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चित्रनगरी में राजेश विक्रांत की पुस्तक ‘आमची मुंबई-2’ पर रविवार को चर्चा

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मुंबई: पिछले कुछ सालों से मुंबई में नियमित रूप से सार्थक व स्तरीय साहित्यिक आयोजनों से चर्चित चित्रनगरी संवाद मंच में रविवार 6 जुलाई को राजेश विक्रांत की नई पुस्तक आमची मुंबई-2 पर सुविख्यात कवि सुभाष काबरा परिचयात्मक टिप्पणी पेश करेंगे। बता दें कि यह पुस्तक राजेश विक्रांत का मुंबई पर 7 वां महत्वपूर्ण कार्य है। 424 पृष्ठ की इस पुस्तक का प्रकाशन भारत पब्लिकेशन मुंबई ने किया है।

चित्रनगरी संवाद मंच के संयोजक कवि देवमणि पांडेय के अनुसार शाम 5.00 से 7.30 बजे के बीच कार्यक्रम केशव गोरे स्मारक ट्रस्ट, मृणालताई हाल, अम्बा माता मंदिर के पीछे, गोरेगांव पश्चिम में आयोजित किया जाएगा। इसमें चित्रनगरी संवाद मंच की पांच साल की यात्रा अर्चना जौहरी प्रस्तुत करेंगी। ‘धरोहर’ के तहत मुम्बई पर सूर्यभानु गुप्त की ग़ज़ल बहुभाषी शायर नवीन सी चतुर्वेदी प्रस्तुत करेंगे। लब्ध प्रतिष्ठित कवियों के काव्य पाठ के अंतर्गत मुम्बई पर लिखी कविताओं की विशेष प्रस्तुति होगी। चित्रनगरी आयोजन समिति ने समस्त साहित्य प्रेमियों से इस आयोजन में हिस्सा लेने का अनुरोध किया है।
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गौ रक्षा दल के सदस्यों ने गायों से भरा कैंटर पकड़ा

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स्थानीय सिंघाणा मार्ग से गौ रक्षा दल के सदस्यों ने गायों से भरा एक कैंटर पकड़ा। कैंटर में गायों के अलावा उनके बछड़े भी थे। जिनको राजस्थान की ओर से लाया गया था। बताया जा रहा है कि ये गाय व बछड़े यहां से मध्य प्रदेश ले जाए जा रहे थे। गौ रक्षा दल के सदस्यों ने इन्हें पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। बाद में गौशाला में 11 हजार रुपये चंदा लेकर कैंटर को छोड़ने पर गोरक्षकों ने वहां हंगामा किया। हंगामा रात एक बजे तक चला।

गौ रक्षा दल के मोनू मिश्रवाड़ा ने बताया कि रविवार रात करीब नौ बजे उन्हें सूचना मिली कि गायों से भरा एक कैंटर सिंघाना रोड से नारनौल की ओर आ रहा है। इसके बाद गांव भांखरी व गहली के गौ रक्षा दल के सदस्य सक्रिय हो गए। उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी। सूचना मिलने पर पुलिस व गौ रक्षा दल के सदस्यों ने मिलकर गांव रघुनाथपुरा के पास बने राव तुलाराम चौक बाईपास पर नेशनल हाईवे नंबर 11 पर इन्हें पकड़ लिया। कैंटर में आठ से दस गौ वंश भरे हुए थे। इसके बाद कैंटर को महावीर चौक पुलिस चौकी लाया गया। वहां कैंटर के कागजात देखे गए। कैंटर के कागजातों में जो बिल्टी कटी हुई थी, वह डेरोली अहीर की थी। इसके बाद पुलिस ने जांच की तो गाय दुधारू मिलीं तथा उनके बछड़े भी साथ मिले। कैंटर चालक ने बताया कि वे इन्हें मध्य प्रदेश के इंदौर के पास ले जा रहा है, जहां गायों का मेला लगता है। पुलिस ने कैंटर में ज्यादा पशु होने के चलते गौशाला को 11 हजार रुपए चंदा लेने के बाद

बच्चों पर पढ़ाई के प्रेशर को दर्शाती हिंदी फिल्म “टेक इट इजी” 4 जुलाई को होगी रिलीज

