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गौमाता को राष्ट्रीय माता घोषित करने की मांग

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शाहपुरा भीलवाड़ा शाहपुरा कामधेनु सेना के संस्थापक श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कुशाल गिरी महाराज के निर्देशानुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष गौ रक्षक अशोक राणेजा हिंगोला के नेतृत्व में कामधेनु सेना के शाहपुरा जिलाध्यक्ष नारायणलाल कुमावत ने जिला कलेक्टर टीकमचंद बोहरा को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि गौमाता को राष्ट्रीय माता घोषित करे। वर्तमान में हमारे देश मे गाय की स्तिथि बहुत ही दयनीय है। हमारे देश में सबसे अधिक गौतस्करी की जाती है वह गाय ही है। गाय किसान हेतु अत्यंत अनिवार्य गौ वंश है, संस्कृति के लिए अनिवार्य पूजनीय गाय है, भारत की कल्पना गाय बिना अधुरी है। साथ ही गौवंश की तस्करी को रोकने हेतु नियम बनाये जाकर पशु वध से जुड़े हथियार, कारखाने आदि पर प्रतिबंध लगाए जाये। इस दौरान राजेन्द्र, अग्रवाल शिवराज कुमावत, परमेश्वर कुमावत, मिस्त्री लाल बैरवा, दिल खुश वैष्णव मौजूद रहे।

डित दीनदयाल पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गौ अनुसंधान संस्थान हेतु 3 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत

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उत्तर प्रदेश सरकार ने मथुरा स्थित पंडित दीनदयाल पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गौ अनुसंधान संस्थान के लिए तीन करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है. यह धनराशि विश्वविद्यालय के सुनियोजित और सुव्यवस्थित संचालन में खर्च की जाएगी. 

पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गौ अनुसंधान संस्थान, मथुरा में दो दिवसीय प्रशिक्षण भी आयोजित किया गया था

देहरादून में उत्तराखंड वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन 2023 का प्रधानमंत्री ने किया उद्घाटन – भारत की कंपनियों के लिए , ये अभूतपूर्व समय है

