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मुम्बई उपनगरीय के शौचालय प्रबंधन को लगा पचास हजार रुपये का जुर्माना

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Mumbai – छत्रपति शिवाजी महाराज रेलवे स्टेशन, मुम्बई उपनगरीय के शौचालय प्रबंधन को रेलवे ने पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही भविष्य में इस गलती को दुहराने पर कॉन्ट्रैक्ट समाप्त करने की कड़ी चेतावनी भी दी गई।

दरअसल पिछले कई दिनों से छत्रपति शिवाजी महाराज रेलवे स्टेशन के मुम्बई उपनगरीय भाग में स्थित शौचालय में सभी महिलाओं से मुतरी उपयोग के लिए अवैध रूप से पांच-पांच रुपये वसूली की जा रही थी। संकोचवश सभी महिलाएं प्रतिदिन इस अवैध वसूली की शिकार हो रही थी।

इस अवैध वसूली का विरोध करते हुए ऑनलाइन मीडिया टॉप इंडियन डॉट ओआरजी के वरिष्ठ सम्पादक व प्रकाशक राजकुमार शर्मा ने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती सुभद्रा शर्मा के साथ रेलवे स्टेशन के प्रबंधक के पास इसकी शिकायत दर्ज कराया।

छत्रपति शिवाजी महाराज रेलवे स्टेशन के प्रबंधन ने तत्काल इस पर कदम उठाया तथा जांच में इसे सही पाया। उन्होंने शिकायत दर्ज कर इस पर आगे की कारवाई के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा।

29 मई 2022 के दर्ज कराई गई शिकायत पर रेलवे ने तत्काल करवाई करते हुए 02 जून 2022 को यह फैसला सुनाया। वरिष्ठ सम्पादक व प्रकाशक राजकुमार शर्मा ने छत्रपति शिवाजी महाराज रेलवे स्टेशन के कुशल प्रबंधक व वरिष्ठ अधिकारियों को इसके लिए धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा कि सभी महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना चाहिए। जहां कहीं भी इस प्रकार की समस्या हो तो निःसंकोच आगे बढ़ कर शिकायत दर्ज करवायें। बात पैसे की नहीं है, बात अधिकार का है, नारी सम्मान का है। ऐसे ही छोटे छोटे अनैतिक कार्य आगे चलकर समाज के लिए नासूर बन जाते है।

ज्ञात हो कि राजकुमार शर्मा ने इससे पूर्व में भी चर्चगेट रेलवे स्टेशन पर शौचालय में मुतरी के उपयोग के लिए शुल्क लगये जाने का कड़ा विरोध किया था, जिसपर तत्कालीन रेलवे मंत्री श्री पीयूष गोयल जी ने तत्काल कारवाई करते हुए, निःशुल्क मुतरी उपयोग की सुविधा को पुनः बहाल करवाया।

सोनिया गांधी के बाद प्रियंका गांधी भी हुईं कोरोना संक्रमित

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बता दें कि एक दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की कोरोना रिपोर्ट भी पाजिटिव आई है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इसकी जानकारी दी थी। सुरजेवाला ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी कोरोना संक्रमित हो गई हैं। उन्हें हल्का बुखार और कुछ लक्षण थे। कोविड टेस्ट में रिपोर्ट पाजिटिव आई है सुरजेवाला ने आगे बताया कि सोनिया गांधी ने खुद को आइसोलेट कर लिया है। उन्हें आवश्यक चिकित्सा दी गई है। सुरजेवाला ने बताया था कि सोनिया गांधी पिछले एक सप्ताह में बहुत सारे नेताओं, कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी, जिनमें से कई साथी कोविड पाजिटिव पाए गए हैं।

और अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) कोरोना संक्रमित हो गई हैं। उन्होंने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। प्रियंका ने शुक्रवार को बताया कि हल्के लक्षणों के बाद कोरोना टेस्ट कराया और उनकी रिपोर्ट पाजिटिव आई है। प्रियंका ने ट्वीट कर कहा, ‘मैंने हल्के लक्षणों के बाद COVID-19 का टेस्ट कराया है। सभी प्रोटोकाल का पालन करते हुए मैंने खुद को होम क्वारंटाइन कर लिया है। मैं उन लोगों से अनुरोध करूंगा जो मेरे संपर्क में आए हैं, वे सभी आवश्यक सावधानी बरतें।

यूपी कांग्रेस की ओर से एक और दो जून को आयोजित दो दिवसीय नव संकल्प कार्यशाला थी, लेकिन प्रियंका गांधी इसमें शामिल नहीं हुईं। पहले दिन कार्यक्रम में भाग लेने के बाद बुधवार रात अचानक सड़क के रास्ते दिल्ली चली गईं। कांग्रेस के पदाधिकारियों का कहना था कि सोनिया गांधी की तबीयत खराब होने की वजह से प्रियंका गांधी वाड्रा दिल्ली वापस चली गईं। उन्हें बुधवार रात पार्टी के जिला व शहर अध्यक्षों और गुरुवार को विधान सभा चुनाव में पार्टी के प्रत्याशियों से मुलाकात करनी थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने किया ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी 3.0 का शुभारंभ

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कार्यक्रम स्‍थल पर प्रदर्शनी देखे रहे हैं प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी
यूपी इंवेस्टर्स समिट 3.0 की ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी का शुभारंभ करने के बाद, यहां वो सबसे पहले प्रदर्शनी देखे रहे हैं। इस दौरान उनके साथ सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ स‍िंंह मौजूद हैं।

प्रधानमंत्री लखनऊ में 80,000 करोड़ रुपये से अधिक की 1406 परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे

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प्रधानमंत्री राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ उनके गांव परौख जाएंगे

नई दिल्ली – कार्यालय प्रतिनिधि – प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी 3 जून, 2022 को उत्तर प्रदेश का दौरा करेंगे। लगभग 11 बजे, प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ पहुंचेंगे, जहां वे यूपी इन्वेस्टर्स समिट के 3.0 बजे ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह में भाग लेंगे। दोपहर लगभग 1:45 बजे प्रधानमंत्री कानपुर के परौंख गांव पहुंचेंगे, जहां वे माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद के साथ पथरी माता मंदिर के दर्शन करेंगे। इसके बाद दोपहर करीब 2 बजे वे डॉ. बी आर अंबेडकर भवन जाएंगे, जिसके बाद दोपहर 2:15 बजे मिलन केंद्र का दौरा करेंगे। केंद्र माननीय राष्ट्रपति का पैतृक घर है, जिसे सार्वजनिक उपयोग के लिए दान कर दिया गया था और एक सामुदायिक केंद्र (मिलान केंद्र) में परिवर्तित कर दिया गया था। इसके बाद वे दोपहर 2:30 बजे परौंख गांव में एक सार्वजनिक समारोह में शामिल होंगे।

ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के दौरान प्रधानमंत्री 80,000 करोड़ रुपये से अधिक की 1406 परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे. परियोजनाओं में कृषि और संबद्ध, आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स, एमएसएमई, विनिर्माण, नवीकरणीय ऊर्जा, फार्मा, पर्यटन, रक्षा और एयरोस्पेस, हथकरघा और कपड़ा आदि जैसे विविध क्षेत्र शामिल हैं। इस समारोह में देश के शीर्ष उद्योग जगत के नेता शामिल होंगे।

यूपी इन्वेस्टर्स समिट 2018 21-22 फरवरी 2018 को आयोजित किया गया था, जिसमें पहला ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी 29 जुलाई, 2018 को और दूसरा ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी 28 जुलाई 2019 को आयोजित किया गया था। पहले ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के दौरान, अधिक मूल्य की 81 परियोजनाओं की नींव रखी गई थी। 61,500 करोड़ रुपये से अधिक की राशि रखी गई, जबकि दूसरे ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह में 67,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाली 290 परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया।