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मुंबई। स्पेशल किड्स को लेकर बनी फिल्म समाज को एक बेहद महत्वपूर्ण संदेश देती है। बच्चों पर माता पिता के दबाव के कारण क्या असर पड़ता है, इसी विषय पर आधारित निर्माता धर्मेश पंडित और लेखक-निर्देशक सुनील प्रेम व्यास की फ़िल्म “टेक इट ईज़ी” इस सप्ताह 4 जुलाई को रिलीज के लिए तैयार है।

विक्रम गोखले, दीपान्निता शर्मा, राज जुत्शी, अनंग देसाई जैसे प्रसिद्ध कलाकारों से सजी फ़िल्म “टेक इट ईज़ी” को कई फ़िल्म फेस्टिवल्स में अवार्ड्स और नॉमिनेशन मिले हैं। ग्वालियर के फ़िल्म फेस्टिवल में टेक इट ईज़ी ने बेस्ट चिल्ड्रन फ़िल्म का अवार्ड जीता है जबकि जयपुर इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में भी इस फ़िल्म को सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म की कैटगरी में नॉमिनेट किया गया। ओशो की किताब “शिक्षा से क्रांति” से प्रेरित होकर धर्मेश पंडित ने फ़िल्म टेक इट ईज़ी की कहानी लिखी है।

प्रोड्यूसर धर्मेश पंडित का मानना है कि स्कूलों के बच्चों के मासूम कंधों पर किताबों का इतना ज्यादा वजन डाल दिया गया है। उन्हें अपने माता पिता की उम्मीदों का भार भी उठाना पड़ता है। मुकाबले के इस दौर में इच्छा रखते हैं कि उनका बच्चा स्कूल में पढ़ाई का मामला हो या खेल कूद का क्षेत्र हो नंबर वन ही आए। सोसाईटी में कंपीटिशन का ऐसा वातावरण बना दिया गया है कि बच्चे को कुछ बनाने की जैसे होड़ मची हुई है। बच्चों के दिल दिमाग पर इसका बहुत गहरा दबाव पड़ता है। इन दिनों बच्चे भी जीवन को लेकर कभी कभी खतरनाक कदम उठा लेते हैं। फिल्म ‘टेक इट ईज़ी’ एक आंख खोलने वाला सिनेमा है जो बच्चों के साथ उनके मां बाप को भी देखना चाहिए।

इस फ़िल्म के कुछ दृश्य दर्शकों को भावनात्मक कर देने वाले हैं। फिल्म के सभी कलाकारों ने शानदार अभिनय किया है। फ़िल्म ‘टेक इट ईज़ी’ के माध्यम से निर्माता ने एक प्रभावी संदेश समाज को बच्चों को और अभिभावकों को दिया है और फिल्म में उसे बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

उल्लेखनीय है कि धर्मेश पंडित को दादासाहेब फाल्के फ़िल्म फाउंडेशन अवार्ड 2024 से सम्मानित किया गया था। इस फ़िल्म मे एक गीत सोनू निगम ने गाया है। फ़िल्म का संगीत ज़ी म्युज़िक ने जारी किया है। हिंदी और साउथ की लैंगुएज के साथ यह फ़िल्म 10 भाषाओं में डब की गई है।

फिल्म की कहानी दो बच्चों के बारे में है। एक बच्चे का पिता खिलाड़ी रह चुका है इसलिए वह अपने बेटे को भी प्लेयर बनाना चाहता है, जबकि बच्चे की रुचि पढ़ाई में है। दूसरे बच्चे के पिता की ख्वाहिश है कि उसका पुत्र खूब पढ़े लिखे, मगर बच्चे को कुछ और पसन्द है। माता पिता कैसे बच्चों के जरिए अपने ख्वाबो को पूरा करना चाहते हैं। इस फ़िल्म की कहानी का पॉइंट यह है। मगर इसके साथ ही कई और मुद्दों को भी इस कहानी में पिरोने का प्रयास किया है। किस प्रकार आजकल स्कूलों में एडमिशन और दूसरी बातों को लेकर स्कूल मैनेजमेंट की हरकतें होती हैं, भारी फीस वाली इंग्लिश मीडियम स्कूलों में माता पिता अपने बच्चों को प्रवेश दिलाना चाहते हैं। इन सब बातों को भी इसमें दर्शाया गया है।

