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मध्य प्रदेश में प्रस्तावित समस्त यात्राओं,कार्यक्रमों एवं जन -सभाओं को स्थगित कर आज देर रात्रि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लौटेंगे देहरादून.

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मध्य प्रदेश में प्रस्तावित समस्त यात्राओं,कार्यक्रमों एवं जन -सभाओं को स्थगित कर आज देर रात्रि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लौटेंगे देहरादून.

15 नवंबर 2023,बुद्धवार इंदौर /देहरादून
संजय बलोदी प्रखर
मीडिया समन्वयक उत्तराखंड प्रदेश

 

विदित हो 12 नवंबर को उत्तरकाशी के सिलक्यारा में निर्माणाधीन टनल में हुए भू धसांव की घटना के पश्चात निरंतर बचाव एवं राहत कार्य चल रहा है…जिसका मुख्यमंत्री धामी निरंतर अपडेट ले रहे हैँ.. !

हालांकि मुख्यमंत्री की मध्य प्रदेश में कई जनसभाएं और यात्राएं प्रस्तावित थी !किंतु इन सभी कार्यक्रमों को मध्य में ही स्थगित कर टनल में धसावं व श्रमिकों के फसें होने की स्थिति की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए उन्होंने शीघ्र अपने गृह प्रदेश लौटने का निर्णय लिया.. !

मुख्यमंत्री ने राहत एवं बचाव कार्यों में लगी हुई केंद्रीय एजेंसियों की टीम की हौसला अफजाई कर यथाशीघ्र टनल में फंसे श्रमिकों के सकुशल रेस्क्यू की कही बात।

केंद्रीय एजेंसियों को प्रदेश सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सहायता एवं हर संभव मदद हेतु शासन एवं प्रशासन को वैसे तो पूर्व में ही दिए जा चुके हैं समुचित दिशा निर्देश।

वर्तमान स्थिति को देखते हुए फंसे हुए श्रमिकों के परिजनों से निरंतर संपर्क कर एवं संचार हेतु प्रशासन द्वारा जारी किए गए दूरभाष नंबर एवं अन्य संपर्क सूत्र. !

घटनास्थल पर श्रमिकों के परिजनों एवं सहकर्मियों के साथ-साथ घटना की कवरेज करने आए मीडिया कर्मियों के लिए समुचित व्यवस्था बनाने एवं सहयोग करने के जिला प्रशासन को दिए निर्देश।

मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की अफवाह से बचे.. तथा किसी भी समस्या के निराकरण के लिए शासन प्रशासन की यथासंभव सहायता करें साथ ही हमें शांति व्यवस्था बना कर रखनी चाहिए ! जिस कारण घटनास्थल पर किसी भी प्रकार की अव्यवस्था व उन्माद न फैले जिससे रेस्क्यू कार्रवाई निर्बाध व शीघ्रताशीघ्र पूर्ण हो सके.. !

हैकर ने बिजनेसमैन डॉ. निकेश जैन मधानी के पिता ताराचंद जी मधानी के खाते से उड़ाया लाखों रुपये

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मुंबई। बिजनेसमैन डॉ निकेश जैन मधानी के पिता ताराचंद जी मधानी के इंडसइंड बैंक, पंजाब नेशनल बैंक एवं आरबीएल बैंक के खाते से हैकर ने अकाउंट हैक करके लाखों रुपये उड़ा दिये। जैसे ताराचंद को ये बात मालूम हुआ तो तुरंत उन्होंने बैंक में फोन करके अकाउंट को ब्लॉक करने का संदेश दिया। लेकिन बैंक की लापरवाही और वहाँ बैठे नासमझ स्टाफ ने अकाउंट को ब्लॉक नहीं किया इससे हैकर को हाथ साफ करने का और मौका मिल गया।
वो तो अच्छा हुआ कि ताराचंद ने अपनी सूझबूझ से पैसे निकाल लिए और हैकर के हाथ लाखो की हि रकम लगी। फिर साइबर क्राइम में एफ आई आर किया गया एवं ऑनलाइन साइबर क्राइम गवर्नमेंट की वेबसाइट पर शिकायत दर्ज की गयी।


बिजनेसमैन डॉ निकेश जैन मधानी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि वह गोवा में थे और पापा की तबियत खराब रहती है। बाद में मुझे जैसे ही पता चला कि बैंक से हैकर ने पैसे उड़ा दिया तो मैंने तुरंत शिवसेना मीडिया प्रवक्ता आंनद दुबे से संपर्क किया। उन्होंने हमारा पूरा सहयोग किया और निस्वार्थ भाव से हमारी मदद की। इसके साथ ही महाराष्ट्र पुलिस, साइबर क्राइब एवं सुनील चौबे व अन्य कई लोगों ने साथ दिया लेकिन बैंक का सहयोग नहीं मिल पाया। हम भरोसा करके ही बैंक में पैसा जमा करते है और जब बैंक ही साथ ना दे तो किस पर भरोसा कर सकते हैं!
डॉ निकेश जैन मधानी एवं परिवार ने सभी सहयोग देने वाले का आभार जताया और कहा कि मदद करने वाले कभी भी कहीं भी किसी न किसी रूप में आ ही जाते हैं।

