बयानों की वजह से चर्चा में रहने वाले देब, ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है कारण उनके उटपटांग बयानबाज़ी बताई जा रही है , मगर इसके पीछे के राजनीतिक समीकरण को समझने की जरुरत है। संघ के चाहते सुनील देवधर के खास बिप्लब देब यैसे इस्तीफा देंगे कोइ सोच नहीं सकता है। मगर उनकेअपने विवादित बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाले देव के कुछ बयान प्रस्तुत है।

महाभारत काल में इंटरनेट होने की बात कहने वाले त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देब ने शनिवार को पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान उनके कार्यकलापों से संतुष्ट नहीं थे। इसकी पुष्टि उनके ताजा बयान से भी मिलती है। त्रिपुरा का सीएम बनने के बाद से बिप्लब कुमार देब ने अब तक कई ऐसे बयान दिए हैं, जिनको लेकर विवाद हो चुका है। उनके बयानों को लेकर उनकी खूब आलोचना भी हो चुकी है। वे न केवल महाभारत वाले बयान बल्कि पान की दुकान खोलने जैसे बयानों को लेकर विपक्ष के निशाने पर आ चुके हैं।

रवींद्रनाथ टैगोर को मिले नोबेल पुरस्कार को लेकर की थी गलत बयानी
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने रवींद्रनाथ टैगोर को मिले नोबेल पुरस्कार को लेकर भी गलत बयानी की थी। उन्होंने 2018 में उदयपुर में टैगोर की जयंती पर श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि टैगोर ने अंग्रेजों का विरोध करते हुए अपना नोबेल पुरस्कार लौटा दिया था। बिप्लब के इस बयान को लेकर उनकी सोशल मीडिया पर खूब आलोचना हुई थी।

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महाभारत काल में हुई थी इंटरनेट की खोज
बिप्लब देब ने एक बार कहा था कि इंटरनेट की खोज महाभारत काल में हुई थी। उन्होंने तर्क देते हुए कहा था कि संजय ने महाभारत का युद्ध सैटेलाइट के जरिए लाइव देखा था। तब उनके इस बयान को लेकर उनकी काफी आलोचना हुई थी और उनका खूब मजाक उड़ा था।

युवाओं को पान की दुकान खोलने की दी थी नसीहत
वहीं, एक बार मंच से बोलते हुए त्रिपुरा सीएम ने बेरोजगार युवाओं को पान की दुकान खोलने की नसीहत भी दी थी। उन्होंने कहा था कि युवा कई सालों तक राजनीतिक दलों के पीछे सरकारी नौकरी के लिए पड़े रहते हैं, लेकिन मेरा ये कहना है कि अगर वह इतनी भागदौड़ छोड़कर पान की दुकान खोल लें तो बैंक खाते में अब तक पांच लाख रुपए जमा होते।

पंजाबियों और जाटों पर बयान देकर आ गए थे निशाने पर
2020 जुलाई में एक कार्यक्रम में बोलते हुए बिप्लब देब ने पंजाबियों और जाटों को लेकर गलत बयानी कर दी थी। उन्होंने कहा था कि अगर हम पंजाब के लोगों के बारे में बात करते हैं तो हम कहते हैं, वह एक पंजाबी, एक सरदार है। सरदार किसी से डरते नहीं हैं। वे बहुत मजबूत हैं, लेकिन उनके पास कम दिमाग है। इसके बाद उन्होंने आगे बोलते कहा था कि “मैं आपको हरियाणा के जाटों के बारे में बताता हूं। वे कहते हैं कि जाट कम बुद्धिमान हैं, लेकिन शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। यदि आप एक जाट को चुनौती देते हैं, तो वह घर से अपनी बंदूक ले आएगा।

एक बार कोर्ट को लेकर दिया था ये बयान
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव देव ने एक बार कथित तौर पर ‘ज्यूडिशियरी का मजाक’ उड़ाते हुए राज्य के अधिकारियों से कहा था कि वो ‘अदालत की अवमानना की चिंता किए बगैर काम करें।’ उन्होंने ये भी कहा था कि ‘पुलिस का इनचार्ज सीएम होता है.’ उन्होंने कहा था, ‘हम चुनी हुई सरकार हैं, कोर्ट नहीं कोर्ट लोगों के लिए है लोग कोर्ट के लिए नहीं.’ इस दौरान उन्होंने खुद को शेर भी बताया था।

नाखून नोंचने तक की दे चुके हैं धमकी
एक बार बिप्लब देब ने सरकार में दखल देने वालों को धमकी दी थी। उन्होंने धमकी भरे अंदाज में कहा था कि मेरी सरकार में दखल देने वालों के नाखून नोच लिए जाएंगे’। मेरी सरकार ऐसी नहीं होनी चाहिए की कोई भी आकर उसमें उंगली मार दे। मेरी सत्ता को कोई हाथ नहीं लगा सकता।
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कौन हैं माणिक साहा?
जानकारी के मुताबिक, माणिक साहा त्रिपुरा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं, जो बिप्लब कुमार देब की जगह त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बनेंगे। गौर करने वाली बात यह है कि राज्य में करीब एक साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में बिप्लब कुमार देब ने इस्तीफा दिया तो भाजपा ने माणिक साहा का नाम आगे बढ़ा दिया। दरअसल, बिप्लब देब के इस्तीफे के बाद अब हर किसी की नजरें माणिक साहा पर टिक गई हैं।

ऐसा है माणिक साहा का राजनीतिक सफर
बता दें कि माणिक साहा पेशे से दंत चिकित्सक हैं। पिछले महीने अप्रैल में वह राज्यसभा सांसद चुने गए थे और त्रिपुरा से ऐसा करने वाले अकेले नेता हैं। साहा साल 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे, जिसके बाद 2020 में उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।

खेलकूद से भी जुड़ा हुआ है नाता
जानकारी के मुताबिक, माणिक साहा त्रिपुरा क्रिकेट असोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। राजनीति में कदम रखने से पहले माणिक साहा त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज में पढ़ाते थे। बता दें कि माणिक साहा अब बिप्लब देब की जगह त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बनेंगे। अहम बात यह है कि बिप्लब देब ने त्रिपुरा में 25 साल पुराने वामपंथी शासन को सत्ता से हटाया था और 2018 में भाजपा को जीत दिलाई थी।

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