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करनाल: न्यूज़ १८ के हिमांशु नारंग की खबर के अनुसार , मोहम्मद अजमेर की डेयरी इन दिनों हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक बनी है. मो. अजमेर ने 2019 में रानी नाम की गाय का पालन पोषण करने के बाद अपनी एक डेयरी की शुरुआत की. उसने गौ पालन में न सिर्फ अपने भविष्य को तलाशा, बल्कि समाज में फैली भ्रांतियों को दरकिनार कर एक अलग पहचान बनाई.
मो. अजमेर ने पहले एक गाय के साथ पशुपालन का कार्य शुरू किया और आज उसके डेयरी में 15 से अधिक पशु हैं. आर्थिक तौर पर कमजोर अजमेर एक मुस्लिम परिवार से संबंध रखता है. अजमेर के घर में यही माना जाता है की अगर उनके घर में गाय नहीं तो घर में बरकत नहीं होगी और नुकसान भी झेलना पड़ सकता है. उसने बताया कि पिता की मौत के बाद वह रानी नामक गाय को लेकर आया था.
बताया, यह वह समय था, जब उनका परिवार आर्थिक तंगी में था. लेकिन, रानी ने उसकी आर्थिक तंगी को न सिर्फ दूर किया, बल्कि उसे एक सफल डेयरी संचालक भी बनाया. नतीजन, आज उसके पास रानी की तीसरी पीढ़ी मौजूद है. अजमेर की सफलता के बाद रानी गाय को खरीदने के लिए कई व्यापारी आए, जो मुंह मांगी कीमत देने के लिए भी तैयार हैं, लेकिन अजमेर ने इनकार कर दिया, क्योंकि रानी उसके बुरे वक्त की साथी है.
अब लाखों कमाता है अजमेर
मोहम्मद अजमेर गायों से करीब 85 लीटर और भैंसों से 50 लीटर दूध का उत्पादन करता है. महीने में चार हजार लीटर से ज्यादा का उत्पादन उसकी डेयरी से होता है. मौजूदा वक्त में गाय का दूध 40 रुपये लीटर और भैंस का 60 से 70 रुपए प्रति लीटर में बिक रहा है. आज की तारीख में अजमेर की आमदनी लाखों में होती है.
ड्राइवरी करता था अजमेर
बता दें कि अजमेर गुरुग्राम में भाइयों के साथ ड्राइवरी का काम करता था, लेकिन उसे एक पशुपालक बनकर आमदनी करनी थी. जिसके बाद वह गुरुग्राम से घर लौटा और डेयरी फार्म की तरफ ध्यान दिया. जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए. अजमेर कहता है कि यदि अपने शौक को ही प्रोफेशन बना लिया जाए, तो काम में भी मन लगता है और आमदनी भी अच्छी होती है.
यूट्यूब से सीखा गुण  
वहीं अजमेर ने यूट्यूब पर पशुओं के बारे में जानकारी हासिल की और वेटनरी डॉक्टरों से मार्गदर्शन भी लिया, जिससे उसे न सिर्फ पशुओं की नस्लों के बारे में पता चला, बल्कि पशुओं में आने वाली बीमारियों की भी जानकारी मिली। दूध कैसे बढ़ाएं, इसको लेकर भी उसे उचाना जाकर ट्रेनिंग ली, और ऐसे अजमेर एक सफल डेयरी संचालक बना.
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