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योग तो सर्वजन कल्याण और ‘भारत भाग्य विधाता’ का प्रमाण है,

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भारत के ऐतिहासिक विरासत की समृद्धता को लेकर कोई आपसे प्रश्न करे तो उसे योग का उदाहरण दीजिएगा। दशमलव और शून्य की खोज के बारे में तो हमें बचपन से पढ़ाया जाता आ रहा है, पर क्या हमने अपने पाठ्यक्रमों में योग की महत्ता को वह दर्जा दिया? 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है, पर क्या यह सिर्फ एक इवेंट भर है जिसमें योग करते हुए फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर चिपका दिया जाए? बस कहानी खत्म? नहीं- योग को सीमित दायरों में बांधना संभव नहीं है।योग तो हमारे पूर्वजों द्वारा हमें दिया गया अतुलनीय उपहार है, हमारी वैश्विक पहचान, हमारा गर्व है।

वैदिक युग की शुरुआत के साथ ही योग मानवता का हिस्सा बना। ऋषि-मुनियों ने इसके प्रभाव को समझते हुए लोगों को योग करने के लिए प्रेरित किया। उस काल में न तो मेडिकल साइंस था, न ही दवाइयां, एक योग ही था जो सुरक्षाकवच बनकर लोगों के संपूर्ण स्वास्थ्य की रक्षा करता था।

देश पर बाहरी आक्रांताओं ने राज किया, उन्होंने उन सभी चीजों को लक्षित किया जो हमारी पहचान थीं, योग भी निशाने पर आया। लिहाजा आजादी के बाद हमने मेडिकल साइंस को बढ़ाने के लिए तो लाख प्रयास किए पर योग जैसी पुरातन और ‘ब्रह्मास्त्रीय विज्ञान’ की तरफ 2014 के पहले कितना ध्यान दिया गया ये किसी से छिपा नहीं है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

इस मामले में नरेंद्र मोदी सरकार 110 प्रतिशत तारीफ की काबिल है। इसमें न सिर्फ योग को नई दशा और दिशा मिली, साथ ही योग वैश्विक चर्चा का विषय बना। इसी क्रम में हम इस बार 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की आठवीं सालगिरह है।

8 साल पीछे चलें तो योग दिवस को लेकर भी देश में हर योजनाओं की तरह खूब विरोध हुआ, कारण वही राजनीतिक वोट बैंक। कहा गया योग वैदिक काल, मंत्रोच्चार, ध्यान, साधना जैसी क्रियाओं का समायोजन है, ऐसे में यह एक धर्म विशेष का विषय है। कुछ बुद्धिजीवियों ने कहा- योग को जीवनशैली में शामिल करा कर सरकार देश के अल्पसंख्यकों के अस्तित्व को खत्म करने का प्रयास कर रही है। खैर, समय के साथ जैसे-जैसे इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर महत्व दिया जाने लगा.

हमारे समृद्ध इतिहास का प्रमाण है योग

माना जाता है कि योगाभ्यास की शुरुआत सभ्यता के साथ ही हुई थी। योग विद्या में, शिव को पहले योगी या आदि गुरु के रूप में देखा जाता है। पुराणों में जिक्र मिलता है कि कई हजार साल पहले, हिमालय में कांतिसरोवर झील के तट पर आदियोगी ने अपने गहन ज्ञान की शिक्षा सप्तर्षियों को दी जिन्होंने इस शक्तिशाली योग विज्ञान को एशिया, मध्य पूर्व, उत्तरी और दक्षिण अमेरिका सहित दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया।

सिंधु सरस्वती घाटी सभ्यता के मुहरों और जीवाश्म अवशेषों में भी योग के प्रमाण मिलते हैं। इसके अलावा वैदिक और उपनिषद विरासत, बौद्ध और जैन परंपराओं, महाभारत और रामायण महाकाव्य, शैव, वैष्णव आदि परंपराओं में भी योग और साधना का जिक्र मिलता है।

यद्यपि पूर्व-वैदिक काल से ही योग का अभ्यास किया जाता रहा था, पर महान ऋषि महर्षि पतंजलि ने अपने योग सूत्रों के माध्यम से इसे व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महर्षि पतंजलि के बाद, कई ऋषियों और योग गुरुओं ने इसे प्रलेखित प्रथाओं और साहित्य के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया।

ऋषि-मुनियों के बाद आधुनिक युग में योग के प्रचार-प्रसार की चर्चा प्रधानमंत्री मोदी के बिना अधूरी मानी जाएगी। 2014 में सत्ता में आने के बाद से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने राजनीतिक दृष्टि से क्या-क्या उपलब्धि हासिल कीं, इससे इतर इस सरकार की सबसे बड़ी कामयाबी योग को वैश्विक मंच पर न सिर्फ लाना, बल्कि पश्चिमी देशों को भी योग के प्रति आकर्षित कर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत कराना है।

बॉलीवुड प्रेस फोटोग्राफर रमाकांत मुंडे को जन्मदिन की बधाई देने पहुंचे दिग्गज

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मुम्बई। फोटोग्राफर रमाकांत मुंडे का जन्मदिन बॉलीवुड हस्तियों, मीडिया के साथ मुंबई में मनाया गया। उसी अवसर पर फिल्म इंडस्ट्री के कई नामी मेहमान मौजूद थे। बॉलीवुड के वरिष्ठ फोटोग्राफर रमाकांत मुंडे ने अपने जन्मदिन के लिए एक पार्टी का आयोजन किया था। संगीतकार दिलीप सेन, अभिनेत्री आरती नागपाल, हर्ष कुमार मुंडे, हैरी वर्मा, प्रवीण चंद्र, इरम फरीदी (निर्माता), रोशन मनसुखानी, मीर अली, सुमित चावला, दिनेश परेश, टिंकू, दिलीप यादव सहित फिल्म उद्योग की हस्तियां मौजूद थी।


