श्रद्धा आफताब लिव इन रिलेशनशिप हत्याकांड प्रकरण उफ्फ यह प्रेम है क्या ?
बात - बात पर धरने प्रदर्शन एवं विरोध करने वाली सामाजिक संस्थाएं तो बहुत हैं । मगर ऐसे मुद्दों पर अड़ने एवं लड़ने वाली संस्थाएं एवं लोग कहीं गायब होते जा रहे हैं । क्यों न एक ऐसी संस्था सरकार या राष्ट्र की तरफ से खड़ी की जाए जो इस प्रकार के संवेदनशील एवं नैतिक मूल्यों से संबंधित प्रकरणों पर स्वयं संज्ञान लेकर इन्हें रोके । यहां सवाल केवल श्रद्धा या आफताब का नहीं है 'लव जिहाद' का भी नहीं है,विजातीय प्रेम के नाम पर शोषण या पाशविकता का भी नहीं है बल्कि यह प्रश्न है मनुष्यता का । उससे भी बड़ा प्रश्न है जीवन मूल्यों एवं नैतिकता का । हर हाल में इस पतन को रोकने के लिए आज आगे आने की जरूरत तो है । (युवराज) डॉ घनश्याम बादल (लेखक सामाजिक सरोकारों के जाने-माने स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं । )