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गोसेवा के साथ शुरू होती है नुहियांवाली के ग्रामीणों की सुबह

गोसेवा के साथ शुरू होती है नुहियांवाली के ग्रामीणों की सुबह : गोशाला के लिए गीता ने दान दी थी छह एकड़ भूमि तो सतपाल ने त्याग दिया था घर

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गोसेवा के साथ शुरू होती है नुहियांवाली के ग्रामीणों की सुबह : गोशाला के लिए गीता ने दान दी थी छह एकड़ भूमि तो सतपाल ने त्याग दिया था घर

ओढां। बेसहारा घूम रहे गोवंश को आश्रय देने के उद्देश्य से वर्ष 2003 में गांव नुहियांवाली में खोली गई श्रीराम भगत हनुमान गोशाला जिले की बड़ी गोशालाओं में शुमार हो चुकी है। गोशाला में करीब 800 गोवंश आश्रय पा रहे हैं।
गोसेवा में लोगों की रुचि इस कदर है कि हर रोज अलसुबह गांव के पुरुष, महिलाएं व युवाओं ने गोशाला में समय लगाने को रोजमर्रा की दिनचर्या में शामिल कर रखा है। गोशाला को सुचारू रूप से चलाने के लिए जहां गोशाला कमेटी के प्रयास सराहनीय हैं, तो वहीं ग्रामीणों की गोसेवा में रूचि भी काबिल-ए-तारीफ है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण ये है कि गांव के लोग विवाह-शादी या अन्य अवसरों पर गोसेवा के लिए दान करना कभी नहीं भूलते। वैसे तो इस गोशाला के निर्माण में अनेक लोगों का सहयोग है, लेकिन गांव की बेटी गीता गोदारा का नाम गोभक्तों की उच्च श्रेणी में लिया जाता है। गीता देवी ने गोसेवा में एक बड़ी मिसाल पेश करते हुए अपने हिस्से की करीब 6 एकड़ भूमि गोशाला के नाम की। वहीं स्व. सतपाल बडजाती का नाम भी गोसेवा में सम्मान के साथ लिया जाता है, इन्होंने गोसेवा के लिए अपना घर तक त्याग दिया था। ग्रामीण दलीप सोनी, नत्थूराम बडजाती, रामस्वरूप सुथार, साहब राम कारगवाल, लक्ष्मणदास देमीवाल व गांव की बेटी इंदिरा देवी सरस्वां के अलावा गांव के अनेक गणमान्य लोगों ने गोशाला के निर्माण व प्रसार में अपनी अहम भूमिका निभाते हुए आमजन को गोसेवा के लिए प्रेरित किया है। इसके अलावा राजनीतिक लोगों ने भी उक्त गोशाला के निर्माण सराहनीय सहयोग किया। गोशाला में स्थित श्री कृष्ण मंदिर में महिलाएं हर रोज भजन कीर्तन किए जाते हैं।

नस्ल सुधार के लिए किए जा रहे हैं प्रयास
गोशाला में नस्ल सुधार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। हरियाणा, साहीवाल व थारपारकर नस्ल को बढ़ावा देने के लिए गोशाला में बैल तैयार किए जा रहे हैं। गोशाला में इस समय 100 से अधिक हरियाणा व करीब 50 साहीवाल गाय हैं। प्रबंधन कमेटी के अनुसार नस्ल के लिए गोवंश को अलग-अलग जगहों पर रखकर उन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

गांव के लोगों का गोसेवा का जज्बा अति सराहनीय है, चाहे वो गोवंश के चारे की बात हो या अलसुबह गोसेवा की या फिर शुभ अवसरों पर गोसेवा के लिए दान देने की। ग्रामीणों की गोसेवा की बदौलत आज यहां पर करीब 800 गोवंश आश्रय पा रहे हैं। गोशाला में नस्ल सुधार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। – महेंद्र निमीवाल, गोशाला प्रधान

गोसेवा में सिरसा जिला पूरे प्रदेशभर में आगे है, क्योंकि जिला अब तक 138 गोशालाएं खुल चुकी हैं और अन्य गांवों में भी हमारा प्रयास चल रहा है। सरकार की ओर से भी गोशालाओं को मदद दी जा रही है। नुहियांवाली के ग्रामीणों का गोसेवा में एक बड़ा योगदान है, जो काबिल-ए-तारीफ है। उससे भी सराहनीय गांव की बेटियों व गोभक्तों की गौ सेवा का जज्बा है। – योगेश बिश्नोई, जिलाध्यक्ष (गोवंश-गोशाला सेवा संघ हरियाणा)
गोशाला में गोवंश के स्वास्थ्य की देखरेख के लिए विभाग हर समय तैयार है। गोवंश का उपचार, टैगिंग व समय-समय पर रोगों की रोकथाम के लिए टीकाकरण प्राथमिक के रूप में किया जाता है। – सोनू पूनिया, वीएलडीए।

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