साथ अभिनेता अरुण बक्शी और चारुल मलिक ने उन्हें वीडियो कॉल के माध्यम से जन्मदिन की बधाई दी।
रमाकांत मुंडे पिछले कई वर्षों से प्रेस फोटोग्राफर के रूप में शानदार काम कर रहे हैं। अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, जितेंद्र, अकबर खान, सनी देओल, मनीषा कोइराला, संजय दत्त, तब्बू, आमिर खान, शाहरुख खान, सलमान खान, अक्षय कुमार, अजय देवगन, सुष्मिता सेन, बिपाशा बसु, महिमा चौधरी, मुकेश खन्ना, राज बब्बर, राहुल देव, ऐसे कई अलग-अलग कलाकारों की यादगार तस्वीरें उनके कैमरे में कैद हैं। माइकल जैक्सन जब भारत आए तो भी उनकी दुर्लभ तस्वीरों को कैमरे में कैद करने का मौका रमाकांत ने नहीं छोड़ा। उन्होंने कई नए कलाकारों का मार्गदर्शन भी किया है।
रमाकांत मुंडे ने जन्मदिन की बधाई देने पहुंचे सभी अतिथियों का स्वागत किया और आभार जताया।

केंद्रीय पशुपालन मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला कल गुजरात के मोढेरा सूर्य मंदिर में आयोजित आईडीवाई-2022 कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे

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File Photo

योग दिवस समारोह का आयोजन , आजादी का अमृत महोत्सव

नई दिल्ली – “आजादी का अमृत महोत्सव” वर्ष में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस- 2022 मनाया जा रहा है। आयुष मंत्रालय पूरे भारत में 75 प्रतिष्ठित स्थानों पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन कर रहा है। प्रधानमंत्री कर्नाटक के मैसूर से इस कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगे।

वहीं, केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला कल यानी 21 जून को गुजरात के मेहसाणा स्थित प्रतिष्ठित मोढेरा सूर्य मंदिर से आईडीवाई- 2022 कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगे। इस कार्यक्रम में 4,500 से अधिक डेयरी किसान, छात्र और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल होंगे। आईडीवाई- 2022 की विषयवस्तु “मानवता के लिए योग” है। पूरे विश्व में मनाए जा रहे आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) समारोहों के साथ इसे पूरी तरह जोड़कर भव्य तरीके से समारोह आयोजित किए जाएंगे। आईडीवाई का मुख्य उद्देश्य लोगों के लिए योग के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जन जागरूकता उत्पन्न करना है। पिछले कई वर्षों से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस स्वास्थ्य के लिए एक जन आंदोलन बन गया है।

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (जीसीएमएमएफ) और मेहसाणा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड की सहभागिता में भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन व डेयरी विभाग गुजरात के मेहसाणा स्थित प्रतिष्ठित स्थल मोढेरा सूर्य मंदिर में आईडीवाई- 2022 मना रहा है।

आईडीवाई-2022 के लिए नोडल मंत्रालय यानी आयुष मंत्रालय की ओर से जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुरूप योग कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

भारत, अमेरिका, इस्राइल और यूएई ने बनाया ताकतवर समूह,

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भारत, अमेरिका, इस्राइल और यूएई ने मिलकर नया ताकतवर समूह बनाया है। इसे I2U2 नाम दिया गया है। इसमें आई-2 का मतलब इंडिया और इस्राइल है, जबकि यू-2 का मतलब यूएस और यूएई है। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अगले महीने 12 से 16 जुलाई तक पश्चिम एशिया के दौरे पर होंगे। उस दौरान I2U2 समूह की पहली वर्चुअली बैठक होगी।

I2U2 में क्या होगा?

अमेरिकी अधिकारी ने बताया, ‘हमारे कुछ साझीदार मध्य-पूर्व से परे भी हैं। इस साझीदारी को हम आगे बढ़ाएंगे। राष्ट्रपति बाइडन  I2U2 देशों के प्रमुखों के साथ वर्चुअल सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस दौरान खाद्य सुरक्षा संकट और सहयोग के अन्य क्षेत्रों पर बात करेंगे। इस दौरान राष्ट्रपति बाइडेन इस्राइल के पीएम नेफ्ताली बैनेट, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जाएद बातचीत करेंगे।’

बाइडन 13 जुलाई को इस्राइल से अपने दौरे की शुरुआत करेंगे और फिलस्तीनी अधिकारियों से बातचीत के लिए वेस्ट बैंक भी जाएंगे। इसके बाद राष्ट्रपति बाइडन सऊदी किंग सलमान के न्योते पर जेद्दा पहुंचेंगे और गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल के सम्मेलन में शामिल होंगे। इस सम्मेलन में मिस्र, इराक और जॉर्डन सहित नौ देशों के शीर्ष नेता शिरकत करने वाले हैं।

I2U2 में भारत की क्या भूमिका होगा?

इसको लेकर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘भारत बेहद बड़ा बाजार है। वह हाईटेक और सबसे ज्यादा मांग वाले उत्पादों का भी बड़ा उत्पादक है। ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं, जहां ये देश मिलकर काम कर सकते हैं। फिर वह तकनीक, कारोबार, पर्यावरण, कोविड-19 और सुरक्षा ही क्यों न हो।’

नेड ने आगे कहा कि इस समूह का उद्देश्य उन गठबंधनों और साझेदारों को फिर एक साथ लाना है, जिनका अस्तित्व पहले नहीं था या फिर था भी तो उसका भरपूर इस्तेमाल नहीं किया गया।

चीन क्यों घबरा रहा?

