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MAN KI BAAT – आज़ादी का अमृत महोत्सव एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है – पीएम मोदी

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आज पीएम मोदी अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 91वें एपिसोड के जरिए देश की जनता से मुखातिब हुए. शुरुआत उन्होंने स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं से की. साथ ही इस बार शुरू हुए हर-घर तिरंगा अभियान से जुड़ने की अपील भी की. जानते हैं क्या रहीं आज के कार्यक्रम की खास बातें- :

मन की बात’ का ये 91वाँ episode है। हम लोगों ने पहले इतनी सारी बातें की हैं, अलग-अलग विषयों पर अपनी बात साझा की है, लेकिन, इस बार ‘मन की बात’ बहुत खास है। इसका कारण है, इस बार का स्वतंत्रता दिवस, जब भारत अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे करेगा। हम सभी बहुत अद्भुत और ऐतिहासिक पल के गवाह बनने जा रहे हैं। ईश्वर ने ये हमें बहुत बड़ा सौभाग्य दिया है। आप भी सोचिए, अगर हम गुलामी के दौर में पैदा हुए होते, तो, इस दिन की कल्पना हमारे लिए कैसी होती ? गुलामी से मुक्ति की वो तड़प, पराधीनता की बेड़ियों से आज़ादी की वो बेचैनी – कितनी बड़ी रही होगी। वो दिन, जब हम, हर दिन, लाखों-लाख देशवासियों को आज़ादी के लिए लड़ते, जूझते, बलिदान देते देख रहे होते। जब हम, हर सुबह इस सपने के साथ जग रहे होते, कि मेरा हिंदुस्तान कब आज़ाद होगा और हो सकता है हमारे जीवन में वो भी दिन आता जब वंदेमातरम और भारत माँ की जय बोलते हुए, हम आने वाली पीढ़ियों के लिए, अपना जीवन समर्पित कर देते, जवानी खपा देते।

साथियो, 31 जुलाई यानी आज ही के दिन, हम सभी देशवासी, शहीद उधम सिंह जी की शहादत को नमन करते हैं। मैं ऐसे अन्य सभी महान क्रांतिकारियों को अपनी विनम्र श्रद्दांजलि अर्पित करता हूँ जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

साथियो, मुझे ये देखकर बहुत ख़ुशी होती है, कि, आज़ादी का अमृत महोत्सव एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है। सभी क्षेत्रों और समाज के हर वर्ग के लोग इससे जुड़े अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। ऐसा ही एक कार्यक्रम इस महीने की शुरुआत में मेघालय में हुआ। मेघालय के बहादुर योद्धा, यू. टिरोत सिंह जी की पुण्यतिथि पर लोगों ने उन्हें याद किया। टिरोत सिंह जी ने खासी हिल्स (Khasi Hills) पर नियंत्रण करने और वहाँ की संस्कृति पर प्रहार करने की अंग्रेजों की साजिश का जमकर विरोध किया था। इस कार्यक्रम में बहुत सारे कलाकारों ने सुंदर प्रस्तुतियाँ दी। इतिहास को ज़िंदा कर दिया। इसमें एक carnival का आयोजन भी किया गया, जिसमें, मेघालय की महान संस्कृति को बड़े ही खूबसूरत तरीके से दर्शाया गया। अब से कुछ हफ्ते पहले, कर्नाटका में, अमृता भारती कन्नडार्थी नाम का एक अनूठा अभियान भी चलाया गया। इसमें राज्य की 75 जगहों पर आज़ादी के अमृत महोत्सव से जुड़े बड़े भव्य कार्यक्रम    आयोजित किये गए। इनमें कर्नाटका के महान स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने के साथ ही स्थानीय साहित्यिक उपलब्धियों को भी सामने लाने की कोशिश की गई।

साथियो, इसी जुलाई में एक बहुत ही रोचक प्रयास हुआ है जिसका नाम है – आज़ादी की रेलगाड़ी और रेलवे स्टेशन। इस प्रयास का लक्ष्य है कि लोग आज़ादी की लड़ाई में भारतीय रेल की भूमिका को जानें। देश में अनेक ऐसे रेलवे स्टेशन हैं, जो, स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास से जुड़े हैं। आप भी, इन रेलवे स्टेशनों के बारे में जानकार हैरान होंगे। झारखंड के गोमो जंक्शन को, अब आधिकारिक रूप से, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंक्शन गोमो के नाम से जाना जाता है।

जानते है क्यों? दरअसल इसी स्टेशन पर, कालका मेल में सवार होकर नेताजी सुभाष, ब्रिटिश अफसरों को चकमा देने में सफल रहे थे। आप सभी ने लखनऊ के पास काकोरी रेलवे स्टेशन का नाम भी जरुर सुना होगा। इस स्टेशन के साथ राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्लाह खान जैसे जांबांजों का नाम जुड़ा है। यहाँ ट्रेन से जा रहे अंग्रेजों के खजाने को लूटकर वीर क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को अपनी ताक़त का परिचय करा दिया था। आप जब कभी तमिलनाडु के लोगों से बात करेंगे, तो आपको, थुथुकुडी जिले के वान्ची मणियाच्ची जंक्शन के बारे में जानने को मिलेगा। ये स्टेशन तमिल स्वतंत्रता सेनानी वान्चीनाथन जी के नाम पर है। ये वही स्थान है जहाँ 25 साल के युवा वान्ची ने ब्रिटिश कलेक्टर को उसके किये की सजा दी थी।

साथियो, ये लिस्ट काफी लम्बी है। देशभर के 24 राज्यों में फैले ऐसे 75 रेलवे स्टेशनों की पहचान की गई है। इन 75 स्टेशनों को बहुत ही खूबसूरती से सजाया जा रहा है। इनमें कई तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन हो रहा है। आपको भी समय निकालकर अपने पास के ऐसे ऐतिहासिक स्टेशन पर जरुर जाना चाहिए। आपको, स्वतंत्रता आंदोलन के ऐसे इतिहास के बारे में विस्तार से पता चलेगा जिनसे आप अनजान रहे हैं। मैं आसपास के स्कूल के विद्यार्थियों से आग्रह करूँगा, टीचर्स से आग्रह करूँगा कि अपने स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों को ले करके जरुर स्टेशन पर जाएँ और पूरा घटनाक्रम उन बच्चों को सुनाएँ, समझाएँ।

मेरे प्यारे देशवासियो, आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत, 13 से 15 अगस्त तक, एक Special Movement – ‘हर घर तिरंगा- हर घर तिरंगा’ का आयोजन किया जा रहा है। इस movement का हिस्सा बनकर 13 से 15 अगस्त तक, आप, अपने घर पर तिरंगा जरुर फहराएं, या उसे, अपने घर पर लगायें। तिरंगा हमें जोड़ता है, हमें देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करता है।

मेरा एक सुझाव ये भी है, कि 2 अगस्त से 15 अगस्त तक, हम सभी, अपनी Social Media Profile Pictures में तिरंगा लगा सकते हैं। वैसे क्या आप जानते हैं, 2 अगस्त का हमारे तिरंगे से एक विशेष संबंध भी है। इसी दिन पिंगली वेंकैया जी की जन्म-जयंती होती है जिन्होंने हमारे राष्ट्रीय ध्वज को design किया था। मैं उन्हें, आदरपूर्वक श्रद्दांजलि अर्पित करता हूँ। अपने राष्ट्रीय ध्वज के बारे में बात करते हुए मैं, महान क्रांतिकारी Madam Cama को भी याद करूँगा। तिरंगे को आकार देने में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है।

साथियो, आज़ादी के अमृत महोत्सव में हो रहे इन सारे आयोजनों का सबसे बड़ा सन्देश यही है कि हम सभी देशवासी अपने कर्तव्य का पूरी निष्ठा से पालन करें। तभी हम उन अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों का सपना पूरा कर पायेंगे। उनके सपनों का भारत बना पाएंगे। इसीलिए हमारे अगले 25 साल का ये अमृतकाल हर देशवासी के लिए कर्तव्यकाल की तरह है। देश को आज़ाद कराने, हमारे वीर सेनानी, हमें, ये जिम्मेदारी देकर गए हैं, और हमें, इसे पूरी तरह निभाना है।

मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना के खिलाफ हम देशवासियों की लड़ाई अब भी जारी है। पूरी दुनिया आज भी जूझ रही है। Holistic Healthcare में लोगों की बढ़ती रुचि ने इसमें सभी की बहुत मदद की है। हम सभी जानते हैं कि इसमें भारतीय पारम्परिक पद्धतियाँ कितनी उपयोगी हैं। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में, आयुष ने तो, वैश्विक स्तर पर, अहम भूमिका निभाई है।

दुनियाभर में आयुर्वेद और भारतीय औषधियों के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है। ये एक बड़ी वजह है कि Ayush Exports में record तेजी आई है और ये भी बहुत सुखद है कि इस क्षेत्र में कई नए Start-Ups भी सामने आ रहे हैं। हाल ही में, एक Global Ayush Investment और Innovation Summit हुई थी। आप जानकर हैरान होंगे, कि इसमें, करीब दस  हज़ार करोड़ रूपए के Investment Proposals मिले हैं। एक और बड़ी अहम बात ये हुई है, कि कोरोना काल में, औषधीय पौधों पर research में भी बहुत वृद्धि हुई है। इस बारे में बहुत सी Research Studies Publish हो रही हैं। निश्चित रूप से एक अच्छी शुरुआत है।

साथियो, देश में विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों को लेकर एक और बेहतरीन प्रयास हुआ है। अभी-अभी जुलाई महीने में Indian Virtual Herbarium को launch किया गया। यह इस बात का भी उदाहरण है, कि कैसे हम, Digital World का इस्तेमाल अपनी जड़ों से जुड़ने में कर सकते हैं। Indian Virtual Herbarium, Preserved Plants या plant parts की Digital Images का एक रोचक संग्रह है, जो कि, Web पर, Freely Available है।

इस Virtual Herbarium पर अभी लाख से अधिक Specimens और उनसे जुड़ी Scientific Information उपलब्ध है। Virtual Herbarium में, भारत की ,  Botanical Diversity की समृद्ध तस्वीर भी दिखाई देती है। मुझे विश्वास है Indian Virtual Herbarium, भारतीय वनस्पतियों पर research  के लिए एक important resource  बनेगा।

मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में हम हर बार देशवासियों की ऐसी सफलताओं की चर्चा करते हैं जो हमारे चेहरे पर मीठी मुस्कान बिखेर देती हैं। अगर कोई success story, मीठी मुस्कान भी बिखेरे, और स्वाद में भी मिठास भरे, तब तो आप इसे जरुर सोने पर सुहागा कहेंगे। हमारे किसान इन दिनों शहद के उत्पादन में ऐसा ही कमाल कर रहे हैं। शहद की मिठास हमारे किसानों का जीवन भी बदल रही है, उनकी आय भी बढ़ा रही है। हरियाणा में, यमुनानगर में, एक मधुमक्खी पालक साथी रहते हैं – सुभाष कंबोज जी।  सुभाष जी ने वैज्ञानिक तरीक़े से मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उन्होंने केवल छःह बॉक्स के साथ अपना काम शुरू किया था। आज वो करीब दो हज़ार बॉक्सेस में मधुमक्खी पालन कर रहे हैं।

उनका शहद कई राज्यों में supply होता है। जम्मू के पल्ली गाँव में विनोद कुमार जी भी डेढ़ हज़ार से ज्यादा कॉलोनियों में मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। उन्होंने पिछले साल, रानी मक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया है। इस काम से, वो, सालाना 15 से 20 लाख रूपए कमा रहे हैं।

कर्नाटक के एक और किसान हैं – मधुकेश्वर हेगड़े जी। मधुकेश्वर जी ने बताया कि उन्होंने, भारत सरकार से 50 मधुमक्खी कॉलोनियों के लिए subsidy ली थी। आज उनके पास 800 से ज्यादा कॉलोनियां हैं, और वो कई टन शहद बेचते हैं। उन्होंने अपने काम में innovation किया, और वो जामुन शहद, तुलसी शहद, आंवला शहद जैसे वानस्पतिक शहद भी बना रहे हैं। मधुकेश्वर जी, मधु उत्पादन में आपके innovation और सफलता, आपके नाम को भी सार्थक करती है।

साथियो, आप सब जानते हैं कि, शहद को, हमारे पारंपरिक स्वास्थ्य विज्ञान में कितना महत्व दिया गया है। आयुर्वेद ग्रंथों में तो शहद को अमृत बताया गया है। शहद, न केवल हमें स्वाद देता है, बल्कि आरोग्य भी देता है। शहद उत्पादन में आज इतनी अधिक संभावनाएं हैं कि professional पढ़ाई करने वाले युवा भी, इसे, अपना स्वरोजगार बना रहे हैं। ऐसे ही एक युवा हैं – यू.पी. में गोरखपुर के निमित सिंह। निमित जी ने बी.टेक किया है। उनके पिता भी डॉक्टर हैं, लेकिन, पढाई के बाद नौकरी की जगह निमित जी ने स्वरोजगार का फैसला लिया। उन्होंने शहद उत्पादन का काम शुरू किया। Quality Check के लिए लखनऊ में अपनी एक लैब भी बनवाई। निमित जी अब शहद और Bee Wax से अच्छी कमाई कर रहे हैं, और अलग-अलग राज्यों में जाकर किसानों को प्रशिक्षित भी कर रहे हैं। ऐसे युवाओं की मेहनत से ही आज देश इतना बड़ा शहद उत्पादक बन रहा है।

आपको जानकार ख़ुशी होगी कि देश से शहद का निर्यात भी बढ़ गया है। देश ने National Beekeeping and Honey Mission जैसे अभियान चलाए, किसानों ने पूरा परिश्रम किया, और हमारे शहद की मिठास, दुनिया तक पहुँचने लगी। अभी इस क्षेत्र में और भी बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं। मैं चाहूँगा कि हमारे युवा इन अवसरों से जुड़कर उनका लाभ लें और नई संभावनाओं को साकार करें।

मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे हिमाचल प्रदेश से ‘मन की बात’ के एक श्रोता, श्रीमान आशीष बहल जी का एक पत्र मिला है I उन्होंने अपने पत्र में चंबा के ‘मिंजर मेले’ का जिक्र किया है I दरअसल, मिंजर मक्के के फूलों को कहते हैं I जब मक्के में मिंजर आते हैं, तो मिंजर मेला भी मनाया जाता है और इस मेले में, देशभर के पर्यटक दूर-दूर से हिस्सा लेने के लिए आते हैं। संयोग से मिंजर मेला इस समय चल भी रहा है I आप अगर हिमाचल घूमने गए हुए हैं तो इस मेले को देखने चंबा जा सकते हैं I चंबा तो इतना ख़ूबसूरत है, कि यहाँ के लोक-गीतों में बार-बार कहा जाता है –

“चंबे इक दिन ओणा कने महीना रैणा”।

यानि, जो लोग एक दिन के लिए चंबा आते हैं, वे इसकी खूबसूरती देखकर महीने भर यहां रह जाते हैं I

साथियो, हमारे देश में मेलों का भी बड़ा सांस्कृतिक महत्व रहा है I मेले, जन-मन दोनों को जोड़ते हैं I हिमाचल में वर्षा के बाद जब खरीफ की फसलें पकती हैं, तब, सितम्बर में, शिमला, मंडी, कुल्लू और सोलन में सैरी या सैर भी मनाया जाता है I सितंबर में ही जागरा भी आने वाला है। जागरा के मेलों में महासू देवता का आह्वाहन करके बीसू गीत गाए जाते हैं। महासू देवता का ये जागर हिमाचल में शिमला, किन्नौर और सिरमौर के साथ-साथ उत्तराखंड में भी होता है।

