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World Milk Day: खास रिपोर्ट – गऊ माता ने बनाया लखपति

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आज विश्व मिल्क डे है और बहुत अच्छी खबर रांची से आ रही है। समाचार के अनुसार रांची के बुढमू प्रखंड बेरवारी गांव निवासी 40 वर्षीय रामेश्वर महतो की जिंदगी गौ पालन से बदल गई। कभी राजमिस्त्री का काम करने वाला रामेश्वर को जीतोड़ मेहनत के बाद भी न तो परिवार चलाने लायक आमदनी होती थी और न ही समाज में इज्जत मिलता था। भविष्य की चिंता से परेशान रामेश्वर 2004 में रामकृष्ण मिशन के दिव्यायन कृषि विज्ञान केंद्र के संपर्क में आये। कृषि विज्ञानियों ने गो पालन का सलाह दिया। दिव्यायन कृषि विज्ञान केंद्र में छह माह का गौ पालन की ट्रेनिंग ली। फिर बैंगलोर जाकर श्रीश्री रविशंकर के आश्रम जाकर गोबर से केचुआ खाद और गौ मूत्र से जैविक कीटनाशक बनाने की ट्रेनिंग ली।

2005 में कर्ज लेकर साहिवाल नस्ल की एक गाय खरीदी। राजधानी में श्यामा प्रसाद विश्वविद्यालय के समीप एक व्यक्ति की खाली पड़े जमीन में शेड डालकर गो पालन शुरू किया। घर-घर जाकर दूध बेचते। एक से दो और फिर गायों की संख्या बढ़ने लगी तो जगह कम पड़ गया।

फिर रामेश्वर महतो महतो गायों को लेकर अपने गांव चला गया। वहां बड़े स्तर पर गो पालन करने लगा। आज उनके खटाल में साहिवाल, फ्रिसियन, गिर नस्ल की 16 गाये हैं, जबकि छह बछिया हैं। प्रतिदिन 150 लीटर दूध का उत्पादन होता है, जिसे करीब 35 रुपये लीटर की दर पर मेधा डेयरी को बेचते हैं। इस तरह प्रतिमाह 1 लाख 57 हजार 500 रुपये कमाते हैं।

इसके अलावा गाय के गाेबर से केंचुआ खाद और गौ मूत्र से कीटनाशक बनाते हैं। केंचुआ खाद और गो मूत्र को बेचने के बजाय खुद के खेती में उपयोग करते हैं। रामेश्वर के अनुसार गो पालन ने आर्थिक परेशानी दूर कर दी। अब जीवन आराम से कट रहा है। बच्चे को अच्छी शिक्षा दिला रहें।

गाय पालन के साथ गोबर गैस वर्मी कंपोस्ट का कर रहे उत्पादन

रांची जिले के नगड़ी प्रखंड के हरही निवासी विशेश्वर शाही गाय पालन के साथ साथ गोबर गैस उत्पादन, वर्मी कंपोस्ट और गौशाला को धोने के उपरांत अवशेष पदार्थ और बेकार पानी का उपयोग खेती में किया जा रहा है। विशेश्वर के पास कुल 30 गायें हैं। इनमें से दो शाहीवाल, फ्रीजीयन और उन्नत नस्ल के गाय शामिल हैं। गिर नस्ल का नंदी है। धीरे धीरे गिर नस्ल को बढ़ाने का इरादा है। प्रतिदिन 200 लीटर दूध का उत्पादन होता है। जिसे वे मेधा को आपूर्ति करते हैँ। एकमुश्त 200 लीटर दूध 35 लीटर प्रति लीटर की दर से घर आकर ले जाया जाता है। 2011 में उन्होंने गव्य विकास से पांच गाय लिया था। इसी पांच गाय से धीरे धीरे अब उनके पास 30 गायें हैं। गाय पालन और उससे होने वाले लाभ को देखकर गांव के अन्य लोगों ने भी एक -दो गाय पालना शुरु कर दिया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज गर्भ गृह की आधारशिला रखी

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रामलला के मंदिर निर्माण का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। रामलला के मंदिर के गर्भगृह का शिलान्यास शुरू हो गया है। गोरक्ष पीठ के महंत और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इसका उद्घाटन किया। इस अवसर पर स्वामी परमानंद सहित राम मंदिर आंदोलन से जुड़े 100 से ज्यादा संतों सहित 300 लोग इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के राम मंदिर में गर्भगृह का ‘पूजन’ किया। मुख्यमंत्री योगी ने गर्भगृह का पहला पत्थर रख दिया है। इसके साथ ही उन्होंने मंदिर के आर्किटेक्ट के अलावा कारीगरों को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री योगी व राम मंदिर आंदोलन में सहयोग देने वाले संत महंत भी हैं मौजूद।