जब अक्टूबर 2021 में पहली बार भारत, इस्राइल, यूएस और यूएई के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी, तब समुद्री सुरक्षा, बुनियादी ढांचे, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रांसपोर्टेशन से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा हुई थी। उस वक्त इस बैठक का बड़ा मुद्दा इस्राइल और यूएई के बीच संबंधों को सामान्य बनाना भी था। भारत में यूएई के राजदूत ने उस वक्त इस नए गुट को ‘पश्चिमी एशिया का क्वॉड’ बताया था।

विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल कहते हैं, ‘इस समूह के अंतर्गत समुद्री सुरक्षा के मसलों पर भी बातचीत होगी। साथ ही, भारत, इस्राइल, यूएई और अमेरिका काफी करीब आएंगे। इससे चीन घबराया हुआ है।’

 

महाभारत की धरती पर श्रीकृष्ण भगवान के विराट स्वरूप के होंगे दर्शन,

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कुरुक्षेत्र, गीता स्थली ज्योतिसर में श्रीकृष्ण भगवान के विराट स्वरूप के जल्द ही दर्शन होंगे। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने 30 जून को विराट स्वरूप के लोकार्पण का निर्णय लिया है और इसकी तैयारी तेज कर दी हैं। इसके साथ गीता ज्ञान संस्थानम् में गीता पर सेमिनार किया गया जाएगा। विराट स्वरूप के लोकार्पण में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयं संघ के सर संघचालक मोहन भागवत होंगे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी इस दौरान मौजूद रहेंगे। विराट स्वरूप करीब 42 महीने में बनकर तैयार हुआ है।

कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने ज्योतिसर स्थित गीता की जन्मस्थली पर श्रीकृष्ण भगवान का विराट स्वरूप लगाने का फैसला लिया था। वर्ष 2018 के अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में श्रीकृष्ण भगवान के विराट स्वरूप का भूमि पूजन भी मोहन भागवत ने किया था। विराट स्वरूप पर लाइट एंड साउंड शो लगाया जाएगा। यहां शाम के समय श्रीकृष्ण भगवान के विराट स्वरूप के दर्शन किए जा
सकेंगे। ज्योतिसर तीर्थ पर एक लाइट एंड साउंड शो पहले
से है। अब इनकी संख्या दो हो जाएगी।

विराट स्वरूप से कुरुक्षेत्र को मिलेगा नया आकर्षण

भगवान श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप को उत्तर प्रदेश के नोएडा में राम सुतार क्रिएशन में बनवाया गया है। राम सुतार ने इसको 80 कारीगरों की मदद से तैयार किया है। 13 अगस्त 2021 को नोएडा से दो ट्रकों में ज्योतिसर तीर्थ पर लाया गया था। इसके बाद इसको फाउंडेशन पर स्थापित किया गया। श्रीकृष्ण भगवान के विराट स्वरूप के साथ अर्जुन और रथ को भी स्थापित किया गया है। विराट स्वरूप में योगेश्वर कृष्ण के अलावा श्री गणेश, ब्रह्मा, शिव, भगवान विष्णु का नरङ्क्षसह रूप हनुमान जी, भगवान परशुराम, एग्रीव और अग्नि देव और पांवों से लेकर मूर्ति से लिपटे सिर के ऊपर छांव करते शेषनाग के दर्शन हो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में देश विदेश से कुरुक्षेत्र पहुंचने वाले लोगों के अलावा तीर्थ यात्रियों के लिए कुरुक्षेत्र में यह नया आकर्षण होगा।

गीता-महाभारत थीम पार्क,

मान्यता है कि श्रीकृष्ण भगवान ने ज्योतिसर गांव की धरती पर अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने ज्योतिसर तीर्थ पर गीता और महाभारत पर आधारित थीम पार्क बनाने का फैसला लिया। यह विराट स्वरूप सहित करीब 250 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट है। पर्यटन विभाग पहले पीडब्ल्यूडी से निर्माण कार्य करा रहा था। भवन निर्माण का कार्य 80 प्रतिशत पूरा कर लिया गया है। अब पर्यटन विभाग ने इसे वापस अपने हाथों में ले लिया है। यहां अलग-अलग बिल्डिंग में गीता, महाभारत और श्रीकृष्ण को दर्शाया जाएगा। थ्री-डी कैमरों और अन्य आधुनिक उपकरणों का प्रयोग किया जाएगा।

लगनशील ऊर्जावान अभिनेत्री हैं अनु कश्यप

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मुकेश खन्ना के सुपरहिट धारावाहिक ‘शक्तिमान’ में तिमिरा की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री अनु कश्यप दो दक्षिण भारतीय फिल्मों में नज़र आएंगी, साथ ही आगामी म्यूजिक एलबम के गीत ‘फासले कम’ से पुनः अभिनय में नई पारी की शुरुआत कर रही हैं। यह एलबम जल्द ही दर्शकों और श्रोताओं तक पहुंच जाएगा। इसके अलावा वह कुछ वेब सिरीज़ और कई एलबम में अपना जलवा दिखाएंगी।

अनु कश्यप अभिनय जगत का कोई नया चेहरा नहीं बल्कि जाना माना चेहरा है जिसका जुनून ही है बेहतर अभिनय करना।
लगभग सत्रह फिल्मों, कई धारावाहिकों और म्यूजिक वीडियो में वह अभिनय कर चुकी हैं। इनकी प्रसिद्ध धारावाहिक हैं ‘शक्तिमान, द्रौपदी और ये कैसी उलझन’। ‘नाच नाच यार मनवा नी’ और ‘ओ मेरे राजा’ एलबम में अनु काम कर चुकी है। ओ मेरे राजा गीत देवानंद की फ़िल्म जानी मेरा नाम का ही रिमेक गीत है।


