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मोदी जी शिव के परम भक्त हैं – पूर्वानुमान है कि वे 2024 में भी जरूर प्रधानमंत्री बनेंगे -ज्योतिष व अंक शास्त्री नीलू कुमार

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 परफेक्ट वूमन पत्रिका के द्वारा परफेक्ट एचिवर अवॉर्ड से सम्मानित किए जाने के बाद मुंबई मायानगरी में नीलू कुमार का नाम बतौर ज्योतिष व अंक शास्त्री तेजी से उभर कर सामने आया है। नीलू यूं तो बिहार की रहने वाली है मगर कई वर्षो से मुंबई में रह रही है और ज्योतिष व अंक शास्त्र के क्षेत्र में एक्टिव रहते हुए कुछ वर्षों से लोगों की कुंडली देखकर कुंडली के आधार पर उनका मार्गदर्शन कर रही हैं इनके पूर्वानुमान एकदम सटीक पाए जा रहे हैं और यही वजह है कि यह एक परफेक्ट ज्योतिष और अंक शास्त्री के रूप में अपने प्रतिभा के बदौलत चर्चित हो गई हैं।

ज्योतिष व अंक शास्त्री नीलू कुमार
कोरोना काल में नीलू ने लोगों की कुंडली देखकर मुफ्त में उनका मार्गदर्शन किया। नीलू सामने वाले का भूतकाल वर्तमान तो बताती है साथ ही उनका भविष्य उज्जवल हो उसके लिए कुछ सरल उपाय भी बताती है। यही कारण है कि कुछ ही समय में नीलू से मार्गदर्शन लेने वालों की लंबी लिस्ट बन गई है। जिनमें मध्यम वर्ग के लोगों के साथ बिल्डर, व्यवसायी, पत्रकार, फिल्म टीवी कलाकार भी शामिल है।
सीधी सरल हंसमुख नीलू ज्योतिष शास्त्र व अंक शास्त्र के विषय में पत्र-पत्रिकाओं में लिखती भी है इनका मानना है कि जिस तरह ज्योतिष शास्त्र हमारे जीवन से जुड़ा है वही अंकशास्त्र भी मायने रखता है मैंने बहुत सारे लोगों को नाम की स्पेलिंग बदलने की राय दी और उन सबको सकारात्मक परिणाम मिले। नीलू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई राजनेताओं व अभिनेताओं की कुंडली का भी अध्ययन किया है, नीलू बताती है कि सुपरस्टार बिग बी अमिताभ बच्चन को भी एक समय ग्रहों ने घेर लिया था तब उन्हें भी ग्रहों की चाल को समझना पड़ा था। यहां तक कि सलमान खान जैसे स्टार भी हमेशा अपना लकी ब्रेसलेट हमेशा पहने रखते हैं सलमान ने जो पहना है वह  फ़िरोज़ा है जो उनके भाग्य को बढ़ाता है।
जहां तक मोदी जी की बात करें तो मोदी जी शिव के परम भक्त हैं वे उनकी सच्ची मन से पूजा करते हैं, उनकी जन्म कुंडली में शिव योग दर्शित है, शिव की कृपा से ही वे प्रधानमंत्री बने और अभी तक कायम है और मेरा पूर्वानुमान है कि वे 2024 में भी जरूर प्रधानमंत्री बनेंगे।
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यूरोप में भारत के आमों को बढ़ावा दे रहे पीयूष गोयल, किया मैंगो फेस्टिवल का आयोजन

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भारत के स्वादिष्ट व रसीले आमों को यूरोपीय देशों के बाजारों में भी बड़े पैमाने पर पहुंचाने के प्रयास तेज हो गए हैं। इस बाजार में भारतीय आमों को बढ़ावा देने के इरादे से बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में ‘मैंगो फेस्टिवल’ का आयोजन किया गया है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को इसका शुभारंभ किया। अभी बेल्जियम में आम लैटिन अमेरिकी देशों से पहुंचते हैं।

इस मौके पर गोयल ने यूरोपीय संघ व भारत के बीच मुक्त व्यापार वार्ता (एफटीए) का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी शुरुआत ‘मैंगो मैनिया’ के साथ ही हुई थी। हालांकि, एफटीए को 2013 में रोक दिया गया था, हमने अब फिर से ये पहल की है। यह वार्ता औपचारिक रूप से फिर से शुरू की जाएगी।