साथियो, हमारे देश में अलग- अलग राज्यों में आदिवासी समाज के भी कई पारंपरिक मेले होते हैं। इनमें से कुछ मेले आदिवासी संस्कृति से जुड़े हैं, तो कुछ का आयोजन, आदिवासी इतिहास और विरासत से जुड़ा है, जैसे कि, आपको, अगर मौका मिले तो तेलंगाना के मेडारम का चार दिवसीय समक्का-सरलम्मा जातरा मेला देखने जरुर जाईये। इस मेले को तेलंगाना का महाकुम्भ कहा जाता है।

सरलम्मा जातरा मेला, दो आदिवासी महिला नायिकाओं – समक्का और सरलम्मा के सम्मान में मनाया जाता है। ये तेलंगाना ही नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश के कोया आदिवासी समुदाय के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है।

आँध्रप्रदेश में मारीदम्मा का मेला भी आदिवासी समाज की मान्यताओं से जुड़ा बड़ा मेला है। मारीदम्मा मेला जयेष्ठ अमावस्या से आषाढ़ अमावस्या तक चलता है और यहाँ का आदिवासी समाज इसे शक्ति उपासना के साथ जोड़ता है। यहीं, पूर्वी गोदावरी के पेद्धापुरम में, मरिदम्मा मंदिर भी है। इसी तरह राजस्थान में गरासिया जनजाति के लोग वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को ‘सियावा का मेला’ या ‘मनखां रो मेला’ का आयोजन करते हैं।

छत्तीसगढ़ में बस्तर के नारायणपुर का ‘मावली मेला’ भी बहुत खास होता है। पास ही, मध्य प्रदेश का ‘भगोरिया मेला’ भी खूब प्रसिद्ध है। कहते हैं कि, भगोरिया मेले की शुरूआत, राजा भोज के समय में हुई है। तब भील राजा, कासूमरा और बालून ने अपनी-अपनी राजधानी में पहली बार ये आयोजन किए थे। तब से आज तक, ये मेले, उतने ही उत्साह से मनाये जा रहे हैं। इसी तरह, गुजरात में तरणेतर और माधोपुर जैसे कई मेले बहुत मशहूर हैं।

‘मेले’, अपने आप में, हमारे समाज, जीवन की ऊर्जा का बहुत बड़ा  स्त्रोत होते हैं। आपके आस-पास भी ऐसे ही कई मेले होते होंगे। आधुनिक समय में समाज की ये पुरानी कड़ियाँ ‘एक भारत–श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत करने के लिए बहुत ज़रूरी हैं। हमारे युवाओं को इनसे जरुर जुड़ना चाहिए और आप जब भी ऐसे मेलों में जाएं, वहां की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी शेयर करें। आप चाहें तो किसी खास हैशटैग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे उन मेलों के बारे में दूसरे लोग भी जानेंगे। आप Culture Ministry की website पर भी तस्वीरें upload कर सकते हैं। अगले कुछ दिन में Culture Ministry एक competition भी शुरू करने जा रही है, जहाँ, मेलों की सबसे अच्छी तस्वीरें भेजने वालों को इनाम भी दिया जाएगा  तो फिर देर नहीं कीजिए, मेलों में घूमियें, उनकी तस्वीरें साझा करिए, और हो सकता है आपको इसका ईनाम भी मिल जाए।

मेरे प्यारे देशवासियो, आपको ध्यान होगा, ‘मन की बात’ के एक Episode में मैंने कहा था कि भारत के पास Toys Exports में Powerhouse बनने की पूरी क्षमता है। मैंने Sports और Games में भारत की समृद्ध विरासत की खासतौर पर चर्चा की थी। भारत के स्थानीय खिलौने – परंपरा और प्रकृति, दोनों के अनुरूप होते हैं, Eco-friendly होते हैं। मैं आज आपके साथ भारतीय खिलौनों की सफलता को share करना चाहता हूँ।

हमारे Youngsters, Start-ups और Entrepreneurs के बूते हमारी Toy Industry ने जो कर दिखाया है, जो सफलताएँ हासिल की हैं, उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। आज, जब भारतीय खिलौनों की बात होती है, तो हर तरफ, Vocal for Local की ही गूंज सुनाई दे रही है। आपको ये जानकर भी अच्छा लगेगा, कि भारत में अब, विदेश से आने वाले खिलौनों की संख्या, लगातार कम हो रही है।

पहले जहाँ 3 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के खिलौने बाहर से आते थे, वहीँ अब इनका आयात 70 प्रतिशत तक घट गया है और खुशी की बात ये, कि इसी दौरान, भारत ने, दो हज़ार छःह सौ करोड़ रुपए से अधिक के खिलौनों को विदेशों में निर्यात किया है, जबकि पहले, 300-400 करोड़ रुपए के खिलौने ही भारत से बाहर जाते थे और आप तो जानते ही हैं कि ये सब, कोरोना काल में हुआ है।

भारत के Toy सेक्टर ने खुद को Transform करके दिखा दिया है। Indian Manufacturers, अब, Indian Mythology, History और Culture पर आधारित खिलौने बना रहे हैं। देश में जगह-जगह खिलौनों के जो Clusters हैं, खिलौने बनाने वाले जो छोटे-छोटे उद्यमी हैं, उन्हें, इसका बहुत लाभ हो रहा है। इन छोटे उद्यमियों के बनाए खिलौने, अब, दुनियाभर में जा रहे हैं।

भारत के खिलौना निर्माता, विश्व के प्रमुख Global Toy Brands के साथ मिलकर भी काम कर रहे हैं। मुझे ये भी बड़ा अच्छा लगा, कि, हमारा Start-Up Sector भी खिलौनों की दुनिया पर पूरा ध्यान दे रहा है। वे इस क्षेत्र में कई मजेदार चीजें भी कर रहे हैं। बेंगलुरु में, Shumme (शूमी) Toys नाम का Start-Up Eco-friendly खिलौनों पर focus कर रहा है। गुजरात में Arkidzoo (आर्किड्जू) Company AR-based Flash Cards और AR-based Storybooks बना रही हैं। पुणे की Company, Funvention (फन्वेंशन) Learning, खिलौने और Activity Puzzles (पजल्स) के जरिये Science, Technology और Maths में बच्चों की दिलचस्पी बढ़ाने में जुटी है। मैं खिलौनों की दुनिया में शानदार काम कर रहे ऐसे सभी Manufacturers को, Start-Ups को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। आईये, हम सब मिलकर, भारतीय खिलौनों को, दुनियाभर में, और अधिक लोकप्रिय बनायें। इसके साथ ही, मैं, अभिभावकों से भी आग्रह करना चाहूँगा कि वे अधिक से अधिक भारतीय खिलौने, Puzzles और Games खरीदें।

साथियो, Classroom हो या खेल का मैदान, आज हमारे युवा, हर क्षेत्र में, देश को गौरवान्वित कर रहे हैं। इसी महीने, PV Sindhu ने Singapore Open का अपना पहला ख़िताब जीता है। Neeraj Chopra ने भी अपने बेहतरीन प्रदर्शन को जारी रखते हुए World Athletics Championship में देश के लिए Silver Medal जीता है। Ireland Para Badminton International में भी हमारे खिलाड़ियों ने 11 पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया है। Rome में हुए World Cadet Wrestling Championship में भी भारतीय खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। हमारे एथलीट सूरज ने तो Greco-Roman Event में कमाल ही कर दिया। उन्होंने 32 साल के लंबे अंतराल के बाद इस Event में Wrestling का Gold Medal जीता है।

खिलाड़ियों के लिए तो ये पूरा महीना ही action से भरपूर रहा है। Chennai में 44वें Chess Olympiad की मेजबानी करना भी भारत के लिए बड़े ही सम्मान की बात है। 28 जुलाई को ही इस Tournament का शुभारंभ हुआ है और मुझे इसकी Opening Ceremony में शामिल होने का सौभाग्य मिला। उसी दिन UK में Commonwealth Games की भी शुरुआत हुई। युवा जोश से भरा भारतीय दल वहाँ देश को Represent कर रहा है। मैं सभी खिलाड़ियों और Athletes को देशवासियों की ओर से शुभकामनाएँ देता हूँ। मुझे इस बात की भी खुशी है कि भारत FIFA Under 17 Women’s World Cup उसकी भी मेजबानी करने जा रहा है। यह Tournament अक्तूबर के आस-पास होगा, जो खेलों के प्रति देश की बेटियों का उत्साह बढ़ाएगा।

