दिल्ली के वसंत विहार इलाके के एक फ्लैट में 50 साल की एक महिला और उसकी दो बेटियों ने शनिवार को आत्महत्या कर ली थी। इसी मामले में दिल्ली पुलिस ने बताया है कि, मां-बेटियों ने आत्महत्या को अंजाम देने से पहले पूरे फ्लैट को गैस चैम्बर में तब्दील कर दिया था। वसंत विहार इलाके में हुए इस तिहरे आत्महत्या के मामले में दिल्ली पुलिस ने यह भी पाया है कि तीनों की मौत दम घुटने से हो गई थी। जबकि फ्लैट से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें फ्लैट में आने वालों के लिए चेतावनी लिखी गई थी।
वसंत विहार इलाके में हुए इस तिहरे आत्महत्या के मामले में पुलिस को सभी दरवाजे, खिड़कियां और वेंटिलेटर ढंके हुए मिले, जिन्हें एक खास पन्नी जैसी वस्तु से ढंका गया था। जाहिर तौर पर इस प्रक्रिया को इसलिए अपनाया गया था, ताकि यह अंगीठी का धुआं कमरे से बाहर न जाए और बाहर के तरफ से कोई भी भीतर न देख सके। पुलिस जांच से अब तक पता चला है कि यह सारी चीजें ऑनलाइन मंगवाई गई थी इसके अलावा, पुलिस ने यह भी पाया कि फ्लैट के अन्दर रसोई गैस सिलेंडर का नॉब चालू था और एक अंगीठी जल रही थी। इस अंगीठी के धुएं के कारण ही फ्लैट गैस चैंबर में तब्दील हो गया और वेंटिलेशन के सारे माध्यम पहले से ही बंद किए जाने के कारण फ्लैट में जहरीली गैस कार्बन मोनोऑक्साइड का निर्माण हुआ, जिससे तीनों की मौत हो गई। जब पुलिस ने फ्लैट में घुसी थी तो उन्होंने तीन शवों को एक कमरे (बेडरूम) में पाया था, जिसमें अंगीठी रखी हुई थी।
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घर से बरामद हुए सुसाइड नोट में चेतावनी के तौर पर लिखा गया था कि, “फ्लैट में आने वाला कोई भी शख्स माचिस नहीं जलाएं, क्योंकि इससे आग लग सकती है। नोट में यह भी लिखा था कि “कमरे में बहुत ही खतरनाक व जानलेवा गैस कार्बन मोनोऑक्साइड मौजूद है, यह ज्वलनशील है। कृपया आने के बाद आराम से खिड़की और पंखा खोलकर कमरे को हवादार बनाए। माचिस, मोमबत्ती या कुछ भी न जलाएं। पर्दा हटाते समय भी सावधान रहें, क्योंकि कमरा खतरनाक गैस से भरा है; सांस न लें। घटना में मरने वालों में महिला की पहचान मंजू श्रीवास्तव और उसकी बेटियों अंशिका और अंकू के रूप में हुई है। नौकरानी और पड़ोसियों ने पुलिस को बताया है कि महिला के पति उमेश चंद्र श्रीवास्तव की पिछले साल कोविड से मृत्यु हो गई थी और परिवार तब से परेशान था। पुलिस को पता चला है कि महिला भी अस्वस्थ थी और बीते कुछ समय से वह बिस्तर पर ही थी।