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देहरादून, आठ दिसंबर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को यहां वन अनुसंधान संस्थान में उत्तराखंड वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन-2023 का उद्घाटन किया। दो दिन के शिखर सम्मेलन का मुख्य लक्ष्य इस पहाड़ी राज्य को एक प्रमुख निवेश गंतव्य के तौर पर पेश करना है।
प्रधानमंत्री ने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने और स्वयं सहायता समूहों की आय बढ़ाने के लिए ब्रांड ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ की भी शुरुआत की।
इस शिखर सम्मेलन की तैयारियां महीनों से चल रही थीं। इसमें देश और विदेशों के हजारों निवेशक और प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
इस शिखर सम्मेलन में 2.5 लाख करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर होने थे, लेकिन इस लक्ष्य को यह कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही पार कर लिया गया है। अबतक कुल तीन लाख करोड़ रुपये के एमओयू हो चुके हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि -” देवभूमि उत्तराखंड में आकर मन धन्य हो जाता है। कुछ वर्ष पहले जब मैं बाबा केदार के दर्शन के लिए निकला था, तो अचानक मेरे मुंह से निकला था कि 21वीं सदी का ये तीसरा दशक, उत्तराखंड का दशक है। और मुझे खुशी है कि अपने उस कथन को मैं लगातार चरितार्थ होते हुए देख रहा हूं। आप सभी को भी इस गौरव से जुड़ने के लिए, उत्तराखंड की विकास यात्रा से जुड़ने का एक बहुत बड़ा अवसर मिल रहा है। बीते दिनों, उत्तरकाशी में टनल से हमारे श्रमिक भाइयों को सुरक्षित निकालने का जो सफल अभियान चला, उसके लिए मैं राज्य सरकार समेत सभी का विशेष तौर पर अभिनंदन करता हूं।
साथियों,
उत्तराखंड वो राज्य है, जहां आपको Divinity और Development, दोनों का अनुभव एक साथ होता है, और मैंने तो उत्तराखंड की भावनाओं और संभावनाओं को निकट से देखा है, मैंने उसे जिया है, अनुभव किया है। एक कविता मुझे याद आती है, जो मैंने उत्तराखंड के लिए कही थी-
जहाँ अंजुली में गंगा जल हो,
जहाँ हर एक मन बस निश्छल हो,
जहाँ गाँव-गाँव में देशभक्त हो,
जहाँ नारी में सच्चा बल हो,
उस देवभूमि का आशीर्वाद लिए मैं चलता जाता हूं!
इस देव भूमि के ध्यान से ही, मैं सदा धन्य हो जाता हूँ।
है भाग्य मेरा, सौभाग्य मेरा, मैं तुमको शीश नवाता हूँ”।
साथियों,
सामर्थ्य से भरी ये देवभूमि निश्चित रूप से आपके लिए निवेश के बहुत सारे द्वार खोलने जा रही है। आज भारत, विकास भी और विरासत भी के जिस मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है, उत्तराखंड उसका प्रखर उदाहरण है।
साथियों,
आप सभी बिजनेस की दुनिया के दिग्गज हैं। और जो बिजनेस की दुनिया के लोग रहते हैं, वो जरा अपने काम का SWOT Analysis करते हैं। आपकी कंपनी की ताकत क्या है, कमज़ोरी क्या है, अवसर क्या हैं और चुनौतियां क्या हैं, और आप उसका आकलन करके अपनी आगे की रणनीति बनाते हैं। एक राष्ट्र के रूप में आज हम भारत को लेकर ऐसी ही स्वॉट एनालिसिस करें, तो क्या पाते हैं? हमें चारों तरफ aspirations, hope, self-confidence, innovation और opportunity ही दिखेगी। आपको आज देश में policy driven governance दिखेगी। आपको आज Political stability के लिए देशवासियों का मज़बूत आग्रह दिखेगा। आकांक्षी भारत, आज अस्थिरता नहीं चाहता, वो स्थिर सरकार चाहता है। हाल में हुए विधानसभा चुनावों में भी हमने ये देखा है। और उत्तराखंड के लोगों ने पहले ही करके दिखाया है। जनता ने स्थिर और मजबूत सरकारों के लिए जनादेश दिया है। जनता ने गुड गवर्नेंस के लिए वोट दिया, गवर्नेंस के ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर वोट दिया है। आज भारत और भारतीयों को दुनिया जिस उम्मीद और सम्मान से देख रही है, और अभी सभी उद्योग जगत के लोगों ने इस बात का जिक्र भी किया। हर भारतीय एक दायित्व के रूप में इसे ले रहा है। हर देशवासी को लगता है कि विकसित भारत का निर्माण उसकी अपनी जिम्मेदारी है, हर देशवासी की जिम्मेदारी है। इसी आत्मविश्वास का परिणाम है कि कोरोना महासंकट और युद्धों के संकट के बावजूद, भारत इतनी तेज़ी से विकसित हो रहा है। आपने देखा है कि कोरोना वैक्सीन हो या फिर इकोनॉमिक पॉलिसीज़, भारत ने अपनी नीतियों, अपने सामर्थ्य पर भरोसा किया। उसी कारण आज भारत बाकी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अलग ही लीग में दिखता है। राष्ट्रीय स्तर पर भारत की इस मजबूती का फायदा, उत्तराखंड समेत देश के हर राज्य को हो रहा है।
साथियों,
इन परिस्थितियों में उत्तराखंड इसलिए भी विशेष हो और स्वाभाविक हो जाता है, क्योंकि यहां डबल इंजन सरकार है। उत्तराखंड में डबल इंजन सरकार के डबल प्रयास चारों तरफ दिख रहे हैं। राज्य सरकार अपनी तरफ से जमीनी सच्चाई को समझते हुए यहां तेजी से काम कर रही है। इसके अलावा भारत सरकार की योजनाओं को, हमारे विजन को भी यहां की सरकार उतनी ही तेजी से ज़मीन पर उतारती है। आप देखिए, आज भारत सरकार 21वीं सदी के आधुनिक कनेक्टिविटी के इंफ्रास्ट्रक्चर पर उत्तराखंड में अभूतपूर्व इन्वेस्टमेंट कर रही है। केंद्र सरकार के इन प्रयासों के बीच राज्य सरकार भी छोटे शहरों और गांव-कस्बों को जोड़ने के लिए पूरी शक्ति से काम कर रही है। आज उत्तराखंड में गांव की सड़कें हों या फिर चारधाम महामार्ग इन पर अभूतपूर्व गति से काम चल रहा है। वो दिन दूर नहीं जब दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे से दिल्ली और देहरादून की दूरी ढाई घंटे होने वाली है। देहरादून और पंतनगर के एयरपोर्ट के विस्तार से एयर कनेक्टिविटी सशक्त होगी। यहां की सरकार हैली-टैक्सी सेवाओं के राज्य के भीतर विस्तार दे रही है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग, इस रेल लाइन से यहां की रेल कनेक्टिविटी सशक्त होने वाली है। आधुनिक कनेक्टिविटी जीवन तो आसान बना ही रही है, ये बिजनेस को भी आसान बना रही है। इससे खेती हो या फिर टूरिज्म, हर सेक्टर के लिए नई संभावनाएं खुल रही हैं। लॉजिस्टिक्स हो, स्टोरेज हो, टूर-ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी हो, इसके लिए यहां नए रास्ते बन रहे हैं। और ये हर नया रास्ता, हर इन्वेस्टर के लिए एक गोल्डन opportunity लेकर आया है।
साथियों,
पहले की सरकारों की अप्रोच थी कि जो इलाके सीमा पर हैं, उन्हें ऐसा रखा जाए कि एक्सेस कम से कम हो। डबल इंजन सरकार ने इस सोच को भी बदला है। हम सीमावर्ती गांवों को लास्ट विलेज नहीं, बल्कि देश के फर्स्ट विलेज के रूप में विकसित करने में जुटे हैं। हमने एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम चलाया, अब एस्पिरेशनल ब्लॉक प्रोग्राम चला रहे हैं। ऐसे गांव, ऐसे क्षेत्र जो विकास के हर पहलू में पीछे थे, उन्हें आगे लाया जा रहा है। यानि हर इन्वेस्टर के लिए उत्तराखंड में बहुत सारा ऐसा Untapped Potential है, जिसका आप ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सकते हैं।
साथियों,
डबल इंजन सरकार की प्राथमिकताओं का उत्तराखंड को कैसे डबल फायदा मिल रहा है, इसका एक उदाहरण टूरिज्म सेक्टर भी है। आज भारत को देखने के लिए भारतीयों और विदेशियों, दोनों में अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिल रहा है। हम पूरे देश में थीम बेस्ड टूरिज्म सर्किट तैयार कर रहे हैं। कोशिश ये है कि भारत के नेचर और हैरिटेज, दोनों से ही दुनिया को परिचित कराया जाए। इस अभियान में उत्तराखंड, टूरिज्म का एक सशक्त ब्रांड बनकर उभरने वाला है। यहां नेचर, कल्चर, हैरिटेज सब कुछ है। यहां योग, आयुर्वेद, तीर्थ, एडवेंचर स्पोर्ट्स, हर प्रकार की संभावनाएं हैं। इन्हीं संभावनाओं को एक्सप्लोर करना और उन्हें अवसरों में बदलना, ये आप जैसे साथियों की प्राथमिकता ज़रूर होनी चाहिए। और मैं तो एक और बात कहूंगा शायद यहां जो लोग आए हैं उनको अच्छा लगे, बुरा लगे लेकिन यहां कुछ लोग ऐसे हैं कि जिनके माध्यम से उन तक तो मुझे बात पहुंचानी है, लेकिन उनके माध्यम से उन तक भी पहुंचानी है जो यहां नहीं हैं। खासकर के देश के धन्ना सेठों को मैं कहना चाहता हूं, अमीर लोगों को कहना चाहता हूं। मिलेनियर्स-बिलेनियर्स से कहना चाहता हूं। हमारे यहां माना जाता है, कहा जाता है, जो शादी होती है ना वो जोड़े ईश्वर बनाता है। ईश्वर तय करता है ये जोड़ा। मैं समझ नही पा रहा हूं जोड़े जब ईश्वर बना रहा है तो जोड़ा अपने जीवन की यात्रा उस ईश्वर के चरणों में आने की बजाय विदेश में जाकर के क्यों करता है। और मैं तो चाहता हूं मेरे देश के नौजवानों को मेक इन इंडिया जैसा है ना, वैसे ही एक मूवमेंट चलना चाहिए, वेडिंग इन इंडिया। शादी हिन्दुस्तान में करो। ये दुनिया के देशों में शादी करने का ये हमारे सारे धन्ना सेठ का आजकल का फैशन हो गया है। यहां कई लोग बैठे होंगे अब नीचा देखते होंगे। और मैं तो चाहूंगा, आप कुछ इनवेस्टमेंट कर पाओ न कर पाओ छोड़ो, हो सकता है सब लोग न करें। कम से कम आने वाले 5 साल में आपके परिवार की एक डेस्टिनेशन शादी उत्तराखंड में करिये। अगर एक साल में पांच हजार भी शादियां यहां होने लग जाए ना, नया इंफ्रास्ट्रकचर खड़ा हो जाएगा, दुनिया के लिए ये बहुत बड़ा वेडिंग डेस्टिनेशन बन जाएगा। भारत के पास इतनी ताकत है मिलकर के तय करें कि ये करना है, ये हो जाएगा जी। इतना सामर्थ्य है।
