Home Female देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाली पहली आदिवासी होंगी द्रौपदी मुर्मू

देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाली पहली आदिवासी होंगी द्रौपदी मुर्मू

देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाली पहली आदिवासी होंगी द्रौपदी मुर्मू

406
0

एनडीए की तरफ से द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है. बीजपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उनके नाम पर मुहर लगा दी है. अगर द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बन जाती हैं तो वे देश की पहली आदिवासी होंगी जो देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचेंगी. उनका राष्ट्रपति बनना आजाद भारत के इतिहास में अपने आप में एक बड़ा पड़ाव साबित हो सकता है.

खुद जेपी नड्डा को भी इस बात का अहसास है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एनडीए की तरफ से इस बार सिर्फ एक महिला उम्मीदवार देने पर फोकस नहीं रहा, बल्कि आदिवासी समुदाय से किसी को आगे करने पर सहमति बनी. वे कहते हैं कि इस बार पूर्वी भारत से किसी को मौके देने पर सभी के बीच में सहमति बनी थी. हमने इस बात पर भी विचार किया कि अभी तक देश को आदिवासी महिला राष्ट्रपति नहीं मिली हैं. ऐसे में बैठक के बाद द्रौपदी मुर्मू के नाम पर मुहर लगाई गई.

द्रौपदी मुर्मू के नाम का ऐलान कर एक तरफ पार्टी ने आदिवासियों को साधने का काम किया है तो वहीं दूसरी तरफ महिला सशक्तिकरण को लेकर भी बड़ी लकीर खींच दी है. इससे पहले भी बीजेपी ने कई मौकों पर ऐसे एक्सपेरिमेंट किए हैं. फिर चाहे निर्मला सीतारमण को देश की पहली पूर्णकालिक रक्षा मंत्री बनाया गया हो या फिर दलित नेता राम नाम कोविंद को राष्ट्रपति बनाने की पहल करना रहा हो. ऐसे में एक बार फिर बीजेपी इसी दिशा में आगे बढ़ती दिख रही है. एक तरफ पूरे पूर्वी भारत को साधने की तैयारी है तो वहीं दूसरी तरफ आगामी चुनावों को देखते हुए आदिवासी कार्ड भी खेला गया है.

द्रौपदी मुर्मू का हर पद पर बिना विवादों वाला कार्यकाल रहा है. द्रौपदी मुर्मू को देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल होने का गौरव पहले ही प्राप्त है. झारखंड में राज्यपाल के तौर पर कुल 6 साल एक माह 18 दिन का उनका कार्यकाल निर्विवाद तो रहा ही, राज्य के प्रथम नागरिक और विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति के रूप में उनकी पारी यादगार रही है. कार्यकाल पूरा होने के बाद वह 12 जुलाई 2021 को झारखंड से राजभवन से ओडिशा के रायरंगपुर स्थित अपने गांव के लिए रवाना हुई थीं और इन दिनों वहीं प्रवास कर रही हैं.

18 मई 2015 को झारखंड की राज्यपाल के रूप में शपथ लेने के पहले द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार विधायक और एक बार राज्यमंत्री के रूप में काम कर चुकी थीं. झारखंड के जनजातीय मामलों, शिक्षा, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर वह हमेशा सजग रहीं. कई मौकों पर उन्होंने राज्य सरकारों के निर्णयों में संवैधानिक गरिमा और शालीनता के साथ हस्तक्षेप किया. उन्होंने 2016 में राज्य में उच्च शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर खुद लोक अदालत लगायी थी, जिसमें विवि शिक्षकों और कर्मचारियों के लगभग पांच हजार मामलों का निबटारा हुआ था.

Previous articleअंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर इरा त्रिवेदी के योग लव सोशलस्वैग अकादमी
Next articleभगवान श्री कृष्ण के द्वारा गौ माता से स्नेह एवं उनका प्रेम

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here