भारत से आम का बड़े पैमाने पर निर्यात होता है, लेकिन यह खासकर मध्य पूर्व व अरब देशों में ही जाता है। बेल्जियम, लक्जबर्ग व यूरोपीय संघ EU के भारतीय राजदूत संतोष झा का कहना है कि यहां के बाजार में भारतीय आमों के लिए अपार संभावना है।

झा ने कहा कि बेल्जियम में पहले मैंगो फेस्टिवल के आयोजन का उद्देश्य लोगों को इसका स्वाद चखना है। बेल्जियम को यूरोप की राजधानी माना जाता है। यहां ईयू के सभी संगठनों के दफ्तर हैं। इसके शुभारंभ के मौके पर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल का मौजूद रहना सुखद संयोग है। मुझे इस बात की खास खुशी है कि मैंगो फेस्टिवल में प्रदर्शित किए गए अधिकांश आम मेरे गृह राज्य बिहार के हैं। मैंने भी कई सालों बाद इनका लुत्फ लिया है।

भारतीय दूतावास में कृषि व मरीन उत्पादों की सलाहकार डॉ. स्मिता सिरोही ने बताया कि यूरोप में ब्रिटेन व जर्मनी में भारतीय बाजार हैं। बेल्जियम में मैंगो फेस्टिवल आयोजित करने का विचार यूरोपीय बाजारों में भारतीय आमों को प्रदर्शित करना है। बेल्जियम में ज्यादातर आम लैटिन अमेरिकी देशों से आ रहे हैं।

सात किस्मों के आम प्रदर्शित किए गए;

ब्रुसेल्स में आयोजित आम प्रदर्शनी में भारतीय आमों की सात किस्मों को प्रदर्शित किया गया है। आंध्र प्रदेश के बंगनपल्ली, उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद दशहरी, ओडिशा के आम्रपाली, के अलावा लक्ष्मण भोग, हिमसागर, जर्दालु आम, लंगड़ा आम और 12 जीआई-टैग उत्पाद पेश किए गए हैं।

धोए पैर और लिया आशीर्वाद, मां हीराबेन के 100वें जन्मदिन पर यूं नजर आए पीएम नरेंद्र मोदी

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देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन 18 जून 2022 को सौ साल की हो गईं। हर साल की तरह इस साल भी मां के जन्मदिन पर पीएम उनसे मिलने गांधीनगर पहुंचे। मां के जन्मदिन पर उनसे मुलाकात की कुछ तस्वीरें प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया में पोस्ट की हैं।

मां हीराबेन के 100वें जन्मदिन पर मिलने पहुंचे पीएम मोदी ने शॉल गिफ्ट किया और उनके पैर पखारे। पीएम मोदी ने मां हीराबेन से मुलाकात की तस्वीरें अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से साझा भी कीं, जिसपर यूजर्स की तरफ से ढेरों प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। पीएम मोदी ने कहा, “मां, ये सिर्फ एक शब्द नहीं है, जीवन की वो भावना है, जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया है। मेरी मां, हीराबा आज 18 जून को अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं, उनका जन्म शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है। मैं अपनी खुशी और सौभाग्य साझा कर रहा हूं।”

शनिवार सुबह अपनी मां का आशीर्वाद लेने के बाद पीएम मोदी पावागढ़ के महाकाली मंदिर पर ध्वज लहराएंगे। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी वडोदरा में 21 हजार करोड़ की खेड़ा, आणंद, वडोदरा पंचमहल और छोटा उदयपुर जिले में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे।

पीएम मोदी हेरिटेज फॉरेस्ट में यात्रा करेंगे और इसके बाद वे वडोदरा में 12 बजे गुजरात गौरव अभियान में हिस्सा लेंगे। पीएम मोदी द्वारा शुरू की जाने वाली परियोजनाओं में रेलवे की 16,000 करोड़ रु की परियोजनाएं भी शामिल हैं। इस दौरे पर पीएम मोदी प्रधानमंत्री आवास परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे या 1,41,000 परिवारों के लिए आवास परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी महिलाओं में कुपोषण से निपटने के लिए मुख्यमंत्री मातृ शक्ति योजना भी शुरू करेंगे।