अनु कश्यप ने कई दिग्गज अभिनेताओं के साथ काम किया है जिनमें धर्मेंद्र, मिथुन चक्रवर्ती, शक्ति कपूर, जानी लीवर, मुश्ताक खान, अनिल धवन का नाम प्रमुख है। इन्होंने फ़िल्म ‘यीशु पालन हार’ नाम की फ़िल्म का निर्माण भी किया है।
अमिताभ बच्चन और माधुरी की तरह वह जीवन के अंतिम पड़ाव तक कार्य करते रहना चाहती हैं। हालांकि अनु कुछ वक्त के लिए विदेश चली गयी थी मगर अभिनय के प्रति प्रेम ने वापस इन्हें मायानगरी की ओर खींच लिया।


इनकी अभिनय में दूसरी पारी धमाकेदार होगी। इनके पर्दे पर अभिनय का जौहर दिखाने का इंतेज़ार दर्शकों को भी रहेगा। अनु को वीमेन ओरिएंटेड फिल्में करने की इच्छा है। हिन्दू देवियों की भूमिका करने की इनकी गहन आकांक्षा है। भविष्य में माँ कामाक्षी की भूमिका करना इनके जीवन का उद्देश्य है। हिन्दू देवियों की भूमिका करना इन्हें इसलिए पसंद है क्यूँकि वह शक्ति का प्रतीक होती हैं। ऐसी ही शक्तिशाली महिला का किरदार वह निभाना चाहती हैं। जैसे फ़िल्म ‘मर्दानी’ में रानी मुखर्जी, ‘मॉम’ में श्रीदेवी और हाल ही रिलीज फ़िल्म केजीएफ 2 में रवीना टंडन का किरदार।
अभिनय इनका जुनून है व इनकी ऊर्जा का स्रोत है। अभिनय के समय इनका जोश और ऊर्जा देखकर फ़िल्म स्टार धर्मेंद्र ने इनकी सराहना की थी। मिथुन दा भी इनके अभिनय के प्रति प्रेम, लगन और इनकी ऊर्जा को देख इनकी तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाए थे।
फ़िल्म के साथ ही सामाजिक कार्यों में इनका योगदान रहता है। अनु एनजीओ से जुड़ी हैं और ह्यूमन राइट्स की आल महिला रिसर्च की अध्यक्ष है। महिला और बच्चों से जुड़े सभी कार्यों को देखती और उनका निराकरण और सहायता करती है। साथ ही एचआईवी पीड़ितों की सहायतार्थ कार्य करती हैं।
अनु कश्यप ने अभिनय को अपने जीवन का अंग माना है और आज भी शूटिंग के समय इनकी ऊर्जा देखने योग्य रहती है। अभिनय की कला इनमें पैदायशी ही है। फिर भी इन्होंने अभिनय में निखार लाने के लिए अभिनय की बारीकियों को सीखा है। गणेश नागपाल से एक्टिंग का कोर्स किया। फ़िल्म से कुछ वक्त का ब्रेक लेने के बाद भी इनकी अभिनय से दूरी नहीं रही टिकटोक वीडियो के माध्यम से अपनी कला का प्रदर्शन करती रही।

– गायत्री साहू

बचपन से फिल्मों के प्रति दीवानगी है : इंद्राणी तालुकदार

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अगर मौका मिले तो शर्मिला टैगोर की फिल्म ‘मौसम’ के रीमेक में शर्मिला टैगोर का किरदार निभाऊंगी, इंद्राणी तालुकदार का यही सपना है। बेहद सुंदर, समझदार और उच्चशिक्षित अभिनेत्री हैं इंद्राणी। वह तन्मय सेन गुप्ता की एक गुजराती फिल्म में अश्मित पटेल के साथ मुख्य भूमिका निभा रही हैं।


महिला प्रधान फिल्में या ऐसा कोई भी पात्र जिसमें अपनी अभिनय कला को प्रदर्शित करने का मौका मिले यह मौका इंद्राणी कभी नहीं चुकेगी।
असम के गोवाहाटी की रहने वाली इंद्राणी ने वकालत में डिग्री हासिल की है तथा दिल्ली और मुम्बई में उच्च शिक्षा प्राप्त की। बचपन से फिल्मों के प्रति दीवानगी थी, अभिनय का जुनून आगे बढ़ा और अपने दोस्तों के साथ उन्हेंने अभिनय क्षेत्र में आने के लिए स्क्रीन टेस्ट दिया जिसमें वह सलेक्ट हो गयी। अपनी शिक्षा पूर्ण कर अभिनय जगत में पैर रखा फिर पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। जन्मजात सौंदर्य की मल्लिका तो वह थी ही साथ में अपनी अभिनय को निखार कामयाबी की ओर बढ़ रही हैं।
इंद्राणी एक शिक्षित परिवार से हैं उनके परिवार में फिल्मी दुनिया से कोई नहीं था। अभिनय के प्रति प्रेम के कारण उनका झुकाव फिल्मों की ओर हुआ और अपनी मेहनत से उन्हें यह मौका भी मिला।


