Home Blog Page 362

अपने गढ़ में हारे अखिलेश यादव, संगरूर में हार से लोकसभा में आप का सफाया;

0

लोकसभा की तीन सीटों पर हुए उप चुनावों ने दिग्गजों को हिलाकर रख दिया। उनके सबसे मजबूत किले पल भर में धाराशाई हो गए। यूपी में अखिलेश यादव आजमगढ़ के साथ रामपुर जैसी सीटों पर मजबूत होने के बाद भी हार गए तो उधर पंजाब में आप को करारा झटका लगा। सीएम मान जिस सीट पर 2014 से जीत दर्ज करते आ रहे थे वहां आप हार गई। अरविंद केजरीवाल के लिए सबसे शर्मनाक बात ये है कि 2014 के बाद पहली बार लोकसभा में उनका सांसद नहीं होगा।

रामपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है। घनश्याम लोधी ने सपा प्रत्याशी आसिम रजा को 42 हजार वोटों से हराया। रामपुर में 41.39 फीसदी मतदान हुआ है. रामपुर से 6 प्रत्याशी मैदान में हैं। रामपुर उपचुनाव में आजम खान की साख दांव पर लगी थी। हार किस कदर सालने वाली रही कि आजम खान ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग कर डाली तो अखिलेश ने भी ट्विटर पर अपने गुस्से का इजहार किया। जेल से लौटने के बाद आजम के लिए रामपुर जीतना जरूरी था। माना जा रहा था कि अपने गढ़ में उन्हें लोगों की सहानुभूति मिलेगी। लेकिन नतीजे आए तो मजबूत किला हाथ से निकल गया।

आजमगढ़ उपचुनाव में भाजपा के दिनेश लाल निरहुआ ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को मात दी। समाजवादी पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा उलटफेर कर दिया है। लोकसभा उपचुनाव में भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को पछाड़ दिया है। दिनेश लाल यादव यादव 8679 मतों से जीते। बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ को 2,99,968 मत मिले। सपा के धमेंद्र यादव को 2,90,835 वोट जबकि बीएसपी के गुड्डू जमाली को 2,57,572 वोट मिले।

जीत कितनी बड़ी थी कि निरहुआ ने कहा कि आजमगढ़वासियों आपने कमाल कर दिया है। यह आपकी जीत है। उपचुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही जिस तरीके से आप सबने भाजपा को प्यार, समर्थन और आशीर्वाद दिया, यह उसकी जीत है। यह जीत आपके भरोसे और देवतुल्य कार्यकर्ताओं की मेहनत को समर्पित है। अखिलेश को ये हार भारी पड़ेगी, क्योंकि आजमगढ़ से 2014 में मुलायम तो 2019 में मोदी लहर के बाद अखिलेश जीते थे। मौजूदा समय में कोई लहर नहीं थी तो सपा गढ़ गंवा बैठी।

बीजेपी को पता था कि मुलायम सिंह के गढ़ में सपा को हराना आसान नहीं तो रामपुर में आजमखान से पार पाना बहुत टेढ़ी खीर लग रहा था। लेकिन नतीजों ने दिखाया कि मोदी-योगी की रणनीति कामयाब रही तो अखिलेश को उप चुनावों से दूर रहना उनके प्रत्याशियों के लिए खासा भारी साबित हुआ।

मजबूत गढ़ में औंधे मुंह गिरी आप,

पंजाब की संगरूर लोकसभा सीट पर से शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रमुख सिमरनजीत सिंह मान ने जीत दर्ज की। नतीजे भगवंत मान के लिए शुभ संकेत नहीं है, क्योंकि इससे पहले मान ने साल 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में इस सीट पर जीत दर्ज की थी। आज उन्हीं के गढ़ में उनकी पार्टी पिछड़ गई। फरवरी में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में भगवंत मान के विधायक चुने जाने और लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के कारण इस सीट पर उपचुनाव कराने की जरूरत पड़ी थी। सिमरनजीत सिंह मान ने आप के गुरमेल सिंह को 5822 मतों से हराया।

