डॉ. शैलेश शुक्ला

भारत में मोबाइल तकनीक के विस्तार ने हिंदी भाषा को एक नया संचार माध्यम प्रदान किया है। वर्ष 2023 तक भारत में 114.4 करोड़ मोबाइल ग्राहक हैं, जिनमें से 83 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि मोबाइल फोन भारत के हर गाँव और कस्बे तक पहुँच चुका है। 

हिंदी, जो भारत की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है (Census  2011 के अनुसार लगभग 44% भारतीयों की मातृभाषा हिंदी है), मोबाइल तकनीक के माध्यम से अब केवल बोलचाल तक सीमित नहीं रही, बल्कि सूचना, शिक्षा, मनोरंजन और व्यापार की भाषा भी बन गई है। गूगल और KPMG की 2017 की एक संयुक्त रिपोर्ट बताती है कि भारत में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या हिंदी भाषियों में अंग्रेजी उपयोगकर्ताओं की तुलना में चार गुना तेजी से बढ़ रही है।

यह तकनीकी पहुँच अब केवल उच्च शिक्षित या शहरी वर्ग तक सीमित नहीं रही।  हिंदी में मोबाइल सामग्री की उपलब्धता ने डिजिटल भारत में ग्रामीण जनसंख्या को मुख्यधारा से जोड़ा है, जिससे वे सरकारी सेवाओं, बैंकिंग, रोजगार, कृषि तकनीक और स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी सीधे हिंदी में प्राप्त कर पा रहे हैं।

मोबाइल ऐप्स की लोकप्रियता ने हिंदी भाषा को गाँवों में भी डिजिटल आत्मनिर्भरता का उपकरण बना दिया है।  ShareChat, Josh, Moj,  Dailyhunt जैसे ऐप्स विशेष रूप से हिंदी भाषी उपयोगकर्ताओं के लिए विकसित किए गए हैं। ShareChat की 2022 की आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार, इसके 180 मिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं में 70% से अधिक हिंदी भाषी हैं।

इन ऐप्स के माध्यम से किसान, कारीगर, छोटे व्यापारी और ग्रामीण महिलाएं हिंदी में सूचनाएं साझा करते हैं, वीडियो बनाते हैं और स्थानीय उत्पादों का प्रचार भी करते हैं। उदाहरण के लिए,  Josh ऐप पर उपलब्ध कुल वीडियो कंटेंट का 65% से अधिक भाग हिंदी में है। यह बदलाव न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता बढ़ाता है, बल्कि हिंदी को वैश्विक डिजिटल भाषाओं की कतार में भी खड़ा करता है।

साथ ही YouTube जैसे वैश्विक प्लेटफॉर्म पर भी हिंदी कंटेंट की खपत अभूतपूर्व रूप से बढ़ी है।  Statista की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 65% से अधिक उपयोगकर्ता YouTube पर हिंदी में वीडियो देखते हैं।

मोबाइल तकनीक और हिंदी भाषा ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। DIKSHA, e-Pathshala,  Byju’s और Vedantu जैसे ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म्स अब हिंदी में भी उच्च गुणवत्ता की शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं। भारत सरकार के DIKSHA प्लेटफॉर्म पर हिंदी माध्यम में 250,000 से अधिक ई-कंटेंट उपलब्ध हैं और अब तक इसे 3 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया गया है। इसका सबसे अधिक लाभ उन ग्रामीण विद्यार्थियों को मिल रहा है, जिनके लिए पारंपरिक शिक्षा साधनों तक पहुँच कठिन थी। मोबाइल ऐप्स और ऑनलाइन शिक्षण ने हिंदी को सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि सीखने का माध्यम बना दिया है।

‘Byju’s’ जैसे प्राइवेट ऐप्स ने भी अब ग्रामीण बच्चों के लिए हिंदी वीडियो कंटेंट, क्विज़ और मॉक टेस्ट उपलब्ध कराने शुरू किए हैं।  वर्ष 2022 में Byju’s ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि ग्रामीण क्षेत्र से 60% से अधिक उपयोगकर्ता हिंदी माध्यम का चयन कर रहे हैं। यह बदलती स्थिति हिंदी के लिए एक नए युग की शुरुआत है, जहाँ वह केवल साहित्य की नहीं, तकनीकी और शैक्षणिक नवाचार की भी भाषा बन चुकी है।

