अप्रैल में पूरा हुआ ‘मन की बात’ कार्यक्रम का 100वां एपिसोड
11 विदेशी भाषाओं में होता है प्रसारण
गाय के इन 108 नामों का जप करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न हो जाते हैं। जानें गौमाता के कौन से 108 नाम
हिन्दू धर्म में गाय को माता, कामधेनू, कल्पवृक्ष और सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाली बताया गया है। गाय माता के संपूर्ण शरीर में तैतीस कोटी देवी-देवताओं का वास होने का उल्लेख भी शास्त्रों में मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण गौ सेवा के अन्नय प्रेमी थे। शास्त्रों में गाय माता के 108 नाम बताएं गए है। कहा जाता है कि गाय के इन 108 नामों का जप करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न हो जाते हैं। जानें गौमाता के कौन से 108 नाम का जप करने से सभी कामनाएं पूरी होने के साथ मनवांछित फल की प्राप्ति भी होती है।
।। दोहा ।।
श्री गणपति का ध्यान कर जपो गौ मात के नाम।
इनके सुमिरन मात्र से खुश होवेंगे श्याम।।
1- कपिला, 2- गौतमी, 3- सुरभी, 4- गौमती, 5- नंदनी, 6- श्यामा, 7- वैष्णवी, 8- मंगला, 9- सर्वदेव वासिनी, 10- महादेवी, 11- सिंधु अवतरणी, 12- सरस्वती, 13- त्रिवेणी, 14- लक्ष्मी, 15- गौरी, 16- वैदेही, 17- अन्नपूर्णा, 18- कौशल्या, 19- देवकी, 20- गोपालिनी। 21- कामधेनु, 22- आदिति, 23- माहेश्वरी, 24- गोदावरी, 25- जगदम्बा, 26- वैजयंती, 27- रेवती, 28- सती, 29- भारती, 30- त्रिविद्या, 31- गंगा, 32- यमुना, 33- कृष्णा, 34- राधा, 35- मोक्षदा, 36- उतरा- 37- अवधा, 38- ब्रजेश्वरी, 39- गोपेश्वरी, 40-कल्याणी।
41- करुणा, 42- विजया, 43- ज्ञानेश्वरी, 44- कालिंदी, 45- प्रकृति, 46- अरुंधति, 47- वृंदा, 48- गिरिजा, 49- मनहोरणी, 50- संध्या, 51- ललिता, 52- रश्मि, 53- ज्वाला, 54- तुलसी, 55- मल्लिका, 56- कमला, 57- योगेश्वरी, 58- नारायणी, 59- शिवा, 60- गीता।
61- नवनीता, 62- अमृता अमरो, 63- स्वाहा, 64- धंनजया, 65- ओमकारेश्वरी, 66- सिद्धिश्वरी, 67- निधि, 68- ऋद्धिश्वरी, 69- रोहिणी, 70- दुर्गा, 71- दूर्वा, 72, शुभमा, 73- रमा, 74- मोहनेश्वरी, 75- पवित्रा, 76- शताक्षी, 77- परिक्रमा, 78- पितरेश्वरी, 79- हरसिद्धि, 80- मणि। 81- अंजना, 82- धरणी, 83- विंध्या, 84- नवधा, 85- वारुणी, 86- सुवर्णा, 87- रजता, 88- यशस्वनि, 89- देवेश्वरी, 90- ऋषभा, 91- पावनी, 92- सुप्रभा, 93- वागेश्वरी, 94- मनसा, 95- शाण्डिली, 96- वेणी, 97- गरुडा, 98- त्रिकुटा, 99- औषधा, 100- कालांगि।
101- शीतला, 102- गायत्री, 103- कश्यपा, 104- कृतिका, 105- पूर्णा, 106- तृप्ता, 107- भक्ति, 108- त्वरिता।
।। दोहा ।।
अनंत नाम गौ मात के सब देवो का वास।
सब भक्तो का आपके चरणों में विश्वास।।
इन नामो को नित्य पठन से रिद्धि सिद्धि घर आयेगी।
श्री कृष्ण राम कृपा से,सर्व देव कृपा हो जायेगी।।
B20 Summit:PM Modi आज करेंगे बिजनेस 20 सम्मेलन को संबोधित
नई दिल्ली, पीटीआई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को बिजनेस 20 (बी20) सम्मेलन को संबोधित करेंगे। सम्मेलन में दुनियाभर से नीति निर्माताओं, व्यापारिक नेताओं और विशेषज्ञों को विचार-विमर्श और चर्चा करने के लिए बुलाया गया है। जी-20 में प्रस्तुत करने के लिए बी20 में 54 सिफारिशें और 172 नीतिगत कार्रवाइयां शामिल हैं।
सम्मेलन में 1,700 उद्योग क्षेत्र के लोग होंगे शामिल
मालूम हो कि इस सम्मेलन में दुनियाभर के करीब 1,700 उद्योग क्षेत्र के लोग और विशेषज्ञ शामिल होंगे। तीन दिवसीय इस सम्मेलन का शुरुआत 25 अगस्त को हुआ था बिजनेस-20 जी-20 का एक मंच है, जो वैश्विक व्यापार समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है। इसे 2010 में स्थापित किया गया था। जी-20 सम्मेलन अगले महीने होगा। बी-20 का विषय सभी व्यवसायों के लिए जिम्मेदार, त्वरित, नवीन, टिकाऊ और न्यायसंगत पहुंच सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
At 12 noon tomorrow, 27th August, I will be addressing the B20 Summit India 2023. This platform is bringing together a wide range of stakeholders working in the business world. It is among the most important G20 Groups, with a clear focus on boosting economic growth.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 26, 2023
धर्मेंद्र प्रधान ने बी20 सम्मेलन को किया संबोधित
शनिवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सम्मेलन को संबोधित किया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को ‘शिक्षा को उभरती अनिवार्यताओं के अनुरूप बनाना’ विषय पर बी20 सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा वह मातृत्व है जो सभी विकास को गति प्रदान करेगी।
भारत वैश्विक भलाई का प्रयोगशालाः प्रधान
उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक भलाई के लिए एक प्रयोगशाला है। यह वसुधैव कुटुंबकम के हमारे सभ्यतागत मूल्यों से आती है। भारत की आकांक्षाएं वैश्विक भलाई और खुशहाली हासिल करने की हैं। भारत में प्रतिभा का भंडार है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर क्या बोले प्रधान?