आदिवासी बहुल तहसीलों में ‘पोषण सुधा योजना’ शुरू करेंगे। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अधिक पोषण उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने प्रायोगिक स्तर पर दाहोद, वलसाड, महीसागर, छोटा उदयपुर और नर्मदा सहित 5 आदिवासी बहुल जिलों की 10 तहसीलों में ‘पोषण सुधा योजना’ लागू की थी, जिसका विस्तार किया जाएगा और सभी 14 आदिवासी बहुल जिलों की 106 तहसीलों को इसके अंतर्गत शामिल किया जाएगा।

DIGITAL INDIA IN EUROPEAN CONTINENT,NPCI to launch UPI RuPay Cards in France;

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The National Payments Corporation of India International on Thursday signed a memorandum of understanding (MoU) with Lycra Network of France. According to this MoU, Indians can soon be able to pay with their UPI or RuPay card in France. This will be beneficial for Indian students or travelers.

The Union Minister of Electronics and Information Technology, Ashwini Vaishnaw announced this MoU between France and India. He said during the announcement that in France where there is a terminal or machine of Lyrca Network, Indians can pay with UPI and RuPay card.

The Union Minister said that due to this facility, travelers and Indian students studying in France will get a lot of help. It will be easy for them to make payments from place to place. He also informed that India does 5.5 billion UPI transactions every month.
The Minister of Electronics and Information Technology informed that UPI is already an internationally accepted mode of payment. Indian UPI is used in UAE, Singapore and Bhutan. He also said, after France, the next focus of NPCI International is Nepal.

According to the recent data, in May 2022, UPI recorded about 6 billion transactions worth $134.3 billion (Rs 10.4 lakh cr). The payments platform also saw a 6.6% month-on-month rise in transaction volume from April 2022.Within the first five months of 2022, the platform has crossed almost 80% of the transaction volume of 2021. Earlier in April, NPCI International entered the
UAE following partnering with Mashreq Bank’s payment subsidiary – NeoPay.

The Reserve Bank of India has recently given its nod to also link credit cards with the UPI. The apex bank, however, said that the facility, at present, will only be available on RuPay cards.So far only debit cards were linked with the payment mechanism.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का ऐलान:गलत पार्किंग की फोटो भेजने वाले को मिलेगा 500 रुपए का इनाम

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केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान गलत पार्किंग के खिलाफ बड़ी बात कही। उन्होंने कहा- मैं एक कानून लाने वाला हूं कि रोड पर अगर कोई गलत तरीके से वाहन खड़ा करेगा, तो उस पर 1,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं ऐसी गाड़ियों की फोटो खींचकर भेजने वाले को 500 रुपए इनाम में दिए जाएंगे।

गडकरी ने कहा- गलत पार्किंग एक बहुत बड़ा खतरा है। ऐसा शहरी भारत में कारों की संख्या बढ़ने की वजह से हो रहा है। किसी परिवार के हर सदस्य के पास कार होने के बावजूद वे पार्किंग की जगह नहीं बनाते हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली में चौड़ी सड़कों को पार्किंग की जगह माना जा रहा है।

गलत तरीके से पार्किंग पर नाराजगी जताई
गडकरी ने बताया कि नागपुर में उनके घर में 12 कारों के लिए पार्किंग की जगह है और वह सड़क पर बिल्कुल भी पार्क नहीं करते हैं। आज 4 सदस्यों के परिवार के पास 4 कारें होती हैं। ऐसा लगता है कि दिल्ली के लोग भाग्यशाली हैं। हमने उनका वाहन खड़ा करने के लिए सड़क बनाई है।इलेक्ट्रिक वाहनों वाले पब्लिक ट्रांसपोर्ट भारत के लिए जरूरी हैं। अमेरिका में सफाई कर्मचारियों के पास भी कारें हैं। जल्द ही देश में भी ऐसी स्थिति होगी। हर कोई कार खरीद रहा है।

इस साल कारों की ब्रिकी दोगुनी हुई

कारों की बिक्री के लिहाज से देखें तो कोरोना के बाद देश में कारों की बिक्री में भारी गिरावट के बाद तेजी देखी गई है। मई 2022 में पिछले साल के मुकाबले कारों की ब्रिकी दोगुनी हुई है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के मुताबिक, यात्री वाहन की थोक बिक्री मई 2022 में बढ़कर 2.5 लाख यूनिट हो गई, जबकि पिछले साल मई में यह 1 लाख यूनिट से कम थी।इनमें दोपहिया और तिपहिया वाहनों को छोड़कर कार और अन्य वाहन शामिल हैं। इस साल मई में यात्री वाहनों, दोपहिया और तिपहिया वाहनों की कुल बिक्री बढ़कर 15 लाख से अधिक हो गई, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह 5 लाख से कम थी।