संगरूर सीट पर 23 जून को हुए मतदान में केवल 45.30 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। जबकि 2019 में यहां 72.40 फीसदी वोट पड़े थे। कांग्रेस प्रत्याशी दलवीर सिंह गोल्डी तीसरे, भाजपा प्रत्याशी केवल ढिल्लों चौथे और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की कमलदीप कौर राजोआना पांचवें स्थान पर रहीं। गोल्डी को 79,668, ढिल्लों को 66,298 और कौर को 44,428 मत मिले। विश्लेषकों का मानना है कि मान की सीट पर हार का मतलब आप सरकार की लोकप्रियता का ग्राफ पहले ही तरह से नहीं रहा। लोगों ने उम्मीद करके आप को जिताया था पर सरकार ख्याली महल बनाने में लगी रही। मूसेवाला की हत्या को आप की लोकप्रियता में गिरावट का बड़ा जिम्मेदार माना जा रहा है तो अकाल तख्त के जत्धेदार की सुरक्षा व्यवस्था को वापस लेने से पंथक वोटर भी आप से दूर हो गए। इस फैसले को पंथ से टकराव के तौर पर देखा गया।

पंजाब चुनाव की सबसे खास बात ये है कि सिमरनजीत सिंह मान को उग्रपंथी विचारधाराका समर्थक माना जाता है। जीत के बाद उन्होंने कहा भी कि जनरैल सिंह भिडरवाले ने हमें जो शिक्षा दी ये जीत उसका ही नतीजा है। उनके तेवरों से साफ है कि पंथक वोट उनके पाले में पूरी तरह से रहे। जानकार कहते हैं कि एक तरफ प्रशासन को संभालने की नाकामी और पंथ से नाराजगी केजरीवाल को आगे भी भारी पड़ सकती है।

पीएम मोदी पहुंचे जर्मनी, जी-7 देशों की शिखर बैठक में लेंगे हिस्सा ;

0
Official family portrait

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-7 देशों की शिखर बैठक में भाग लेने जर्मनी पहुंच गए हैं। यह बैठक जर्मनी की अध्यक्षता में हो रही है। इसमें दुनिया के सात ताकतवर देशों के प्रमुख हिस्सा लेंगे।

जर्मनी के म्यूनिख पहुंचने पर पीएम मोदी का शानदार स्वागत किया गया। एयरपोर्ट पर बावेरियन बैंड की धुनों के बीच उनका खासतौर से स्वागत किया गया। म्यूनिख एयरपोर्ट के बाहर भारतीय समुदाय के लोगों ने भी पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया। अनिवासी भारतीयों ने ‘मोदी-मोदी’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए।

यहां पहुंचने पर पीएम मोदी ने ट्वीट किया ‘मैं शिखर सम्मेलन के दौरान विश्व नेताओं के साथ उपयोगी चर्चा की आशा करता हूं।’  26 व 27 जून को होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में यूक्रेन-रूस युद्ध, हिन्द प्रशांत क्षेत्र की स्थिति, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु सहित महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा होगी। पीएम मोदी इसके अलावा सम्मेलन में शरीक होने वाले शीर्ष नेताओं से भी अलग से मुलाकात करेंगे। पीएम मोदी जर्मनी यात्रा के दौरान भारतीय समुदाय के लोगों के साथ संवाद भी करेंगे।सात देशों का समूह है जी-7,

जी-7 समूह दुनिया के सात सबसे अमीर देशों का समूह है जिसकी अध्यक्षता अभी जर्मनी कर रहा है। इस समूह में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, ईटली, जापान और अमेरिका शामिल है। इसमें अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को भी आमंत्रित किया गया है। इस बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडू सहित कई अन्य शीर्ष नेता हिस्सा ले रहे हैं।

खाड़ी देश भी जाएंगे पीएम मोदी
इस विदेश यात्रा के दौरान पीएम मोदी संयुक्त अरब अमीरात का दौरा भी करेंगे। अपनी यात्रा से पहले उन्होंने कहा कि वे 28 जून को यूएई के पूर्व राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए खाड़ी देश जाएंगे। यहां अबू धाबी में वे संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ बैठक भी करेंगे।