साथियों,
बदलते हुए समय में, आज भारत में भी परिवर्तन की एक तेज हवा चल रही है। बीते 10 वर्षों में एक आकांक्षी भारत का निर्माण हुआ है। देश की एक बहुत बड़ी आबादी थी, जो अभाव में थी, वंचित थी, वो असुविधाओं से जुड़ी थी, अब वो उन सारी मुसीबतों से निकलकर के सुविधाओं के साथ जुड़ रही है, नए अवसरों से जुड़ रही है। सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की वजह से पांच साल में साढ़े तेरह करोड़ से ज्यादा लोग, गरीबी से बाहर आए हैं। इन करोड़ों लोगों ने अर्थव्यवस्था को एक नई गति दी है। आज भारत के भीतर Consumption based economy तेजी से आगे बढ़ रही है। एक तरफ आज निओ-मिडिल क्लास है, जो गरीबी से बाहर निकल चुका है, जो नया-नया गरीबी से बाहर निकला है वो अपनी ज़रूरतों पर ज्यादा खर्च करने लगा है। दूसरी तरफ मिडिल क्लास है, जो अब अपनी आकांक्षाओं की पूर्ति पर, अपनी पसंद की चीजों पर भी ज्यादा खर्च कर रहा है। इसलिए हमें भारत के मिडिल क्लास के पोटेंशियल को समझना होगा। उत्तराखंड में समाज की ये शक्ति भी आपके लिए बहुत बड़ा मार्केट तैयार कर रही है।
साथियों,
मैं आज उत्तराखंड सरकार को हाउस ऑफ हिमालय ब्रांड लॉन्च करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। ये उत्तराखंड के लोकल उत्पादों को विदेशी बाजारों में स्थापित करने के लिए बहुत अभिनव प्रयास है। ये हमारी Vocal for Local और Local for Global की अवधारणा को और मजबूत करता है। इससे उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों को विदेशी बाजारों में पहचान मिलेगी, नया स्थान मिलेगा। भारत के तो हर जिले, हर ब्लॉक में ऐसे प्रोडक्ट हैं, जो लोकल हैं, लेकिन उनमें ग्लोबल बनने की संभावनाएं हैं। मैं अक्सर देखता हूं कि विदेशों में कई बार मिटटी के बर्तन को भी बहुत स्पेशल बनाकर प्रस्तुत किया जाता है। ये मिट्टी के बर्तन वहां बहुत महंगे दामों में मिलते हैं। भारत में तो हमारे विश्वकर्मा साथी, ऐसे अनेक बेहतरीन प्रोडक्ट्स पारंपरिक रूप से बनाते हैं। हमें स्थानीय उत्पादों के इस तरह के महत्व को भी समझना होगा और इनके लिए ग्लोबल मार्केट को एक्सप्लोर करना होगा। और इसलिए ये जो हाउस ऑफ हिमालय ब्रांड आप लेकर आए हैं, वह मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से आनंद का एक विषय है। यहां बहुत कम लोग होंगे, जिनको शायद मेरे एक संकल्प के विषय में पता होगा। क्योंकि ये संकल्प कुछ ऐसे मेरे होते हैं, उसमें सीधा बेनिफिट शायद आपको न दिखता हो, लेकिन उसमें ताकत बहुत बड़ी है। मेरा एक संकल्प है, आने वाले कुछ समय में मैं इस देश में दो करोड़ ग्रामीण महिलाओं को लखपति बनाने के लिए मैंने लखपति दीदी अभियान चलाया है। दो करोड़ लखपति दीदी बनाना हो सकता है कठिन काम होगा। लेकिन मैंने मन में संकल्प बना लिया है। ये हाउस ऑफ हिमालय जो ब्रांड है ना उससे मेरा दो करोड़ लखपति दीदी बनाने का काम है ना वो तेजी से बढ़ जाएगा। और इसलिए भी मैं धन्यवाद करता हूं।
साथियों,
आप भी एक बिजनेस के रुप में, यहां के अलग-अलग जिलों में ऐसे प्रोडक्ट्स की पहचान करें। हमारी बहनों के सेल्फ हेल्प ग्रुप्स हों, FPOs हों, उनके साथ मिलकर, नई संभावनाओं को तलाश करें। ये लोकल को ग्लोबल बनाने के लिए एक अद्भुत पार्टनरशिप हो सकती है।
साथियों,
इस बार लाल किले से मैंने कहा है कि विकसित भारत के निर्माण के लिए, नेशनल कैरेक्टर-राष्ट्रीय चरित्र को सशक्त करना होगा। हम जो भी करें, वो विश्व में श्रेष्ठ हो। हमारे स्टैंडर्ड को दुनिया फॉलो करे। हमारी मैन्युफेक्चरिंग- ज़ीरो इफेक्ट, ज़ीरो डिफेक्ट के सिद्धांत पर हो। एक्सपोर्ट ओरियंटेड मैन्युफेक्चरिंग कैसे बढ़े, हमें अब इस पर फोकस करना है। केंद्र सरकार ने PLI जैसा एक महत्वकांक्षी अभियान चलाया है। इसमें क्रिटिकल सेक्टर्स के लिए एक इकोसिस्टम बनाने का संकल्प स्पष्ट दिखता है। इसमें आप जैसे साथियों की भी बहुत बड़ी भूमिका है। ये लोकल सप्लाई चेन को, हमारे MSMEs को मजबूत करने का समय है, उस पर निवेश करने का समय है। हमें भारत में ऐसी सप्लाई चेन विकसित करनी है कि हम दूसरे देशों पर कम से कम निर्भर हों। हमें उस पुरानी मानसिकता से भी बाहर आना है कि फलां जगह कोई चीज कम कीमत में उपलब्ध है तो वहीं से इंपोर्ट कर दो। इसका बहुत बड़ा नुकसान हमने झेला है। आप सभी उद्यमियों को भारत में ही Capacity Building पर भी उतना ही जोर देना चाहिए। जितना फोकस हमें एक्सपोर्ट को बढ़ाने पर करना है, उतना ही अधिक बल इंपोर्ट को घटाने पर भी देना है। हम 15 लाख करोड़ रुपए का पेट्रोलियम प्रोडक्ट हर साल इंपोर्ट करते हैं। कोयला प्रधान देश होते हुए भी हम 4 लाख करोड़ का कोयला हर साल इंपोर्ट करते हैं। पिछले 10 वर्षों में देश में दलहन और तिलहन इसके इंपोर्ट को कम करने के लिए अनेक प्रयास हुए हैं। लेकिन आज भी देश को 15 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की दालें बाहर से इंपोर्ट करनी पड़ती हैं। अगर भारत दाल के मामले में आत्मनिर्भर होगा, तो ये पैसा देश के ही किसानों के पास जाएगा।
साथियों,
आज हम न्युट्रिशन के नाम पर और मैं तो देखता हूं, किसी भी मिडिल क्लास फैमिली के यहां भोजन के लिए चले जाइये, उसके डाइनिंग टेबल पर भांति-भांति चीजों के पैकेट पड़े होते हैं, विदेशों से आए हुए और वो पैकेज्ड फूड का इतना फैशन बढ़ते हुए मैं देख रहा हूं। जबकि हमारे देश और उस पर लिख दिया कि प्रोटीन रिच है खाना शुरू। आयरन रिच है, खाना कोई इन्क्वायरी नहीं करता बस लिखा है हो गया और मेड इन फलांना देश है बस मारो ठप्पा। अरे हमारे देश में मिलेट्स से लेकर दूसरे तमाम फूड हैं, जो कहीं अधिक न्यूट्रिशियस हैं। हमारे किसानों की मेहनत पानी में नहीं जानी चाहिए। यहीं उत्तराखंड में ही ऐसे आयुष से जुड़े, ऑर्गेनिक फल-सब्जियों से जुड़े उत्पादों के लिए अनेक संभावनाएं हैं। ये किसानों और उद्यमियों, दोनों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल सकती हैं। पैकेज्ड फूड के मार्केट में भी हमारी छोटी कंपनियों को, हमारे प्रोडक्ट्स को ग्लोबल मार्केट तक पहुंचाने में मैं समझता हूं कि आप सभी को अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
साथियों,
भारत के लिए, भारत की कंपनियों के लिए, भारतीय निवेशकों के लिए मैं समझता हूं ये अभूतपूर्व समय है। अगले कुछ वर्षों में भारत, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनॉमी बनने जा रहा है। और मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि मेरी तीसरी टर्म में देश दुनिया में पहले तीन में होकर रहेगा। स्थिर सरकार, सपोर्टिव पॉलिसी सिस्टम, रिफॉर्म से ट्रांसफॉर्म की मानसिकता और विकसित होने का आत्मविश्वास, ऐसा संयोग पहली बार बना है। इसलिए, मैं कहता हूं कि यही समय है, सही समय है। ये भारत का समय है। मैं आपका आह्वान करूंगा, उत्तराखंड के साथ चलकर, अपना भी विकास करिए और उत्तराखंड के विकास में भी सहभागी जरूर बनिए। और मैं हमेशा कहता हूं, हमारे यहां सालों से एक कल्पना बनी हुई है। बोला जाता है कि पहाड़ की जवानी और पहाड़ का पानी पहाड़ के काम नहीं आता है। जवानी रोजी रोटी के लिए कहीं चली जाती हैं, पानी बहकर के कहीं पहुंच जाता है। लेकिन मोदी ने ठान ली है, अब पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम भी आएगी और पहाड़ का पानी भी पहाड़ के काम आएगा। इतनी सारी संभावनाएं देखकर के मैं ये संकल्प ले सकता हूं कि हमारा देश हर कोने में सामर्थ्य के साथ खड़ा हो सकता है, नई ऊर्जा के साथ खड़ा हो सकता है। और इसलिए मैं चाहूंगा कि आप सभी साथी इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाएं, नीतियों का फायदा उठाइये। सरकार नीतियां बनाती है, ट्रांसपेरेंट होती है हरेक के लिए खुली होती है। जिसमें दम हो, आ जाए मैदान में, फायदा उठा ले। और मैं आपको गारंटी देता हूं जो बातें हम बताते हैं, उसके लिए हम डटकर के खड़े भी रहते हैं, उसे पूरा भी करते हैं। आप सभी इस महत्वपूर्ण अवसर पर आए हैं, उत्तराखंड का मुझ पर विशेष अधिकार है और जैसे कईयों ने बताया कि मेरे जीवन के एक पहलू को बनाने में इस धरती बहुत बड़ा योगदान है। अगर उसे कुछ लौटाने का अवसर मिलता है, तो उसका आनंद भी कुछ और होता है। और इसलिए मैं आपको निमंत्रित करता हूं, आइये इस पवित्र धरती की चरण माथे पर लेकर के चल पड़िये। आपकी विकास यात्रा में कभी कोई रुकावट नहीं आएगी, ये इस भूमि का आशीर्वाद है। बहुत-बहुत धन्यवाद, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