शिक्षा के क्षेत्र में पहल के बारे में उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 छात्रों को 21वीं सदी के लिए तैयार कर रही है। उन्होंने शिक्षा और कौशल के एकीकरण, मातृभाषा में शिक्षा, उच्च शिक्षा संस्थानों में ज्ञान पारिस्थितिकी तंत्र में 100 प्रतिशत नामांकन हासिल करने के प्रयासों जैसी विभिन्न पहलों के संबंध में बात की।
भगवान श्रीकृष्ण के मन में दूध पीने की इच्छा होने पर लीलापूर्वक सुरभि गौ को प्रकट किया था
राधिकापति भगवान श्रीकृष्ण के मन में दूध पीने की इच्छा होने लगी। तब भगवान ने अपने वामभाग से लीलापूर्वक सुरभि गौ को प्रकट किया। उसके साथ बछड़ा भी था जिसका नाम मनोरथ था। उस सवात्सा गौ को सामने देख श्रीकृष्ण के पार्षद सुदामा ने एक रत्नमय पात्र में उसका.. राधिकापति भगवान श्रीकृष्ण के मन में दूध पीने की इच्छा होने लगी। तब भगवान ने अपने वामभाग से लीलापूर्वक सुरभि गौ को प्रकट किया। उसके साथ बछड़ा भी था जिसका नाम मनोरथ था।
उस सवात्सा गौ को सामने देख श्रीकृष्ण के पार्षद सुदामा ने एक रत्नमय पात्र में उसका दूध दुहा और उस सुरभि से दुहे गए स्वादिष्ट दूध को स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने पीया। मृत्यु तथा बुढ़ापा हरने वाला वह दुग्ध अमृत से भी बढ़कर था। सहसा दूध का वह पात्र हाथ से छूटकर गिर पड़ा और पृथ्वी पर सारा दूध फैल गया। उस दूध से वहां एक सरोवर बन गया जो गोलोक में क्षीरसरोवर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। गोपिकाओं और श्रीराधा के लिए वह क्रीड़ा सरोवर बन गया। उस क्रीड़ा सरोवर के घाट दिव्य रत्नों द्वारा निर्मित थे। भगवान की इच्छा से उसी समय असंख्य कामधेनु गौएं प्रकट हो गईं जितनी वे गौएं थीं, उतने ही बछड़े भी उस सुरभि गौ के रोमकूप से निकल आए। इस प्रकार उन सुरभि गौ से ही गौओं की सृष्टि मानी गई है।
भगवान श्रीकृष्ण सांदीपनि मुनि के आश्रम में विद्याध्ययन के लिए गए। वहां उन्होंने गौसेवा की। भगवान श्रीकृष्ण को केवल गायों से ही नहीं अपितु गोरस दूध, दही, मक्खन, आदि से अद्भुत प्रेम था। श्रीकृष्ण द्वारा ग्यारह वर्ष की अवस्था में मुष्टिक, चाणूर, कुवलयापीड हाथी और कंस का वध गोरस के अद्भुत चमत्कार के प्रमाण हैं और इसी गोदुग्ध का पान कर भगवान श्रीकृष्ण ने दिव्य गीतारूपी अमृत संसार को दिया।
गौ रक्षक भगवान श्रीकृष्ण ने गौमाता की रक्षा के लिए क्या-क्या नहीं किया? उन्हें दावानल से बचाया, इंद्र के कोप से गायों और ब्रजवासियों की रक्षा के लिए गिरिराज गोवर्धन को कनिष्ठिका उंगली पर उठाया। तब देवराज इंद्र ने ऐरावत हाथी की सूंड के द्वारा लाए गए आकाशगंगा के जल से तथा कामधेनु ने अपने दूध से उनका अभिषेक किया और कहा कि जिस प्रकार देवों के राजा देवेन्द्र हैं उसी प्रकार आप हमारे राजा गोविंद हैं।
भगवान श्रीकृष्ण का बाल्यजीवन गौसेवा में बीता, इसीलिए उनका नाम गोपाल पड़ा। पूतना के वध के बाद गोपियां श्रीकृष्ण के अंगों पर गोमूत्र, गोरज व गोमय लगा कर शुद्धि करती हैं क्योंकि उन्होंने पूतना के मृत शरीर को छुआ था और गाय की पूंछ को श्रीकृष्ण के चारों ओर घुमाकर उनकी नजर उतारती हैं। तीनों लोकों के कष्ट हरने वाले श्रीकृष्ण के अनिष्ट हरण का काम गाय करती है। जब-जब श्रीकृष्ण पर कोई संकट आया नंदबाबा और यशोदा माता ब्राह्मणों को स्वर्ण, वस्त्र तथा पुष्पमाला से सजी गायों का दान करते थे।
यह है गौमाता की महिमा और श्रीकृष्ण के जीवन में उनका महत्व। नंद बाबा के घर सैंकड़ों ग्वालबाल सेवक थे पर श्रीकृष्ण गायों को दुहने का काम भी स्वयं करना चाहते थे। कन्हैया ने आज माता से गाय चराने के लिए जाने की जिद की और कहने लगे कि भूख लगने पर वे वन में तरह-तरह के फलों के वृक्षों से फल तोड़कर खा लेंगे। पर मां का हृदय इतने छोटे और सुकुमार बालक के सुबह से शाम तक वन में रहने की बात से डर गया और वह कन्हैया को कहने लगीं कि तुम इतने छोटे-छोटे पैरों से सुबह से शाम तक वन में कैसे चलोगे, लौटते समय तुम्हें रात हो जाएगी। तुम्हारा कमल के समान सुकुमार शरीर कड़ी धूप में कुम्हला जाएगा परन्तु कन्हैया के पास तो मां के हर सवाल का जवाब है। वह मां की सौगंध खाकर कहते हैं कि न तो मुझे धूप लगती (गर्मी) है और न ही भूख और वह मां का कहना न मानकर गोचारण की अपनी हठ पर अड़े रहे।
मोरमुकुटी, वनमाली, पीताम्बरधारी श्रीकृष्ण यमुना में अपने हाथों से मल-मल कर गायों को स्नान कराते, अपने पीताम्बर से ही गायों का शरीर पोंछते, सहलाते और बछड़ों को गोद में लेकर उनका मुख पुचकारते और पुष्पगुच्छ गुंजा आदि से उनका शृंगार करते।