देसी ध्वनि रिकॉर्ड ने दिवाली के अवसर पर रिलीज़ किया अपना नया गाना ” दिवाली आयो रे

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इस दिवाली “देसी ध्वनि रिकॉर्ड” ने “दिवाली आयो रे” गाना रिलीज़ किया, जिसमे यह दर्शाया गया है कि प्रभू श्री राम जब अयोध्या से वापस आये और वहा कि प्रजा ने उनके स्वागत पहली दिवाली मनाई थी l इस गाने को इंडियन आइडल 2023 के विजेता अयोध्या के  ऋषी सिंह ने स्वरबद्ध किया है और इस गाने का म्युजिक जितुल बोरा ने किया है। जगदीशचंद्र पाटिल द्वारा निर्मित, इस गाने का निर्देशन विजय बूटे ने किया है। मोनाली गुळवे इस गाने की कार्यकारी निर्माता हैं।
     इस गाने के म्युजिक वीडियो में रवि भाटिया, अनुजा शिंदे और हर्ष नायर नजर आ रहे हैं। आप को बता दें कि सभी मीडिया प्लेटफार्म पर, रील्स पर यह गाना ट्रेंड कर रहा है।
     देसी ध्वनि रिकॉर्ड एक पारिवारिक और धार्मिक गीत लेकर आए हैं जो लोगों के समक्ष सनातन धर्म का ज्ञान इस गाने के माध्यम से प्रसारित कर रहे हैं। यह गाना देसी ध्वनि रिकॉर्ड के यूटयूब चैनल पर अब उपलब्ध है।

वीर संवत 2550 पर विशेष- भगवान महावीर के नाम पर है सबसे प्राचीन संवत है

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संदीप सृजन-विनायक फीचर्स
विश्वभर में समय गणना के लिए वर्तमान में जो सन या संवत मुख्य रूप से आज भी उपयोग में लाए जाते है उनमें विक्रम संवत् एवं ईस्वी सन को ही अधिकांश लोग जानते है । लेकिन भारत की समय गणना परम्परा में और भी संवत है जो ईसा के पूर्व से प्रचलित थेऔर आज भी प्रचलित है।
वर्तमान में ईस्वी सन 2023 चल रहा है। लेकिन ईसा से 527 वर्ष पूर्व भारत में ‘वीर संवत’ प्रारम्भ हो चुका था और विक्रम संवत भी 57 ईसा पूर्व में ही प्रारम्भ हो चुका था। ये दोनों संवत आज भी प्रचलन में है। और समय गणना के लिए इनका उपयोग होता है। दोनों की गणना में महिनों के नाम या सौर मंडल के चक्र का कोई भेद नहीं है। केवल इतना अंतर है कि विक्रम संवत  सम्राट चक्रवर्ती महाराजा विक्रमादित्य के विजय उत्सव दिवस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है। जिसे वर्तमान में 2080 वर्ष हो गये है। और वीर संवत जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के निर्वाण दिवस याने कार्तिक कृष्णअमावस्या के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है। वर्तमान में दीपावली 2023 के अगले दिन से वीर संवत 2550 प्रारम्भ हो गया है।
महावीर निर्वाण संवत और विक्रम संवत दोनों ही भारतीय संवत है और प्रमाणिक भी है। वीर निर्वाण संवत और इसकी सर्व उपयोगिता की पुष्टि सुप्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता डॉ गौरीशंकर हीराचंद ओझा द्वारा की गई थी। वर्ष 1912 में अजमेर जिले के बडली गाँव (भिनय तहसील) से प्राप्त ईसा से 443 वर्ष पूर्व के एक शिला लेख जो कि प्राकृत में है उस पर “84 वीर संवत” लिखा है। यह शिलालेख अजमेर के ‘राजपूताना संग्रहालय’ में संग्रहित है।
इस प्राचीन षट्कोणीय पिलर पर अंकित चार लाइनों वाले शिलालेख की प्रथम लाइन में “वीर” शब्द भगवान महावीर स्वामी को संबोधित है और दूसरी लाइन में निर्वाण से 84 वर्ष अंकित है, जो भगवान महावीर के निर्वाण के 84 वर्ष बाद लिखे जाने को दर्शाता है। ईसा से 527 वर्ष पूर्व निर्वाण में से 84 वर्ष कम करने पर 443 वर्ष आता है जो शिलालेख लिखे जाने का वर्ष है।यानि यह शिलालेख ईसा से 443वर्ष पूर्व स्थापित हो चुका था।
भारतीय धर्मग्रंथों और ऐतिहासिक शिला पर प्राप्त तथ्यों के आधार पर यह पूर्णतः प्रमाणिक है कि  सबसे प्राचीन प्रचलित संवत वीर संवत ही है।(विनायक फीचर्स)