प्रधानमंत्री मोदी ने संवैधानिक चेतना की अलख जगाई: पूर्व राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द

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प्रधानमंत्री मोदी संविधान को लोगों तक ले गए और व्यक्तिगत संप्रभुता पर जोर दिया: श्रीमती मीनाक्षी लेखी

श्री रामबहादुर राय ने बेजोड़ विचारशीलता के लिए प्रधानमंत्री की अभूतपूर्व संविधान दिवस पहल की सराहना की

 New Delhi – पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने ‘नए भारत का सामवेद’ के विमोचन की शोभा बढ़ाई, जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के प्रभावशाली भाषणों पर प्रकाश डालने वाला एक मौलिक संग्रह है, जो हमारे देश के संविधान में निहित मूल सार और मूल्यों की गहन खोज करता है। कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ जिसकी अध्यक्षता आईजीएनसीए के अध्यक्ष श्री रामबहादुर राय ने की। कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट व्‍यक्तियों में आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी शामिल थे। पुस्तक विमोचन के दौरान प्रभात प्रकाशन से प्रभात कुमार भी मौजूद थे। यह प्रतिष्ठित कार्यक्रम इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्‍द्र के भीतर स्थित ‘समवेत’ सभागार में हुआ। इस महत्वपूर्ण विमोचन ने देश के लोकाचार के सार को समाहित करते हुए भारत की संवैधानिक विरासत और समकालीन प्रतिध्वनि के मेल का जश्न मनाया।

एक सम्मानित संबोधन के दौरान, पूर्व राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द ने आत्मनिर्भरता की भावना को प्रतिध्वनित करते हुए ‘स्वायत पोषित पद्धति’ (स्‍वतंत्र प्रयास प्रक्रिया) की अवधारणा की बात की। इस अवसर से प्रसन्न होकर उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस अवसर पर उपस्थित होना उनके लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने ‘नए भारत का सामवेद’ पुस्तक के विमोचन के लिए आभार व्यक्त किया और इसे हमारे संविधान के सार की निर्बाध निरंतरता के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने इसकी परिवर्तनकारी क्षमता, आम नागरिक और हमारे मूलभूत दस्तावेज़ के बीच एक सेतु की कल्पना, सभी के लिए इसकी समझ को सरल बनाने पर प्रकाश डाला। श्री कोविंद ने आधुनिक भारत के लिए ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ (एक भारत शानदार भारत) के संदर्भ में इसकी बढ़ती प्रासंगिकता पर जोर देते हुए संविधान के साथ लोगों के जुड़ाव में समसामयिक तेजी देखी।

