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गोवंश भरकर ले जा रहे वाहन को पकड़ने के लिए नाकाबंदी

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नागदा जंक्शन। पुलिस ने सूचना के आधार पर रविवार की देर रात गोवंश भरकर ले जा रहे वाहन को पकड़ने के लिए नाकाबंदी की थी। काफी देर रुकने के बाद भी कोई हाथ नहीं लगा। लौटते समय गश्त के दौरान थाना प्रभारी ने एएसआइ से शंका के आधार पर पूछताछ की। मोबाइल भी चेक किया।

इसमें आरोपितों की मदद करने का मामला सामने आया। आरोपित एएसआइ के विरुद्ध प्रकरण पंजीबद्ध किया है। वहीं, बाद में पुलिस ने घेराबंदी की तो तीन चार पहिया वाहनों में सवार तस्करों ने पुलिस जवानों पर वाहन चढ़ाने का प्रयास किया और फरार हो गए। इनमें से एक वाहन को खाचरौद थाना प्रभारी ने पकड़ा है। एक अन्य वाहन महिदपुर के यहां पलट गया। इसमें सवार आरोपित को गिरफ्तार कर लिया गया है। एएसआइ सहित अन्य आरोपितों की तलाश जारी है।

रविवार की रात 12 बजे एसपी सत्येंद्र शुक्ल ने शहर के दोनों थानों पर आकर औचक निरीक्षण कर गो तस्करों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। मुखबीर की सूचना पर रात्रि 12.30 बजे मंडी थाना प्रभारी श्यामचंद्र शर्मा ने पुलिस बल के साथ बायपास पर नाकाबंदी की। तीन घंटे प्रतीक्षा के बावजूद गोवंश से भरा वाहन नहीं आया तो रात 3 बजे थाना प्रभारी वापस थाने लौट रहे थे।

राजस्थानी ढाबे के समीप एएसआइ रामसिंह भूरिया नजर आए। पूछताछ करने व मोबाइल चेक करने पर गो तस्कर गोकुल व आजम से बात करने की बात सामने आई। एएसआइ के बताए अनुसार पुलिस ने रतन्याखेड़ी रोड सूर्य गार्डन के यहां वाहन की घेराबंदी की तो वाहन चालक ने पुलिस पर ही वाहन चढ़ाने का प्रयास किया।

तीन वाहन में सवार आरोपित वाहन से खाचरौद की तरफ भागे। खाचरौद थाना प्रभारी ने एक वाहन पकड़ा। दो वाहन वापस नागदा की ओर आए। पुलिस के रोकने पर गोवंश से भरे वाहन से पुलिस वाहन को टक्कर मारते हुए बनबना फंटे, हिड़ी, महिदपुर क्षेत्र के गांव बंजारी फंटा से महिदपुर सिटी तक पुलिस को गुमराह करते रहे।

सरस्वती स्कूल के समीप एक वाहन पलटी खा गया, उसमें सवार आरोपित दशरथ पुत्र बनेसिंह निवासी ग्राम शिवगढ़ जिला आगर को गिरफ्तार कर 8 पशु व दो केन कच्ची शराब व वाहन जब्त किया। पुलिस ने भय्या लाला, गोकुल, आजम व एएसआइ रामसिंह भूरिया के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध किया। एएसआइ भूरिया रात से फरार है।

 

 

 

गौ मांस के साथ कारोबारी गिरफ्तार

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मोतिहारी, 8 जून । रामगढ़वा पुलिस ने थाना क्षेत्र के आमोदेई गांव में छापेमारी कर 15 किलो गौ मांस के साथ इसके कारोबारी जाहिद मंसूरी को गिरफ्तार किया है।

पुलिस को सूचना मिल रही थी कि आमोदेई गांव के वार्ड पांच में जाहिद मंसूरी अपने दो अन्य भाइयों के साथ गाय का वध कर गौ मांस की बिक्री चोरी छुपे करता है। इसकी इस गतिविधि से गांव में है संप्रदायिक सद्भाव पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। कई लोगों के द्वारा थाना को लगतार सूचना दी जा रही थी।

उक्त सूचना पर थानाध्यक्ष ने गांव के वर्तमान व पूर्व मुखिया, पैक्स अध्यक्ष सहित कई कई गणमान्य लोगों से इस मामले की जानकारी ली और सामाजिक स्तर से इस पर रोक लगाने की बात कही थी लेकिन इसका प्रभाव नहीं पड़ा। बाद में पुलिस ने इस को गिरफ्तार करने के लिए सूचना तंत्र को विकसित कर ऐन वक्त पर थाना अध्यक्ष इंद्रजीत पासवान के नेतृत्व में छापेमारी की गई।