तृण एकत्र कर स्वयं अपने हाथों से उन्हें खिलाते। गायों के पीछे वन-वन वह नित्य नंगे पांव, कुश, कंकड़, कण्टक सहते हुए उन्हें चराने जाते थे।
गाय तो उनकी आराध्य हैं और आराध्य का अनुगमन पादत्राण (जूते) पहनकर तो होता नहीं। परमब्रह्म श्रीकृष्ण गायों को चराने के लिए जाते समय अपने हाथ में कोई छड़ी आदि नहीं रखते थे। केवल वंशी लिए हुए ही गाएं चराने जाते थे। वह गायों के पीछे-पीछे ही जाते हैं और गायों के पीछे-पीछे ही लौटते हैं वह गायों को मुरली सुनाते हैं। सुबह गोसमूह को साष्टांग प्रणिपात (प्रणाम) करते और सायंकाल गायों के खुरों से उड़ी धूल से उनका मुख पीला हो जाता था। इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए देवी-देवता अपने लोकों को छोड़कर ब्रज में चले आते और आश्चर्यचकित रह जाते कि जो परमब्रह्म श्रीकृष्ण बड़े-बड़े योगियों के समाधि लगाने पर भी ध्यान में नहीं आते, वे ही श्रीकृष्ण गायों के पीछे-पीछे नंगे पांव वनों में हाथ में वंशी लिए घूम रहे हैं। मोहन गाएं चराकर आ रहे हैं। उनके मस्तक पर नारंगी पगड़ी है जिस पर मयूरपिच्छ का मुकुट लगा है, मुख पर काली-काली अलकें बिखरी हुई हैं जिनमें चम्पा की कलियां सजाई गई हैं।
गोप बालकों की मंडली के बीच मेघ के समान श्याम श्रीकृष्ण रसमयी वंशी बजाते हुए चल रहे हैं और सखामंडली उनकी गुणावली गाती चल रही है। गेरु आदि से चित्रित सुंदर नट के समान भेस में ये नवल-किशोर मस्त चलते हुए आ रहे हैं। चलते समय उनकी कमर में करधनी के किंकणी और चरणों के नुपूरों के साथ गायों के गले में बंधी घंटियों की मधुर ध्वनि सब मिलकर कानों में मानो अमृत घोल रहे हों।
अजमेर – रात में गोवंशो से भरा ट्रक को गौ रक्षकों ने पकड़ा, पानी की बोतलों की आड़ में हो रही थी तस्करी
गौवंश को पानी की खाली बोतल और कचरे की आड़ में छिपा कर ले जाया रहा था। जानकारी के अनुसार देर रात्रि में नसीराबाद के पास देराठु बाईपास पर गो रक्षको को सूचना मिली थी एक ट्रक डीडी जीरोएक ई 9566 में गोवंश भरकर ले जा रहे हैं। गोरक्षकों ने ट्रक का पीछा किया और अपनी जान जोखिम में डालकर देराठू बाईपास पर रुकवाया।
अजमेर, राज्य ब्यूरो: गोरक्षकों की टीम ने देर रात्रि में अपनी जान जोखिम में डालकर गोवंश से भरे एक ट्रक को पकड़ा। इसमें करीब 42 गोवंश थे। गौवंश को पानी की खाली बोतल और कचरे की आड़ में छिपा कर ले जाया रहा था। जानकारी के अनुसार देर रात्रि में नसीराबाद के पास देराठु बाईपास पर गो रक्षको को सूचना मिली थी एक ट्रक डीडी जीरोएक ई 9566 में गोवंश भरकर ले जा रहे हैं। गोरक्षकों ने ट्रक का पीछा किया और अपनी जान जोखिम में डालकर देराठू बाईपास पर रुकवाया। जहां ट्रक में बैठे ट्रक ड्राइवर और गौ तस्कर फरार हो गए।
जानकारी मिलते ही नसीराबाद सिटी थाने से पुलिस मौके पर पहुंची और गोवंश से भरे ट्रक को थाने लेकर आई और सुबह पुष्कर के निकटवर्ती गांव तिलोरा में स्थित श्री पुष्कर गौशाला सेवा समिति में सभी गोवंशों को उतारा गया जिनमें दो गोवंश की मौत हो गई। बाकी गोवंश अर्द्ध मूर्छित हो रखे थे।
मामले की जानकारी नसीराबाद सिटी थाने को दी गई
नसीराबाद सिटी थाने की पुलिस टीम तुरंत मौके पर पहुंची और ट्रक को थाने लेकर आई और सुबह तिलोरा में स्थित गौशाला में गोवंश को सुरक्षित लेकर आए लेकिन इनमें से दो गोवंश की मौत हो गई और शेष गोवंश अर्द्ध मूर्छित हो रखे थे। सूचना मिलने पर पुष्कर पुलिस भी तिलोरा गौशाला पहुंच गई तथा काफी संख्या में गौ रक्षक इकट्ठे हो गए धीरज राम जी महाराज ने बताया कि गौ तस्करों ने कचरे और खाली पानी की बोतलों की आड़ में गोवंशों को ट्रक में भर रखा था।
उन्होंने बताया कि प्रशासन और राज्य सरकार की लापरवाही के चलते राज्य में आए दिन गौ तस्करी हो रही है लेकिन राज्य सरकार द्वारा सख्त कानून नहीं बनाने के कारण इनके दिन बे दिन हौसले बुलंद होते जा रहे हैं इसलिए राज्य सरकार को गो तस्करी करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनना चाहिए तभी हमारी गौ माता की रक्षा हो सकती है।
बताया गया की गौ तस्करों ने गोवंश को भूखे प्यासे रखने और नशे के इंजेक्शन लगा देने तथा इनकी रस्सी से बांधकर ट्रक में ठूस ठूस कर भर दिया जिसके चलते गोवंशों की हालत खराब होगी और दो गो वंश की मौत हो गई वही तिलोरा गौशाला पर चिकित्सा टीम भी मौके पर पहुंच गई और अर्ध मूर्छित घायल गोवंशों का तुरंत इलाज किया वहीं नसीराबाद सिटी थाने के एस आई अर्जुन ने बताया कि ट्रक को जप्त कर गौ तस्करों के खिलाफ जो भी कानूनी कार्रवाई होगी की जाएगी। इस अवसर पर ओमप्रकाश भाट सहित काफी संख्या में गौ रक्षक मौजूद थे।
भेंटवार्ता – खतरनाक डॉन मुन्ना भाई बने हैं ‘चट्टान’ में तेज सप्रू..!