अपने संबोधन के दौरान श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने ‘नए भारत का सामवेद’ शीर्षक में ‘सामवेद’ के प्रतीकात्मक महत्व पर प्रकाश डाला और नए भारत को आकार देने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के मार्गदर्शन और नेतृत्व को चित्रित किया। हमारे राष्ट्रीय लोकाचार के भंडार के रूप में संविधान पर जोर देते हुए, उन्होंने बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर को इसकी आत्मा और भावना के रूप में श्रद्धापूर्वक नमन किया। मर्माहत होते हुए, उन्होंने विशेषकर महिलाओं को वश में करने में, संविधान के सार के ऐतिहासिक दमन पर अफसोस जताया, जबकि अंबेडकर के समानता और गैर-भेदभाव के अभूतपूर्व सिद्धांतों की सराहना की।

पुस्तक को संविधान के समकालीन आलोचकों को मुंहतोड़ जवाब देने वाला बताते हुए उन्होंने बाबासाहब भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि के रूप में प्रधानमंत्री श्री  मोदी की ‘पंचतीरथ’ की रचना की सराहना की। श्रीमती लेखी ने संविधान के भीतर प्रत्येक व्यक्ति की संप्रभुता को स्वीकार करने पर जोर देते हुए भारत के लोकाचार और सिद्धांतों को उजागर करने का श्रेय प्रधानमंत्री को दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा ‘अमृत महोत्सव’ की शुरुआत की सराहना की, जो पहली बार इस सिद्धांत के उत्सव का प्रतीक है, उन्होंने प्रधानमंत्री को संविधान के सार का प्रेरणा स्रोत बताया। ‘अमृत काल’ के दौरान पैदा हुई कर्तव्य की भावना पर जोर देते हुए, उन्होंने राष्ट्र के पंथ की आधारशिला के रूप में संविधान की पवित्रता पर जोर दिया और इसके मूल्यों का समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी की सराहना की।

श्री रामबहादुर राय ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह पुस्तक जनचेतना का परिणाम है। उन्होंने श्री नरेन्‍द्र मोदी के नए विचारों से ऊर्जावान होकर सार्वजनिक चेतना में इसकी उत्पत्ति पर प्रकाश डाला। उन्होंने संविधान दिवस मनाने की प्रधानमंत्री की अनूठी पहल की सराहना की और इस बात पर जोर दिया कि ऐसा विचार उनसे पहले कभी किसी के मन में नहीं आया था, जो प्रधानमंत्री के कार्यों में निहित विचारशीलता को दर्शाता है। श्री राय ने इस स्मरणोत्सव के माध्यम से जनता और संविधान के बीच बने सहजीवी संबंध की सराहना की। फली एस. नरीमन के ‘यू मस्ट नो योर कॉन्स्टिट्यूशन’ का जिक्र करते हुए उन्होंने संविधान की कथित अपूर्णता को पूरा करने में प्रधानमंत्री की भूमिका का उल्लेख किया। यह उल्लेखनीय होगा कि श्री रामबहादुर राय ने इस असाधारण प्रकाशन की प्रस्तावना में स्‍पष्‍ट और गहरा अनुभव प्रदान किया है।

डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने अपने स्वागत भाषण में गणमान्य व्यक्तियों का अभिवादन किया और आज के युवाओं को संविधान को समझने की दिशा में मार्गदर्शन करने में पुस्तक के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने संविधान दिवस मनाने के लिए प्रधानमंत्री की प्रेरणादायक प्रतिबद्धता की प्रशंसा की, और इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे यह पुस्तक प्रधानमंत्री के भाषणों में स्पष्ट भारत की सांस्कृतिक और जन-केंद्रित ताकत को प्रतिबिंबित करती है। डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर संविधान के बारे में गलत सूचना के प्रचलित प्रसार को नकारते हुए, डॉ. जोशी ने ऐसी नकारात्मकता का मुकाबला करने में पुस्तक की प्रासंगिकता पर जोर दिया। उन्होंने संविधान दिवस मनाने में प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय चेतना की जागृति पर जोर दिया, जो भारत के संवैधानिक ढांचे के भीतर प्रतिध्वनित होता है। पुस्तक के अंश उद्धृत करते हुए, डॉ. जोशी ने दोहराया कि संविधान में गरीबों को न्याय, सभी वर्गों के लिए समान अवसर और सामाजिक या सरकारी बाध्‍यताओं में रुकावट डाले बिना प्रत्येक व्यक्ति के विकास और सपनों के लिए एक सक्षम वातावरण की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

गऊ माता का मनाया गया जन्म दिन मुहल्ले के लोगों ने काटा केक

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मध्य प्रदेश के शाजापुर में एक गाय का जन्मदिन बेहद धूमधाम से मनाया गया. गाय के जन्मदिन पर मुहल्ले के लोगों ने केक काटा और जन्मदिन की खुशियां बांटी गई. इस कार्यक्रम में पूरे मोहल्ले के लोग शामिल हुए. दरअसल गाय का जन्मदिन मनाने वाले शिवहरे नाम के शख्स ने एक साल पहले इस गाय को सड़क पर आवारा घूमते देखकर उसे पाल लिया था. गाय को पालते हुए एक साल पूरा होने पर शिवहरे ने उसका जन्मदिन मनाया.
रिपोर्ट के मुताबिक शाजापुर के आदित्य नगर की गली नंबर पांच में एक गाय आवारा घूमा करती थी, गली के निवासियों ने गौ प्रेम की अनूठी मिसाल पेश करते हुए इसे पालना शुरू किया और इसका नाम पूर्णी रखा. शहरवासियों ने बताया इसका जन्म पूर्णिमा के दिन हुआ था, इसलिए सभी इसे प्यार से पूर्णी कहते हैं.
पूर्णी का मनाया गया जन्मदिन
पूर्णी भी सबकी चहेती बन गई. गुरुवार रात को पूर्णी का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया. जन्मदिन पर पूर्णी को नहला कर अच्छे से तैयार किया गया और कॉलोनी के सभी लोगों ने इकट्ठा केक काटकर धूमधाम से जन्मदिन मनाया. यह उत्सव शहरवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया. आदित्य नगर में पूर्णी एक सदस्य के रूप में रह रही है. पूर्णी बच्चों जैसे ही नखरे करती है और इशारों में अपनी इच्छाओं को समझाती है.