थानाध्यक्ष ने बताया कि छापेमारी के दौरान यह एक गाय को काटकर आधे से ज्यादा मांस को बेंच चुका था। लगभग 15 किलो मांस वहां बेचने के लिए रखा गया था। जिसको पुलिस ने बरामद किया है। जिसको कसाई खाना में काटने के लिए दो अन्य गाय को भी रखा गया था। दोनों गायों को पुलिस ने चंपापुर अवस्थित मवेशी फाटक में जमा करा दिया है। गौ मांस कारोबार में लगे जाहिद मंसूरी के साथ उसके भाइयों जावेद मंसूरी और तबरेज मंसूरी पुलिस को देखते ही भागने लगे। इन लोगों का पुलिस ने पीछा कर जाहिद मंसूरी को पकड़ लिया। जबकि दो अन्य भागने में सफल रहे।

थाना अध्यक्ष इंद्रजीत पासवान ने बताया कि तीनों के ऊपर रामगढ़वा थाना में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। साथ ही बरामद मांस को स्थानीय लोगों की उपस्थिति में जमीन में गाड़ दिया गया। कानूनी प्रक्रिया के लिए इसके सैंपल को थाना में लाया गया है। जिसको जांच के लिए लैब में भेजा जाएगा।

 

सौतेले पिता ने किया दुष्‍कर्म

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इरोड (तमिलनाडु), एजेंसियां। तमिलनाडु के इरोड जिले में 16 साल की एक लड़की को अपने अंडे (एग) बेचने के लिए मजबूर करने के मामले में दुष्कर्म और प्रताड़ना के आरोप सामने आए हैं। लड़की की मां और सौतेले पिता द्वारा पिछले पांच वर्षों में कम से कम आठ मौकों पर उसके अंडे (अंडाणु) को बेचने के लिए मजबूर किया गया था। विशेष चिकित्सा टीम ने रविवार को एक नाबालिग लड़की से पूछताछ की। तमिलनाडु पुलिस ने यह जानकारी दी।

तमिलनाडु की चिकित्सा और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा निदेशालय की छह सदस्यीय टीम ने 6 जून को लड़की का बयान दर्ज किया। संयुक्त निदेशक ए विश्वनाथन की अध्यक्षता वाली टीम ने पाया कि पिछले पांच वर्षों में लड़की को अपने अंडे (एग) विभिन्न प्रजनन क्षमता केंद्र को बेचने के लिए मजबूर किया गया था। अधिकारी अब लड़की के बयान के आधार पर राज्य के विभिन्न प्रजनन केंद्रों की जांच कर रहे हैं।

अधिकारियों ने कहा कि यदि अपराध की जानकारी में सही पाई जाती हैं तो उनके लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे और डॉक्टरों की संलिप्तता की भी जांच की जाएगी। शनिवार को मामले के जांच अधिकारी इरोड जिला के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने बांझपन का इलाज करने वाले दो अस्पतालों को समन भेजा। दोनों अस्पतालों के अधिकारी उपस्थित हुए और जांच अधिकारी के सवालों का जवाब दिया।

पुलिस के अनुसार, टीम ने 13 साल की उम्र से लड़की के अंडाणु दान के बारे में आपबीती सुनी। पीड़िता ने बताया कि कैसे उसकी मां इंद्राणी (33) और उसके सौतेले पिता सैयद अली (40) ने उसे पेरुंदुरई (इरोड), सेलम और होसुर इलाकों में निजी अस्पतालों में अंडाणु दान करने के लिए मजबूर किया था।

पुलिस के मुताबिक, लड़की ने यह भी कहा कि सैयद अली ने उसका कई बार दुष्‍कर्म किया। मेडिकल टीम ने सभी विवरण दर्ज किए। पुलिस ने कहा कि उसने जिले में बांझपन का इलाज करने वाले उन अस्पतालों से पूछताछ की, जहां लड़की को अपना अंडाणु दान करने के लिए मजबूर किया गया था।

प्राथमिकी में कहा गया है कि लड़की की मां, एस इंद्राणी (33), जो अपने पहले पति से अलग हो गई थी, जो नाबालिग के पिता है, भी अपराध में शामिल था। एक बिचौलिये की मदद से आधार कार्ड पर नाबालिग की उम्र बदली गई। बिचौलिए को 5,000 रुपये का कमीशन दिया गया था, जबकि लड़की की मां ने हर बार एग की बिक्री 20,000 रुपये में की थी।