जीवनदाता,देवदूत और मानवता के प्रहरी चिकित्सक

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जीवनदाता,देवदूत और मानवता के प्रहरी चिकित्सक

( नरेंद्र शर्मा परवाना -विभूति फीचर्स)
हर साल एक जुलाई को भारत में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। यह दिन केवल एक तारीख नहीं, बल्कि एक कृतज्ञ समाज का हृदयस्पर्शी सम्मान है उन चिकित्सकों के प्रति, जो जीवन और मृत्यु के बीच खड़े होकर हर दिन इंसानियत की रक्षा करते हैं। चिकित्सक न केवल रोगों का उपचार करते हैं, बल्कि वे उन आशाओं के रक्षक भी हैं, जो परिवारों की आंखों में झलकती हैं। कोरोना महामारी ने इस पेशे की महत्ता को और भी गहराई से उजागर किया, जब चिकित्सकों ने अपनी जान जोखिम में डालकर लाखों लोगों को जीवनदान दिया। यह दिन हमें उनके समर्पण, बलिदान और मानवता के प्रति उनकी अटूट निष्ठा को याद करने का अवसर देता है।

डॉक्टर दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

भारत में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस की शुरुआत सन् 1991 में हुई थी। यह दिन डॉ. बिधान चंद्र रॉय की स्मृति में मनाया जाता है, जो पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री थे, एक उत्कृष्ट चिकित्सक और समाज सुधारक थे। उनकी जन्म और पुण्यतिथि दोनों एक जुलाई को ही पड़ती हैं, जो अपने आप में एक प्रेरक संयोग है। डॉ. रॉय ने चिकित्सा क्षेत्र में अपनी सेवाओं से न केवल मरीजों का जीवन बचाया, बल्कि मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर यह दिन हमें चिकित्सकों के नैतिकता और समर्पण के मूल्यों को याद दिलाता है।

समाज की रीढ़ चिकित्सक

चिकित्सक समाज के वे अनमोल रत्न हैं, जो न केवल बीमारियों का उपचार करते हैं, बल्कि मानवता की सेवा में अपना जीवन समर्पित करते हैं। एक डॉक्टर का काम केवल तकनीकी ज्ञान तक सीमित नहीं है,इसमें धैर्य, करुणा और संवेदनशीलता की भी आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, ग्रामीण भारत में एक डॉक्टर जो सीमित संसाधनों में भी मरीजों का इलाज करता है, वह न केवल एक चिकित्सक है, बल्कि एक सामाजिक योद्धा भी है। वहीं, शहरी अस्पतालों में जटिल सर्जरी करने वाले डॉक्टर अपनी विशेषज्ञता से असंभव को संभव बनाते हैं। चाहे वह एक छोटे से क्लिनिक में मरीज को प्राथमिक उपचार देने वाला डॉक्टर हो या बड़े अस्पताल में जीवन रक्षक ऑपरेशन करने वाला विशेषज्ञ, दोनों ही समाज की रीढ़ हैं।

कोरोना काल में चिकित्सकों की भूमिका

कोविड महामारी ने चिकित्सकों की भूमिका को एक नए आयाम में प्रस्तुत किया। जब पूरा विश्व ठहर सा गया था, तब चिकित्सक अपनी जान जोखिम में डालकर अस्पतालों में डटे रहे। पीपीई किट पहने, महीनों तक परिवारों से दूर रहकर, और अनगिनत घंटों तक काम करते हुए उन्होंने लाखों लोगों की जान बचाई। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली के एक अस्पताल में डॉ. रितु गर्ग ने लगातार 18 घंटे काम करके सैकड़ों मरीजों को ऑक्सीजन और दवाइयाँ उपलब्ध कराईं, जबकि उनकी खुद की जान खतरे में थी। कई चिकित्सकों ने अपने प्राणों की आहुति दी, जिसने समाज को यह सिखाया कि चिकित्सक केवल पेशेवर नहीं, बल्कि मानवता के सच्चे प्रहरी हैं।