नंदी बाबा का विवाह सम्पन – दूल्हा बना बैल, गऊ माता बनी दुल्हन, डीजे की धुन पर नाचते हुए पहुंचे हजारों बराती गऊ भक्त सनातनी

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Unique Wedding: आप ने महिला और पुरुष की शादी तो खूब देखी होगी। लेकिन इस लेख में आप को गाय और बैल की शादी के बारे में बताने जा रहा हूं, जिसे आज तक न तो देखा होगा और न ही सुना होगा। दरसल मध्य प्रदेश के खरगोल जिला मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर महेश्वर में गाय और बैल की अनोखी शादी देखने को मिली। गाय और बैल की शादी का यह अनोखा आयोजन महाराष्ट्र के जवगांव जिले के 50 से अधिक गांव के हजारों की संख्या में भरवाड़ समाज के लोगों ने किया।
समारोह में बैल को बाकायदा दूल्हे के भेष में सजाया गया। हजारों की संख्या में बाराती डीजे बैंड की धुन पर नाचते गाते हुए दुल्हन बनी गाय के विवाह करने के लिए पहुंचे।
ग्रामीणों ने इस विवाह का नाम ‘शिव विवाह’ रखा है। शिव विवाह में दुल्हन गौ माता नंदिनी और दूल्हा बने नंदी नंदकिशोर अपनी दुल्हन लेने पहुंचे। महेश्वर (MP) की दुल्हन बनी गाय नंदिनी की उम्र और महाराष्ट्र के दैवद गांव के दूल्हे नंदी की उम्र 12 महीने है। बाकायदा मंडप में नंदी-नंदिनी की शादी की गई। इसके बाद नंदिनी को नंदी के साथ विदा कर दिया गया।
 बैल और गाय की शादी क्यों करायी गई?
महाराष्ट्र के रहने वाले राणा भगत ने बताया, मुझे काफी समय पहले एक विचार आया था, कि एक बैल और गाय का विवाह कराया जाए. साथ ही बताया कि जब मैं गुजरात से महाराष्ट्र आया तो मैंने सोचा गावं में एक अनुष्ठान करूंगा. और साथ में यह भी निर्णय लिया कि गाय और बैल का विवाह होगा. पुराने समय में ऋषि महात्मा गाव और बैल का विवाह कराते थे. जिससे शिव विवाह भी कहा जाता है. जिसमें बैल को दुल्हे की तरह तैयार कर गाय को दुल्हन की तरफ तैयार कर उनकी विवाह कराया जाता है. इस अनोखी शादी में कई गावं के लोग भी शामिल थे. महिलाओं की भी एक बड़ी भीड़ इस शादी में शामिल हुई थी. इस शिव विवाह में दुल्हन गौ माता नंदिनी और दूल्हा नंदी नंदकिशोर विवाह में बंधन में बंधे. जिसके बाद पुरे विधि-विधान के साथ बैल और गाय का विवाह कराया गया..

एलपीजी सिलेंडर का सुरक्षा मानक

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एलपीजी सिलेंडरों का निर्माण भारतीय मानकों (आईएस) 3196 (भाग-I) 2006 के अनुसार किया जाता है। नए सिलेंडरों के प्रत्येक बैच को भेजने से पहले आईएस 3196 भाग-I के खंड 3.7 में दी गई नमूना योजना के अनुसार भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा परीक्षण किया जाता है। बीआईएस प्रमाणपत्र के आधार पर, गैस सिलेंडर नियम (जीसीआर), 2016 के अनुसार एलपीजी भरने के लिए सिलेंडर के उपयोग को मुख्य विस्फोटक नियंत्रक (सीसीओई), नागपुर या उनके अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा मंजूरी प्रदान की जाती है।
गैस सिलेंडर नियम 2016 के अंतर्गत, प्रत्येक सिलेंडर को आगे की सेवा के लिए उसके फिटनेस की जांच के लिए फिर से परीक्षण करने की आवश्यकता होती है। सिलेंडर के निर्माण की तारीख से पुन: परीक्षण की आवधि 10 वर्ष है और बाद में हर पांच वर्ष बाद किया जाता है। इसलिए पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार एलपीजी सिलेंडरों की सुरक्षा के लिए आवधिक रूप से जांच की जाती है। सिलेंडरों का वैधानिक परीक्षण आईएस 16054 के अनुसार किया जाता है।
वैधानिक परीक्षण के लिए आए सिलेंडरों को एलपीजी फिलिंग प्लांट में अलग किया जाता है और उपयोग में लाने से पहले इसका परीक्षण किया जाता है। घरेलू एलपीजी सिलेंडरों की दुर्घटनाएं विभिन्न कारणों से होती हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ सिलिंडरों से गैस की चोरी, घरेलू से गैर-घरेलू सिलेंडर में एलपीजी का स्थानांतरण, गैर-अनुमोदित/अमानक उपकरणों का उपयोग, उपभोक्ता के परिसर में अनुचित हैंडलिंग, समय-समय पर नली पाइप को नहीं बदलना, जिससे इसमें टूट-फूट हो जाते हैं, ओ-रिंग्स की विफलता, एलपीजी नली से रिसाव, स्टोव से रिसाव, अन्य कारकों से आग लगने के कारण उत्पन्न अत्यधिक गर्मी के कारण एलपीजी सिलेंडर का फटना आदि।
तेल विपणन कंपनियां (ओएमसीज) तेल उद्योगों के लिए सार्वजनिक देयता नीति के अंतर्गत व्यापक बीमा पॉलिसी लेती हैं, जिसमें ओएमसीज के साथ पंजीकृत सभी एलपीजी उपभोक्तों को कवर प्राप्त होता हैं। ओएमसीज द्वारा ली गई सार्वजनिक देयता बीमा पॉलिसी में उन दुर्घटनाओं से होने वाले नुकसान को शामिल किया जाता है जहां एलपीजी आग लगने का प्राथमिक कारण होता है।
वर्तमान में, पॉलिसी निम्नलिखित प्रदान करती है:
  1. मृत्यु के मामले में प्रति व्यक्ति को 6,00,000/- रुपये का व्यक्तिगत दुर्घटना कवर।
  2. प्रति व्यक्ति अधिकतम 2,00,000/- रुपये के साथ प्रति घटना के लिए 30 लाख रुपये के चिकित्सा व्यय को कवर किया जाता है।
  3. संपत्ति की क्षति के मामले में, यह अधिकृत ग्राहक के पंजीकृत परिसर में प्रति घटना अधिकतम 2,00,000/- रुपये का कवर प्रदान करता है।
उपभोक्ता के परिसर से जुड़ी किसी भी दुर्घटना के मामले में, ग्राहक को संबंधित ओएमसी वितरक को सूचित करना होगा। वितरक से सूचना प्राप्त होने के बादद ओएमसी का कार्यालय बीमा कंपनी को सूचित करता है। संबंधित बीमा कंपनी बीमा पॉलिसियों के प्रावधानों के अनुसार दावे के निपटान के संबंध में आगे निर्णय लेती है।
एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप को एकीकृत चयन दिशा-निर्देश, 2016 के अनुसार नियुक्ति किया जाता है और यह ओएमसी और वितरक के बीच हस्ताक्षरित डिस्ट्रीब्यूटरशिप समझौते द्वारा शासित होता है। एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप का संचालन विपणन अनुशासनिक दिशा-निर्देशों के अंतर्गत निर्धारित विनियमों के अनुसार किया जाता है और अनियमितताओं की प्रकृति के आधार पर दंड लगाया जाता है।
यह जानकारी पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