योगी के हेलीकॉप्टर से टकराया पक्षी, वाराणसी में इमरजेंसी लैंडिंग

0

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हेलीकॉप्टर की अचानक वाराणसी में इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई। वाराणसी दौरे पर पहुंचे सीएम योगी ने रविवार सुबह 9.05 बजे सर्किट हाउस से पुलिस लाइन पहुंचे और हेलीकॉप्टर से लखनऊ के लिए उड़ान भरी लेकिन पक्षी से टकराने के बाद पुलिस लाइन में ही हेलीकॉप्टर की लैंडिंग करा दी गई।

जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि हेलीकॉप्टर में बर्ड हिट हो गया था इसलिए सावधानी के लिए हेलीकॉप्टर वापस आ गया। अब राजकीय विमान आ रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बाबतपुर एयरपोर्ट से लखनऊ के लिए रवाना होंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जुलाई में प्रस्तावित दौरे के पूर्व शनिवार शाम काशी पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां तैयारियों का जायजा लिया और रोडमैप तैयार किया। मुख्यमंत्री ने कालभैरव और बाबा विश्वनाथ के दर्शन भी किए। उन्होंने सर्किट हाउस में विकास कार्यों और कानून-व्यवस्था की समीक्षा की। बैठक में मुख्यमंत्री के निशाने पर नगर निगम और पीडब्ल्यूडी के अधिकारी रहे। पीएम आवास योजना नगरीय में दलालों के सक्रिय होने और अवैध धन वसूली की शिकायत पर नाराज मुख्यमंत्री ने नगर निगम के अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया।

पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से मुख्यमंत्री ने कहा कि टेंडर प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता एवं ईमानदारी बरतें। प्रहरी पोर्टल पर छेड़छाड़ की शिकायत मिल रही है। किसी भी स्तर पर गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। तहसील एवं थानों की कार्रवाई पर नजर रखी जा रही है। अगली बैठक में तहसीलों एवं थानों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।

मैनपुरी में खुदाई के दौरान मिले 4 हजार साल पुराने हथियार,

0

मैनपुरी में खुदाई के दौरान मिले 4 हजार साल पुराने हथियार, महाभारतकालीन होने का दावा;

मैनपुरी में खुदाई के दौरान पुराने हथियारों का बक्सा मिला। जिसमें तीर कमान, कटारी और छुरियां मिलीं। इनकी लंबाई 4 फीट तक है। इससे लग रहा है कि ये लड़ाई में इस्तेमाल किए जाते होंगे। हथियार 4 हजार साल पुराने यानी ताम्र पाषाण युग के बताए गए हैं। इनके महाभारतकालीन होने का भी दावा है। आगरा और दिल्ली पुरातत्व विभाग की टीम ने हथियारों को कब्जे में ले लिया है।

द्वापरयुग का बताया जा रहा हथियार,

आपको बता दें कि इन हथियारों को भगवान श्री कृष्ण के काल यानी द्वापरयुग का बताया जा रहा है. इन हथियारों के मिलने की सूचना जैसे ही जिला प्रशासन को मिली, तो प्रशासन आलाधिकारी मौके पर पहुंच गया।सालों पुराने इन हथियारों की पड़ताल के लिए पुरातत्व विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची. टीम ने जांच पड़ताल और अपनी रिसर्च के बाद यह पाया कि खेत से मिले हथियार लगभग 4000 साल पुराने हैं. यह हथियार मैनपुरी के कुरावली क्षेत्र के ग्राम गणेशपुर निवासी पुष्पेंद्र सिंह अपने खेत के समतलीकरण के दौरान मिले हैं।

ग्रामीणों ने हथियार मिलने की सूचना एसडीएम वीरेंद्र कुमार मित्तल को दी. जिसके बाद एसडीएम बगैर देरी किए पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए. उन्होंने पुरातत्व विभाग की टीम को भी मौके पर बुलाया।

प्रारंभिक पड़ताल के बाद शोधकर्ताओं के ने बताया कि खेत से मिले हथियार लगभग 4000 साल पुराने हैं. जिनमें कुछ हथियार स्टारफिश के आकार के तो, कुछ 4 फीट लंबे हथियार भी मिले हैं।

 

 

 

 

‘राधे राधे’ अलबम में ललित अग्रवाल ने लगाया सुर, लॉन्चिंग में पहुंचे फिल्मी हस्तियां

