New Delhi – भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने 26 मई को सत्ता में आठ साल पूरे कर लिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि उनका अब तक कार्यकाल देश के संतुलित विकास, सामाजिक न्याय और सामाजिक सुरक्षा के लिए समर्पित रहा है। पिछले हफ्ते भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा: “इस महीने, एनडीए सरकार आठ साल पूरे करेगी। ये आठ साल संकल्पों और उपलब्धियों के रहे हैं। ये आठ साल गरीबों की सेवा, सुशासन और कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं।” पिछले आठ वर्षों में, नरेंद्र मोदी सरकार ने वित्तीय, स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सुरक्षा के मामले में समाज के विभिन्न वर्गों को सीधे लाभ पहुंचाने के लिए कई योजनाएं सफलतापूर्वक प्रदान की हैं।

सरकार ने अपने वादों को पूरा करने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं जिन्होंने विपक्ष की आलोचना के साथ-साथ लोगों की तारीफ भी हासिल की है। चाहे वह स्वच्छ भारत मिशन हो जब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झाड़ू लेकर मैदान में कूद गए थे या फिर बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की शुरुआत करना, रेलवे बजट को आम बजट के साथ जोड़ना और उज्ज्वला व जनधन योजना हो, इनके व्यापक प्रभाव ने लोगों के साथ-साथ दुनिया के नेताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा। आज हम आपको मोदी सरकार के 8 साल के 8 बड़े फैसलों के बारे में बता रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को आठ साल पूरे हो चुके हैं। इस दौरान सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए हैं, जिनका जनता ने खुले दिल से स्वागत किया। कुछ फैसले ऐसे भी रहे, जिनके खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन भी हुए। हम आपको सरकार के उन आठ फैसलों के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने बीते आठ वर्षों में आम लोगों की जिंदगी में सबसे ज्यादा असर डाला है।

    1. नोटबंदी
    क्यों और कब लिया: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने का एलान कर दिया। प्रधानमंत्री के इस फैसले की चर्चा पूरी दुनिया में हुई।

आम आदमी पर असर: नोटबंदी के एलान के साथ ही एक झटके में 85 फीसदी करेंसी कागज में बदल गई। बैंकों में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट जमा हो सकते थे। सरकार ने 500 और 2000 के नए नोट जारी किए। इन्हें हासिल करने के लिए पूरा देश लाइन में लग गया। नोटबंदी के 21 महीने बाद रिजर्व बैंक की रिपोर्ट आई कि नोटबंदी के दौरान रिजर्व बैंक में 500 और 1000 के जो नोट जमा हुए, उनकी कुल कीमत 15.31 लाख करोड़ रुपये थी। नोटबंदी के वक्त देश में कुल 15.41 लाख करोड़ मूल्य के 500 और हजार के नोट चल रहे थे। यानी, रिजर्व बैंक के पास 99.3% पैसा वापस आ गया।

2. सर्जिकल स्ट्राइक-एयरस्ट्राइक
क्यों और कब लिया: 18 सितंबर 2016 को जम्मू कश्मीर के उड़ी सेक्टर में आतंकवादियों ने हमला किया। इसमें 19 जवान शहीद हो गए थे। 14 फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की जान गई। दोनों हमलों के बाद भारत ने दुश्मन की सीमा के पार जाकर उसे सबक सिखाया।

उड़ी आतंकी हमले के 10 दिन बाद 28 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह किया। पुलवामा हमले के 12 दिन बाद 26 फरवरी 2019 को, भारतीय वायुसेना के मिराज और सुखोई विमानों ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर एयरस्ट्राइक को अंजाम दिया।

भारतीयों पर असर: पहली बार ऐसा हुआ जब युद्ध की स्थिति नहीं होते हुए भी आतंकी घटनाओं का जवाब देने के लिए भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार जाकर आतंकियों को सबक सिखाया। सर्जिकल स्ट्राइक से भारत के आतंकवाद से लड़ने को लेकर दुनिया का नजरिया बदला। वहीं, एयरस्ट्राइक से एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ मोदी सरकार की छवि मजबूत हुई। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी मोदी सरकार को बहुत फायदा हुआ और वह फिर से सत्ता में लौटी।