साथियो, कुछ दिन पहले ही देशभर में 10वीं और 12वीं कक्षा के परिणाम भी घोषित हुए हैं। मैं उन सभी Students को बधाई देता हूँ जिन्होंने अपने कठिन परिश्रम और लगन से सफलता अर्जित की है। महामारी के चलते, पिछले दो साल, बेहद चुनौतीपूर्ण रहे हैं। इन परिस्थितियों में भी हमारे युवाओं ने जिस साहस और संयम का परिचय दिया, वह अत्यंत सराहनीय है। मैं, सभी के सुनहरे भविष्य की कामना करता हूँ।

मेरे प्यारे देशवासियो, आज हमने आजादी के 75 साल पर, देश की यात्रा के साथ, अपनी चर्चा शुरू की थी। अगली बार, जब हम मिलेंगे, तब, हमारे अगले 25 साल की यात्रा भी शुरू हो चुकी होगी। अपने घर और अपनों के घर पर, हमारा प्यारा तिरंगा फहरे, इसके लिए हम सबको जुटना है। आपने इस बार, स्वतंत्रता दिवस को कैसे मनाया, क्या कुछ खास किया, ये भी, मुझसे, जरुर साझा करिएगा। अगली बार, हम, अपने इस अमृतपर्व के अलग-अलग रंगों पर फिर से बात करेंगे, तब तक के लिए मुझे आज्ञा

PM Modi’s Mann Ki Baat with the Nation, July 2022 – Live

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सांकेतिक नियुक्ति के बाद भी केवल रबर स्टाम्प नहीं है राष्ट्रपति।

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महामहिम राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई, 2022 को समाप्त हो रहा है, भारत के 16 वें राष्ट्रपति के पद को भरने के लिए चुनाव 18 जुलाई को होगा। राष्ट्रपति कोविंद का उत्तराधिकारी चुनने के लिए मतदान में सांसदों और विधायकों सहित 4,809 मतदाता शामिल होंगे। 2017 में हुए पिछले चुनाव में संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार मीरा कुमार को हराकर रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति बने थे. कोविंद को कुल 10,69,358 मतों में से कुमार के 3,67,000 मतों की तुलना में 7,02,000 मत मिले। लेकिन एक बार राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उत्साह कम हो जाता है और अगले पांच साल तक राष्ट्रपति भवन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है।

अध्याय I (कार्यकारी) के तहत संविधान (संघ) के भाग V में भारत के राष्ट्रपति की योग्यता, चुनाव और महाभियोग की सूची है। भारत का राष्ट्रपति भारत गणराज्य के राज्य का प्रमुख होता है। राष्ट्रपति भारत की कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका का औपचारिक प्रमुख होता है और भारतीय सशस्त्र बलों का कमांडर-इन-चीफ भी होता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 53 में कहा गया है कि राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का प्रयोग सीधे या अधीनस्थ प्राधिकारी द्वारा कर सकते हैं, कुछ अपवादों के साथ, राष्ट्रपति में निहित सभी कार्यकारी अधिकार, व्यवहार में, मंत्रिपरिषद द्वारा प्रयोग किए जाते हैं। अनुच्छेद 57 के तहत, एक व्यक्ति जो राष्ट्रपति के रूप में पद धारण करता है, या जिसने पद धारण किया है, इस संविधान के अन्य प्रावधानों के अधीन, उस पद के लिए फिर से चुनाव के लिए पात्र होगा।

भारतीय राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल प्रणाली के माध्यम से किया जाता है, जिसमें वोट राष्ट्रीय और राज्य स्तर के सांसदों द्वारा डाले जाते हैं। चुनाव भारत के चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा आयोजित और देखरेख करते हैं। निर्वाचक मंडल में संसद के ऊपरी और निचले सदनों के सभी निर्वाचित सदस्य (राज्य सभा और लोकसभा सांसद) राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं (विधायकों) के निर्वाचित सदस्य होते हैं। प्रत्येक सांसद या विधायक द्वारा डाले गए वोट की गणना एक वोट के रूप में नहीं की जाती है।

राज्यसभा और लोकसभा के एक सांसद द्वारा प्रत्येक वोट का निश्चित मूल्य 708 है। इस बीच, प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य एक गणना के आधार पर एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न होता है, जो कि इसकी संख्या की तुलना में इसकी जनसंख्या का कारक है। इसकी विधान सभा में सदस्य। उत्तर प्रदेश में अपने प्रत्येक विधायक के लिए सबसे अधिक वोट मूल्य 208 है। महाराष्ट्र में एक विधायक के वोट का मूल्य 175 है, जबकि अरुणाचल प्रदेश में सिर्फ 8 है। प्रत्येक विधायक के वोट का मूल्य निर्धारित किया जाता है।

एक मनोनीत उम्मीदवार साधारण बहुमत के आधार पर जीत हासिल नहीं करता है बल्कि वोटों के एक विशिष्ट कोटे को हासिल करने की प्रणाली के माध्यम से होता है। मतगणना के दौरान, चुनाव आयोग ने पेपर मतपत्रों के माध्यम से निर्वाचक मंडल द्वारा डाले गए सभी वैध मतों का योग किया और जीतने के लिए, उम्मीदवार को डाले गए कुल मतों का 50% + 1 सुरक्षित करना होगा। आम चुनावों के विपरीत, जहां मतदाता किसी एक पार्टी के उम्मीदवार को वोट देते हैं, निर्वाचक मंडल के मतदाता मतपत्र पर उम्मीदवारों के नाम वरीयता क्रम में लिखते हैं। राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से होता है और मतदान गुप्त मतदान द्वारा होता है।

राष्ट्रपति के चुनाव में देश की जनसंख्या जनसंख्या की भूमिका और उनके प्रति जिम्मेदारी एक महत्वपूर्ण कारक है, जिसका अर्थ है कि राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया में लोगों की उपस्थिति बहुत अधिक दिखाई देती है। यह एक सदस्य, एक वोट के आधार पर विधायकों द्वारा केवल वोट की तुलना में राष्ट्रपति को व्यापक आधार देता है। यह राष्ट्रपति को अधिक नैतिक अधिकार भी देता है।वह सीधे संघ के कार्यकारी अधिकार का प्रयोग नहीं करता है, लेकिन वह मंत्रिपरिषद के निर्णय से असहमत हो सकता है, उन्हें सावधान कर सकता है, उन्हें सलाह दे सकता है, आदि। निर्णय पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं राष्ट्रपति मंत्रिमंडल से अपने निर्णयों पर पुनर्विचार करने के लिए कह सकते हैं।

सरकार की कैबिनेट प्रणाली के तहत, यह कैबिनेट है जो सरकार के फैसलों के लिए जिम्मेदार है। राष्ट्रपति किसी भी तरह से उन निर्णयों के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार नहीं है जिन्हें वह अनुमोदित करता है। भारत का संविधान चाहता है कि राष्ट्रपति सतर्क और उत्तरदायी हों, और उन्हें कार्यपालिका के संकीर्ण राजनीतिक दृष्टिकोण से अप्रभावित चीजों के बारे में व्यापक दृष्टिकोण रखने की स्वतंत्रता देता है। लोगों की भलाई के साथ-साथ संविधान की रक्षा और रक्षा करेगा और राष्ट्रपति स्वयं को भारत के लोगों की सेवा और भलाई के लिए समर्पित करेगा।

पंजाब के शमशेर सिंह राज्य में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राज्यपाल और राष्ट्रपति केवल राज्य के पूर्व प्रमुख हैं जब उन्हें संविधान द्वारा अपेक्षित संतुष्टि की आवश्यकता होती है, तो यह उनकी व्यक्तिगत संतुष्टि नहीं होती है, बल्कि मंत्रिपरिषद की संतुष्टि होती है, जिसकी सहायता और सलाह पर वे शक्तियों और कार्यों का प्रयोग करते हैं। राजनीतिक वंशवाद के अलावा, राष्ट्रपतियों की नियुक्ति में अक्सर सांकेतिकता की बू आती है।