व्यवसायीकरण बनाम मानवता की सेवा

आज के दौर में चिकित्सा क्षेत्र में व्यवसायीकरण एक गंभीर चुनौती बनकर उभरा है। कुछ निजी अस्पतालों में मरीजों को अनावश्यक टेस्ट और महंगे इलाज के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे इस पवित्र पेशे की गरिमा पर सवाल उठते हैं। फाइव-स्टार अस्पताल, ऊंची सैलरी और लैब में टेस्ट में मुनाफे की चाह ने कुछ मामलों में चिकित्सा को व्यापार बना दिया है। अनेक निजी अस्पतालों में सामान्य बीमारियों के लिए भी लाखों रुपये का बिल थमाया जाता है, जो आम आदमी की पहुँच से बाहर है। यह व्यवसायीकरण चिकित्सकों और मरीजों के बीच विश्वास को कमजोर करता है।
हालांकि, इसके बावजूद कई चिकित्सक आज भी मानवता की सेवा को सर्वोपरि मानते हैं। उदाहरण के लिए, डॉ. गोविंद प्रकाश अग्रवाल जैसे चिकित्सक, जिन्होंने अपनी चिकित्सा सेवाओं से हजारों लोगों को नवजीवन दिया, सस्ता और गुणवत्तापूर्ण उपचार किया। चिकित्सा में मानवता और व्यवसाय का संतुलन बनाया। समाज को चाहिए कि वह ऐसे चिकित्सकों को प्रोत्साहित करे और व्यवसायीकरण को नियंत्रित करने के लिए नीतियां बनाएं।

चुनौतियां और भविष्य की राह

चिकित्सकों के सामने कई चुनौतियां हैं। अत्यधिक कार्यभार, मरीजों का असंतोष, सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में कमी और बढ़ती चिकित्सकीय हिंसा उनके लिए बड़ा खतरा हैं। हाल के वर्षों में डॉक्टरों पर हमले की घटनाएं बढ़ी हैं, जो न केवल उनके मनोबल को तोड़ती हैं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र को कमजोर करती हैं। इसके लिए एक सुरक्षित माहौल और कठोर कानूनों की आवश्यकता है। साथ ही, मेडिकल शिक्षा को और अधिक मानवीय और संवेदनशील बनाने की जरूरत है, ताकि भविष्य के चिकित्सक न केवल तकनीकी रूप से कुशल हों, बल्कि मानवता के प्रति भी समर्पित हों।
राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस हमें उन अनगिनत चिकित्सकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है, जो समाज की सेवा में अपना जीवन समर्पित करते हैं। यह दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि चिकित्सकों को केवल धन्यवाद नहीं, बल्कि सम्मान, सुरक्षा और समर्थन की भी आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि चिकित्सा क्षेत्र में व्यवसायीकरण मानवता की सेवा के सामने बाधा न बने।

महावाक्य
जब विज्ञान में संवेदना जुड़ती है, तब डॉक्टर जन्म लेते हैं, और वही मानवता का सबसे भरोसेमंद प्रहरी होता है। आइए, इस चिकित्सक दिवस पर हम सब मिलकर उनके योगदान को नमन करें और उनके प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाएं। (विभूति फीचर्स)

तेज रफ्तार डंपर ने 13 गायों को रौंदा

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शुभम नांदेकर, पांढुर्णा। मध्य प्रदेश के पांढुर्णा जिले में शनिवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हो गया। यहां पांढुर्णा-नागपुर मार्ग स्थित नेशनल हाइवे 47 बॉर्डर पर एक रेत से भरे डंपर अनियंत्रित होकर सड़क किनारे खड़ी 13 गायों को रौंदता चला गया। इस दर्दनाक हादसे में 9 गायों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 4 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गईं, जिनका उपचार जारी है।

हादसे के बाद घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई और हाईवे पर दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। स्थानीय पुलिस दल और गौसेवकों की मदद से मृत और घायल गायों को हटाकर यातायात सुचारू किया गया।

डॉ. अंजना सिंह पहुंची मॉरीशस, राष्ट्रपति ने किया गजल संग्रह “यादों की रियासत” का लोकार्पण

