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अबू धाबी में पीएम मोदी से गर्मजोशी से मिले UAE के राष्ट्रपति

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अबू धाबी,28 जून : जी-7 शिखर सम्मेलन के बाद मंगलवार को संयुक्त अरब अमीरात पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने अबू धाबी में गर्मजोशी से स्वागत किया। जानकारी के मुताबिक, पीएम मोदी और यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद ने अबू धाबी में एक बैठक भी की। पीएम मोदी ने इस दौरान खाड़ी देश के पूर्व राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के निधन पर अपनी गहरी संवेदना प्रकट की। इसके बाद पीएम मोदी वहां से रवाना हो गए।

#WATCH | UAE President Sheikh Mohamed bin Zayed Al Nahyan warmly receives Prime Minister Narendra Modi in Abu Dhabi, UAE.


अरिंदम बागची ने कहा… विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अबू धाबी से कहा, “एक बहुत ही खास अंदाज में, हिज हाइनेस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान और शाही परिवार के सदस्य पीएम मोदी से मिलने और बातचीत करने के लिए अबू धाबी के हवाई अड्डे पर आए, ताकि पीएम को पूरे रास्ते से होकर शहर न जाना पड़े।

पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर शोक जताएंगे पीएम मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खाड़ी देश के पूर्व राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के निधन पर व्यक्तिगत रूप से शोक जताने के लिए अपनी संक्षिप्त यात्रा पर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) पहुंचे। पीएम ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर शोक जताया। इसके बाद पीएम मोदी यूएई से रवाना हो गए। शेख खलीफा का लंबी बीमारी के बाद 73 साल की आयु में 13 मई को निधन हो गया था। कौन थे शेख खलीफा? बता दें कि, शेख खलीफा संयुक्त अरब अमीरात के संस्थापक शेख जायद बिन सुल्तान अल नाहयान के सबसे बड़े बेटे थे।

उन्होंने 3 नवंबर 2004 से अपनी मृत्यु तक यूएई के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक के रूप में कार्य किया। इससे पहले उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी पिछले महीने संयुक्त अरब अमीरात का दौरा किया था और शेख खलीफा के निधन पर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के नेतृत्व के प्रति संवेदना व्यक्त की थी। पीएम मोदी को 2019 में मिला था यूएई का सर्वोच्च सम्मान यूएई की मोदी की अंतिम यात्रा अगस्त 2019 में हुई थी, जिस दौरान उन्हें यूएई के राष्ट्रपति द्वारा देश का सर्वोच्च पुरस्कार ‘ऑर्डर ऑफ जायद’ मिला था। विदेश मंत्रालय के अनुसार, चीन और अमेरिका के बाद वर्ष 2019-20 के लिए यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।

 

Udaipur Murder Case: नूपुर शर्मा के समर्थन में स्टेटस लगाने पर शख्स की निर्मम हत्या, दुकान में घुसकर उतारा मौत के घाट

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Udaipur Murder Case: राजस्थान के उदयपुर में नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया स्टेटस लगाने पर एक व्यक्ति की निर्मम हत्या कर दी गई. ये वारदात उदयपुर के धानमंडी थाना क्षेत्र में हुई. मृतक कन्हैया लाल टेलरिंग की दुकान चलाते थे. हत्यारे उनकी दुकान पर कपड़े सिलवाने के बहाने आए और उसकी हत्या कर दी. इतना ही नहीं उन्होंने पूरी वारदात का वीडियो भी बनाया और उसे वायरल कर दिया. इस मामले पर सीएम अशोक गहलोत ने सभी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है.

आरोपियों को मिलेगी सजा- सीएम गहलोत 
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, “उदयपुर में युवक की जघन्य हत्या की भर्त्सना करता हूं. इस घटना में शामिल सभी अपराधियों कठोर कार्रवाई की जाएगी एवं पुलिस अपराध की पूरी तह तक जाएगी. मैं सभी पक्षों से शान्ति बनाए रखने की अपील करता हूं. ऐसे जघन्य अपराध में लिप्त हर व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी.”

शेयर न करें वीडियो’
इसके अलावा सीएम गहलोत ने जनता से हत्या की वीडियो को शेयर न करने की भी अपील की. उन्होंने कहा, “मैं सभी से अपील करता हूं कि इस घटना का वीडियो शेयर कर माहौल खराब करने का प्रयास ना करें. वीडियो शेयर करने से अपराधी का समाज में घृणा फैलाने का उद्देश्य सफल होगा.”

आरोपियों को मिले सख्त सजा-कटारिया
वहीं इस मामले पर बीजेपी नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि उदयपुर में हृदय विदारक घटना हुई है. इसके पीछे कोई गैंग है. मेरी सीएम से बात हुई. इन लोगों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए.  कटारिया ने आगे कहा कि मेरी एसपी और कलेक्टर के अलावा वहां की जनता से बात भी बात हुई है.

मौके पर पुलिस बल तैनात- एसपी 
उदयपुर में हुई इस घटना को लेकर जिले के एसपी मनोज कुमार ने कहा कि नृशंस हत्या की जैसे ही हमें सूचना मिली पुलिस को तैनात कर दिया गया है. अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. कुछ आरोपियों की पहचान हुई है, हमने टीमें भेजी हैं. सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहा है उसे भी हमने देखा है.