राष्ट्रपति केवल मंत्रिमंडल की सलाह पर फैसले लेंगे। उन्हें केंद्र या राज्य सरकार के कामकाज में दखल देने का अधिकार नहीं है। हालांकि, यह सच नहीं है। राष्ट्रपति सरकार के किसी भी फैसले से जुड़ी फाइल मंगवा सकता है। नीलम संजीव रेड्डी राष्ट्रपति थे तो भारत-पाक संबंधों पर पाकिस्तान में तैनात नटवर सिंह से सीधे रिपोर्ट लेते थे। नटवर सिंह शुरुआत में झिझके। लेकिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर वह राष्ट्रपति को भी रिपोर्ट देने लगे। डॉ. कलाम राष्ट्रपति थे तो उन्होंने गुजरात दंगों के बाद नरोडा पाटिया का दौरा किया। राज्य से राहत कार्यों पर रिपोर्ट भी मांगी।

राष्ट्रपति की प्रमुख भूमिका संसदीय सरकार को संसदीय अराजकता बनने से रोकना है और यह राष्ट्रपति का अधिकार है जो देश और लोगों को एक साथ बांधे रखता है। राजेंद्र प्रसाद और सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे राष्ट्रपति थे जो कुछ नीतिगत मुद्दों पर सरकार के साथ खुले तौर पर मतभेद रखते थे और सरकार पर जबरदस्त प्रभाव डाल सकते थे। राष्ट्रपति के लिए यह संभव है कि वह सरकार से असहमत हो या कार्यपालिका के अत्याचार के खिलाफ नागरिकों की ओर से हस्तक्षेप करे और उसे अपने तरीके छोड़ने के लिए राजी करे। राष्ट्रपति जो गंभीर शपथ लेता है, उसे करने की आवश्यकता होती है।

अनुच्छेद 78 के तहत राष्ट्रपति को संघ के मामलों के प्रशासन के बारे में प्रधान मंत्री से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त है। स्थापित परंपरा के तहत, राष्ट्रपति को अपनी शक्ति के प्रयोग में मंत्री परिषद को चेतावनी देने या प्रोत्साहित करने का अधिकार है। इसे साकार करने के लिए, भारत को राष्ट्रपतियों की आवश्यकता है, राष्ट्रपति पद के पदाधिकारियों की नहीं।

-प्रियंका सौरभ 

रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,

खेतों में करंट से मरते किसान, क्या हो समाधान?

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भारत में हर साल  लगभग 11 हजार कृषि श्रमिकों की मौत बिजली के करंट से हो रही है। हर दिन औसतन 50 लोगों की मौत हो रही है। इसका कारण वायरिंग, कट और गिरी हुई ट्रांसमिशन लाइनों में मानकों का पालन न करना, उम्र बढ़ने, जंग और नम परिस्थितियों में मोटर केसिंग और कंट्रोल बॉक्स पर कंडक्टिव पथ के गठन के कारण होता है। कारण जो भी हो, यह बहुत दुखद है कि हमारे किसान, हमारे देश के खाद्य प्रदाता, अपनी दैनिक दिनचर्या को ईमानदारी से निभाने में मर रहे हैं।

देश भर में किसानों के खेतों से गुजरने वाली उच्च वोल्ट विद्युत धारा के लिए लगाए गए टावर पोल जन जीवन एवं जीव-जंतुओं के लिए परेशानी का कारण बन गए हैं। एक और मोबाइल टावरों की भरमार हो गई है वहीं अब किसानी भूमि में न केवल कम वोल्ट के लिए लगाए गए पोल बल्कि उच्च वोल्ट के पोल की भरमार हो गई है। किसानों के खेतों में बिजली की लाइनों का जाल बिछा है।

किसानों, जीवों एवं आम जन के लिए सबसे अधिक खतरा उच्च वोल्ट की लाइन ले जाने वाली टावर पोल से बन गया है। इन लाइनों के चलते किसानों का जीना ही हराम हो गया है। टावर पोल के पास से गुजरने वाली या उसके नीचे से गुजरने वाली बिजली लाइन पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। किसानों को अपने खेतों में फव्वारा पाइप को ऊंचा उठाने से जान को खतरा बढ़ जाता है। जरूरी नहीं टावर पोल की लाइन से पाइप का छूना अपितु इसके नजदीक जाने पर ही यह बिजली लाइन अपनी ओर पाइप को  खींच लेती है।

खेतों से गुजरने वाली टावर लाइन का कुप्रभाव जन-जीवन पर पड़ रहा है। यही नहीं अगर कोई व्यक्ति  लोहे का छलना लेकर भी टावर के पास से गुजरा तो बिजली का झटका लगता है। जब फसल को काटकर इकट्ठा करके बड़ी लाइन के नीचे से ले जाते हैं तो कई बार करंट आ जाता है।  किसानों के साथ-साथ जंगली पक्षियों पर विशेषकर इन टावर पोल की लाइन से निकलने वाली बिजली तरंगें तथा मोबाइल टावर की विकिरण पक्षियों के लिए घातक साबित हो रही है। पास में रहने वाले लोगों में कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। पेड़ पौधे भी नष्ट हो जाते हैं या फिर लाइन बिछाते वक्त काट डाले हैं।

टावर पोल भी तीन प्रकार के होते हैं। जिनमें से एक पावर हाउस में बिजली लाने या ले जाने के लिए बनाए जाते हैं जो छोटे होते हैं दूसरे पोल मध्यम दर्जे के तथा तीसरे मास्टर पोल होते हें जिन्हें निचाई वाले स्थानों पर लगाया जाता है। एक टावर पोल करीब 200 गज के करीब जगह में लगाया जाता है। इनके ऊपर से गुजरने वाले तारों से जब बिजली गुजरती है तो दूर तक आवाज सुनाई पड़ती है।

जिस जगह से लाइन गुजरने के लिए मंजूर हो जाती है उसी जगह से ही गुजरती है। जिस किसी किसान के खेत से लाइन गुजरती है और पोल गाड़ा जाता है उसे करीब 60 हजार रुपये का मुआवजा मिलता है मगर पूरी जिंदगी इस समस्या को झेलना पड़ता है।  जिस खेत से टावर पोल की बिजली गुजर रही है उसके नीचे से गुजरने वाली छोटी बिजली की लाइन अक्सर फाल्ट हो जाती है। यदि ट्रांसफार्मर पर फ्यूज लगाना हो तो भी उस लाइन के ऊपर से गुजरने वाली बड़ी लाइन का कई बार झटका सहना पड़ता है।

देशभर में बिजली के करंट से होने वाली किसानों की मौत को देखें तो इन मौतों के कई कारण है।  जैसे खेतों से गुजर रही बिजली की लाइंस के तारों का ढीला होना।  आमतौर पर यह तारे इतनी ढीली हो जाती है कि जमीन और इनका फर्क बहुत कम रह जाता है।  कई बार तो यह मामूली अंधड़ में टूटकर खेतों में गिर जाती है और जब किसान रात को खेतों को पानी देने पहुंचते हैं तो उनको इनका आभास नहीं होता और वह इनकी चपेट में आकर मर जाते हैं।  दूसरा खेतों से गुजर रही हाई वोल्टेज तारों की ताकत इतनी ज्यादा होती है कि वह इंसानों और सामान्य जीव जंतुओं को अपनी तरफ खींच लेती है।
जिसकी वजह से इनकी मौत हो जाती है।

तीसरा कारण देखें तो आवारा पशुओं से बचने के लिए किसानों ने अपने क्षेत्रों के चारों तरफ जालियां लगाई है और उनमें यह करंट देते हैं जिसे से पशुओं को खेत की बाड़ के पास जाते ही झटका लगे ताकि आवारा पशु उनके खेतों में ना घुसे।  मगर जाने-अनजाने यह करंट वाली जालीदार तारे पशुऒं के साथ-साथ किसानों की  मौत का कारण बन जाती है।  यह झटका मशीन आमतौर पर लगाई तो नीलगाय और छोटा पशुओं से खेती को बचाने के लिए जाती है।  मगर किसान खेतों में काम करते वक्त लापरवाही से इनकी चपेट में आ जाते हैं।  अन्य कारणों को देखें तो किसानों की खुद की लापरवाही खेतों में पानी देते वक्त या टूबवेल चलाते वक्त  तारों के संपर्क में आने से ऐसी मौतों की केस सामने आए हैं।

