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हिंदी भाषा और मोबाइल तकनीक : गाँव से वैश्विक मंच तक

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डॉ. शैलेश शुक्ला

भारत में मोबाइल तकनीक के विस्तार ने हिंदी भाषा को एक नया संचार माध्यम प्रदान किया है। वर्ष 2023 तक भारत में 114.4 करोड़ मोबाइल ग्राहक हैं, जिनमें से 83 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि मोबाइल फोन भारत के हर गाँव और कस्बे तक पहुँच चुका है। 

हिंदी, जो भारत की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है (Census  2011 के अनुसार लगभग 44% भारतीयों की मातृभाषा हिंदी है), मोबाइल तकनीक के माध्यम से अब केवल बोलचाल तक सीमित नहीं रही, बल्कि सूचना, शिक्षा, मनोरंजन और व्यापार की भाषा भी बन गई है। गूगल और KPMG की 2017 की एक संयुक्त रिपोर्ट बताती है कि भारत में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या हिंदी भाषियों में अंग्रेजी उपयोगकर्ताओं की तुलना में चार गुना तेजी से बढ़ रही है।

यह तकनीकी पहुँच अब केवल उच्च शिक्षित या शहरी वर्ग तक सीमित नहीं रही।  हिंदी में मोबाइल सामग्री की उपलब्धता ने डिजिटल भारत में ग्रामीण जनसंख्या को मुख्यधारा से जोड़ा है, जिससे वे सरकारी सेवाओं, बैंकिंग, रोजगार, कृषि तकनीक और स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी सीधे हिंदी में प्राप्त कर पा रहे हैं।

मोबाइल ऐप्स की लोकप्रियता ने हिंदी भाषा को गाँवों में भी डिजिटल आत्मनिर्भरता का उपकरण बना दिया है।  ShareChat, Josh, Moj,  Dailyhunt जैसे ऐप्स विशेष रूप से हिंदी भाषी उपयोगकर्ताओं के लिए विकसित किए गए हैं। ShareChat की 2022 की आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार, इसके 180 मिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं में 70% से अधिक हिंदी भाषी हैं।

इन ऐप्स के माध्यम से किसान, कारीगर, छोटे व्यापारी और ग्रामीण महिलाएं हिंदी में सूचनाएं साझा करते हैं, वीडियो बनाते हैं और स्थानीय उत्पादों का प्रचार भी करते हैं। उदाहरण के लिए,  Josh ऐप पर उपलब्ध कुल वीडियो कंटेंट का 65% से अधिक भाग हिंदी में है। यह बदलाव न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता बढ़ाता है, बल्कि हिंदी को वैश्विक डिजिटल भाषाओं की कतार में भी खड़ा करता है।

साथ ही YouTube जैसे वैश्विक प्लेटफॉर्म पर भी हिंदी कंटेंट की खपत अभूतपूर्व रूप से बढ़ी है।  Statista की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 65% से अधिक उपयोगकर्ता YouTube पर हिंदी में वीडियो देखते हैं।

मोबाइल तकनीक और हिंदी भाषा ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। DIKSHA, e-Pathshala,  Byju’s और Vedantu जैसे ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म्स अब हिंदी में भी उच्च गुणवत्ता की शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं। भारत सरकार के DIKSHA प्लेटफॉर्म पर हिंदी माध्यम में 250,000 से अधिक ई-कंटेंट उपलब्ध हैं और अब तक इसे 3 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया गया है। इसका सबसे अधिक लाभ उन ग्रामीण विद्यार्थियों को मिल रहा है, जिनके लिए पारंपरिक शिक्षा साधनों तक पहुँच कठिन थी। मोबाइल ऐप्स और ऑनलाइन शिक्षण ने हिंदी को सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि सीखने का माध्यम बना दिया है।

‘Byju’s’ जैसे प्राइवेट ऐप्स ने भी अब ग्रामीण बच्चों के लिए हिंदी वीडियो कंटेंट, क्विज़ और मॉक टेस्ट उपलब्ध कराने शुरू किए हैं।  वर्ष 2022 में Byju’s ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि ग्रामीण क्षेत्र से 60% से अधिक उपयोगकर्ता हिंदी माध्यम का चयन कर रहे हैं। यह बदलती स्थिति हिंदी के लिए एक नए युग की शुरुआत है, जहाँ वह केवल साहित्य की नहीं, तकनीकी और शैक्षणिक नवाचार की भी भाषा बन चुकी है।

मोबाइल तकनीक और हिंदी भाषा का मेल विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं के लिए एक क्रांतिकारी साधन बनकर उभरा है। 2024 में Times of  India की एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण भारत की 80% महिला उद्यमियों ने डिजिटल साक्षरता की कमी के बावजूद सोशल कॉमर्स प्लेटफार्मों का सफलतापूर्वक उपयोग किया है और इसमें मुख्य भूमिका हिंदी भाषा ने निभाई है।

उदाहरण के लिए,  Rajasthan के बाड़मेर ज़िले की कमला देवी, जो केवल कक्षा 8 तक पढ़ी हैं, आज मोबाइल ऐप्स के माध्यम से अपने हस्तनिर्मित उत्पादों को ShareChat और WhatsApp के माध्यम से हिंदी में प्रचारित कर रही हैं और हर महीने ₹10,000 से अधिक की आय कर रही हैं। यह उदाहरण दर्शाता है कि जब मोबाइल तकनीक स्थानीय भाषा में होती है, तो वह न केवल सुलभ होती है, बल्कि महिला सशक्तिकरण का माध्यम भी बन जाती है।