छोटे पैमाने की फिल्मों पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हुए, वह विभिन्न भाषाओं की क्षेत्रीय फिल्मों में काम करती हैं। अब तक उन्होंने हिंदी, तमिल, तेलुगु, असमिया, मगही और भोजपुरी फिल्मों में अभिनय किया है। वह विभिन्न फिल्मों में आइटम गाने करने के लिए क्षेत्रीय फिल्मों में भी एक लोकप्रिय पसंद है। उन्होंने मजनूगिरी, इज्जत, देवेन मिसिर और एन एसिड अटैक केस जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया है।
भोजपुरी फिल्म ‘देवेन मिसिर’ में उनके काम के लिए भी जाना जाता है जो 2018 में रिलीज़ हुई। इंद्राणी के सबसे लोकप्रिय प्रदर्शनों में से एक फिल्म ‘लतीफ’ थी जिसमें उन्होंने नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ अभिनय किया था। यह फिल्म वर्ष 2015 में रिलीज़ हुई थी, और समीक्षकों द्वारा सराही गई एक फिल्म थी। ‘फ्रेंड्स फॉरएवर’ और ‘हॉरर लव स्टोरी’ ये दो फिल्में हैं जिनमें इंद्राणी को भूमिकाएं मिली हैं। साथ ही वह फिल्म ‘अपरिचित शक्ति’ में राजपाल यादव के साथ काम की हैं जो कि एक साइकोलॉजिकल ड्रामा है।


वह फिल्म ‘खंडाला नाइट्स’ में भी अभिनय कर चुकी हैं। साथ ही कई रिजिनल फ़िल्में इंद्राणी कर रही हैं जिनमें दक्षिण भारतीय फिल्म भी शामिल है।
इनकी फ़िल्म ‘एन एसिड अटैक केस’ बारह फ़िल्म फेस्टिवल अवार्ड से सम्मानित हो चुकी है। फिल्मों के अलावा यह आइटम गीत और एलबम में भी काम करती है। इनका नया एलबम ‘चोली में जहर है’ जल्द रिलीज़ होने वाली है।
इंद्राणी कई अवॉर्ड से सम्मानित हो चुकी है। दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और हाल ही में सिनेमा आजतक अवार्ड समारोह में उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का पुरस्कार मिल चुका है।
इंद्राणी के पसंदीदा अभिनेता अमिताभ बच्चन और सलमान खान हैं जिनके साथ काम करने को लेकर उत्सुक हैं।
इंद्राणी को ‘ब्लैक’ फ़िल्म में रानी मुखर्जी जैसी भूमिका करना पसंद है। रेखा, माधुरी दीक्षित, आलिया और प्रियंका की अदाकारी उन्हें अच्छी लगती है।


अभिनय के अलावा इंद्राणी धार्मिक प्रवृत्ति की है। यह योगा, ध्यान, नृत्य के साथ साथ लोक सेवा करना अपना धर्म समझती हैं। इनका कहना है कि लोगों की सहायता करने की कोई उम्र नहीं होती यह कार्य हमेशा करते रहना चाहिए। जहाँ लगे वहाँ दूसरों की सहायता के लिए कदम बढ़ाओ। इंद्राणी स्वयं महिला और बच्चों की सहायता के लिए आगे रहती हैं। महिला और बच्चों के शोषण और उत्पीड़न के मामले में उनकी हितार्थ कार्य करती है। कोविड में असहाय लोगों की सहायता, जरूरमंदों की सहायता आदि कार्य करती है। उनमें जागरूकता लाने हेतु भी कैम्पेनिंग करती है।
इंद्राणी शिक्षा के महत्व को समझती हैं। उनका कहना है कि आप अपना करियर भले जिस क्षेत्र में बनाये लेकिन अपनी शिक्षा पहले पूर्ण करें। किसी भी कार्य को करने में संयम और धैर्य जरूरी है। कोई वस्तु तुरंत नहीं मिलती उस तक पहुंचने के लिए मार्ग बनाना पड़ता है अर्थात मेहनत और अभ्यास जरूरी है।

– गायत्री साहू

केले के पेड़ में लकड़ी नहीं तो क्या, बुरहानपुर के मेहुल ने इनके तनों से धागे निकालने की फैक्ट्री लगाई; 30 लाख सालाना कमाई

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केले के बेकार तनों के ढेर को आपने जरूर देखा होगा। अगर आपसे कहा जाए कि ये तने बेकार नहीं है, इनसे लाखों का कारोबार खड़ा किया जा सकता है तो आपको थोड़ा अजीब लगेगा। शायद यकीन नहीं होगा। हमें भी कुछ ऐसा ही लगा। इसलिए इसकी पड़ताल करने पहुंच गए बुरहानपुर। वही बुरहानपुर जो मध्य प्रदेश के ‘बनाना शहर’ के रूप में फेमस है।

भोपाल से करीब 340 किलोमीटर दूर स्थित बुरहानपुर शहर से 5-7 किलोमीटर भीतर गांवों की ओर बढ़ने पर दोनों तरफ सिर्फ केले के खेत ही नजर आते हैं। जिले की करीब 22 हजार हेक्टेयर जमीन पर केले की खेती होती है।
सुबह 10 बजे का वक्त है। कैलाश कुशवाहा और दिलीप कुशवाहा हाथ में धारदार बक्खी (हसुआ जैसा काटने वाला औजार) लिए केले के तने काट रहे हैं। ये वो तने हैं जिससे केला काटा जा चुका है। इन तने को काटकर कैलाश-दिलीप खेत के बीचो-बीच बने एक मेढ़ पर इकट्ठा करते हैं और फिर मेहुल श्रॉफ अपने लोगों को भेजकर इन तनों को अपनी यूनिट में मंगवा लेते हैं।