World Bicycle Day 2021-प्रधानमंत्री ने विश्व साइकिल दिवस पर महात्मा गांधी की तस्वीर साझा की

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नई दिल्ली – कार्यालय प्रतिनिधि -आज विश्व साइकिल दिवस है , पर्यावरण के लिए जीवन-शैली (लाइफ) की अवधारणा के संदर्भ में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने साइकिल की सवारी करते हुए महात्मा गांधी की एक तस्वीर अपने ट्वीटर पर साझा की है।
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा -” “पर्यावरण के लिए जीवन शैली (लाइफ)। आज विश्व साइकिल दिवस है और एक सतत एवं स्वस्थ जीवन-शैली जीने की प्रेरणा ग्रहण करने के लिए महात्मा गांधी से बेहतर कौन हो सकता है।”

दैनिक जीवन में साइकिल के उपयोग को लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से विश्वभर में 3 जून यानी आज विश्व साइकिल दिवस या वर्ल्ड बाइसिकल डे मनाया जा रहा है. इसका उद्देश्य लोगों को ये समझाना है कि साइकिल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए तो बेहतर है ही, पर्यावरण (Environment) और अर्थव्यवस्था (Economy) के लिए भी अनुकूल है. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) महासभा ने 3 जून को इस दिन के तौर पर मनाये जाने की घोषणा की थी. आधिकारिक तौर पर पहली बार विश्व साइकिल दिवस 3 जून, 2018 को मनाया गया था. आइये और जानते हैं इस बारे में।

ऐसे हुई शुरुआत

आधिकारिक तौर पर पहली बार विश्व साइकिल दिवस 3 जून, 2018 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा मनाया गया था. इस उद्घाटन समारोह में संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों, राजनयिकों, एथलीटों, साइकिलिंग समुदाय के अधिवक्ताओं सहित बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया था. इस अवसर पर साइकिल चलाने वाले लोगों की सेवा करने के कई तरीकों को भी साझा किया गया था. साथ ही साइकिल चलाने के महत्त्व और सेहत के लिए इसके फायदों के बारे में भी बताया गया था. इस वर्ष यानी वर्ष 2021 में चौथा विश्व साइकिल दिवस मनाया जा रहा है।

फिल्म पृथ्वीराज- एक शौर्य गाथा !