“मोबाइल पत्रकारिता” या “मोबाइल जर्नलिज़्म (MOJO)” ने हिंदी पत्रकारिता को नए आयाम दिए हैं। अब ग्रामीण क्षेत्र के आम लोग भी मोबाइल के माध्यम से वीडियो रिपोर्टिंग कर सकते हैं और स्थानीय मुद्दों को राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बना सकते हैं। ‘ख़बर लहरिया’ इसका जीवंत उदाहरण है।  यह मीडिया संस्था उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं द्वारा संचालित है और मोबाइल तकनीक के माध्यम से स्थानीय घटनाओं को हिंदी में प्रस्तुत करती है। इस संस्था के YouTube चैनल पर 25 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं और इसके वीडियो राष्ट्रीय मीडिया तक पहुंच रहे हैं।

इसके अलावा ‘गाँव कनेक्शन’ जैसे मीडिया प्लेटफार्म भी मोबाइल रिपोर्टिंग और हिंदी कंटेंट के माध्यम से गाँव की आवाज़ को शहर और संसद तक पहुँचा रहे हैं।  यह पत्रकारिता का लोकतंत्रीकरण है, जिसमें मोबाइल तकनीक और हिंदी भाषा की संयुक्त शक्ति दिखाई देती है।

आज हिंदी न केवल भारत की, बल्कि विश्व की एक प्रमुख डिजिटल भाषा बन चुकी है।  संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूके, मॉरीशस, फिजी और खाड़ी देशों में बसे प्रवासी भारतीयों के कारण हिंदी का डिजिटल प्रसार तीव्र गति से हो रहा है। Duolingo ऐप की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, 6.5 मिलियन अंतरराष्ट्रीय उपयोगकर्ता हिंदी सीख रहे हैं, जिनमें अमेरिका, रूस और ब्राज़ील प्रमुख हैं। ‘Hindi News Live’, ‘Hindi Shayari’, ‘Learn Hindi’, ‘Hindi Radio’ जैसे हजारों ऐप्स Google Play Store और Apple Store पर उपलब्ध

डॉ. शैलेश शुक्ला

वरिष्ठ  लेखक, पत्रकार, साहित्यकार एवं

वैश्विक समूह संपादक, सृजन संसार अंतरराष्ट्रीय पत्रिका समूह 

एसआरएएम और एमआरएएम ग्रुप का 30 वर्ष पूर्ण, 500 मिलियन डॉलर से बनेगा कजाकिस्तान में विश्व स्तरीय मेडिकल यूनिवर्सिटी

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नई दिल्ली/लंदन। एसआरएएम और एमआरएएम (SRAM & MRAM) ग्रुप जो फिनटेक, हेल्थकेयर, एआई, खेती, और बायोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में काम करता है। इस कंपनी ने अपनी 30वीं वर्षगांठ का उत्सव लंदन में बड़े धूमधाम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया। इस विशेष अवसर पर एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की घोषणा की गई।

भारत के मोंट वर्ट ग्रुप और कजाकिस्तान की बिग बी कॉर्पोरेशन एक साथ समझौता कर अब कजाकिस्तान में एक विश्वस्तरीय मेडिकल यूनिवर्सिटी और अस्पताल बनाएंगे। इस परियोजना पर करीब 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च होंगे।

यह समझौता अजय भंडारी (बिग बी कॉर्पोरेशन के निदेशक) और महेंद्र जोशी (एसआरएएम और एमआरएएम ग्रुप के निदेशक) की अगुवाई में हुआ। इस समझौते में परियोजना की संरचना, क्रियान्वयन, नेतृत्व, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और रणनीतिक अंतरदृष्टि महत्वपूर्ण थी। इस पूरे प्रोजेक्ट को सफल बनाने में भारत से एसआरएएम और एमआरएएम इंडिया के निदेशक नितिन गुप्ता ने भी अहम भूमिका निभाई।

इस यूनिवर्सिटी के निर्माण की ज़िम्मेदारी पुणे के मोंट वर्ट ग्रुप को दी गई है, जो पिछले 30 वर्षों से रियल एस्टेट में काम कर रहा है।
मोंट वर्ट ग्रुप के चेयरमैन जयंत कनेरिया और मैनेजिंग डायरेक्टर नीरज कनेरिया ने अब तक 6.8 मिलियन स्क्वायर फीट की रिहायशी और व्यावसायिक इमारतें बनाई हैं।

एसआरएएम और एमआरएएम ग्रुप के चेयरमैन डॉ. सैलेश लचू हीरानंदानी ने मोंट वर्ट की तारीफ करते हुए कहा, “वे भरोसेमंद और क्वालिटी के पक्के खिलाड़ी हैं। इस प्रोजेक्ट के लिए वे सबसे सही साथी हैं।”

इस बड़े प्रोजेक्ट समझौते की बड़ी घोषणा लंदन के एक शानदार निजी द्वीप “रेवेन्स ऐट प्राइवेट आइलैंड” में हुई, जहाँ दुनियाभर के बड़े कारोबारी और खास मेहमान मौजूद थे।
इस कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे जैसे जयंत कनेरिया, (चेयरमैन, मोंट वर्ट ग्रुप), नीरज कनेरिया (एमडी, मोंट वर्ट ग्रुप), अजय भंडारी (डायरेक्टर, बिग बी कॉर्पोरेशन), महेंद्र जोशी (डायरेक्टर, एसआरएएम और एमआरएएम), नितिन गुप्ता और डॉ. स्वप्निल कांबले (डायरेक्टर, एसआरएएम और एमआरएएम इंडिया)।

डॉ. हीरानंदानी ने कहा,“तीन दशकों से विभिन्न क्षेत्रों में परिवर्तनकारी कार्यों सुचारू ढंग से करने का उत्सव मना रहे हैं। अब नए मेडिकल यूनिवर्सिटी के साथ हम नए पड़ाव को पार करेंगे। हमारा सपना है कि हम हेल्थकेयर और शिक्षा के ज़रिए दुनिया में बदलाव लाएं।”

एसआरएएम और एमआरएएम (SRAM & MRAM) ग्रुप की शुरुआत 1995 में हुई थी और इसका मुख्यालय लंदन में है। आज यह 60 से ज़्यादा देशों में काम करता है और फिनटेक, एआई, खेती, हेल्थ, बायोटेक, माइनिंग और चिप्स बनने जैसे क्षेत्रों में बड़े-बड़े कार्य करता है साथ ही बड़े पैमाने पर वैश्विक परियोजनाओं को आगे बढ़ने में सहायता करता है।