Happy Govardhan Pooja 2023 , गोवर्धन पूजा हमें बहुत सी चीजें सिखाता है

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Happy Govardhan Pooja 2023: गोवर्धन पूजा एक हिंदू त्योहार है, जो पूरे देश में व्यापक रूप से मनाया जाता है। यह त्योहार देवों के राजा इंद्र पर भगवान कृष्ण की विजय का प्रतीक है। गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है और पांच दिवसीय उत्सव के चौथे दिन आती है। इस साल गोवर्धन पूजा 13 नवंबर को मनाई जा रही है। 
भारत त्योहारों का देश है और यहाँ पर देश के अलग-अलग हिस्सों में आप हर दिन एक नया त्यौहार पायेंगे। इसी तरह से, दिवाली भी हिन्दुओं के सबसे बड़े त्यौहार में से एक है और यह समूर्ण राष्ट्र में मनाया जाता है। हालाँकि यह एक दिन का त्यौहार होता है, लेकिन इसके साथ-साथ 5 अन्य त्योहार भी मनाये जाते हैं जिनमे से एक है गोवर्धन पूजा। 
गोवर्धन पूजा एक भारतीय त्योहार है जो दिवाली के बाद मनाया जाता है। यह दिवाली के बाद दूसरे दिन मनाया जाता है। यह ज्यादातर राष्ट्र के उत्तरी हिस्से में मनाया जाता है। इसे अन्नकूट पूजा के साथ-साथ गोवर्धन पूजा के रूप में भी जाना जाता है।
गोवर्धन पूजा कैसे मनाई जाती है?
इस अवसर पर, हर वर्ष लोग इस दिन को बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं। देवी अन्नपूर्णा को प्रभावित करने के लिए बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी जल्दी स्नान कर लेते हैं और इस दिन 56 से भी अधिक प्रकार की विभिन्न वस्तुएँ बनाई जाती हैं।
लोग पवित्र गाय माता की पूजा करते हैं और इस दिन को मनाते हैं। जब गोवर्धन पर्वत को बचाया गया था तो लोगों नें खुशी जताई कि उनके भोजन का स्रोत बच गया है; और श्रद्धांजलि के रूप में, लोग भोजन की देवी यानी माँ अन्नपूर्ण को विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री प्रदान करते हैं।
गोवर्धन पूजा में क्या है खास?
गोवर्धन पूजा हमें बहुत सी चीजें सिखाता है और उसमे सबसे पहली चीज है, हमेशा वही करना जो सही हो और भगवान किसी भी कीमत पर हमेशा आपकी मदद करेंगे।
हमें हमेशा अपने अवसरों का जश्न मनाना चाहिए और यह मान्यता है कि हमें इस दिन खुश होना चाहिए क्योंकि जो लोग त्यौहार के दिन दुखी होंगे वे पूरे वर्ष दुखी रहते हैं, जबकि जो लोग इस दिन खुश रहेंगे, वे पूरे वर्षभर खुश रहते हैं।