2023 तक गर्भ गृह बनकर हो जाएगा तैयार 
1 जून यानी आज दुनियाभर में करोड़ों राम भक्तों के लिए बड़ा दिन होगा क्योंकि जमीनी स्तर का काम पूरा हो चुका है. अब रामलला का गर्भ गृह बनने जा रहा है. राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के सचिव चंपत राय का दावा है कि दिसंबर 2023 तक रामलला विराजमान का गर्भ गृह बनकर तैयार हो जाएगा. यानी भक्त जनवरी 2024 से रामलला के दर्शन कर सकेंगे. इसके लिए देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां लगातार काम कर रही हैं.
अयोध्या के विकास को लेकर चलाई जा रही करोड़ों की परियोजनाएं 
अयोध्या के विकास को लेकर योगी सरकार 25 हजार करोड़ की परियोजनाएं चला रही है. जिसमें सरयू नदी पर रिवर फ्रंट से लेकर इंटरनेशनल श्रीराम एयरपोर्ट, अयोध्या धाम बस स्टैंड, अयोध्या का हाईटेक रेलवे स्टेशन, रामकथा संग्रहालय, रिंग रोड आदि शामिल हैं. इसके अलावा 68 एकड़ के इलाके में भगवान राम के जन्म से लेकर राजतिलक तक की तस्वीरें मूर्ति के तौर पर लगाई जाएंगी. जिससे वहां आने वाले भक्त मूर्तियों को देख कर भगवान राम के जीवन के बारे में जान सकें. इसके साथ ही पूरी दुनिया में भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन से जुड़ी जो भी वस्तुएं हैं, उसे रामकथा संग्रहालय में रखा जा रहा है. जिन्हें आने वाले समय में राम भक्त देख सकेंगे.

Singer KK Death: सिंगर केके का निधन

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कोलकाता के नज़रूल मंच में गुरुदास कॉलेज के उत्सव के लिए एक संगीत कार्यक्रम में प्रदर्शन करते समय के के का अचानक गिर जाने उनके लिए जान लेवा साबित हुआ। उनको बेहतर इलाज के लिए 31 मई, मंगलवार को रात करीब साढ़े दस बजे जब उन्हें कलकत्ता मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमआरआई) लाया गया तो उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। डॉक्टरों की टीम ने मौत की वजह हार्ट अटैक बताया है। 53 वर्षीय केके के निधन से पूरी फिल्म इंडस्ट्री में शोक का माहौल पैदा हो गया है। पूरे बॉलीवुड को रुला गया केके का जाना।
विवेक अग्निहोत्री ने जताया दुख
निर्देशक ने लिखा, ‘केके के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ। उन्होंने मेरी पहली फिल्म का पहला गाना गाया था। तब से एक महान मित्र। इतनी जल्दी क्यों, केके, क्यों? लेकिन आप अपने पीछे प्लेलिस्ट का खजाना छोड़ गए हैं। बहुत मुश्किल रात। शांति। केके जैसे कलाकार कभी नहीं मरते