पहले पैसे देकर हटवाने पड़ते थे खेतों से केले के बेकार तने

दरअसल, बुरहानपुर के मेहुल श्रॉफ केले के तने से फाइबर बनाते हैं, इसे Banana Fiber कहते है। इस इलाके के किसान जब अपना फसल काट लेते हैं तो मेहुल को इंफॉर्म करते हैं। मेहुल इन खेतों से ट्रैक्टर पर केले के तने को लादकर अपने यूनिट तक ले आते हैं।

भाऊलाल कुशवाहा साल 2000 से केले की खेती कर रहे हैं। वो कहते हैं, पहले केला काटने के बाद मजदूरों से केले के तनों को हटवाना पड़ता था। इसे या तो किसी गड्ढे में डंप करवाता था या सड़ने के लिए फेंक देता था। 3 रुपए प्रति केले के तने की कटाई के हिसाब से मजदूरी देनी होती थी। लेकिन, अब मुझे ऐसा नहीं करना पड़ता है।

साल 2018 से मेहुल श्रॉफ Banana Fiber बना रहे हैं। वो अपने आइडिया को लेकर बताते हैं, परिवार का ज्वेलरी बिजनेस है। पुणे से मार्केटिंग में MBA करने के दौरान ही मन बना लिया था कि मुझे फैमिली बिजनेस नहीं करना है। रिसर्च में काफी दिलचस्पी थी। 2016 में पढ़ाई कंप्लीट होने के बाद कुछ साल रिसर्च की कि मैं क्या कर सकता हूं?

मेहुल ने तिरुचिरापल्ली में Banana Fibre बनाने की ट्रेनिंग ली

मेहुल ने कई एंटरप्रेन्योर से मुलाकात की। वो कहते हैं, जब मैं अलग-अलग इंडस्ट्री को लेकर रिसर्च कर रहा था तो देखा कि बनाना फ्रूट पर तो काम हुआ है, लेकिन इसके तने को लेकर हमने अभी उतना एक्सप्लोर नहीं किया है। पढ़े-लिखे लोग एग्री सेक्टर में आना भी नहीं चाहते हैं।

मेरे शहर में केले की खेती सबसे ज्यादा होती है। एक बार गुजरात की नवसारी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की टीम शहर आई थी, उन्होंने Banana Fiber को लेकर और अधिक जानकारी दी।

मेहुल इस आइडिया के पीछे का एक और किस्सा भी बताते हैं। कहते हैं, शहर के तत्कालीन डीएम से मैंने मुलाकात की थी। उनसे कहा कि कुछ अपना अलग स्टार्टअप शुरू करना चाहता हूं। उन्होंने सुझाव दिया- अपने जिले में मैं क्या-क्या कर सकता हूं? इस पर स्टडी करूं…। यहां से मैंने Banana Fiber बनाने का प्लान तैयार किया।

मेहुल कहते हैं, मार्केट मॉडल और इसके पीछे की पूरी कहानी समझने के लिए तिरुचिरापल्ली के नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर बनाना से ट्रेनिंग ली, जो पहले से Banana Fruit और स्टेम यानी केले के तने पर काम कर रहे थे। साउथ इंडिया में इस पर ज्यादा काम हो रहा है। जो लोग पहले से Banana Fiber यूनिट चला रहे थे, उनसे भी पूरे काम को समझा।

आइडिया को एक्जीक्यूट करना मेहुल के लिए मुश्किल था क्योंकि यह मार्केट किसानों पर टिका हुआ है। मेहुल शुरुआत की एक बात बताते हैं। कहते हैं, जब यूनिट सेटअप किया और किसानों को इसके बारे में बताया तो उनका कहना था कि उन्हें भी इसके बदले कुछ पेमेंट मिलना चाहिए। अभी भी ये दिक्कतें आती है।

हमने उन्हें समझाया कि फ्री ऑफ कॉस्ट वो उनके खेतों का कचड़ा साफ कर रहे हैं। यदि वो पेमेंट करेंगे तो फाइबर का कॉस्ट और ज्यादा हो जाएगा। प्लास्टिक को रिप्लेस करने के लिए फाइबर से बने प्रोडक्ट की कीमत कम होनी चाहिए, ताकि सभी लोग खरीद पाएं। केले के तने को लेकर मेहुल एक और दिलचस्प बात बताते हैं। कहते हैं, केला का तना जितना कच्चा होगा, फाइबर की क्वालिटी उतनी अच्छी होती है। वो मुलायम अधिक होता है। जब आंधी-तूफान में केले की फसल को नुकसान होता है तो उन्हें इसका फायदा मिलता है।

जिन इलाकों में केले की खेती होती है, वहां यूनिट लगाना फायदेमंद

मेहुल के Banana Fiber यूनिट के एक कोने में लगे मशीन पर नर्सिंग काम कर रहे हैं। वो इस मशीन में केले के तने के हिस्से को डालते हैं और फिर वह हिस्सा रेशा यानी फाइबर बनकर बाहर निकल आता है। दरअसल, यह रास्पाडोर एक्सट्रैक्टर मशीन है। इसकी कीमत 1 लाख रुपए के करीब है।

मेहुल के मुताबिक इसकी यूनिट वहीं पर लगाई जा सकती है जिन इलाकों में केले की उपज ज्यादा होती हो। वो कहते हैं, यदि किसी इलाके में यूनिट है और केले की उपज नहीं है तो यह स्टार्टअप मुश्किल है।

नर्सिंग जो भींगे रेशे मशीन से तैयार कर रहे हैं, उसे वैशाली उठाकर बंधे लोहे के तार पर सुखाती हैं। कुछ घंटे बाद वो इसे उलट-पलट करती हैं और शाम तक इसे उतारकर, बांधकर यूनिट के भीतर ले आती हैं। वो कहती हैं, धूप यदि कड़क हो तो 6 घंटे में रेशा सुख जाता है।