कश्मीर में एक मौलवी थांग-टा के संरक्षण में आगे आया

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मोहम्मद इकबाल को उस समय असामान्य सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, जब उन्होंने जम्मू-कश्मीर में युवाओं को मनोरंजक खेल थांग-टा की ओर आकर्षित करने का प्रयास किया।
इकबाल ने कहा कि “बीस साल पहले मैं एक निजी प्रशिक्षक था और लड़कों एवं लड़कियों को मुफ्त कक्षाएं दे रहा था। इकबाल अब राज्य के एक सम्मानित कोच हैं। उन्होंने कहा कि उनकी टीम ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भाग लिया था।

इकबाल ने बताया कि स्थानीय लोगों ने मेरी कक्षाओं में लड़कियों के शामिल होने पर आपत्ति जताई थी। उनमें से कई लोगों ने बहुत ही आक्रामक रवैया अपनाया और हमारे प्रशिक्षण सत्रों में बाधा पैदा करते रहे।

इकबाल ने बताया कि जहां पर वह रहते थे, बाद में वहां की एक स्थानीय मस्जिद के प्रमुख ने उनका बचाव किया। उन्होंने बताया कि मौलवी और कई स्कूल के प्रधानाचार्यों ने मेरे चरित्र की पुष्टि की तथा आंदोलनकारियों को आश्वासन दिया कि मैं बच्चों की अच्छी देखभाल करूंगा, और आज मैं यहां हूं।

इससे मुझे काफ़ी मदद मिली तथा लड़कियों को यह खेल पसंद आया और प्रत्येक ने विरोध के बावजूद इसमें बने रहने के लिए दृढ़ संकल्प किया।

वर्षों से आतंकवाद की छाया में मोहम्मद इकबाल ने हजारों बच्चों को थांग-टा खेलने की ओर आकर्षित किया है और उन्हें मुख्यधारा में बने रहने की सख्त उम्मीद है।

इकबाल ने गर्व से बताया कि ‘‘आज उनमें से कई युवक और युवतियां स्थानीय कोच हैं। लेकिन उस समय, कुछ लोगों को चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए देश और दुनिया के विभिन्न हिस्सों यहां तक कि कोरिया से लेकर दुबई और ईरान तक की यात्रा करनी पड़ी, जिसने दूसरों को भी प्रेरित किया।’’

यह समझना मुश्किल है कि थांग-टा मणिपुर के पूर्वोत्तर राज्य में अपनी उत्पत्ति के साथ भारत के सबसे उत्तरी छोर जम्मू-कश्मीर तक पहुंचने के लिए मैदानी इलाकों, पहाड़ियों और घाटियों को किस तरह से पार किया है।

इकबाल ने कहा कि ‘‘थांग-टा एक घरेलू खेल है। यह एक भारतीय मार्शल आर्ट है और हमने अभी इस खेल को अपनाया है। मैं तब सिर्फ एक स्कूली छात्र था जब इसकी ओर आकर्षित हो गया था।’’

बहुत से लोग मानते हैं कि उस समय के आसपास एक स्थानीय टूर्नामेंट थांग-टा के प्रसार के लिए मुख्य कार्यक्रम था। ‘‘यह हम में से कुछ को तकनीकी को समझने में मदद करने के लिए आयोजित किया गया था और मैंने जल्द ही 1999 में राष्ट्रीय खेलों के लिए खुद को मणिपुर में पाया।’’

मैं कुछ साल बाद समझदार और बड़ा बना था, जब एक कोच बन गया, फिर मुझे मणिपुरी थांग-टा फेडरेशन से बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण दोनों सीखने का निमंत्रण मिला।
आज श्रीनगर शहर में 20 से अधिक थांग-टा क्लब खुल गए हैं। उनके कई पूर्व शिष्य वहां युवाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर थांग-टा एसोसिएशन के महासचिव अयाज अहमद भट कहते हैं कि यह अब एक खेल परंपरा बन गई है और परिवार अपने बच्चों को प्रशिक्षण के लिए हमारे पास भेजकर खुश हैं।

इकबाल ने गर्व व्यक्त करते हुआ कहा कि ‘‘अब जब लड़कियां आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट सीखना चाहती हैं, तो कई हमारी कक्षाओं में शामिल हो जाती हैं।’’

