बिलासपुर। देखने में तो यह पालीथिन और कचरे का ढेर नजर आ रहा है, लेकिन यह कुछ और हैं। कुछ दिन पहले तिफरा के यदुनंदन नगर के पीछे के खाली बंजर पड़े जमीन में एक गाय की मौत हो गई थी। फिर धीरे-धीरे उनका शरीर डिकम्पोज होने लगा और चील, कव्वा ये और शियार ने भक्षण कर लिया। इसके बाद जो अवशेष बचा है, वो आपके सामने है।इसमें करीब 15 से 20 प्रतिशत पालीथिन नजर आ रहा है। खत्म न होने वाले इस पालीथिन ने ही गाय की जान ले ली। इसमें साफ दिख रहा कि इस पालीथिन के उपयोग से कितने गंभीर परिमाण सामने आते हैं। सरकार ने पालीथिन पर बैन लगा दिया है, क्योंकि यह पर्यावरण के लिए काफी घातक साबित हो रहा है।
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शहरी क्षेत्र में इन पालीथिन की बिक्री रोकने की जिम्मेदारी नगर निगम को दी गई है। साथ ही कहा गया है लोगों को भी जागरूक किया जाए और जुट के थैले उपयोग करने प्रेरित किया जाए। लेकिन इन कार्यों में महज खानापूर्ति की जा रही है। दिखावे के लिए कार्यवाही की जाती है, उसके बाद सब शांत हो जाता है। बाजार में धड़ल्ले से प्रतिबंधित प्लास्टिक और पालीथिन की बिक्री बढ़ते ही जा रही है। इसका बूरा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है और बेवजह इसे खाकर बेसहारा मवेशियों को अपने जान से हाथ धोना पड़ रहा है।
शहरी क्षेत्र में इन पालीथिन की बिक्री रोकने की जिम्मेदारी नगर निगम को दी गई है। साथ ही कहा गया है लोगों को भी जागरूक किया जाए और जुट के थैले उपयोग करने प्रेरित किया जाए। लेकिन इन कार्यों में महज खानापूर्ति की जा रही है।
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