 

 

गो गव्य ही है उत्कृष्ट आहार

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यज्ञ में काम लिया जाने वाला घृत केवल और केवल गो-घृत ही होना चाहिये, तभी देवता उसको ग्रहण करेंगे। बाजारू घृत जो कि चर्बीयुक्त हो सकता है या फिर अन्य पशुओं का घृत जो कि अशुद्ध माना जाता है, देवता नहीं दानव ग्रहण करेंगे। उससे देव शक्ति की बजाय दानवी शक्ति का पोषण होगा। परिणाम हमारे लिये निश्चित उल्टा ही होगा। अतः यज्ञ में केवल गो-गव्यों का ही प्रयोग करना चाहिये। शास्त्र विरुद्ध किया गया कार्य पूरी सृष्टि के लिये हानिकारक होता है। शास्त्र में जहाँ भी दूध, दही, छाछ, मक्खन, घृत आदि उल्लेख किया गया है वो केवल गाय के गव्य ही हैं, क्योंकि उस समय भैंस, जर्सी, हॉलिस्टीयन जैसे पशुओं का व्यवहार कहीं भी शास्त्र में आया ही नहीं है।

बीमारियों से बहुत दुःखी होने के बाद भी आम आदमी में यहाँ तक कि बुद्धिजीवियों और बड़े-बड़े कई साधु-संतों में भी सजगता देखने में नहीं आ रही है। दूध और घी के विषय में तो वे बिल्कुल लापरवाह या अनभिज्ञ से नजर आ रहे हैं। हृदयघात और ब्लोकेज में कॉलेस्ट्राल मुख्यतः गोघृत के अलावा खाया गया घृत है, जिससे हमारा पाचन तंत्र पचा नहीं पाया।

इसके अलावा गुणों में गाय का दूध सात्विक, भैस का राजसी व जर्सी-हॉलिस्टीयन का तामसी होता है। इनको खाने से इनके जैसा ही हमारा मन मस्तिष्क और हृदय बनता है। सफेद रंग का हरेक पदार्थ दूध नहीं होता है।
वर्तमान में गाय का जो त्याग और तिरस्कार है वो मुख्यरूप से दूध की मात्रा को लेकर किया जा रहा है। वजह केवल व्यापार। बेचने वाला तो रुपये कमाने के लिये ऐसा कर रहा है, पर खरीददार दूध के प्रति शिक्षित नहीं होने के कारण शुद्ध गाय के दूध की माँग नहीं कर रहे हैं।

लगातार अनदेखी से हमारे देश में गायों की नस्ल में भारी गिरावट आई है, जिससे वे कम दूध दे रही है। देश में दूध की माँग केवल दो फालतू के कार्यों हेतु है- 1. चाय और 2. मिठाई। अगर लोग चाय पीना छोड़ दें, जो कि जीवन निर्वाह हेतु कतई आवश्यक नहीं है, तो दूध की खपत एकदम गिर जायेगी। जो मिठाई वर्तमान में लोग खा रहे हैं, उससे स्वास्थ्य को लाभ की बजाय हानि अधिक हो रही है, केवल जीभ का स्वाद लेने के लिये बीमारी का घर खा रहे हैं। ऐसी मिठाई का भी यदि त्याग कर दें तो दूध की खपत और घट जायेगी। ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम रह गयी है जो स्वास्थ्य के लिये दूध पीते हैं। बच्चे अभी भी दूध जरूर पीते हैं।

जब माँग कम होगी तो उसकी पूर्ति केवल गायों से हो जायेगी। इससे लाभ यह होगा कि हमें वाकई में पीने को दूध मिलेगा। हमारा स्वास्थ्य और करोड़ों का खर्च बच जायेगा। चाय और मिठाई के लिये अधिक दूध की माँग ने गाय को घर से बाहर कर दिया और उसे बूचड़खानों की और धकेल दिया।

कुछ सज्जन मेरे यहाँ से गाय का शुद्ध दूध ले गये और अपने बच्चों को पिलाया। मैंने 10 दिन बाद उन बच्चों को पूछा कि गाय का दूध कैसा लग रहा है? उनका उत्तर थ कि अंकलजी हमने जीवन में व्हाइट दूध ही पहली बार पीया है। अब तक स्वाद न होने के कारण हम बोर्नवीटा मिलाकर कलर्ड (रंगीन) दूध ही पी पाते थे। अब तो वे गाय के दूध के अलावा दूध पीने को तैयार ही नहीं हैं।

अकबर ने एक बार बीरबल को पूछा कि सबसे अच्छा दूध किसका होता है। हाजिर जवाब बीरबल ने तपाक से उत्तर दिया भैंस का। अकबर को बीरबल से यह उम्मीद कतई नहीं थी। वो उसे हिन्दूवादी और गाय का प्रबल पक्षधर समझता था, इसलिये बीरबल के इस उत्तर से वह आश्चर्यचकित था। अकबर यह अच्छी तरह जानता था कि बीरबल कभी गलत उत्तर नहीं दे सकता, पर आज ऐसा कैसे हुआ? अकबर ने अगला प्रश्न किया कि- कैसे और क्यों?

