना के बाद अहमदाबाद पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, “लगभग सारे यात्रियों के शवों को निकालने का काम पूरा हो चुका है.”

अमित शाह ने कहा, “सवा लाख लीटर ईंधन होने के कारण तापमान इतना अधिक था कि किसी को बचाए जाने की कोई संभावना नहीं थी.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर दुख व्यक्त किया है. वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने हादसे की जांच में हर संभव मदद करने की बात कही है.

उन्होंने एक्स पर लिखा, “ये दिल तोड़ने वाला है, जिसे शब्दों में नहीं बताया जा सकता. इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उन सबके साथ हैं जो इससे प्रभावित हुए हैं. मैं हादसे से प्रभावितों की मदद करने में लगे हुए मंत्रियों और अधिकारियों से संपर्क में हूं.”

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर, कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू समेत कई राष्ट्राध्यक्षों ने संवेदना ज़ाहिर की है.

एयरलाइन ने यात्रियों की जानकारी देने के लिए एक हॉटलाइन नंबर 1800 5691 444 जारी किया है.

आँखों की गुस्ताखियाँ’ का गाना ‘नज़ारा’ हुआ जारी

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ज़ी स्टूडियोज और मिनी फिल्म्स की नवीनतम प्रस्तुति ‘आँखों की गुस्ताखियाँ’ का गाना ‘नज़ारा’ मेकर्स ने जारी कर दिया है। यह गाना आपको मीठे और सच्चे प्यार की मासूमियत को फिर से महसूस कराएगा, जिसमें अभिनेता विक्रांत मैसी और अभिनेत्री शनाया कपूर की छू लेने वाली और दिल को छू जाने वाली केमिस्ट्री की झलक दिख रही है। यह ऑन-स्क्रीन अनुभव आपको प्यार की पवित्रता का एहसास कराने का वादा करता है। पहले प्यार की धड़कन से लेकर आंखों के इशारे, मुस्कान का आदान-प्रदान और इनके बीच सब कुछ, विक्रांत मैसी और शनाया कपूर ने प्यार के रोमांच को जीवंत कर दिया है। ये दोनों भले ही इस एहसास को पर्दे पर लाए हैं, लेकिन गाने की अपील विशाल मिश्रा की आवाज़, कंपोजीशन और बोल से और बढ़ गई है। कुमार गौरव सिंह ने संगीत में सहायता की है, जबकि कंदरपा कलिता ने प्रोडक्शन और गिटार का काम संभाला है। गाने की रिकॉर्डिंग, मिक्सिंग और मास्टरिंग का काम त्रिहांकू लाहकर ने किया है, जबकि बिटूपोन बोरुआ ने गाने के प्रोडक्शन का जिम्मा संभाला है। मानसी बागला, वरुण बागला और ओपन विंडो फिल्म्स द्वारा निर्मित ‘आँखों की गुस्ताखियाँ’ का निर्देशन संतोष सिंह ने किया है और इसे मानसी बागला ने लिखा है। रोमांटिक म्यूजिकल फिल्म
‘आँखों की गुस्ताखियाँ’ 11 जुलाई को सभी सिनेमाघरों में अपना जादू बिखेरने के लिए तैयार है।
प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय
https://bit.ly/NazaraOutNow

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सुभाष चंद्र बोस से रूपाणी तक विमान हादसों में कई राजनेताओं को खो चुका है देश

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विमान हादसे के बाद सुरक्षा प्रणाली पर उठते सवाल

सुभाष चंद्र बोस से रूपाणी तक विमान हादसों में कई राजनेताओं को खो चुका है देश

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(पवन वर्मा-विनायक फीचर्स)
गुजरात के अहमदाबाद में हुए विमान हादसे ने लोगों को अंतस तक झकझोर दिया है। ऐसा भीषण हादसा और उसके वीडियो देखकर लोग कराह उठे। इस विमान हादसे में 268 लोगों की मौत अब तक हो चुकी है, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी इस हादसे में काल के गाल में समां गए। यह पहला मौका नहीं है जब देश ने विमान हादसे में किसी नेता को खोया हो, इससे पहले भी देश के कई नेता विमान हादसों में समय से पहले इस दुनिया को अलविदा कहते हुए अनंत यात्रा पर चले गए। इनमें अब विजय रूपाणी का नाम भी जुड़ गया है। 
रुपाणी पहली बार 2016 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने, इसके बाद चुनाव में फिर से भाजपा की सरकार बनी और वे फिर से मुख्यमंत्री बनाए गए। विजय रुपाणी 2021 तक मुख्यमंत्री रहे थे। करीब 60 साल पहले भी गुजरात ने विमान हादसे में अपना एक वरिष्ठ नेता खो दिया था। वर्ष 1965 में हुई एक विमान दुर्घटना में गुजरात राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री बलवंत राय मेहता का निधन हो गया था।

