(पवन कुमार वर्मा – विनायक फीचर्स )

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बडे बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान पिता के विधानसभा क्षेत्र बुधनी में चुनाव प्रचार की कमान संभालें हुए हैं। वे हर दिन सुबह से क्षेत्र में  निकलते हैं और देर रात तक जनसंपर्क करते हैं। उनका मानना है कि राजनीति में व्यक्तिगत आरोप लगाना मन को तकलीफ पहुंचा देता है। वहीं उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रदेश की जनता के दिल के सिंहासन में उनके पिता शिवराज सिंह चौहान हैं। उन्होंने अपने पिता के रिश्तों को आगे बढ़ाते हुए कहा कि प्रदेश में उनकी ढाई करोड़ बुआएं हैं। गौरतलब है कि बुधनी विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ कांग्रेस ने टीवी सीरियल रामायण – 2  में हनुमान की भूमिका निभाने वाले विक्रम मस्ताल को उम्मीदवार बनाया है। प्रस्तुत है भाजपा के युवा नेता कार्तिकेय सिंह चौहान से विनायक फीचर्स के लिए पवन कुमार वर्मा से खास बातचीत के अंश…

सवाल- लॉ के स्टूडेंट को चुनाव प्रचार करनें में आनंद आ रहा है या पिता चुनाव लड़ रहे इसलिए प्रचार करना पड़ा रहा है ?

जवाब- मैं अकेला लॉ का स्टूडेंट नहीं हूं जो भाजपा की  विचारधारा से प्रभावित हूं। मेरे लिए सौभाग्य का विषय है कि जिस विचारधारा पर मैं विश्वास कर रहा हूं उसका नेतृत्व देश में प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी और प्रदेश में  नेतृत्व मेरे पिता शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री के रूप में कर रहे हैं। जब ऐसे नेता हमारे सामने हो तो पीछे रहकर काम करने में आनंद ही आता है। उसी आनंद के लिए हम काम करते हैं।

सवाल-  हम देख रहे हैं कि आप भी अपने पिता (शिवराज सिंह चौहान) की तरह ही रिश्तों के तार मतदाताओं से जोड़ रहे है?

जवाब-  बुधनी हमारा परिवार है। मेरे परिवार में पिता जी, अम्माजी (मां साधना सिंह ), कुणाल(छोटा भाई) ही नहीं हैं, बुधनी के सवा तीन लाख लोग हमारे परिवार के सदस्य है। जिन्हें मेरे पिता ने बहन माना है, वे मेरी बुआ हैं। इसलिए मैं अपनी बुआओं के पैर छू कर आशीर्वाद लेता हूं, वे भी उसी नाते आशीर्वाद देती हैं।

सवाल- चुनाव में समय ही इस क्षेत्र के एक-एक गांव वालों से मिलने के लिए आते हैं?

जवाब- आपने भी देख लिया हैं कि मैं सबको जानता हूं सब मुझे जानते हैं। मैं तो यहां हमेशा ही आता जाता रहता हूं। यह रुटीन है। इस वक्त तो मुझ कम घूमना पड़ रहा है। आपको भी देखकर लगा होगा कि इसे कोई मेरा दौरा नहीं मान रहा, क्योंकि सब जानते हैं कि यह मेरा घर है, मेरे परिवार के लोग हैं। परिवार के बीच जाना आना सिर्फ चुनाव तक सीमित नहीं हैं।

सवाल – आपके पिता बताते हैं कि सलकनपुर में उनकी एक बहन ने उन्हें अंगूठी दी उसे वे उतारते नहीं हैं।

जवाब-  सलकनपुर में जिन्होंने यह अंगूठी दी थी उनकी फूल की छोटी सी दुकान है। खासबात  यह है कि उन्होंने मेरे पिता के लिए अपने बचत के पैसों से वह अंगूठी खरीदी थी। जब वे सामने आई और अंगूठी देने की बात की तो पिताजी, अम्मा जी और मुझे भी लगा कि उस बुआ के लिए यह अंगूठी अमूल्य है। यह पवित्रता का भाव था, यह सगे रिश्ते से भी बड़ा रिश्ता है। वैसे तो मेरे पिताजी की एक बहन हैं, लेकिन अब प्रदेश की ढाई करोड़ महिलाएं उनकी बहन और इस नाते इतनी मेरी बुआएं हैं।

सवाल – सन् 2013और 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने बाहरी प्रत्याशी उतारा था, इस बार स्थानीय नेता उतारा है, कितनी चुनौती है?

जवाब- बुधनी में किसी का वोटर आईडी बना हैं, इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें जनता यह मान ले कि वे यहीं के हैं।  उनका यहां आना चार महीने पहले हुआ हैं। इससे पहले वे मुंबई, भोपाल में  रहते थे। उनका यहां पर रहना न के बराबर है। इसलिए यह कहना कि वे बुधनी के हैं तो मैं इसे उचित नहीं मानता।

सवाल – फिर आप क्या मानते हैं?

जवाब- पहले जो दो प्रत्याशी थे, इनमें और उनमें कोई फर्क नहीं हैं। इसी का कारण है कि कांग्रेस में भी इस बात को लेकर असंतोष है। कांग्रेस के यहां के नेताओं के साथ मेरी सहानभूति है। कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं, नेता हैं, वे सरकार तक अपनी

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