७ नवंबर की कहानी – आचार्य रामरंग(एक प्रत्यक्षदर्शी ) की जुबानी , पढ़िए इंदिरा गाँधी की बर्बरता की कहानी
नई दिल्ली का पूरा इलाका लोगों की भीड़ से भरा था। संसद गेट से लेकर चांदनी चैक तक सिर ही सिर दिखाई दे रहे थे। कम से कम 10 लाख लोगों की भीड़ जुटी थी, जिसमें 10 से 20 हजार तो केवल महिलाएं ही शामिल थीं। जम्मू-कश्मीर से लेकर केरल तक के लोग गोहत्याबंद कराने के लिए कानून बनाने की मांग लेकर संसद के समक्ष जुटे थे। गौहत्या रोकने के लिए इंदिरा सरकार केवल आश्वासन ही दे रही थी, ठोस कदम कुछ भी नहीं उठा रही थी। सरकार के झूठे वादे से तंग आकर संत समाज ने संसद के बाहर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया था।”