बलवंत राय मेहता के असमय गुजर जाने के करीब आठ साल बाद फिर एक नेता को विमान दुर्घटना लील गई। दिल्ली के पास हुए हादसे में एस. मोहन कुमार मंगलम की मौत हो गई थी। यह हादसा 31 मई 1973 में हुआ था। मंगलम पूर्व सांसद और मंत्री थे।

संजय गांधी की हवाई हादसे में मारे गए थे

संजय गांधी भी ऐसे ही हादसे में मारे गए थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र और कांग्रेस के कद्दावर नेता संजय गांधी के विमान का हादसा दिल्ली के पास हुआ था। यह घटना 23 जून 1980 की है। संजय गांधी ग्लाइडर में करतब दिखाते हुए दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे और उनकी मौत हो गई ।

पंजाब के पूर्व राज्यपाल सुरेंद्र नाथ की भी मौत विमान हादसे में हुई थी। हादसा इतना दर्दनाक था कि उनके परिवार के 9 लोग भी इसमें असमय मौत के मुंह में चले गए थे। यह हादसा हिमाचल में 9 जुलाई 1994 को हुआ था।
इसके बाद ऐसे ही एक हादसे में पूर्व केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री एनवीएन सोमू की मौत हुई थी। यह घटना 14 नवंबर 1997 की है। यह हादसा तवांग के पास हुआ था। मई 2001 में अरुणाचल प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री डेरा नाटुंग की भी विमान दुर्घटना में मौत हो गयी थी।

माधवराव सिंधिया की भी प्लेन क्रेश में हुई थी मौत

इसके बाद जिस नेता की विमान हादसे में जान गई, उसने मध्यप्रदेश को झकझोर दिया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया का मध्य प्रदेश में उस वक्त खासा प्रभाव था, उनका निधन भी हवाई दुर्घटना में हुआ था। सिंधिया के साथ यह हादसा 30 सितंबर 2001 को हुआ था। कानपुर के पास उनका प्लेन क्रेश हो गया था, इसमें उनके साथ सात और लोगों की भी मौत हुई थी।

बालयोगी का भी ऐसे ही हुआ निधन

लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी को भी हम हैलीकॉप्टर क्रैश में खो चुके हैं। उनका हादसा तीन मार्च 2002 को हुआ था।
मेघालय के पूर्व मंत्री साइप्रियन संगमा का निधन 22 सितंबर 2004 को हेलीकॉप्टर क्रैश में हुआ था। हरियाणा के पूर्व कृषि मंत्री और उद्योगपति सुरेंद्र सिंह और ओपी जिंदल का भी हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ था। यह घटना मार्च 2005 की थी। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी की मौत भी हेलीकॉप्टर क्रैश होने से दो सितंबर 2009 को हो गई थी। वहीं तीस अप्रैल 2011 को अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दोरजी खांडू सहित पांच लोगों की मौत हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हुई थी।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का निधन 18 अगस्त 1945 को ताइहोकू, जापानी फॉमोर्सा (अब ताइपेई, ताइवान) में एक विमान दुर्घटना में हुआ था। वह जापानी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल सुनामासा शिदेई के अतिथि के रूप में बमवर्षक विमान में यात्रा कर रहे थे जब विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हालांकि, बोस की मृत्यु को लेकर कई विवाद और अनिश्चितताएं हैं,माना जाता है कि इस दुर्घटना में नेताजी सुरक्षित बच निकले थे लेकिन आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार इस दुर्घटना में ही उनका निधन हो गया था। (विनायक फीचर्स)

विमान हादसे के बाद सुरक्षा प्रणाली पर उठते सवाल

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( नरेंद्र शर्मा परवाना-विभूति फीचर्स)