90 के दशक से अब तक के भारत के सबसे चर्चित गायकों में से एक, कृष्णकुमार कुन्नाथ उर्फ के के पालन-पोषण नई दिल्ली में हुआ था। केके ने बॉलीवुड में कदम रखने से पहले 3500 जिंगल गाए थे। उन्होंने 1999 के क्रिकेट विश्व कप के दौरान भारतीय क्रिकेट टीम के समर्थन के लिए ‘भारत के जोश’ गीत में अपना स्वर दिया था। केके ने 1991 में अपने बचपन के प्यार ज्योति से शादी की। उनके बेटे नकुल कृष्ण कुन्नाथ ने उनके साथ उनके एल्बम ‘हमसफर’ में गाया था। केके की एक बेटी भी है जिसका नाम तमारा कुन्नाथ है, जो पियानो बजाना पसंद करती हैं। गायक किशोर कुमार और संगीत निर्देशक आर डी बर्मन को अपना आदर्श मानने वाले सिंगर केके हिंदी, तमिल, तेलगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, बंगाली और गुजराती भाषाओं की फिल्मों के चर्चित गायक थे। 23 अगस्त 1968 को दिल्ली में जन्मे केके माइकल जैक्सन, बिली जोएल, ब्रायन एडम्स, लेड जेपेलिन जैसे अंतरराष्ट्रीय गायक और बैंड से काफी प्रभावित थे। सबसे खास बात यह है कि केके ने कभी भी संगीत का कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया था। 1994 में मुम्बई पहुँच कर उन्होंने संगीत के क्षेत्र में एक ब्रेक पाने के लिए लुइस बैंक्स, रंजीत बरोट, लेस्ली लुईस को अपना म्यूजिक डेमो टेप दिया उसके बाद ही यूटीवी से उन्हें ब्रेक मिला था। उनका पहला एल्बम ‘पल ‘अप्रैल 1999 में रिलीज़ हुआ था। एल्बम में उनके प्रदर्शन को सर्वश्रेष्ठ पुरुष गायक के लिए स्क्रीन इंडिया से स्टार स्क्रीन अवार्ड मिला था।
गायक का आखिरी गाना

केके को एआर रहमान के हिट गीत ‘कल्लूरी साले’ और ‘हैलो डॉ’ के साथ पार्श्व गायक के रूप में पेश किया गया था । कादिर के ‘कधल देशम’ से और फिर उसके बाद एवीएम प्रोडक्शंस की संगीतमय फिल्म ‘मिनसारा कानावु ‘(1997) से ‘स्ट्रॉबेरी कन्ने’ । उन्हें बॉलीवुड में ब्रेक ‘तड़प तड़प’ हम दिल दे चुके सनम (1999) से मिला था। इस गाने के पूर्व केके ने गुलजार की फिल्म ‘माचिस’ का गीत ‘छोड़ आए हम…’ के संक्षिप्त हिस्से में अपना स्वर दिया था। टेलीविजन की बात करें तो केके ने 2008 में हम टीवी पर प्रसारित होने वाले पाकिस्तानी टीवी शो ‘द घोस्ट ‘के लिए ‘तन्हा चला’ नामक एक गीत भी गाया । इस गीत को फारुख आबिद और शोएब फारुख ने संगीतबद्ध किया था, और मोमिना दुरैद ने गीत लिखे थे। इसके साथ ही केके ने ‘जस्ट मोहब्बत’ , ‘शाका लाका बूम बूम’ , ‘कुछ झुकी सी…’, ‘हिप हिप हुर्रे’ , और ‘काव्यांजलि’, जैसे कई टेलीविजन सीरियल गाने भी गाए हैं । उन्होंने श्रेया घोषाल के साथ स्टार परिवार पुरस्कार 2010 के लिए थीम गीत भी गाया है। केके टेलीविजन पर भी नजर आए।

केके के परिजन पहुंचे कोलकाता
खबरों के मुताबिक, गायक केके के परिजन कोलकाता पहुंच चुके हैं। अब से थोड़ी ही देर में एसएसकेएम अस्पताल में केके का पोस्टमार्टम शुरू होगा। इसके बाद ही उनके निधन को लेकर स्थिति साफ होगी।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जताया दुःख

उन्हें टैलेंट हंट शो फेम गुरुकुल के लिए जूरी सदस्य के रूप में आमंत्रित किया गया था । 29 अगस्त 2015 को, केके टेलीविजन गायन रियलिटी शो इंडियन आइडल जूनियर सीजन 2 में भारत के उभरते गायकों को खुश करने के लिए दिखाई दिए, जहां उन्होंने ‘खुदा जाने’, ‘मेरा पहला पहला प्यार’, ‘मेक सम नॉइज़ फॉर द देसी बॉयज़’ का प्रदर्शन किया। , ‘अजब सी’, ‘सच कहता है दीवाना’ और जूनियर प्रतिभाओं के साथ कई और गाने और विशाल ददलानी के साथ ‘तू आशिकी है’, सलीम मर्चेंट के साथ ‘आशाएं’ और सोनाक्षी सिन्हा के साथ ‘तड़प तड़प’। 10 साल बाद, वह एक सिंगिंग रियलिटी शो में जज और गेस्ट जूरी सदस्य के रूप में भी दिखाई देने के साथ साथ 13 सितंबर 2015 को, केके सोनी मिक्स पर ‘बातों बातों में’ में भी नज़र आए थे। अपने फिल्मी करियर के शुरुआती दौर से ही केके अपने जीवन काल मे स्टेज शो के प्रति काफी गंभीर थे। भारत के अलावा विदेशों में भी उनका म्यूजिकल लाइव शो काफी लोकप्रिय था। आज भले ही सिंगर केके हमारे बीच नहीं हैं लेकिन अपने मधुर हृदयस्पर्शी गीतों के जरिये युगों युगों तक संगीतप्रेमियों के दिलों में कायम रहेंगे।

उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू ने दी श्रद्धांजलि
उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू ने कहा कि प्रसिद्ध गायक श्री कृष्णकुमार कुन्नाथ के आकस्मिक निधन से व्यथित हूं। अपनी भावपूर्ण आवाज और मधुर गायन के लिए जाने जाने वाले श्री केके का निधन संगीत की दुनिया के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है। शांति!

नगर पालिका प्रशासन की लापरवाही के कारण गऊ माता की हो रही है मौत

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रामपुर – मिलक , सोमवार की रात नगर के पटिया मार्ग पर स्थित वृहद गो संरक्षण केंद्र में तीन गायों की अज्ञात कारणों से मौत की खबर से शहर में सनसनी फ़ैल गई , गऊ माता के मौत से दुःखी स्थानीय गौ रक्षा समिति और बजरंग दल के कार्यकर्ता केंद्र पर पहुंच गए और हंगामा करते हुए धरने पर बैठ गए।स्थानीय प्रशासन को जब इस की सुचना मिली तो मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने कार्यकर्ताओं को शांत कराया और आश्वाशन दिया कि इस घटना की जाँच करवाएंगे।

समाचार के अनुसार , आरोप था कि नगर पालिका प्रशासन की लापरवाही के कारण केंद्र पर अव्यवस्था है, जिसके चलते गायों की मौत हो रही है। हंगामे की सूचना पर पहुंची पुलिस से भी कार्यकर्ताओं की नोकझोंक हुई। सूचना पर एडीएम प्रशासन लालता प्रसाद शाक्य, एसडीएम देवेंद्र प्रताप सिंह, पशु चिकित्सा अधिकारी अशोक कुमार, नगर पालिका ईओ छोटे कन्हैया सिंह मौके पर पहुंच गए और हंगामा कर रहे गो रक्षा समिति और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को समझा बुझाकर शांत कराया। पशु चिकित्सा अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि तीन गायों की मौत हुई है। मौत का कारण जानने के लिए पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। पोस्टमार्टम के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

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CM YOGI – नैचुरल फार्मिंग बगैर गोमाता के संभव नहीं है – सीएम योगी

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लखनऊ – मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव पर जोरदार हमले किए। इस दौरान सीएम योगी ने अखिलेश के गोबर वाले बयान की याद दिलाते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष को गोबर में बदबू आती है। कैसी विडंबना है! गाय के गोबर को लक्ष्मी का स्वरूप माना होता तो ऐसा नहीं कहते। हो सकता है वह पूजा न करते हों, चचा शिवपालजी से ही कुछ सीखा होता। इस पर अखिलेश ने कहा कि जानते हैं घरों में गोवर्धन की पूजा होती है। सीएम ने कहा, इसका मतलब चाचा का असर आया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव विकास की बातें करते हैं लेकिन उन्हें गोबर से बदबू आती है। फिर कहा कि आप चाचा शिवपाल सिंह से कुछ सीख लिए होते तो ऐसा न कहते। हमारे यहां तो गाय का गोबर पवित्र माना गया है। कई बार घरों में जब पूजा होती है तो वहां भगवान की मूर्ति नहीं होती, सिर्फ गोबर की पूजा की जाती है। गाय के गोबर को लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अब तो गोबर से अगरबत्ती भी बन रही है। अगर आप पूजा करते तो जरूर जानते। इस पर अखिलेश बोले कि हम भी गोवर्धन पूजा करते हैं। योगी ने मुस्कुरा कर कहा कि ‘यह भी चाचा के संपर्क में आने का परिणाम है।’ अखिलेश बोले कि गोबर को उतना मैं नहीं जानता था जितना नेता सदन जानते हैं। अब गोबर पर रिसर्च करूंगा। गौरतलब है कि बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए अखिलेश ने योगी से कहा था कि आपने गोबर देखा है, उसे ही लागू कर रहे हैं।
भाषण में दिखा भैंस के दूध का असर : अखिलेश यादव पर हमला जारी रखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आपने गौ माता की सेवा की होती तो गोबर का महत्व समझते। फिर बोले कि नेता प्रतिपक्ष के भाषण में भैंस के दूध का ज्यादा असर दिखा। भैंस के दूध में वसा ज्यादा होती है। फिर कटाक्ष किया कि कहावत भी है कि ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस।’