श्रेयस जी होसुर बने ‘आयरनमैन ट्रायथलॉन’ को पूरा करने वाले पहले भारतीय रेलवे अधिकारी

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दक्षिण पश्चिम रेलवे के डिप्टी एफएएंडसीएओ© श्रेयस होसुर ने कठिन ‘आयरनमैन’ ट्रायथलॉन को पूरा करने वाले पहले रेलवे अधिकारी और बिना वर्दी वाली सिविल सेवाओं के पहले अधिकारी बनकर भारतीय रेलवे को गौरवान्वित किया है।

इस स्पर्धा में 3.8 किलो मीटर की तैराकी, 180 किलो मीटर साइक्लिंग और 42.2 किलो मीटर की दौड़ शामिल थी। श्रेयस ने इसे जर्मनी के हैम्बर्ग में 5 जून, 2022 को 13 घंटे 26 मिनट में पूरा किया।

स्पर्धा समाप्ति करने वाले को ‘आयरनमैन’ के नाम से जाना जाता है, जो स्पर्धा के लिए आवश्यक मानसिक और शारीरिक शक्ति के अनुरूप होता है।

यह स्पर्धा हैम्बर्ग झील के ठंडे पानी में सुबह 6:30 बजे 3.8 किलो मीटर की तैराकी के साथ शुरू हुई, जिसके बाद ग्रामीण क्षेत्र में 180 किलो मीटर लंबी साइकिलिंग हुई और 42.2 किलो मीटर की पूर्ण मैराथन के साथ समाप्त हुई।

अन्तर्यात्री महापुरुष – द वॉकिंग गॉड’ का ट्रेलर व म्यूजिक जारी

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शिरोमणि क्रिएशन के बैनर तले निर्मात्री कामना कुलचैनिया द्वारा निर्मित बायोपिक ‘अन्तर्यात्री महापुरुष – द वॉकिंग गॉड’ का म्यूजिक और ट्रेलर पछले दिनों जारी कर दिया गया है।
दिगंबर संत आचार्य विद्यासागर महाराज के जीवन गाथा पर आधारित इस बायोपिक फिल्म का पटकथा, संवाद लेखन और निर्देशन अनिल कुलचैनिया ने किया है। फिल्म में आचार्य विद्यासागर की भूमिका को विवेक आनंद मिश्रा निभा रहे हैं वहीं उनके माता श्रीमन्ती की भूमिका किशोरी शहाणे विज व पिता मल्लप्पा की भूमिका में गजेंद्र चौहान हैं।
इनके अलावा आचार्य ज्ञानसागर के रुप में दिवंगत बलदेव त्रेहान दिखाई देंगे। साथ ही कृष्णा भट्ट, हार्दिक मिश्रा, अर्जुन, सुधाकर शर्मा, मिलिंद गुणाजी और गुफी पेंटल भी इस बायोपिक में नज़र आएंगे। इस फ़िल्म की शूटिंग आचार्य के जन्मस्थान सदलगा (कर्नाटक) के साथ साथ स्तवनिधि, कोल्हापुर, अजमेर, किशनगढ़, जयपुर, कोटा, हैदराबाद और मुम्बई में की गई है।
इस फिल्म के सह निर्माता उमेश मल्हार व आनंद राठी, कार्यकारी निर्माता योगिता शर्मा, संगीतकार सतीश देहरा, गीतकार सुधाकर शर्मा, सिनेमैटोग्राफर महेश जी. शर्मा, कोरियोग्राफर माधव किशन, एडिटर गुल हैं एवं बैकग्राउंड स्कोर धर्मेंद्र जावड़ा ने तैयार किया है।
 इस फिल्म के गीतों को प्रसिद्ध गायक अमित कुमार, अनूप जलोटा, अनुराधा पौडवाल, साधना सरगम, रामशंकर, पामेला जैन, सलोनी जैन, अरविंदर सिंह, सतीश देहरा, देव राठौड़ और शैलेष श्रीवास्तव ने गाया है।

संपूर्ण पोषण पाने के लिए करें दूध का सेवन

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दूध को संपूर्ण आहार माना जाता है। दूध में इतने पोषक तत्व से भरपूर होता है,जिससे न सिर्फ मांसपेशियां मजबूत बनती हैं बल्कि इससे बच्चों की लम्बाई भी बढ़ती है। आयुर्वेद के अनुसार दूध के सेवन का सही तरीका और समय बताया बताया गया। आयुर्वेद के अनुसार दूध के सेवन से दूध के पोषक तत्व बढ़ाए जा सकते हैं। 