दीपावली लक्ष्मी जी के स्वागत का उत्साह

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राकेश अचल – विनायक फीचर्स
देश के पांच राज्यों में भले ही विधानसभा चुनाव का बुखार है लेकिन इन पांच राज्यों के साथ पूरे देश में सरस्वती की बहन यानि हमारी लक्ष्मी मौसी के आगमन की उत्सुकता के साथ ही उनके स्वागत की तैयारियों की धूम है। इस धूम में तंगी, बीमारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों का कोई जिक्र नहीं है ।  किसी को आने वाले तीन दिनों तक इनकी फिक्र भी नहीं है। राजा हो रंक सबके सब सरस्वती मौसी के स्वागत की तैयारी पूरे उत्साह से कर रहे हैं। महाराष्ट्र वालों ने तो वसु  बारस  मानकर पांच दिन पहले से ही इस त्यौहार का श्रीगणेश कर दिया है। बाकी लोग धनतेरस  के साथ ये आगाज कर रहे हैं।
दीपावली सचमुच एक बड़ा प्रकाश पर्व है। इसकी वजह से भारत के घर-घर में स्वच्छता अभियान चलता है ।  इतना कूड़ा करकट घरों से निकलता है कि कभी-कभी तो कचरा ढोने और हटाने वाले स्थानीय निकाय भी हार मान जाते हैं। हमारे देश में वैसे भी कचरे की कोई कमी नहीं है।  भारत में हर साल कितना कचरा निकलता है ये कोई नहीं जानता, लेकिन जो आंकड़े हैं वे कहते हैं कि भारत में सालाना 277  अरब किलो कचरा निकलता है। यानि हर व्यक्ति कम से कम एक साल में 205  किलो कचरे का विसर्जन करता है। इस कचरे में 34 लाख टन  कचरा अकेले प्लास्टिक का होता है और इसमें से भी कुल 30  फीसदी कचरा ही रीसाइकल हो पाता है।
मजे की बात ये है कि  इस कचरे के बाद भी भारत में हर साल लक्ष्मी मैया आतीं है।  उनके आगमन पर देश में घर-घर रोशनी की जाती है ।  लिपाई -पुताई होती है ।  सब कुछ नया-नया करने के प्रयास होते हैं। लक्ष्मी मैया की कृपा से भारत की इकॉनमी यानि अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन बनाने की हमारी कोशिश जारी है। देश में पहली बार धनतेरस की तर्ज पर किताबें छापने  और बेचने वाले किताब तेरस का आयोजन  कर रहे हैं। दरअसल भारत में धन तेरस पर कुछ न कुछ खरीदने की रीत है। जिसे जिस चीज की जरूरत होती है ,वो चीज खरीदता है। आदमी खरीदना तो चाँद-तारे भी चाहता है लेकिन उसकी जेब उसे ऐसा करने की इजाजत नहीं देती।
हमने बचपन में देखा है कि हमारे घर में धनतेरस के दिन धातु का कोई न कोई बर्तन खरीदा जाता था। सबसे सस्ती चीज होती थी कटोरी,ग्लास,चमचा या पूजा के लिए तांम्बे के छोटे-छोटे बर्तन।
आजकल धनतेरस पर बर्तनों के साथ ही और दूसरी तमाम चीजें खरीदी जातीं हैं। जिनके पास लक्ष्मी माँ की कृपा है वे बर्तनों के बजाय सोना-चांदी  से भी मंहगा डायमंड  यानि हीरे से बनी चीजें खरीदते हैं। अब धनतेरस पर इलेक्ट्रानिक उपकरण , रसोईघर में इस्तेमाल होने वाले मंहगे उपकरण, साड़ियां,कपडे,सजावट का सामान प्रमुखता और प्रचुरता से खरीदा जाता है। लेकिन मै देखता हूँ कि  चीनी सामान  की उपलब्धता के बावजूद आज भी मिटटी के दिए, शक्कर के बताशे और रंगीन खिलौने तथा चावल के पापकार्न यानि खीलें, कपास, लक्ष्मी जी का पन्ना, आज भी बिक रहा है।  इस त्यौहार के मौके पर पुलिस और स्थानीय प्रशासन मिलजुलकर अपने गांव, शहर में फुटपाथ और सड़कें तक बेच देते हैं ताकि गरीब आदमी भी अपना कारोबार कर कमा-खा सके।
हमारे देश में खरीद-फरोख्त के लिए ज्योतिषी और पंडित बाकायदा मुहूर्त निकालते है।  वे ये भी बताते हैं कि  किस राशि के जातक को धनतेरस के दिन क्या खरीदना चाहिए और क्या नहीं ? मुझे लगता है कि  ज्योतिषियों की भी बाजार से सांठगांठ है, अन्यथा ये ज्योतिषी और उनके पंचांग दीपोत्सव  पर पुष्य नक्षत्र की खोज न करते और कर भी लेते तो उस दिन मंहगा सामान खरीदने की सिफारिश बिल्कुल न करते। लेकिन ऐसा धड़ल्ले से हो रहा है। अखबार ज्योतिषी के खरीद-फरोख्त मुहूर्तों का प्रचार करने के लिए भौंपू बने हुए हैं। भारत   के इस प्रमुख त्यौहारी सीजन में हमारे अखबारों की सेहत और सूरत दोनों बदल जाती है।  आजकल एक ही दिन में तीन-तीन अखबार आ रहे है। और इन अख़बारों में आधे से ज्यादा पन्नों में केवल कुछ  ज्वेलरों  बिल्डरों के विज्ञापन होते हैं।
दर असल ज्योतिषयों ने सुझाव दिया है कि  धनतेरस पर  खरीदी करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि ऐसा नहीं करने पर आप के द्वारा की जाने वाली खरीददारी का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है ।  ज्योतिषी कहते हैं कि धनतेरस पर आपको नुकीली और धारदार वस्तुएं सुई, पिन, कैंची, चाकू, छिलनी, इत्यादि नहीं खरीदना चाहिए मान्यता है कि इससे घर में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है धनतेरस के दिन कांच से बनी वस्तुओं को नहीं खरीदना चाहिए। कांच में राहु का स्थान यानी राहु से संबंधित है इस लिए इसकी खरीदी शुभ नहीं होती।
अब सवाल ये है कि  जनता देवताओं की फ़िक्र करे या अपनी जरूरतों की ? ज्योतिषी कहते हैं कि धनतेरस में लोहे की खरीदी करने से धन के देवता कुबेर रूष्ट हो जाते हैं इसलिए लोहे से निर्मित वस्तुओं की खरीदी से परहेज़ करना चाहिए। वे कहते हैं कि धनतेरस को प्लास्टिक की वस्तुओं की खरीददारी से बचें इस दिन किसी धातु की खरीदी ही करें अन्यथा धनतेरस की खरीददारी का कोई लाभ प्राप्त नहीं होगा। ज्योतिषियों का सुझाव है कि धनतेरस के एक दिन पहले ही तेल या घी  खरीद लें क्योंकि धनतेरस को तेल और घी की खरीदी को अशुभ माना गया है.
ज्योतिषी लगता है अपना पंचांग जनता कि लिए नहीं बल्कि व्यापारियों कि लिए बनाते है।  वे कहते हैं  कि  धनतेरस को सोना, चांदी के आभूषण, सिक्के खरीदने चाहिए। भूल कर भी आर्टिफिशियल आभूषण नहीं खरीदें यह अशुभ होता है। पंडित जी धनतेरस पर आपको   कांस्य, पीतल, तांबा, चांदी आदि के बर्तन खरीदने की सलाह देते हैं साथ ही चेतावनी भी देते हैं कि  आप  स्टील के बर्तन खरीदी से बचें और एल्युमुनियम, लोहे से निर्मित बर्तन भूल कर नहीं ले। पंडितों का मशविरा होता है कि  बाजार से बर्तन खरीददारी के बाद घर के अंदर खाली बर्तन नहीं लाएं उसमें अंदर कुछ भर के लाएं जैसे अनाज या कोई अन्य खाद्य वस्तु। मेरा चूंकि खरीद-फरोख्त करते समय ज्योतिषियों से अधिक विश्वास अपनी जेब पर होता है इसलिए मैं अपनी जेब की सुनता हूँ ,पंडित की नही।  आपकी आप जाने।  (विनायक फीचर्स)