“इंसपेक्टर… तुझे एक मिनट का टाइम देता हूँ अगर तूने मेरे आदमी को नहीं छोड़ा तो यहीं खड़े खड़े तेरी समाधि बना दुंगा और तेरी पुलिस स्टेशन को कबरस्तान “! 90 के दौर पर बनी म्यूजिकल एक्शन ड्रामा फिल्म ‘चट्टान’ के खूंखार डॉन मुन्ना भाई का किरदार निभा रहे 350 से भी ज्यादा फिल्मों में विलेनिश रोल्स और विविध किरदार निभानेवाले चर्चित अभिनेता तेज सप्रू की कुछ इस तरह की डायलॉग्स बाज़ी पुलिस इसंपेक्टर रंजीत सिंह (जीत उपेंद्र) के बीच मध्यप्रदेश के एक कस्बे देवपुर में लगे सेट पर चल रही थी l
मुन्ना भाई की धांसू एंट्री और चाल ढाल उस पर रोबीला चेहरा उनके चरित्र की पूरी कहानी बयां कर रहा था। वो दृश्य मेरे जेहन में कायम है और रहेगा। यूँ तो मैं तेज सप्रू की शक्ल से सैकड़ों फिल्मों से फैम्लियर रहा हूँ फिर भी ‘चट्टान’ में उनके खूंखार रोल की तारीफ़ सुनकर फिल्म इंडस्ट्री के इस नायाब कलाकार से पिछले दिनों मुंबई के यारी रोड स्थित उनके बंगले पर मिला। खूब मजेदार विंदास बातों का दौर चला। प्रस्तुत हैं बात चीत के प्रमुख अंश :-
विश्वस्तर पर गौ-सेवा के विशिष्ट व्यक्तित्व है-महामण्डलेश्वर कुशालगिरीजी महाराज
-डा. वीरेन्द्र भाटी मंगल
राजस्थान सहित देशभर के सोशल मीडिया पर एक संत के डायलॉग बहुत तेजी के साथ वायरल हो रहे है-’धको देर बार काड’ ’आप कौन सी लैंग्वेज समझेंगे, ये बोलो, तंबू ने आग लगाते टेम कोनी लागे, श्रवण सेन…..ध्यान राखजे….ध्यान देना, दस सालों सूं थै काम करो, बॉस रो स्वभाव ठा कोनी कांई, उकसा रिया हो थे माने, सरीखे अनेक डायलाॅग आज लोगों की जुबां पर छाये हुए है। इन डायलाग के प्रणेता है विश्व स्तरीय गौ-चिकित्सालय नागौर के संस्थापक, गौपालक, महामण्डलेश्वर स्वामी कुशालगिरीजी महाराज।
अपने डायलाग, युवाओं में जबरदस्त क्रेज के चलते व विशिष्ट कार्यों के लिए हमेशा चर्चित रहने वाले यह संत गौ-सेवा व मानव सेवा के लिए समर्पित है। देश-भर में सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल इस संत के बारे में हर कोई जानना चाहता है। आखिर यह संत कौन है? उनका क्या व्यक्तित्व है।

नागौर से आठ किलोमीटर दूर जोधपुर मार्ग पर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 65 पर स्थित देश का सबसे बड़ा व प्रथम विश्वस्तरीय गौ-चिकित्सालय के माध्यम से स्वामी कुशालगिरी जी महाराज पांच हजार से भी अधिक गौवंश व अन्य प्राणियों की सेवा के लिए प्राण-प्रण से जुटे हुए है। बहुत कम समय तक स्कूली शिक्षा प्राप्त संत कुशाल गिरी महाराज एक मेधावी संत व प्रवचनकार है। इनके माता-पिता द्वारा बचपन से ही गौ-सेवा एवं धार्मिक गतिविधियों के कारण इनको संतों की संगति में रखा, जिसके कारण इन्होंने रामायण, महाभारत, गीता, पुराण आदि धर्म-शास्त्रों का गहन अध्ययन कर जीवन को गौ-माता की सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
बजरंग व्यायाम के नाम से नागौर में वर्षों तक अखाड़ा चलाते रहे जिसमें मलयुद्ध से लेकर लाठी व अन्य अस्त्र-शस्त्र चलाने तक का प्रशिक्षण स्वयं देते थे। राममंदिर कार सेवा के दौरान 6 दिसंबर 1992 में कुशाल गिरी महाराज ने अयोध्या में सबसे कम उम्र के कार सेवक बनकर शामिल होकर कीर्तिमान स्थापित किया। कुशाल गिरी जी महाराज संस्कार, संस्कृति एवं अनेक धार्मिक संगठनों से भी निरन्तर जुड़े रहे।
एक घटना के कारण स्वामी कुशालगिरी महाराज का सम्पूर्ण जीवन बदल गया। एक बार स्वामीजी को अपने कर्म क्षेत्र में गायों की तस्करी होने की सूचना मिली, जानकारी मिलते ही स्वामी जी ने अपने साथियों के साथ घटना स्थल पर पहुंचकर कटने के लिए जा रही गायों को बड़ी बहादुरी के साथ बचाया। उस दिन के बाद स्वामी जी ने संकल्प ग्रहण किया कि अब से मेरा जीवन गौ-सेवा के लिए समर्पित रहेगा। इसके बाद इन्होंने गायों को बचाने व उनके संरक्षण का अभियान प्रारम्भ कर दिया, हजारों गायों को कटने से बचाने के कारण गौ-सेवक के रूप में चर्चित व्यक्ति बन गये। इसके बाद स्वामी जी ने गौशाला के माध्यम से कमजोर, पीड़ित विशेषकर दुर्घटना में घायल गौ की सेवा करने का बीड़ा उठा लिया। स्वामी जी के इस कार्य को देखते हुए लोगों ने भरपूर सहयोग प्रदान किया।
बॉस के नाम से सुप्रसिद्ध स्वामी कुशालगिरी महाराज अपने डायलाग व दबंग छवि के कारण आम जन-मानस सहित युवाओं के बीच अपनी विशिष्ठि पहचान रखते है। पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 क्षमारामजी महाराज और श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर अरुणगिरी जी महाराज से दीक्षा प्राप्त संतश्री कुशालगिरी को 2013 में प्रयागराज में महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की गई। पंच दशनाम जूना अखाड़ा के महामण्डलेश्वर पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानन्दगिरी महाराज ने महामण्डलेश्वर पदवी का पट्टाभिषेक किया। बचपन से ही कुशालसिंह सांखला (कुशालगिरी जी) धर्म, संस्कृति, अध्यात्म व गौ-सेवा को समर्पित रहे है।
आपका जन्म गुरु पूर्णिमा विक्रम संवत 2032 के पावन दिन ब्रह्म मुहूर्त में 24 जुलाई 1975 को नागौर जिले के राठौड़ी कुआं मौहल्ला में हुआ। आपकेे पिता का नाम जयनारायण सांखला (माली) तथा माता का नाम भंवरी देवी है, स्वामी जी गृहस्थ संत है, लेकिन कभी घर का मोह नहीं रहा। हमेशा अपने कर्मपथ पर बढते रहे। इनके दो पुत्र तथा दो पुत्रियां हैं .बड़ी बेटी ममता सुप्रसिद्ध कथावाचक है वहीं छोटी बेटी मोनिका अध्ययनरत है। महाराज श्री के दोनों पुत्र महेंद्र तथा मूलचंद घर के कामकाज सहित अनेक सेवा कार्यों से सक्रियता से जुटे हुए है।
कुशाल गिरी जी महाराज ने 23 फरवरी 2008 को इस विश्व स्तरीय गौ-चिकित्सालय की नींव रखी, वर्तमान में चिकित्सालय की गौशाला में 5000 से भी अधिक गायें है, जिनकी सेवा मनुष्य की भांति की जा रही है। इस चिकित्सालय में दर्जनों एम्बुलेंस है जो राजस्थान के अलावा अन्य आप-पास के राज्यों से भी बीमार तथा पीड़ित पशुओं को यहां लाकर उनका बेहतर तरीके से इलाज किया जाता है, इस विश्व स्तरीय गौ-चिकित्सालय में आधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ ऑपरेशन थिएटर और एक्सरे रूम सहित अनेक सुविधायें मौजूद है।