श्रित भविष्य में जानवरों की सहायता के लिए बनाना चाहती है एनजीओ

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एक छोटे से गाँव की मगर विशेष व्यक्तित्व की धनी लड़की ने असाधारण सपना देखा। वह था फ़िल्मों की चमकती दुनिया में अपनी पहचान बनाने का सपना। यह कहानी है श्रित चाँदे की, जो आज हज़ारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। जो मायानगरी में आना चाहते हैं।
श्रित चाँदे का जन्म मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र बॉर्डर पर स्थित एक सामान्य गांव पांढुरना में हुआ था, जहाँ लड़कियों से अक्सर बड़े सपने देखने की उम्मीद नहीं की जाती। लेकिन श्रित ने अपने सपनों को ज़िंदा रखा। हर कठिनाई और अस्वीकृति को अपने आत्मबल और मेहनत से मात दी। श्रित जब किशोरावस्था में ही थी तभी कुछ कर गुजरने का जुनून लिए घर को छोड़ दिया और पहले नागपुर फिर चंद्रपुर फिर भंडारा और पुनः नागपुर आ गयी। अकेली मासूम जिसे दुनिया की समझ ना थी उसने अपने जीवन यापन के लिए पहले प्रयास किया। उसने सबसे पहले मार्केटिंग बिजनेस में सेल्स गर्ल का काम किया जिसमें उसने सबसे पहले डिटेरजेंट पावडर फिर प्रोटीन पाउडर और आरओ जैसे कई प्रोडक्ट डोर टू डोर बेचे। पार्टी और रिसेप्शन में वेट्रेस का काम किया और इस तरह छोटे बड़े काम करके पैसे जमा किये ताकि मायानगरी की राह आसान हो जाये। नागपुर में ही एक फैशन शो में हिस्सा लिया जहाँ जाने से पहले उन्हें कई लोगों ने मना किया, किसी का सपोर्ट नहीं मिला तभी उनकी एक महिला मित्र ने उन्हें प्रोत्साहित किया और मुम्बई आने की सलाह दी। फैशन शो के कारण श्रित को विज्ञापनों में काम करने का मौका मिला। मुंबई जैसे बड़े शहर में अपने पैर जमाना किसी युद्ध से कम नहीं। लेकिन श्रित ने हार नहीं मानी। वह मुम्बई आने के बाद उसी मित्र के साथ रही और यहाँ अभिनय के लिए ऑडिशन दिए। लेकिन जब उन्हें चार शो ऑफर हुए तब उनकी दोस्त ने दगा किया जिसके कारण उसका रेंट का घर उससे छीन लिया गया। मजबूरी में वह अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग में तीन दिनों रही क्योंकि उनके दैनिक जीवन के खर्चे के पैसे भी चोरी हो गए थे। मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। आर्थिक स्तर को मजबूत बनाने के लिए श्रित ने विज्ञापन फिल्मों और फैशन शो के जरिये अपनी शुरुआत की और धीरे-धीरे इंडस्ट्री में अपनी जगह बनानी शुरू की। लैक्मे, लोढ़ा बिल्डर, फ्लिपकार्ट,साड़ी, ज्वेलरी आदि कई छोटे बड़े ब्रांड्स के विज्ञापन किये। टीवी में धारावाहिक विघ्नहर्ता गणेश में काम किया है। कई मोड़ उनकी जिंदगी में ऐसे आये जब वह लगभग टूट सकती थी मगर श्रित ने हार नहीं मानी। यह दृढ़ विश्वासी मराठी मुलगी जमीन से जुड़ी इंसान है जिसने बेहद कम उम्र में कई अच्छे बुरे अनुभवों को जीया है। इनका परिवार फिल्मी जगत से संबंधित नहीं है इसलिए इनके सपनों को उन लोगों ने नहीं समझा।
वैसे बचपन से ही श्रित चाँदे को अभिनय और नृत्य में रुचि थी। स्कूल के कार्यक्रमों में मंच पर जब वह आतीं, तो उनकी कला को हर कोई मंत्रमुग्ध होकर देखता। उन्होंने खुद को निखारने के लिए स्कूल और लोकल नाटकों में हिस्सा लिया, डांस और अभिनय वर्कशॉप में भाग लिया और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर अपने टैलेंट को दुनिया के सामने रखा। उनका परिवार चाहता था कि वह कोई सरकारी नौकरी करें।
बॉलीवुड में वह बिपाशा बसु से बेहतर प्रभावित हुईं और कहीं ना कहीं यही प्रभाव उन्हें मायानगरी ले आया। बिपाशा बसु की आत्मनिर्भरता, सुष्मिता सेन की गरिमा, प्रियंका चोपड़ा की वैश्विक सोच और लारा दत्ता की बुद्धिमत्ता ने श्रित के दृष्टिकोण को आकार दिया। उन्होंने इन महिलाओं की तरह खुद को न केवल ग्लैमर की दुनिया में, बल्कि एक सशक्त महिला के रूप में भी स्थापित किया। वह सलमान खान, शाहरुख़ ख़ान, आयुष्मान खुराना और नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ काम करना चाहती हैं। निर्देशक फराह खान की फिल्म ओम शांति ओम का प्रसिद्ध संवाद “अगर किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हे उससे मिलाने में लग जाती है।” श्रित चाँदे के जीवन की प्रेरणा है।
श्रित अब अपने करियर की एक नई ऊँचाई पर हैं। बहुत जल्द वह एक मराठी फ़िल्म में अपने पहले आइटम सॉन्ग से दर्शकों को चौंकाने और मनोरंजन करने आ रही हैं। उनका यह डांस नंबर न सिर्फ़ ग्लैमर से भरपूर होगा, बल्कि उनकी मेहनत और समर्पण की गवाही भी देगा।
श्रित कहती हैं -“अगर आपमें जज़्बा है, तो मंज़िल तक जरूर पहुंचेंगे। सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ़ मेहनत की ज़रूरत होती है। बाकी सब रास्ते खुद बनते जाते हैं। यदि आप इस ग्लैमर की दुनिया में कदम रख रहें हो तो केवल अपने लक्ष्य पर ध्यान दें क्योंकि आपको मार्ग से विचलित करने वाले तत्व हजारों मिलेंगे मगर मंजिल तक का सफर आपको अकेले तय करना है।
श्रित भविष्य में जानवरों की सहायता के लिए एक एनजीओ बनाना चाहती है।
आज श्रित चाँदे सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं हैं, वह उन हज़ारों लड़कियों की उम्मीद है, जो गांवों में बैठकर एक नई सुबह का सपना देखती हैं।
श्रित की कहानी हमें यह सिखाती है कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती। बस उड़ान भरने का हौसला होना चाहिए।