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान से विशेष बातचीत.* राजनीति में व्यक्तिगत आरोप लगाए जाते हैं तो मन को तकलीफ होती है- कार्तिकेय

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(पवन कुमार वर्मा – विनायक फीचर्स )

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बडे बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान पिता के विधानसभा क्षेत्र बुधनी में चुनाव प्रचार की कमान संभालें हुए हैं। वे हर दिन सुबह से क्षेत्र में  निकलते हैं और देर रात तक जनसंपर्क करते हैं। उनका मानना है कि राजनीति में व्यक्तिगत आरोप लगाना मन को तकलीफ पहुंचा देता है। वहीं उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रदेश की जनता के दिल के सिंहासन में उनके पिता शिवराज सिंह चौहान हैं। उन्होंने अपने पिता के रिश्तों को आगे बढ़ाते हुए कहा कि प्रदेश में उनकी ढाई करोड़ बुआएं हैं। गौरतलब है कि बुधनी विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ कांग्रेस ने टीवी सीरियल रामायण – 2  में हनुमान की भूमिका निभाने वाले विक्रम मस्ताल को उम्मीदवार बनाया है। प्रस्तुत है भाजपा के युवा नेता कार्तिकेय सिंह चौहान से विनायक फीचर्स के लिए पवन कुमार वर्मा से खास बातचीत के अंश…

सवाल- लॉ के स्टूडेंट को चुनाव प्रचार करनें में आनंद आ रहा है या पिता चुनाव लड़ रहे इसलिए प्रचार करना पड़ा रहा है ?

जवाब- मैं अकेला लॉ का स्टूडेंट नहीं हूं जो भाजपा की  विचारधारा से प्रभावित हूं। मेरे लिए सौभाग्य का विषय है कि जिस विचारधारा पर मैं विश्वास कर रहा हूं उसका नेतृत्व देश में प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी और प्रदेश में  नेतृत्व मेरे पिता शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री के रूप में कर रहे हैं। जब ऐसे नेता हमारे सामने हो तो पीछे रहकर काम करने में आनंद ही आता है। उसी आनंद के लिए हम काम करते हैं।

सवाल-  हम देख रहे हैं कि आप भी अपने पिता (शिवराज सिंह चौहान) की तरह ही रिश्तों के तार मतदाताओं से जोड़ रहे है?

जवाब-  बुधनी हमारा परिवार है। मेरे परिवार में पिता जी, अम्माजी (मां साधना सिंह ), कुणाल(छोटा भाई) ही नहीं हैं, बुधनी के सवा तीन लाख लोग हमारे परिवार के सदस्य है। जिन्हें मेरे पिता ने बहन माना है, वे मेरी बुआ हैं। इसलिए मैं अपनी बुआओं के पैर छू कर आशीर्वाद लेता हूं, वे भी उसी नाते आशीर्वाद देती हैं।

सवाल- चुनाव में समय ही इस क्षेत्र के एक-एक गांव वालों से मिलने के लिए आते हैं?

