मोहन यादव सरकार शीघ्र ही एक प्रस्ताव तैयार करने जा रही है, जिसमें मप्र में अब गोवंश की मौत पर उसका अंतिम संस्कार करना अनिवार्य होगा और ऐसा नहीं करने पर गोपालकों पर सजा के साथ ही जुर्माने का प्रावधान भी किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि अक्सर वर्षा काल में प्रमुख सड़कों और राजमार्गों पर गौ माता के बैठे रहने की बातें सामने आती हैं। इसी दौरान गौ माता दुर्घटनाओं की शिकार भी हो जाती हैं। ऐसी व्यवस्था आवश्यक है कि गौ माता सड़कों पर न दिखें। इनके लिए गौशालाओं के लिए राशि और मानदेय वृद्धि का निर्णय लिया जाएगा।
यह बात मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने गौशाला संचालकों की बैठक में कही। इस बैठक में पशुपालन मंत्री लखन पटेल भी थे। पटेल ने कहा कि वे शीघ्र ही गौशाला संचालकों को बैठक में आमंत्रित कर सुझाव प्राप्त करेंगे। मुख्यमंत्री ने इसी माह यह बैठक आयोजित करने के निर्देश दिए।
नगरों के महापौर और अन्य जनप्रतिनिधि भी इस बैठक में शामिल किए जाएं, बैठक में गौ शालाओं के बेहतर संचालन, गौ पालकों द्वारा सहयोग प्राप्त करने और केंद्र सरकार से इस संबंध में अधो संरचनात्मक कार्यों के लिए राशि प्राप्त करने पर भी चर्चा हुई।
धार्मिक रस्में भी होंगी
मृत गौवंश का विधि-विधान से अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत गौशालाओं के पास मृत गौवंश की समाधि बनाई जाएगी। इस दौरान अंतिम विदाई देने के लिए धार्मिक रस्में भी अदा करना होंगी। यह देश का पहला राज्य है, जहां मृत गौवंश की समाधि बनाई जाएगी। दरअसल, पिछले करीब डेढ़ साल से गौशालाओं के पास बड़ी संख्या में गायों के कंकाल मिलने की खबरें मिली थीं। इससे सरकार की छवि खराब हो रही है।
गौरतलब है कि प्रदेश में 1758 गौशालाएं संचालित हो रही हैं, जिनमें दो लाख 76 हजार गौवंश हैं। करीब 1500 गौशालाएं निर्माणाधीन हैं। इनका निर्माण पूरा होने पर करीब डेढ़ लाख गौवंश गौशालाओं में पहुंच जाएगा। सडक़ों पर करीब साढ़े चार लाख गौवंश है।
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