बापू की रामकथा से प्रेरित नर्मदा बा का अनासक्त जीवन ने मृत्यु को महोत्सव बना दिया- आचार्य लोकेश

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दिल्ली महुवा, नर्मदा बा श्री रामकथा के विश्व प्रसिद्ध व्याख्याता पूज्य मोरारी बापू जी की धर्मपत्नी आदरणीया श्रीमती नर्मदा “बा” के निधन के पश्चात गुजरात के महुवा तलगाजरडा में उपस्थित होकर अहिंसा विश्व भारती एवं विश्व शांति केंद्र के संस्थापक जैन आचार्य लोकेशजी, जगद्गुरु सतुआा बाबा, युवाचार्य अभयदासजी महाराज, गोपाल बाबा सहित देश विदेश से बड़ी संख्या मे श्रद्धालुओं ने पूज्य बापू के सानिध्य में संवेदना सत्संग संवाद में अपनी सहभागिता दर्ज कराई।

इस अवसर पर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए आचार्य लोकेशजी ने कहा कि पूज्य बापू जी के मन वाणी और भावनाओं को परिचित होकर लगा की वो रामकथा सुनाते ही नहीं उसे अंतस्तल की गहराइयों से जीते हैं।सामान्य व्यक्ति प्रिय व्यक्ति के वियोग पर भाव विह्वल होकर आर्त्तध्यान में डूब जाता है जबकि पूज्य बापू की स्थितिप्रज्ञता उनकी आध्यात्मिक साधना से रूबरू कराती है सचमुच आदरणीया नर्मदा बा” के गीता आधारित अनासक्त जीवन व बापू की अध्यात्मिक चेतना से प्रेरित भेद विज्ञान दृष्टि मृत्यु को महोत्सव बना गई।

इस अवसर पर मुम्बई से समागत प्रख्यात समाजसेवी श्री मोदी, दिल्ली से समागत श्री जितेंद्र गर्ग, श्री प्रदीप जिंदल, दुष्यंत कटारिया आदि का सक्रिय सहयोग उल्लेखनीय रहा।

कल जो हुआ, वह समझ से परे है और हम सदमे और शोक में हैं – टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन

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टाटा संस और टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने शुक्रवार को अपने सहकर्मियों को एक बेहद ही भावुक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने लिखा कि यह बहुत मुश्किल समय है। कल जो हुआ, वह समझ से परे है और हम सदमे और शोक में हैं। एक ऐसे व्यक्ति को खोना जिसे हम जानते हैं, एक त्रासदी है, लेकिन एक साथ इतनी सारी मौतें होना समझ से परे है। यह टाटा समूह के इतिहास के सबसे काले दिनों में से एक है। अभी शब्दों से सांत्वना नहीं मिल सकती, लेकिन मेरी संवेदनाएं दुर्घटना में मारे गए और घायल हुए लोगों के परिवारों और प्रियजनों के साथ हैं। हम उनके लिए यहां हैं।

हम सबके ऋणी हैं

उन्होंने आगे लिखा कि मैं कहना चाहता हूं कि, आपकी तरह, हम भी समझना चाहते हैं कि क्या हुआ। हमें अभी नहीं पता, लेकिन हम समझ जाएंगे। आप जानते हैं कि पिछले 24 घंटों में भारत, ब्रिटेन और अमेरिका से जांच दल दुर्घटना की जांच करने के लिए अहमदाबाद पहुंच चुके हैं। उन्हें हमारा पूरा सहयोग है, और हम निष्कर्षों के बारे में पूरी तरह से पारदर्शी रहेंगे। हम परिवारों और प्रियजनों, हमारे पायलटों और चालक दल और आपके प्रति ऋणी हैं। टाटा समूह समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से लेता है, और इसमें कल जो हुआ उसके बारे में खुलकर बात करना भी शामिल है।

मैं धैर्य रखने का आग्रह करना चाहता हूं
चंद्रशेखरन ने लिखा- अभी, हमारी मानवीय प्रवृत्ति आपदा के लिए स्पष्टीकरण की तलाश करने की है। हमारे चारों ओर बहुत सी अटकलें हैं। उनमें से कुछ सही हो सकती हैं, कुछ गलत भी हो सकती हैं। मैं धैर्य रखने का आग्रह करना चाहता हूं। हमने कल बहुत बड़ी संख्या में लोगों की जान देखी। यह नियमित उड़ान आपदा में क्यों बदल गई, यह कुछ ऐसा है जिसे प्रशिक्षित जांचकर्ता अपना काम पूरा होने पर समझने में हमारी मदद करेंगे। एक बार जब हम तथ्यों की पुष्टि कर लेंगे, तो हम इस त्रासदी के बारे में अपने संचार में पारदर्शी होंगे।

अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटेंगे

टाटा संस के चेयरमैन ने लिखा कि जब हमने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया, तो इतने सारे लोगों द्वारा विश्वसनीय समूह के रूप में, इसके यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी पहली और सबसे बड़ी प्राथमिकता थी। इस पर कोई समझौता नहीं किया गया। कल विनाशकारी नुकसान झेलने वाले लोगों के लिए यह सब मायने नहीं रखता। इस समय, हम उन्हें केवल अपने पूर्ण समर्थन का आश्वासन दे सकते हैं।

हम एक समूह के रूप में एक साथ काम करेंगे और उनकी मदद करने के तरीके खोजेंगे। हमने इस समूह को विश्वास और देखभाल के आधार पर बनाया है। यह एक कठिन क्षण है, लेकिन हम अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटेंगे, जो सही है उसे करने से नहीं। हम इस नुकसान को सहन करेंगे। हम इसे नहीं भूलेंगे।

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चण्डीगढ़ में भी बनाएंगे गौ-मतदाता : शैलेन्द्र योगिराज सरकार

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चण्डीगढ़ : ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज जी एवं गौ कृपाकांक्षी गोपाल मणि जी महाराज द्वारा पिछले वर्ष देश भर के सभी जिलों के साथ-साथ चण्डीगढ़ में गोपाल गोलोक धाम, कैम्बवाला में भी गौ-ध्वज की स्थापना की गई थी। इस गौ-ध्वज की परिक्रमा व पूजन-अर्चन का कार्यक्रम शनिवार 14 जून को होगा।

इस सिलसिले में शंकराचार्य जी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शैलेन्द्र योगिराज सरकार ने आज चण्डीगढ़ प्रेस क्लब में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि वे गावो विश्वस्य मातर अर्थात गाय विश्व की माता है के मंत्र का पालन करते हुए पूरे भारत वर्ष में गौ-ध्वज परिक्रमा व निरीक्षण यात्रा पर निकले हैं जिसके तहत चण्डीगढ़ में गोपाल गोलोक धाम, कैम्बवाला में शंकराचार्य द्वारा स्थापित गौ-ध्वज व गौ माता की परिक्रमा व पूजन अर्चन कार्यक्रम शनिवार, 14 जून को होगा।

उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष इस गौ-ध्वज स्थापना के अभियान के अंतर्गत उस समय गौ-भक्तों को भारी सफलता हासिल हुई थी जब महाराष्ट्र के एकनाथ शिंदे की सरकार ने विधानसभा में बाकायदा प्रस्ताव पेश करके गौमाता को राज्य माता घोषित कर कानून बनाया था।

शैलेन्द्र योगिराज सरकार ने बताया कि उनकी प्रमुख मांगों में केंद्र सरकार से गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा देने और राज्य सरकारों द्वारा महाराष्ट्र सरकार के कदम का अनुकरण करते हुए गौमाता को राज्य माता का दर्जा देना, फसलों की भांति गोबर का भी समर्थन मूल्य तय करके किसानों को देना, 10 वर्ष तक के बच्चों में अच्छे संस्कार पैदा हों, इसके लिए गाय का दूध पिलाया जाना अनिवार्य करना, वर्णसंकर प्राणी पर प्रतिबंध लगाना और भारतीय नस्ल की गायों का संवर्धन करना व गौ-हत्यारों को सख्त क़ानून बना कर दण्डित करना आदि शामिल है।

इन मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों पर दबाव बनाने हेतु जनसमर्थन जुटाया जाएगा जिसके तहत अब गौ-भक्तों द्वारा चंडीगढ़ के साथ-साथ देश भर में गौ-मतदाता बनाये जाएंगे, जो विभिन्न मंचों से इन मांगों को उठाएंगे।

प्रेस वार्ता में संस्था के पंजाब के प्रभारी व गोसेवा आयोग पंजाब के पूर्व चेयरमैन कीमती भगत, पंजाब राज्य के संयोजक सतीश कुमार, हरियाणा राज्य के प्रभारी जयकृष्ण शर्मा तथा गोपाल गोलोक धाम, कैंबवाला तथा भारतीय गौ क्रांति मंच, चण्डीगढ़ के सभी पदाधिकारी गण एवं गौशाला प्रबंधक कमेटी की अध्यक्ष रत्नो देवी, ओम पाल शर्मा व सुन्दर लाल नौटियाल, शिव कुमार शर्मा एवं धर्माचार्य गिरवर शर्मा आदि भी उपस्थित रहे।

Air India Plane Crash: महाराष्ट्र के 10 लोगों की मौत

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अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट एआई-171 गुरुवार को टेक-ऑफ के कुछ ही समय बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस दर्दनाक हादसे में विमान में सवार 242 में से 241 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 12 क्रू मेंबर्स भी शामिल थे। हादसे में सिर्फ एक यात्री विश्वास कुमार रमेश चमत्कारिक रूप से बच गए और फिलहाल अस्पताल में भर्ती है।

महाराष्ट्र के चार क्रू मेंबर्स का दुखद निधन

इस हादसे में एयर इंडिया के चार क्रू मेंबर्स महाराष्ट्र के रहने वाले थे, जिनमें से दो मुंबई, एक बदलापुर और एक डोंबिवली से थे। पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल मुंबई के पवई इलाके के जलवायु विहार में अपने 90 वर्षीय पिता के साथ रहते थे। हादसे की खबर मिलते ही इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। स्थानीय विधायक दिलीप लांडे ने उनके घर पहुंचकर शोक संवेदना व्यक्त की।