जवाब- आपने भी देख लिया हैं कि मैं सबको जानता हूं सब मुझे जानते हैं। मैं तो यहां हमेशा ही आता जाता रहता हूं। यह रुटीन है। इस वक्त तो मुझ कम घूमना पड़ रहा है। आपको भी देखकर लगा होगा कि इसे कोई मेरा दौरा नहीं मान रहा, क्योंकि सब जानते हैं कि यह मेरा घर है, मेरे परिवार के लोग हैं। परिवार के बीच जाना आना सिर्फ चुनाव तक सीमित नहीं हैं।

सवाल – आपके पिता बताते हैं कि सलकनपुर में उनकी एक बहन ने उन्हें अंगूठी दी उसे वे उतारते नहीं हैं।

जवाब-  सलकनपुर में जिन्होंने यह अंगूठी दी थी उनकी फूल की छोटी सी दुकान है। खासबात  यह है कि उन्होंने मेरे पिता के लिए अपने बचत के पैसों से वह अंगूठी खरीदी थी। जब वे सामने आई और अंगूठी देने की बात की तो पिताजी, अम्मा जी और मुझे भी लगा कि उस बुआ के लिए यह अंगूठी अमूल्य है। यह पवित्रता का भाव था, यह सगे रिश्ते से भी बड़ा रिश्ता है। वैसे तो मेरे पिताजी की एक बहन हैं, लेकिन अब प्रदेश की ढाई करोड़ महिलाएं उनकी बहन और इस नाते इतनी मेरी बुआएं हैं।

सवाल – सन् 2013और 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने बाहरी प्रत्याशी उतारा था, इस बार स्थानीय नेता उतारा है, कितनी चुनौती है?

जवाब- बुधनी में किसी का वोटर आईडी बना हैं, इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें जनता यह मान ले कि वे यहीं के हैं।  उनका यहां आना चार महीने पहले हुआ हैं। इससे पहले वे मुंबई, भोपाल में  रहते थे। उनका यहां पर रहना न के बराबर है। इसलिए यह कहना कि वे बुधनी के हैं तो मैं इसे उचित नहीं मानता।

सवाल – फिर आप क्या मानते हैं?

जवाब- पहले जो दो प्रत्याशी थे, इनमें और उनमें कोई फर्क नहीं हैं। इसी का कारण है कि कांग्रेस में भी इस बात को लेकर असंतोष है। कांग्रेस के यहां के नेताओं के साथ मेरी सहानभूति है। कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं, नेता हैं, वे सरकार तक अपनी

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा स्वच्छता विशेष अभियान 3.0 का सफलतापूर्वक समापन

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जो स्वच्छता को संस्थागत बनाने और सरकारी प्रक्रियाओं में नौकरशाही से जुड़े लंबित मामलों को कम करने की वकालत करते हैं। उनके दूरदर्शी और मिशन-संचालित नेतृत्व से प्रेरित होकर कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर, 2023 तक विशेष अभियान 3.0 कार्यान्वित करने की पहल की। इस अभियान का प्राथमिक उद्देश्य लंबित मामलों का शीघ्र निपटान, कुशल स्थान प्रबंधन और स्वच्छ और हरित पर्यावरण को प्रोत्साहन देना था।

स्वच्छता पर विशेष अभियान 3.0 का सफलतापूर्वक समापन मंत्रालय की प्रतिबद्धता का साक्षी है। यह व्यापक पहल पूरे मंत्रालय के साथ-साथ देश के विभिन्न क्षेत्रों में फैले इसके संबद्ध/अधीनस्थ कार्यालयों और स्वायत्त निकायों तक फैली हुई है। 15 सितंबर, 2023 से शुरू किए गए प्रारंभिक चरण ने अभियान अवधि के दौरान सफाई के लिए विशिष्ट लक्ष्यों की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस आयोजित अभियान में न केवल लंबित मामलों के निपटान पर बल दिया गया, बल्कि कार्यालयों में स्थान उपयोग को अनुकूलित करने और समग्र कार्यस्थल अनुभव को बढ़ाने पर भी विशेष ध्यान दिया गया। इस पूरे प्रारंभिक चरण और अभियान के दौरान, पूरे देश में 8354 स्वच्छता स्थलों की पहचान की गई। इस अभियान द्वारा अपेक्षित परिणाम लगभग 660 वर्ग फुट जगह को साफ करना था, साथ ही 4579 से अधिक भौतिक फाइलें गहन समीक्षा के लिए रखी गई थीं। इसके अलावा, स्क्रैप के निपटान से कुल 20,94,013/- रुपये के राजस्व की प्राप्ति हुई। एक समर्पित टीम द्वारा कर्मठतापूर्वक कार्य प्रगति की निगरानी की गई और प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा आयोजित किए गए लंबित मामलों के निस्तारण हेतु विशेष अभियान (एससीपीडीएम) पोर्टल पर इसे लगातार अपडेट किया गया।

