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  • राजेश कुमार पासी
कहावत है कि नमाज बख्शवाने गए और रोज़े गले पड़े, कुछ ऐसा ही हमारे देश के विपक्षी दलों के साथ हुआ है । ये लोग इन्तजार कर रहे थे कि ईडी निदेशक संजय मिश्रा 15 सितम्बर को रिटायर हो जायेंगे तो उनकी समस्या कुछ कम हो जायेगी लेकिन मोदी और शाह ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है । सरकार ने फैसला किया है कि वो एनएसए और सीडीएस की तरह एक नया पद बनायेगी । जिस तरह से एनएसए गुप्तचर एजेंसियों के मुखिया हैं और सीडीएस तीनों सेनाओं के मुखिया हैं उसी प्रकार से ईडी और सीबीआई के मुखिया के रूप में मुख्य जांच अधिकारी(चीफ इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर) का पद बनाया जाएगा ।
जिस तरह से एनएसए और सीडीएस सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं, उसी प्रकार सीआईओ भी प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करेगा । वो दोनों जाँच एजेंसियों के समन्वय काम करेंगे ताकि दोनों जाँच एजेंसियां मिलकर भ्रष्ट्राचारियों पर नकेल कस सके ।  सीबीआई भ्रष्टाचार और घोटालों की जाँच करती है और ईडी अवैध पैसों के लेनदेन की जाँच करती है । जो भ्रष्टाचार होता है तो पैसों का लेनदेन होना लाजिमी है । इस तरह देखा जाये तो जहाँ भ्रष्टाचार होता है, वहाँ सीबीआई के बाद ईडी को जाना पड़ता है और जहाँ ईडी जाती है, वहाँ बाद में सीबीआई को जाना पड़ता है । अगर दोनों जाँच एजेंसियां मिलकर काम करती हैं तो अपराधियों का बचना मुश्किल हो जायेगा । मोदी जी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रहे हैं ।
वो किसी को भी अपने काम में रुकावट नहीं बनने देना चाहते । सुप्रीम कोर्ट ने संजय मिश्रा को 15 सितम्बर तक ही ईडी निदेशक के पद पर काम करने की छूट दी थी लेकिन सरकार उन्हें खोना नहीं चाहती । वैसे भी देखा जाये तो सिर्फ उम्र के आधार पर किसी काबिल अफसर को मोदी खोना नहीं चाहते । यही कारण है कि उन्होंने 80 साल के अजित डोभाल को एनएसए के पद पर बनाकर रखा हुआ है ।  आज पूरा देश जानता है कि उन्होंने किस तरह से देश की सेवा की है ।  संजय मिश्रा के ईडी निदेशक बनने से पहले ईडी को कोई नहीं जानता था लेकिन उनके आने के बाद पूरे देश में ईडी का नाम गूंज रहा है । भ्रष्टाचारियों के खिलाफ ईडी जो कार्यवाही कर रही है, वो पहले कभी देखी नहीं गई । आतंकवाद के लिये मिलने वाले फंड पर भी उसने लगाम लगाई है । नारकोटिक्स के काले पैसे पर भी उसकी नजर है ।  मोदी जी को लगता है कि संजय मिश्रा उनके लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये जरूरी हैं, इसलिये उन्होंने उन्हें सरकार में बनाये रखने के लिये यह रास्ता निकाला है । इसमें अब सुप्रीम कोर्ट भी कुछ नहीं कर सकता । विपक्षी दलों के लिये आने वाला वक्त और भी बुरा साबित होने वाला है । यही कारण है कि विपक्षी दल संजय मिश्रा के जाने की उम्मीद कर रहे थे । ये लोग इनको हटाने के लिये कई बार सुप्रीम कोर्ट गये हैं ।  ये संजय मिश्रा को क्यों हटाना चाहते हैं, यह बात अब समझ आ जानी चाहिए ।