इंसुलेशन के टूटने, जंग लगने और आर्द्र मौसम के दौरान कंडक्टिव पथ के बनने के कारण मोटर या कंट्रोल बॉक्स की केसिंग के संपर्क में आने वाला लाइव कंडक्टर अक्सर होने वाली घटना है। ऐसी स्थिति में, मोटर पम्पसेट और नियंत्रण बॉक्स के धातु के आवरण के साथ शारीरिक संपर्क से उचित अर्थिंग प्रदान न करने पर घातक आघात होता है। कृषि जल पम्पिंग सिस्टम में अर्थिंग के लिए आवश्यक देखभाल नहीं की जा रही है। यहां तक कि अनुचित अर्थिंग परिस्थितियों में भी यदि कम ऑपरेटिंग वोल्टेज को चुना जाता है, तो बिजली के झटके पूरी तरह से समाप्त हो सकते हैं।

भारत ने वर्ष 2019 में प्रधान मंत्री की कुसुम योजना (किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान) शुरू की है। कुसुम योजना के घटक बी के तहत, अकेले 17.5 लाख, सौर ऊर्जा संचालित कृषि पंप स्थापित किए जाएंगे, जिनमें से प्रत्येक की अधिकतम क्षमता 7.5 एचपी होगी, जहां ग्रिड आपूर्ति नहीं है। उपलब्ध। 7.5 एचपी से अधिक क्षमता के पंप भी स्थापित किए जा सकते हैं, हालांकि, वित्तीय सहायता 7.5 एचपी क्षमता तक सीमित है। बिजली के झटके से होने वाली मौतों की रोकथाम कुसुम योजना द्वारा प्राप्त अतिरिक्त लाभ है, एक छिपा हुआ तथ्य, जिसके व्यापक प्रचार की आवश्यकता है।

मामूली संशोधन के साथ, यदि इस योजना का विस्तार ग्रिड संचालित पंपों को बदलने के लिए भी किया जाता है (अब यह योजना ग्रिड संचालित पंपों को कवर नहीं कर रही है), तो यह किसानों को बिजली के झटके से होने वाली मौतों को अधिकतम सीमा तक कम करने में मदद करती है। कुसुम योजना को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ लागू किया जाना चाहिए – और जहां तक संभव हो अधिक संख्या में पानी पंपिंग सिस्टम को कवर करने के लिए विस्तारित किया जाना चाहिए। इससे हमारे किसानों को बड़ी राहत मिलने वाली है।

नयी योजनाओं के साथ-साथ बिजली के ढीले तार ठीक करना, हाईवोल्टेज बिजली पोल का समाधान ढूंढना, खेत में लगाई जाली से बचना, रात को पानी चलाते समय सावधानी खेतों में किसानों को असमय मौत से बचा सकती है।

-प्रियंका सौरभ 

रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,

एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को दी चेतावनी

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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र (Maharashtra) में हाल ही में हुए सियासी घमासान के बाद एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने शिवसेना (Shiv Sena) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उन्होंने कुछ बोला तो भूकंप आ जाएगा. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने दावा किया कि बीजेपी और उनके नेतृत्व वाला शिवसेना का गुट अगले विधानसभा चुनाव में 288 सीट में 200 पर जीत दर्ज करेगा.

शिवसेना नेता आनंद दिघे की मौत पर उठाए सवाल

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने के ठाकरे के फैसले पर सवाल उठाते हुए शिंदे ने यह भी कहा कि वो जानते हैं कि शिवसेना के दिवंगत नेता आनंद दिघे के साथ क्या हुआ था. उन्होंने दिघे का जिक्र करते हुए कहा, ‘मैं इस बात का गवाह हूं कि ‘धर्मवीर’ के साथ क्या हुआ था.’ बता दें कि शिंदे के राजनीतिक गुरु दिघे की 2002 में एक सड़क दुर्घटना के बाद मौत हो गई थी.

‘मैंने बोलना शुरू किया तो आ जाएगा भूकंप’

शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के ज्यादातर विधायकों के बगावत करने के बाद जून में ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. मुख्यमंत्री ने मालेगांव में एक रैली में कहा, ‘उन्होंने बालासाहेब ठाकरे की विरासत बचाने के लिए बगावत की. अगर मैंने इंटरव्यू देना शुरू किया तो भूकंप आ जाएगा. कुछ लोगों के विपरित मैंने छुट्टियां मनाने के लिए हर साल विदेश यात्रा नहीं की.’

बागी विधायकों को कहा जा रहा है गद्दार 

शिंदे ने कहा कि शिवसेना के संस्थापक की पुत्रवधू स्मिता ठाकरे और बालासाहेब के बड़े पोते निहार ठाकरे ने उनका समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि बागी विधायकों को गद्दार कहा जा रहा है. उन्होंने सवाल किया, ‘आप उन्हें क्या कहेंगे जिन्होंने महज मुख्यमंत्री बनने के लिए बालासाहेब की विचारधारा से समझौता कर लिया.’ शिंदे ने कहा, ‘आप भाजपा के साथ गठजोड़ कर चुनाव लड़ें और फिर मुख्यमंत्री बनने के लिए कांग्रेस तथा राकांपा के साथ मिलकर सरकार बना ली. क्या यह विश्वासघात नहीं है?’

संजय राउत पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार

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शिवसेना नेता संजय राउत पर रविवार सुबह बड़ी कार्रवाई हुई है। जानकारी के मुताबिक, सुबह-सुबह उनके आवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम पहुंची है। माना जा रहा है कि ईडी की टीम राउत को हिरासत में लेकर पूछताछ कर सकती है। राउत पर जांच में सहयोग न करने का आरोप है।

दरअसल, महाराष्ट्र के 1000 करोड़ से ज्यादा के पात्रा चॉल जमीन घोटाला मामले में ईडी की टीम संजय राउत से पूछताछ कर रही है। उन्हें 27 जुलाई को ईडी ने तलब किया था। हालांकि, वह अधिकारियों के सामने पेश नहीं हुए थे। इसके बाद ईडी के अधिकारी उनके घर पहुंचे हैं।

मर भी जाऊं तो समर्पण नहीं करूंगा 
इस बीच संजय राउत का ट्वीट सामने आया है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है, मेरा किसी घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है। यह मैं शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की शपथ लेकर कह रहा हूं। बालासाहेब ने हमें लड़ना सिखाया है। मैं शिवसेना के लिए लड़ना जारी रखूंगा। उन्होंने ईडी की कार्रवाई को झूठी कार्रवाई बताया। कहा झूठे सबूत हैं। मैं शिवसेना नहीं छोड़ूंगा, मैं मर भी जाऊं तो समर्पण नहीं करूंगा।राउत के घर के बाहर समर्थक मौजूद 
संजय राउत के घर पर जैसे ही ईडी की टीम के पहुंचने की खबर सामने आई। उनके समर्थक भी घर पर पहुंच गए। जानकारी के मुताबिक, संजय राउत के समर्थक, उनके आवास ‘मैत्री’ के बाहर ही डटे हुए हैं और नारेबाजी कर रहे हैं।