हवाई यात्रा, आधुनिक युग की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक, ने दूरी को कम कर दुनिया को एक वैश्विक गांव में बदल दिया है। लेकिन जब यही तकनीक जीवन का अंत बन जाए, तो यह न केवल एक त्रासदी होती है, बल्कि हमारी प्रणालियों की कमियों को भी उजागर करती है। हाल ही में गुजरात में हुआ चार्टर्ड विमान हादसा इस बात का दुखद उदाहरण है। इस हादसे ने न केवल कई परिवारों को अपूरणीय क्षति पहुंचाई, बल्कि विमानन सुरक्षा और प्रणालियों पर गंभीर सवाल भी खड़े किए हैं। इस हृदय विदारक दुर्घटना के बाद इसके कारणों, प्रभावों और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा करना भी आवश्यक है ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं को रोका जा सके।

हादसा और इसके संभावित कारण

प्राथमिक जांच के अनुसार, यह हादसा उड़ान के दौरान इंजन फेल होने या नेविगेशन सिस्टम की विफलता के कारण हुआ। हालांकि मृत्यु संख्या की आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। इस हादसे ने एक बार फिर विमानन सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं।

विश्व स्तर पर देखें तो विमानन इतिहास में 33,000 से अधिक हवाई दुर्घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें 1.2 लाख से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। भारत में 1945 के बाद से 300 से अधिक बड़े और छोटे हवाई हादसे हुए हैं, जिनमें लगभग 2,000 लोगों की मृत्यु हुई है। गुजरात में ही अहमदाबाद के पास 1988 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-113 के दुर्घटनाग्रस्त होने से 113 लोगों की मौत हुई थी, जो तकनीकी खराबी और कम दृश्यता के कारण हुआ था।

हादसों के प्रमुख कारण

1. *तकनीकी खराबी*: इंजन फेल होना, सेंसर या हाइड्रोलिक सिस्टम की खराबी, या नेविगेशन उपकरणों का काम न करना। उदाहरण के लिए, इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) के अनुसार, 20 प्रतिशत टेकऑफ दुर्घटनाएं तकनीकी खराबी के कारण होती हैं।

2. *मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियां* खराब मौसम, जैसे घना कोहरा या तेज हवाएं, विमान की स्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं।
3. *पायलट की गलती* ICAO के आंकड़ों के अनुसार, 65 प्रतिशत टेकऑफ दुर्घटनाएं मानवीय भूल के कारण होती हैं, जैसे गलत गति आकलन या रनवे की गलत स्थिति।
4. *रखरखाव में लापरवाही* समय पर सर्विसिंग न होना या पुराने उपकरणों का उपयोग।
5. *एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) की त्रुटियां* गलत दिशानिर्देश या संचार में देरी।

हादसे के सामाजिक और मानविक प्रभाव

हर हवाई दुर्घटना केवल आंकड़ों की कहानी नहीं होती, बल्कि यह उन परिवारों की जिंदगियों को हमेशा के लिए बदल देती है जो अपने प्रियजनों को खो देते हैं। वलसाड हादसे में मृतकों की सटीक संख्या की पुष्टि भले ही न हुई हो, लेकिन यह निश्चित है कि इसने कई परिवारों को गहरे दुख में डुबो दिया है। एक मां का अपने बच्चे को खोना, एक बच्चे का अपने माता-पिता को खोना—ये ऐसी त्रासदियां हैं जिनका दर्द शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।

ऐसे हादसों के बाद सरकारी सहायता और मुआवजे की घोषणाएं होती हैं, लेकिन ये अक्सर अपर्याप्त साबित होती हैं। पीड़ित परिवारों को न केवल आर्थिक सहायता चाहिए, बल्कि मनोवैज्ञानिक समर्थन, बच्चों की शिक्षा और आश्रितों के लिए रोजगार जैसी दीर्घकालिक व्यवस्थाएं भी जरूरी हैं। इसके अलावा, हादसों के बाद स्थानीय समुदायों पर भी प्रभाव पड़ता है। हादसा रिहायशी इलाके के पास होने से, स्थानीय लोगों को भी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

क्या सरकार और कंपनियां सीख ले रही हैं?