                  मोदी के इस कदम ने विपक्ष की नींद उड़ा दी है, ईडी के निदेशक पद पर जिसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो  रहा था, वो अब न केवल ईडी बल्कि सीबीआई का काम भी देखेंगे । सरकार के  किस किस कदम को मास्टर स्ट्रोक कहा जाये, ये कहना बड़ा मुश्किल है लेकिन ये बड़ा मास्टर स्ट्रोक है, इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए ।   विरोधी इंतजार में  थे कि ये जाने वाले हैं लेकिन ये तो पक्का मोर्चा बनाकर बैठ जाने वाले हैं ।  शरद पवार, पी, चिदंबरम, हेमन्त सोरेन, अनिल देशमुख, फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, सेंथिल बनर्जी, अभिषेक बनर्जी, केजरीवाल के मंत्री और अफसर, पार्थ चैटर्जी, राहुल गांधी, सोनिया गांधी, लालू यादव और उनके परिवार  के लिए बड़ी मुसीबत उनका इंतजार कर रही है ।
  सिर्फ विपक्ष  ही संजय मिश्रा से नहीं  डरता है बल्कि चीनी मीडिया वाले पत्रकार भी डरे हुए हैं । हो सकता है कि इन्होंने चीन से इतना पैसा ले लिया हो कि उन्हें पकड़े जाने का डर सता रहा हो । 15 बड़े विपक्षी नेता सुप्रीम कोर्ट पहुँच गये कि उनके खिलाफ कार्यवाही न हो लेकिन माननीय अदालत ने इन्हें उल्टे पैर  भगा दिया । ये लोग कहते हैं कि ये माननीय नेता हैं, सबके खिलाफ कार्यवाही हो लेकिन इन्हें छूट दे दी जाये । अब  इन लोगों को बताना चाहिये कि संविधान में कहाँ लिखा है कि विपक्षी नेताओं के भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही को लोकतंत्र की हत्या माना जायेगा, इसे तानाशाही कहा जायेगा । ईडी अब अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से काम कर रही है । अगर वो सही प्रकार से काम नहीं करेगी तो देश को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जवाब देना मुश्किल हो जायेगा । सभी देशों के लिये यह जरूरी है क्योंकि ऐसा न करने पर एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में आने का खतरा है । चोर पुलिस को देखते ही भाग जाता है लेकिन सामान्य आदमी खड़ा रहता है । अगर ईडी और सीबीआई ताकतवर होते हैं और कार्यवाही करते हैं तो ईमानदार लोगों को डरने की क्या जरूरत है । वही आदमी डरेगा, जिसने करोड़ों रुपये की चोरी करके उन्हें कहीं छुपाया होगा ।
              विपक्ष यह इल्जाम लगाता है कि मोदी सरकार अपने नेताओं के खिलाफ कार्यवाही नहीं करती है जबकि ऐसी कार्यवाही भी हो रही है । सवाल पैदा होता है कि क्या विपक्ष ये कार्यवाही नहीं कर सकता ।  कांग्रेस भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह पर आरोप लगाती थी कि उन्होंने जनता के करोड़ों रुपये की चोरी की है । वो कमीशन खाते हैं । कांग्रेस को जवाब देना चाहिये कि उसकी सरकार पिछले पाँच साल से छत्तीसगढ़ में चल रही है तो उसने क्यों नहीं डॉ रमनसिंह को पकड़कर जेल में डाल दिया । उसके पास पुलिस है, विजिलेंस विभाग है लेकिन कुछ नहीं किया । इसका मतलब साफ है कि कांग्रेस झूठा आरोप लगा रही थी । ऐसा ही आरोप उसने कर्नाटक की भाजपा सरकार पर लगाया था कि वो सरकार 40 प्रतिशत कमीशन खाती है लेकिन सरकार बने कई महीने हो गये किसी भाजपा नेता के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई ।