इन पोषक तत्वों से भरपूर है दूध 

दूध प्रोटीन, कैल्शियम और राइबोफ्लेविन (विटामिन बी -२) युक्त होता है, इनके अलावा इसमें विटामिन ए, डी, के और ई सहित फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयोडीन व कई खनिज और वसा तथा ऊर्जा भी होती है।

आयुर्वेद के अनुसार क्या हैं नियम,

-आयुर्वेद में मिल्कशेक की मनाही है, इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि आयुर्वेदिक नियमों के अनुसार, आम, केले, खरबूजे और अन्य खट्टे फलों को कभी भी दूध या दही के साथ नहीं खाना चाहिए।

-केला जब दूध के साथ मिलते हैं, तो अग्नि (गैस्ट्रिक फायर) को कम करके आंतों पर प्रभाव डालते हैं, जिसके विषाक्त पदार्थ (टॉक्सिन) बनते हैं, जिससे साइनस, सर्दी, खांसी, एलर्जी, चकत्ते जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

दूध के ज्यादा फायदे के लिए इस समय करें सेवन,

यदि आप अपने शरीर और मसल्स बनाना चाहते हैं, तो आप सुबह दूध होना ले सकते हैं, इसके अलावा दूध के सेवन करने के लिए रात एक बेहतर समय है। अतिरिक्त लाभों के लिए, आप इसे अश्वगंधा के साथ ले सकते हैं, जो नींद में सुधार करने और आपकी याददाश्त को बढ़ाने में मदद करता है। आयुर्वेद हर किसी को दूध पीने की सलाह देता है, लेकिन जिन लोगों को इससे एलर्जी उन्हें इसके सेवन से बचना चाहिए, लेकिन इसका सेवन करने का सबसे अच्छा समय शाम से लेकर सोने तक का समय होता है। सुबह के समय दूध का सेवन करने से बचना चाहिए क्योंकि प्राचीन मान्यताओं के अनुसार सुबह दूध का सेवन शरीर को पचाने में भारी हो सकता है। यह आपको सुस्त भी महसूस करवा सकता है। पांच वर्ष से अधिक आयु के लोगों को सुबह दूध कभी नहीं पीना चाहिए क्योंकि इससे भारी एसिडिटी हो सकती है। यह भी सलाह दी जाती है कि नमकीन खाद्य पदार्थों के साथ दूध का सेवन न करें, जैसे दूध के साथ चाय या रोटी मक्खन।

रात के समय दूध पीने के फायदे,

आयुर्वेद लोगों को शाम के समय दूध देने की सलाह देता है। रात में दूध पीना ओजस को बढ़ावा देता है। आयुर्वेद में ओजस एक ऐसी स्थिति है, जब जब आप उचित पाचन प्राप्त करते हैं। सोने से पहले दूध पीने से आप शांत हो सकते हैं और आपको नींद लाने में मदद मिल सकती है।

 

भारतीय मुसलमानों के पास इतिहास रचने का सुअवसर है

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‘भारतीय संस्कार’ अर्थात् ‘सर्वधर्म समभाव’। इसे विपरीत क्रम में लिखने पर भी अर्थाभाव नहीं हो सकेगा और उसकी दार्शनिक सादृश्यता अपने मूल भाव का यथावत वहन करती रहेगी। यथा – ‘सर्वधर्म समभाव’ अर्थात् ‘भारतीय संस्कार’ अथवा ‘भारतीय संस्कार’ अर्थात् ‘सर्वधर्म समभाव’।

युगों पूर्व उत्पन्न तथा युगानुयुगों में विकसित इस भारतीय भावना (संस्कार) के बरक्स आधुनिक बुद्धिवादियों ने ‘सेक्युलरिज़्म’ को वैकल्पिक एवं स्वकल्पित भाव के रूप में प्रस्तावित एवं अतिप्रचारित किया। यह सर्वविदित है कि यह समभाव वाला संस्कार, जिसे भाव एवं भावना भी कहा जा सकता है, विश्व में अन्यत्र कहीं भी इस रूप एवं अर्थ में दृष्टिगोचर नहीं होती। यह भारतीय मूल का मूलभूत एवं सर्व युगों में पल्लवित तथा अंगीकृत ‘संस्कार’ है।

यद्यपि वर्तमान समय में इसे ‘भारतीय संस्कार’ कहना अत्यंत जोखिम भरा काम है। क्योंकि ‘नागरिकता’ की दृष्टि से मुसलमान और ईसाई भी ‘भारतीय’ हैं ही। यह बात और है कि उनका दिल मुल्क (भारत) के लिए कम, मजहब (रीलिजन) के लिए ज़्यादा धड़कता है।