इस चिकित्सालय में 400 से अधिक कर्मचारी कार्य करते है, प्रतिदिन गौशाला का खर्च करीब 6 लाख रूपये है। गाय की सेवा को समर्पित इस संत की बढती लोकप्रियता को देखते हुए इन पर समाजकंटको द्वारा विविध आरोप भी लगाये गये, लेकिन स्वामी जी ने दृढता से उनका मुकाबला किया। आरोप बाद में बिल्कुल निराधार निकले। स्वामी जी के पास अपनी कोई व्यक्तिगत सम्पत्ति नहीं हैं। सही मायने में देश के सबसे बडे़ गौ-सेवा के उपक्रम को संचालित करने वाले इस संत को उस समय गुस्सा आ जाता है, जब कोई सेवक गाय की सेवा में कोताही दिखाता है। सैकड़ों कर्मचारियों की स्वयं की प्रशासन व्यवस्था देखते है, जिससे कई बार उनको डाटने के वीडियो भी वायरल हो जाते है लेकिन सही मायने में नेकदिन, सबके प्रति स्नेहभाव रखने वाले संत कुशालगिरी जी का जीवन गौ-सेवा व प्राणी सेवा को प्रति समर्पित है।
नई टीम से मजबूत होगा कांग्रेस का जनाधार
- रमेश सर्राफ धमोरा
कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का पदभार संभालने के दस महीने बाद कांग्रेस कार्यसमिति (कांग्रेस वर्किंग कमेटी) की घोषणा कर दी है। नई कार्य समिति में कल 39 सदस्य बनाए गए हैं। वही 32 लोगों को स्थाई आमंत्रित सदस्य तथा 13 लोगों को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है। जिनमें कांग्रेस के चारों अग्रिम संगठनों युवक कांग्रेस, एनएसयूआई, महिला कांग्रेस और सेवादल के प्रमुखों को भी शामिल किया गया है। इस तरह कांग्रेस वर्किंग कमेटी से कुल 84 नेताओं को जोड़ा गया है। कार्य समिति में जहां वरिष्ठ नेताओं को तवज्जो दी गई है वही बड़ी संख्या में नए लोगों को भी शामिल किया गया है।
आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कार्य समिति के माध्यम से सभी को साधने का प्रयास किया गया है। कार्यसमिति में सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी, एके एंथोनी, अंबिका सोनी, मीरा कुमार, दिग्विजय सिंह, सलमान खुर्शिद, प्रियंका गांधी वाड्रा, मुकुल वासनिक, आनंद शर्मा, अजय माकन, जयराम रमेश, भंवर जितेंद्र सिंह, तारीक अनवर जैसे पुराने लोगों को जगह दी गई है। वही सचिन पायलट, दीपक बावरिया, जगदीश ठाकोर, गुलाम अहमद मीर, अविनाश पांडे, दीपादास मुंशी, गौरव गोगोई, कमलेश्वर पटेल, सैयद नासिर हुसैन, महेंद्रजीत सिंह मालवीय जैसे नए लोगों को भी शामिल किया गया है।
कार्य समिति में कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक, कुमारी शैलजा, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को प्रमुख दलित चेहरे के रूप में शामिल किया गया है। वहीं सलमान खुर्शीद, तारिक अनवर, गुलाम अहमद मीर, सैयद नासिर हुसैन मुस्लिम समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। कार्य समिति में श्रीमती सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, अंबिका सोनी, मीरा कुमार, कुमारी शैलजा, दीपा दास मुंशी को बैतोर महिला सदस्य नई कार्यसमिति में शामिल किया गया है। वही श्रीमती प्रतिभा सिंह, मीनाक्षी नटराजन, फूलों देवी नेताम और रजनी पटेल को स्थाई आमंत्रित सदस्य तथा यशोमती ठाकुर, सुप्रिया श्रीनेत, परिणीति शिंदे और अलका लांबा कार्यसमिति में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल है। महिला कांग्रेस की प्रमुख नेट्टा डिसूजा पदेन सदस्य के रूप में शामिल की गई है। इस तरह है 84 सदस्यों की कार्यकारिणी में 15 महिला नेताओं को स्थान मिला है।
कांग्रेस की नवगठित वर्किंग कमेटी में आनंद शर्मा, शशि थरूर, मनीष तिवारी समेत जी-23 के कई ऐसे नेताओं को भी जगह मिली है जो कांग्रेस आलाकमान के कई निर्णय से नाराज चल रहे थे। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में यह संदेश गया है कि पार्टी सभी को साथ लेकर चलने का प्रयास कर रही है। यदि कोई पार्टी नेता पार्टी के किसी निर्णय से नाराज है तो भी पार्टी की मुख्य धारा में शामिल रहेगा। कांग्रेस कार्यसमिति से पार्टी के चारों मुख्यमंत्रियों को बाहर रखा गया है जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता है और पिछले वर्ष उनका नाम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए तय हो गया था। यह पहला मौका है जब मुख्यमंत्रियों को कार्यसमिति में शामिल नहीं किया गया है।
कांग्रेस ने उदयपुर में संपन्न हुए अपने चिंतन शिविर और रायपुर के महाधिवेशन में तय किया था कि पार्टी संगठन में सभी स्तर के पदों में से आधे पदों पर 50 साल से कम उम्र के नेताओं को पदाधिकारी बनाया जायेगा। मगर मौजूदा कार्यसमिति में वरिष्ठ नेताओं की संख्या अधिक है। फिर भी काफी संख्या में नए लोगों को पहली बार कार्य समिति में शामिल कर पार्टी ने नया नेतृत्व आगे लाने का एक सफल प्रयास किया है।
नवगठित कार्यसमिति में लोकसभा से 9 व राज्यसभा से 14 सांसदों को भी शामिल किया गया है। लोकसभा से श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर व गौरव गोगोई को कांग्रेस कार्य समिति का सदस्य बनाया गया है। प्रतिभा सिंह, मनीष तिवारी को स्थाई आमंत्रित सदस्य व के सुरेश व मणिकम टैगोर को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है। वहीं राज्यसभा से पार्टी अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, दिग्विजय सिंह, पी चिदंबरम, मुकुल वासनिक, अभिषेक मनु सिंघवी, जयराम रमेश, रणदीप सिंह सुरजेवाला, सैयद नासिर हुसैन, केसी वेणुगोपाल को कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया है। दीपेंद्र सिंह हुड्डा, फूलों देवी नेताम, रजनी पटेल स्थाई आमंत्रित तथा राजीव शुक्ला विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं।
कार्य समिति में शामिल 50 साल से कम उम्र के नेताओं में सचिन पायलट 46 वर्ष, गौरव गोगोई 43 वर्ष और कमलेश्वर पटेल 49 साल के हैं। स्थाई आमंत्रित सदस्यों में मानिकम टैगोर 48 वर्ष, दीपेंद्र हुड्डा 45 वर्ष, मीनाक्षी नटराजन 50 वर्ष और कन्हैया कुमार 36 वर्ष के हैं। वही विशेष आमंत्रित सदस्यों में महाराष्ट्र की पूर्व मंत्री यशोमती ठाकुर 49 वर्ष, पार्टी के सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख सुप्रिया श्री नेत 46 वर्ष, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे की विधायक पुत्री परिणीति शिंदे 42 वर्ष, दिल्ली की पूर्व विधायक अलका लांबा 47 वर्ष, युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीबी 41 वर्ष, महिला कांग्रेस की अध्यक्ष नेट्टा डिसूजा 48 वर्ष और एनएसयूआई के अध्यक्ष नीरज कुंदन 33 वर्ष के हैं। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी व राजस्थान से सचिन पायलट को राहुल गांधी की निकटता के चलते कार्य समिति में शामिल किया गया है। आने वाले समय में पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी व राजस्थान में सचिन पायलट बड़ी भूमिका निभाएंगे।