बीरबल ने उत्तर दिया -जहाँपनाह, दूध तो केवल दो ही जानवर देते हैं। एक भैंस और दूसरी बकरी। इनमें भैंस का ठीक है। महाराज गाय दूध नहीं, साक्षात् अमृत देती है। मैं उसे दूध की श्रेणी में नहीं गिना सकता।
अतः मित्रों, मात्रा नहीं दूध की गुणवत्ता देखें। सफेद जहर से बचें।

सामाजिक और सामूहिक संकल्प से दूर होगी ‘नशावृत्ति’;

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सामाजिक और सामूहिक संकल्प से दूर होगी ‘नशावृत्ति’;’अति सर्वत्र वर्जयेत्’ अर्थात ‘अति का हर क्षेत्र में निषेध है।’ बुरी बात तो बुरी बात ही होती है, उसमें अति या अनीति का प्रश्न ही क्या? अच्छी बात भी जब अपनी वांछित मर्यादा का उल्लंघन कर जाती है, तो वही बुराई की कोटि में पहुंच जाती है।

आजादी के इस अमृत महोत्सव के अवसर पर हमें कुछ ऐसी बुराइयों को भी दूर करना है, जिनसे समाज के कुछ लोग गलत मार्ग पर चल पड़े।

वर्तमान में जिस बुराई के कारण समाज अपने पथ से विमुख हो रहा है, वह है ‘नशावृत्ति’ । सत्य तो यह भी है कि आज के वैज्ञानिक युग में नशे का व्यापार शहरी क्षेत्रों से निकलकर गांवों में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। इसके साथ-साथ यह भी उतना ही सच है कि समाज पर जितना बुरा असर नशावृत्ति से हो रहा है, उतना कुप्रभाव शायद ही किसी दूसरी चीज का हो रहा है। यों समझिए कि नशावृत्ति के कारण ही आज समाज में अनैतिकता, उच्छृंखलता, अव्यवस्था, अशिष्टता, व्यभिचार का बोलबाला है।

आज जितनी भी बुराईयां वर्तमान समाज में बढ़ती जा रही हैं, उनकी बहुत हद तक जिम्मेदारी नशावृत्ति ही है। पाश्चात्य जगत तो यह समझता है कि नशावृत्ति केवल मनोरंजन एवं तरोताजगी का एक साधन मात्र है, वे भ्रम में हैं। इन विदेशी दुष्प्रचार के कारण आज भारत के सभी प्रांतों में नशे का कारोबार फल-फूल रहा है। जिसका दुष्प्रभाव हमारे देश के सुकुमार बालकों एवं तरुणों पर गहराई से पड़ रहा हो, उसे केवल मनोरंजन एवं दिल बहलाव का साधन मात्र समझना भूल होगी।

अनुभव तो यह बताता है कि अच्छी शिक्षा तथा शुभसंस्कार माता-पिता अपने पुत्र पर या शिक्षक अपने छात्र पर नहीं डाल सकते, पर नशे की रंग-बिरंगी विलासी दुनिया उन बालकों पर अनैतिकता के संस्कार शीघ्र और स्थाई रूप से डाल देती है। हमें ऐसी कुत्सित वृत्ति का पूर्ण बहिष्कार कर देना चाहिए, जिसमें अनैतिकता और वासना को उद्दीप्त करने के अवगुण रहते हैं। आज क्या बालक, क्या युवक और क्या बूढ़े, सभी नशे के शौकीन हो रहे हैं। महानगरीय विद्यार्थियों पर तो इसका रंग खूब चढ़ा हुआ है। उन्होंने तो नशे के उत्पादों का विज्ञापन करने वाले अभिनेताओं के चित्रों से अपने घरों को सजा रखा है।

पहले तो लोग अपने घरों को सजाने के लिए देवताओं के चित्र लगाते थे, परंतु आज उनकी जगह बैठक कक्ष में छोटे बार बना रखे हैं, जिसकी शोभा महंगी शराब की बोतलें बढ़ा रही हों, इसका चलन बढ़ रहा है। चलन बढ़े भी क्यों ना, जब हर चौराहे पर शराब की दुकानें युवाओं को आकर्षित कर रही हों, तो ऐसे नशावृत्ति का बढ़ना स्वाभाविक भी है।

चिंता उन युवक-युवतियों की ही नहीं बल्कि, उन माता-पिताओं की नासमझी की भी है, जो छोटे-छोटे कोमल मति, अबोध बालक-बालिकाओं के सामने घर पर नशा करते हैं। अभिभावकों की इसी नासमझी के कारण हो बालक बालिकाओं में नशे के प्रति स्वाभाविक रूचि उत्पन्न होती है और आगे चलकर यह वृत्ति बन जाती है।

बीड़ी-सिगरेट से शुरू होने वाली नशे की लत युवाओं को गांजे, शराब और ड्रग्स की दलदल में धकेल देती है। हाल ही में बॉलीवुड में चल रहे सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड मामले में ड्रग्स की बात भी हम सबके ध्यान में आई थी। अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शौविक चक्रवर्तीों के बीच इग्स को लेकर हुई व्हॉट्सऐप चैट भी वायरल हुई थी। इसके बाद से युवाओं में बढ़ती नशावृत्ति पर एक बार फिर चर्चा का विषय बनीं।

वैश्विक समाज में नशावृत्ति विभिन्न रूपों में विद्यमान है और यह सभी स्तरों को प्रभावित भी कर रही है। नशावृत्ति की बदलती, बढ़ती प्रवृत्ति भारत के लिए एक गंभीर समस्या का रूप धारण करती चली जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े यह बताते हैं कि दुनिया भर में 25 लाख लोग प्रति वर्ष अल्कोहल के कारण मरते हैं। इसमें 10 प्रतिशत लोग अकेले भारत में हैं। वहाँ गुटखा, गांजा, भांग, चरस, टिंचर जिंजर के सेवन से भारत में हर वर्ष 5 लाख से अधिक लोग काल के गाल में समा जाते हैं। आज का युवा वर्ग रासायनिक तत्वों के सेवन को अच्छा मान रहा है। तुरंत नशे का सुख प्राप्त करने वाली यह प्रवृत्ति अत्याधिक पातक है।