जेंडर आधारित हिंसा रोकने के लिए ‘अब कोई बहाना नहीं’ की शपथ दिलाई

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एमएसडीई ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए अपने अधिकारियों के लिए दो दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किया

‘New Delhi – जेंडर आधारित हिंसा के खिलाफ सक्रियता के 16 दिन’ के वार्षिक अभियान के अनुसार कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय का कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 के अंतर्गत अपने अधिकारियों के लिए कौशल भवन, नई दिल्ली में दो दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम का समापन हुआ।

उद्घाटन सत्र कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी के साथ-साथ मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों और संयुक्त राष्ट्र महिला के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में आयोजित किया गया था।

श्री तिवारी ने इस अवसर पर कहा कि इस तरह के क्षमता निर्माण कार्यक्रम प्रत्येक अधिकारी के लिए कार्यस्थल पर उचित आचरण करने के लिए जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि सभी कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण कार्यस्थल संस्कृति का हिस्सा बने। उन्होंने इस संबंध में गठित समिति के सदस्यों को नियमित रूप से समीक्षा बैठक करने तथा अधिनियम के सीखने के सार को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाने का भी निर्देश दिया।

संयुक्त राष्ट्र महिला भारत कार्यालय की उप कंट्री प्रतिनिधि सुश्री कांता सिंह ने मंत्रालय में महिलाओं के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने के लिए कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के प्रयासों और कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न रोकने की उसकी समर्पित प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने पूरे कर्मचारियों के लिए व्यापक क्षमता निर्माण प्रशिक्षण आयोजित करने वाले पहले मंत्रालयों में से एक होने के लिए कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय की सराहना की। सुश्री सिंह ने महिलाओं पर यौन उत्पीड़न के गहरे प्रभाव को रेखांकित किया, मानसिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभावों तथा भविष्य के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को रोकने की क्षमता पर बल दिया।

मंत्रालय के अधिकारियों ने जेंडर आधारित हिंसा रोकने के लिए चार शक्तिशाली शब्द ‘अब कोई बहाना नहीं’ का भी संकल्प लिया।

दो दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण न केवल यौन उत्पीड़न की स्पष्ट परिभाषा प्रदान करने के लिए आयोजित किया गया, बल्कि शिकायत प्रक्रिया कैसे काम करती है, इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए भी आयोजित किया गया था। यह पहल महिलाओं के लिए एक सुरक्षित कार्यस्थल बनाने के लिए सक्रिय उपाय करने के कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के प्रयास का एक हिस्सा है और देश के समावेशी विकास के लिए आर्थिक एजेंटों तथा समान भागीदारों के रूप में महिलाओं को सशक्त बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को दिखाता है।

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राष्ट्रपति ने लक्ष्मीपत सिंघानिया-आईआईएम लखनऊ राष्ट्रीय लीडरशीप पुरस्कार प्रदान किए

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New Delhi – राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (7 दिसम्बर, 2023) नई दिल्ली में लक्ष्मीपत सिंघानिया-आईआईएम लखनऊ राष्ट्रीय लीडरशीप पुरस्कार प्रदान किए।
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की आपाधापी ने मानवता को नुकसान पहुंचाया है। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय गड़बड़ी उसी का परिणाम है। आज पूरा विश्व इस चुनौती से जूझ रहा है। लाभ अधिक से अधिक बढ़ाने की अवधारणा पश्चिमी संस्कृति का एक हिस्सा हो सकती है लेकिन भारतीय संस्कृति में इसे प्राथमिकता नहीं दी गई है। लेकिन भारतीय संस्कृति में उद्यमिता का स्‍थान प्रमुख है।
राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्‍यक्‍त की कि हमारे युवा स्वरोजगार की संस्कृति को अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्‍टम है। भारत विश्‍व के सर्वश्रेष्ठ यूनिकॉर्न हब में शामिल है। यह हमारे देश के युवाओं के तकनीकी ज्ञान के अतिरिक्‍त उनके प्रबंधन कौशल और व्यावसायिक नेतृत्व का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भारतीय युवा विश्‍व की अग्रणी तकनीकी कंपनियों का नेतृत्व भी कर रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें प्रबंधन शिक्षण संस्थानों की शिक्षा प्रणाली में कुछ परिवर्तन लाने होंगे ताकि देश का अधिक प्रभावी और समावेशी विकास हो सके। उन्होंने प्रबंधकों, शिक्षाविदों और संगठनात्मक प्रमुखों से भारतीय प्रबंधन अध्ययन को भारतीय कंपनियों, उपभोक्ताओं और समाज से जोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विदेश स्थित व्यवसायों पर केस स्टडी और लेखों के बजाय भारत स्थित भारतीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर केस स्टडी लिखी और सिखाई जानी चाहिए। हमारे प्रबंधन संस्थानों को अपने शोध का फोकस भी भारत की पत्रिकाओं पर करना चाहिए। उन भारतीय पत्रिकाओं पर विशेष फोकस किया जाना चाहिए जो ओपन एक्सेस डोमेन में हैं और जो देश के विभिन्न हिस्सों में पढ़ने वाले सभी श्रेणी के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए सुलभ हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हाल में उत्तराखंड में सिल्कयारा सुरंग से जिस तरह 41 श्रमिकों को निकाला गया है, उसकी न केवल सराहना हो रही है, बल्कि इस पर नेतृत्व अध्ययन की भी बात की जा रही है। यह एक बहुत अच्छा और जीवंत विषय है, विशेषकर संकट में नेतृत्व और टीमवर्क के लिए।
राष्ट्रपति ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में कहा कि अनेक लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी खोने के बारे में भी चिंतित हैं। उन्होंने आग्रह किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सभी पक्षों को प्रबंधन शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जानता है और इसका सही इस्तेमाल करता है उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी खोने का भय नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आईआईएम लखनऊ जैसे संस्थानों को भी अमृत काल में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम बनाना चाहिए।