वर्तमान हादसा हमें बार-बार यह सवाल पूछने को मजबूर करता है कि क्या हम इन त्रासदियों से सबक ले रहे हैं? भारत में विमानन सुरक्षा के लिए कई उपाय किए गए हैं, लेकिन बार-बार होने वाले हादसे बताते हैं कि कहीं न कहीं कमी बनी हुई है।

*सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारियां*:
– *सुरक्षा मानकों की समीक्षा*: विमानों की नियमित तकनीकी जांच और अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन सुनिश्चित करना।
– *पायलट प्रशिक्षण*: पायलटों के लिए नियमित रिफ्रेशर कोर्स और सिमुलेशन प्रशिक्षण, ताकि आपात स्थिति में वे सही निर्णय ले सकें।
– *स्वतंत्र जांच*: हर हादसे की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच, जिसके निष्कर्ष सार्वजनिक किए जाएं।
– *एयर ट्रैफिक कंट्रोल में सुधार*: ATC सिस्टम को और मजबूत करना, ताकि संचार में कोई त्रुटि न हो।

*विमानन कंपनियों की भूमिका*:
– *नियमित सर्विसिंग*: विमानों की समय पर जांच और रखरखाव, खासकर इंजन और नेविगेशन सिस्टम की।
– *अनुभवी पायलट*: केवल अनुभवी और प्रशिक्षित पायलटों की नियुक्ति।
– *आधुनिक तकनीक*: उन्नत सिग्नलिंग और बैकअप सिस्टम का उपयोग, ताकि तकनीकी खराबी के जोखिम को कम किया जा सके।

हालांकि ये उपाय पहले से मौजूद हैं, फिर भी हादसे रुक नहीं रहे। इसका मतलब है कि या तो इन नीतियों का कार्यान्वयन ठीक नहीं हो रहा, या फिर जिम्मेदारी तय करने में कमी है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को हर हादसे की गहन जांच करनी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

सुरक्षा की गारंटी कब?

हवाई यात्रा आज की दुनिया में अनिवार्यता बन चुकी है। यह न केवल समय बचाती है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और सामाजिक संपर्क का आधार भी है। लेकिन जब यह जीवन के लिए खतरा बन जाए, तो हमें अपनी प्रगति पर सवाल उठाने होंगे। यह विमान हादसा महज एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि सुरक्षा को कागजों तक सीमित नहीं रखा जा सकता। इसे जमीन पर लागू करना होगा।

सरकार, विमानन कंपनियां और समाज सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में कोई और परिवार इस तरह की त्रासदी का शिकार न बने। तकनीकी खामियों को ठीक करने, पायलटों को बेहतर प्रशिक्षण देने और रखरखाव पर सख्ती बरतने जैसे कदमों से ही हवाई यात्रा को पूरी तरह सुरक्षित बनाया जा सकता है।

*महा वाक्य*: “तकनीक की उड़ान तभी सफल है जब उसमें हर जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित हो-वरना वह प्रगति नहीं, त्रासदी है।”
यह समय है कि हम एकजुट होकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं, ताकि हवाई यात्रा वास्तव में प्रगति का प्रतीक बने, न कि दुख का कारण। (विभूति फीचर्स)

गाय के पेट से निकाली गई 80 किलो पॉलीथीन

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जटिल चिकित्सा प्रक्रिया के अंतर्गत एक गाय के रूमेन (पेट) से लगभग 80 किलोग्राम पॉलीथीन सफलतापूर्वक निकाली गई। यह सर्जरी पॉलीथीन इम्पैक्शन के कारण की गई, जो कि जानवरों के लिए जानलेवा हो सकती है। यह रूमेनोटोमी सर्जरी उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ. एम.बी. सिंह के निर्देशन में डॉ. ढालेश्वरी एवं डॉ. दीपिका सिदार द्वारा सफलतापूर्वक की गई। सर्जरी में सहायक पशु चिकित्सा अधिकारी अश्विन नेताम एवं खेमराज साहू का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। ऑपरेशन के बाद गाय विशेषज्ञों द्वारा विशेष देखरेख में है।