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अन्तत: फिल्म “सम्राट पृथ्वीराज चौहान” प्रदर्शित (2 जून 2022) हो गयी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी दर्शकों में थे । लोकभवन सभागार में विशेष शो रहा। अक्षय कुमार भी उपस्थित रहे। पिछले बारह साल से यह फिल्म अधर में लटकी रही। राजपूत “करनी सेना” की मुकदमेबाजी खास कारण रहा, कथानक को लेकर। फिर कोविड ने भी बाधित कर दिया था।
फिल्म का मुख्य आकर्षक था डॉ चन्दप्रकाश द्विवेदी द्वारा लिखित कथानक और संवाद । उनका “चाणक्य” टीवी धारावाहिक अतीव जनप्रिय हुआ था। पृथ्वीराज रासो कृति पर आधारित यह ऐतिहासिक फिल्म मध्यकालीन भारतीय गौरव की याद दिलाता है। खासकर चन्द बरदाई ( रोल में सोनू सूद थे) के संवादों में काव्यमयता के पुट के कारण। प्रकरण जानामाना है, संदर्भ भी। किन्तु फिल्म में एक खास संदेश भी है। भारत के इतिहास के छात्रों को इस माध्यम से बताया गया कि किस तरह अरबी डाकू धर्मप्राण हिन्दू शासकों को इस्लामी फरेब छल, धोखा, विश्वासघात और अमानवीय नृशंसता का शिकार होना पड़ा। मंदिर-मस्जिद के विवाद के परिवेश में बड़ा समीचीन है। इस ऐतिहासिक दानवता पर भारत के मुसलमानों को विचार करना चाहिये। उन्हें राष्ट्रीय बनना है। यदि न हो पाये तो भारत उनकी स्वभूमि कभी नहीं हो पायेगी। भारत का इतिहास यदि विजेताओं का है तो अंग्रेजों को हराकर अब वह बदल गया है। यह तथ्य है। नया भारत सभी को मानना होगा।
समूची फिल्म में चन्द बरदाई की भूमिका में सोनू सूद खिल जाते हैं। डॉ. द्विवेदी ने उनका रोल राष्ट्रवाद से आप्लावित कर दिया है। शाकंभरी (सांभर) के राजा कवि और साहित्यकार विग्रह राय के भतीजे थे पृथ्वीराज । दिल्ली पर अंतिम हिन्दू सम्राट | शूरवीर थे। मर्यादाशील थे। मुहम्मद गोरी को कई बार पराजित कर चुके थे। गोरी का कभी भी नीति, ईमान और उसूलों से वास्ता – नाता नहीं रहा। तराईन की जंग में वह पृथ्वीराज को अंधेरे में छल से पकड़ लेता है। फिर गोरी राज्य में कैसे राजा और चन्द बरदाई का अंत हुआ, सबका पढ़ा हुआ है। अत्यंत प्रभावी ढंग से पेश हुआ है। रुपान्तरण में पटकथा को परिशोधित किया गया है। मान्यताओं के मुताबिक घटनाओं को पिरोया गया है।
जयचन्द का रोल बड़ी सूक्ष्मता से चित्रित हुआ है। आज भी जयचन्द की भूमिका में चीन और पाकिस्तान के एजेन्टों के रूप में एक धारधार जनचेतावनी है। अदाकार आशुतोष राणा का संयोगिता से राजपूतानी गौरव के नाम पर पिता होकर भी निर्दयता करना बहुत ही मर्मस्पर्शी तरीके से सामने आया हे।
पूरी फिल्म वही प्रश्न उठाती है जो अटल बिहारी वाजपेयी कई बार जनसभाओं में कह चुके हैं। जब वे मोरारजी देसाई काबीना के विदेश मंत्री थे तो इन अरब हमलावरों के प्रदेश में गये थे। वे काबुल की यात्रा पर थे। गजनी जाना चाहते थे । पर अफगान सरकार ने कहा वहां ठहरने लायक होटल भी नहीं है। फिर भी अटलजी गये। लौटकर श्रोताओं को बताया कि गजनी वीरान, गरीब प्रदेश है । बंजर, बीहड़ मगर मध्यकाल में कोई भी ताकतवर डाकू सरदार झुण्ड को बटोरकर, सोने की चिड़िया का लालच बताकर सेना गठ लेता था। फिर इन लुटेरों को प्रेरित भी किया जाता रहा कि जीतोगे तो अथाह दौलत, मरे तो बहत्तर हुरे तो मिलेंगी ही।
यही भारत का अभिशाप रहा। अटलजी ने झांसी में अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध में रानी लक्ष्मीबाई का उल्लेख करते एकदा एक त्रासद बात कही थी। इससे हर गर्वित भारतीय का सर शर्म से झुक जाता है। अटलजी ने कहा था कि रानी और ब्रिटिश के संग्राम को तमाशबीन (झांसी की जनता ) बड़ी संख्या खड़ी निहारती रही थी। यही भारत में होता रहा । “को नृप हो हमें का हानि”, वाली उक्ति ही इस अपराधी निष्क्रियता और तटस्थता का कारण रहा। विदेशी आक्रामक लूटते रहे। अत्याचार करते रहे। धर्मांतरण कराते रहे। अधिकांश जनता मूक दर्शक रही । यह फिल्म उस सोच को बदलने की दिशा में एक प्रयास  है।

