मुंबई:मनसे प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) द्वारा शुक्रवार को दादर के शिवाजी पार्क (Shivaji Park) में आयोजित दीपोत्सव कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) भी पहुंचे। तीनों नेताओं के एक मंच पर आने के बाद आगामी बीएमसी चुनाव (BMC Election) में बीजेपी, शिंदे की नई पार्टी ‘बालासाहेब की शिवसेना’ और राज ठाकरे की पार्टी ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ (मनसे) के नए गठबंधन की संभावनाएं दिखाई देने लगी है। यह नया गठबंधन उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की पार्टी ‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ को घेरने में बड़ी भूमिका निभा सकता है, क्योंकि राज ठाकरे द्वारा आयोजित कार्यक्रम में न सिर्फ शिंदे और फडणवीस शामिल हुए, बल्कि उन्होंने ही इस कार्यक्रम का इलेक्ट्रिक बटन दबाकर उद्घाटन भी किया। इसके साथ ही पूरा शिवाजी पार्क एरिया बिजली की रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा उठा।
शिवाजी पार्क में 10 साल से दिवाली
शिवाजी पार्क पर आयोजित इस कार्यक्रम से पहले शिंदे और फडणवीस राज ठाकरे के घर भी गए। तीनों नेताओं के बीच करीब आधे घंटे चर्चा हुई। उसके बाद तीनों एक साथ शिवाजी पार्क पहुंचे। खास बात यह थी कि राज की एक तरफ शिंदे थे और दूसरी तरफ फडणवीस थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि राज ठाकरे पिछले 10 साल से शिवाजी पार्क पर दीपोत्सव मना रहे हैं, लेकिन इच्छा होते भी वह इस कार्यक्रम में नहीं आ सके। उनका इशारा उद्धव की पार्टी शिवसेना में होने के कारण न आ पाने की तरफ था। उन्होंने कहा कि अब आना हुआ है, क्योंकि हर काम के लिए एक समय निर्धारित होता है।
‘हमारी सरकार सर्व सामान्य जनता की सरकार’
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार सर्व सामान्य जनता की सरकार है, इसलिए यह सरकार राज ठाकरे के सुझावों को भी स्वीकार कर लेती है। बता दें कि हाल ही में राज ठाकरे ने जब अंधेरी उप चुनाव में बीजेपी से उम्मीदवार न उतारने की अपील की थी, उसके बाद ही बीजेपी ने अपना उम्मीदवार वापस ले लिया था। राज ठाकरे ने हाल ही में सरकार से राज्य में ‘गीला-सूखा’ यानी अतिवृष्टि के कारण किसानों की बर्बाद हुई फसलों को सूखे के समान ही मुआवजा देने की मांग की है।
गठबंधन का कितना असर होगा?
अगर यह गठबंधन हुआ तो आगामी बीएमसी चुनाव में इसका खासा असर पड़ सकता है। जिससे सबसे ज्यादा नुकसान उद्धव ठाकरे गुट को होगा। दरअसल बीएमसी चुनाव में उद्धव ठाकरे गुट बिल्कुल अलग-थलग पड़ता हुआ नजर आ रहा है। क्योंकि महाविकास अघाड़ी गठबंधन के घटक दल कांग्रेस ने इस चुनाव को अकेले खुद के दम पर लड़ने का फैसला किया है। हालांकि, एनसीपी ने पूरी तरह से अपने पत्ते नहीं खोले हैं। दूसरी सबसे बड़ी बात है कि उद्धव ठाकरे के गुट फिलहाल सत्ता से बाहर है। जबकि एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस का गठबंधन है और वो राज्य की सत्ता पर भी काबिज हैं।
इसमें अगर एमएनएस शामिल हो जाती है तो फिर उद्धव ठाकरे की मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं। राज्य या बीएमसी की सियासत में राज ठाकरे की एमएनएस का फिलहाल कोई बड़ा कद नहीं है लेकिन वो उद्धव ठाकरे को मिलने वाले मराठी वोटों में सेंध जरूर लगा सकते हैं। जिसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा। बीजेपी, इस बार किसी भी कीमत पर उद्धव ठाकरे को बीएमसी की सत्ता से हटाने की कोशिशों में जुटी हुई है।