 

अग्निपथ पर भड़की आग

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देशभर में अग्निपथ योजना का विरोध देखने को मिल रहा है। जहां गुरुवार को बिहार, दिल्ली, एमपी, राजस्थान और हरियाणा समेत कई राज्यों में इस योजना के खिलाफ छात्रों ने दिनभर प्रदर्शन किया। वहीं अब यह शुक्रवार को भी जारी है। हालांकि छात्रों के रुख को देखते हुए केंद्र सरकार ने गुरुवार को अग्निपथ योजना में अभ्यर्थियों की उम्र सीमा को 21 से बढ़ाकर 23 कर दिया है।

बता दें कि पिछले दो सालों के दौरान कोई भर्ती नहीं हुई थी। ऐसे में सरकार ने उम्र सीमा बढ़ाने के फैसला लिया है। हालांकि उम्र सीमा बढ़ाने के फैसले के बाद भी छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है। शुक्रवार की सुबह यूपी, बिहार में छात्रों का उग्र प्रदर्शन जारी है। कुछ टीवी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुक्रवार (17 जून, 2022) साढ़े छह बजे बक्सर के डुमरांव स्टेशन पर प्रदर्शनकारियों ने रेल ट्रैक को निशाना बनाते हुए पटरियों के बीच में टायर जलाए और अपना गुबार निकाला। वे इसके अलावा सड़क से लेकर सोशल मीडिया पर भी मुहिम चला रहे हैं।

राकेश टिकैत ने विरोध का समर्थन कर किया राष्ट्रवापी आंदोलन का ऐलान: केंद्र सरकार द्वारा सेना में भर्ती की नई योजना ‘अग्निपथ’ का विरोधर करते हुए गुरुवार को भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि यह योजना युवाओं खासकर किसान के बच्चों के लिए हितकारी नहीं है। टिकैत ने कहा कि इस योजना का विरोध किया जाएगा और इसके खिलाफ राष्ट्रवापी आंदोलन किया जाएगा।

टिकैत ने कहा कि सेना में अभी तक युवाओं को 15 साल की नौकरी और पेंशन मिल रही थी। लेकिन नई योजना के तहत जब चार साल की नौकरी के बाद युवा बिना पेंशन घर जायेगा तों उसका आगे भविष्य क्या होगा।

नई सेना भर्ती से जुड़ी व्यवस्था का सर्वाधिक विरोध बिहार में हो रहा है। प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान पैसेंजर ट्रेनें रोकीं और वे ऐसा कर नरेंद्र मोदी सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, एक रोज पहले यानी गुरुवार को उपद्रवियों ने बिहार में हल्ला बोला था और इस दौरान एक बीजेपी दफ्तर पर भी हमला बोला गया था।

गोबर के इस्तेमाल से बढ़ा खजूर का उत्पादन

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खाड़ी देश कुवैत (Kuwait) ने पैगंबर मोहम्मद विवाद (Prophet Mohammad Row) के बीच अब गेहूं (Wheat) के बाद भारत को गाय के गोबर (Cow Dung) का बड़ा ऑर्डर दिया है. कुवैत में वैज्ञानिकों ने खजूर की खेती में गाय के गोबर का इस्तेमाल किया और पाया कि इससे उपज बढ़ जाती है. इसके बाद कुवैत ने भारत से गाय का गोबर मंगाने का फैसला किया. भारत को अब तक गोबर के लिए मिले सबसे बड़े विदेशी ऑर्डर की खेप राजस्थान (Rajasthan) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से भेजी जा रही है.

राधा मोहन सिंह ने कहा कि कुवैत से मिले ऑर्डर के बाद गाय के गोबर के निर्यात की संभावनाएं बढ़ गई हैं. भारत गोबर का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. अब सरकार भी गोबर के निर्यात पर फोकस करने की रणनीति तैयार कर रही है. अभी मिले ऑर्डर के लिए राजस्थान और उत्तर प्रदेश से गोबर भेजा जा रहा है. आने वाले समय में गोबर के निर्यात में सभी राज्यों को शामिल करने की योजना है.