दूसरी बात अगर भाजपा 40 प्रतिशत कमीशन खा रही थी तो अब जो पैसा बच रहा है, वो कहाँ जा रहा है । काँग्रेस तो कह रही है कि हमारे पास विकास के लिये पैसा ही नहीं है । 40 प्रतिशत कमीशन खाने वाली सरकार चली गई है तो पैसों का ढेर लग जाना चाहिए । लेकिन कांग्रेस झूठे आरोप लगाकर चुनाव जीत गई है इसलिये यही फार्मूला वो मध्यप्रदेश सरकार पर भी लगा रही है कि वो सरकार 50 प्रतिशत कमीशन खा रही है । अगर कांग्रेस की सरकार मध्यप्रदेश में बन जाती है तो आप देखना कि कांग्रेस इस बारे में बात भी नहीं करेगी । झूठे आरोप लगाना कांग्रेस की आदत बन गई है । विपक्ष यह आरोप लगाता है कि अदालत ने सजा नहीं दी है इसलिये उनके नेता निर्दोष हैं । सवाल यह है कि जब अदालत ने बरी नहीं किया है तो वो निर्दोष कैसे हो सकते हैं । यह हमारे देश की बड़ी समस्या है कि अदालतें समय पर फैसला नहीं दे पाती है, अगर अदालतें समय पर फैसला दे दें तो देश से भ्रष्टाचार खत्म करने की लड़ाई में आसानी हो सकती है । वास्तव में न्यायपालिका को यह विचार करना  होगा कि क्यों उसका डर भ्रष्टाचारियों में खत्म हो गया है । वो सोचते हैं जब तक फैसला होगा, वो ही खत्म हो जायेंगे । उनके मरने के बाद अदालत किसको सजा देगी ।
      23 अगस्त को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जन्मदिन था, ईडी ने उनके राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा और ओएसडी मनीष बंछोर तथा आशीष वर्मा और उनके करीबियों पर छापेमारी की । भूपेश बघेल ने मोदी पर तंज कसा कि मोदी जी ने उन्हें जन्मदिन का तोहफा दिया है । सवाल ये पैदा होता है कि क्या उनके जन्मदिन पर ईडी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर सकती । दूसरी बात जन्मदिन उनका था, आरोपियों का नहीं था और अगर आरोपियों का भी जन्मदिन होता तो क्या कार्यवाही नहीं होनी चाहिए थी ।
 जब भी ईडी और सीबीआई विपक्षी नेताओं पर कार्यवाही करती है तो ये लोग इल्जाम लगाते हैं कि चुनाव आने वाले हैं, इसलिये कार्यवाही हो रही है । सवाल यह है कि क्या छत्तीसगढ़ मे चुनाव होने वाले हैं ? क्या महाराष्ट्र, झारखंड, यूपी और दिल्ली में भी चुनाव होने वाले हैं ? फिर कहते हैं कि 2024 के चुनाव होने वाले हैं, तो क्या ईडी और सीबीआई 2025 तक कुछ न करे । क्या 2025 में कोई चुनाव नहीं होंगे । ये कोरी बहानेबाजी है । बंगाल में बोरियों में भर-भर कर नोट निकल रहे थे लेकिन ममता बनर्जी और उनके साथी कहते हैं कि झूठी कार्यवाही हो रही है। पहली बात तो अदालत में साबित करो कि तुम लोग निर्दोष हो और ये बोरियों में नोट कहाँ से आ रहे हैं, ये भी बताना चाहिये ।  छत्तीसगढ़ की बात हो रही है लेकिन झारखंड में दो भाजपा नेताओं पर भी ईडी का छापा पड़ा है ।
इसके अलावा भी देश में 17 भाजपा नेताओं के खिलाफ ईडी जांच कर रही है ।ईडी कई बड़े-बड़े व्यापारियों के खिलाफ कार्यवाही कर रही है, जोपहले नहीं होती थी ।  ये लोग भाजपा के सबसे बड़े समर्थक हैं, फिर क्यों सरकार इनके खिलाफ लगी हुई है । इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिये, जो निर्दोष होगा उसे अदालत छोड़ देगी और जो दोषी होगा, वो अदालत में मुकदमे का सामना करेगा और सजा भुगतेगा । बेशक विपक्ष सरकार पर भरोसा न करे लेकिन उसे न्यायपालिका पर भरोसा करना चाहिये । अगर सरकार उसके खिलाफ गलत कर रही है तो उसे अदालत जाने से किसी ने नहीं रोका है ।
  • राजेश कुमार पासी
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