इसके अलावा, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी ने विशेष अभियान 3.0 के दौरान हुई प्रगति का आकलन करने के लिए विभिन्न प्रभागों का दौरा करके और नियमित समीक्षा बैठकें आयोजित करके सक्रिय कदम उठाए। उनके गहन मार्गदर्शन से विशेष टीमों को अभियान के हिस्से के रूप में क्षेत्रीय संस्थानों का दौरा करने के लिए रणनीतिक रूप से संगठित किया गया, ताकि इसके प्रभावी कार्यान्वयन और प्रभाव को सुनिश्चित किया जा सके। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ और अधिक कुशल सुशासन के विजन की भावना में, विशेष अभियान 3.0 विशिष्टता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। रणनीतिक योजना, औचक दौरे और समर्पित टीम वर्क के माध्यम से, हमने न केवल कचरा साफ करके स्थान खाली किया है, बल्कि स्वच्छता और कार्य क्षमता के अभियान को भी आगे बढ़ाया है। यह पहल परिवर्तनकारी बदलाव के लिए हमारे संकल्प का एक प्रमाण है, जो एक कार्यस्थल को स्वच्छता और परिचालन उत्कृष्टता के आदर्शों के अनुरूप श्रेणीबद्ध करने के लिए प्रोत्साहित करता है।’’

एमएसडीई द्वारा स्वीकृत सराहनीय प्रक्रियाओं में से एक है बेंगलुरु में होसुर रोड पर सरकारी मॉडल औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के परिसर में 25 विभिन्न स्थानों पर कृत्रिम पुनर्भरण गड्ढों के निर्माण की शुरुआत। ये गड्ढे लगभग 12 मिलियन लीटर वर्षा जल की प्रभावशाली संयुक्त क्षमता प्रदर्शित करते हैं, जो वार्षिक वर्षा के लगभग 10 प्रतिशत के बराबर है। इस प्रयास के परिणामस्वरूप आईटीआई के भीतर 25 अन्त:स्रवण कुओं की स्थापना होगी, जो लगभग 3.2 मिलियन लीटर वर्षा जल को संरक्षित करने में सक्षम होंगे, और इस प्रकार स्थायी जल प्रबंधन पहल में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

1 अक्टूबर को, सरकारी आईटीआई बेहरामपुर, ओडिशा ने भी एक अभिनव और दीर्घकालिक उद्देश्य के साथ स्वच्छता अभियान का उल्लेख किया। इस आयोजित उत्सव में 23 फुट ऊंचे स्क्रैप हाथी ढांचे के अनावरण ने रचनात्मक और पर्यावरण के प्रति प्रबुद्ध मोड़ ले लिया। इस अनूठी स्थापना को 30,000 प्रयुक्त प्लास्टिक की पानी की बोतलों का उपयोग करके तैयार किया गया था, इस संग्रह प्रयास का नेतृत्व बेहरामपुर के 3000 प्रशिक्षुओं ने किया था, जिन्होंने शहर के विभिन्न स्थानों से इन बोतलों को परिश्रमपूर्वक इकट्ठा किया था। इस पहल ने न केवल स्वच्छता के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित की, बल्कि दृष्टिगत रूप से प्रभावशाली और पर्यावरण-अनुकूल उत्सव के लिए सामग्रियों के पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग के लिए एक अभिनव दृष्टिकोण को भी प्रदर्शित किया।

झारखंड : अखिल भारतीय गौ रक्षक संघ ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर गौ हत्या पर प्रतिबंध की मांग की

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झारखंड : अखिल भारतीय गौ रक्षक संघ ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर गौ हत्या पर प्रतिबंध की मांग की

रांची, 12 नवंबर (भाषा) अखिल भारतीय गौ रक्षक संघ की झारखंड इकाई ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से देश में गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में अखिल भारतीय गौ रक्षक संघ की झारखंड इकाई के अध्यक्ष जय प्रकाश पांडे ने मोदी से देश में गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

सिंह ने पत्र में कहा, ”हिंदुओं के लिए गाय पवित्र है, जिसे पूजा जाता है और उनका इससे धार्मिक विश्वास जुड़ा हुआ है। हिंदू, गाय को माता के रूप में पूजते हैं। गाय की सुरक्षा के लिए कदम उठाने के अलावा देश में गौ हत्या पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।”

उन्होंने गौ संरक्षण के लिए दुग्ध उत्पादों पर आधारित खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और गाय के गोबर से खाद बनाने वाली इकाइयों की स्थापना जैसी योजनाओं के लिए वित्तीय एवं अन्य संसाधनों की भी मांग की। पांडे ने कहा, ”देशभर की पंचायतों को गौरक्षा का काम सौंप दिया जाना चाहिए।” उन्होंने देश में गोहत्या रोधी कानून की जरूरत पर भी जोर दिया।