उन्होंने बताया कि कुवैत को गाय के गोबर की पहली खेप आज 15 जून को भेजी जा रही है. इसे राजस्थान के कनकपुरा रेलवे स्टेशन से मुंबई भेजा जा रहा है. वहां से गोबर को जहाज के जरिए कुवैत ले जाया जाएगा. इस खेप को कस्टम विभाग की निगरानी में जयपुर के टोंक रोड स्थित श्री पिंजरापोल गोशाला में सनराइज ऑर्गेनिक पार्क में पैक किया गया है. इस पहली खेप में कुवैत को 192 मीट्रिक टन गोबर की आपूर्ति की जा रही है. पहली बार भारत को किसी देश से गोबर के लिए इतना बड़ा ऑर्डर मिला है.

कुवैत में कृषि वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में पाया कि गाय के गोबर को पाउडर के रूप में प्रयोग करने से खजूर की फसल बढ़ रही है. इसके इस्तेमाल से फल के आकार और उत्पादन  की मात्रा दोनों में अच्छी बढ़ोतरी हुई. इसके बाद कुवैत की कंपनी लैमोर ने गाय के गोबर का एक बड़ा ऑर्डर भारत को दिया.

आपको बता दें कि भारत में करीब 30 करोड़ मवेशी हैं. इनसे हर रोज करीब 30 लाख टन गोबर का उत्पादन होता है. भारत में गोबर का मुख्य इस्तेमाल उपला बनाकर ईंधन के रूप में किया जाता है. हालांकि ब्रिटेन और चीन समेत कई देशों में गोबर से बिजली व गोबर गैस का उत्पादन किया जाता है.

 

 

चीन ने बदली रणनीति, अब तिब्‍बत के युवाओं को सेना में कर रहा भर्ती;

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चीन ने बदली रणनीति, अब तिब्‍बत के युवाओं को सेना में कर रहा भर्ती;

गलवान में भारत की सेना से हुई हिंसक झड़प के दो साल बाद चीन एलएसी के नजदीक इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के साथ अब तिब्बतियों की रिकॉर्ड संख्या में सेना में भर्ती कर रहा है। चीन की सरकारी मीडिया की माने तो तिब्बत के लोग भी खुशी से पीएलए में भरती के लिए आवेदन कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक ल्हासा में पिछले साल की अपैक्षा इस साल 15.7 फीसदी ज्यादा तिब्बतियों को पीएलए में शामिल किया है। पीएलए ने साल के पहले हिस्से में 472 तिब्बती युवाओं को भर्ती किया है। इनमें से 240 कॉलेज में पढ़ रहे छात्र हैं।

चीन में 6 से 9 साल के तिब्बती बच्चों को शुरू से ही सेना से जुड़ी शिक्षा देने के लिए खास स्कूल खोले जा रहे हैं। एलएसी के आसपास मॉडल गांव में इन तिब्बतियों के लिए कई ऐसी योजनाएं भी लागू की जा रही है जिससे वह ना सिर्फ यहां बस जाएं बल्कि पीएलए में शामिल होकर चीन की सेना की ताकत बने। चीन को लगता है कि तिब्बतियों को अपनी फौज में भर्ती करने से उसे तिब्बत के एकीकरण में मदद मिलेगी। एलएसी के नजदीक यह सैनिक बेहतर ढंग से डटे रह सकते हैं।

चीनी सेना को लंबे वक्त के लिए लद्दाख में टिकना पड़ा। ठंड की वजह से चीन की रेगुलर सेना के कई जवान कमजोर दिखाई दिए, जबकि तिब्बत के युवा इन परिस्थितियों में ज्यादा मजबूत साबित हुए।

भारत से टकराव के बाद चीन ने तिब्बती सैनिकों को पीएलए में ज्यादा से ज्यादा संख्या में शामिल करने की रणनीति बनाई है। इसके लिए एलएसी के करीब नइनचि में स्कूली बच्चों के लिए समर कैंप के बहाने सेना से रूबरू कराया गया है। इन कैंप में 8 से 16 साल के बीच की उम्र के बच्चों को मिलिट्री स्टाइल ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वह आसानी से पीएलए में शामिल किया जा सके।