कुछ माह पूर्व कर्नाटक व हिमाचल प्रदेश में संपन्न हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने भारी बहुमत से सरकार बनाकर अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास कर दिया था। कर्नाटक व हिमाचल में भाजपा की सरकार चल रही थी जिसे हरा कर कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। इसी साल के अंत तक राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मिजोरम व जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा के चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव से पहले इन प्रदेशों की विधानसभा चुनावों के नतीजे 2024 के लोकसभा चुनावों पर गहरा असर डालेंगे। कांग्रेस का प्रयास है कि लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान व छत्तीसगढ़ जहां उनकी पार्टी की सरकार है वहां फिर से अपनी सरकार बनाई जाए। मध्यप्रदेश में भाजपा ने दलबदल करवाकर कांग्रेस की सरकार गिरा दी थी। वहां फिर से कांग्रेस पार्टी की सरकार बनाकर पार्टी को मजबूत किया जाए। कांग्रेस पार्टी तेलंगाना में भी अपने खोए हुए जनाधार को फिर से हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है। विपक्षी दलों के कई बड़े नेता पिछले दिनों वहां कांग्रेस की सदस्यता ले चुके हैं।
कांग्रेस पार्टी का पूरा ध्यान अगले लोकसभा चुनावो पर केंद्रित है। कांग्रेस के बड़े नेता चाहते हैं कि हाल ही में बनाए गए इंडिया गठबंधन को एकजुट कर अगला लोकसभा चुनाव लड़ा जाए। ताकि केंद्र से भाजपा को सत्ता को हटाया जा सके। कांग्रेस आलाकमान इंडिया गठबंधन में शामिल उन सभी दलों से अपने राजनीतिक संबंध सामान्य करने का प्रयास कर रहा है जिससे आगे चुनाव में आपसी सहमति से सीटों का बंटवारा कर भाजपा के खिलाफ एक सीट पर एक ही प्रत्याशी उतारा जा सके। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व का पूरा जोर विपक्षी एकता को सुदृढ़ करने पर लगा हुआ है। जिसका लाभ उन्हें आने वाले चुनाव में मिलने की संभावना नजर आ रही है।
- रमेश सर्राफ धमोरा
मोदी का मास्टरस्ट्रोक, भ्रष्टाचारियों में हलचल क्यों ?
- राजेश कुमार पासी
कहावत है कि नमाज बख्शवाने गए और रोज़े गले पड़े, कुछ ऐसा ही हमारे देश के विपक्षी दलों के साथ हुआ है । ये लोग इन्तजार कर रहे थे कि ईडी निदेशक संजय मिश्रा 15 सितम्बर को रिटायर हो जायेंगे तो उनकी समस्या कुछ कम हो जायेगी लेकिन मोदी और शाह ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है । सरकार ने फैसला किया है कि वो एनएसए और सीडीएस की तरह एक नया पद बनायेगी । जिस तरह से एनएसए गुप्तचर एजेंसियों के मुखिया हैं और सीडीएस तीनों सेनाओं के मुखिया हैं उसी प्रकार से ईडी और सीबीआई के मुखिया के रूप में मुख्य जांच अधिकारी(चीफ इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर) का पद बनाया जाएगा ।
जिस तरह से एनएसए और सीडीएस सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं, उसी प्रकार सीआईओ भी प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करेगा । वो दोनों जाँच एजेंसियों के समन्वय काम करेंगे ताकि दोनों जाँच एजेंसियां मिलकर भ्रष्ट्राचारियों पर नकेल कस सके । सीबीआई भ्रष्टाचार और घोटालों की जाँच करती है और ईडी अवैध पैसों के लेनदेन की जाँच करती है । जो भ्रष्टाचार होता है तो पैसों का लेनदेन होना लाजिमी है । इस तरह देखा जाये तो जहाँ भ्रष्टाचार होता है, वहाँ सीबीआई के बाद ईडी को जाना पड़ता है और जहाँ ईडी जाती है, वहाँ बाद में सीबीआई को जाना पड़ता है । अगर दोनों जाँच एजेंसियां मिलकर काम करती हैं तो अपराधियों का बचना मुश्किल हो जायेगा । मोदी जी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रहे हैं ।
वो किसी को भी अपने काम में रुकावट नहीं बनने देना चाहते । सुप्रीम कोर्ट ने संजय मिश्रा को 15 सितम्बर तक ही ईडी निदेशक के पद पर काम करने की छूट दी थी लेकिन सरकार उन्हें खोना नहीं चाहती । वैसे भी देखा जाये तो सिर्फ उम्र के आधार पर किसी काबिल अफसर को मोदी खोना नहीं चाहते । यही कारण है कि उन्होंने 80 साल के अजित डोभाल को एनएसए के पद पर बनाकर रखा हुआ है । आज पूरा देश जानता है कि उन्होंने किस तरह से देश की सेवा की है । संजय मिश्रा के ईडी निदेशक बनने से पहले ईडी को कोई नहीं जानता था लेकिन उनके आने के बाद पूरे देश में ईडी का नाम गूंज रहा है । भ्रष्टाचारियों के खिलाफ ईडी जो कार्यवाही कर रही है, वो पहले कभी देखी नहीं गई । आतंकवाद के लिये मिलने वाले फंड पर भी उसने लगाम लगाई है । नारकोटिक्स के काले पैसे पर भी उसकी नजर है । मोदी जी को लगता है कि संजय मिश्रा उनके लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये जरूरी हैं, इसलिये उन्होंने उन्हें सरकार में बनाये रखने के लिये यह रास्ता निकाला है । इसमें अब सुप्रीम कोर्ट भी कुछ नहीं कर सकता । विपक्षी दलों के लिये आने वाला वक्त और भी बुरा साबित होने वाला है । यही कारण है कि विपक्षी दल संजय मिश्रा के जाने की उम्मीद कर रहे थे । ये लोग इनको हटाने के लिये कई बार सुप्रीम कोर्ट गये हैं । ये संजय मिश्रा को क्यों हटाना चाहते हैं, यह बात अब समझ आ जानी चाहिए ।
मोदी के इस कदम ने विपक्ष की नींद उड़ा दी है, ईडी के निदेशक पद पर जिसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, वो अब न केवल ईडी बल्कि सीबीआई का काम भी देखेंगे । सरकार के किस किस कदम को मास्टर स्ट्रोक कहा जाये, ये कहना बड़ा मुश्किल है लेकिन ये बड़ा मास्टर स्ट्रोक है, इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए । विरोधी इंतजार में थे कि ये जाने वाले हैं लेकिन ये तो पक्का मोर्चा बनाकर बैठ जाने वाले हैं । शरद पवार, पी, चिदंबरम, हेमन्त सोरेन, अनिल देशमुख, फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, सेंथिल बनर्जी, अभिषेक बनर्जी, केजरीवाल के मंत्री और अफसर, पार्थ चैटर्जी, राहुल गांधी, सोनिया गांधी, लालू यादव और उनके परिवार के लिए बड़ी मुसीबत उनका इंतजार कर रही है ।