3. जीएसटी लागू
क्यों और कब लिया: केंद्र सरकार ने एक जुलाई 2017 को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स को लागू कर दिया। दरअसल, अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 2000 में पूरे देश में एक टैक्स लागू करने का फैसला लिया था। इसके बाद मार्च 2011 में मनमोहन सिंह सरकार ने जीएसटी लागू करने के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया, पर राज्यों के विरोध की वजह से वह अटक गया।

2014 में नरेंद्र मोदी सरकार कई बदलावों के साथ फिर से संविधान संशोधन विधेयक लेकर आई। अगस्त 2016 में विधेयक संसद से पास हुआ। 12 अप्रैल 2017 को जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों को संसद से पारित होने के बाद राष्ट्रपति की सहमति मिली। यह 4 कानून हैं- सेंट्रल GST बिल, इंटिग्रेटेड GST बिल, GST (राज्यों को कम्पेंसेशन) बिल और यूनियन टेरेटरी GST बिल। तब जाकर 1 जुलाई 2017 की आधी रात से नई व्यवस्था पूरे देश में लागू हुई।

भारतीयों पर असर: जहां पहले हर राज्य अपने अलग-अलग टैक्स वसूलता था। अब सिर्फ GST वसूला जाता है। आधा टैक्स केंद्र सरकार को जाता है और आधा राज्यों को। वसूली केंद्र सरकार करती है। बाद में राज्यों को पैसा लौटाती है। हालांकि, राज्यों की अतिरिक्त राजस्व की मांग को पूरा करने के लिए पेट्रोलियम पदार्थ और आबकारी अब भी जीएसटी के दायरे से बाहर हैं।

4. तीन तलाक
क्यों और कब लिया: तीन तलाक को लेकर भारत में बहस काफी पुरानी रही है। इसकी शुरुआत 1985 के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से होती है। तीन तलाक की बहस 2016 में फिर गर्म हो गई। तब सायरा बानो नाम की महिला ने तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। सायरा के पति ने 15 साल की शादी के बाद तीन तलाक बोलकर रिश्ते तोड़े थे। तब सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक के खिलाफ फैसला सुनाया और सरकार को इस मुद्दे पर कानून बनाने का निर्देश दिया।

28 दिसंबर 2017 को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 लोकसभा में पेश किया गया। 2018 में सरकार ने अध्यादेश के जरिए इसे लागू कर दिया। 2019 में दूसरी बार अध्यादेश लाया गया। इसी साल सरकार ने एक बार फिर से लोकसभा और राज्यसभा में बिल को पेश किया। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नया कानून लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया।

भारतीयों पर असर: मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से छुटकारा दिलाने के इस फैसले पर बड़ी संख्या में लोगों का समर्थन मिला तो कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया। हालांकि, इसके कुछ सकारात्मक असर देखने को मिले। कानून के मुताबिक, कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को तीन बार तलाक कहकर संबंध खत्म करता है तो उसे तीन साल तक की सजा भुगतनी पड़ सकती है। इसकी वजह से तीन तलाक के केस घटकर 5%-10% रह गए हैं। हालांकि, इस कानून में एक कमी भी रह गई, जिसके तहत इन मामलों में शिकायतकर्ता खुद विवाहित महिला को होना होगा। कई मामले ऐसे सामने आए हैं, जहां महिलाएं पति या ससुराल के दबाव में शिकायत नहीं कर पा रहीं।

5. फैसला: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 रद्द
क्यों और कब लिया: तीन तलाक की तरह ही अनुच्छेद 370 का मसला भी भारत की आजादी के साथ ही शुरू हुआ था। 1948 में जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह ने भारत में विलय से पहले विशेषाधिकार की शर्त रखी थी। जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा होने के बाद भी अलग ही रहा। राज्य का अपना अलग संविधान बना। वहां भारत के कुछ ही कानून लागू होते थे। 2019 में चुनाव जीतने के बाद मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया।