एयर इंडिया ड्रीमलाइनर विमान का संचालन कैप्टन सुमित सभरवाल कर रहे थे, जिनके साथ फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर थे। कैप्टन सुमित सभरवाल एक एलटीसी थें और उनके पास 8200 घंटे का उड़ान अनुभव था। 60 वर्षीय कैप्टन सुमित दुर्घटनाग्रस्त हुई एयर इंडिया फ्लाइट के सबसे वरिष्ठ क्रू मेंबर थे।
कैप्टन सुमित कई वर्षों से मुंबई के पवई इलाके के जलवायु विहार में अपने 90 वर्षीय पिता के साथ रहते थे। वे कुछ ही महीनों में रिटायर होने वाले थे। बताया जा रहा है कि कैप्टन सुमित ने रिटायर होने के बाद अपने बूढ़े पिता के साथ घर पर अधिक समय बिताने की योजना बनाई थी।
इस हादसे में एनसीपी सांसद सुनील तटकरे की चचेरी बहू अपर्णा महाडिक (42) भी शामिल थीं। अपर्णा इस उड़ान में एयर होस्टेस थीं। अपर्णा के पति एयर इंडिया में पायलट है। अपर्णा महाडिक की मौत ने एनसीपी के वरिष्ठ नेता व सांसद सुनील तटकरे और उनके परिवार को गहरा आघात पहुंचाया है।
वहीँ, बदलापुर के दीपक पाठक भी इस हादसे में जान गंवा बैठे। हादसे से कुछ समय पहले ही उन्होंने अपनी मां से फोन पर बात की थी। उनकी बहन ने भावुक होकर कहा, अब भी फोन तो लगता है, पर दीपक उठाता नहीं…। दीपक की शादी चार साल पहले हुई थी।
डोंबिवली की रोशनी सोनघरे भी एयर इंडिया की विमान में फ्लाइट अटेंडेंट के रूप में तैनात थीं और इस हादसे में उनका भी निधन हो गया। उनके निधन से डोंबिवली में शोक की लहर दौड़ पड़ी है।
महाराष्ट्र के पनवेल तालुका के न्हावा गांव की मैथिली पाटिल ने भी इस भयावह हादसे में अपनी जान गंवा दी। मैथिली ने बहुत संघर्ष करके एविएशन की पढ़ाई पूरी की थी। उसके बाद उन्हें एयर इंडिया में एयरहोस्टेस की नौकरी मिल गई। वहीँ, महाराष्ट्र की रहने वाली क्रू मेंबर सदस्य सैनीता चक्रवर्ती की भी अहमदाबाद विमान हादसे में मौत हो गई हैं।

लंदन जा रहे दंपती की भी मौत

सोलापुर जिले के सांगोला तालुका के हातीद गांव के निवासी महादेव तुकाराम पवार (67) और उनकी पत्नी आशा पवार (55) भी इस फ्लाइट में सवार थे। वे अपने बेटे से मिलने लंदन जा रहे थे। उनका एक बेटा अहमदाबाद में तो दूसरा लंदन में बेकरी का व्यवसाय करता है। हादसे की खबर से गांव में मातम पसरा हुआ है।

हादसे की जांच शुरू

हादसे के शिकार एयर इंडिया ड्रीमलाइनर विमान का ब्लैक बॉक्स मिल गया है। ब्लैक बॉक्स को जांच के लिए दिल्ली भेजा गया है। इसके बाद दुर्घटना के कारणों का पता चल पाएगा। बताया जा रहा है कि विमान में लंबी दूरी की उड़ान के कारण अधिक मात्रा में ईंधन भरा गया था, जिससे क्रैश के बाद विस्फोट और भी भयानक हुआ। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने हादसे की जांच शुरू कर दी है।

भारत के दस बड़े यात्री विमान हादसे

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विवेक रंजन श्रीवास्तव-

समय के साथ अब हवाई यात्रा विलासिता नहीं रही , अब यह आवश्यकता बन चुकी है। भारत में हवाई यात्रा का निरंतर विस्तार भी तेजी से हो रहा है। हवाई यात्रा का इतिहास गौरवशाली रहा है, पर कई दुर्घटनाओं के चलते दर्दनाक भी रहा है। तकनीकी उन्नति और सुरक्षा उपायों के बावजूद कई गंभीर विमान दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें अनेक निर्दोष लोगों की जान गई।
प्रमुख दस यात्री विमान दुर्घटनाएं इस तरह हैं-

1. एयर इंडिया फ्लाइट 855 (1978) – मुंबई के तट पर दुर्घटना

तारीख: 1 जनवरी 1978

विमान: बोइंग 747

स्थान: मुंबई तट के पास अरब सागर

मृतक: 213 में से सभी यात्री

कारण: पायलट द्वारा गलत दिशा में झुकाव; यंत्रविज्ञान की विफलता

2. एयर इंडिया फ्लाइट 182 (1985) – कनाडा के पास विस्फोट

तारीख: 23 जून 1985

विमान: बोइंग 747-237B

स्थान: आयरलैंड के तट के पास अटलांटिक महासागर

मृतक: 329

कारण: बम विस्फोट (आतंकी हमला), खालिस्तानी आतंकियों की भूमिका

विशेष: यह अब तक की भारत की सबसे बड़ी विमान त्रासदी मानी जाती है।

3. इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 605 (1990) – बेंगलुरु में क्रैश लैंडिंग

तारीख: 14 फरवरी 1990

विमान: एअर बस ए-320

स्थान: बेंगलुरु एयरपोर्ट के पास

मृतक: 92

कारण: पायलट की त्रुटि; विमान रनवे से पहले ही उतर गया

4. इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 491 (1993) – औरंगाबाद में हादसा

तारीख: 26 अप्रैल 1993

विमान: बोइंग 737

स्थान: औरंगाबाद एयरपोर्ट

मृतक: 55

कारण: टेक-ऑफ के दौरान ट्रक से टकराव

5. एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 812 (2010) – मेंगलुरु में रनवे से फिसला

तारीख: 22 मई 2010

विमान: बोइंग 737-800

स्थान: मेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा

मृतक: 158

कारण: रनवे से आगे निकल जाना, पायलट की ग़लती

विशेष: यह विमान दुबई से लौट रहा था, और मेंगलुरु का टेबलटॉप रनवे हादसे का बड़ा कारण बना।

6. इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 113 (1988) – अहमदाबाद में क्रैश