सिर्फ विपक्ष ही संजय मिश्रा से नहीं डरता है बल्कि चीनी मीडिया वाले पत्रकार भी डरे हुए हैं । हो सकता है कि इन्होंने चीन से इतना पैसा ले लिया हो कि उन्हें पकड़े जाने का डर सता रहा हो । 15 बड़े विपक्षी नेता सुप्रीम कोर्ट पहुँच गये कि उनके खिलाफ कार्यवाही न हो लेकिन माननीय अदालत ने इन्हें उल्टे पैर भगा दिया । ये लोग कहते हैं कि ये माननीय नेता हैं, सबके खिलाफ कार्यवाही हो लेकिन इन्हें छूट दे दी जाये । अब इन लोगों को बताना चाहिये कि संविधान में कहाँ लिखा है कि विपक्षी नेताओं के भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही को लोकतंत्र की हत्या माना जायेगा, इसे तानाशाही कहा जायेगा । ईडी अब अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से काम कर रही है । अगर वो सही प्रकार से काम नहीं करेगी तो देश को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जवाब देना मुश्किल हो जायेगा । सभी देशों के लिये यह जरूरी है क्योंकि ऐसा न करने पर एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में आने का खतरा है । चोर पुलिस को देखते ही भाग जाता है लेकिन सामान्य आदमी खड़ा रहता है । अगर ईडी और सीबीआई ताकतवर होते हैं और कार्यवाही करते हैं तो ईमानदार लोगों को डरने की क्या जरूरत है । वही आदमी डरेगा, जिसने करोड़ों रुपये की चोरी करके उन्हें कहीं छुपाया होगा ।
विपक्ष यह इल्जाम लगाता है कि मोदी सरकार अपने नेताओं के खिलाफ कार्यवाही नहीं करती है जबकि ऐसी कार्यवाही भी हो रही है । सवाल पैदा होता है कि क्या विपक्ष ये कार्यवाही नहीं कर सकता । कांग्रेस भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह पर आरोप लगाती थी कि उन्होंने जनता के करोड़ों रुपये की चोरी की है । वो कमीशन खाते हैं । कांग्रेस को जवाब देना चाहिये कि उसकी सरकार पिछले पाँच साल से छत्तीसगढ़ में चल रही है तो उसने क्यों नहीं डॉ रमनसिंह को पकड़कर जेल में डाल दिया । उसके पास पुलिस है, विजिलेंस विभाग है लेकिन कुछ नहीं किया । इसका मतलब साफ है कि कांग्रेस झूठा आरोप लगा रही थी । ऐसा ही आरोप उसने कर्नाटक की भाजपा सरकार पर लगाया था कि वो सरकार 40 प्रतिशत कमीशन खाती है लेकिन सरकार बने कई महीने हो गये किसी भाजपा नेता के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई ।
दूसरी बात अगर भाजपा 40 प्रतिशत कमीशन खा रही थी तो अब जो पैसा बच रहा है, वो कहाँ जा रहा है । काँग्रेस तो कह रही है कि हमारे पास विकास के लिये पैसा ही नहीं है । 40 प्रतिशत कमीशन खाने वाली सरकार चली गई है तो पैसों का ढेर लग जाना चाहिए । लेकिन कांग्रेस झूठे आरोप लगाकर चुनाव जीत गई है इसलिये यही फार्मूला वो मध्यप्रदेश सरकार पर भी लगा रही है कि वो सरकार 50 प्रतिशत कमीशन खा रही है । अगर कांग्रेस की सरकार मध्यप्रदेश में बन जाती है तो आप देखना कि कांग्रेस इस बारे में बात भी नहीं करेगी । झूठे आरोप लगाना कांग्रेस की आदत बन गई है । विपक्ष यह आरोप लगाता है कि अदालत ने सजा नहीं दी है इसलिये उनके नेता निर्दोष हैं । सवाल यह है कि जब अदालत ने बरी नहीं किया है तो वो निर्दोष कैसे हो सकते हैं । यह हमारे देश की बड़ी समस्या है कि अदालतें समय पर फैसला नहीं दे पाती है, अगर अदालतें समय पर फैसला दे दें तो देश से भ्रष्टाचार खत्म करने की लड़ाई में आसानी हो सकती है । वास्तव में न्यायपालिका को यह विचार करना होगा कि क्यों उसका डर भ्रष्टाचारियों में खत्म हो गया है । वो सोचते हैं जब तक फैसला होगा, वो ही खत्म हो जायेंगे । उनके मरने के बाद अदालत किसको सजा देगी ।
23 अगस्त को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जन्मदिन था, ईडी ने उनके राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा और ओएसडी मनीष बंछोर तथा आशीष वर्मा और उनके करीबियों पर छापेमारी की । भूपेश बघेल ने मोदी पर तंज कसा कि मोदी जी ने उन्हें जन्मदिन का तोहफा दिया है । सवाल ये पैदा होता है कि क्या उनके जन्मदिन पर ईडी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर सकती । दूसरी बात जन्मदिन उनका था, आरोपियों का नहीं था और अगर आरोपियों का भी जन्मदिन होता तो क्या कार्यवाही नहीं होनी चाहिए थी ।
जब भी ईडी और सीबीआई विपक्षी नेताओं पर कार्यवाही करती है तो ये लोग इल्जाम लगाते हैं कि चुनाव आने वाले हैं, इसलिये कार्यवाही हो रही है । सवाल यह है कि क्या छत्तीसगढ़ मे चुनाव होने वाले हैं ? क्या महाराष्ट्र, झारखंड, यूपी और दिल्ली में भी चुनाव होने वाले हैं ? फिर कहते हैं कि 2024 के चुनाव होने वाले हैं, तो क्या ईडी और सीबीआई 2025 तक कुछ न करे । क्या 2025 में कोई चुनाव नहीं होंगे । ये कोरी बहानेबाजी है । बंगाल में बोरियों में भर-भर कर नोट निकल रहे थे लेकिन ममता बनर्जी और उनके साथी कहते हैं कि झूठी कार्यवाही हो रही है। पहली बात तो अदालत में साबित करो कि तुम लोग निर्दोष हो और ये बोरियों में नोट कहाँ से आ रहे हैं, ये भी बताना चाहिये । छत्तीसगढ़ की बात हो रही है लेकिन झारखंड में दो भाजपा नेताओं पर भी ईडी का छापा पड़ा है ।
इसके अलावा भी देश में 17 भाजपा नेताओं के खिलाफ ईडी जांच कर रही है ।ईडी कई बड़े-बड़े व्यापारियों के खिलाफ कार्यवाही कर रही है, जोपहले नहीं होती थी । ये लोग भाजपा के सबसे बड़े समर्थक हैं, फिर क्यों सरकार इनके खिलाफ लगी हुई है । इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिये, जो निर्दोष होगा उसे अदालत छोड़ देगी और जो दोषी होगा, वो अदालत में मुकदमे का सामना करेगा और सजा भुगतेगा । बेशक विपक्ष सरकार पर भरोसा न करे लेकिन उसे न्यायपालिका पर भरोसा करना चाहिये । अगर सरकार उसके खिलाफ गलत कर रही है तो उसे अदालत जाने से किसी ने नहीं रोका है ।
- राजेश कुमार पासी
हाथी क्यों नहीं बनाना चाहता किसी का साथी ?