भारतीयों पर क्या असर: अब जम्मू-कश्मीर में भी केंद्र के सभी कानून लागू होते हैं। मनरेगा, शिक्षा के अधिकार को भी लागू किया गया। हालांकि, इस कानून के लागू होने के कुछ शुरुआती नकारात्मक असर भी देखने को मिले। कुछ राजनीतिक पार्टियों ने इसका बहिष्कार किया। वहीं, लंबे समय तक राज्य में इंटरनेट भी बैन रखा गया।

6. कौन सा फैसला: सीएए लागू
क्यों और कब लिया: पड़ोसी देशों में प्रताड़ित हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन अल्पसंख्यकों का मसला काफी लंबे समय से भारत में उठता रहा है। पहले इन देशों में प्रताड़ना का शिकार हुए अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारत में नागरिकता लेने के लिए 11 साल बिताने पड़ते थे। इससे पहले उन्हें देश में बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिलती थीं। इसे आसान बनाने के लिए जनवरी 2019 में इससे जुड़ा बिल लोकसभा से पारित कर दिया गया। राज्यसभा में पास होने से पहले ही 16वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया। लोकसभा भंग होने के साथ ही यह बिल भी रद्द हो गया। 17वीं लोकसभा के गठन के बाद मोदी सरकार ने नए सिरे से इस बिल को पेश किया। 10 दिसंबर 2019 को ये बिल लोकसभा और 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में पास हो गया। 10 जनवरी 2020 को इसे लागू कर दिया गया।

असर: कई साल तक शरणार्थी के तौर पर भारत में रहने वाले लोगों के लिए भारतीय नागरिकता पाने की राह आसान हुई। हालांकि, सरकार नियम बनाने में नाकाम रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि वे कोरोना महामारी के खत्म होने के बाद इस कानून को तत्काल प्रभाव से नियम सहित लागू कराएंगे।
सीएए कानून के संसद में पारित होने से लेकर अब तक सरकार को सदन में विपक्ष ने तो सड़कों पर मुस्लिम समुदाय का विरोध झेलना पड़ा। विरोध करने वालों का कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो समानता के अधिकार की बात करता है।

7. डिजिटल इकॉनमी
क्यों और कब हुआ फैसला: 11 अप्रैल 2016 को यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) सेवा लॉन्च हुई। नोटबंदी के फैसले का इसे सबसे ज्यादा फायदा हुआ। देश में डिजिटल इकोनॉमी में तेजी से इजाफा शुरू हुआ।

भारतीयों पर क्या असर?: नोटबंदी के बाद सरकार का पूरा जोर डिजिटल करेंसी बढ़ाने और डिजिटल इकोनॉमी बनाने पर शिफ्ट हो गया। मिनिमम कैश का कॉन्सेप्ट आया। डिजिटल ट्रांजेक्शन में इजाफा हुआ। 2016-17 में 1013 करोड़ रुपए का डिजिटल ट्रांजेक्शन हुआ था। 2017-18 में ये बढ़कर 2,070.39 करोड़ और 2018-19 में 3,133.58 करोड़ रुपए का डिजिटल ट्रांजेक्शन हुआ। 2019-20 में यह आंकड़ा बढ़कर 5,554 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। डिजिटल ट्रांजेक्शन में यह बढ़ोतरी कोरोनाकाल में भी जारी रही और 2021-22 में डिजिटल तरह से किए जाने वाले लेनदेन 33 फीसदी के इजाफे के साथ 7,422 करोड़ के आंकड़े को छू गए।

8. फैसला: राम मंदिर निर्माण
क्यों और कब हुआ फैसला: भारत की आजादी से पहले से चले आ रहे राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का अंत 9 नवंबर 2019 को हुआ, जब सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना। उधर मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया।

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