मुंबई: महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के सारे चरण खत्म होते ही महायुति में मचमच शुरू हो गई है। महायुति में शामिल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना से इसकी शुरूआत हुई है। एक तरफ तो शिंदे की पार्टी के नेता अपने ही नेता के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं, वहीं महायुति में शामिल अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी पर भी चुनाव में मदद न करने का आरोप लग रहा है। इस मचमच में बीजेपी नेता की भी एंट्री हो गई है, जिन्होंने शिंदे शिवसेना के नेता पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री शिंदे की अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अजित ने अपने विधायकों की बैठक बुलाई है, जिसमें लोकसभा चुनाव के दौरान की स्थिति का आकलन किया जाएगा।

कीर्तिकर बनाम शिंदे
मुख्यमंत्री शिंदे की पार्टी के नेता और उत्तर-पश्चिम मुंबई से सांसद गजानन कीर्तिकर इन दिनों अपनी पार्टी के नेताओं के निशाने पर हैं। शिवसेना के उप नेता और पूर्व विधायक शिशिर शिंदे ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर गजानन पर पार्टी विरोधी होने का आरोप लगाते हुए उन्हें पार्टी से निकालने की मांग की है। शिशिर ने पत्र में लिखा कि पूर्व सांसद गजानन और उनकी पत्नी ने राज्य में पांचवें चरण के मतदान के दिन पार्टी विरोधी बयान देकर विपक्षी उद्धव ठाकरे गुट का पक्ष लिया। उन्होंने शिंदे से अनुरोध किया है कि पार्टी का जो नेता मातोश्री के सामने जो नतमस्तक है, उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाए। उन्होंने कहा कि गजानन के बेटे अमोल कीर्तिकर को ठाकरे गुट ने उत्तर-पश्चिम मुंबई लोकसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा है। अमोल अपने पिता गजानन के ऑफिस का इस्तेमाल कर रहे हैं। शिशिर ने आरोप लगाया है कि गजानन सीएम शिंदे के साथ हैं, लेकिन उनके एमपीएलएडी फंड का इस्तेमाल अमोल ने अपने क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए किया। इसके परिणामस्वरूप शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में असंतोष फैल गया, क्योंकि इससे ठाकरे खेमे को फायदा हुआ। शिशिर के मुताबिक, गजानन की पत्नी ने मतदान के दिन मुख्यमंत्री को अपमानित किया और ठाकरे गुट का पक्ष लिया।

विवाद में बीजेपी नेता की एंट्री

शिंदे की पार्टी के नेता के गजानन पर लगाए इन आरोपों के बीच बीजेपी नेता प्रवीण दरेकर ने भी उनके खिलाफ बयान देकर विरोध को हवा दी है। दरेकर ने आरोप लगाया है, ‘गजानन मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट से खुद चुनाव लड़ने के लिए शिंदे की शिवसेना से टिकट पाना चाह रहे थे। उनकी योजना अंतिम क्षण में अपनी उम्मीदवारी वापस लेकर बेटे और शिवसेना (ठाकरे गुट) के उम्मीदवार अमोल को निर्विरोध चुनकर लाने की थी।’

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