0

मुम्बई। पिछले दिनों अंधेरी मुंबई स्थित कर्मवीर क्रीडा संकुल में प्रसिद्ध व्यवसायी और अब गायक निर्माता बने ललित अग्रवाल की म्यूजिक कंपनी जेड सीरीज और उनका पहला एल्बम ‘राधे राधे’ का लोकार्पण हुआ।
मूलत रायपुर के निवासी ललित अग्रवाल ने अपने कारोबार की शुरुआत ट्रांसपोर्ट बिजनेस से की फिर प्लाईवुड और स्टील कारोबार में हाथ आजमाया और आज उनकी कंपनी पंकज ग्रुप ऑफ कंपनीज और सागर टीएमटी किसी परिचय की मोहताज नहीं है।


भगवान कृष्ण को समर्पित ‘राधे राधे’ में गीत-संगीत के. आर. वाही का, नृत्य- निर्देशन पप्पू खन्ना, कॉन्सेप्ट रुपाली रावत और निर्देशन यतींद्र रावत का है। वहीं योगेन्द्र श्रीवास्तव इसके कार्यकारी निर्माता हैं जबकि इसका निर्माण और गायन ललित अग्रवाल ने किया है। लोकार्पण के अवसर पर प्रसिद्ध संगीतकार दिलीप सेन ने कहा कि उन्होंने साल भर पहले जो एक छोटा सा पौधा लगाया था आज उसमें एक फूल खिला है ललित जी की आवाज में एक कशिश है। प्रसिद्ध फिल्मकार विमल कुमार ने कहा कि ललित जी के फिल्मउद्योग में आने से सैकड़ों परिवारों का घर चलेगा। निर्माता गायक ललित अग्रवाल ने कहा कि व्यापार के साथ ही साथ गायन उनका पहला प्रेम है और गायन से उन्हें एक अजीब सा सुकून मिलता है।
इस अवसर पर उन्हें बधाई देने वालों में सीमा कपूर, अली खान, सुनील पाल, मोहन नडार, मोहम्मद सलामत, शबाब साबरी, शाहिद माल्या, अरविंद कुमार, रवि जैन, आरती नागपाल, इंद्राणी तालुकदार, अंकिता नादान, हफीजा बक्शी, आयुष रैना, अरविंद चौधरी, तृप्ति सांख्या, सुहेल जैदी, चाणक्य चटर्जी, अमर उपाध्याय, महेंद्र देवलेक, रिद्धिमा तिवारी, डी.एन.जोशी, महेंद्र धारीवाल आदि उपस्थित थे।


कार्यक्रम का सफल संचालन गायिका और अभिनेत्री अनुजा सहाय ने किया। इस दौरान प्रसिद्ध गीतकार नवाब आरजू ने ललित और उनकी गायन के प्रति दीवानगी के बारे में बताया।

‘हिंदुत्व’ में सशक्त अभिनय का परिचय देंगे लक्ष डेढा

0

मुम्बई। वर्तमान समय में धर्म को लेकर लोग ज्यादा संवेदनशील और कट्टर हो गए हैं जिसका असर आम जनता पर पड़ रहा है। इस परिस्थिति में जल्द ही रुपहले पर्दे पर एक ऐसी फिल्म आ रही है जो धर्म का मुख्य भाव बताएगी ताकि ये धर्म की आड़ पर द्वंद खत्म हो। हिंदी फीचर फिल्म हिंदुत्व एक ऐसे ही मुद्दे पर बनी है जो मानव के भीतर के इंसानियत को जगाएगी। इस फ़िल्म में कश्मीरी मुस्लिम युवक की भूमिका निभा रहे हैं लक्ष डेढा।
बचपन से ही मन में फिल्मी दुनिया के सपने संजोने वाले लक्ष ने खुद को फिल्मी दुनिया के अनुरूप ढालना शुरू कर दिया था। उनकी मेहनत रंग लाई और उन्नीस वर्ष में ही भारत के सबसे कम उम्र के मिस्टर इंडिया बने। फिलीपींस में भी लक्ष ने मॉडलिंग में अवार्ड जीता।