डॉ. ढालेश्वरी ने बताया कि गाय में पॉलीथीन इम्पैक्शन तब होता है जब गायें गलती से पॉलीथीन या प्लास्टिक खा लेती हैं, जो रूमेन (पेट) में जमा होकर पाचन में रुकावट पैदा करता है। इससे गाय में भूख कम होना, जुगाली बंद होना, पेट फूला रहना, वजन घटना और कब्ज जैसी समस्याएँ होती हैं। इसका मुख्य कारण कूड़े के ढेर से चारा खाना है। निदान के लिए रूमेन की जांच और रूमेनोटोमी (सर्जरी) की जाती है। उपचार में सर्जरी से पॉलीथीन हटाकर विटामिन, फ्लूइड और रूमेन उत्तेजक दिए जाते हैं। रोकथाम के लिए पॉलीथीन कचरे का सही निपटान और पशुपालकों को जागरूक करना जरूरी है। पशुपालन विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे पॉलीथीन का उपयोग न करें, कूड़ा-कचरा खुले में न फेंकें, और अपने पशुओं को खुले में कचरा खाने से रोकें।

राठी और थारपारकर गायों में प्रजनन सबसे ज्यादा होता है

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दिनेश कुमार स्वामी@ बीकानेर. उत्तरी और पश्चिमी राजस्थान में मांओं की लोरी में सुनाई देने वाली गौरी गाय ब्याई है.., गौरो टोगड़ो ल्याई है राठी नस्ल की गाय की अहमियत को दर्शाता है। इसी तरह थारपारकर गाय की खूबियों से उस पर रानी गाय म्हारी है… दूध सी काया पाई है, जैसी कहानियां दादी-नानी बच्चों को सुनाती रही हैं। असल में इस क्षेत्र की दूध की अर्थव्यवस्था की धुरी में यह दोनों देशी नस्ल की गाय हैं। इनके संरक्षण और उन्नयन पर राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर कार्य कर रहा है।

इन दिनों राठी और थारपारकर गायों में प्रजनन (ब्यात) सबसे ज्यादा होता है। यही वजह है कि विश्वविद्यालय के राठी और थारपारकर के फार्म में 60-70 बछड़े-बछड़ी इन दिनों कुलांचे मार रहे हैं। भीषण गर्मी जहां जर्सी, हॉलिस्टिन जैसी विदेशी और मिश्रित नस्ल की गायों के दूध उत्पादन, प्रजनन और व्यवहार पर प्रतिकूल असर डाल रही है। वहीं, राठी और थारपारकर मौसमी अनुकूलता के चलते प्रजनन कर रही हैं और दूध उत्पादन पर भी कोई असर नहीं दिखता।

गर्मी-सर्दी के अनुरूप खुद को ढालने की ताकत

वेटरनरी विश्वविद्यालय के पशु अनुसंधान केन्द्र (थारपारकर) बीछवाल के बाड़े में भरी दुपहरी में भी चटख सफेद रंग, चमकीली आंखों वाली गायों पर भीषण गर्मी का किंचित मात्र भी असर नजर नहीं आया। इन गायों की संख्या बहुत कम बची है। ऐसे में केन्द्र में रखी करीब 250 थारपारकर गायों का ऐसा समूह भी कहीं अन्य देखने को नहीं मिलता। सफेद रंग की होने से इसे सबसे खूबसूरत गाय मानते हैं। गर्मी में थारपारकर का सफेद रंग और निखर आता है। जबकि सर्दी में रंग हल्का गहरा पड़ जाता है। ऐसा, इसमें मौसम के अनुकूल खुद को ढालने के विशेष गुण के चलते है।

शर्मिला स्वभाव…बछड़ी को छूना भी गवारा नहीं

पशु अनुसंधान केन्द्र राठी में करीब 300 गाय व बछड़े-बछड़ी रखे हैं। यहां राठी नस्ल को संरक्षित किया गया है। हल्के और गहरे भूरे रंग की इन गायों के बछड़े-बछड़ी भी इस भीषण गर्मी में असहज नहीं हैं। केन्द्र के केयरटेकर बताते हैं कि राठी गाय अपने बच्चे (बछड़े या बछड़ी) को स्तनपान कराने के बाद ही दूध निकालने देती है। वैसे तो यह शर्मीली और शांत स्वभाव की है, लेकिन ब्यात के बाद इसे किसी का उसके बच्चे को छूना भी गवारा नहीं। इसीलिए इसे ममता की प्रतिमूर्ति के साथ मांओं की लोरी में भी स्थान मिला है।

