हाल ही में राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर आयोजित किया गया था, जिसमें पार्टी के प्रमुख नेता शामिल हुए थे। इस चिंतन शिविर में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाने की मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ा। पार्टी के कई नेताओं ने राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की पैरवी की। इसी दौरान आचार्य प्रमोद कृष्णम ने एक ‘सुझाव’ दिया जो पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी को नागवार गुजरी और गुस्से में उन्होंने दीपेंद्र हुड्डा को कृष्णम को चुप कराने का इशारा किया।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी आचार्य प्रमोद कृष्णम से कहा कि जूनियर सदस्यों से इस तरह बोलने की उम्मीद नहीं की जाती है। बाद में वाड्रा ने कई सदस्यों के सामने कृष्णम को फटकार लगाई। प्रियंका ने गुस्से में उनको अपने राजनीतिक ‘सलाहकार’ जैसा बर्ताव करने का आरोप लगाया, जबकि किसी ने उन्हें ऐसा कोई अधिकार नहीं दिया था। दरअसल, प्रमोद कृष्णम ने कहा था कि अगर राहुल गांधी पार्टी का अध्यक्ष नहीं बनना चाहते तो प्रियंका गांधी को यह जिम्मेदारी क्यों नहीं दी जाती। उदयपुर की बैठक में जी-23 सदस्य अधिकांश मौकों पर चुप ही रहे।
चिंतन शिविर को लेकर सियासी गलियारों में भी हलचल दिखाई दी। उदयपुर में कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिविर में संगठन को मजबूत करने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा हुई। हालांकि कई नेताओं, कांग्रेस शासित राज्य के मंत्रियों, पीसीसी के कार्यकारी अध्यक्षों और राष्ट्रीय प्रवक्ताओं को इस शिविर में न बुलाए जाने की चर्चा भी जोरों पर रही। हार्दिक पटेल को इस चिंतन शिविर में शामिल होने का न्योता दिया गया था लेकिन वह उदयपुर नहीं पहुंचे और इसके बाद उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा भी दे दिया .
पार्टी के पंजाब यूनिट के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी इस्तीफा दे दिया और वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। पिछले कुछ महीनों में राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले कई नेताओं ने पार्टी का दामन छोड़ा है, जिसके बाद पार्टी इस ‘भगदड़’ को लेकर चिंतित नजर आ रही है।

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