इत्र वाले मित्र खिला रहे थे गुल : सीएम योगी ने सपा से जुड़े इत्र कारोबारी को लेकर भी तंज किया। यह कहते हुए कि आपके इत्र वाले मित्र बहुत गुल खिला रहे थे लेकिन हमने कन्नौज के इत्र उद्योग को एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना से जोड़ा है। पिछले पांच वर्षों में कन्नौज में 55 नई इकाइयां स्थापित हुई हैं। कोरोना के बावजूद उप्र ने 2.7 मिलियन डालर का इत्र निर्यात किया। कन्नौज के परफ्यूम पार्क और संग्रहालय के लिए 100 करोड़ रुपये का बजट प्राविधान ऋण के रूप में किया है।

बोरीवली रेलवे स्टेशन पर मुंबईवासियों ने ली धूम्रपान छोड़ने की शपथ

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मुंबई: ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ हर साल मुंबई और आसपास के शहरों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. शहर में सरकारी और निजी अस्पताल, धर्मार्थ संगठन और स्कूल और कॉलेज दिन के अवसर पर विभिन्न तंबाकू विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। तंबाकू के दुष्परिणामों को समझाते हुए 40 नागरिकों ने छोड़ने की शपथ ली। इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए एपेक्स ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के निदेशक डॉ. तन्वी शाह ने कहा, “मुंबई में बहुत से लोग घनी आबादी वाले इलाकों में रहते हैं, ऐसे में कई लोग ऐसे भी हैं जो धूम्रपान या तंबाकू के आदी हैं. मई के इस दिन नशा करने वाले नागरिकों को नशे के दुष्परिणामों के बारे में बताना बहुत जरूरी है।

यदि आप धूम्रपान करने वाले हैं, तो छोड़ने का प्रयास करें। यदि आप नशा नहीं करते हैं, तो दूसरों को छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करें। जो नागरिक धूम्रपान करते हैं और तंबाकू के आदी हैं, उनमें गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा 50 प्रतिशत अधिक होता है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, तंबाकू के सेवन से चार प्रमुख गैर-संचारी रोग हो सकते हैं, जिनमें हृदय रोग, कैंसर, फेफड़ों की पुरानी बीमारी और मधुमेह शामिल हैं।”

तंबाकू का सेवन और धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। तंबाकू का उपयोग एक गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है और अक्सर जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली बीमारी होती है। तंबाकू का सेवन करने वाले लोग कच्चे तंबाकू का सेवन करते हैं, बीड़ी-सिगरेट, पान मसाला, हुक्का वैसे भी कर रहे हैं। उन्हें धूम्रपान के खतरों के बारे में जागरूक करने और धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। कैंसर उनमें से एक है! एपेक्स ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स अगले 15 दिनों में पश्चिमी उपनगरों में विभिन्न गतिविधियों को अंजाम देगा।

मैंने पहले ही कहा था, भारत दुनिया से आंख झुकाकर नहीं, आंख मिलाकर बात करेगा-पीएम मोदी

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पद्म पुरस्कार-2023 के लिए आप नामांकन कर सकते है 15 सितंबर है अंतिम तारीख

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नई दिल्ली – ( कार्यालय प्रतिनिधि ) भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले पद्म पुरुस्कारों के लिए 2023 के लिए नामांकन के लिए ऑनलाइन नामांकन/अनुसंशाएं शुरू हो गई हैं। पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 15 सितंबर, 2022 है। पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन/अनुसंशाएं केवल राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल https://awards.gov.in पर ऑनलाइन प्राप्त की जाएंगी।