चीन सिक्किम के दूसरी ओर तिब्बत के यादोंग और इसके पास के गांव के बेरोजगार युवाओं को नौकरी का झांसा देकर अपना मिलिशिया ग्रुप तैयार कर रहा है। इनकी तैनाती उन बॉर्डर इलाकों में की जा रही है जहां से व्यापार होता है। चीन ने बाकायदा स्पेशल तिब्बत आर्मी यूनिट तैयार की है। इसका नाम रखा गया है मिमांग चेटोन।

तिब्बती भाषा में इसका मतलब है पब्लिक के लिए। उन्हें जासूसी कर भारतीय सेना की मूवमेंट पर नजर रखने और चेक पोस्ट पर निगरानी का काम दिया जा रहा है। इन्हें कोई न तो रैंक दी गई है और न ही कोई वर्दी दी गई है। हालांकि चीन के तिब्बत पर कब्जा करने के 70 साल बाद भी तिब्बतियों की नाराजगी खत्म नहीं हुई है।

 

“अगर कश्मीरी पंडितों का पलायन धार्मिक टकराव का नतीजा है तो…” : अभिनेत्री साई पल्लवी

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“अगर कश्मीरी पंडितों का पलायन धार्मिक टकराव का नतीजा है तो…” : अभिनेत्री साई पल्लवी

धर्म के नाम पर हो रही हिंसा की निंदा करते हुए अभिनेत्री साई पल्लवी  ने कश्मीरी पंडितों के पलायन की तुलना गौरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा से की. यूट्यूब चैनल ग्रेट आंध्र को दिए एक इंटरव्यू में साई पल्लवी ने कहा, “कश्मीर फाइल्स में दिखाया गया है कि उस समय कैसे कश्मीरी पंडितों को मार दिया गया था. यदि आप इस मुद्दे को एक धार्मिक संघर्ष के रूप में ले रहे हैं, तो हाल ही में एक घटना हुई जहां एक मुस्लिम ड्राइवर, जो गायों को ले जा रहा था, उसे पीटा गया और ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए मजबूर किया गया. तो, इन दो घटनाओं के बीच अंतर कहां है.”

अपने राजनीतिक झुकाव के बारे में पूछे जाने पर, अभिनेत्री ने कहा कि वह एक तटस्थ परिवार में पली-बढ़ीं और उन्हें एक अच्छा इंसान बनना सिखाया गया.उन्होंने कहा कि “मुझे सिखाया गया था कि मुझे उन लोगों की रक्षा करनी चाहिए जो संकट में हैं. उत्पीड़ितों की रक्षा की जानी चाहिए.”

साई पल्लवी इन दिनों अपनी अपकमिंग तेलुगू फिल्म ‘विरता पर्वम’ का प्रमोशन कर रही हैं. फिल्म, जिसमें राणा दग्गुबाती भी हैं, 1990 के दशक की सच्ची घटनाओं से प्रेरित है. यह तेलंगाना क्षेत्र में नक्सली आंदोलन की पृष्ठभूमि के खिलाफ एक प्रेम कहानी का वर्णन करता है.

साई पल्लवी के बयान पर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिलीं हैं. जहां कुछ ट्विटर यूजर्स ने उनके साहस की सराहना की, वहीं कुछ ने उन्हें ट्रोल किया.

छत्रपति शिवाजी की शासन व्यवस्था

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शिवाजी का नाम आते ही शौर्य और साहस की प्रतिमूर्ति का एहसास होता है। अपने सपनों को सच करके उन्होंने खुद को न्यायपूर्ण प्रशासक रूप में स्थापित किया। इतिहासकार भी मानते हैं कि उनकी राज करने की शैली परंपरागत राजाओं और मुगल शासकों से अलग थी। वे सुशासन, समरसता और न्याय को अपने शासन का मुख्य विषय बनाने में सफल रहे। बिखरे हुए मराठों को एक सूत्र में पिरोकर उन्होंने जिस तरह अपने सपनों को साकार किया वह प्रेरित करने वाली कथा है। एक अप्रतिम सैनिक, कूटनीतिज्ञ, योद्धा के साथ ही वे कुशल रणनीतिकार के रूप में भी सामने आते हैं। वे अपनी मां जीजाबाई और गुरु के प्रति बहुत श्रद्धाभाव रखते थे। शायद इन्हीं समन्वित मानवीय गुणों से वे ऐसे शासक बने जिनका कोई पर्याय नहीं है।