वैदिक प्लास्टर (Vedic Plaster)

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हम सब हिंदुस्तान में रहते है यहाँ हर तरह की जलवायु हमें मिलती है और हम सभी जानते हैं कि इंसान 20-25 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर आराम से रह सकता है, लेकिन यहां भारत में विशेष रूप से उत्तर भारत में हमारे पास 7 – 8 महीने से अधिक गर्मी और बाकि के महीनों में सर्दी रहती है। लेकिन हमारे सभी वर्तमान निर्माण सामग्री जैसे स्टील, सीमेंट, पत्थर की धूल और पक्की ईंटें गर्मी में और गरम हो जाते है जिसकी वजह से हमारे घरो को ठंढा करने के लिए पंखे कूलर और ए सी जैसे उपकरणों की सहायता लेनी पड़ती है क्या हो जब हम अपनी दीवारों पे ऐसा प्लास्टर करवा ले जिससे हमें घर को ठंडा रखने के लिए मदद मिले और साथ ही साथ दीवारे सुन्दर भी दिखे और ये महंगा भी ना हो।
वैदिक प्लास्टर के फायदे,
इसमें किसी भी तरह की तराई की जरुरत नहीं होती है, इसलिए वैदिक प्लास्टर के इस्तेमाल से हजारों लीटर पानी बचाता है।
गोबर में जीवाणुरोधी (antibacterial) गुण भी होते है तो आपके घर को बीमारियों को पैदा होने से कुछ हद तक रोक लग जाती है।
यह एक थर्मल इंसुलेटर है इसलिए आपके घर को गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म रखता है। इसलिए घर को ठंडा करने या गर्म करने का बिजली का बिल स्थायी रूप से कम हो जाएगा।
वैदिक प्लास्टर बनाते समय वैदिक प्लास्टर में जिप्सम मिलाया जाता है जिप्सम एक साउंड प्रूफ, हीट प्रूफ और फायर प्रूफ है।
जिप्सम और गोबर का ये अद्भुत मिश्रण जिसे वैदिक प्लास्टर के नाम से जाना जाता है इसमें मिलने वाले दोनों तत्व ही रेडिएशन से बचाते हैं।
घर के अंदर एक भीनी भीनी खुशबू बनी रहती है जैसे गीली मिटटी से आती है
गाय को कसाईखाना में जाने से रोका जा सकता है और इससे अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती है ये पूरी तरह से मेड इन इंडिया है।
वैदिक प्लास्टर कैसे लगाया जाता है ?
यह तैयार मिक्स प्लास्टर बोरी में आता है जैसे की POP आती है बस आपको पानी में घोलना है और ईंटो दीवारों पे लगा देना है ना तो आपको सीमेंट प्लास्टर का प्लास्टर करवाना है ना ही कोई दीवार की टिक भरने की कोई जरूरत है। कोई भी जो प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) लगाना जानता है, वह इस प्लास्टर को बड़े ही आराम से लगा सकता है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश की खबर – बिलासपुर में मृत गौवंश को नाले में बहाया जा रहा है।

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छत्तीसगढ़ – ( प्रतिनिधि ) बिलासपुर नगर निगम के जोन क्रमांक एक सकरी स्थित गोकने नाला में मृत मवेशियों के शव को बहाया जा रहा है। बदबू से आसपास के लोगों व गौसेवकों ने इसका विरोध करते हुए जोन कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा है। मवेशियों के अंतिम संस्कार करने के लिए उचित व्यवस्था कराने की भी मांग की गई है। इस दौरान इंटरनेट मीडिया में एक वीडियो सामने आया है। इसमें मवेशी का शव नाले में बहते हुए दिख रहा है।