पद्म पुरस्कार, अर्थात् पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री, देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से हैं। वर्ष 1954 में स्थापित, इन पुरस्कारों की घोषणा हर वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है। यह पुरस्कार कला, साहित्य और शिक्षा, खेल, चिकित्सा, सामाजिक कार्य, विज्ञान और इंजीनियरिंग, सार्वजनिक कार्य, नागरिक सेवाओं, व्यापार और उद्योग जैसे सभी क्षेत्रों/विषयों में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवाओं के लिए ‘उत्कृष्ट कार्य’ को मान्यता प्रदान करने के लिए प्रदान किए जाते हैं। जाति, व्यवसाय, पद या लैंगिक भेदभाव के बिना सभी व्यक्ति इन पुरस्कारों के लिए पात्र हैं। डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को छोड़कर सार्वजनिक उपक्रमों में काम करने वाले सरकारी कर्मचारी पद्म पुरस्कार के लिए पात्र नहीं हैं।

सरकार पद्म पुरस्कारों को “लोगों का पद्म पुरस्कार” में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है। अत: सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वे स्वयं नामांकन सहित नामांकन/अनुसंशा प्रेषित करें। ऐसे प्रतिभाशाली व्यक्तियों की पहचान करने के लिए ठोस प्रयास किए जाने चाहिए जिनकी उत्कृष्टता और उपलब्धियों को वास्तव में महिलाओं, समाज के कमजोर वर्गों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, दिव्यांग व्यक्तियों में से पहचाना जाना चाहिए और जो समाज की निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं।

नामांकन/अनुशंसाओं में उपर्युक्त पोर्टल पर उपलब्ध प्रारूप में निर्दिष्ट सभी प्रासंगिक विवरण शामिल होने चाहिए, जिसमें वर्णनात्मक रूप में एक उद्धरण (अधिकतम 800 शब्द) शामिल होना चाहिए, जिसमें उनके द्वारा अनुशंसित व्यक्ति की विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवाओं, संबंधित क्षेत्र/अनुशासन को स्पष्ट रूप से सामने लाया जाना चाहिए।

इस संबंध में और विवरण गृह मंत्रालय की वेबसाइट (https://mha.gov.in) और पद्म पुरस्कार पोर्टल (https://padmaawards.gov.in) पर ‘पुरस्कार और पदक’ शीर्षक के अंतर्गत उपलब्ध हैं। इन पुरस्कारों से संबंधित क़ानून और नियम वेबसाइट पर https://padmaawards.gov.in/AboutAwards.aspx लिंक के माध्यम से उपलब्ध हैं।

सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से मानसिक तनाव में वृद्धि हुई है कोरोना महामारी के बाद से सोशल मीडिया का इस्तेमाल 40 फीसदी बढ़ा है

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मुंबई: अमेरिका की एक स्टडी के मुताबिक, कोरोना महामारी के बाद से ट्विटर यूजर्स की संख्या में 24 फीसदी और फेसबुक यूजर्स की संख्या में 27 फीसदी का इजाफा हुआ है. हालांकि भारत में इस तरह की कोई रिसर्च नहीं हुई है, लेकिन सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। ऑल इंडिया मोबाइल एसोसिएशन के मुताबिक पिछले दो साल में स्मार्टफोन की बिक्री में 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

सर्वे के मुताबिक, 2017 में 16 से 25 साल के लोग रोजाना 125 मिनट मोबाइल पर बिता रहे थे, जो 2021 में बढ़कर 156 मिनट हो गया है। जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड सोशल साइकोलॉजी में प्रकाशित शोध के अनुसार, सोशल मीडिया की लत का सीधा संबंध चिंता और अवसाद से है। इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए बोरीवली स्थित एपेक्स हॉस्पिटल ग्रुप के एमडी साइकियाट्रिक कंसल्टेंट डॉ. प्रतीक सुरंधे “मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। ये तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन हैं। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति स्क्रीन पर काम करते हुए तल्लीन है, तो उसकी पलकें खुलने की दर 70% तक कम हो जाती है।

बिगड़ती अर्थव्यवस्था,बेरोजगारी,भविष्य में रिश्ते स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दो साल पहले भविष्यवाणी की थी कि चोटों, बढ़ती अपराध दर, पर्यावरणीय अस्थिरता और अनिश्चितता कई लोगों को मानसिक रूप से परेशान कर देगी। जब किसी की मानसिक स्थिति बिगड़ती है तो वह उसे तरह-तरह के व्यसनों के करीब ले आता है, लेकिन इस डिजिटल युग में कई नागरिक सोशल मीडिया के करीब हैं, घंटों तक अपने मोबाइल पर रील, वीडियो और तस्वीरें देखकर दंग रह जाते हैं ये नागरिक विभिन्न मानसिक रोगों का शिकार…” सोशल मीडिया का वास्तव में आपके मस्तिष्क पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जब आप अपने पसंदीदा ऐप में लॉग इन करते हैं तो मस्तिष्क में डोपामाइन के संकेत बढ़ जाते हैं।