‘लोकमंगल’ रहा शिवाजी का शासन सूत्र: इतिहासकार ईश्वरी प्रसाद कहते हैं- “प्रशासन की उनकी प्रणाली कई क्षेत्रों में मुगलों से बेहतर थी।” शिवाजी एक ऐसे शासक हैं जिनके प्रति उनकी प्रजा में श्रद्धाभाव साफ दिखता है, क्योंकि लोकमंगल ही उनके शासन का मूलमंत्र था। उनकी राज्य और प्रशासन प्रणाली में आम आदमी के लिए, स्त्रियों के लिए, कमजोर वर्गों के लिए ममता और समरसता का भाव साफ दिखता है। वे न्यायपूर्ण व्यवस्था के हामी हैं। प्रख्यात इतिहासकार डा. आरसी मजूमदार की मानें तो “शिवाजी न केवल एक साहसी सैनिक और सफल सैन्य विजेता थे, बल्कि अपने लोगों के प्रबुद्ध शासक भी थे।” बाद के इतिहासकारों ने तमाम अन्य भारतीय नायकों की तरह शिवाजी के प्रशासक स्वरूप की बहुत चर्चा नहीं की है।

आज भारतीय पुर्नजागरण का समय है और हमें अपने ऐसे नायकों की तलाश है, जो हमारे आत्मविश्वास को बढ़ा सकें। ऐसे समय में शिवाजी की शासन प्रणाली में वे सूत्र खोजे जा सकते हैं, जिससे देश में एकता और समरसता की धारा को मजबूत करते हुए समाज को न्याय भी दिलाया जा सकता है। शिवाजी अपने समय के बहुत लोकप्रिय शासक थे। उन पर जनता की अगाध आस्था दिखती थी। साथ ही उनके राजतंत्र में बहुत गहरी लोकतांत्रिकता भी दिखती है। वे अपने विचारों को थोपने के बजाए या ‘राजा की बात भगवान की बात है’ ऐसी सोच के बजाए अपने मंत्रियों से सलाहें लेते रहते थे। विचार-विमर्श उनके शासन का गुण हैं। जिससे वे शासन की लोकतांत्रिक चेतना को सम्यक भाव से रख पाते हैं।

सत्ता का विकेंद्रीकरण और सामाजिक संतुलन: शिवाजी ऐसे शासक हैं जो सत्ता के विकेंद्रीकरण की वैज्ञानिक विधि पर काम करते हुए दिखते हैं। समाज के सभी वर्गों,जातियों, सामाजिक समूहों की अपनी सत्ता में वे भागीदारी सुनिश्चित करते हैं, जिनमें मुसलमान भी शामिल हैं। उन्होंने मंत्रियों को अलग-अलग काम सौंपे और उनकी जिम्मेदारियां तय कीं, ताकि अनूकूल परिणाम पाए जा सकें। वे परंपरा से अलग हैं इसलिए वे अपने नागरिकों या सैन्य अधिकारियों को कोई जागीर नहीं सौंपते। किलों (दुर्ग) की रक्षा के लिए उन्होंने व्यवस्थित संरचनाएं खड़ी की ताकि संकट से जूझने में सफल हों। रक्षा और प्रशासन के मामलों को उन्होंने सजगता से अलग-अलग रखा और सैन्य अधिकारियों के बजाए प्रशासनिक अधिकारियों को ज्यादा अधिकार दिए। उनकी यह सोच बताती है नागरिक प्रशासन उनकी चिंता के केंद्र में था।

समग्रता में शिवाजी ऐसे भारतीय शासक के रूप में सामने आते हैं, जिसने अपनी बाल्यावस्था में जो सपना देखा, उसे पूरा किया। भारतीय समाज में आत्मविश्वास का मंत्र फूंका और भारतीय लोकचेतना के मानकों के आधार पर राज्य संचालन किया। मूल्यों और अपने धर्म पर आस्था रखते हुए उन्होंने जो मानक बनाए वे आज भी प्रेरित करते हैं। ऐसे महापुरुष सदियों में आते हैं,जिनका व्यक्तित्व और कृतित्व लंबे समय तक लोगों के लिए आदर्श बन जाता है।