सकरी क्षेत्र में घुरू अमेरी में गोकुल धाम स्थित है। यहां बड़ी संख्या में मवेशियों का पालन पोषण होता है। बीते कुछ दिनों से सकरी स्थित गोकने नाला में किसी अज्ञात लोगों द्वारा मरे हुए मवेशियों के शव को गोखने नाला में बहा दिया जा रहा है। मवेशी की मौत के बाद अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा है। इस पर गौ सेवकों ने निगम के जिम्मेदार अफसरों के पास जाकर विरोध करते हुए मुक्तिधाम की व्यवस्था करने की मांग की है।

अभिनेता अदिवि शेष की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘मेजर’

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अभिनेता अदिवि शेष इनदिनों अपनी बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘मेजर’ को लेकर काफी उत्साहित है। फिल्म में सई मांजरेकर, शोभिता धूलिपाला, प्रकाश राज, रेवती और मुरली शर्मा भी हैं। इस फिल्म से अभिनेता अदिवि शेष को काफी उम्मीद है। सच्ची घटनाओं से प्रेरित यह फिल्म अदिवि शेष द्वारा निभाए गए वास्तविक जीवन के नायक मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के जीवन और समय को दर्शाती है। मेजर उन्नीकृष्णन ने 26 नवंबर, 2008 को मुंबई के ताजमहल पैलेस होटल में हेरिटेज होटल पर कुख्यात हमले के दौरान आतंकवादियों द्वारा शहीद होने से पहले कई बंधकों की जान बचाई थी।
अदिवि शेष अपनी इस फिल्म के प्रमोशन के सिलसिले में कई शहरों का दौरा किया, जहाँ भी इस फिल्म की स्पेशल स्क्रीइंग रखी गयी थी, फिल्म देखने के बाद प्रत्येक व्यक्ति की आँखे नम नज़र आ रही थी।

    हालही में मुंबई में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के लिए फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गयी थी जहाँ पर 312 कमांडो ने अपनी फॅमिली के साथ इस फिल्म का लुफ्त उठाया। यह स्क्रीनिंग अदिवि शेष के लिए बेहद खास थी, उन्हें इस फिल्म में शानदार प्रदर्शन के लिए ब्लैक कैट कमांडो
    मैडल से सम्मानित किया गया। बकौल मेजर की भूमिका के लिए मिले ब्लैक कैट कमांडो मैडल की अहमियत मेरे लिए ऑस्कर से भी कहीं ज़्यादा है।

जिंदगी मै रंग भरती बिटिया, चूल्हे-चौके से सिविल सेवा के शीर्ष तक

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श्रुति शर्मा, अंकिता अग्रवालतथा गामिनी सिंगला संघ लोक सेवा द्वारा घोषित सिविल सेवा परीक्षा 2021 में क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय रैंक प्राप्त किया है। लड़कियों ने आज हर क्षेत्र में डंका बजा रखा है। पढ़ाई से लेकर नौकरी और व्यवसाय से लेकर अंतरिक्ष में छलांग लगाने के मामले में लड़कियों ने अपनी प्रतिभा से सबको परिचित करा दिया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर की रहने वाली श्रुति शर्मा ने यूपीएससी 2021 प्रथम रैंक प्राप्त की है। यह उत्तर प्रदेश और विशेषकर जिला बिजनौर के लिए बेहद गर्व की बात है। जिस क्षेत्र को कृषि प्रधान क्षेत्र कहा जाता है और जहां पर शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ापन और जागरूकता का अभाव एक लंबे समय तक बना रहा; वहां पर एक स्त्री होने के नाते चुनौतियां और बढ़ जाती हैं। विवाह की जल्दी, बाहर पढ़ने जाने का संघर्ष‌, अच्छी संस्थाओं (केंद्रीय विश्वविद्यालय) का अभाव, मार्गदर्शन की कमी आदि बहुत कुछ झेलना पड़ता है, लड़ना पड़ता है। लेकिन ऐसे क्षेत्र से आने वाली कोई लड़की अगर यूपीएससी टॉप करती है तो यह भविष्य के लिए बहुत अच्छा संकेत है। इस बार टॉप १० में प्रथम तीन स्थान पर नारी शक्ति का बोलबाला रहा। यह भी समाज में स्त्री शिक्षा के बदलते स्वरूप को दिखाता है।