अपनी शुरुआत इन्होंने मॉडलिंग से की। इसके लिए दिल्ली के एक कॉम्पिटिशन में भाग लिया जहाँ इन्हें काफी अनुभव प्राप्त हुआ। करण राजदान की ‘हिंदुत्व’ लक्ष की पहली फिल्म है। इस फिल्म से ही दिल्ली बॉय लक्ष एक नकारात्मक छवि के साथ बॉलीवुड में डेब्यू कर रहे हैं। अपनी भूमिका को और निखारने के लिए इन्हें कश्मीरी संस्कृति और भाषा को जाना। खुद को उस रूप में महसूस किया। फिल्म के निर्देशक को एक ऐसे लड़के की तलाश थी जो समझदार हो और इस भूमिका के अनुरूप समझ रखने वाला हो। लक्ष को पाकर उनकी यह तलाश पूर्ण हुई।

फ़िल्म में लक्ष पर एक कव्वाली गीत फिल्माया गया है। इसका फ़िल्मांकन मेरठ के कल्याण शरीफ में किया गया था। यह एक पाक कव्वाली है जो लोगों के जेहन में लंबे समय तक रहेगी। इस कव्वाली के फिल्मांकन में कुछ मुश्किलें भी आयी। कल्याण शरीफ के माहौल में रात के समय तीन से चार घंटे तक एक ही पोजीशन में बैठे रहना काफी मुश्किल भरा था लेकिन एक्टिंग के प्रति जुनून को लेकर लक्ष काफी उत्साहित थे।
फिल्म में मुख्य अभिनेता आशीष शर्मा की एंट्री काफी दमदार है जिससे लक्ष काफी प्रभावित हैं। साथ ही अपने किरदार को लेकर भी लक्ष काफी उत्साहित हैं। उनका मानना है कि धर्म का वास्तविक नींव इंसानियत है और यह फिल्म इसी भाव को लेकर आ रही है।

– गायत्री साहू

बिगड़ रहा हे मिट्टी का स्वास्थ्य:- सुधरने में लगेंगे तीस वर्ष

0

मिट्टी का खराब होना एक वैश्विक घटना है। दुनिया की आधी ऊपरी मिट्टी तो नष्ट हो चुकी है। एक सामान्य कृषि भूमि में न्यूनतम जैविक तत्त्व 3-6 प्रतिशत होने चाहिये, लेकिन दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में यह एक प्रतिशत से भी बहुत नीचे है। उत्तरी यूरोप में औसत जैविक तत्त्व 1.48 प्रतिशत है, दक्षिण यूरोप में 1.2 प्रतिशत, अमेरिका में 1.3 प्रतिशत, भारत में 0.68 प्रतिशत और अफ्रीका में 0.3 प्रतिशत है। इसका यह मतलब है कि धरती पर ज्यादातर कृषि भूमि मरुस्थलीकरण की ओर बढ़ रही है।

जब बात जैव-विविधता और मिट्टी की आती है, तब राष्ट्रीय सीमाओं के कोई मायने नहीं होते। इसे वैश्विक स्तर पर संभालना होअगर इस धरती पर जीवन के प्रति हमारी कोई प्रतिबद्धता है, अगर इस धरती पर भावी पीढ़ियों के लिये हमारी कोई प्रतिबद्धता है, तो हर देश के लिये यह करना जरूरी है। पहली और सबसे महत्त्वपूर्ण चीज है, हर देश की नीतियों में मिट्टी और पर्यावरण के पुनरोद्धार को सम्मान देना।

अभी ‘जागरुक धरती-मिट्टी बचाओ अभियान’ का लक्ष्य एक वैश्विक नीति लाना है कि कृषि भूमि में कम से कम 3-6 प्रतिशत जैविक तत्व होने चाहिये। हर कोई जानता है कि ऐसा होने की जरूरत है, पर समस्या यह है कि लोगों ने आवाज नहीं बठाई है। फिलहाल, दुनिया में 5.26 अरब लोग लोकतांत्रिक देशों में रहते हैं, यानी उन्हें वोट देने और अपनी सरकार चुनने का अधिकार है। लोकतंत्र का अर्थ है, लोगों का शासन, पर अभी लोगों ने अपने जीवन के दीर्घकालीन हितों को अभिव्यक्त नहीं किया है।