भारत में प्रति लाख आबादी पर 40 प्रतिशत पुरूष लीवर सिरोसिस से मरते हैं। शराब, कोकिन, हेरोइन, एलएसडी, मारिजुआना, स्टेरायड्स, मेथमफेटामाइन, टीसीपी, रोहपनॉल, एक्सटेसी, रासायनिक दवाएं, निकोटिन प्रमुख हैं। इन नशीले पदार्थों के लंबे समय तक सेवन करने से दिमाग के काम करने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। धूम्रपान, मदिरापान, क्लब, विलासिता के लिए विवाह आदि समारोह में काकटेल पार्टियां आदि दुर्व्यसन आज संस्कृति का रूप ले रही है। देश में प्रति वर्ष सिगरेट की लगभग 15.215 करोड़ की बिक्री हो रही है।

मदिरा का बाजार भी 10,822 करोड़ का है। नशे के इन सभी साधनों के प्रयोग करने से प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख लोगों की कैंसर से मौत हो रही है। नशावृत्ति से ना केवल मनुष्य अपितु उसके परिवार प्रतिष्ठा और सामाजिक स्थित की भी हानि होती है। वहीं दूसरी ओर नशा करने वालों को परिवार, समाज से मिलने वाले तिरस्कार के कारण आत्महत्या करने की दर पिछले 10 वर्षों में दुगनी से भी अधिक हो गयी है।

‘एक अवसर पर एम्स ऋषिकेश के निदेशक पद्मश्री प्रो. डॉ. रवि कांत ने कहा था कि नशा करते रहना एक प्रवृत्ति नहीं बल्कि, एक बायोलाजिकल ब्रेन डिसआर्डर है। जिसमें व्यक्ति के दिमाग में कई अस्थायी व स्थायी बदलाव आते हैं तथा इस रोग से छुटकारा पाने के लिए उपचार की नितांत जरूरत पड़ती है। नशे के रोग को इलाज (दवाओं और स्ट्रक्चर काउंसिलिंग) की मदद से ठीक किया जा सकता है। फिर भी, नशे से बचे रहने की कोई गारंटी नहीं है, क्योंकि बाहरी दुनिया का प्रभाव बहुत शक्तिशाली होता है, लेकिन अगर परिवार संस्कारों पर ध्यान दे, अपनों को समय दिया जाए तो नशावृत्ति के प्रभाव को कम किया जा सकता है। सुबह जल्दी उठना, दौड़ लगाना, नित्प योगाभ्यास, शारीरिक श्रम यह सभी मानव को नशीले पदार्थों की ओर जाने से रोकेंगी।

आयुर्वेद को अपनाने से भी नशा की वृति से छुटकारा पाया जा सकता है। बच्चों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, इसके लिए अभिभावकों के अलावा विद्यालयों को भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए। मां-बाप को बच्चों के साथ अच्छा और नजदीको रिश्ता भी कायम करना चाहिए. जिससे उनके जीवन में होने वाली किसी भी अजीब घटना का पता उन्हें फौरन लग सके।

नशे के आदी व्यक्ति को सजा नहीं बल्कि दवा को जरूरत होती है। उसका बकायदा इलाज हो और उसके साथ सहानुभूति का व्यवहार भी इस समस्या का समाधान है। इसके अलावा सामाजिक स्तर पर नशावृत्ति की रोकथाम के लिए कार्यक्रम बनाना और व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। विद्यालयों/कॉलेजों में नशामुक्ति अभियान को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना होगा। यातायात व्यवस्था नशे से मुक्त बनें, इसका प्रयास करना होगा। मादक दवाओं के उपयोग पर कठोर दंड दिया जाना भी नशा मुक्ति संस्कृति को बढ़ावा देने से रोकने में सहायक होगी।

हम सत्य से मुंह नहीं छिपा सकते कि वर्तमान समय में भौतिकवादी सभ्यता ने विश्व और भारत में अनेकानेक समस्याओं को जन्म दिया है। फिर भी समाज में रहकर उचित कार्यों को करना, बुरे कार्यों का त्याग करना मानव का वास्तविक धर्म कहलाता है। धर्म को जानने वालों के लिए वेदों को परम प्रमाण के रूप में स्वीकार किया है। ‘धर्मजिज्ञासमानानां प्रमाणं परमं श्रुतिः।

वर्तमान समय में समाज में व्याप्त नशावृत्ति की बुराई को दूर करने के लिए आध्यात्मिक समाधान की आवश्यकता. आज सर्वत्र अनुभव की जा रही है। यों तो सरकार द्वारा भी नशावृत्ति पर नियंत्रण रखने के लिए अनेकों उपाय किए जा रहे है और कई मामलों में सफलता भी मिल रही है, फिर भी समाज का भी कर्तव्य है कि वह नशावृत्ति और इसको बढ़ावा देने वाले साधनों का पूर्ण बहिष्कार कर अपने तन-मन और धन को व्यर्थ होने से बचाएं। यह सब कैसे किया जाए? इसका एक ही उत्तर है…’ सा प्रथमा संस्कृतिः विश्ववारा अपनी संस्कृति-हिंदू संस्कृति देव संस्कृति पर गौरव करें।