मध्यप्रदेश की सोलहवीं विधानसभा के पांच टाइगर

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कौशल किशोर चतुर्वेदी –
मध्यप्रदेश की सोलहवीं विधानसभा में वह भारी भरकम चेहरे शामिल हैं, जिनकी उपस्थिति माहौल को गरिमामय बनाएगी तो मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बीच संतुलन भी बनाकर रखेगी। भाव कुछ ऐसा ही रहेगा कि हम मुख्यमंत्री नहीं तो मुख्यमंत्री से कम भी नहीं। इनमें पहला नाम तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का है ही, जो चार बार मुख्यमंत्री रहकर कम से कम भाजपा में तो सीएम बतौर द बिगेस्ट अचीवर साबित हो चुके हैं। और शिवराज ने टाइगर अभी जिंदा है कहकर टाइगर की पदवी भी हासिल कर ली है। और जब वह मार्च 2020 में चौथी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तब भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया भी टाइगर की तरह ही स्थापित हुए थे। सोलहवीं विधानसभा में शिवराज सहित ऐसे पांच दिग्गज नेता हैं जो किसी भी भूमिका में रहें, पर टाइगर नहीं तो टाइगर से कम भी नहीं नजर आने वाले हैं। शिवराज सिंह चौहान (5 मार्च 1959) पहले पायदान पर हैं।
नरेंद्र सिंह तोमर (जन्म 12 जून 1957) 17वीं लोकसभा के सदस्य थे। पर अब दिमनी से विधायक हैं। वह पहले और दूसरे मोदी काल में भारत सरकार में कृषि मंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री, पंचायती राज मंत्री, खान मंत्री और संसदीय मामलों के मंत्री रहे हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं। वह 2009 से 2014 तक मुरैना से पंद्रहवीं लोकसभा और 2014 से 2019 तक ग्वालियर से सोलहवीं लोकसभा के सदस्य भी रहे।2019 में, उन्होंने अपना निर्वाचन क्षेत्र बदल दिया और मुरैना से लोकसभा के लिए फिर से चुने गए। 2023 के मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव में, तोमर ने दिमनी से चुनाव लड़ते हुए बहुजन समाज पार्टी के बलवीर सिंह दंडोतिया को करीब 24,000 मतों के अंतर से हराया। उन्हें मुन्ना भैया उपनाम से भी जाना जाता है। राजनीति की शुरुआत में वे युवा मोर्चा में विभिन्न पदों पर रहते हुए 1996 में युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष बनाए गए। तोमर पहली बार 1998 में ग्वालियर से विधायक निर्वाचित हुए और इसी क्षेत्र से वर्ष 2003 में दूसरी बार चुनाव जीता। इस दौरान वे सुश्री उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री भी रहे। तोमर वर्ष 2008 में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए और उसके बाद वे 15 जनवरी 2009 में निर्विरोध राज्यसभा सदस्य चुने गए। बाद में वे पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री पद पर रहे। तोमर एक बार फिर 16 दिसम्बर 2012 को पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष बनाए गए। बीजेपी पार्टी के लिए संकट मोचन कहे जाने वाले केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एक बार फिर पार्टी के भरोसे पर खरे उतरे हैं। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें मध्य प्रदेश चुनाव समिति का संयोजक बनाया और उसके बाद प्रदेश के चुनाव की कमान उन्हें सौंपी।
प्रह्लाद सिंह पटेल (जन्म 28 जून 1960) 7 जुलाई 2021 से भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और जल शक्ति राज्य मंत्री रहे। वह मध्य प्रदेश के दमोह लोकसभा क्षेत्र से सांसद थे। वह तीसरे वाजपेयी मंत्रिमंडल में कोयला राज्य मंत्री थे। वह पहली बार 1989 में 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए और फिर 1996 में 11वीं लोकसभा (दूसरा कार्यकाल), 1999 में बालाघाट से 13वीं लोकसभा (तीसरा कार्यकाल) , 2014 में 16वीं लोकसभा (चौथा कार्यकाल) और 17वीं लोकसभा के लिए 2019 में दमोह से (पांचवां कार्यकाल) फिर से चुने गए।  मई 2019 में,पटेल संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने थे। उन्होंने दो बार पवित्र नदी नर्मदा की परिक्रमा पूरी की, पहली बार 1994-96 में और दूसरी 2004-05 के दौरान। अब वह पहली बार नरसिंहपुर से विधायक चुने गए हैं।
कैलाश विजयवर्गीय (जन्म 13 मई 1956) भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन इंदौर भारतीय जनता पार्टी से शुरू किया और इंदौर के मेयर रहे, छह बार विधायक रहे, जो कभी विधानसभा चुनाव नहीं हारे, और पद पर पदोन्नत होने से पहले 12 साल से अधिक समय तक राज्य सरकार के अलग-अलग विभागों के कैबिनेट मंत्री रहे। वह 2014 में भाजपा के हरियाणा राज्य विधानसभा चुनाव अभियान के प्रभारी थे, जब पार्टी ने हरियाणा राज्य विधानसभा चुनाव में अपनी पहली जीत दर्ज की, जिसमें भाजपा की सीटें 4 से 47 हो गईं। उन्हें 2015 में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के लिए पार्टी नेता नामित किया गया था । उन्हें वर्ष 2021 के लिए भारत के शीर्ष 100 प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में शामिल किया गया था। उन्हें पश्चिम बंगाल में भाजपा के लिए गेम चेंजर माना जाता है। अब एक बार फिर वह इंदौर क्रमांक-1 से विधायक चुने गए हैं।
और गोपाल भार्गव (जन्म 1 जुलाई 1952) मध्य प्रदेश सरकार में सबसे वरिष्ठ विधायक हैं। उन्होंने अपने छठे कार्यकाल के लिए 2 जुलाई 2020 को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी। यह सरकार में किसी भी मंत्री द्वारा पूरा किए जाने वाले कार्यकाल की सबसे अधिक संख्या है। वह 15वीं मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे हैं। वह एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्होंने मध्य प्रदेश सरकार में लगातार 15 वर्षों तक कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया है। वह 1985 से रहली विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हुए लगातार नौ बार विधानसभा के सदस्य रहे हैं। वह मध्य प्रदेश के इतिहास में एक ही निर्वाचन क्षेत्र से लगातार 9 चुनाव जीतने वाले एकमात्र विधायक हैं। अपने चार दशकों के राजनीतिक करियर में अपराजित भार्गव ने 2023 में 72000 से अधिक वोटों के भारी अंतर से लगातार 9वीं बार जीत हासिल की है।
तो यह सभी चेहरे मध्यप्रदेश विधानसभा में पहली पंक्ति में नजर आने वाले हैं। और यह तय है कि कोई किसी से कम नहीं है। एक से बढ़कर एक की कहावत इन पर चरितार्थ होती है। इनके अनुभवों का अनंत संसार है। इनमें से शिवराज के अलावा अभी तक किसी ने मुख्यमंत्री पद को सुशोभित नहीं किया है। प्रहलाद पटेल पहली बार विधायक बने हैं, पर उनके अलावा सभी ने शिवराज के मंत्रिमंडल में काम किया है।  (विभूति फीचर्स)