ये न्यूरोट्रांसमीटर सीधे सुख और खुशी से संबंधित हैं। जैसे-जैसे हम सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं, हमारे मस्तिष्क में डोपामाइन का स्तर बढ़ता जाता है, लेकिन यह भावना केवल अस्थायी होती है। इसके बाद जैसे ही आपके दिमाग में डोपामाइन का असर कम होता है, आप दोबारा शुरू कर देते हैं

सोशल मीडिया की ओर रुख करना और इसे सोशल मीडिया की लत कहा जा सकता है, डॉ. एपेक्स हॉस्पिटल ग्रुप के एमडी साइकियाट्रिक कंसल्टेंट ने कहा। सुरंधे ने प्रतीक चिन्ह दिया था।

सोशल मीडिया से दूर रहने के चार आसान तरीके:
1- मोबाइल पर हर तरह के सोशल मीडिया ऐप डाउनलोड न करें
2- सोशल मीडिया के लिए एक विशिष्ट समय निर्धारित करें
3 - दोस्तों के अनुरोध पर खेल और सोशल मीडिया ऐप डाउनलोड न करें
4- सोते समय अपने फोन को बेडरूम के बाहर रखें।

इम्युनिटी बूस्टर है देसी गाय का दूध

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दूध पीना हमारे सेहत के लिए कितना फायदेमंद है यह तो आप जानते ही हैं। आमतौर पर लोग डेयरी का दूध पीते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने घर के आस-पास की पशुशाला या फिर दूध बेचने वाले व्यक्ति से दूध खरीदते हैं। यह दूध गाय का होता है या फिर भैंस का भी हो सकता है। ज्यादातर लोग गाय का दूध पीना ही पसंद करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि गाय का दूध अन्य दूध के मुकाबले कितना फायदेमंद होता है।

​रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में;

रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए भी गाय का दूध काफी फायदेमंद माना जाता है। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार गाय के दूध में प्रोबायोटिक्स पाए जाते हैं। यह ऐसे प्रोबायोटिक्स होते हैं जो इम्यून सेल्स को मजबूत बनाने का कार्य करते हैं जिससे हमारी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो सकती है। इसलिए किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचे रहने के लिए आप गाय के दूध का सेवन कर सकते हैं।

हड्डियों को मजबूत बनाने में;

यह बात तो हम सभी जानते हैं कि हड्डियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए बॉडी में कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए। इस दौरान हमें इस बात का भी खास ख्याल रखना होता है कि कहीं हम अधिक मात्रा में कैल्शियम का सेवन तो नहीं कर रहे हैं। वहीं, गाय के दूध में कैल्शियम की सामान्य मात्रा पाई जाती है। इसलिए गाय का दूध अगर नियमित रूप से पीया जाए तो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है।

​मस्तिष्क की कार्य क्षमता को बढ़ाने के लिए;

गाय का दूध आपके दिमाग पर काफी असर डालता है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार इस बात की पुष्टि भी की गई है। गाय के दूध में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। यह एक ऐसा पोषक तत्व है जो मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है। इसका सेवन करने से दिमाग की कार्य क्षमता में सुधार होता है और आप दिमाग संबंधित कई प्रकार के विकार से भी बचे रहते हैं। इसलिए आप अपने बच्चों को भी नियमित रूप से गाय का दूध पीने की सलाह दे सकते हैं।

​आंखों के लिए;

आंखों को स्वस्थ रखने के लिए हमें विटामिन-ए की जरूरत होती है। यह कई प्रकार के खाद्य पदार्थों में पाई जाती है। गाय के दूध में भी विटामिन-ए पर्याप्त रूप से मौजूद होता है। इसलिए जो लोग आंखों से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या से बचे रहना चाहते हैं और देखने की क्षमता को सुधारना चाहते हैं तो उनके लिए गाय के दूध का सेवन लाभदायक साबित हो सकता है। ऐसे लोग नियमित रूप से गाय के दूध का सेवन करके अपनी आंखों की दृष्टि क्षमता को बढ़ा सकते हैं।