मिट्टी को पुनर्जीवित करना 15-20 साल की एक प्रक्रिया है, तो ज्यादातर नेताओं की इसमें रुचि नहीं है, क्योंकि उनका कार्यकाल सिर्फ 4-5 साल का होता है। अगर लोग ही सरकार से नहीं कहेंगे तो सरकार दीर्घकालिक निवेश कैसे करेंगी ? इसी कारण मिट्टी बचाओं अभियान दुनिया भर में कम से कम .3.5 अरब लोगों तक पहुँचने की कोशिश कर रहा है, ताकि सारे राजनीतिक दलों और सरकारों पर दीर्घकालिक मिट्टी पुनरोद्धार नीतियाँ बनाने के लिये जोर डाला जा सके।

हमने एक आम नीति दस्तावेज भी तैयार किया है। हमने दुनिया में 730 राजनीतिक दलों से कहा है कि आप अपने घोषणापत्र में मिट्टी पुनरोद्धार विषय को शामिल करें। मिट्टी के लिये लोगों को आगे आना होगा। लोकतंत्र में लोगों की आवाज सबसे महत्त्वपूर्ण होती है। जरूरी नहीं कि हर कोई मिट्टी के संरक्षण में जुट जाये, हर किसी को केवल अपनी आवाज बुलन्द करनी है।

अपनी सरकारों तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिये तकनीक का इस्तेमाल कीजिये। ट्विटर, फेसबुक, टेलीग्रामः या आपके पास जो भी उपकरण हो। उस पर हर दिन 5-10 मिनट लगाइये और मिट्टी के बारे में कुछ कहिये। अगर हम 3.5 अरब लोगों को भी इन 100 दिनों के दौरान मिट्टी के बारे बोलने के लिये प्रेरित कर सके, तो धरती की कोई भी सरकार इनकी अनदेखी नहीं कर सकेगी।

मिट्टी के लिये लोग जागने लगे हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि हमने आसानी से 1.3 अरब लोगों से सम्पर्क कर लिया है। सात से ज्यादा देश इस अभियान के साथ जुड़ गए हैं और अनेक देशों के साथ बातचीत जारी है। समझौते पर भी “हस्ताक्षर हुए है। राष्ट्रमण्डल के 54 देशों ने अभियान में साथ देने का आश्वासन दिया है। संयुक्त राष्ट्र की अनेक संस्थायें हमारे साथ भागीदारी कर रही हैं। मरुस्थलीकरण रोकने के लिये संयुक्त राष्ट्रसभा, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, विश्व खाद्य कार्यक्रम और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर जैसी संस्थायें सक्रिय हो गई हैं। अनेक संस्थायें मिट्टी बचाओ अभियान के साथ अब मजबूत भागीदार है।

हमें बिल्कुल आश्वस्त रहना चाहिये कि हमें सफलता मिलेगी। जागने के साथ ही जल्दी पहल करने की जरूरत है। अगर हम अभी ठोस पहल करते हैं, तो अगले 25-30 साल में हम मिट्टी में काफी सुधार ला सकते हैं। ध्यान रहे, अगर हम पहले 50 साल बाद करते हैं तो फिर मिट्टी को ठीक करने में 100-150 साल लग जायेंगे। इसका मतलब है कि चार या पाँच पीढ़ियाँ मिट्टी की कमजोर स्थिति के चलते भयंकर जीवन स्थितियों से गुजरेगी।।

पराली को खाद के रूप में उपयोग कर ले रहे दोगुना लाभ,

0

मलेरकोटला | अमरगढ़ विकास खण्ड के गांव दियालपुर छत्रा में दो सगे भाइयों ने पराली को जलाने के बजाय खाद के रूप में उपयोग करना शुरू किया और आज उसका लाभ खेतों में मिल रहा है। दोनों भाई नब्बे एकड़ रकबे में गेहूं-धान सहित मूंगी व मक्के की बुवाई करके अन्य किसानों में दोगुना मुनाफा कमा रहे है। वे स्वायती फसलो गेहूं-धान का चक्र तोड़कर खर्च में कटौती व आमदनी में बढ़ोतरी कर रहे है।