परिणामतः प्रसंग-अप्रसंग मजहबी उन्माद तथा रीलिजनिस्टिक कन्वर्ज़न मिशन में ‘सर्वधर्म समभाव’ की भारतीय भावना छिन्न-भिन्न हो जाती है और उनके चरित्र-व्यक्तित्व से ‘समभाव’ का सर्वतः लोप हो जाता है। इसे ‘हिंदू संस्कार’ कहना समीचीन प्रतीत होता है, जो कि वास्तव में ‘हिंदू संस्कार’ ही है, परंतु ‘हिंदू’ संज्ञा प्रयोग से बहुतों के मन-मस्तिष्क में हिकारत की भावना उत्पन्न होती है और आँखों में ही नहीं, अपितु बातों में भी ज्वालामुखी धधकने लगता है। अतः ‘हिंदू’ संज्ञा को इस लेख में वर्जित ही समझा जाना समीचीन है।

अब जब ‘भारतीय संस्कार’ कहा ही गया है और अनेकानेक अवसरों पर सनातन धर्म के ध्वज धारक एवं वाहक ‘डीएनए एक है’ की बात करते अथवा समय-असमय उठाते रहे हैं, तो यह मानने की जोखिम उठाई जा सकती है कि मुसलमान भी इस ‘भारतीय संस्कार’ (समभाव) को युगानुबोध के साथ (नये सिरे से) आत्मसात कर नव भारत की सर्जना का प्रयास करेंगे।

थोड़ी-बहुत उदारता, प्रगतिशीलता और आधुनिक बुद्धिवादियों द्वारा कल्पित तथा अतिप्रचारित सेक्युलरिज्म का ही सही, परिचय अवश्य देंगे। क्योंकि मुल्क बचा रहेगा और विकास करेगा, तो सबका जीवन मंगलकारी बना रहेगा, अन्यथा मजहब के नाम पर बने मुल्क (पाकिस्तान) की आम अवाम की हालत, हालात एवं बददुआओं का स्मरण करना प्रासंगिक हो सकता है।

स्मरणीय है कि अब तक केवल सनातनियों (हिंदू) से ही उपरोक्त ‘भारतीय संस्कार’ के अनुसरण का आग्रह होता रहा है। अब जब सभी भारतीयों का ‘डीएनए एक’ ही बतलाया जा रहा है, तो सबसे इस संस्कार के अनुसरण की अपेक्षा करना अनुचित नहीं हो सकता।

यह शतशः सच है कि सनातनियों को यह संस्कार माँ की कोख से ही प्राप्त होता है। अतः जन्म से मरण तक वे इसी भाव का हर भूमि में संवहन करते दिखाई देते हैं। बहुतांश इसी भावधारा के कारण ही भारत भूमि के टुकड़े-टुकड़े होने की स्थिति में भी उदारवादी तथा कल्पनातीत रूप में सर्वसमावेशी बनने का उपक्रम करते रहे हैं।

अकारण नहीं कि शिरडी के साईंबाबा को मुसलमान मानने-समझने के बावजूद उनके प्रति सनातनियों की अगाध श्रद्धा सहज ही देखी जा सकती है। नानाविध दरगाहों पर मत्था टेकने वाले सनातनियों का जत्था भी संदर्भोचित उल्लेखनीय है। वास्तव में, यही ‘भारतीय संस्कार’ है।

ऐसे भारतीय संस्कारों का अनुधावन करते हुए तथा देशांतर्गत लोकजागृति व युगबोध की दृष्टि से मुसलमानों को अपनी वैचारिक पृष्ठभूमि (मजहबी) में संशोधन कर ‘भारतीयता’ के भाव एवं संस्कारों का अर्थपूर्ण अंगीकार करना चाहिए।

गुरु नानक देव जी ने उचित ही कहा है, ‘नानक उतमु नीचु न कोइ।’ कोई भी व्यक्ति जन्म से महान या नीच नहीं होता, अपितु अपने कर्मों से होता है। वर्तमान घटनाक्रमों को दृष्टिगत रखते हुए भारतीय मुसलमानों को अपने औदात्यपूर्ण विचार एवं समभाव रूपी कर्मों का परिचय देना चाहिए।