- अशोक भाटिया
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए जहां सत्ताधारी पार्टी भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए का कुनबा बढ़ता जा रहा है और एनडीए गठबंधन मिशन-24 से पहले अपने को मजबूत करने में जुटा हुआ है, वहीं इस चुनाव में सभी दलों की नजरें लोकसभा की सबसे अधिक सीटों वाले सूबे उत्तर प्रदेश पर बनी हुई हैं। जहां उत्तरप्रदेश में भाजपा मिशन 80 के तहत काम करने में लगी हुई है तो वहीं समाजवादी पार्टी ने भी अपने पूरी ताकत लगा दी है। इसी बीच प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती जिनकी निशानी हाथी है, ने साफ कर दिया है कि वह इस लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगी।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके एलान किया कि बसपा 2024 के लोकसभा चुनाव में किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगी । बसपा सुप्रीमो मायावती ने दावा किया है कि- “बसपा को उत्तरप्रदेश में गठबंधन करके लाभ के बजाय नुकसान ज्यादा उठाना पड़ा है क्योंकि बसपा का वोट स्पष्ट तौर पर गठबंधन वाली दूसरी पार्टी को ट्रांसफर हो जाता है किंतु दूसरी पार्टियां अपना वोट बसपा उम्मीदवारों को ट्रांसफर कराने की न सही नीयत रखती हैं और न ही क्षमता जिससे अन्ततः पार्टी के लोगों का मनोबल प्रभावित होता है। इस कारण बसपा सत्ता व विपक्ष दोनों गठबंधनों से अलग व दूर रहती है।”
वहीं मायावती ने एनडीए और इंडिया गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि एनडीए और विपक्षी गठबंधन अगले लोकसभा चुनाव में जीत के दावे कर रहा है हालांकि इन दोंनों के ज्यादातर वादे सत्ता में आने के बाद खोखले ही साबित हुए हैं। इसके साथ ही मायावती ने बसपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों को लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाने का आह्वान किया है। इसके साथ ही उन्होंने साफ निर्देश दिया है कि उम्मीदवारों के चयन में खास सावधानी बरती जाए।
पुराना इतिहास खंगाला जाय तो पहली बार 1993 के विधानसभा चुनावों में बहुजन समाजवादी पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था। 422 सीटों पर चुनाव हुए थे, जिसमें सिर्फ 164 सीटों पर लड़कर बसपा ने 67 सीटें जीती थीं। जबकि, उसे कुल मिलाकर 11.12% ही वोट मिले थे। इस तरह से 1991 की 12 सीटों के मुकाबले वह पांच गुना से ज्यादा सीटें जीती और उसे करीब 2% वोट भी ज्यादा मिले। दूसरी बार फिर 1996 में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया। पार्टी 296 सीटों पर लड़ी और उसकी 67 सीटें कायम रहीं लेकिन बसपा का वोट शेयर बढ़कर 19.64% हो गया। तीसरी बार मायावती की पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में सारे मतभेद भुलाकर मुलायम सिंह यादव की पार्टी सपा के साथ फिर से गठबंधन में चुनाव लड़ा। पार्टी 10 सीटें जीत गई और अखिलेश यादव की पार्टी को 5 सीटें ही मिलीं जितनी 2014 में मिली थी। बसपा का वोट शेयर भी ज्यादा रहा।
1996 में पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ी। बसपा ने पंजाब की तीन लोकसभा सीटें जीती थी तो अकाली दल 8 सीटें हासिल कर सकी। इस तरह पंजाब में गठबंधन करना बसपा के लिए फायदेमंद रहा। 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ी। इस चुनाव में बसपा के एक उम्मीदवार ने जीत दर्ज की। पंजाब में 26 साल के बाद कहीं जाकर बसपा को जीत मिली।2018 में छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ी तो कर्नाटक में जेडीएस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा। छत्तीसगढ़ में बसपा के दो विधायक और कर्नाटक में एक विधायक जीतने में सफल रही थी। इसके बाद 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में बसपा ने छोटे-छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था जिसमें भी एक विधायक जीतने में सफल रहा।
गठबंधन के बिना क्या हुआ? इसको देखें तो 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा अकेले दम पर लड़ी थी और एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद मायावती ने फिर से समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ लिया। 2022 विधानसभा चुनावों में बसपा ने फिर से अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया। सभी 403 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। सिर्फ 1 सीट जीती और 287 पर जमानतें जब्त हो गईं।
अब सवाल यह आता है कि क्यों अकेले चुनाव लड़ना चाहती हैं मायावती? इस तरह से साफ है कि गठबंधन में चुनाव लड़ने से बसपा को फायदा नहीं मिलने का मायावती के दावे में पूरी दम नहीं लग रहा है। फिर वह एनडीए या इंडिया गठबंधन के साथ चुनाव नहीं लड़ना चाहती हैं, इसकी क्या वजह हो सकती है? जानकारों की मानें तो उत्तर प्रदेश के मौजूदा राजनीतिक माहौल में बसपा सुप्रीमो गठबंधन की राजनीति के लिए मोल-भाव करने की ताकत नहीं जुटा पा रही हैं क्योंकि 2022 में उनकी पार्टी का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा है। दरअसल, मायावती अपनी लाइन तय करने वाली नेता हैं लेकिन, इस समय वह समाजवादी पार्टी के रहते न तो इंडिया गठबंधन में उतनी प्रभावी भूमिका निभा पाएंगी और न ही एनडीए में जाकर वह अपनी पार्टी की राजनीतिक हैसियत के अनुसार सीटों की मांग रख सकती हैं हालांकि अभी भी कांग्रेस और आरएलडी के साथ बसपा के तालमेल की चर्चाएं खत्म नहीं हुई हैं।
दरअसल मायावती दूसरे दलों के नेता की तरह नहीं है कि वो गठबंधन में शामिल होकर सिर्फ सीट लेकर चुनाव लड़ जाएं। मायावती किसी भी गठबंधन का हिस्सा तभी बनेंगी, जब उन्हें अहम रोल में रखा जाए। विपक्षी गठबंधन इंडिया का समाजवादी पार्टी हिस्सा है। उत्तरप्रदेश में विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व अखिलेश यादव के हाथों में है। ऐसे में मायावती कैसे विपक्षी गठबंधन का हिस्सा बन सकती हैं?