बिना पेड़ के बीज स्कूल में लाए बच्चों को स्कूल में प्रवेश से वंचित करना आज के परिवेश की आवश्यकता

मुंबई: महाराष्ट्र सरकार के विभिन्न विभागों के लिए शैक्षणिक सामग्री का उत्पादन करनेवाली पुणे स्थित चैत्र क्रिएशन्स एंड पब्लिसिटी, पर्यावरण दिन ( ५ जून ) के औचित्य पर अपने रोप्यमहोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में पर्यावरण जागरूकता शिक्षण सामग्री का शुभारंभ यशवंतराव चव्हाण केंद्र मेंआयोजित किया था । इस कार्यक्रम में सहयाद्री देवराय के संस्थापक एवं अभिनेता श्री सयाजी शिंदे एवं साईवानी संस्था के संस्थापक एडवोकेट डॉ. सुनील नानासाहेब करपे की विशेष उपस्थिति थी। इस कार्यक्रम में सहयाद्री देवराई के संस्थापक एवं अभिनेता श्री सयाजी शिंदे एवं साईवानी संस्था के संस्थापक एडवोकेट डॉ. सुनील नानासाहेब करपे की विशेष उपस्थिति थी।

चैत्र क्रिएशन्स एंड पब्लिसिटी इंस्टीट्यूट ने कार्बन उत्सर्जन, जलवायु परिवर्तन, बढ़ते तापमान, बेमौसम बारिश, ग्लोबल वार्मिंग, गिरते भूजल स्तर जैसे विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में छात्रों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए छह प्रकार की शैक्षिक सामग्री का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम में बोलते हुए सह्याद्रि देवराई के संस्थापक और अभिनेता श्री सयाजी शिंदे ने कहा, “पर्यावरण दिवस पर संदेश है ‘पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ’, लेकिन मुख्य मुद्दा यह है कि इसका कितना पालन किया जाता है। जब बच्चों को स्कूल में भर्ती होने के लिए जन्म प्रमाण पत्र आवश्यक है, उसी तरह स्कुल में दाखिल होने से पहले हर बच्चे को एक पेड़ लगाना चाहिए। ताकि जब लड़का या लड़की अपनी स्कूल शिक्षा पूरी कर ले, तो उसके पास अपने अधिकार का एक पेड़ हो। इस युवावस्था में उन्हें पर्यावरण की संस्कृति होगी। इसके लिए महाराष्ट्र सरकार, केंद्र सरकार, सरकारी और निजी सामाजिक संस्थाओं के साथ-साथ स्कूल और कॉलेजों को मिलकर काम करने की जरूरत है तभी हम अपने पर्यावरण को बचा पाएंगे। आज भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर की एक क्रांति आयी है लेकिन इस क्रांति मैं हम पुराने पेड़ों को नष्ट कर रहे हैं, हालांकि इन पेड़ों का पुनर्वास आसानी से संभव है, हम इसकी अनदेखी कर रहे हैं।”

शैक्षिक सामग्री तैयार करने वाली संस्था चैत्र क्रिएशन्स एंड पब्लिसिटी की संस्थापक और संचालिका चित्राजी मेटे ने कहा, ” पर्यावरण बचाने के लिए तयार किये गये शैक्षणिक सामग्री में एक्टिविटी सेट, एक्टिविटी बुकलेट, बुक कवर, लेबल, बुकमार्क और फिल्म शामिल हैं और यह साहित्य सामग्री विश्व स्तर पर स्वीकृत सिद्धांतों को अपनाकर तैयार की जाती है। कम उम्र में छात्रों के बीच पर्यावरण जागरूकता विकसित करने के अलावा, यह शैक्षिक सामग्री संचार कौशल, स्मृति और तर्क विकास, रचनात्मकता, आत्मविश्वास, हाथ-आँख समन्वय, अवलोकन कौशल और रचनात्मक कौशल विकसित करने के लिए उपयोगी है। वातावरण में कार्बन-डाइऑक्साइड, कार्बन-मोनोऑक्साइड आदि की मात्रा बढ़ गई है, फिर भी यदि हमने पर्यावरण का ध्यान नहीं रखा तो यह सारा मामला हाथ से निकल सकता है।इस उपक्रम से हमारा ईमानदार प्रयास है कि छोटे से लेकर छोटे,

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