अनेकानेक अवसरों पर इस्लाम के संबंध में अत्यंत उदारवादी बातें सुनने को मिलती हैं। प्रायः सुनने को मिलता है कि “दीन-ए-इस्लाम ने मोहब्बत का पैग़ाम दिया है। दीन-ए-इस्लाम सबको जोड़ता है। सबका भला चाहता है। मुसलमान अमन का पैरोकार है। वह सारी दुनिया में अमन-चैन चाहता है।“

ऐसे में, जब ज्ञानवापी का मामला विवाद एवं चर्चा के केंद्र में आ चुका है, मुसलमानों को ‘दीन-ए-इस्लाम की उदारता एवं औदात्य’ का परिचय देते हुए सौहार्द की भावना का विकास एवं विस्तार करना चाहिए। इसे अन्यार्थ बोध में भी देखा-समझा जा सकता है। ‘अतिक्रमित मुल्क’ में प्रसारित अतिरंजित विचारों के लिए संभवतः अब कोई स्थान शेष नहीं रह गया है।

इधर, ‘डीएनए एक है‘ के बोलबाला के साथ-साथ भारतीय संस्कार के संवाहक प्रायः यह भी उद्धृत करने लगे हैं कि ‘समभाव’ अच्छी बात है। नितांत आवश्यक भी परंतु, अतिक्रमित विचार एवं प्रहारों का पुरजोर प्रतिरोध भी आवश्यक है; अन्यथा अहोम राजा पृथु, हेमू विक्रमादित्य, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी जैसे योद्धाओं की कदापि आवश्यकता न पड़ती।

यह भी कि भारतीय मुसलमानों को दारा शिकोह के मार्ग का अंगीकार कर भारतीय दृष्टि से सत्यान्वेषी बनने का उत्कट उपक्रम करना चाहिए, न कि औरंगजेब के दमनकारी तथा जिहादी मनसूबों का निर्वाहक बनना चाहिए। भारतीयों को दारा शिकोह स्वीकार है, औरंगजेब जैसा अविचारी एवं आततायी कदापि नहीं।

ऐसे समय में, भारत के अधिकाधिक भूभाग में विनम्रता के संवाहक तथा समभावी संस्कारों के बावजूद सनातनियों में महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज इत्यादि के संस्कार जाग्रत हो चुके हैं, मुसलमानों को सौहार्द स्थापना की दृष्टि से शर्त रहित पहल करनी चाहिए।

यद्यपि बहुतेरे आधुनिक बुद्धिवादी कह रहे हैं कि संघ-समर्थित भाजपा ने देश के वातावरण में हिंदू-मुसलमान का विष घोल दिया है, तथापि इस सत्य को अनदेखा नहीं किया जा सकता कि यह संघ-भाजपा ही है, जो ‘डीएनए एक है’ और ‘सबका साथ, विकास और विश्वास’ की रट लगाए हुए है।

अतः यह विष वमन की चर्चा अप्रासंगिक है। संघ-भाजपा सही अर्थों में संविधान की भावना का संपोषण करने का कार्य कर रहे हैं। इससे विपरीत कोई तो बात है कि सनातनियों में अपनी धर्म ध्वज रक्षा की भावना का प्रस्फुटन हुआ है। इस पर भारतीय मुसलमानों को अन्वेषण तथा मंथन करना चाहिए।

युगानुबोध एवं हिंदू लोकजागृति की दृष्टि से यह कहना अत्युक्तिपूर्ण न होगा कि जब एक भाई हरसंभव क्षण में लड़ने को उद्यत हो जाए, तो दूसरे को सतत ‘शांति बहाली’ का प्रयास करना चाहिए। मुसलमानों को अब शांति बहाली के अग्रदूत बनने का सतत उपक्रम करना चाहिए। इससे ‘भारतीय संस्कार’ अत्यधिक दृढ़ होगा।

ज्ञानवापी पर जारी हो-हल्ले के बीच मुसलमानों को उदार हृदय से यह कहने में कोई हिचक और हानि नहीं कि बाबरी दे दी, तो ज्ञानवापी, ताजमहल, शाही मस्जिद ईदगाह वगैरह क्या चीज़ है? भारतीय भाईचारा बने रहना चाहिए। कौमी एकता बनी रहनी चाहिए। कुछेक मुसलमानों ने कहा भी कि “हम हिंदू-मुस्लिम भाई साथ-साथ हुक्का पीते थे। अब इक्का-दुक्का भी एकसाथ नहीं दिखते।”