भीतर का अंधकार दूर हो यही दीपोत्सव का संदेश

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(संदीप सृजन -विभूति फीचर्स)
दीपावली का पर्व भारतीय सनातन परम्परा का लौकिक और अलौकिक पर्व माना गया है। लौकिक स्वरूप में जहां खानपान,वैभव और उत्साह का वातावरण इस पर्व को प्रमाणिकता प्रदान करता है। वहीं अलौकिक रूप में यह पर्व आत्मोकर्ष का प्रमुख पर्व है। लौकिक और अलौकिक के बीच तंत्र साधकों के लिए परालौकिक स्वरूप भी इस पर्व का है। लेकिन जन सामान्य के लिए लौकिक और अलौकिक इन दो रूपों में ही इसकी महत्ता है। सनातन धर्म की वैष्णव परम्परा में भगवान राम का अयोध्या आगमन उत्सव लौकिकता तो श्रमण परम्परा (जैन धर्म) में भगवान महावीर का निर्वाण अलौकिकता का स्वरूप है।
कार्तिक अमावस्या की रात्रि में भगवान महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इस दिन महावीर का निर्वाणोत्सव मनाया जाता है। अपनी आयु के 72 वें वर्ष में जब महावीर पावापुरी नगरी के मनोहर उद्यान में चातुर्मास के लिए विराजमान थे।  चतुर्थकाल पूरा होने में तीन वर्ष और आठ माह बाकी थे। तब कार्तिक अमावस्या के दिन सुबह स्वाति नक्षत्र के दौरान भगवान महावीर अपने औदारिक शरीर से मुक्त होकर मोक्षधाम को प्राप्त हो गए। उस समय इंद्रादि देवों ने आकर भगवान महावीर के शरीर की पूजा की और पूरी पावा नगरी को दीपकों से सजाकर प्रकाशयुक्त कर दिया। 2550 वर्ष भगवान महावीर को निर्वाण हुए हो गये है। उस समय से आज तक यही परंपरा जैन धर्म में चली आ रही है। प्रतिपदा के दिन भोर में महावीर के प्रथम शिष्य गौतम को कैवल्यज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इससे दीपोत्सव का महत्व जैन धर्म में और बढ़ गया।
भगवान महावीर अरिंहत है, और अरिहंत को संसार में गुरु के रूप में माना जाता है। भगवान महावीर के सिद्द गमन को तब विद्वजनों ने ज्ञान दीप का राज होना (बुझना) माना और मिट्टी के दीप प्रज्जवलित कर संसार को आलोकित करने का प्रयास किया था। भगवान महावीर ने दीपावली वाले दिन मोक्ष जाने से पहले आधी रात तक जगत के कल्याण के लिए आखिरी बार उपदेश दिया था, जिसे ‘उत्तराध्यान सूत्र’ के नाम से जाना जाता है। इस ग्रंथ में सर्वाधिक बार कोई वाक्य आया है तो वह है ‘समयं गोयम ! मा पमायए’ गौतमस्वामी को जो कि भगवान महावीर के प्रधान शिष्य थे, प्रधान गणधर थे, उनको संबोधित करते हुए यह प्रेरणा महावीर ने दी कि आत्मकल्याण के मार्ग में चलते हुए क्षण भर के लिए भी तू प्रमाद मत कर। ढाई हजार वर्ष पहले दी गई वह प्रेरणा आज भी महत्वपूर्ण है। प्रमाद अज्ञानता की ओर ले जाता है।ज्ञान जीवन में प्रकाश करने वाला होता है। शास्त्र में भी कहा गया- ‘नाणं पयासयरं’ अर्थात ज्ञान प्रकाशकर है। इसीलिए ज्ञान को प्रकाश और अज्ञान को अंधकार की उपमा दी जाती है । दीपक हमारे जीवन में प्रकाश के अलावा जीवन जीने की सीख भी देता है, दीपक हमारे जीवन की दिशा को उर्ध्वगामी करता है, संस्कारों की सीख देता है, संकल्प की प्रेरणा देता है और लक्ष्य तक पहुंचने का माध्यम बनता है। दीपावली मनाने की सार्थकता तभी है, जब भीतर का अंधकार दूर हो। अंधकार जीवन की समस्या है और प्रकाश उसका समाधान। जीवन जीने के लिए सहज प्रकाश चाहिए। प्रारंभ से ही मनुष्य की खोज प्रकाश को पाने की रही।
उपनिषदों में भी कहा गया है- ‘असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय॥‘ अर्थात-मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो। मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो। मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो। इस प्रकार हम प्रकाश के प्रति, सदाचार के प्रति, अमरत्व के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त करते हुए आदर्श जीवन जीने का संकल्प करते हैं। आज के समय में चारों ओर फैले अंधेरे ने मानव-मन को इतना कलुषित किया है कि वहां किसी दिव्यता, सुंदरता और सौम्यता के अस्तित्व की कोई गुंजाइश नहीं बचती। परंतु अंधकार को चीरकर स्वर्ण-आभा फैलाती प्रकाश की प्राणशक्ति और उजाले को फैलाते दीपक की जिजीविषा अद्‍भूत है।
दीपावली का संदेश जितना अध्यात्मिक है उतना ही भौतिक भी है। राम, महावीर, दयानंद सरस्वती, नानकदेव आदी कई महापुरुषों के जीवन की विशिष्ट घटनाएँ इस पर को अलौकिक बनाती है। और सभी के ज्ञान का सम्मान दीपक के रूप में किया जाना सभी के आदर्षों को स्वीकार कर जीवन को उत्साह पूर्वक जीना इस पर्व को भौतिक रूप से समृद्ध करता है।(विभूति फीचर्स)