मोबाइल तकनीक और हिंदी भाषा का मेल विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं के लिए एक क्रांतिकारी साधन बनकर उभरा है। 2024 में Times of  India की एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण भारत की 80% महिला उद्यमियों ने डिजिटल साक्षरता की कमी के बावजूद सोशल कॉमर्स प्लेटफार्मों का सफलतापूर्वक उपयोग किया है और इसमें मुख्य भूमिका हिंदी भाषा ने निभाई है।

उदाहरण के लिए,  Rajasthan के बाड़मेर ज़िले की कमला देवी, जो केवल कक्षा 8 तक पढ़ी हैं, आज मोबाइल ऐप्स के माध्यम से अपने हस्तनिर्मित उत्पादों को ShareChat और WhatsApp के माध्यम से हिंदी में प्रचारित कर रही हैं और हर महीने ₹10,000 से अधिक की आय कर रही हैं। यह उदाहरण दर्शाता है कि जब मोबाइल तकनीक स्थानीय भाषा में होती है, तो वह न केवल सुलभ होती है, बल्कि महिला सशक्तिकरण का माध्यम भी बन जाती है।

“मोबाइल पत्रकारिता” या “मोबाइल जर्नलिज़्म (MOJO)” ने हिंदी पत्रकारिता को नए आयाम दिए हैं। अब ग्रामीण क्षेत्र के आम लोग भी मोबाइल के माध्यम से वीडियो रिपोर्टिंग कर सकते हैं और स्थानीय मुद्दों को राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बना सकते हैं। ‘ख़बर लहरिया’ इसका जीवंत उदाहरण है।  यह मीडिया संस्था उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं द्वारा संचालित है और मोबाइल तकनीक के माध्यम से स्थानीय घटनाओं को हिंदी में प्रस्तुत करती है। इस संस्था के YouTube चैनल पर 25 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं और इसके वीडियो राष्ट्रीय मीडिया तक पहुंच रहे हैं।

इसके अलावा ‘गाँव कनेक्शन’ जैसे मीडिया प्लेटफार्म भी मोबाइल रिपोर्टिंग और हिंदी कंटेंट के माध्यम से गाँव की आवाज़ को शहर और संसद तक पहुँचा रहे हैं।  यह पत्रकारिता का लोकतंत्रीकरण है, जिसमें मोबाइल तकनीक और हिंदी भाषा की संयुक्त शक्ति दिखाई देती है।

आज हिंदी न केवल भारत की, बल्कि विश्व की एक प्रमुख डिजिटल भाषा बन चुकी है।  संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूके, मॉरीशस, फिजी और खाड़ी देशों में बसे प्रवासी भारतीयों के कारण हिंदी का डिजिटल प्रसार तीव्र गति से हो रहा है। Duolingo ऐप की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, 6.5 मिलियन अंतरराष्ट्रीय उपयोगकर्ता हिंदी सीख रहे हैं, जिनमें अमेरिका, रूस और ब्राज़ील प्रमुख हैं। ‘Hindi News Live’, ‘Hindi Shayari’, ‘Learn Hindi’, ‘Hindi Radio’ जैसे हजारों ऐप्स Google Play Store और Apple Store पर उपलब्ध

डॉ. शैलेश शुक्ला

वरिष्ठ  लेखक, पत्रकार, साहित्यकार एवं

वैश्विक समूह संपादक, सृजन संसार अंतरराष्ट्रीय पत्रिका समूह 

Previous articleएसआरएएम और एमआरएएम ग्रुप का 30 वर्ष पूर्ण, 500 मिलियन डॉलर से बनेगा कजाकिस्तान में विश्व स्तरीय मेडिकल यूनिवर्सिटी
Next articleहाईवे पर ढ़ाबे में गौ-मांस बेचने का आरोप

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here