मंडला। जब किसी गौ पालक के यहां गाय बछड़े को जन्म देती है तो गौ पालक को इसके पालन-पोषण की चिंता सताने लगती है क्योंकि खेतों में बैलों का उपयोग कम होता जा रहा है, बैलों की जगह खेतों की जुताई सहित अन्य खेती से जुड़े कामों में अब मशीनों का उपयोग हो रहा है, इसलिए अधिकांश गौ पालक यही चाहते हैं कि उनकी गाय बछिया को ही जन्म दे लेकिन आज से कुछ दिनों पहले तक यह सिर्फ किसान की किश्मत पर ही निर्भर रहता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। यदि किसान चाहेगा कि उसकी गाय बछिया को जन्म दे तो बछिया का ही जन्म होगा और इसकी गारंटी पशु विभाग के अधिकारियों के अनुसार इसकी 99.99 प्रतिशत की दी जा रही है।

सार्टेंड सेक्स सीमन से असंभव हो गया संभव

चूंकि बैलों की उपयोगिता कृषि कार्यों में अब न के बराबर ही रह गई है। इसलिए जब किसी गौ पालक के यहां गाय ग्याभन होती है, तो गौ पालक यही चाहते हैं कि बछड़े की जगह बछिया का ही जन्म हो, लेकिन नई पद्धति के चलते अब पशुपालक को निराश होने की आवश्यकता नहीं होगी। पशु पालन विभाग से मिली जानकारी अनुसार बछिया होने की गारंटी का कारण है सार्टेड सेक्स सीमन। यह एक तरह की वैक्सीन है जो गाय को दी जाती है। गौरतलब है कि अब तक विशेष नस्लों के लिए सीमन का अविष्कार किया जाता रहा है, जिसका लाभ गौ पालक ले भी रहे हैं, इसी कड़ी में अब इस सीमन का उपयोग शुरू किया गया है।

अब तक 80

जिले में गौ वंश की संख्या 486200 और भैंस की संख्या 82098 है लेकिन प्रचार प्रसार के अभाव में अब तक मात्र 80 पशु पालकों ने ही इस सीमन का उपयोग अपनी गाय या भैंस में कराया है इसके अलावा जिले के घुघरी, मवई जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में पशुपालक को न तो इस सीमन की जानकारी है और ना ही योजना के संबंध में। विभागीय अधिकारी भी सिर्फ उन्हीं क्षेत्रों में इस सीमन का लाभ पहुंचा रहे हैं जहां पशु पालन अधिक होता है जबकि अन्य क्षेत्रों के पशु पालक भी इस सीमन का लाभ चाहते हैं। उपसंचालक पशुपालन एवं डेयरी विभाग से मिली जानकारी अनुसार इस विशेष सीमन का उपयोग मार्च 2022 से ही शुरू किया गया है, अब तक करीब 80 गायों पर इसका उपयोग किया जा चुका है। बताया गया कि जब गाय हीट में आती है तब इस सीमन का उपयोग किया जाता है। सिर्फ गाय ही बल्कि भैंसों में भी इस विशेष सीमन का उपयोग किया जा सकता है। बताया गया इस नई पद्धति के उपयोग से गाय, भैंसों के स्वास्थ्य पर भी कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है।

एक से अधिक बार किया जा सकता है उपयोग

डॉ आरएन कुशरो ने बताया कि सार्टेड सेक्स सीमन का उपयोग गाय और भैंस में एक से अधिक बार के प्रजनन काल के दौरान किया जा सकता है अर्थात यदि एक बार इस सीमन से बछिया हो चुकी है तो अगली बार प्रजनन के दौरान फिर इस सीमन के उपयोग से पशु पालक अपनी पसंद और जरूरत के हिसाब से बछिया या बछड़े का चयन कर सकता है। डॉ कुशरो ने बताया कि 450 रूपये का शुल्क गौ पालक से जमा कराया जाता है जिसके बदले ये सेवाएं दी जा रही है।

ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं दिया जा रहा लाभ

घुघरी विकासखण्ड अंतर्गत कंडरा गांव के गौ पालक गोलू यादव ने बताया कि जब उन्होंने इस विशेष सीमन के बारे में सुना तो उन्होंने क्षेत्र के पशु अस्पताल घुघरी में संपर्क किया तो अधिकारियों ने बताया कि यह सीमन अभी यहां उपलब्ध नहीं है। इस तरह पशु पालन विभाग द्वारा इस विशेष सीमन का लाभ कुछ क्षेत्रों में ही दिया जा रहा है, इसी के साथ कई गौ पालकों को अभी इस विशेष सीमन की जानकारी ही नहीं है।
इनका कहना है।
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जिले के जिन क्षेत्रों में पशुपालन का प्रतिशत अधिक है, वहां प्रथम चरण में सार्टेड सेक्स सीमन का लाभ दिया जा रहा है। अगले चरण में अन्य क्षेत्रों में भी इस सीमन का लाभ पशु पालकों को दिया जाएगा।
यूएस तिवारी
उपसंचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं मंडला।

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