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मुंबई। मॉरीशस के विश्व हिंदी सचिवालय में साहित्यकार डॉ. अंजना सिंह सेंगर के गजल संग्रह ‘’यादों की रियासत’’ का लोकार्पण मॉरीशस के राष्ट्रपति धरमवीर गोकुल जीसीएस द्वारा संगीत दिवस पर आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय समारोह में संपन्न हुआ। इस अवसर पर भारत के उप उच्चायुक्त विमर्श आर्यन, विश्व हिन्दी सचिवालय की महासचिव डॉ. माधुरी रामधारी और उप महासचिव डॉ. शुभंकर मिश्र, आर्य नेता उदय नारायण गंगू सहित अमेरिका, तंजानिया, यूएई, भारत साहित कई देशों के साहित्यकार व लेखक भी उपस्थित रहे। यह आयोजन विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस के शिक्षा एवं मानव संसाधन मंत्रालय तथा भारतीय उच्चायोग मॉरीशस के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ।


अंजना सिंह सेंगर के लिए साहित्य प्रेमी मॉरीशस के राष्ट्रपति धरमवीर गोकुल ने कहा कि आपकी गजलों का सफर अब रुकना नहीं चाहिए, इसे अभी और आगे लेकर जाना है। अंजना के गजल संग्रह ‘यादों की रियासत’ से प्रभावित होकर प्रशंसा करते हुए कहा कि गजल मन को सुकून प्रदान करती है। अंजना सिंह देश और विदेश जैसे मॉरीशस, दुबई, फ्रांस, मलेशिया, इंडोनेशिया आदि में साहित्यिक कार्यक्रमों में जाकर वक्तव्य भी देती हैं। उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि विदेशों में लोग हिंदी साहित्य के प्रति बहुत समर्पित हैं। जितना वहाँ भारत और हिंदी के प्रति लगाव है वह बेहद अद्भुत है।
अंजना ने बताया कि छंदबद्ध रचना में उनकी विशेष रुचि है। छन्दबद्ध रचना सीखने में अधिक समय और ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है क्योंकि साहित्य साधना में समय लगता है। जिसके कारण साहित्यकार सरल विधा में लेखन को महत्व देने लगे हैं इससे साहित्य का खजाना छंदबद्ध रचनाएँ लुप्त हो रही हैं। वह चाहती हैं कि वर्तमान पीढ़ी इन छन्दबद्ध रचनाओं की महत्ता को समझे। उनका कहना है कि लोग हर प्रकार की भाषा सीखें मगर अपनी हिंदी भाषा को हृदय में संचित कर रखें।
साहित्य लेखन के लिए केंद्र सरकार की सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाली डॉ. अंजना सिंह सेंगर ने बताया कि अब तक उनकी सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनके नाम हैं – मन के पंख, जुगनू की जंग, जनमानस के महाराज जो उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर लिखी गयी है, सीता माता पर खंड काव्य “विदग्ध वनदेवी, यादों की रियासत, अगर तुम मुझसे कह देते आदि। साथ ही उन्होंने कई शोध पत्र लिखे और संपादित भी किए हैं। उनको देश-विदेश में अब तक साहित्य लेखन में 60 से अधिक सम्मान-पुरस्कार मिल चुके हैं। इससे पहले उनके गजल संग्रह ‘’अगर तुम मुझसे कह देते’’ को उत्तर प्रदेश सरकार का फिराक गोरखपुरी सम्मान भी प्राप्त हो चुका है। डॉ. अंजना ने कहा कि जब हम हिंदी गजल की यात्रा को देखते हैं तो यह एक साहित्यिक धारा नहीं बल्कि संवेदनाओँ का समुंदर नजर आती है जो आने वाले समय में और भी विस्तार करेगी।
डॉ अंजना का मानना है कि उत्कृष्ठ साहित्य देश और समाज को नई दिशा देता है।

