राहुल गांधी फिलहाल देश में नहीं है जिसकी वजह से पेशी की तारीख को 5 जून तक टालने के लिए पत्र लिखा गया है। इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस (Congress) की ओर से केंद्र सरकार पर निशाना साधा गया तो वहीं सरकार की ओर से कहा गया कि जब कोई गलती नहीं की तो चिंता किस बात की। आखिर यह नेशनल हेराल्ड का पूरा मामला है क्या जिसको लेकर गांधी परिवार के सामने यह मुश्किल खड़ी हुई है।
ईडी के अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बयान दर्ज करना चाहती है। ईडी ने जांच के तहत हाल में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल से पूछताछ की थी। अधिकारियों ने बताया कि ईडी सोनिया गांधी और राहुल गांधी तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से पूछताछ कर वित्तीय लेनदेन, यंग इंडियन के प्रवर्तकों और एजेएल की भूमिका के बारे में पता लगाना चाहती है। यहां की एक निचली अदालत द्वारा यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आयकर विभाग की जांच का संज्ञान लेने के बाद एजेंसी ने पीएमएलए के आपराधिक प्रावधानों के तहत एक नया मामला दर्ज किया था। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस संबंध में 2012 में एक शिकायत दर्ज कराई थी।
नेशनल हेराल्ड केस, क्या है आरोप;
यह मामला नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़ा है। साल 1938 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसकी स्थापना की। अखबार का मालिकाना हक एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड एजेएल के पास था जो दो और अखबार छापा करती थी हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज। 1956 में एजेएल को गैर व्यावसायिक कंपनी के तौर पर स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 से कर मुक्त कर दिया गया। कंपनी धीरे-धीरे घाटे में चली गई। कंपनी पर 90 करोड़ का कर्ज भी चढ़ गया।
इस बीच साल 2010 में यंग इंडियन के नाम से एक अन्य कंपनी बनाई गई। जिसका 76 प्रतिशत शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास और बाकी का शेयर मोतीलाल बोरा और आस्कर फर्नांडिस के पास था। कांग्रेस पार्टी ने अपना 90 करोड़ का लोन नई कंपनी यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। लोन चुकाने में पूरी तरह असमर्थ द एसोसिएट जर्नल ने सारा शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। इसके बदले में यंग इंडियन ने महज 50 लाख रुपये द एसोसिएट जर्नल को दिए। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया कि यंग इंडियन प्राइवेट ने केवल 50 लाख रुपये में 90 करोड़ वसूलने का उपाय निकाला जो नियमों के खिलाफ है।
कैसे शुरू हुआ पूरा मामला और कैसे बढ़ा आगे;
साल 2012 नवंबर महीने में सुब्रमण्यम स्वामी ने केस दर्ज कराया। केस दर्ज होने के दो साल बाद जून 2014 में अदालत ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ समन जारी किया। इसी साल अगस्त महीने में प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने संज्ञान लिया और मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। केस दर्ज होने के बाद अगले साल 19 दिसंबर 2015 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत अन्य आरोपियों को दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने नियमित जमानत दी।
इसके अगले साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई रद्द करने से इनकार कर दिया। राहत की बात यह रही कि कोर्ट ने सभी आरोपियों को व्यक्तिगत पेशी से छूट प्रदान कर दी। इसके दो साल बाद 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने सोनिया और राहुल गांधी की आयकर विभाग के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस की ओर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और कहा कि आयकर की जांच चलती रहेगी।