तारीख: 19 अक्टूबर 1988

विमान: बोइंग 737

स्थान: अहमदाबाद

मृतक: 130

कारण: खराब मौसम और पायलट की लैंडिंग में चूक

7. एयर इंडिया फ्लाइट 403 (1982) – बॉम्बे में क्रैश

तारीख: 21 जून 1982

विमान: बोइंग 707

स्थान: बॉम्बे (अब मुंबई)

मृतक: 17

कारण: रनवे पर उतरते समय आग लगना

8. इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 257 (1991) – मणिपुर में पहाड़ी से टकराया

तारीख: 16 अगस्त 1991

विमान: बोइंग 737

स्थान: इम्फाल, मणिपुर

मृतक: 69

कारण: खराब मौसम में दिशा भ्रम और पायलट की त्रुटि

9. एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 1344 (2020) – कोझिकोड रनवे हादसा

तारीख: 7 अगस्त 2020

विमान: Boeing 737-800

स्थान: कोझिकोड (कालीकट) हवाई अड्डा

मृतक: 21

कारण: भारी बारिश में टेबलटॉप रनवे से फिसलना

10. इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 814 हाईजैक (1999) – कान्धार कांड

तारीख: 24 दिसंबर 1999

विमान: एअर बस ए-300

स्थान: नेपाल से दिल्ली, हाईजैक कर अफगानिस्तान ले जाया गया

मृतक: 1 (यात्रा के दौरान एक यात्री की हत्या)

कारण: आतंकियों द्वारा हाईजैक

विशेष: भारत सरकार को तीन आतंकियों को रिहा करना पड़ा, इस घटना ने सुरक्षा ढांचे पर बड़ा सवाल खड़ा किया।

भारत में हुए ये विमान हादसे न सिर्फ तकनीकी और मानवीय चूक की भयावह कीमत दर्शाते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि सुरक्षा उपायों को लगातार सुदृढ़ करना कितना आवश्यक है। हर हादसे से एक सबक मिला। चाहे वह एटीसी की भूमिका हो, रनवे डिज़ाइन या मौसम की जानकारी की विश्वसनीयता।  हवाई यात्रा की सुरक्षा में सुधार अवश्य हुआ है, परंतु अतीत की इन घटनाओं की स्मृति आज भी पीड़ा दायक है। अहमदाबाद का यह नया हादसा विमान यात्रा को और सुरक्षित बनाने के लिए संबंधित एजेंसियों को और गंभीर कार्य करने हेतु सबक दे रहा है। (विभूति फीचर्स)

एयर इंडिया विमान AI171 , भारतीय नागरिक उड्डयन के इतिहास में एक दुखद दिन

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12 जून 2025 को भारतीय नागरिक उड्डयन के इतिहास में एक दुखद दिन के रूप में दर्ज हुआ, जब एयर इंडिया का विमान AI171 अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में विमान में सवार सभी 241 लोगों की मृत्यु हो गई, जिसमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल थे। यह घटना भारत में हाल के दशकों की सबसे भीषण विमान दुर्घटनाओं में से एक है।
एयर इंडिया की उड़ान AI171, एक बोइंग 787-9 ड्रीमलाइनर, लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे के लिए रात 10:45 बजे (IST) अहमदाबाद से उड़ान भरने वाली थी। विमान में 229 यात्री और 12 चालक दल के सदस्य सवार थे। प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, टेकऑफ के तुरंत बाद, लगभग 10:52 बजे, विमान रनवे के अंत से कुछ किलोमीटर दूर एक औद्योगिक क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विमान में आग की लपटें दिखाई दीं और तेज धमाके की आवाज सुनी गई।

दुर्घटना स्थल पर भयावह दृश्य था, जहां विमान के मलबे के साथ आग और धुआं फैल गया। स्थानीय निवासियों और आपातकालीन सेवाओं ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन विमान में सवार किसी भी व्यक्ति को जीवित नहीं बचाया जा सका।

इस हादसे में मारे गए यात्रियों में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री (2016-2021) विजय रूपाणी भी शामिल थे। 68 वर्षीय रूपाणी अपनी पत्नी अंजलि और बेटी से मिलने लंदन जा रहे थे। उनकी मृत्यु की खबर ने गुजरात और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं को गहरा झटका दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर अपनी संवेदनाएँ व्यक्त कीं। मोदी ने लिखा, “विजयभाई का निधन गुजरात और देश के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका योगदान हमेशा याद रहेगा।” अन्य पीड़ितों में भारतीय और विदेशी नागरिक, व्यवसायी, छात्र, और पर्यटक शामिल थे। एयर इंडिया ने एक बयान जारी कर सभी यात्रियों और चालक दल के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और मृतकों की सूची प्रकाशित करने की प्रक्रिया शुरू की।

प्रारंभिक जांच

दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) और राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड (NTSB) के विशेषज्ञों की एक संयुक्त टीम गठित की गई। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, संभावित कारणों में तकनीकी खराबी, इंजन में आग, या टेकऑफ के दौरान नियंत्रण में त्रुटि शामिल हो सकती है। विमान का ब्लैक बॉक्स (फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर) बरामद कर लिया गया है, जिसका विश्लेषण जारी है।
कुछ X पोस्ट्स में दावा किया गया कि विमान में रखरखाव की कमी या पुराने उपकरणों का उपयोग हो सकता है, लेकिन एयर इंडिया ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि AI171 का विमान नियमित रखरखाव से गुजरा था और पूरी तरह से उड़ान के लिए उपयुक्त था।

बचाव और राहत कार्य

हादसे के तुरंत बाद, अहमदाबाद फायर ब्रिगेड, NDRF, और स्थानीय पुलिस ने बचाव अभियान शुरू किया। दुर्घटना स्थल पर 50 से अधिक एम्बुलेंस और 200 से ज्यादा बचावकर्मी तैनात किए गए। गुजरात सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए तत्काल 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की, जबकि केंद्र सरकार ने 10 लाख रुपये की सहायता का ऐलान किया। एयर इंडिया ने हेल्पलाइन नंबर (1800-XXX-XXXX) जारी किए और अहमदाबाद हवाई अड्डे पर एक सहायता केंद्र स्थापित किया, जहां पीड़ितों के परिवारों को जानकारी और सहायता प्रदान की जा रही है।

