बचपन मे भगवान श्रीकृष्ण नंगे पैर ही ब्रज में रहा करते थे। जब माता यशोदा उनसे पूछा करती थी की लाला तू अपने पैरों में कुछ धारण क्यों नही करता। तब भगवान कृष्ण बड़े सुंदरता से गौ माता के प्रति प्रेम दर्शाते हुए कहते थे कि,जब ब्रज की गायों ने कुछ धारण नहीं किया तो मैं कैसे धारण कर सकता हूं। एवं वह पूरे ब्रज में नंगे पैर ही घूमा करते थे।

वैसे तो वह भगवान है एवं उनके चरणों को हमारी धरती माता कैसे कष्ट दे सकती हैं। उनके चरणों को भी कुछ नहीं हो सकता परंतु वह यह लीला गौमाता के प्रति अपना स्नेह भाव एवं प्रेम बहुत दर्शाने के लिए करते थे। भगवान कृष्ण 84 लाख योनियों में से इतने सारे प्राणीयों को छोड़कर सिर्फ गौमाता के लिए ही इतना प्रेम और समर्पण इसलिए दिखा रहे थे क्योंकि गौमाता बडी महान है।

सनातन धर्म के शास्त्रों मे गौ माता के दूध को अमृत का दर्जा दिया गया है। गौ माता का दूध अमृत से कम नही है।

1.गौ माता के दूध से हमे शारिरिक बल प्राप्त होता है।

2.गौ माता का दूध पीने से हमारी मानसिक स्थिती में सुधार आता है।

3.गौ माता का दूध पीने से हमारी बुद्धिमत्ता बढती जाती है।

4.गौ माता का दूध सात्त्विक होता है,ऐसे सात्त्विक दूध को पीने से हमारा स्वभाव भी सात्त्विक बनता जाता है।

5.सात्त्विकता की वजह से हमारे अंदर दैवी गुण उत्पन्न होते है। जिससे हम एक सद्गुणी व्यक्ति बन सकते है।

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