किसान परमिंदरपाल व सुरिंदरपाल सिंह सेखों ने बताया कि उनके खेत की जमीन संख्तव ककर वाली होने कारण गेहूं का झाड़ 3.25 क्विंटलव धान का 6 क्विंटल प्रति एकड़ निकलता था। जमीन को मुरभुरी बनाने के लिए उसमें रेत भी मिक्स किया। इस पर काफी खर्च हो गया. फिर भी जमीन

ऐसे में 8 वर्ष पहले धान व गेहूं के अवशेष को जलाने के बजाय जमीन में खाद के तौर पर उपयोग करने का मनः बनाया. और इसके लिए सुपर एसएमएस कम्बाइन से कटाई करवाकर मल्चर व रोटावेटर के माध्यम से
अवशेषों को भूमि में मिलाने लगे।

इस पर 3500 रुपये प्रति एकड़ खर्च की हालत में कोई सुधार नहीं हो पाया। हुआ धीरे-धीरे जमीन भुरभुरा होती गई जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ने से प्रति एकड़ एक बोरी डीएपी खाद को बचत होने लगी। वह दोनों फसलों के अलावा इस बार तीसरी फसल मूंग की ले रहे हैं। इससे लाभ मिल रहा हें।

 

हेडफोन से दुनिया में लोग बहरेपन का हो रहे शिकार, फ्रांस में 25% लोग प्रभावित

0

फ्रांस के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल इंस्टीट्यूट की रिसर्च से पता चला है कि फ्रांस में चार में से एक व्यक्ति को सुनने में परेशानी हो रही है। वे धीरे-धीरे बहरे होते जा रहे हैं। मतलब वहां की 25% आबादी इससे प्रभावित हो रही है।

डिप्रेशन और शोर से लोग हो रहे हैं बहरेपन का शिकार

पहली बार फ्रांस में इस तरह की रिसर्च बड़े लेवल पर की गई है, जिसमें 18 से 75 वर्ष की उम्र के 1,86,460 लोगों का शामिल किया गया था। रिसर्च करने वालों का मानना है कि पहले केवल छोटे लेवल पर रिसर्च की गई थी, लेकिन इस बार की गई रिसर्च के मुताबिक लोगों को सुनने में समस्या लाइफस्टाइल, सोशल आइसोलेशन व डिप्रेशन व तेज आवाज के संपर्क में आने के कारण हो रही है।

2050 तक बढ़कर 250 करोड़ लोग हो सकते हैं बहरे,

रिसर्च में पाया गया है कि कुछ लोगों में शुगर और डिप्रेशन की वजह से सुनने की समस्या हो रही है। वहीं कुछ लोगों को अकेलेपन, शहरी शोर और हेडफोन का यूज करने के कारण परेशानी हो रही है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनिया में लगभग 150 करोड़ लोग किसी न किसी रूप में सुनने में समस्या महसूस कर रहे हैं। यह संख्या 2050 तक बढ़कर 250 करोड़ होने की संभावना है। इसलिए इसे स्वास्थ्य समस्या के रूप में देखा जा रहा है।

फ्रांस में 37% लोग ही करते है हियरिंग एड इस्तेमाल;

फ्रांस में महज 37% लोग ही हियरिंग एड इस्तेमाल करते हैं। धूम्रपान करने वाले और उच्च BMI वाले लोग भी हियरिंग एड का कम इस्तेमाल कर रहे हैं। बढ़ती हुई समस्या को देखते हुए पिछले साल, फ्रांस के स्वास्थ्य विभाग ने फ्री में हियरिंग एड लोगों को उपलब्ध कराए गए थे। हियरिंग एड के लिए बीमा का भी प्रावधान किया गया है।

 

 

द्रौपदी मुर्मू का नामांकन, PM मोदी बने प्रस्तावक,

0
झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मूर्मु राष्ट्रपति पद के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी उनके प्रस्तावक बने और इस दौरान BJP चीफ जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सहित कई बड़े नेता वहां मौजूद रहे। ओडिशा के सीएम इटली में होने की वजह से इस नामांकन में शामिल नहीं हो पाए हैं हालांकि उनके दो मंत्री इस दौरान मौजूद रहे। गुरुवार को बीजद के दो मंत्रियों ने मुर्मू के नॉमिनेशन पेपर पर हस्ताक्षर किए। 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू ओडिशा से ही आती हैं।