Madhubani : शहर में लावारिस घूम रही गाय रहेंगी गौशाला में

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मधुबनी. गौशाला समिति की बैठक मंगलवार को सदर अनुमंडल कार्यालय में हुई. अध्यक्षता सदर अनुमंडल पदाधिकारी सह गौशाला समिति के अध्यक्ष चंदन कुमार झा ने की. बैठक में समिति के अध्यक्ष को बताया कि गौशाला की भूमि कई स्थानों पर अतिक्रमित है. वहीं, सदर एसडीओ ने कहा कि गौशाला की चिह्नित जमीन से अतिक्रमण हटाया जाएगा. शहर में लावारिस घूम रही गायों को पकड़ कर गौशाला में रखने व पशुपालन विभाग की ओर से टैगिंग करने का निर्देश सामिति के अध्यक्ष ने दिया. गौशाला में पल रही गायों की समुचित स्वास्थ्य की देखभाल के लिए सदर एसडीओ ने बैठक में पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सक को निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि नियमित रूप से गायों के स्वास्थ्य की जांच करें. गौशाला के आय- व्यय से संबंधित संचिका को अपडेट करने के लिए गौशाला के सचिव, कोषाध्यक्ष को निर्देश दिया गया. बैठक में सदर एसडीओ ने कहा कि हर तीन माह पर मधुबनी गौशाला समिति की बैठक की जाएगी. इसमें गौशाला की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जाएगा. बैठक में पशुपालन विभाग के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. प्रदीप कुमार, गौशाला समिति के सचिव संजीव यादव, उपाध्यक्ष शंभु पूर्वे, कोषाध्यक्ष सोहन कुमार सर्राफ, सप्पू बरोलिया, अजय धारी सिंह, सुनील कुमार आदि मौजूद थे.

सीकर – श्रीमाधोपुर गौगढ़ बाबा ब्रह्मचारी आश्रम में पुंगनूर गाय का आगमन

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श्रीमाधोपुर। शहर के गौगढ़ बाबा ब्रह्मचारी आश्रम में आंध्र प्रदेश से पुंगनूर नस्ल की देसी गोवंश की एक नन्ही जोड़ी (बछिया-बछड़ा) का यहां आगमन हुआ है। पुंगनूर नस्ल के गोवंश जोड़ी (बछिया गौरा और बछड़ा शिव) के बाबा ब्रह्मचारी आश्रम में आने पर गौपालक ब्रह्मचारी बाबा के शिष्य सतगिरि महाराज ने खूब दुलारा और उन्हें अपने हाथों से गुड़ खिलाया।

गोशाला को यह गौवंश भामाशाह ने दान की है। सतगिरि महाराज इन दोनों गोवंश को अपने साथ ही रखते हैं। महाराज ने जब इन गोवंश को गौरा और शिव नामों से पुकारा तो प्यार भरी पुकार सुनते ही गोवंश दौड़ते-मचलते हुए उनके पास आ गए। महाराज ने बताया कि इनका स्वभाव सौम्य और मिलनसार है। छोटे बच्चों की तरह खेलती भी रहती है।

देखभाल में खर्चा कम

श्रीमाधोपुर में आंध्र प्रदेश की पुंगनूर नस्ल की दुर्लभ गायें आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। इनका दूध औषधीय गुणों से भरपूर है, इनकी देखभाल में कम खर्च आता है। इन गायों की ऊंचाई, लंबाई और चौड़ाई सामान्य गायों की तुलना में काफी कम होती है। इनकी खुराक भी कम होती है, और ये दूध भी देती हैं। श्रीमाधोपुर में इन गायों की उपस्थिति लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है, और गौ संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक है।

प्रतिदिन दो से तीन किलो तक दूध

लगभग दो फीट की इन गायों की औसत कीमत चार लाख से नौ लाख रुपए तक है। यह हर दिन औसत दो से तीन किलो तक दूध दे देती हैं। आंध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले के पुंगनूर क्षेत्र की गायों को राजस्थान के शेखावाटी अंचल की आबोहवा पसंद आने लगी है। कम हाइट के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध इस नस्ल की कुछ गायों को श्रीमाधोपुर लाया गया है। गोवंश को यहां का घास, दूब, पानी, बांट खूब पसंद आ रहा है।

यूपी सरकार और एनडीडीबी के बीच एमओयू

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लखनऊ। दुग्ध क्षेत्र को आत्मनिर्भर, तकनीकी रूप से सशक्त और पशुपालकों के लिए लाभकारी बनाने की दिशा में बुधवार का दिन बेहद अहम रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन (पीसीडीएफ) संचालित तीन डेयरी प्लांट (कानपुर, गोरखपुर और कन्नौज) तथा अम्बेडकरनगर की पशु आहार निर्माणशाला के संचालन हेतु राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के साथ अहम समझौता हुआ।