ऐसा कहते हुए उन्हें यह कहने में भी आनाकानी नहीं करनी चाहिए कि “बिना किसी ज़िद और जिरह के भाइयोंकी भावनाओं का सम्मान करते हुए सबकुछ लौटाने को तैयार हैं। कौन-सा इस्लाम भारत में पैदा हुआ था? जाहिलों ने जो किया, वह नहीं करना चाहिए था।”

इस बात का प्रमाण देने का यह सुअवसर है कि मुसलमान विनम्र एवं उदार होते हैं। राष्ट्रभक्ति, भाईचारा और उदारता भी कोई बात होती है। ऐसे लोकोपकारी-राष्ट्रोपकारी विचारों से अखिल विश्व में भारतीय मुसलमान अपनी एक अलग प्रतिष्ठा स्थापित कर पाएँगे। इससे उनका सच्चे अर्थों में ‘भारतीय’ होना भी सुनिश्चित हो सकेगा, सो अलग। माने दोहरा लाभ। मुसलमानों के पास इतिहास रचने का सुअवसर है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिक्कों की नई शृंखला लॉन्च की, नेत्रहीन भी कर सकेंगे उपयोग

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (6 जून) को सिक्कों की एक नई शृंखला प्रस्तुत की है। इसको विशेष रूप से दृष्टिहीनों के लिए निकाला गया है।

एबीपी न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त मंत्रालय और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के प्रतिष्ठित सप्ताह समारोह का शुभारंभ करते हुए 1, 2, 3, 4, 5, 10 और 20 रुपये के सिक्कों की एक विशेष शृंखला जारी की।

इन सिक्कों पर स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव का डिजाइन बना हुआ है। ये सिक्के आम चलन के लिए उपयोग किए जाएँगे।

इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “सिक्कों की यह नई शृंखला लोगों को अमृत काल के लक्ष्य की याद दिलाएगी और लोगों को देश के विकास की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करेगी।”

इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री ने जन समर्थ पोर्टल को भी आरंभ किया, जो 12 सरकारी योजनाओं का क्रेडिट-लिंक्ड पोर्टल है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “इनमें से हर योजना को पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाएगा। इस पोर्टल से सहूलियत बढ़ेगी और नागरिकों को सरकारी कार्यक्रम का लाभ उठाने के लिए हर बार एक ही सवाल पूछना नहीं पड़ेगा।”

इस्लामी सहयोगी संगठन के बयान की भारत ने की निंदा, “उनका एजेंडा विभाजनकारी है”

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पैगंबर पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर इस्लामी सहयोगी संगठन (ओआईसी) के बयान की भारत ने कड़ी निंदा की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि उनका एजेंडा विभाजनकारी है। 

न्यूज़-18 की रिपोर्ट के अनुसार, नुपुर शर्मा के पैगंबर को लेकर बयान के बाद विवाद उत्पन्न हुआ है। अरब के कई देशों ने उनकी टिप्पणी पर आपत्ति ज़ाहिर की और भारतीय राजदूत को तलब कर नाराज़गी प्रकट की। भाजपा ने भी सभी धर्मों के सम्मान की बात कहकर नुपुर को निलंबित कर दिया है।

ओआईसी के बयान पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “हमने संगठन द्वारा भारत को लेकर दिए गए बयान देखे हैं। सरकार ओआईसी सचिवालय के गलत और संकीर्ण बयानों को खारिज करती है। भारत सरकार सभी धर्मों को सर्वोच्च सम्मान देती है।” उन्होंने कहा, “ओआईसी सचिवालय ने पुनः प्रेरित, गुमराह करने वाली टिप्पणी की है, जो दुःखद है। यह केवल स्वार्थों के संकेतों पर चलाया जा रहा विभाजनकारी एजेंडा है।”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “हम इस्लामी सहयोगी संगठन के सचिवालय से अनुरोध करते हैं कि वह सांप्रदायिक रुख को आगे बढ़ाना बंद करें और सभी धर्मों व आस्थाओं के प्रति सम्मान प्रदर्शित करें।”

बागची ने कहा, “कुछ लोगों ने एक धार्मिक व्यक्तित्व को अपमानित करते हुए आपत्तिजनक ट्वीट और बयान दिए थे। ये विवादित बयान भारत सरकार की राय से संबद्ध नहीं हैं। आरोपियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की गई है।”  बता दें कि नुपुर शर्मा,के बयान पर पहले कतर, कुवैत व ईरान ने आपत्ति प्रकट की थी। इसके बाद इसमें सऊदी अरब भी सम्मिलित हो गया।