G7 संमेलन मे PM मोदी का जलवा, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन उनसे मिलने के लिए खुद चलकर आए,सदमे मे मोदी विरोधक;

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प्रधानमंत्री मोदी जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से बात कर रहे थे, इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन उनसे मिलने के लिए खुद चलकर आए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जर्मनी में G7 सम्मेंलन में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं। सम्मलेन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने हरित विकास, स्वच्छ ऊर्जा, सतत जीवनशैली और वैश्विक कल्याण के लिए भारत के प्रयासों के बारे में बताया। सम्मलेन से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी वायरल हो रहा है, जिसमें पीएम मोदी से मिलने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन खुद चलकर उनके पास आते हैं।

वायरल वीडियो में दिखाई दे रहा है कि पीएम मोदी से मिलने के लिए जो बाइडेन खुद चलकर पीएम मोदी के पास आते हैं और वह पीछे से आकर पीएम मोदी के कंधे पर हाथ रखते है। इसके बाद पीएम मोदी उनकी तरफ मुड़कर देखते हैं। पीएम मोदी गर्मजोशी के साथ उनसे हाथ मिलाते हैं।

वायरल वीडियो पर प्रतिक्रया देते हुए पत्रकार सुशांत सिन्हा ने लिखा है कि ‘ऊपरवाला भी बहुत निर्मम है। मोदी विरोधियों के दुख कम होने ही नहीं देता। गजबे है।’ असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने लिखा कि ‘हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रति विश्व के नेताओं का स्नेह देखकर खुशी हो रही है। पुनीत नाम के यूजर ने लिखा कि ‘जब अच्छे विदेशी संबंध बनाने की बात आती है, तो हमें यह स्वीकार करना होगा कि मोदी सबसे अच्छे हैं।’

हरीश खुराना ने लिखा कि ‘यह तस्वीर देख कर राहुल गांधी और अन्य विपक्षी दलों को कुछ समझ में आएगा क्या?’ रवि त्रिपाठी ने लिखा कि ‘हमसे भी हाथ मिला लो भाई.. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति की G 7 मीटिंग में हाथ मिलाने का वीडियो देखकर तो यही कहा जा सकता है।’

पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने लिखा कि ‘भाई मुझसे भी मिल ले… ऐसे ही कहते हैं दोस्त, दूसरे दोस्त को। पर इस वीडियो को गंभीरता से देखें, समझें तो भारत की बढ़ती ताकत और नरेंद्र मोदी जी की बढ़ती लोकप्रियता साफ दिखती है।’ पत्रकार नीरज पाण्डेय ने लिखा कि ‘यह 130 करोड़ भारतीयों की ताकत है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने आपको नमस्ते कहने के लिए पीछा किया। गुडलक प्रधानमंत्री जी।’

पीएम मोदी ने जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से मुलाकात की। कहा जा रहा है कि भारत ने रूस-यूक्रेन संकट, कोविड महामारी और दूसरे मसलों पर जैसी कूटनीति की है, उसका अमेरिका भी कायल हो गया है। यही वजह है कि जो बाइडेन भी पीएम मोदी को इतना महत्व देते नजर आ रहे हैं।

India offers tejas jet to egypt;

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A remarkable success of Atmanirbhar Bharat,

India has offered to set up production facilities for the manufacturing of light combat aircraft (LCA) as well as helicopters in Egypt as it pursues export opportunities in the Middle East and North Africa region.

A series of high-level engagements have taken place with the nation and the Egyptian Air Force chief is expected to visit India in a few days, during which expertise in manufacturing as well as maintenance of aircraft fleet will be showcased.

Air chief Marshal VR Chaudhari had visited Egypt in November last year and attended the Air Power Symposium and Defence Exposition in Cairo. At present, a 57-member Indian Air Force delegation is in Egypt to take part in a tactical leadership programme at the Air Force school in Cairo. The delegation includes three Su30 MKI and two C17 aircraft.

Egyptian Air Force has a requirement of close to 70 light combat jets, with a focus on local production and technology transfer. At present, the nation operates a mixed fleet of US, French and Russian origin jets and has been keen on setting up aeronautical manufacturing facilities.

Besides the Tejas Light Combat Aircraft (LCA) Mk1A that is on offer to the nation, Indian manufacturer Hindustan Aeronautics Limited (HAL) is also pitching its range of indigenous choppers like the Advanced Light Helicopter (ALH) and the Light Combat Helicopter (LCH) as well.

The Indian LCA is priced at around $42 million per unit, a price made possible given economies of scale after the IAF placed an order for 83 fighter jets of the Mk1A variant. As reported, India has emerged as the frontrunner for a Malaysian requirement of light combat aircraft, with a package deal on the table that would include maintenance and spares for the nation’s Russian origin Su 30 fighter jets.