महिलाएं आने वाले समय में हजारों नवयुवतियों के लिए प्रेरणा की स्रोत बनेंगी। भारत जैसे परंपरागत समाज में भी अपनी प्रतिभा और लगन की बदौलत स्त्रियां अनछुई ऊंचाइयों तक पहुंच सकती हैं, उनकी वजह से यह आत्मविश्वास नई पीढ़ी की महिलाओं में पैदा होगा। सिविल सेवा परीक्षा में लड़कियां टॉप करती है तो जमीनी हकीकत भी सामने आती है। देश में 52 फीसदी लड़कियां स्कूल शिक्षा के स्तर पर ही पढ़ाई छोड़ देती हैं। क्यों हैं ऐसे हालात और क्या है इससे आगे निकलने का रास्ता? अगर ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे हमारे देश में जब लड़कियां बड़ी हो रही होती हैं तो उनमें से ज्यादातर को उतने मौके नहीं मिलते शिक्षा और दूसरे क्षेत्रों में आगे बढऩे के, जितने की लड़कों को मिलते हैं। हमारा समाज घर और बाहर, अभिभावक और शिक्षक उनसे अपेक्षा ही नहीं करते कि वे घर के कामों के अलावा दूसरे काम भी अच्छी तरह से करें। वास्तव में उनके ऊपर सामाजिक-आर्थिक और भावनात्मक रूप से उतना निवेश नहीं किया जाता जितना कि लड़कों पर किया जाता है। परिणामस्वरूप लड़कियोंं में आगे बढऩे का आत्मविश्वास, बंधनों से जूझने की हिम्मत ही विकसित नहीं होती। यह सभी के बारे में सच है कि अगर किसी बच्चे से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है तो फिर उसकी आत्मछवि में और सुधार आता है। लेकिन लड़कियों के साथ तो प्राय: उल्टा होता है। स्कूलों में या घर में उनके काम की सराहना कम होती है, उन्हें शाबासी कम मिलती है। जिससे उसकी अस्मिता सिमट कर रह जाती है और इसका उसके प्रदर्शन पर नकारत्मक असर होता है। बेटियों की शिक्षा और फिर उच्च शिक्षा से कब और क्यों वंचित कर दिया जाएगा, इस संशय से वे हमेशा भयग्रस्त रहती हैं। देश की करीब 52.2 प्रतिशत बेटियां बीच में ही अपनी स्कूली पढ़ाई छोड़ रही हैं। अनुसूचित जाति और जनजाति को करीब 68 प्रतिशत लड़कियां स्कूल में दाखिला तो लेती हैं, लेकिन पढ़ाई पूरी करने से पहले ही स्कूल छोड़ देती हैं।