एनडीडीबी को संचालन सौंपे जाने से इन इकाइयों में तकनीकी दक्षता और पारदर्शिता के नए मानक स्थापित होंगे। साथ ही, दुग्ध उत्पादकों को समयबद्ध भुगतान, बेहतर मूल्य और स्थायी विपणन की सुविधा प्राप्त होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार दुग्ध उत्पादकों की आय बढ़ाने, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने और उपभोक्ताओं को गुणवत्ता युक्त उत्पाद उपलब्ध कराने हेतु पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।

एनडीडीबी जैसे दक्ष एवं अनुभवी संस्थान को संचालन सौंपे जाने से इन इकाइयों में तकनीकी कुशलता, व्यावसायिक पारदर्शिता और किसानों को प्रत्यक्ष लाभ सुनिश्चित होगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पशुधन संपदा और दुग्ध उत्पादन की विशाल क्षमता को यदि नियोजित और वैज्ञानिक तरीके से विकसित किया जाए, तो यूपी न केवल देश का अग्रणी दुग्ध उत्पादक राज्य बन सकता है, बल्कि वैश्विक डेयरी मानचित्र पर भी अपनी अलग पहचान स्थापित कर सकता है।

मृत हुए गौसेवकों के परिजनों को दी जाए 50- 50 लाख की आर्थिक सहायता

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गौवंश को बचाने गए कुएं में जहरीली गैस के रिसाव से मृत हुए गौसेवकों के परिजनों को दी जाए 50- 50 लाख की आर्थिक सहायता व परिवार के व्यक्ति को नौकरी :- रुद्रप्रताप सिंह
मुरैना:- गुना जिले के धरनावदा गांव में हुई दुखद घटना हुई उसके लिए गौ उत्थान एवं जनकल्याण समिति के गौसेवकों ने गौ सेवा धाम चम्बल कॉलोनी पर गौसेवकों की आत्म शांति के लिए मौन रहकर गौमाता से प्रार्थना की कि उनको अपने श्री चरणों में स्थान दे उसके बाद गौ सांसद रुद्रप्रताप सिंह के नेतृत्व में गौसेवकों ने ए डी एम महोदय को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया जिसमें बताया गया कि दिनांक 24.06.2025 को गुना जिले के धरनावदा गांव में गौवंश कुए में गिर गया उसको निकालने के लिये गांव के व्यक्ति सिद्धार्थ सहरिया पुत्र दीवान सिंह, उम्र 25 वर्ष, गुरुदयाल ओझा पुत्र गंगाराम ओझा उम्र 40 वर्ष, शिवचरन साहू पुत्र भंवरलाल साहू आयु 40 वर्ष, सोनू कुशवाह पुत्र पप्पू कुशवाह आयु 28 वर्ष, मन्नू कुशवाह पुत्र श्रीकृष्ण कुशवाह आयु 35 वर्ष कुऐ में घुसे। कुंए में जहरीली गैस के रिसाव के कारण उनकी मृत्यु हो गई व पवन ग्यासीयाम कुशवाह की गम्भीर हालत है।
अतः माननीय जी से निवेदन है कि मृतकों के परिजनों को 50-50लाख रुपये आर्थिक सहायता व इनके परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दिये जाने एवं घायल को 5लाख रुपये की आर्थिक सहायता दिये जाने की कृपा करें।
ज्ञापन देने वालों में बैजनाथ हरिया चाचा, गौ रक्षा दल के प्रदेश महामंत्री व गौ संसद रुद्रप्रताप सिंह,अंशु सिकरवार, गौ रक्षा दल के संभागीय अध्यक्ष सौरभ कुशवाह, जिला अध्यक्ष राहुल राठौर, विनय दुबे, पप्पी सिकरवार,बिहारी लाल यादव,मोहित प्रजापति, हर्ष गौड़, गौरव तोमर,राजा तोमर, देवेंद्र पचौरी, हर्षित राठौर, विवेक राठौर, आदित्य राजपूत आदि।