खेत से केले के तने लाने और फिर अपने यूनिट में इससे फाइबर बनाने के प्रोसेस को लेकर मेहुल बताते हैं- जब किसान केले के फल की कटाई कर लेते हैं तो हम केले के तने को ट्रांसपोर्ट कर यूनिट में ले आते हैं। उसके ऊपरी हिस्से को साफ करने के बाद तने को छिला जाता है यानी अलग-अलग कर दिया जाता है।

मेहुल हर महीने 3 से 5 टन तैयार करते हैं Banana Fibre

इसे कुछ घंटो के लिए धूप में रखा जाता है। फिर मशीन से रेशे और लिक्विड को अलग-अलग कर दिया जाता है। जब लिक्विड अलग हो जाता है तो यह भीगे हुए धागे की तरह होता है। इसे सुखाने के बाद सफाई की जाती है। फिर फ्रेश फाइबर तैयार हो जाता है। इंडस्ट्री को सप्लाई करने के लिए बड़े लंबे आकार में गठरी की तरह बांधा जाता है।

एक केले के तने से 100 ग्राम फाइबर तैयार होता है यानी 10 केले के तने से एक किलो फाइबर बनता है। Banana Fiber यूनिट को सेट करने के लिए शुरुआत में करीब 3 लाख रुपए की जरूरत होती है।

मेहुल हर महीने 3 से 5 टन यानी 30 क्विंटल से 50 क्विंटल तक फाइबर तैयार कर रहे हैं और सालाना 30 लाख का टर्नओवर कर रहे हैं। वो इन फाइबर्स को उन घरेलू महिलाओं को भी सप्लाई करते हैं जो हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट बनाती हैं। इससे घरों की सजावट के लिए प्लांटेड डिब्बा, रस्सी, बैग, पूजा घर के लिए झाड़ू, योग करने वाली चटाई, पूजा करने वाली चटाई, वॉल घड़ी आदी प्रोडक्ट्स बनाए जाते हैं।फाइबर के टाइप को लेकर मेहुल बताते हैं, जो मोटे फाइबर होते हैं वो पेपर इंडस्ट्री को जाता है। फ्रेश और पतले फाइबर को हम सैनिटरी नैपकिन, टेक्सटाइल इंडस्ट्री, मैट इंडस्ट्री को सप्लाई करते हैं।

गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के राज्यों में करते हैं Banana Fibre की सप्लाई

कपड़ों में 10 से 15% ही Banana Fiber का इस्तेमाल होता है। क्योंकि, कॉटन के मुकाबले यह थोड़ा भारी होता है। अभी गुजरात, महाराष्ट्र और साउथ में फाइबर की सप्लाई कर रहे हैं। Banana Fiber का मार्केट कॉस्ट 100 से 120 रुपए प्रति किलो है। ऐसे में जो घरेलू प्रोडक्ट्स बनते हैं उनका कॉस्ट 500 से 2,000 रुपए तक का आता है। 6 महिला और 4 पुरुष समेत कुल 10 लोगों को मेहुल डायरेक्ट जॉब दे रहे हैं, जबकि 50 से 70 महिलाएं हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट बनाकर हर महीने 4,000 रुपए तक की कमाई कर रही हैं। इनके प्रोडक्ट्स की मार्केट सप्लाई मेहुल ही करते हैं। मेहुल अब बनाना स्टेम से फर्टिलाइजर बनाने को लेकर काम कर रहे हैं। उनके साथ कोर टीम में 4 लोग काम कर रहे हैं, जो पूरे बिजनेस की ब्रांडिंग से लेकर मार्केटिंग तक का काम संभालते हैं।

उद्घाटन के बाद जब नए टनल में कचरे पर पड़ी नरेंद्र मोदी की निगाह,

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दिल्ली में प्रगति मैदान टनल के निरीक्षण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वहां सामने कचरा मिला। उन्होंने उसे फौरन खुद उठाया और लेकर आगे चल दिए। पीएम ने बाद में उसे डस्टबिन में फेंका।

दरअसल, पीएम ने रविवार (19 जून, 2022) को आईटीपीओ सुरंग के तहत प्रगति मैदान में एकीकृत ट्रांजिट कॉरिडोर परियोजना (Pragati Maidan Integrated Transit Corridor) की मुख्य सुरंग और पांच अंडरपास का उद्घाटन किया। पीएम इसके बाद टनल में खुद मुआयना करने पहुंचे, जहां सड़क किनारे उनकी नजर गुटखेनुमा छोटे से टुकड़े पर जा पड़ी। उन्होंने उसे देखते ही फौरन उठाया और आगे लेकर चल दिए। बाद में वहां उन्हें एक खाली बोतल भी मिली, जिसे उन्होंने बाद में कूड़ेदान में जाकर फेंका।

टनल का उद्घाटन करते हुए कहा कि आज दिल्ली को केंद्र सरकार की तरफ से आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का बहुत सुंदर उपहार मिला है। इतने कम समय में एकीकृत ट्रांजिट कॉरिडोर को तैयार करना आसान नहीं था। जिन सड़कों के इर्द-गिर्द ये कॉरिडोर बना है वो दिल्ली की सबसे व्यस्ततम सड़कों में से एक है। लेकिन, यह नया भारत है। समस्याओं का समाधान भी करता है, नए संकल्प भी लेता है और उन संकल्पों को सिद्ध करने के लिए प्रयास भी करता है।