देश का एक मात्र संस्थान

राजस्थान पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर देश का एकमात्र संस्थान है, जो देशी गायों की सबसे ज्यादा नस्लों का संरक्षण कर रहा है। यहां तीन पशु अनुसंधान केन्द्रों में थारपारकर, राठी, कांकरेज और साहीवाल नस्ल की गाएं हैं। चांदण (जैसलमेर) में भी थारपारकर और उदयपुर में गिर नस्ल की गायों का संरक्षण एवं संवर्द्धन केन्द्र है।

2.81 लाख की गाय और 2.11 लाख का सांड

पशु अनुसंधान केन्द्र थारपारकर के प्रभारी डॉ. मोहन लाल चौधरी बताते हैं, थारपारकर अब बहुत कम संख्या में बची हैं। गुणवत्तापूर्ण दूध और सुंदरता के चलते जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर और बीकानेर में इसकी प्रमुख मांग रहती है। पश्चिमी राजस्थान के विषम मौसम के प्रति अनुकूलता इसकी ताकत है। इस नस्ल की अनुमानत: करीब दो लाख गाय ही बची हैं। यहां से थारपारकर गाय 2.81 लाख और सांड 2.11 लाख रुपए में बेचा जा चुका है। यह अधिकांशत: बीमार नहीं पड़तीं, तो दवाइयों का उपयोग भी नहीं होता। लिहाजा, दूध में भी रसायन के अंश नहीं पाए जाते।

गर्मी-सर्दी का दूध उत्पादन पर असर नहीं

टॉपिक एक्सपर्ट- डॉ. विजय विश्नोई, प्रभारी, पशु अनुसंधान केंद्र राठी 

वेटरनरी विवि के विद्यार्थियों के रिसर्च और शिक्षण के लिए यहां देसी नस्ल की गायों को रखा गया है। करीब पांच दशक से यहां इनका संरक्षण और उन्नयन हो रहा है। साहीवाल, थारपारकर और रेड सिंधी तीन नस्लों के क्रॉस से राठी बनी है। रोजाना 5 से 15 लीटर दूध उत्पादन वाली राठी और थारपारकर दोनों के प्रजनन पर भीषण गर्मी और कड़ाके की ठंड का असर नहीं पड़ता। भरपूर रोग प्रतिरोधक क्षमता से बीमारियां नहीं लगतीं। राठी गाय श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और बीकानेर जिले में सर्वाधिक है।

सरायपाली में धड़ल्ले से चल रही गौ तस्करी

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महासमुंद। जिले के सरायपाली अंचल में गौ तस्करी का खेल धड़ल्ले से चल रहा है, जिले का सरायपाली इलाका गौ तस्करी के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्व है, अंचल में कईं गौ तस्कर सक्रिय है जोे रोजाना सैकड़ों की संख्या में मवेशी उड़ीसा प्रांत में भेजे जाते हैं जहां से उन्हें ट्रकों में भरकर पश्चिम बंगाल के कत्ल खानों तक भेजने का अवैध काम करते है, वहीं बजरंग दल के लोगों ने बताया जाता है कि मवेशी तस्करी रोकने के लिए प्रशासन भी मुस्तैद नजर नहीं आ रही है।

महासमुंद जिले का सरायपाली पश्चिम उड़िसा राज्य के सीमा से लगे होने के कारण यहां तस्कर रात के अंधेरे का फायदा उठाकर घने जंगल के रास्ते से गौ वंशों को अन्य प्रदेशों में और कत्ल खानों तक भेजे जाने में कामयाब हो रहे हैं। इस अंचल के तस्कर लगातार नेशनल हाईवे के रास्ते से होकर मवेशियों की अन्य प्रांतों में तस्करी की जा रही है, जिससे छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में मवेशियों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है, जिससे चलते हाईवे पर ही मवेशियों को हकालते हुए छत्तीसगढ़ से सरायपाली सिंघोडा, रेहटीखोल होते हुए उड़ीसा तक ले जाया जाता है, गौ रक्षको ने बताया कि वे गौ तस्करी को रोकने के लिए रात को संदिग्ध ईलाको की लगातार निगरानी की जा रही है, किन्तु स्थानीय प्रशासन को गौ तस्करी की जानकारी देने के बाद भी प्रशासनिक सहयोग नहीं नहीं मिल पाता है, जिसके कारण गौ तस्कर फरार हो जाते है, स्थानीय पुलिस गौ तस्करों को पकड़ने के बजाय गौ रक्षकों को ही धमकाने का काम करती है।