हमारे देश में लड़कियों या महिलाओं के जीवन के कई मोड़ों पर उन के ऊपर यह दबाव आता है जब उनसे घरेलू जिम्मेदारियों तक सिमट जाने की अपेक्षा की जाती है। पहला मोड़ तब आता है जब उनकी इंटर तक की पढ़ाई पूरी हो जाती है। जो लड़कियां इस दबाव से बच पाती हैं वे सुनहरे भविष्य के लिए आगे निकल जाती हैं, पर जो इस बाधा-दौड़ से आगे नहीं निकल पातीं, वे बेचारी हाईस्कूल या इंटर तक पहुंच ही नहीं पातीं। कोई लड़की इस अनचाही बाधा-दौड़ को लांघ पाएगी या नहीं, यह लड़की पर बहुत ही कम निर्भर करता है। यह तो सीधा परिवार की आर्थिक और सामाजिक हैसियत और आसपास के क्षेत्र में स्कूल की मौजूदगी और कानून व्यवस्था की बेहतर स्थिति पर निर्भर करता है। देशे में हम जिन बच्चियों को हम इंटर और हाईस्कूल आदि में टॉप करते और लड़कों से बेहतर प्रदर्शन करते देखते हैं, उनमें से अधिकांश संपन्न तबके से होती हैं। गरीब परिवारों से लड़कियां प्राय: इस मोड़ से आगे नहीं बढ़ पातीं। गरीब परिवारों से लड़के तो भी आगे बढऩे में सफल हो जाते हैं, पर लड़कियों का आगे बढऩा काफी मुश्किल होता है। एक बार लड़की बाधा-दौड़ को पार कर जाये तो उसे यह अहसास होता है कि यह मौका बहुत संघर्ष से मिला है, गंवाना नहीं है, तो वह पूरे समर्पण और मेहनत से काम को अंजाम देती हुई लड़कों की तुलना में बेहतर सफलता अर्जित करती है।

मेरे देश की बेटियां क्यों स्कूल छोड़ देती हैं। इस विषय पर बिहार और उत्तर प्रदेश में किए गए एक शोधपत्र में तथ्य सामने आए हैं कि बीच में पढ़ाई छोड़ चुकी हर पांच लड़कियों में से एक का मानना है कि उनके माता-पिता ही उनकी पढ़ाई में बाधक हैं। समाज में असुरक्षित माहौल एवं विभिन्न कुरीतियों के कारण आठवीं या उससे बड़ी कक्षा की पढ़ाई के लिए उनके परिवार वाले मना करते हैं। करीब 35 प्रतिशत लड़कियों का मानना है कि कम उम्र में शादी होने के कारण बीच में ही पढ़ाई छोडऩी पड़ती है। यह अध्ययन स्पष्ट इंगित करता है कि बेटियों की शिक्षा के मध्य अवरोध उनके परिवार के सदस्यों द्वारा ही खड़ा किया जाता है। हमारी बेटियां क्यों हतोत्साहित हैं? ऐसा क्या है, जो वह स्वयं को इन क्षेत्रों से दूर कर लेती है जहां समय और श्रम अधिक अपेक्षित हैं। शोध तो ऐसा बताते है कि 5 प्रतिशत लड़कियां ही विज्ञान, तकनीक, गणित और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपना कॅरियर नहीं बनाना चाहती। गणित और विज्ञान जैसे विषयों में लड़कियों का प्रदर्शन लड़कों से कमतर नहीं रहा।

व्यक्ति हो या देश, उसकी सफलता इसमें मानी जाती है कि उसमें निहित संभावनाएं उभर कर आएं और इन संभावनाओं का भरपूर उपयोग हो। यदि कार्यबल में महिलाओं के लिए नए द्वार खुलते हैं तो इससे तमाम महिलाओं में निहित संभावनाओं को फलीभूत करने का मार्ग प्रशस्त होगा और हम अपने राष्ट्र की आबादी में मौजूद संभावनाओं का लाभ उठा सकेंगे। इसके लिए सरकार और निजी क्षेत्र दोनों को नए सिरे से आगे आना होगा। लड़कियों की यह कामयाबी सरकार के ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान को भी यकीनन बल देगी। इससे समाज में कमजोर पड़ रही वह सोच और भी बेदम होगी कि लड़कियां सिर्फ चूल्हे-चौके का काम करने के लिए होती है। इससे तमाम मां-बाप तक संदेश पहुंचेगा कि लड़कियां किसी भी मामले में कमतर नहीं है। अभिभावकों की बदलती सोच, सरकारी समर्थन के साथ-साथ खुद लड़कियों के तेवर भी जिस तरह बदल रहे हैं, उम्मीद की जानी चाहिए कि उनकी सफलता का सिलसिला भविष्य में और अधिक व्यापक रूप से जारी रहेगा।

— —प्रियंका सौरभ
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,