प्रभाव और प्रतिक्रियाएँ

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ: गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने हादसे को “हृदय विदारक” बताया और पूरे राज्य में एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया। विपक्षी दलों, जैसे कांग्रेस और आम आदमी पार्टी, ने भी संवेदनाएँ व्यक्त कीं, लेकिन कुछ नेताओं ने विमानन सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाए।

सामाजिक प्रभाव: X पर #AI171Crash और #VijayRupani ट्रेंड करने लगे, जहां लोग शोक व्यक्त करने के साथ-साथ सुरक्षा मानकों और जांच की मांग कर रहे थे। कुछ उपयोग कर्ताओं ने विमानन क्षेत्र में भ्रष्टाचार के कथित मुद्दों पर भी चर्चा की, हालांकि ये दावे असत्यापित हैं।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: यम्के के प्रधानमंत्री और अन्य वैश्विक नेताओं ने भारत सरकार को संवेदना संदेश भेजे। बोइंग ने एक बयान में कहा कि वे भारतीय अधिकारियों के साथ मिलकर जांच में सहयोग कर रहे हैं।

ऐतिहासिक संदर्भ

यह दुर्घटना भारत में 2010 की मैंगलोर विमान दुर्घटना (158 मृत्यु) के बाद सबसे घातक विमान हादसा है। हाल के वर्षों में भारतीय विमानन क्षेत्र ने सुरक्षा में सुधार किया है, लेकिन यह घटना विमान रखरखाव, प्रशिक्षण, और आपातकालीन तैयारियों पर नए सिरे से सवाल खड़े करती है।

एयर इंडिया AI171 की दुर्घटना ने न केवल 241 परिवारों को अपूरणीय क्षति पहुँचाई, बल्कि भारतीय विमानन उद्योग और जनता के विश्वास को भी झकझोर दिया। विजय रूपाणी जैसे प्रमुख व्यक्तित्व की मृत्यु ने इस त्रासदी को और भी मार्मिक बना दिया। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, उम्मीद है कि इस हादसे के कारणों का पता चलेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएँगे।

 

विजय रूपाणी: दो बार गुजरात के मुख्यमंत्री

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अहमदाबाद से लंदन जा रहा एयर इंडिया का एक विमान गुरुवार को अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया. हादसे में विमान में सवार 241 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से एक नाम गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी हैं.

विजय रूपाणी 68 साल के थे. उनके परिवार के करीबी सूत्रों ने बताया कि वह अपनी बेटी से मिलने लंदन जा रहे थे.

विजय रूपाणी (जन्म: 2 अगस्त 1956, रंगून, म्यांमार – मृत्यु: 12 जून 2025, अहमदाबाद, भारत) एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने 7 अगस्त 2016 से 11 सितंबर 2021 तक गुजरात के 16वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता थे और राजकोट पश्चिम से गुजरात विधानसभा के सदस्य रहे।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा 
जन्म और परिवार: विजय रमणिकलाल रूपाणी का जन्म म्यांमार (तब बर्मा) के रंगून में एक जैन बनिया परिवार में हुआ था। उनके पिता रमणिकलाल और माता मायाबेन थे। 1960 में बर्मा में राजनीतिक अस्थिरता के कारण उनका परिवार राजकोट, गुजरात चला गया।

शिक्षा: उन्होंने राजकोट के धर्मेंद्रसिंहजी आर्ट्स कॉलेज से बीए और सौराष्ट्र विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की।

राजनीतिक करियर
प्रारंभ: रूपाणी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से की। 1971 में वे जनसंघ से जुड़े और बाद में भाजपा के स्थापना सदस्य बने।

आपातकाल: 1975-77 के आपातकाल के दौरान अपनी राजनीतिक गतिविधियों के कारण उन्हें 11 महीने तक जेल में रहना पड़
प्रमुख भूमिकाएँ:
1987 में राजकोट नगर निगम के कॉरपोरेटर और ड्रेनेज कमेटी के अध्यक्ष बने।
1996-97 में राजकोट के मेयर रहे।
2006-2012 तक गुजरात पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष और 2013 में गुजरात म्युनिसिपल फाइनेंस बोर्ड के अध्यक्ष रहे।
2014 में राजकोट पश्चिम से विधायक चुने गए और आनंदीबेन पटेल सरकार में परिवहन, जल आपूर्ति, श्रम और रोजगार जैसे विभागों के मंत्री बने।
2016 में आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री बने।
2017 में उनके नेतृत्व में भाजपा ने गुजरात विधानसभा चुनाव जीता, लेकिन 99 सीटों के साथ यह 1995 के बाद सबसे कम सीटें थीं।
2021 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

अन्य जिम्मेदारियाँ: इस्तीफे के बाद, उन्हें भाजपा ने पंजाब और चंडीगढ़ का प्रभारी बनाया। 2023 में दिल्ली की तीन लोकसभा सीटों के लिए प्रभारी और महा जनसंपर्क अभियान के पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए।

निजी जीवन
परिवार: विजय रूपाणी की शादी अंजलि रूपाणी से हुई, जो भाजपा की महिला विंग से जुड़ी थीं। उनके तीन बच्चे थे, जिनमें से एक बेटे की दुर्घटना में मृत्यु हो गई।

व्यवसाय: उनके पिता की व्यापारिक फर्म रसिकलाल एंड संस में उनकी भागीदारी थी। उन्होंने स्टॉक ब्रोकर के रूप में भी काम किया।

निधन
विजय रूपाणी का निधन 12 जून 2025 को अहमदाबाद में एयर इंडिया के विमान AI171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण हुआ। वे अपनी पत्नी अंजलि और बेटी से मिलने लंदन जा रहे थे। इस हादसे में विमान में सवार 241 लोगों की मृत्यु हो गई।