गाय को राष्ट्र माता घोषित करने की मांग को लेकर 45 दिवसीय कांवड़ यात्रा शुरू

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भिंड: देश में समय समय पर गाय को राष्ट्र माता घोषित करने की मांग उठती रहती है, खासकर सामाजिक और धार्मिक संगठनों द्वारा गाय को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने के लिए लंबे समय से आंदोलन और प्रदर्शन किए जा रहे हैं. ताजा मामला भिंड जिले से आया है, यहां गौ भक्त मंडली द्वारा अनोखे अंदाज में प्रदर्शन किया जा रहा है. गौ भक्त मंडल के सदस्यों ने गौ हत्या पर रोक लगाने और गायों की रक्षा के लिए की मांग को लेकर सैकड़ों किलोमीटर दूर से गंगाजल भरकर उज्जैन में बाबा महाकाल पर चढ़ाने का संकल्प लिया है.

45 दिवसीय कांवड़ यात्रा शुरू

बता दें कि भिंड़ के गौ भक्त मंडली द्वारा गाय को राष्ट्र माता घोषित करने की मांग को लेकर 45 दिवसीय कांवड़ यात्रा शुरू की गई है. इस कांवर यात्रा का उद्देश्य गायों की हत्या पर रोक लगाई जाए और गायों की रक्षा के लिए देशव्यापी कानून बनाया जाए. इसके लिए भक्त मंडली का एक दल कांवड यात्रा पर निकला है. यह दल लगभग 1100 किलोमीटर दूर हरिद्वार से गंगाजल भरकर उज्जैन पहुंचेगा और बाबा महाकाल को गंगाजल अर्पित करेगा.

गौ भक्त दल ने इस यात्रा को भगवान भोलेनाथ से गाय के संरक्षण की मन्नत के साथ शुरू की है. हरिद्वार से प्रारंभ होने वाली इस यात्रा के लिए यह दल भिण्ड के बड़े हनुमान मंदिर से हरिद्वार के लिए रवाना हुआ है. लगभग 45 दिन में हरिद्वार से उज्जैन महाकाल तक की यात्रा पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित कर यह दल निकला है.

1100 किलोमीटर की होगी यात्रा

भिंड जिले से 6 सदस्यीय दल में सौरभ फक्कड, छोटू, लालू, चैतन्य, कृष्ण शामिल हैं. गौ भक्त दल के सदस्यों ने बताया, “गौ संरक्षण और गाय को राष्ट्र माता घोषित करने की मांग को लेकर यह सैंकड़ों किलोमीटर की यात्रा प्रारंभ की है.” अपनी यात्रा का पूरा रूट बताते हुए उन्होंने कहा, “इसकी शुरुआत हरिद्वार के हरकी पौड़ी से होगी. कांवड़ में जल भरकर मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, अलीगढ, आगरा, जैतपुर, अटेर, भिण्ड, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, व्याबरा, मक्सी, उज्जैन तक पहुंचेगी, इसका मकसद गौ संरक्षण और गाय को राष्ट्र माता घोषित कराना रहेगा.

गाय की खराब हालत देखते लिया निर्णय

भिंड जिले के गौ भक्त सौरव शर्मा बताते हैं कि “देश में गाय की दुर्दशा पर किसी का ध्यान नहीं है. अगर गाय राष्ट्र माता होगी तो इस पर सरकार का ध्यान भी जाएगा और लोगों के दिल में राष्ट्र प्रेम के साथ गाय का प्रेम जगेगा. बस इसी को देखते हुए यह निर्णय लिया है. हमारे द्वारा सैंकड़ों किलोमीटर की इस यात्रा से लोगों को जागरूक किया जाएगा और सरकार से गाय के संरक्षण के लिए विचार करने पर विवश किया जाएगा.”