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स (सीबीएन) की कार्यशाला में अभिनेता सुनील शेट्टी

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सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स (सीबीएन) द्वारा अंधेरी मुंबई के करमीर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में जन जागरूकता अभियान के तहत आयोजित एक कार्यशाला में विशेष अतिथि के रूप में अभिनेता सुनील शेट्टी ने भाग लिया।
अभिनेता सुनील शेट्टी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए आगे कहा कि नशा करने वालों को कट्टर अपराधियों के रूप में  नहीं देखा जाना चाहिए व्यवहार और उन्हें कलंकित या पीड़ित नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि हमारे समाज को उनके प्रति सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण रखना चाहिए और उन्हें ऐसी जानलेवा आदतों से बाहर आने में मदद करनी चाहिए।
सुनील शेट्टी के साथ, श्री राजेश एफ. ढाबरे, नारकोटिक्स कमिश्नर (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स) और डॉ. सारिका दक्षिकर, एसोसिएट प्रोफेसर (गोकुलदास तेजपाल अस्पताल, मुंबई) ने भी कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
नारकोटिक्स कमिशनर (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स) राजेश एफ ढाबरे ने कहा “आज हमारे पास एक बहुत व्यापक कार्यशाला रहने की वजह से हमने नशीली दवाओं की लत और मादक पदार्थों की तस्करी के सभी पहलुओं पर विचार करते हुए काफी सफलता पाई है। ऐसी कार्यशालाओं के माध्यम से, हमारा मुख्य उद्देश्य है समाज में अपराध दर को कम करने और लोगों को मादक पदार्थों की लत के परिणामों को समझने में मदद करने के लिए। हमने भारत को नशा मुक्त समाज बनाने का संकल्प लिया है।”

भारत की पहली अंडरवाटर एनिमेशन फिल्म ‘पानीलोक’

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परिचय एनिमेशन स्टूडियो द्वारा बनाई जा रही पहली अंडरवाटर एनिमेशन थीम वाली फीचर फिल्म ‘पानीलोक’ की 40 प्रतिशत शूटिंग कंप्लीट हो चुकी है। 
निर्माता निर्देशक अंकित दे, ईपी अनूप दे की इस फिल्म में विख्यात वाइस ओवर आर्टिस्ट सोनल कौशल व संजय केनी ने अपनी आवाज़ दी है। पिछले दिनों मुम्बई के मेट्रोपोलिस होटल में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया जहां फ़िल्म के निर्माता निर्देशक अंकित दे, सह निर्देशक दीपशिखा देका, एग्जेक्युटिव प्रोड्यूसर अनूप दे, वाइस ओवर आर्टिस्ट सोनल कौशल और संजय केनी मौजूद थे।
 भारतीय एनीमेशन के विकास के बारे में बात करते हुए, परिचय एनिमेशन स्टूडियो के प्रमुख और फिल्म के निर्देशक अंकित दे ने बताया कि आज भारतीय निर्देशक और एनीमेशन हाउस विश्व स्तरीय फिल्मों का निर्माण करने में सक्षम हैं, ‘पानीलोक’ बनाने के पीछे का विचार यह दिखाना था कि यह संभव है कि भारत में भी विश्व स्तरीय एनिमेशन फिल्म बनाई जा सकती है। उन्होंने आगे कहा कि, “भारतीय एनिमेशन इंडस्ट्री वास्तव में पिछले दशक में काफी विकसित हुई है।
नई तकनीकों को अपनाने और रचनात्मक दिमाग के साथ काम करने की वजह से विश्व स्तर के एनीमेशन स्टूडियो की तुलना में हमारा सफर संभव हो पाया है।”    गुणवत्ता के मामले में पानीलोक अन्य भारतीय एनीमेशन फिल्मों की तुलना में बहुत बेहतर है। हम एक बेंचमार्क स्थापित करना चाहते हैं और इस इंडस्ट्री में एक क्रांति लाना चाहते हैं।
फिल्म की सह-निर्देशक दीपशिखा देका कहती हैं, “हमने इस फिल्म को इसलिए चुना क्योंकि यह कुछ ऐसा है जिसने हमारी दिलचस्पी तुरंत बढ़ा दी है।
मैं अपने लेखकों द्वारा दी गई कहानी से प्रभावित हूं क्योंकि इसने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि अगर हमें अपने भारतीय एनिमेशन इंडस्ट्री के लिए कुछ बड़ा हासिल करना है तो हमें एक ऐसे कार्य को पूरा करने के लिए खुद को चुनौती देनी होगी जो हमारे लिए नया हो और जो भारतीय एनीमेशन इंडस्ट्री में एक क्रांति ला दे।
इंसान की गतिविधियों की वजह से होने वाले गंभीर पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में बात करते हुए, यह फ़िल्म एक छोटे बच्चे के खोजी दिमाग की सुंदरता को भी सामने लाती है क्योंकि यह बच्चा रोमांच की खोज करता है और पानी की दुनिया से परे क्या है, वह इस बात की तलाश करता है।
ऐसा पहली बार हो रहा है कि पर्यावरण प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दे पर आधारित एक अंडरवाटर थीम पर बेस्ड फीचर फिल्म बन रही है। यह फिल्म हिंदी और अंग्रेजी में होगी और 2023 में दुनिया भर में रिलीज होगी। फ़िल्म से जुड़े अधिकतर लोग आसाम से सम्बन्ध रखते हैं।

गौ तस्करों और पुलिस के बीच फायरिंग, बदमाशों ने QRT गाड़ी को 20 फीट घसीटा

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Photo -News-18

भरतपुर. राजस्थान के भरतपुर जिले में गौ तस्करों और QRT टीम के बीच जमकर मुठभेड़ हुई. कुम्हेर थाना क्षेत्र के गांव सेंत में गौ तस्करों ने पुलिस टीम पर जानलेवा हमला कर दिया. जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी गौ तस्करों पर 15 राउंड फायर किए. इसके बाद टीम ने एक गौ तस्कर को गिरफ्तार कर 26 गोवंश को मुक्त कराया. वहीं कार्रवाई को देख अन्य गौ तस्कर कंटेनर को छोड़ फरार हो गए. पुलिस ने गोवंश को मुक्त कराकर एक कंटेनर को जब्त किया है. साथ ही कंटेनर से 10 लीटर हथकढ़ शराब भी बरामद की है. मुखबिर के जरिए QRT संख्या 4 के प्रभारी गजेंद्र सिंह को सूचना मिली कि एक कंटेनर भरतपुर की तरफ से गोवंश को लेकर तस्करी के लिए ले जा रहा है.