एनडीए की ओर से बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाकर बड़ा दांव खेला है। बीजेपी के इस दांव से झारखंड मुक्ति मोर्चा की राष्ट्रपति उम्मीदवार के समर्थन को लेकर दुविधा बढ़ गई हैं। आपको बता दें कि जेएमएम ने विपक्ष के साझा उम्मीदवार के तौर पर खड़े यशवंत सिन्हा के लिए स्वीकृति देते हुए हस्ताक्षर भी किया था। अब एनडीए की ओर से आदिवासी उम्मीदवार को उतारे जाने के बाद जेएमएम अपना स्टैंड बदल सकती है। द्रौपदी मुर्मू अगर चुनाव जीत जाती हैं तो वो देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी।

राष्ट्रपति चुनाव में उत्तर प्रदेश तय करेगा द्रौपदी मुर्मू की जीत। आइए बताते हैं आंकड़ों के मुताबिक मुर्मू को उत्तर प्रदेश से कितने वोटों का समर्थन मिलने वाला है? उत्तर प्रदेश में विधानसभा की कुल 403 सीटें हैं जिनमें से बीजेपी के पास गठबंधन के साथ कुल 273 सीटें हैं। 273 विधायकों के वोटों का राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट वैल्यू 56,784 है। वहीं सपा गठबंधन के 125 विधायकों का वोट वैल्यू 26,000 है। यूपी की 80 लोकसभा सांसदों के वोटों की कुल वैल्यू 56,000 और 31 राज्यसभा सांसदों का वोट वैल्यू 21,700 है। इसमें से बीजेपी गठबंधन के 64 लोकसभा सदस्य होने के कारण उनकी वोट वैल्यू 44,800 है। वहीं राज्यसभा में यूपी से बीजेपी के 25 राज्यसभा सांसदों का वोट वैल्यू 17,500 है। इस प्रकार द्रोपदी मुर्मू को यूपी से 1,19,084 वोट मिलेंगे। वहीं यशवंत सिन्हा को करीब 37,716 मत मूल्य मिलने की संभावना है।

प्रेसीडेंट इलेक्शन के लिए अगर हम वोट वैल्यू के हिसाब से आंकड़ों पर नजरें डालें तो एनडीए का पलड़ा विपक्ष पर भारी दिखाई देता है। राष्ट्रपति चुनाव लोकसभा की 540 सांसदों के वोट हैं और राज्यसभा के 229 सांसद के वोट हैं। इसके अलावा अगर हम राज्यों की विधानसभाओं की बात करें तो कुल 4 हजार 33 विधायक राष्ट्रपति चुनाव में वोट करेंगे। राष्ट्रपति चुनाव के लिए सबसे पहले इन सभी जनता के प्रतिनिधियों के कुल वोटों की वैल्यू निकाली जाती है। इस राष्ट्रपति चुनाव में जनप्रतिनिधियों के वोटों की कुल वैल्यू 10 लाख 78 हजार 915 है। किसी भी राष्ट्रपति उम्मीदवार को जीत के लिए इसमें से 5 लाख 39 हजार 458 मत चाहिए।

अपने सहयोगी एलायंस के साथ एनडीए के पास मौजूदा समय सांसदों और विधायकों के वोटों की वैल्यू मिलाकर देखें तो उनके पास फिलहाल अभी सबसे ज्यादा ज्यादा 5 लाख 26 हजार 966 वोट हैं। लेकिन जादुई आंकड़े से वो भी थोड़ा दूर हैं। ऐसे में अगर विपक्ष की बात की जाए तो यूपीए के पास मौजूद वोटों की संख्या जादुई आंकड़ें से काफी दूर दिखाई देती है। ऐसे में अगर ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक और आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी के अलावा झारखंड की जेएमएम ने भी एनडीए उम्मीदवार मुर्मू के समर्थन का ऐलान किया है। कुल मिलाकर अब ये साफ है कि विपक्ष बहुमत के जादुई आंकड़े से बहुत दूर जाता हुआ दिखाई दे रहा है।