द बंगाल फाइल्स में विवेक रंजन अग्निहोत्री फिर खोलेंगे एक और दर्दनाक सच

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मुंबई (अनिल बेदाग) : विवेक रंजन अग्निहोत्री, जो अपनी बेबाक कहानियों और दमदार फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, अब द बंगाल फाइल्स: राइट टू लाइफ लेकर आ रहे हैं। इससे पहले वो द ताशकंद फाइल्स और द कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्में दे चुके हैं। ये फिल्म पहले द दिल्ली फाइल्स नाम से बन रही थी, लेकिन अब इसका नाम बदल दिया गया है। नाम बदलते ही चर्चा शुरू हो गई थी और अब जब इसका टीज़र रिलीज़ हुआ है, तो लोगों की उत्सुकता और भी बढ़ गई है।

टीज़र में एक बार फिर हिंदुस्तान के बीते वक्त के डरावने पहलू की झलक मिलती है। तगड़े विजुअल्स और भावनाओं से भरी इस झलक ने साफ कर दिया है कि फिल्म बहुत ही असरदार और दिल को छू जाने वाली होगी। अभिषेक अग्रवाल और पल्लवी जोशी ने मिलकर इस फिल्म को बनाया है, जिसमें मिथुन चक्रवर्ती, अनुपम खेर, पल्लवी जोशी और दर्शन कुमार जैसे जाने-पहचाने चेहरे नजर आएंगे। टीज़र में दिखाए गए सीन्स काफी भारी और तीखे हैं, जो बताते हैं कि कहानी कितनी गहरी और सच्चाई से जुड़ी है। हर एक फ्रेम में एक बेचैनी सी दिखती है, जो विवेक अग्निहोत्री की कहानियों की पहचान बन चुकी है।

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फिल्म एक ज़ोरदार और झकझोर देने वाली कहानी लेकर आ रही है। कुछ महीने पहले मेकर्स ने इसका एक टीज़र रिलीज़ किया था, जिसमें मिथुन चक्रवर्ती सफेद दाढ़ी और थके-हारे लुक में एक सुनसान गलियारे से गुजरते दिखते हैं। वो जली हुई ज़ुबान से संविधान की प्रस्तावना पढ़ते हैं, जो देखने वालों के दिल-दिमाग पर असर छोड़ती है।

द बंगाल फाइल्स को विवेक अग्निहोत्री ने लिखा है और इसे अभिषेक अग्रवाल और पल्लवी जोशी ने प्रोड्यूस किया है। फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती, पल्लवी जोशी, अनुपम खेर और दर्शन कुमार जैसे कलाकार नज़र आएंगे। तेज नारायण अग्रवाल और आई एम बुद्धा प्रोडक्शंस के प्रजेंटेशन में बनी ये फिल्म, विवेक की फाइल्स ट्रिलॉजी का हिस्सा है, जिसमें द कश्मीर फाइल्स और द ताशकंद फाइल्स शामिल हैं। ये फिल्म सिनेमाघरों में 5 सितंबर 2025 को रिलीज़ होगी।

गाय को ‘राष्ट्र माता’ घोषित किया जाए : स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार से गायों को ‘राष्ट्र माता’ और राज्यों से उन्हें ‘राज्य माता’ घोषित करने की मांग की. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के प्रवक्ता ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि स्वामी ने अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए देशव्यापी ‘गौ ध्वज’ अभियान शुरू किया है.

उन्होंने कहा, ”अभियान में सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आह्वान किया जा रहा है कि वे गाय को राष्ट्रीय स्तर पर ‘राष्ट्र माता’ और राज्य स्तर पर ‘राज्य माता’ का मानद दर्जा दें.” अविमुक्तेश्वरानंद के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शैलेंद्र योगीराज के अनुसार, ”उन्होंने कहा कि गाय को पशु की श्रेणी से हटाकर उसे पूजनीय माता का दर्जा देने की भी मांग है.” उन्होंने कहा कि शिमला के जाखू स्थित हनुमान मंदिर में भी गौ ध्वज स्थापित किया गया है. योगीराज ने कहा कि भारत में अब भी कई ऐसे राज्य हैं जहां गोहत्या पर प्रतिबंध नहीं है.

योगीराज के अनुसार स्वामी ने कहा, ”यदि केंद्र सरकार गाय को राष्ट्रमाता घोषित कर दे और सख्त कानून बना दे, तो इससे गौहत्या पर प्रभावी रोक लग सकेगी.” स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गौ संरक्षण और कल्याण के लिए वोट जुटाने की खातिर ‘गौ मतदाता अभियान’ भी शुरू किया है.