तीन अलग-अलग लोकेशन पर छापा 
सामने आया है कि ईडी की तीन टीमों ने एक साथ छापा मारा है। एक टीम राउत के मुंबई स्थित उनके घर पहुंची है, तो दो टीमें राउत के अलग-अलग ठिकानों पर तलाशी अभियान चला रही हैं।क्या है पात्रा चॉल घोटाला 
यह मामला मुंबई के गोरेगांव इलाके में पात्रा चॉल से जुड़ा है। यह महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवेलपमेंट अथॉरिटी का भूखंड है। इसमें करीब 1034 करोड़ का घोटाला होने का आरोप है। इस केस में संजय राउत की नौ करोड़ रुपये और राउत की पत्नी वर्षा की दो करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त हो चुकी है। आरोप है कि रीयल एस्टेट कारोबारी प्रवीण राउत ने पात्रा चॉल में रह रहे लोगों से धोखा किया। एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को इस भूखंड पर 3000 फ्लैट बनाने का काम मिला था। इनमें से 672 फ्लैट पहले से यहां रहने वालों को देने थे। शेष एमएचएडीए और उक्त कंपनी  को दिए जाने थे, लेकिन वर्ष 2011 में इस विशाल भूखंड के कुछ हिस्सों को दूसरे बिल्डरों को बेच दिया गया था।

कैसे उजागर हुआ मामला
दरअसल, वर्ष 2020 में महाराष्ट्र में सामने आए पीएमसी बैंक घोटाले की जांच हो रही थी। तभी प्रवीण राउत की उक्त कंस्ट्रक्शन कंपनी का नाम सामने आया था। तब पता चला कि बिल्डर राउत की पत्नी के बैंक खाते से संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत को 55 लाख रुपये का कर्ज दिया गया था। आरोप है कि संजय राउत ने इसी पैसों से दादर में एक फ्लैट खरीदा था। प्रवीण राउत गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व निदेशक हैं।

Hariyali Teej 2022: शिव-पार्वती को करना चाहते हैं प्रसन्‍न तो कर लें यह उपाय

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Hariyali Teej Upay 2022: आज हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. कुंवारी लड़कियां अपने लिए अच्‍छा पति और सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्‍य मांगती है. सावन महीने के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाने वाली हरियाली तीज के दिन राशि के अनुसार उपाय करना बेहद शुभ फल देता है. राशि के अनुसार किए गए ये उपाय भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्‍न करते हैं. आइए जानते हैं सभी 12 राशि के जातकों को हरियाली तीज के दिन क्‍या उपाय करना चाहिए.

मेष- हरियाली तीज के दिन शिव जी का पंचामृत से अभिषेक करें. साथ ही उन्‍हें रेशमी वस्त्र अर्पित करें.

वृष- वृष राशि के जातक आज हरियाली तीज पर शिव-पार्वती को गुलाब के फूल और इत्र चढ़ाएं.

मिथुन- मिथुन राशि के लोग हरियाली तीज पर भगवान शिव को सफेद चंदन और माता पार्वती को हल्दी चढ़ाएं. साथ ही हरे रंग के कपड़े भी चढ़ाएं, इससे शिव-पार्वती प्रसन्‍न होंगे.

कर्क- कर्क राशि के जातकों को हरियाली तीज के दिन शिव जी का श्रृंगार करके ऊं नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए.

सिंह- सिंह राशि के जातक आज तीज के दिन शिव-पार्वती को पीले रंग के फूलों की माला चढ़ाएं फिर रुद्राष्टक का पाठ करें.

कन्या- कन्‍या राशि के जातक हरियाली तीज के दिन शिव जी को बेल पत्र चढ़ाएं. लड़कियां-महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी सजाएं.

तुला- तुला राशि के जातक हरियाली तीज के दिन शिव जी को पंचामृत अर्पित करें. इसके साथ ही किसी सुहागिन या लड़की को श्रृंगार की चीजें दान करें.

वृश्चिक- वृश्चिक राशि वालों के लिए हरियाली तीज पर शिव जी को दूर्वा और पीले वस्‍त्र अर्पित करना शुभ फल देगा.

धनु- धनु राशि वालों के लिए शिव-पार्वती को सुगन्धित फूल और लाल वस्‍त्र अर्पित करना बहुत शुभ रहेगा.

मकर- मकर राशि के लोग आज हरियाली तीज पर शिव मन्दिर जाकर शिव जी को सफेद चंदन लगाएं और घी का दीपक जलाएं.

कुंभ- कुंभ राशि के लोग शिव जी को सफेद फूल चढ़ाएं. हो सके तो आज गुलाबी कपड़े पहनें.

मीन- मीन राशि के लोग शिव-पार्वती पीले वस्त्र और श्रृंगार चढ़ाएं.

गौ सेवा से मन की प्रसन्नता

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हमारी संस्कृति में गाय को संपूर्ण विश्व की माता माना गया है। (Gau seva ke chamatkar) गाय के अंगों में संपूर्ण देवताओं का निवास बताया गया है। गाय की छाया को भी हमारे धर्म ग्रंथों में शुभ माना गया है। यात्रा के समय गौ माता का दर्शन सुखद यात्रा के लिए अति लाभकारी माना जाता है।गाय को एक पवित्र शक्ति के रूप में भी हमारे धर्म ग्रंथों में माना गया है। गाय के शरीर को स्पर्श करने वाली हवा को भी हमारे सनातन धर्म में पवित्र माना जाता है।

हमारे शास्त्रों में गाय को 33 कोटि देवताओं का निवास स्थान बताया गया है। केवल गौ माता की सेवा से ही संपूर्ण देवी देवताओं की सेवा संपन्न मानी गई है, और इसलिए गौ माता को सर्वदेवमयी और सर्वतीर्थमयी भी कहा जाता है।

गौ का महत्व  गौ माता के दर्शन मात्र से समस्त देवताओं के दर्शन एवं समस्त तीर्थो का पुण्य भी प्राप्त हो जाता है। गौ दर्शन, गौ पूजन, स्मरण,कीर्तन,और गोदान करने से मनुष्य सर्व विधि पापों से मुक्त होकर अक्षय लोक को प्राप्त करता है।गौ की परिक्रमा से संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा मानी जाती है।

गाय माता के शुभ लक्षण

जहां गाय बैठती है,वहां की भूमि भी पवित्र मानी जाती है,और गाय के चरणों की धूल को भी अति पवित्र माना जाता है।गाय से धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

हमारे सनातन धर्म के कोई भी मंगलिक अनुस्ठान की पूर्ति भी गौ द्रव्य पदार्थों के बिना पुर्ण नहीं होती। हमारे सभी धार्मिक कार्यों में गाय का दूध,गोबर और गोमूत्र विशेष महत्व रखते हैं।

गौ सेवा से मन की प्रसन्नता

गाय सेवा करने से हमारे अंतःकरण, और मन में निर्मलता, पवित्रता, और प्रसन्नता का संचार होता है।हमारा औरा बढ़ता है।चेहरे पर तेज और प्रसन्नता तथा आत्मबल बढ़ता है।

हमारे पूर्वज का धन गौ

हमारे पूर्वज, ऋषि,मुनि, गौ माता को वनो और जंगलों,तथा अपने दैनिक जीवन में अपने ही साथ रखते थे क्योंकि वे गौ को ही अपना धन मानते थे। जिनके पास जितने गौ वंश होते थे, वे उतने धनवान माने जाते थे।

मुँह खोला तो तेरा रेप होगा – संजय राउत का ऑडियो वायरल

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शिवसेना नेता संजय राउत एक बार फिर से अपनी ‘अभद्र भाषा’ के चलते खबरों में आ गए हैं। कथिततौर पर मराठी फिल्मों की प्रोड्यूसर डॉ स्वप्ना पाटकर के साथ बातचीत की उनकी एक ऑडियो वायरल हुई है। इस ऑडियो में जो पुरुष है, उसकी ओर से महिला को गंदी-गंदी गाली दी जा रही है। ऑडियो में औरत से बात करते हुए “स%$ली, मादरच&^द और बहन&^%” जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है।

इसके अलावा ऑडियो में आदमी कहता है, “इस कॉल को रिकॉर्ड कर, पुलिस को भेज या जो मन हो वो कर। बस तू देखती जा। प्रॉपर्टी या तो मेरे नाम कर या फिर सुजीत के नाम।”