तभी पुलिस ने देर रात को कार्रवाई की तो गौ तस्कर कंटेंनर को लेकर इधर-उधर भागते हुए नजर आए. पुलिस टीम पर फायरिंग करते हुए भागने की कोशिश करते रहे, लेकिन पुलिस ने देर रात कार्रवाई करते हुए गोवंश को मुक्त कराने में सफलता हासिल की.

घटना का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है जिसमें गौ तस्कर एक कंटेनर में गोवंश को भरकर ले जा रहे थे. उसी दौरान पुलिस टीम ने कार्रवाई के लिए नाकाबंदी की तो गौ तस्कर कंटेंनर को लेकर भागने लगे और उन्होंने तेज रफ्तार से कंटेनर को लेकर पुलिस टीम की गाड़ी में टक्कर मार दी. इससे QRT टीम की बोलेरो क्षतिग्रस्त हो गई. टक्कर के बाद करीब 20 मीटर तक पुलिस की गाड़ी घसीटती हुई चली गई. उसके बाद पुलिस टीम ने गौ तस्करों का पीछा किया और एक गौ तस्कर को गिरफ्तार कर लिया.

लगातार पुलिस की गौ तस्करों के खिलाफ कार्रवाई जारी है. जनवरी महीने से अभी तक 39 गौ तस्करों के खिलाफ भरतपुर पुलिस द्वारा कार्रवाई की गई है. सीसीटीवी फुटेज में देखा जा सकता है कि गौ तस्कर किस तरह से पुलिस टीम पर हमला करते हैं और उसके बाद फरार हो जाते हैं. हालांकि इस कार्रवाई में पुलिस ने कंटेनर को जब्त कर लिया है. कंटेनर से 10 लीटर अवैध देशी शराब भी बरामद हुई है. 26 गोवंश को टीम ने मुक्त कराया जिनमें से 24 गोवंश को गौशाला भिजवा दिया. वहीं दो मृत गोवंश को दफना दिया गया है. कुम्हेर थाना पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है.

भारत सरकार तिरुपुर जैसे 75 टेक्सटाइल हब बनाना चाहती है – पीयूष गोयल

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केन्द्रीय वस्त्र, वाणिज्य एवं उद्योग तथा उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज तिरुपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि भारत सरकार तिरुपुर जैसे 75 टेक्सटाइल हब बनाना चाहती है जो न सिर्फ वस्त्र उत्पादों के निर्यात में सहायता एवं टिकाऊ प्रौद्योगिकी का समावेश सुनिश्चित करेगा, बल्कि रोजगार के बड़े अवसर भी पैदा करेगा।
श्री गोयल ने कहा कि तिरुपुर ने देश को गौरवान्वित किया है और यह हर वर्ष 30,000 करोड़ रुपये के वस्त्र उत्पादन का केन्द्र है। उन्होंने कहा कि वस्त्र क्षेत्र छह लाख लोगों को प्रत्यक्ष एवं चार लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है और इस प्रकार कुल मिलाकर 10 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है।

उन्होंने कहा कि 1985 में, तिरुपुर 15 करोड़ रुपये मूल्य के वस्त्र उत्पादों का निर्यात कर रहा था। मार्च 2022 को समाप्त हुए वर्ष में, तिरुपुर से होने वाला अनुमानित निर्यात 30,000 करोड़ रुपये का है, जोकि लगभग दो हजार गुना की वृद्धि है। इस इलाके में वस्त्र क्षेत्र की अभूतपूर्व वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, 37 से अधिक वर्षों के दौरान, तिरुपुर में चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर 22.87 प्रतिशत हो गई है।

उन्होंने कहा कि तिरुपुर में रोजगार के अपार अवसर हैं और उन्होंने युवाओं से इस अवसर का लाभ उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि युवाओं को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने उल्लेख किया कि वर्तमान में, तिरुपुर के वस्त्र क्षेत्र में कार्यरत लोगों में से लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं और वंचित वर्गों के लोग हैं।

श्री गोयल ने कहा कि पूरे भारत में लगभग 3.5-4 करोड़ लोग अकेले वस्त्र क्षेत्र की समग्र मूल्य श्रृंखला में संलग्न हैं। वस्त्र क्षेत्र कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है। इस उद्योग का आकार लगभग 10 लाख करोड़ रुपये का है। इसका निर्यात लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये का है। उन्होंने दोहराया कि वस्त्र क्षेत्र के अगले पांच वर्षों में 10 लाख करोड़ के निर्यात के साथ 20 लाख करोड़ रुपये वाला उद्योग बनने की संभावना है। फिर भी 7.5-8 लाख करोड़ का साधारण निर्यात लक्ष्य और लगभग 20 लाख करोड़ का उत्पादन लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इन लक्ष्यों को अगले पांच वर्षों में हासिल किया जाना संभव है।

उन्होंने कोविड के साथ-साथ अन्य देशों के बीच युद्ध के संदर्भ में भारत के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बात की। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

