टीकमगढ़ जिले के जैन अतिशय क्षेत्र पपोरा जी में संचालित गौशाला में सैकड़ों गायों की हुई मौत, गौशाला प्रबंधन द्वारा मृत गायों को छिपाने के लिए गौशाला से करीब 2 किमी दूर जंगल में शव फिकवा दिए.
Tikamgarh News: मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के जैन अतिशय क्षेत्र पपोरा जी में संचालित गौशाला में सैकडों गायों की हुई मौत, गौशाला प्रबंधन द्वारा मृत गायों को छिपाने के लिए गौशाला से करीब 2 किमी दूर स्थित रमन्ना के जंगल में मृत गायों के शव फिंकवा दिये गये हैं. जहां अब इन मृत गायों को जंगली जानवर व कुत्ते नोच-नौचकर खा रहे हैं, वही पूरे जंगल में जगह-जगह समूहों में गायों के मृत शरीर व कंकाल ही कंकाल पड़ें नजर आ रहे हैं, जिससे साबित होता है कि इन्हें एक साथ लाकर यहां फेंका गया है. वहीं स्थानीय लोगों व जंगल में मवेशी चराने वाले लोगों की माने तो गौशाला में गायों की मौतों का यह सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है, लेकिन पिछले दो तीन माह में करीब 400 से अधिक गायों की मौत ठंड व भूख से हुई है. वही अब जिला प्रशासन इस मामले में जांच कर कार्रवाई की बात कर रहा है.
पपौरा जी में ठंड और भूख से गई गायों की जान
अमानवीयता की सारी हदें पार करने की ये तस्वीरे मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले से निकल कर आई है जहाँ जैन सम्प्रदाय के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पपौरा जी में दयोदय गौशाला के नाम से संचालित गौ शाला में ठंड और भूख से हुई गायों की मौत छिपाने मृत गायों के क्रूरता पूर्ण तरीके से कान काटकर जंगलों में फेंक दिया गया. गायों के कान पहचान छिपाने की नियत से काटे गए, ताकि गायों के कान में गौ शाला में लगाये गए टैग से इसकी पुष्टि ना हो सके, क्रूरता की सारी हदें पार कर गायों के सैकड़ों की संख्या में मृत शरीर रमन्ना के जंगलों में फेंके गए है जो वहां अब सड़ रहे है और जंगली जानवरों के साथ-साथ कुत्ते उन्हें नौच-नौच कर खा रहे हैं.
प्रत्यक्ष दर्शियों और गांव के लोगों की मानें तो गौ शाला में गायों की मौतों का यह सिलसिला लंबे अरसे से चला आ रहा है. गायों की मौत होने पर इसी प्रकार से गौशाला के संचालक मृत गायों के शवों को जंगलों में फिंकवाते आये है. पर इस बार इतनी बड़ी तादाद में गायों की मौत ने इनकी पोल खोल कर रख दी है. इस पूरे घटनाक्रम का सबसे दुःखद पहलू यह है कि अहिंसा परमो धर्मा का पाठ पढ़ाने वाले जैन धर्मावलंबियों द्वारा सुप्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल पपौराजी में वर्ष 2000 से दयोदय गौशाला के नाम से गौशाला संचालित की जारही है. वही अगर हम बजट और पैसों की बात करे तो इस गौशाला के संचालन में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा लाखों रूपया का अनुदान सहायता के रूप में तथा लाखों रूपये निजी तौर पर भी संचालकों द्वारा लोगो से जनसहयोग से एकत्रित किया जाता है.
गायों की नहीं की जा रही है देखभाल
गौशाला का यह हाल है कि गौ माता को विशेष दर्जा देने वाली भाजपा की ना केवल केंद्र बल्कि राज्य में सरकार है फ़िर भी प्रदेश में गौ माता और गौशालाओ के नाम पर संस्थाएं अनुदान राशियां तो ले रही है. पर गायों की कितनी देखभाल और सेवा कर रही है उसका अंदाजा गौशाला में पल रही गायों के कमजोर शरीर व खाने में सूखा भूसा को देखकर एवं टीकमगढ़ जिले में हुई एक ही गौशाला में पिछले तीन चार माह में इतनी बडी संख्या में गायों की मौतों से ही जाहिर हो जाता है. टीकमगढ़ जिला प्रशासन आज भी इन गायों की मौतों को छिपाने में इन क्रूर गौ शाला संचालकों का साथ देने में लगा है.
जबकि इस मामले में उप संचालक पशुपालन विभाग का कहना है कि गौशालाओं में मृत गायों को इस तरह खुले में फेंकना कतई उचित नही है, नियमानुसार मृत गायों के शवों को जमीन में गड्ढा खोदकर समाधि खाद आदि डालकर दफनाना चाहिये.
वहीं इस मामले में एसडीएम का कहना है कि दयोदय गौशाला पपौरा में बडी संख्या में हुई गायों की मौतों के मामले में जांच के लिए टीमें गठित की गई है जिनकी जांच रिपोर्ट आते ही दोषियों के खिलाफ कडी कार्यवाही की जायेगी