मालूम हो कि डॉ स्वप्ना पाटकर वही महिला हैं जिन्होंने साल 2021 में संजय राउत के ऊपर गाली-गलौच करने का और उन्हें पिछले 8 साल से तंग करने का आरोप लगाया था। अब ऑपइंडिया इस ऑडियो को लेकर ये पुष्टि नहीं करता है कि जो आवाज इसमें है वो स्वप्ना पाटकर और संजय राउत की है या नहीं। लेकिन इस ऑडियो को टाइम्स नाऊ नवभारत ने भी शेयर किया है और बताया है कि 70 सेकेंड की इस ऑडियो में 27 बार गाली दी गई हैं।

ये लीक ऑडियो संजय राउत से बातचीत की है: डॉ स्वप्ना पाटकर

इसके अलावा इस ऑडियो को लेकर स्वप्ना पाटकर ने एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में दावा किया है कि ये उनके और संजय राउत के बीच हुई बातचीत की ऑडियो है। उन्होंने SSR वॉरियर नाम के चैनल पर अपलोड किए गए इंटरव्यू में कहा कि उन्हें पिछले 18 महीनों में कई बार धमकियाँ मिली हैं और इन्हीं धमकियों के मद्देनजर उन्होंने अपनी शिकायत दी है। उन्होंने संजय राउत से जुड़े ‘पात्रा चॉल जमीन घोटाले’ मामले की जाँच में जुटे संबंधित अधिकारियों को इन धमकियों और ऑडियो क्लिप के बारे में बताया है। उन्होंने मुंबई पुलिस कमिश्नर को भी पत्र लिखा है और ईडी को भी धमकियों के बारे में बताया है।

स्वप्ना कहती हैं कि संजय की पत्नी वर्षा और उनके नाम अलीबाग में जमीन थी जिसे ईडी ने अपनी जाँच में अटैच किया। संपत्ति के दस्तावेज भी संजय राउत के करीबी सुजीत पाटकर के घर छापेमारी में मिले। लेकिन ईडी ने जब मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ शुरू की तो उनको रेप और हत्या की धमकियाँ आने लगीं और उन पर दबाव बनने लगा कि वह संजय राउत का नाम वापस लें।

 

 

स्वप्ना को मिली धमकियों में भाजपा पर इल्जाम मढ़ने का बनाया जा रहा दबाव

मालूम हो कि स्वप्ना पाटकर को पिछले हफ्ते भी धमकी वाला एक पत्र मिला था जिसमें कहा गया था कि अगर उन्होंने ईडी के सामने कुछ भी कहा तो उनका रेप किया जाएगा। इस धमकी के बाद उन्होंने वकोला पुलिस में अपनी शिकायत दी थी। पत्र में स्वप्ना को कहा गया था कि वह मीडिया में बोलें कि ये सब उन्होंने भाजपा नेता किरीट सोमैय्या के कहने पर किया है।

स्वप्ना की इस शिकायत के बाद प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता किरीट सोमैय्या ने भी 30 जुलाई को एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने बताया कि आज शाम 4 बजे धमकी, गाली-गलौच, ऑडियो क्लिप से जुड़ी शिकायतों के संबंध में वकोला थाने जाएँगे। उन्होंने अपने ट्वीट में पत्र शेयर किया है। इसमें लिखा है, “अगर मुँह खोला तो तेरा रेप करके थाना में खड़ी मिलेगी तू। ईडी के सामने बकबक करेगी तो मरेगी। मीडिया को बता कि सोमैय्या ने जबरदस्ती किया और आगे चुप बैठ वरना कोई नहीं बचा पाएगा।”

स्वप्ना पाटकर और संजय राउत का विवाद

बता दें कि डॉ स्वप्ना पाटकर इससे पहले पिछले साल संजय राउत पर इल्जाम लगाने के बाद चर्चा में आई थीं। उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखकर बताया था कि शिवसेना मुखपत्र ‘सामना’ के सह-संपादक संजय राउत पिछले 8 वर्षों से अपनी पार्टी के रुतबे और सिस्टम पर पकड़ का इस्तेमाल कर न सिर्फ उन्हें गालियाँ दे रहे हैं, बल्कि उनके परिवार और रिश्तेदारों को भी प्रताड़ित कर रहे हैं। पाटकर ने बताया था कि राउत के इशारे पर पुलिस ने उन पर ‘धंधा करने’ का आरोप भी लगाया था। उन्होंने कहा था कि 2017 में खुद संजय राउत ने फोन पर धमकी दी और 2018 में कॉन्ट्रैक्ट पर आदमी रख कर उनका पीछा कराया गया। बकौल स्वप्ना, उनके सोशल मीडिया हैंडल्स को हैक कर कभी सुसाइड नोट तो कभी अश्लील सामग्रियाँ डाली गईं, लेकिन पुलिस ने साफ़ कह दिया कि संजय राउत के खिलाफ वो FIR दर्ज नहीं कर सकते।

पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी से जुड़े 15 और ठिकानों पर छापे की तैयारी

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Arpita Mukherjee, Arpita with Partha Chatterjee.

SSC Scam News In Hindi : पश्चिम बंगाल (West Bengal) के शिक्षक भर्ती घोटाले (Teacher Recruitment Scam) में पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) और अर्पिता मुखर्जी (Arpita  Mukherjee) से पूछताछ के बीच ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) करीब 15 और ठिकानों पर छापे मारने की तैयारी में है। अब तक ईडी ने दो जगह छापों में करीब 50 करोड़ रुपये नकद बरामद किए हैं। सूत्रों ने शनिवार को बताया कि पूछताछ में अर्पिता मुखर्जी ने कबूल किया कि सारा पैसा उसका नहीं, पार्थ चटर्जी का है। 

वहीं, ईडी की जांच (ED Investigation) पूरी होने के बाद जल्द ही इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation, सीबीआई) और आयकर विभाग (Income Tax Department, आईटी) भी शामिल हो सकते हैं। आयकर विभाग (Income Tax Department) बेनामी संपत्ति (Benami Property) के मामले में पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी से सवाल-जवाब कर सकता है। यह भी सूचना है कि जो चार लग्जरी कारें (Luxary Cars) गायब हैं, उनका अभी तक पता नहीं चला है। ईडी के अधिकारियों को शक है कि इन कारों में रुपये भरकर कहीं भेजे गए।

काली डायरी में छिपे हैं कई राज  
अर्पिता के घर से जो काली डायरी ईडी को मिली है, उससे शिक्षक घोटाला की परतें खुलने की उम्मीद है। ईडी सूत्रों के मुताबिक, उस काली डायरी में बहुत सी जानकारियां हैं। डायरी में कई सीरियल व फोन नंबर हैं। इसमें कई प्रार्थियों के नाम भी हैं। इसके अलावा डायरी में कुछ एडमिट कार्ड के नंबर भी हैं।

महंगी गाड़ियों में अर्पिता को सैर के लिए ले जाते थे पार्थ
प्रवर्तन निदेशालय ने अर्पिता मुखर्जी के गायब 4 कारों की तलाश आरंभ कर दी है। एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि एक मर्सिडीज और एक मिनी कूपर कार मुखर्जी के पास थी। इन कारों का इस्तेमाल पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी अर्पिता के साथ सैर सपाटे के लिए करते थे। इन कारों में अर्पिता पार्टी भी किया करती थी। इन अधिकारियों ने बताया कि अर्पिता इनमें से किसी एक कार में निकलती थी और पार्थ दूसरी किसी गाड़ी में पीछे आते थे। आगे जाकर पार्थ अर्पिता की गाड़ी में सवार हो जाते थे। यह सभी गाड़ियां 2016 से 2019 के बीच खरीदी गईं।

शांतिनिकेतन में अर्पिता का फार्म हाउस
शांतिनिकेत में एक फार्म हाउस मिला है। उसका नाम है अपा। नाम के मुताबिक माना जा रहा था कि यह मकान अर्पिता और पार्थ के नाम पर होगा, लेकिन राजस्व विभाग ने इससे पर्दा उठा दिया। विभाग के मुताबिक, यह घर अर्पिता के नाम पर है। यह जमीन 2012 में अर्पिता ने खरीदी थी। सूत्रों के मुताबिक, इस जमीन को अर्पिता ने कोलकाता निवासी से 20 लाख रुपये में खरीदा था।