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डॉ. अंजना सिंह पहुंची मॉरीशस, राष्ट्रपति ने किया गजल संग्रह “यादों की रियासत” का लोकार्पण

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मुंबई। मॉरीशस के विश्व हिंदी सचिवालय में साहित्यकार डॉ. अंजना सिंह सेंगर के गजल संग्रह ‘’यादों की रियासत’’ का लोकार्पण मॉरीशस के राष्ट्रपति धरमवीर गोकुल जीसीएस द्वारा संगीत दिवस पर आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय समारोह में संपन्न हुआ। इस अवसर पर भारत के उप उच्चायुक्त विमर्श आर्यन, विश्व हिन्दी सचिवालय की महासचिव डॉ. माधुरी रामधारी और उप महासचिव डॉ. शुभंकर मिश्र, आर्य नेता उदय नारायण गंगू सहित अमेरिका, तंजानिया, यूएई, भारत साहित कई देशों के साहित्यकार व लेखक भी उपस्थित रहे। यह आयोजन विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस के शिक्षा एवं मानव संसाधन मंत्रालय तथा भारतीय उच्चायोग मॉरीशस के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ।


अंजना सिंह सेंगर के लिए साहित्य प्रेमी मॉरीशस के राष्ट्रपति धरमवीर गोकुल ने कहा कि आपकी गजलों का सफर अब रुकना नहीं चाहिए, इसे अभी और आगे लेकर जाना है। अंजना के गजल संग्रह ‘यादों की रियासत’ से प्रभावित होकर प्रशंसा करते हुए कहा कि गजल मन को सुकून प्रदान करती है। अंजना सिंह देश और विदेश जैसे मॉरीशस, दुबई, फ्रांस, मलेशिया, इंडोनेशिया आदि में साहित्यिक कार्यक्रमों में जाकर वक्तव्य भी देती हैं। उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि विदेशों में लोग हिंदी साहित्य के प्रति बहुत समर्पित हैं। जितना वहाँ भारत और हिंदी के प्रति लगाव है वह बेहद अद्भुत है।
अंजना ने बताया कि छंदबद्ध रचना में उनकी विशेष रुचि है। छन्दबद्ध रचना सीखने में अधिक समय और ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है क्योंकि साहित्य साधना में समय लगता है। जिसके कारण साहित्यकार सरल विधा में लेखन को महत्व देने लगे हैं इससे साहित्य का खजाना छंदबद्ध रचनाएँ लुप्त हो रही हैं। वह चाहती हैं कि वर्तमान पीढ़ी इन छन्दबद्ध रचनाओं की महत्ता को समझे। उनका कहना है कि लोग हर प्रकार की भाषा सीखें मगर अपनी हिंदी भाषा को हृदय में संचित कर रखें।
साहित्य लेखन के लिए केंद्र सरकार की सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाली डॉ. अंजना सिंह सेंगर ने बताया कि अब तक उनकी सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनके नाम हैं – मन के पंख, जुगनू की जंग, जनमानस के महाराज जो उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर लिखी गयी है, सीता माता पर खंड काव्य “विदग्ध वनदेवी, यादों की रियासत, अगर तुम मुझसे कह देते आदि। साथ ही उन्होंने कई शोध पत्र लिखे और संपादित भी किए हैं। उनको देश-विदेश में अब तक साहित्य लेखन में 60 से अधिक सम्मान-पुरस्कार मिल चुके हैं। इससे पहले उनके गजल संग्रह ‘’अगर तुम मुझसे कह देते’’ को उत्तर प्रदेश सरकार का फिराक गोरखपुरी सम्मान भी प्राप्त हो चुका है। डॉ. अंजना ने कहा कि जब हम हिंदी गजल की यात्रा को देखते हैं तो यह एक साहित्यिक धारा नहीं बल्कि संवेदनाओँ का समुंदर नजर आती है जो आने वाले समय में और भी विस्तार करेगी।
डॉ अंजना का मानना है कि उत्कृष्ठ साहित्य देश और समाज को नई दिशा देता है।

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