श्री गोयल ने कहा कि यदि भारत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि के आधार पर हर साल आठ प्रतिशत की दर से बढ़ता है, तो हमारी अर्थव्यवस्था लगभग 9 वर्षों में दोगुनी होकर 6.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था हो जाएगी। इसी तरह, अब से 18 वर्षों में, भारत की अर्थव्यवस्था के 13 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर वाली अर्थव्यवस्था हो जाने का अनुमान है। अब से 27 वर्षों में, अर्थव्यवस्था की वृद्धि की गणना 26 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के तौर पर की जा सकती है और इसलिए 30 वर्षों के बाद, यह विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि भारत की अर्थव्यवस्था 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर वाली अर्थव्यवस्था होगी।

उन्होंने कहा कि तिरुपुर होजरी, बुने हुए वस्त्रों, कैजुअल वियर, स्पोर्ट्सवियर का प्रमुख स्रोत है और रुई की ओटाई का एक पारंपरिक केन्द्र है।

उन्होंने कहा कि कल की सिट्रा की यात्रा के दौरान, उन्होंने कई नवीन परियोजनाएं देखीं। उन्होंने कहा कि पीएम जन औषधि योजना के तहत कम कीमत में सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केन्द्र सिट्रा में सेनेटरी नैपकिन मशीनरी के बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर काम करेगा।

श्री गोयल ने तिरुपुर में निर्यातकों के सम्मेलन सह सम्मान समारोह में भाग लिया। उन्होंने फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (एफआईईओ) और अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (एईपीसी) के प्रतिनिधियों के साथ एक संवादात्मक बैठक की। इस कार्यक्रम में केन्द्रीय सूचना और प्रसारण राज्यमंत्री डॉ. एल मुरुगन, फियो के अध्यक्ष डॉ. ए शक्तिवेल,  एईपीसी के  उपाध्यक्ष श्री सुधीर सेखरी, एचईपीसी के पूर्व अध्यक्ष श्री टी.वी. चंद्रशेखरन, टीईए के अध्यक्ष श्री राजा एम. षणमुगम,  एसआईएचएमए की उपाध्यक्ष श्री गीतांजलि एस गोविंदप्पन, केएनआईटीसीएमए के अध्यक्ष  श्री अखिल एस. रथिनासामी, फियो के एमसी सदस्य श्री वी एलंगोवन, तिरुपुर के आरएमजी सेक्टर के अलावा 350 से अधिक निर्यातकों, कोयंबटूर, करूर, मदुरैल एवं इरोड के इंजीनियरिंग, एग्री और प्रोसेस फूड, टेक्सटाइल यार्न सेक्टर से जुड़े लोगों और अन्य गण्यमान्य लोगों ने भाग लिया।

केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री श्री एल मुरुगन ने अपने संबोधन में नए हस्ताक्षरित एफटीएएस के लाभों पर प्रकाश डाला जोकि देश को कई गुना आगे बढ़ने में मदद करेगा। लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के उद्देश्य से पीएम गति शक्ति, राष्ट्रीय मास्टर प्लान जैसे क्रांतिकारी उपायों से बुनियादी ढांचे की योजना निर्माण में सुधार लाने और निर्धारित समय एवं बजट के भीतर परियोजनाओं का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों की स्थापना, कंटेनर निर्माण पर ध्यान देना, ईस्ट वेस्ट और नॉर्थ साउथ फ्रेट कॉरिडोर इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं।

अपने स्वागत भाषण में, फियो के अध्यक्ष डॉ ए. शक्तिवेल ने निर्यातकों की समस्याओं का शीघ्रता से निराकरण करने और बाजार के अवसरों को खोलने के लिए भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की, जिससे देश को पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 422 बिलियन अमरीकी डॉलर के निर्यात को पार करने में मदद मिली। डॉ. शक्तिवेल ने संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ एफटीए के समापन में केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री के अथक प्रयासों की सराहना की और कहा कि यूके, ईयू, जीसीसी आदि के साथ चल रही बातचीत से भारतीय निर्यातकों के लिए नए अवसर खुलेंगे। फियो के अध्यक्ष ने माननीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री से आरओडीटीईपी में आयरन एंड स्टील, फार्मा, केमिकल्स आदि जैसे बचे हुए क्षेत्रों सहित बेहतर मूल्य के लिए निर्यात प्राप्ति के साथ आरओएससीटीएल और आरओडीटीईपी जारी करने सहित ईओयू/एसईजेड एकजुट, एएए/डीएफए उपयोगकर्ता, कृषि क्षेत्र के लिए संशोधित टीएमए की घोषणा, श्रीलंका को किए गए निर्यात के लिए फंसे पैसे पर समाधान, रूस को निर्यात के लिए रुपया भुगतान प्रणाली के कार्यान्वयन, एमएसएमई बाजार प्रोत्साहन कोष के निर्माण, सेवा से जुड़े उभरते क्षेत्रों के लिए बाजार पहुंच आदि से संबंधित सुझावों पर ध्यान देने का अनुरोध किया।

अपने संबोधन में, एईपीसी के उपाध्यक्ष श्री सुधीर सेखरी  ने परिधान क्षेत्र के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई-2) की घोषणा करते हुए नई प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (टीयूएफएस) योजना की घोषणा करने का अनुरोध किया। उन्होंने निर्यातक इकाइयों के लिए प्रतिस्पर्धी कीमतों पर कपास और सूती धागे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कपास और सूती धागे के निर्यात को उपयुक्त रूप से अंशांकित करने का भी अनुरोध किया।