देश की राजधानी में विश्व स्तरीय कार्यक्रमों के लिए स्टेट ऑफ आर्ट सुविधाएं हों, एक्जीबिशन हॉल हों, इसके लिए भारत सरकार निरंतर काम कर रही है। दिल्ली-एनसीआर की समस्याओं के समाधान के लिए बीते 8 सालों में हमने अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। बीते 8 सालों में दिल्ली-एनसीआर में मेट्रो सेवा का दायरा 193 किलोमीटर से करीब 400 किलोमीटर तक पहुंच चुका है। इस दौरान उन्होंने दिल्ली के लोगों से अपनी 10 फीसदी यात्राएं मेट्रो से करने की अपील भी की।

प्रगति मैदान टनल बनने के बाद आईटीओ, मथुरा रोड, भौरो मार्ग से रोजाना गुजरने वाली करीब 1.50 लाख लोगों को जाम से बड़ी राहत मिलेगी। इस सुरंग को बनाने में 900 करोड़ रुपए से अधिक की लागत आई है, इसे आधुनिक बनाने के साथ ही सौन्दर्यीकरण के लिए बड़ी वॉल पेंटिंग बनाई गई है।

SSAN MUSIC ला रहा है ” इश्क़ की राह पे ” रेखा राव ,अनारा गुप्ता और कुमार गौतम का बेजोड़ म्यूजिक वीडियो

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रोमांटिक गीतों का दौर हमेशा रहा है , जब भी आप की आत्मा को छू लेने वाले गीत आते है तो आते ही सुनने वालो के दिलो पर राज़ करने लगते है। बहुचर्चित सिने अभिनेत्री और कुमार गौतम के अभिनय से सराबोर एक रोमांटिक म्यूजिक एल्बम ” इश्क़ की राह पे ” जिसे सुप्रसिद्ध फिल्म प्लेबैक सिंगर रेखा राव ने अपनी मधुर आवाज़ से सजाया है जल्द ही रिलीज़ होने जा रहा है।

संगीत के क्षेत्र में बड़ी तेजी के साथ अपनी पहचान बनने में सफलता की सीढ़ियों को चढ़ते हुए म्यूजिक कंपनी SSAN MUSIC सान म्यूजिक इस मधुर कर्ण प्रिय म्यूजिक वीडियो को रिलीज़ करने जा रही है।

सिंगर रेखा राव व्यवहार में नम्रता , व्यक्तित्व में आकर्षण और कंठ में कोयल जैसी खनक रखती है। राजस्थानी गीतों की सुपर सिंगर ,मखमली आवाज से हिन्दी और भोजपुरी सहित कई भाषाओं को समृद्ध करने वाली गायिका रेखा राव अब तक हजारों गीतों को अपना स्वर दे चुकी हैं। अब तक उनके १५०० से ज्यादा गीत रिलीज हो चुके हैं।

रेखा राव की आवाज इतनी मार्मिक है की उसे सुनकर पामेला चौपडा रों पडी थी., रेखा राव के पिता जान माने सिंगर और संगीतकार थे, रेखा राव ने भी उनसे ही गायिकी की तालीम ली. उनके पिता तेजकरण राव सुर सिंगर संसद से सुरमणि पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं . रेखा राव बचपन से ही आशाजी, लता जी, मदन मोहन जी और रविन्द्र जैन की फैन हैं।

” इश्क़ की राह पे ” उनका यह म्यूजिक वीडियो बहुत ही अच्छा बना है जिसमे खुद रेखा राव , अनारा गुप्ता और कुमार गौतम ने अभिनय किया है।
मिस जम्मू रह चुकी अनारा गुप्ता ने बॉलीवुड में बहुत सी फिल्मो में लीड रोल निभाया है , हमेशा से चर्चा में रहने वाली अनारा गुप्ता भी इस म्यूजिक वीडियो को ले कर उत्साहित है , उन्होंने कुमार गौतम के साथ बहुत अच्छा अभिनय किया है दोनों की जोड़ी कमाल की लगती है।

कुमार गौतम एक अच्छे सधे हुए अभिनेता है वे इनदिनों फिल्मो में बहुत बिज़ी है और कई बड़े प्रोजेक्ट कर रहे है। इससे पहले भी उनके कई म्यूजिक वीडियो आ चुके है। म्यूजिक एल्बम ” इश्क़ की राह पे ” में कुमार ने जिस का परिचय दिया है।

” इश्क़ की राह पे ” SSAN MUSIC से रिलीज हो रहा है इस के प्रोमो को अच्छा दर्शको का प्रतिसाद मिल रहा है। इस म्यूजिक वीडियो में गीत और संगीत कौशल किशोर का है , म्यूजिक अरेंजर अरबिंदा नेओग है , कैमरामैन उत्तम धकले और निर्देशन सचिन प्रभाकर कारंडे ने किया है। ऑडियो मिक्स एंड मास्टरिंग डीप गोश्वामी ने किया है कस्टूम डिज़ाइनर लबले हीना बाफना ने किया है।

SSAN MUSIC कंपनी के संजय अमान ने बताया कि ” इश्क़ की राह पे ‘ म्यूजिक वीडियो बहुत अच्छा बना है , आप सभी के सहयोग से हम यहाँ तक पहुंचे है। ज्ञात हो कि अभी हाल ही में SSAN MUSIC कंपनी ने म्यूजिक वीडियो ” तेरी आशिकी में ” का एक मिलियन व्यूज होने पर बड़ा सेलिब्रेशन किया था साथ ही अभी हाल ही में म्यूजिक वीडियो ” तेरा ज़िक्र ” को भी लॉन्च किया। SSAN MUSIC कंपनी ने वर्ष २०२२ में ५०० से भी अधिक गीतों को रीलिज और प्रोडक्शन करने का लक्ष्य रखा है।